Sunday 25 November 2018

क्या २.० बनाएगी विज्ञान फंतासी सुपर हीरो फिल्मों का माहौल ?


भारत की सबसे महँगी विज्ञान फंतासी फिल्म २.० के फिल्म में अक्षय कुमार के किरदार के चेहरों वाले पोस्टरों ने फिल्म के प्रति दर्शकों में उत्सुकता पैदा कर दी है।  फिल्म २.०जहाँ रजनीकांत के दोहरे चरित्र डॉक्टर वशीकरण और चिट्टी से दक्षिण के दर्शकों को आकर्षित कर पाने में सफल हो रही हैंवहीँ अक्षय कुमार का विशालकाय भयानक आवाज़ वाला पक्षी भी हिंदी फिल्मदर्शकों को आकर्षित कर पाने में कामयाब हो चुका है। ट्रेड पंडित अनुमान लगा रहे हैं कि ५०० करोड़ के बजट में बनी यह फिल्म दक्षिण के दर्शकों को तो आकर्षित करेगी हीहिंदी दर्शकों को भी सिनेमाघरों तक ला पाने में कामयाब होगी।  इस फिल्म के १००० करोड़ का कारोबार करने का अनुमान लगाया जा रहा है। 

क्या है २.० में !
ट्रेलर से यह भी पता चलता है कि जो कुछ दिखाया गया हैउससे कहीं ज़्यादा अभी फिल्म में बचा हुआ है।  निर्देशक शंकर की फिल्म २.० यह सन्देश देती हैं कि कभी विज्ञान अगर अनियंत्रित हो जाए तो मानवता के लिए घातक भी हो जाता है।  लेकिनक्या रजनीकांत और ऐश्वर्या राय के साथ डैनी डैंग्जोप्पा की खल भूमिका वाली एक विज्ञानी के अविष्कार चिट्टी के अनियंत्रित हो जाने वाली कहानी को दुनिया के तमाम देशो में चर्चित करने वाली फिल्म एंथिरन/रोबोट की यह सीक्वल फिल्म भारत में विज्ञान फंतासी फिल्मों का क्रेज पैदा कर पाएगी क्या भारत में विज्ञान फ़िल्में बनाई जाएगी क्या भारतीय दर्शकों को प्रकृति चमत्कार सुपरहीरो रास आएगा ?

सबसे महँगी थी रा.वन
बॉलीवुड द्वारा विज्ञान फंतासी सुपरहीरो फिल्म बनाने का एक गंभीर प्रयास ७ साल पहले किया गया थाजब २६ अक्टूबर २०११ कोपरदे पर दर्शकों के सामने पेश हुई फिल्म रा.वन।  इस फिल्म के निर्माता शाहरुख़ खान थे।  उन्होंने ही फिल्म के नायक और सुपरहीरो शेखर सुब्रह्मणियम और मशीन जी.वन यानि गुड वन की भूमिका की थी।  फिल्म का निर्देशन अनुभव सिन्हा ने किया था। अनुभव सिन्हा उस समय तक तुम बिन के  बाद दस जैसी स्पाई एक्शन फिल्म बना चुके थे। लेकिनरा.वन उनकी चाय का प्याला नहीं थी। इस फिल्म की कहानी और पटकथा कनिका ढिल्लों तथा मुश्ताक़ शैख़ और डेविड बेनुलो के साथ खुद अनुभव सिन्हा ने लिखी थी। यही वह मात खा गए। शायद खुद निर्माता को फिल्म के विषय पर विश्वास नहीं था और निर्देशक को अपनी कलम और निर्देशन क्षमता पर ! फिल्म में तमाम तरह के मसाले  डाले गए। आइटम सांग शामिल किये गए। फिल्म में शाहरुख़ खान ने पानी की तरह पैसा बहाया (उस समय यह फिल्म १३० करोड़ के बजट में बनी थी)लेकिन फिल्म में जान नहीं डाल पाए।  दर्शकों को सुपरहीरो के तौर पर डॉन की तरह हंसने वाला शाहरुख़ खान मिला। सबसे कमज़ोर था खलनायक रा.वनजिस पर यह फिल्म बनी थी। इस भूमिका को अर्जुन रामपाल कर रहे थे। जो किसी भी तरह से इतने ताकतवर नहीं लगते थे कि दुनिया को 'खतरासाबित हो पाते। यही कारण है कि फिल्म सिर्फ २०७ करोड़ का कारोबार कर अपने निर्माताओं को निराश कर गई। 

चाँद पर चढ़ाईमारा गया किंग ऑफ़ मार्स 
रा.वन में जो जो कमियां थीउन्ही कमियों के साथ पहले भी कुछ विज्ञान फंतासी फ़िल्में बनाई गया थी।  एक ऐसी ही फिल्म १९६७ में निर्माता और निर्देशक टीपी सुंदरम ने बनाई थी।  ट्रिप टू मून/चाँद पर चढ़ाई टाइटल के साथ रिलीज़ इस फिल्म के मुख्य कलाकारों द्वारा सिंहअनवर हुसैनभगवानपद्मा खन्ना और जी रत्ना थे।  फिल्म में चाँद पर पहुंचे भारतीयों को दूसरे ग्रहों के कई राक्षसों और योद्धाओं से भिड़ना पड़ता है।  फिल्म के स्तर का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि फिल्म में अनवर हुसैन का किरदार किंग ऑफ़ मार्स कहा गया था।  चाँद पर मार्स का राजा ! वाह वाह !

विज्ञान नहीं फंतासी !
आम तौर परहिंदी में विज्ञान फंतासी के नाम पर फ़न्तासी फ़िल्में ही बनी हैं।  विज्ञान के नाम पर फिल्मों की बात की जाए तो कुछ ही फिल्मों के नाम सामने आते हैं। इनका भी ज़िक्र इनके अति साधारण सामग्री और निर्देशन के कारण ही किया जाता है।  विक्रम भट्ट निर्देशित फिल्म मिस्टर एक्स में इमरान हाश्मी का रघुराम राठौर एक वैज्ञानिक प्रयोग का शिकार हो कर अदृश्य हो जाता है।  कूकी वी गुलाटी की फिल्म प्रिंस (२०१०) में एक प्राचीन सिक्के के पीछे रहस्य छुपा हुआ था।  आ देखें ज़रा में एक पुराना भविष्यवाणी कर सकता था।  वायरस दीवान का हैकर खुद विज्ञान का शिकार हो जाता है। जाने क्या होगा का नायक विज्ञानं के चमत्कार के ज़रिये अपना क्लोन पैदा करता है और बुरे काम में लिप्त हो जाता है।  रुद्राक्ष की पृष्ठभूमि में रामायण कालीन विज्ञान का चमत्कार दिखाया गया था। 

टाइम ट्रेवल पर फ़िल्में 
विज्ञान फिल्मों के लिहाज़ से टाइम ट्रेवल पर फिल्मे ख़ास है।  यानि कोई अतीत मे वापस चला जा सकता है या भविष्य में झाँक सकता है।  इम्तियाज़ पंजाबी की २००३ में रिलीज़ फ़िल्म फन्टूश- डूड्स इन द टेंथ सेंचुरी अपने नाम के अनुरूप दर्शकों १०वी शताब्दी के भारत में अपने गुलशन ग्रोवरपरेश रावल और फरीदा जलाल जैसे सितारों के मार्फ़त ले जाती है। इस फिल्म में अमिताभ बच्चन की कमेंट्री थी। लेकिनइसके बावजूद फिल्म बेजान साबित हुई। इसी प्रकार से अक्षय कुमारऐश्वर्या रायनेहा धूपिया और आदित्य रॉय कपूर भी विपुल शाह की फिल्म एक्शन रीप्ले में कभी  पीछे जाते और वापस आते नज़र आ रहे थे। भारी बजट से बनी एक्शन रीप्ले अपनी लाग़त तक नहीं निकाल पाई। निर्देशक हैरी बवेजा ने अपने बेटे को बड़ा हीरो बनाने के ख्याल से विज्ञान फंतासी फिल्म का सहारा लिया। फिल्म के प्रचार में प्रियंका चोपड़ा और हरमन बवेजा के रियल प्रेम की अफवाहे तक उड़ाई गई। लेकिनरोबोटों से भरे २०५० के भारत की तस्वीर दिखाने वाले फिल्म लव स्टोरी २०५० बिलकुल बेजान साबित हुई।  बॉक्स ऑफिस पर यह अपनी लागत तक निकाल पानी में असफल रही।  

सुपर हीरो फ़िल्में 
हिंदी फिल्म दर्शकों को भारतीय सुपरहीरो का खट्टा मीठा अनुभव हुआ है।  जहाँ एक तरफ निर्माता- निर्देशक राकेश रोशन ने २००३ में कोई मिल गया फिल्म से विज्ञान और फंतासी का ऐसा लुभावना संसार तैयार किया था कि यह फिल्म कृष फ्रैंचाइज़ी में बदल गई।  कोई मिल गया की सफलता के बाद अनोखी ताकत पाए कृष को सुपरहीरो बना कर कृष (२००६) और कृष ३ (२०१३) का सफलतापूर्वक निर्माण किया गया। हृथिक रोशन के रूप में भारतीय कृष  दर्शकों का पसंदीदा सुपरहीरो बन गया। राकेश रोशन अब कृष ४ का निर्माण भी करने जा रहे हैं। परन्तुभारतीय सुपरहीरो के इतिहास मेंकृष से पहले और बाद में परदे पर उतरे सुपरहीरो में इक्कादुक्का ही सफल हुए। १९८७ मेंनिर्देशक शेखर कपूर ने विज्ञानं का चमत्कार दिखाया था एक ब्रेसलेट के ज़रिये। वैज्ञानिक खोज से बने इस ब्रेसलेट  को पहन कर अनिल कपूर का किरदार गायब हो कर मिस्टर इंडिया बन जाता है। वह सुपरहीरो बन कर मज़लूमों को जुल्मियों से बचाता है। इससे पहले विनोद मेहरा की फिल्म एलान में कपडे उतार कर अंगूठी पहनने के बाद कोई भी गायब हो सकता है।  इन दोनों ही अदृश्य सुपरहीरो को दर्शकों ने पसंद किया। लेकिनकोई सिलसिला नहीं बन सका।


जब पिता-पुत्र बने सुपरहीरो 
हिंदी फिल्मों की विज्ञान फंतासी फिल्मों के इतिहास में दो मौके ऐसे आयेजब बाप और बेटों ने सुपरहीरो किरदार किये। अभिनेता जैकी श्रॉफ ने१९८५ मेंबॉलीवुड की पहली त्रिआयामी फिल्म शिवा का इन्साफ में एक सुपरहीरो शिवा की भूमिका की थी। इस कॉस्ट्यम ड्रामा फिल्म को इसका त्रिआयामी आकर्षण भी नहीं बचा सका।  इसी प्रकार से१९८९ में रिलीज़ निर्माता मनमोहन देसाई की उनके बेटे केतन देसाई निर्देशित फिल्म तूफ़ान में अमिताभ बच्चन ने एक जादूगर और एक सुपरहीरो तूफ़ान की दोहरी भूमिकाये की थी। यह फिल्म भी बुरी तरह से लुढ़की। शिवा का इन्साफ के ३१ साल बादडायरेक्टर रेमो डिसूज़ा नेजैकी श्रॉफ के बेटे टाइगर श्रॉफ को लेकर सुपरहीरो फिल्म अ फ्लाइंग जट्ट का निर्माण किया।  एक सिख किरदार को सुपरपावर रखने वाला दिखाने के बावजूद यह फिल्म बुरी तरह से असफल रही। शायद श्रॉफ्स् ने इतिहास से सबक नहीं सीखा था। अन्यथा वह याद रखते कि आठ साल पहलेनिर्माता-निर्देशक गोल्डी बहल ने अमिताभ बच्चन के बेटे अभिषेक बच्चन को सुपरहीरो फिल्म द्रोण (२००८) बनाई थी।  भरी रकम खर्च करने के बावजूद गोल्डी बहल एक सफल सुपरहीरो फिल्म नहीं बना सके थे।

रहेगी २.० पर नज़र !
ऐसे में, आगामी शुक्रवार को रिलीज़ होने जा रही रजनीकांत, एमी जैक्सन और अक्षय कुमार की फिल्म २.० के बॉक्स ऑफिस परिणामों पर नज़र रखनी होगी। संभव है कि फिल्म बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त कारोबार कर जाए, जैसी कि उम्मीद की जा रही है। ऐसे में आगामी कुछ विज्ञान फ़िल्में शाहरुख़ खान की सारे जहाँ से अच्छा और अक्षय कुमार मिशन मंगल दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकेंगी। प्रीतिश चक्रवर्ती की मंगल पर प्राचीन भारतीय सभ्यता की खोज करने वाली फिल्म मंगल हो तो रिलीज़ होने वाली है। लेकिन, इनसे सुपरहीरो या विज्ञान फंतासी फ़िल्में बनने सिलसिला शुरू हो  जाएगा, यह सोचना ही नादानी होगी।  क्योंकि, ५०० करोड़ के बजट से फिल्म बनाना हर निर्माता के बस की बात नहीं है। यहीं, कारण है कि निर्देशक संजय पूरन सिंह फिल्म चंदा मामा दूर के, अनुराग कश्यप फिल्म डोगा और अन्थोनी डिसूज़ा चाँद २०१३ का ऐलान करने बावजूद आगे नहीं बढ़ पाते।  यहाँ तक कि ३०० करोड़ के बजट से दीपिका पादुकोण को लेडी सुपरहीरो बनाने का ऐलान भी कोई हलचल नहीं पैदा कर पाता।

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