क्या अंधे किरदारों पर फ़िल्में हिट होती हैं ?
अगर, ५ अक्टूबर को रिलीज़ श्रीराम राघवन की फिल्म
अंधाधुन की बात करें तो यह कहा जा सकता है कि दर्शकों को अंधे नायक और नायिका पसंद
आते हैं और अंधे किरदारों पर फ़िल्में हिट हो जाती हैं। फिल्म अंधाधुन में अभिनेता
आयुष्मान खुराना ने एक अंधे पियानो वादक की भूमिका की थी । रहस्य से भरपूर इस
फिल्म के रोमांच में दर्शक ऐसा उलझा कि
बार बार फिल्म को देखने आता रहा। हालाँकि, फिल्म का
संगीत अपेक्षाकृत ख़ास नहीं था।इसके
बावजूद, श्रीराम राघवन की चुस्त पटकथा और कल्पनाशील
निर्देशन ने फिल्म को दर्शनीय बना दिया।
कैसे कैसे अंधे किरदार !
रियल लाइफ में भी विकलांग सहानुभूति के पात्र होते हैं। समाज में लोग ऐसे
लोगों का ख़ास ध्यान रखते और देते हैं। कुछ ऐसा ही, हिंदी
फिल्मों में भी देखने को मिलता है। हिंदी फिल्मों की कहानियों में अंधे नायक-नायिका
या सह कलाकार किसी न किसी रूप में नज़र आते हैं। यह तो नहीं कहा जा सकता कि अंधे
किरदारों पर फिल्मों के नायक नायिका ही अंधे होते हैं। बेशक, माधुरी
दीक्षित की फिल्म संगीत, रानी मुख़र्जी की फिल्म ब्लैक और काजोल की
फिल्म फना में, इन अभिनेत्रियों की भूमिकाये अंधी लड़की की
थी। इन किरदारों के माध्यम से सशक्त पटकथा
बनी गई थी। अंधी माधुरी दीक्षित संगीत में पारंगत है। ब्लैक की रानी मुख़र्जी स्पर्श की मदद से
वस्तुओं को पहचानना सीखती है। फना की काजोल एक आतंकवादी के जाल में फंस जाती है।
साई परांजपे ने, १९८० में बासु भट्टाचार्य के लिए एक ऐसा
अंधा किरदार तैयार किया था, जो अंधा होने के बावजूद आत्मनिर्भर है,
उसे किसी की सहनुभूती की ज़रुरत नहीं है।
नसीरुद्दीन शाह ने यह अंधा किरदार किया था। कोई ज़रूरी
नहीं कि किसी फिल्म का नायक या नायिका जन्मजात अंधे हों। कहानी की बुनावट
के लिए, कोई किरदार बीच फिल्म में अंधा हो सकता
है। आशा पारेख की फिल्म चिराग,
हेमा मालिनी की फिल्म किनारा और नंदा की फिल्म छोटी बहन में इन
अभिनेत्रियों के किरदार दुर्घटनावश अंधे हो जाते हैं। अब यह बात दीगर है कि कुछ
फिल्मों में अंधे किरदारों की दृष्टि वापस आ जाती है। पतंग,
सुनयना, झील के उस पार,
आदि फिल्मों के अंधे किरदारों को दृष्टि वापस मिल जाती है। यह कुछ फ़िल्में
उदाहरण है। ऎसी बहुत सी फ़िल्में बनाई गई
हैं।
क़ाबिल ह्रितिक रौशन और यामी गौतम
फिल्मों के अंधे किरदार पसंदीदा हैं।
इन्हे दर्शक भी पसंद करते हैं और स्टार-सुपरस्टार भी करना चाहते हैं। पिछले साल ही, हृथिक रोशन की फिल्म काबिल रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म के सामने थी शाहरुख़ खान की गैंगस्टर
फिल्म रईस। दोनों फिल्मों का ज़बरदस्त
मुक़ाबला हुआ। लेकिन, रईस में शाहरुख़ खान का गुजराती शराब तस्कर
किरदार, हृथिक रोशन के अंधे किरदार को पछाड़ नहीं
सका। हृथिक रोशन का ज़बरदस्त अभिनय और संजय
गुप्ता का कल्पनाशील निर्देशन काबिल को बॉक्स ऑफिस के काबिल बना पाने में कामयाब
हो गया।
शशधर मुख़र्जी और उनके भाई रविन्द्रमोहन मुख़र्जी ने फिल्मालय स्टुडिओं की
स्थापना की थी। इसी परिवार से फूले फले
तमाम एक्टर आज बॉलीवुड में छाये हुए हैं।
इनमे काजोल और रानी मुख़र्जी के नाम उल्लेखनीय हैं। इन कजिन सिस्टर्स ने
अपने अभिनय का लोहा मनवाया है। इन दोनों बहनों ने हिंदी फिल्मों में अंधे किरदार
किये हैं। काजोल ने फिल्म फना में,
आमिर खान के साथ एक अंधी कश्मीरी लड़की जूनी की भूमिका की थी। इस लड़की को आमिर खान का आतंकवादी रेहान अपने
प्यार के जाल में फंसा कर भारत में तबाही मचाना चाहता है। इस अंधे किरदार के लिए
काजोल को फिल्मफेयर में बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार दिया गया था। लेकिन,
काजोल से एक साल पहले, फिल्म ब्लैक
में रानी मुख़र्जी ने संजय लीला भंसाली की फिल्म ब्लैक में एक अंधी लड़की मिशेल
मैकनाली की भूमिका की थी। इस फिल्म में
अमिताभ बच्चन ने अल्झाइमर रोग से ग्रस्त अध्यापक देबराज सहाय की भूमिका के लिए
राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार जीता था। रानी मुख़र्जी अपनी भूमिका के लिए राष्ट्रिय
फिल्म पुरस्कार तो नहीं जीत सकी,
लेकिन उन्होंने फिल्मफेयर पुरस्कारों में श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार
पाने में सफलता मिली।
अंधे किरदार करने वाली अभिनेत्रियां
फिल्मों में अंधों की भूमिका, दर्शकों की
सहानुभूति के लिहाज़ से ख़ास होती है। इसलिए,
शुरूआती दौर से ही हिंदी फिल्मों
में अंधे किरदार नज़र आते रहे हैं। १९५०
में रिलीज़ फिल्म मशाल में रुमा देवी ने अंधी लड़की की भूमिका में बेहतरीन अभिनय
किया था। इस फिल्म में रुमा देवी के नायक
अशोक कुमार थे। रुमा देवी ने बाद में,
अशोक कुमार के छोटे भाई किशोर कुमार से शादी की थी। सोहराब मोदी की फिल्म
जेलर में, गीता बाली ने गाँव की अंधी लड़की की भूमिका
की थी। इस फिल्म में अभी भट्टाचार्य भी एक
कार दुर्घटना में अंधे हो जाते हैं और गीता
बाली के गाँव में पहुँच जाते हैं। सूरज प्रकाश निर्देशित फिल्म पतंग (१९६०)
की नायिका माला सिन्हा और राज खोसला की फिल्म चिराग (१९६०) की नायिका आशा पारेख दीवाली के पटाखों
की चोट से अंधी हो जाती है। ए० भीमसिंह निर्देशित फिल्म पूजा के फूल (१९६४) में
निम्मी जन्मजात अंधी थी, जिनकी धर्मेंद्र से जबरन शादी करा दी जाती
है। मशहूर बांग्ला फिल्म अभिनेत्री मौशमी चटर्जी का हिंदी फिल्म डेब्यू एक अंधे
किरदार से हुआ था। शक्ति सामंत निर्देशित
फिल्म अनुराग ने मौशमी को बॉलीवुड में स्थापित कर दिया था। भप्पी सोनी की फिल्म
झील के उस पार की एक नायिका मुमताज़ जन्मजात अंधी थी। अमर अकबर अन्थोनी के तीन
नायकों की माँ निरुपा रॉय पेड़ गिरने से अंधी हो जाती है। इसी प्रकार से किनारा में
हेमा मालिनी, ईमान धरम में अपर्णा सेन,
सुनयना में रामेश्वरी, बरसात की एक
रात में राखी, भ्रष्टाचार में शिल्पा शिरोड़कर और लफंगे
परिंदे में दीपिका पादुकोण ने अंधे किरदार किये थे।
हिंदी फिल्मों के अंधे नायक
बॉलीवुड के कई अभिनेताओं ने भी अंधे किरदार करने में दिलचस्पी दिखाई। काबिल में हृथिक रोशन और स्पर्श में नसीरुद्दीन
शाह के अंधे किरदारों के बारे में बताया जा चूका है। इनके अलावा दूसरे कुछ
अभिनेताओं ने भी अंधे आदमी की भूमिका की। निर्देशक विपुल अमृतलाल शाह की फिल्म
आँखे के अक्षय कुमार, परेश रावल और अर्जुन रामपाल के तीन अंधे,
अमिताभ बच्चन के इशारे पर सफलतापूर्वक बैंक डकैती डालते हैं। तनूजा चंद्रा
की १९९८ में रिलीज़ फिल्म दुश्मन में संजय दत्त ने एक अंधे सैन्य अधिकारी की भूमिका
की थी, जो काजोल के चरित्र को बदला लेने के लिए
मार्शल आर्ट्स का प्रशिक्षण देता है। अमिताभ बच्चन की फिल्म सुहाग में शशि कपूर
के आँखे चली जाती हैं। गुलजार निर्देशित
फिल्म कोशिश में संजीव कुमार और जया भादुड़ी ने गूंगे बहरे पति पत्नी की भूमिका की
थी। इन्हे, अपने बच्चे
को पालने में मदद करता है, ओम शिवपुरी का अंधा किरदार। १९८६ में रिलीज़ फिल्म क़त्ल के नायक संजीव कुमार
अंधे हैं। वह अपनी बेवफा पत्नी का पीछा
करते हैं और उसका क़त्ल करते हैं। इस फिल्म की खासियत थी,
संजीव कुमार का अभिनय और क़त्ल का प्लॉट।
इसी कड़ी में, आयुष्मान खुराना की फिल्म अँधाधुन भी आ
जुड़ती है।
हिंदी फिल्मों में अंधे किरदारों पर फिल्मों का सिलसिला यहीं ख़त्म होने
वाला नहीं। निर्माता गौरांग जोशी आँखे
(२००२) का सीक्वल बनाने का इरादा रखते हैं।
हालाँकि, आँखे २ बनाने की कोशिशे २००६ से जारी
हैं। लेकिन, अब खबर है
कि अनीस बज़्मी आँखे २ की स्क्रिप्ट पर काम कर रहे हैं। इस सीक्वल फिल्म में किन एक्टर्स को लिया जाएगा,
अभी साफ़ नहीं है। क्योंकि, फिल्म की
पटकथा पूरी होने के बाद ही स्टारकास्ट फाइनल किये जाने की बात है।
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