हिंदी फिल्मों के मशहूर गायक
मोहम्मद अज़ीज़ उर्फ़ मुन्ना अज़ीज़ नहीं रहे। दिल का दौरा पड़ने के बाद,
६४ साल की उम्र में उनका देहांत हो गया।
पश्चिम बंगाल में, २ जुलाई १९५४ को अशोकनगर,
पश्चिम बंगाल मे जन्मे सैयद मोहम्मद अज़ीज़-उन-नबी उर्फ़ मुन्ना ने,
बंगाल के रेस्टोरेंट में गीत गा कर अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत की।
पहली फिल्म बांगला ज्योति
उनके गाये गीतों वाली पहली फिल्म बांगला भाषा
की ज्योति थी। वह १९८४ में मुंबई आये। वह
मोहम्मद रफ़ी के घोर प्रशंसक थे। उनकी आवाज़ और गायन शैली में भी मोहम्मद रफ़ी की
झलक थी। उनके गायन वाली पहली हिंदी फिल्म
अम्बर थी, जो १९८४ में रिलीज़ हुई थी।
तांगेवाला ने बनाया मर्द
मोहम्मद अज़ीज़ उर्फ़ मुन्ना को बुलंदियों पर पहुँचाया मनमोहन देसाई की फिल्म मर्द के मैं
मर्द तांगेवाला गीत ने। यह गीत,
अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया था।
अपने समय का यह चार्टबस्टर गीत था।
शब्बीर कुमार बनाम मोहम्मद अज़ीज़
उस दौर में, एक गायक शब्बीर कुमार ने भी हिंदी फिल्मों
में गीत गाने शुरू कर दिए थे। मुन्ना अज़ीज़
के गीत सुन कर, दर्शकों
को शब्बीर कुमार का धोखा हुआ करता
था। शब्बीर कुमार और मुन्ना अज़ीज़,
दोनों ही गायक मोहम्मद रफ़ी की आवाज़ के विकल्प माने जाते थे। शब्बीर कुमार का करियर भी,
मोहम्मद रफ़ी की मृत्यु के बाद १९८१ में बनना शुरू हुआ था । इन दोनों गायकों ने ही,
अमिताभ बच्चन की तमाम फिल्मों के गीत गाये थे।
सभी संगीतकारों के अज़ीज़ गायक
मोहम्मद अज़ीज़ की आवाज़ का दम था कि उन्हें उस समय के तमाम संगीतकारों ने
अपनी धुनों पर गीत गाने का मौक़ा दिया।
मोहम्मद अज़ीज़ ने कल्याणजी-आनंदजी,
लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, राहुल देव
बर्मन, नौशाद, ओ पी नय्यर,
बप्पी लाहिरी, राजेश रोशन, राम लक्षमण,
रविंद्र जैन, उषा खन्ना, आनंद-मिलिंद,
नदीम-श्रवण, जतिन ललित, अनु मालिक,
आनंदराज आनंद और आदेश श्रीवास्तव के लिए गीत गाये।
मशहूर गीत
उनके गाये कुछ मशहूर गीतों में माय नेम इज लखन,
तू कल चला जायेगा, इमली का बूटा, ऐ वतन तेरे
लिए, इस दुनिया में जी नहीं सकता,
कागज़ कलम दवात, अमीरों की शाम,
इश्क़ की डोर न टूटे, दुनिया में
कितना गम है, तू न जा मेरे बादशाह,
आदि दसियों कर्णप्रिय गीत शामिल हैं।
धवनी भानुशाली के लेजा रे !- पढ़ने के लिए क्लिक करें
No comments:
Post a Comment