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Thursday 12 April 2018

मैं नानू की जानू हूँ - पत्रलेखा

पत्रलेखा का हिंदी फिल्म डेब्यू निर्देशक हंसल मेहता की फिल्म सिटीलाइट्स से हुआ था। इस फिल्म में पत्रलेखा (२०१४) के नायक राजकुमार राव थे। आजकल दोनों के गर्मागर्म रोमांस के किस्से सोशल साइट्स पर चटखारे के साथ पढ़े सुने और देखे जाते हैं। पत्रलेखा की दूसरी हिंदी फिल्म इरोटिक लव गेम्स (२०१६) थी। इस फिल्म में पत्रलेखा ने अपना सब कुछ दिखा दिया। लेकिन, अभिनय नज़र नहीं आया। अब दो साल बाद उनकी तीसरी फिल्म नानू की जानू रिलीज़ हो रही हैं। यानि चार साल में तीन फ़िल्में। नानू की जानू में पत्रलेखा नानू अभय देओल की जानू की भूमिका कर रही है। पेश है उनसे बातचीत के अंश -  
नानू की जानू में किस भूमिका में हैं ?
नानू की जानू फिल्म में नानू के किरदार में अभय हैं, मैं उनकी जानू बनी हुयी हूँ। यह एक हॉरर कॉमेडी है। बहुत क्यूट फिल्म है। अभय एक गुंडे के किरदार में हैं। 
आपका क्या किरदार है ?
ट्रेलर में आप मुझे नहीं देख पाएंगे पाएंगे। क्योंकि फिल्म का प्लाट फिर सामने आ जाएगा। तो मैंने ट्रेलर देखते हुए कहा था की मुझे ट्रेलर लांच पर जाने का मतलब नहीं था। फिर पता चला की ट्रेलर ऐसा क्यों है !  
गाने कैसे हैं ?
बढ़िया हैं। फिल्म में कई गाने हैं, जिनमें टाइटल ट्रैक भी है और सोलो नंबर्स भी हैं। 
अभय देओल के साथ काम करना कैसा रहा ?
मैंने देव डी जब उन्हें देखा था तो उनका काम मुझे अच्छा लगा था। मैं बचपन से शाह रुख की फिल्में देखती थी, लेकिन देव डी देख के लगा की मुझे भी कुछ वैसा करना है। फिर बाद में जब नानू की जानू की स्क्रिप्ट आयी, और मुझे पता चला की इसमें अभय हैं, तो ये एक बकेट लिस्ट जैसी बात थी, जो पूरी हुयी। अभय देओल को दर्शकों और फैंस बहुत सारा प्यार मिलता है। 
अगर आप देव डी में होती तो कौन सा किरदार करती ?
मैं पारो का किरदार करना चाहतीक्योंकि मैंने उस किरदार से काफी कनेक्ट किया है। 
अगर गायब हो जाएँ तो क्या करना चाहेंगी ?
मैं हॉलीवुड जाकर वहाँ ये देखना चाहूंगी की किस तरह से एक्टर्स वहाँ काम करते हैं। 
घरवालों का क्या रिएक्शन होता है ?
वो लोग रियेक्ट नहीं करते। वो लोग फिल्म के बारे में सच सच बोल देते हैं। 
फिल्म के बारे में लोग क्या कह रहे हैं ?
सबलोग ट्रेलर को पसंद कर रहे हैं, मैंने देखा है की देश में लोगों को हॉरर- कॉमेडी काफी पसंद है। 
अपकमिंग प्रोजेक्ट्स ?

अभी नानू की जानू आएगी। उसके बाद एक प्रोजेक्ट पर बात चल रही है। जल्दी ही वो लॉक हो जायेगी। 

तीसरी साहिब बीवी और गैंगस्टर में जुगनी - पढ़ने के लिए क्लिक करें 

Thursday 8 March 2018

स्टार सिस्टम पहले जैसा नहीं रहा - अजय देवगन

निर्देशक राजकुमार गुप्ता ने आमिर में राजीव खंडेलवाल को निर्देशित करने के बाद, दो फिल्मों नो वन किल्ड जेसिका और घनचक्कर में  विद्या बालन और रानी मुख़र्जी जैसे सशक्त  एक्ट्रेस को निर्दशित किया। अब वह रेड में अजय देवगन को इनकम टैक्स अफसर बना कर आ रहे हैं।  अजय  देवगन इस फिल्म से कैसे जुड़े ? क्या स्टार सिस्टम ख़त्म हो रहा है ?  सिंघम और गोलमाल की अगली किस्ते आएंगी ? इन सब पर चर्चा हुई अजय देवगन से - 
फिल्म रेड से कैसे जुड़ना हुआ ?
मुझे फिल्म की कहानी सुनाई गयी थी। यह रीयल घटना पर आधारित कहानी है। जिसकी वजह से मैंने हाँ कह दिया।  
किरदार के बारे में बताएं ?
मेरा किरदार अमय पटनायक का है जो की इनकम टैक्स ऑफिसर है। अस्सी के दशक में किस तरह से एक बहुत बड़ी रेड मारी गयी थी, उसी के इर्द गिर्द यह फिल्म घूमती है। 
कभी आपके घर पर रेड पड़ी ?
हाँ , एक बार मेरे यहां भी रेड पड़ी थी मुझे लगता है, वह ९० के दशक की बात थी। हालांकि मैं शहर में नहीं था। मैं कहीं बाहर फिल्म की शूटिंग कर रहा था। रियल रेड लगभग दो दिन चली थी,  लेकिन आखिरकार ऑफिसर्स को कुछ नहीं मिला। 
डायरेक्टर राजकुमार गुप्ता के साथ काम कैसा रहा ?
वो बहुत ही सीधा इंसान है, लेकिन काम बहुत अच्छा करता है। राजकुमार का डायरेक्शन सेन्स बहुत बढ़िया है। 
रेड फिल्म के गाने काफी सराहे जा रहे हैं ?
हाँ मुझे अच्छे लिखे हुए गाने काफी पसंद आते हैं। अभी तक रिलीज हुए दोनों गाने जबरदस्त हैं और अच्छे भी लग रहे हैं। 
आपका घर पे क्रिटिक कौन है ?
मेरे काम के बारे में काजोल से ज्यादा मेरी बेटी नीसा क्रिटिक है। वह सब कुछ बोल देती है, उसे कैसी भी फिल्म लगती है। 
इंडस्ट्री में स्टार सिस्टम ख़त्म हो रहा है ?
मुझे लगता है कि स्टार सिस्टम अब पहले जैसा नहीं रहा। हम लोग लकी थे कि हमारे फैंस काफी रॉयल थे जो आज भी है। आजकल के जो दर्शक हैं वह काफी सोच समझकर फिल्मों का चयन करते हैं। यही कारण है कि अब वही फिल्में बनानी होंगी, जिन्हें दर्शक सिनेमाघर तक जा कर के देखना पसंद करें। 
सिंघम और गोलमाल की अगली किश्त आएगी ?

दोनों फिल्मों की अगली कहानी भी जल्द सुनने को मिलेगी। बस हमें इंतजार है एक अच्छी स्क्रिप्ट का। स्क्रिप्ट पर काम चल रहा है। 




Thursday 22 February 2018

मेरे हर कदम का विरोध किया गया - मुकेश खन्ना

चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी औफ इंडिया के चेयरमैन मुकेश खन्ना ने तो अपना कार्यकाल खत्म होने के दो माह पहले ही सूचना प्रसारण मंत्रालय व केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति इरानी की कार्यशैली के विरोध में त्यागपत्र दे दिया. कई फिल्मों के अलावा कई सीरियलों में अभिनय कर चुके मुकेश खन्ना की पहचान शक्तिमानके रूप में होती है. मुकेश खन्ना ने बच्चों के लिए शक्तिमाननामक सीरियल का निर्माण और उसमें पहले भारतीय सुपर हीरो शक्तिमान का मुख्य किरदार भी निभाया था. यह सीरियल पूरे सात वर्ष तक प्रसारित हुआ. आज भी शक्तिमानबच्चों का सबसे पसंदीदा सीरियल माना जाता है. लगभग तीन वर्ष पहले जब मुकेश खन्ना को चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीका चेयरमैन बनाया गया था, तब उम्मीद जगी थी कि अब बच्चों के लिए कुछ बेहतरीन फिल्मों का निर्माण चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीकरेगी. मगर परिणाम वही ढाक के तीन पात रहे. अब अपने पद से त्यागपत्र देने के बाद मुकेश खन्ना ने बताया कि उन्हे बच्चों के लिए बेहतर काम करने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रालय और इस मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों से आपेक्षित सहयोग नहीं मिला. मुकेश खन्ना का दावा है कि उनके हर कदम का विरोध किया गया.
मुकेश खन्ना कहते हैं- ‘‘केंद्र में नई सरकार बनने के बाद मेरे पास पुणे फिल्म इंस्टीट्यूटऔर केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्डमें से किसी एक का चेयरमैन बनने का प्रस्ताव आया था. मैने बड़ी विनम्रता से इंकार कर दिया था. उसके बाद मेरे पास चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीका चेयरमैन बनने का प्रस्ताव आया. दो दिन मैने सोचा, तो मुझे लगा कि चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीसे जुड़कर मैं बच्चों के लिए कुछ अच्छी फिल्मों का निर्माण कर सकता हूं.’’
मुकेश खन्ना आगे कहते हैं- ‘‘मगर मेरे अनुभव बहुत ही खराब व दुःखदायी रहे. चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीका चेयरमैन बनने के बाद मैने पाया कि हालात ऐसे हैं कि कोई भी चेयरमैन बच्चों के लिए कुछ कर ही नहीं सकता. मैने देखा कि चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीने अब तक 260 फिल्मों का निर्माण किया है, पर सभी कलात्मक सिनेमाऔर फेस्टिवलवाली फिल्में है, जिन्हें बच्चें तो क्या बूढ़ा भी न देखना चाहे. मैने अपने तरीके से चीजों को सही करने का प्रयास किया. मैने सबसे पहले फिल्मों की पटकथा चयन करने वाली में बदलाव कर कुछ समझदार व अच्छे लोगों को जोडा. काफी मशक्कत के बाद करीबन 12 फिल्मों को स्वीकृति प्रदान की. इनमें से चार एनीमेशन फिल्में हैं. पर मसला बजट का अड़ गया. चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीको प्रति वर्ष फिल्मों का निर्माण करने के लिए दस करोड़ रूपए मिलते हैं. इनमें से एक करोड़ रूपए उत्तरपूर्वी भारतकी फिल्म के लिए होता है. अब आप बताएं कि इस युग में इतने कम पैसे में बेहतर सिनेमा कैसे बनेगा? खैर,हमने कुल चार फिल्मों का निर्माण किया. पर समस्या यह आ गयी कि इनका वितरण कैसे किया जाए. जब तक यह फिल्में सही ढंग से सिनेमा घरों में रिलीज नहीं होंगी, बच्चों को इन फिल्मों की जानकारी नहीं मिलेगी, बच्चे यह फिल्में नहीं देखेंगे, तब तक इनका निर्माण बेकार है. मगर फिल्म के प्रमोशन और उन्हे सिनेमाघर में रिलीज करने के लिए चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीके पास कोई बजट नही है.’’
मुकेश खन्ना आगे कहते हैं- ‘‘हमने इसका रास्ता निकालने के लिए प्रयास किए और बड़ी मशक्कत के बाद यह नियम बनवाया कि चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीकी फिल्म को निजी निर्माता के साथ मिलकर सिनेमाघर में पहुंचाया जाए. पर इसमें भी मंत्रालय के अधिकारी कई तरह के रोड़े डालते रहते हैं.’’
मुकेश खन्ना आगे कहते हैं- ‘‘जब मैने चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटी’’ के चेयरमैन का पद संभाला, तो उस वक्त सूचना प्रसारण मंत्री अरूण जेटली थे. उनसे मेरा परिचय शक्तिमानके निर्माण के दौरान से रहा है. तो उन्होने मेरी बातों को सुना और उस पर अमल करने का आश्वासन दिया. पर कुछ काम होता, उससे पहले उनके हाथ से मंत्रालय चला गया. फिर वेंकैया नायडू आए. उनसे भी पहचान रही है. उन्हे भी मेरे सुझाव पसंद आए. कुछ काम हुआ भी. पर बात आगे बढ़ती, उससे पहले ही वह उपराष्ट्रपति बन गए. अब सूचना प्रसारण मंत्री के रूप में स्मृति ईरानी आ गयी. उनके आने के बाद तो मेरे लिए काम करना बहुत मुश्किल हो गया. अब तो सेक्रेटरी, ज्वाइंट सेक्रेटरी सहित सभी कई तरह के कानून का हवाला देकर मेरे हर कदम का विरोध करने लगे. कह दिया कि फिल्म को सिनेमाघर में प्रदर्शित करने के लिए पहले टेंडर मंगवाइए, वगैरह वगैरह. मैने सूचना प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी से मिलने का वक्त मांगा. मगर स्मृति जी ने मेरे पत्र को पाने की सूचना देना भी उचित नहीं समझा. पूरे चार माह तक इंतजार करने के बाद मैने चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीके चेयरमैन पद से त्यागपत्र देने का निर्णय लेते हुए अपना त्यागपत्र भेज दिया. पूरे सत्रह दिन तक मैं चुप रहा. सत्रह दिन बाद चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीके सीईओ के पास पत्र आया कि चेयरमैन के पद से मेरा त्यागपत्र मंजूर कर लिया गया है. दुःख की बात यह है कि मंत्री महोदया ने मेरा त्यागपत्र स्वीकार करने से पहले यह भी नही पूछा कि मुझे ऐसा करने की जरुरत क्यों पड़ी?
मुकेश खन्ना कहते हैं- ‘‘मैं महसूस कर रहा हूं कि यहां किसी की कोई सुनवायी नही है. जब चिल्ड्रेन फिल्म सोसायटीके चेयरमैन को मिलने के लिए सूचना प्रसारण मंत्रीसमय नहीं दे सकती, तो काम कैसे होगा? सब कुछ ठप्प सा हो गया है.’’


Saturday 17 February 2018

अभी दुल्हन नहीं बनूंगी - कृति खरबंदा

आप गीत के किरदार में हैं ? 
फिल्म में मैं गीत का किरदार निभा रही हूँ। यह नाम मेरे दिल के काफी करीब है, क्योंकि जब मैंने 'जब वी मेट' देखी थी, तो करीना के इस नाम से मुझे प्यार हो गया था। 
इस फिल्म में क्या करीना जैसा ही रोल है  
नहीं, ये बस किरदार का नाम है। मुझे इस नाम से बहुत प्यार है।  मुझे अपने तरीके से गीत का किरदार प्ले करने का मौका मिल रहा है। 
पुलकित के साथ काम करना कैसा रहा ? 
यह वीर और गीत की कहानी है। यह फिल्म कोई मैसेज देने नहीं जा रही है। ये थिएटर तक आकर मनोरंजन लेकर वापिस घर जाने वाली फिल्म है। मुझे ऐसी कहानियां पसंद हैं। कई बार लोगों को हसाना अच्छी बात होती है।  
शादी के बारे में क्या ख़याल है
मुझे लगता है की मैं शादी की ब्रांड एम्बेस्डर बनने वाली हूँ। पिछले एक साल में सात बार दुल्हन बन चुकी हूँ। अब कोई लुक ही नहीं बचा है और आप यकीन नहीं मानोगे, हाल ही में एक बार फिर से मुझे शादी वाली स्क्रिप्ट के लिए अप्रोच किया गया है। मैंने कहा अभी दुल्हन नहीं बनूँगी।  
और कैसी फिल्में करना चाहती हैं  
मैं पहले सोचती थी कि मुझे ऐसा करना है। मेरी लाइफ में कुछ ऐसा हुआ जिसकी वजह से मैंने तय किया है कि  खुद को किसी बॉउंड्री में बाँध कर नहीं रखना चाहिए। मुझे मौका मिले तो मैं नेगेटिव किरदार भी निभाना चाहूंगी। मैं परफॉर्म करना चाहती हूँ। पीरियड फिल्में करना चाहूंगी। श्रीराम राघवन जैसे डायरेक्टर के साथ काम करना चाहूंगी। 
कोई स्क्रिप्ट जो आपने मना की हो ? 
हाँ की हैं, जिंदगी में पहली बार ऐसा हुआ है मैंने 2 फिल्मों को मना किया है। मैंने मम्मी को भी बताया। लेकिन उन्होंने मुझे सांत्वना दी।  
लोगों का कितना प्यार मिल रहा है ? 
पिछले दिनों मैं एक सुपर मार्किट गयी थी और वहाँ एक आंटी आकर मुझे बोली कि उन्हें मेरे जैसी बेटी चाहिए। मैं बेहद खुश हुयी और मैंने ट्वीट भी किया। शादी में जरूर आना फिल्म के बाद और भी ज्यादा सराहना मिल रही है। लोग मेरे किरदार आरती के स्केच भी बनाते हैं। अच्छी फीलिंग है। 
आगामी फिल्म ?
मैं यमला पगला दीवाना फिर से में काम कर रही हूँ। 


मेरे पेरेंट्स सबसे बड़े क्रिटिक्स हैं- पुलकित सम्राट– पढ़ने के लिए क्लिक करें   

मेरे पेरेंट्स सबसे बड़े क्रिटिक्स हैं- पुलकित सम्राट

फिल्म वीरे की वेडिंग का हिस्सा कैसे बने ?
यकीन मानिये इस फिल्म की आखिरी चॉइस मैं था। सबकी कास्टिंग पहले हो चुकी थी। चार दिन के भीतर मेरी कास्टिंग हो गयी। दिल्ली की फीलिंग वाली वेडिंग है, सांग्स अच्छे हैं, सबकुछ देखते हुए फिल्म साईन की। 
कृति खरबंदा के साथ काम करना कैसा रहा ?
मुझे बहुत ही अच्छा लगा। वह बहुत बढ़िया एक्ट्रेस हैं और हमारी केमेस्ट्री भी अच्छी थी। 
क्या आपको लोगों के रिएक्शन मिलते हैं ?
मेरे करीब लोग दर्शकों से भी बड़े क्रिटिक हैं। मेरे पेरेंट्स, मेरे भाई, सब बड़े क्रिटिक हैं। एक बार भी हिचकते नहीं हैं। 
फुकरे की कलेक्शन कभी आपने सोची थी इतनी होगी ?
नहीं, पूरी टीम ने कभी नहीं सोचा था कि इतने बड़े कलेक्शन आएंगे। राकेट की स्पीड से आगे बढ़ी। कुछ दिनों के बाद मैंने नंबर काउंट करना छोड़ दिया। लोग बार बार आकर फिल्म देख रहे थे। 
अगली फुकरे कब आ रही है ?
हमने मृगदीप लाम्बा (डायरेक्टर- फुकरे) को कमरे में बंद कर दिया है और कहा कि अगली कहानी लिखो। 
किसी प्रोजेक्ट से ना जुड़ पाने का दुःख है ?
नहीं, मैंने जो भी किया है, उसने मुझे आगे ही बढ़ाया है। 
सिंगल हैं ?
सिंगल ही हूँ और मुझे मेरे सिंगलहुड को एन्जॉय करने दो। देखें तो सही सिंगल लाइफ कैसी होती है!  
वीरे की वेडिंग के एक्शन के बारे में बताएं  ?
फिल्म का एक्शन अब्बास भाई ने दिया है। उनसे बहुत कुछ सीखने को मिला। उन्होंने बड़े सटीक और रीयल तरह का एक्शन रखा है। ,सड़क वाला एक्शन है। 
सलमान की फिल्मों का हिस्सा बनेंगे
मुझे यकीन है जब उन्हें लगेगा कि मैं उनकी किसी फिल्म का हिस्सा बनने लायक हूँ, तो वो जरूर मुझसे कहेंगे। 




Wednesday 7 February 2018

अब सिनेमा का स्टाइल बदल गया है- नुशरत भरुचा

हनी सिंह के साथ गीत के बारे में बताएं। 
चार दिन तक मैंने कोई भी नमक पानी नहीं पिया और खाना नहीं खाया। मैं सुबह सिर्फ प्रोटीन शेक पीकर आती थी, पूरा दिन कुछ भी नहीं, पैक अप पर सलाद ही खाती थी, उस तरह से मैंने इस गाने के लिए शूट किया . थकावट भरी शूटिंग थी. 
सोनू के टीटू की स्वीटी के बारे में क्या कहेंगे ? 
लव रंजन सर का ये ख्याल है. उन्होंने कहा की पंचनामा नहीं और कुछ करने वाले हैं. और इस बार मैं और कार्तिक अलग रहने वाले हैं. मजा आया. 
किस तरह की कहानी है ? 
अब सिनेमा का स्टाइल बदल गया है. एक डार्क हयूमर तरह का माहौल आ गया है. लव सर और राहुल मिलकर ऐसी कहानी लिखते हैं. 
डायरेक्टर के साथ केमेस्ट्री ? 
मैं खुद को लकी मानती हूँ की डायरेक्टर सर मेरे द्वारा अपनी बात दर्शकों तक पहुंचा पाते हैं. लव सर के साथ बढ़िया केमेस्ट्री है. खुद को खुशकिस्मत मानती हूँ. 
कार्तिक और सनी के साथ काम दुबारा करना आसान होता है या मुश्किल ? 
मजा भी आता है और मुश्किल भी होता है . हम एक बार कुछ और सीन करते हैं, कभी कभी इम्प्रोवाईज करते हैं .
आपको मोनोलॉग करने का मन करता है ? 
मुझे पंचनामा के किसी पुरुष के  किरदार नहीं प्ले करना है. मुझे अगर किसी लड़के का किरदार करना होगा तो मैं रॉकस्टार के रणबीर कपूर का किरदार करना चाहूंगी. 
इंडस्ट्री 10 साल की जर्नी ? 
एक ही बात है की आपके हाथ में कुछ नहीं होता. हमेशा आपको प्रोजेक्ट की तलाश में जाना होता है. यहां पर धीरज रखना बहुत जरूरी है. ये भी नहीं पता होता की कहाँ पर कास्टिंग चल रही है. किस्मत से आपकी कास्टिंग हो पाती है. 
साउथ भी आप गयीं ? 
साउथ में मैने 2 फिल्में की , उस समय मेरे पास हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में काम नहीं था , उस समय साउथ चली गयी. मैं कुछ आइए हिंदी फिल्में भी की हैं जिनका मैं कभी भी जिक्र नहीं किया. साउथ में पैसे भी मिल रहे थे , और कोई कारण नहीं था. 
कुछ ऐसा है जो आप कभी नहीं करेंगी ? 

मैंने एक लाइन बना रखी है , उसे मैं कभी भी क्रॉस नहीं करुँगी. बोल्डनेस की हद में अपने लिए बना रखी है. मैं अभी छोटे कपड़ों में गाना शूट किया है , लेकिन मैं मुझे मेरी लिमिट पता है.




पापा हमेशा से चाहते थे कि मैं हीरो बनूँ - सनी सिंह

शाहरुख़ खान और सोनाली बेंद्रे की फिल्म इंग्लिश बाबू देसी मेम में बाल कलाकार के तौर पर एक्टिंग डेब्यू करने वाले सनी सिंह अब तक पाठशाला, दिल तो बच्चा है जी, सलाम वालेकुम और  प्यार का पंचनामा २ जैसी फ़िल्में कर चुके सनी सिंह अब फिल्म सोनू के टीटू की स्वीटी में सोनू के टीटू की भूमिका में नज़र आएंगे।  उनके पिता फिल्मों  के एक्शन डायरेक्टर हैं।  वह चाहते थे कि उनका सनी भी हीरो बने। सो सनी सिंह बन गए हीरो। पेश है उनसे  बातचीत के अंश - 
कार्तिक से माँ वाला प्यार मिला ! कैसे ?
मैं कार्तिक के साथ पर्सनली भी काफी बातें शेयर करता हूँ।  वो बिल्कुल परिवार के जैसे हो गया है। बहुत लकी हैं की प्रोडक्शन एक दुसरे का ध्यान देते हैं। 
फिल्म कैसे मिली ?
मुझे पहले पता ही नहीं था कि फिल्म का नाम क्या है। वैसे भी फिल्म का नाम प्यार का पंचनामा नहीं था। इस फिल्म का नाम भी काफी अलग है और फिल्म में कई सारे सरप्राईजेज हैं। 
अपने बारे में बताएं
मैं मुंबई से ही हूँ।  मेरे पापा पिछले 35 साल से एक्शन डायरेक्शन में हैं।  हमेशा से अक्षय कुमार और अजय देवगन सर को देखते हुए बड़ा हुआ हूँ। हमेशा से एक्टर ही बनना था। हर तरह की क्लासेस भी मैंने ली हैं। मैं लकी हूँ की लव रंजन सर से मेरी शुरुआत हुयी। 
पापा की किन फिल्मों के शूट पर गए हैं ?
मैं शर्मीला इंसान हूँ तो ज्यादा नहीं गया। मेरे दोस्त मुझे कहते हैं की मैं काफी सीधा हूँ। मैं विजयपथ की फिल्म की शूटिंग पर गया था। वहाँ सेट पर मैंने एक शेर के साथ फोटो भी खींचाई थी। मेरे पापा एक्शन कहते थेयाद रहता था। पहले एक्शन करना बहुत मुश्किल होता था। वहाँ से काफी अनुभव मिला। पापा मुझसे पूछते थे कि कर लोगे ना ! क्योंकि बहुत मुश्किल काम है। 
पापा की सलाह क्या थी ?
पापा हमेशा से चाहते थे की मैं हीरो बनूँ। पापा का वो सपना है। वो एक्शन डायरेक्टर हैं लेकिन उन्होंने मुझे बता दिया था कि अगर आप ध्यान दो तो काम जरूर मिलेगा। 
अजय देवगन से कैसे रिश्ते हैं ?
मैं उन्हें भैया बुलाता हूँ। उनसे सीखने को बहुत कुछ मिलता है। उनकी शादी में भी गया था। फॅमिली का रिश्ता रहा है। वो मेरे लिए प्रेरणा भी है। घर का भी आना जाना है। बहुत ही अच्छे इंसान हैं। 
आपको दिल तो बच्चा हैकैसे मिली ?
कुमार मंगत जी एक प्रोड्यूसर और फॅमिली फ्रेंड भी हैं। मैं ऑडिशन पर जाया करता था। खुद से ही हर जगह भागा दौड़ा करता था। मैंने दिल तो बच्चा है जी के लिए भी ऑडिशन दिया था, सेलेक्ट होने पर बहुत खुश भी हुआ। 
और कोई  फिल्म याद आती है ?
मैंने एक फिल्म की थी प्रणाम वालेकुमजो की रिलीज नहीं हुयी। उसमें पापा के फ्रेंड संजय मिश्रा जी थे। कुछ कारणों से वो पूरी नहीं हो पायी। उसी दौरान मैं कास्टिंग डायरेक्टर विकी सिदाना से मिला। उन्होंने मुझे कुमार जी के ऑफिस जाने के लिए प्रेरित किया और  लव रंजन सर की फिल्म 'आकाश वाणीमिली। 
लव रंजन के बारे में बताएं ?
वो परफेक्ट और करेक्ट हैं। उनकी एक एक बात इतनी परफेक्ट होती है कि मैं क्या बताऊँ। हमेशा व्यस्तता में भी मेरी बातें सुनते हैं। हमारे लिए वो मेहनत करते हैं। 

डरा डरा कर हैरान कर देगी अनुष्का शर्मा की परी – पढ़ने के लिए क्लिक करें   

Saturday 6 January 2018

डर को दूर करने के लिए की 1921- ज़रीन खान

ज़रीन खान को भूतों से डर लगता है।  भूतों वाली फिल्म  देख लेने के बाद कई कई दिन सो नहीं पातीं।  तो फिर भूतों वाली हॉरर फिल्म १९२१ क्यों की ? क्या वह अनप्रोफेशनल हैं ? वह किस बायोपिक फिल्म में काम करना चाहती हैं ? अक्सर २ विवाद के बारे में भी ज़रीन खान की बात- 
फिल्म १९२१ के अनुभव के बारे में बताएं !
फिल्म १९२१ करने का अलग ही मजा था।  विक्रम भट्ट के साथ काम करने में अच्छा अनुभव हुआ। बहुत ज्यादा ठण्ड और बेहतरीन टीम के साथ फिल्म की शूटिंग हुयी। विक्रम सर के साथ काम करने में बहुत मजा आया और कई बातें सीखने को मिली। 
आपको डर लगता है ?
वैसे तो ये हॉरर फिल्म है और मुझे भूतों से बहुत डर लगता है। अक्सर कभी मुझे कहीं जाने में डर लगता है तो हम मुसलमानो को एक मंत्र बताया गया है। मैं उस मंत्र को मन में बोल लेती हूँ।  फिल्म के सेट्स पर भी कई डरावनी घटनाएं घटी। हमने कई सारे हॉंटेड जगहों पर शूटिंग की। 
डर लगता है तो फिल्म क्यों की ?
चैलेंज था ! और मुझे चैलेंज एक्सेप्ट करना बहुत पसंद हैं। विक्रम सर के साथ काम भी करना था।  कई हॉन्टेड जगहों पर हमने काम किया। मैं भूतों वाली फिल्में देखती हूँ तो मुझे कई रातों तक नींद नहीं आती, उसी डर को दूर भी करना था। 
सेट पर आप डरीं ?
मुझे एक बार डर लगा, जब इंसान लोगों को भूत बनाया गया था। उन्हें देखकर भी मुझे डर लग जाता था। ऊपरवाला ना करे की असल जिदंगी में कभी भूत से पाला पड़े। 
कंट्रोवर्सी आपका पीछा नहीं छोड़ती ?
पिछली फिल्म अक्सर २ के दौरान बहुत सारी गलत बातें मेकर्स की तरफ से मेरे बारे में फैलाई गयीं, जबकि मैं एक प्रोफेशनल एक्ट्रेस हूँ। हमेशा समय पर सेट पर रहती हूँ। तबियत चाहे कितनी भी खराब हो, अपना काम पूरा जरूर करती हूँ। मेरे बारे में जो भी कहा गया वह गलत था। वैसे उस बात का जिक्र मैंने सलमान खान से भी नहीं किया। 
बायोपिक करना चाहेंगी?
मेरी पसंदीदा रानी लक्ष्मीबाई हैं, लेकिन उनकी बायोपिक पहले से ही बन रही है।  मैं पूजा भट्ट पर  बायोपिक में उनका रोल निभाना चाहूंगी। 
खाली टाइम में क्या करती हैं ?

मैं खाली टाइम में पियानो सीख रही हूँ। प्रोइफेशनल तरीके से पियानो बजाना जल्द ही सीख जाउंगी। मेरी रेगुलर क्लासेस चल रही हैं। 

यॉर्कशायर में ऎसी कई डरावनी घटनाएं घटी थी- करण कुंद्रा

करण कुंद्रा टीवी से फिल्मों में आये अभिनेता हैं।  विक्रम भट्ट ने वेब सीरीज का वायदा किया था।  क्या वेब सीरीज में काम करने का मौका मिला ? यॉर्कशायर में डर क्यों लगा ? मुबारकां कैसे मिली ? क्या शूटिंग एन्जॉय करते हैं ? पिता  की याद क्यों आती है, बताया करण कुंद्रा ने - 
विक्रम भट्ट की फिल्म का हिस्सा बनना कैसा रहा ?
इसकी नींव बहुत पहले विक्रम सर ने रख दी थी। मैंने सर के साथ हॉरर स्टोरी फिल्म की थी। उस समय सर ने कहा कि ये लांच नहीं है लेकिन अच्छी फिल्म है। फिल्म के बाद मैंने टीवी के शो गुमराह, रोडीज में काम किया। विक्रम सर को मेरे काम के बारे में पता था। 
और १९२१ कैसे मिली ?
फिर उनका एक दिन कॉल आया और वो मुझे एक वेब सीरीज के लिए कास्ट करना चाहते थे। फिर  मैं एक दिन विक्रम सर से मिलने गया। उन्होंने मुझे स्क्रिप्ट सुनाई, तो मुझे लगा की वो वेब सीरीज होगी। लेकिन वह तो पूरी बड़ी फिल्म थी। उन्होंने जरीन खान से पहले ही बात कर ली थी। उस समय मुझे पता चला कि इतने बड़े लोगों के साथ फिल्म करने को मिल रही है। 
शूटिंग के बारे में बताइये ?
हमने यॉर्कशायर में ही पूरी फिल्म शूट की है, जहां कई ऐसी घटनाएं घटी, जिसकी वजह से डर भी लगता था। फोटो में अलग अलग चेहरे भी आ जाते थे। 
मुबारकां कैसे मिली ?
मैं रोडीज और टीवी के शो कर रहा था, उस समय अनीस भाई (अनीस बज्मी) का कॉल आया। बड़ा ही तगड़ा रोल था, वो पंजाबी लड़के की कहानी थी। उस समय मैंने अनीस भाई को हाँ कहा और मुबारकां में अर्जुन बन गया। उसके पूरा होने के २०-२५ दिन बाद १९२१ शुरू हो गयी। 
डर लगता है किसी चीज से ?
दुखी होने से डर लगता है। मैंने जिंदगी में बहुत सारे उतार चढ़ाव देखें हैं। मेरे पिताजी ने दो सौ   रुपये से शुरुआत की थी। घर में मैं सबसे छोटा था। हमारी फैक्ट्री भी बंद हो गयी थी। तो मैंने वह दौर भी देखा है। इसलिए ख़ुशी बहुत जरूरी है। रीयल इंसान आपके इर्द गिर्द होना बहुत जरूरी है।  
शूट एन्जॉय करते हैं ?
फिल्में या टीवी के शो करता हूँ, पैक के बाद तुरंत घर और फॅमिली के पास चला जाता हूँ। 
डैड की कोई बात याद आती है ?
जी वो हमेशा कहते थे की तू कुछ भी करेगा, पर भूखा नहीं मरेगा। काम और फॅमिली के साथ आगे बढ़ता जा रहा हूँ। 
जरीन के साथ काम करना कैसा रहा ?

बहुत ही अच्छा अनुभव था। उनसे भी मुझे काफी बातें सीखने को मिली।