शाहरुख़ खान और सोनाली बेंद्रे की फिल्म इंग्लिश बाबू देसी मेम में बाल कलाकार के तौर पर एक्टिंग डेब्यू करने वाले सनी सिंह अब तक पाठशाला, दिल तो बच्चा है जी, सलाम वालेकुम और प्यार का पंचनामा २ जैसी फ़िल्में कर चुके सनी सिंह अब फिल्म सोनू के टीटू की स्वीटी में सोनू के टीटू की भूमिका में नज़र आएंगे। उनके पिता फिल्मों के एक्शन डायरेक्टर हैं। वह चाहते थे कि उनका सनी भी हीरो बने। सो सनी सिंह बन गए हीरो। पेश है उनसे बातचीत के अंश -
कार्तिक से माँ वाला प्यार मिला ! कैसे ?
मैं कार्तिक के साथ पर्सनली भी काफी बातें शेयर करता हूँ। वो बिल्कुल परिवार के जैसे हो गया है। बहुत लकी हैं की प्रोडक्शन एक दुसरे का ध्यान देते हैं।
फिल्म कैसे मिली ?
मुझे पहले पता ही नहीं था कि फिल्म का नाम क्या है। वैसे भी फिल्म का नाम प्यार का पंचनामा नहीं था। इस फिल्म का नाम भी काफी अलग है और फिल्म में कई सारे सरप्राईजेज हैं।
अपने बारे में बताएं
मैं मुंबई से ही हूँ। मेरे पापा पिछले 35 साल से एक्शन डायरेक्शन में हैं। हमेशा से अक्षय कुमार और अजय देवगन सर को देखते हुए बड़ा हुआ हूँ। हमेशा से एक्टर ही बनना था। हर तरह की क्लासेस भी मैंने ली हैं। मैं लकी हूँ की लव रंजन सर से मेरी शुरुआत हुयी।
पापा की किन फिल्मों के शूट पर गए हैं ?
मैं शर्मीला इंसान हूँ तो ज्यादा नहीं गया। मेरे दोस्त मुझे कहते हैं की मैं काफी सीधा हूँ। मैं विजयपथ की फिल्म की शूटिंग पर गया था। वहाँ सेट पर मैंने एक शेर के साथ फोटो भी खींचाई थी। मेरे पापा एक्शन कहते थे, याद रहता था। पहले एक्शन करना बहुत मुश्किल होता था। वहाँ से काफी अनुभव मिला। पापा मुझसे पूछते थे कि कर लोगे ना ! क्योंकि बहुत मुश्किल काम है।
पापा की सलाह क्या थी ?
पापा हमेशा से चाहते थे की मैं हीरो बनूँ। पापा का वो सपना है। वो एक्शन डायरेक्टर हैं लेकिन उन्होंने मुझे बता दिया था कि अगर आप ध्यान दो तो काम जरूर मिलेगा।
अजय देवगन से कैसे रिश्ते हैं ?
मैं उन्हें भैया बुलाता हूँ। उनसे सीखने को बहुत कुछ मिलता है। उनकी शादी में भी गया था। फॅमिली का रिश्ता रहा है। वो मेरे लिए प्रेरणा भी है। घर का भी आना जाना है। बहुत ही अच्छे इंसान हैं।
आपको दिल तो बच्चा है, कैसे मिली ?
कुमार मंगत जी एक प्रोड्यूसर और फॅमिली फ्रेंड भी हैं। मैं ऑडिशन पर जाया करता था। खुद से ही हर जगह भागा दौड़ा करता था। मैंने दिल तो बच्चा है जी के लिए भी ऑडिशन दिया था, सेलेक्ट होने पर बहुत खुश भी हुआ।
और कोई फिल्म याद आती है ?
मैंने एक फिल्म की थी प्रणाम वालेकुम, जो की रिलीज नहीं हुयी। उसमें पापा के फ्रेंड संजय मिश्रा जी थे। कुछ कारणों से वो पूरी नहीं हो पायी। उसी दौरान मैं कास्टिंग डायरेक्टर विकी सिदाना से मिला। उन्होंने मुझे कुमार जी के ऑफिस जाने के लिए प्रेरित किया और लव रंजन सर की फिल्म 'आकाश वाणी' मिली।
लव रंजन के बारे में बताएं ?
वो परफेक्ट और करेक्ट हैं। उनकी एक एक बात इतनी परफेक्ट होती है कि मैं क्या बताऊँ। हमेशा व्यस्तता में भी मेरी बातें सुनते हैं। हमारे लिए वो मेहनत करते हैं।
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