संजय लीला
भंसाली की इसी साल रिलीज़ फिल्म पद्मावत में एक होली गीत है। लेकिन, यह आम फ़िल्मी होली गीतों की तरह तेज़
रफ़्तार और अबीर गुलाल बिखेरने वाला नहीं। गीत भी काफी धीमा मगर सम्मोहक है। यह गीत
मांगनियार और लंगा लोक धुन पर है। इसमे रानी पद्मावती रावल रतन सिंह का तिलक
कर होली मनाती है। भंसाली की फिल्म का यह गीत उनकी पहले की फिल्म गोलियों की रास
लीला राम-लीला के लहू मुंह लग गया से बिलकुल अलग है, जो उछाह और छेड़छाड़ वाला गीत था। इस गीत में दीपिका पादुकोण और रणवीर सिंह
के किरदार लप्पा-झप्पी करते एक दूसरे को छूते छेड़ते रंग लगाते और गुलाल उड़ाते हैं। दोनों ही फिल्मों के गीत विज़ुअल्स और इमोशन के लिहाज़ से उत्कृष्ट हैं। यह गीत
प्रमाणित करते हैं कि संजय लीला भंसाली अपनी फिल्मों में होली को अपने ढंग से, भावनाओं को व्यक्त करने के लिए इस्तेमाल
करते हैं।
पुराने जमाने
की फिल्मों से अलग,
जब हर उत्साह
और ख़ुशी का मतलब होली हुआ करता था, बॉलीवुड की फिल्मों में होली का अब यह मतलब या उपयोग नहीं रह गया है। अब होली गीत फिल्म निर्माता या निर्देशक की सोच पर निर्भर करते हैं। अब हिंदी
फिल्मों के फॉर्मूले में होली के रंग शामिल नहीं हैं। इसके बावजूद कुछ फिल्म
निर्माता अपनी फिल्मों में होली गीत किसी न किसी तरीके से शामिल कर लेते हैं। जैसे
संजय लीला भंसाली की फिल्मों में होली का कोई रंग ज़रूर देखने को मिलता है। ऐसे ही नए पुराने जमाने के निर्माता-निर्देशक अपनी पसंद के अनुरूप होली गीत रख लेते हैं।
चोपड़ा बंधुओं
की फिल्मों के गीत
चोपड़ा बंधुओं की फिल्मों में होली गीतों को हमेशा स्थान मिलता रहा है। यश चोपड़ा या
बीआर चोपड़ा की फिल्मों के गीत सिर्फ उत्साह, उछाह या छेड़छाड़ तक ही सीमित नहीं रहा करते थे। बीआर चोपड़ा की फिल्म
मशाल का गीत होली आयी रे महत्वपूर्ण मोड़ पर आया गीत है। इसी गीत के दौरान दिलीप कुमार और
अनिल कपूर एक साथ होली खेलते हैं। यह गीत अनिल कपूर की उन भावनाओं को व्यक्त करता
है, जिसमे दिलीप कुमार के दिल में उसके लिए
बुरी भावनाओं के ख़त्म हो जाने के कारण उत्साह है। दिलीप कुमार भी बस्ती के लोगों के साथ होली खेलने निकल पड़ते है। सिलसिला में रंग बरसे गीत के ज़रिये अमिताभ बच्चन का चरित्र भंग के नशे
में अपने पुराने प्यार रेखा के प्रति भावनाए व्यक्त करता है, जबकि दोनों विवाहित है। यह गीत दो विवाहित
जोड़ों के बीच गलतफहमी की दीवार कड़ी कर देता है। आदित्य चोपड़ा की फिल्म मोहब्बतें
का होली गीत सोनी सोनी चार मोहब्बत भरे दिलों की धड़कने सुनाने वाला है। जहाँ
गुरुकुल के प्राचार्य की बेटी का गुरुकुल के एक गिटार टीचर से प्रेम है तो वही
गुरुकुल के तीन छात्र भी मोहब्बत के रंग में खोये हुए हैं। जिमी शेरगिल का किरदार
तो एक विधवा के सूने जीवन में रंग भरने के लिए इस होली गीत का इस्तेमाल करता है। फिल्म डर में जूही चावला और सनी देओल प्यार करने वाले जोड़े हैं। शाहरुख़ खान का
चरित्र उनके बीच ज़बरदस्त घुसने का प्रयास करता है। फिल्म का अंग से अंग लगाना सनी
और जूही के चरित्रों के बीच गहरे प्यार का चित्रण करने वाला है। इस गीत के ज़रिये
यह समझा जा सकता है कि जब कोई तीसरा बीच में घुसाने की कोशिश करता है तो उसका क्या
हश्र होता है। बीआर चोपड़ा के बेटे रवि चोपड़ा की फिल्म बागबान का गीत होली खेले रघुबीरा भी चार दशक के
पति पत्नी अमिताभ बच्चन और हेमा मालिनी की भावनाओं के अनुरूप है। इस गीत को अमिताभ
बच्चन की आवाज़ में रख कर स्वाभाविकता बनाने की कोशिश की गई है।
अक्षय कुमार
और विपुल शाह की जोड़ी की होली
अक्षय कुमार
आज की पीढ़ी के एक्शन कुमार हैं। उनके खतरनाक एक्शन युवा दर्शकों के पसंदीदा हैं। लेकिन, अक्षय कुमार अपनी फिल्मों में अपने चरित्रों
को देसी गंध में डुबोये रहते हैं। विपुल अमृतलाल शाह की फिल्म वक़्त द रेस अगेंस्ट
टाइम का प्रियंका चोपड़ा के साथ अक्षय कुमार पर फिल्माया गया गीत डू मी फेवर लेट्स
प्ले होली गीत पानी के रंगों से भिगोने वाला नहीं, लेकिन रोमांस के गुलाल से पटा ज़रूर है। यह उस समय के गीतों में है, जब अक्षय कुमार ट्विंकल खन्ना से विवाहित
नहीं थे। फिल्म के इस गीत में उनकी और प्रियंका चोपड़ा की केमिस्ट्री गज़ब लगती है। कुछ ऐसी ही होली शाह
और कुमार की फिल्म एक्शन रिप्ले के छन के मोहल्ला गीत में भी है। हालाँकि, यह गीत बैक टू द पास्ट यानि बीते समय का गीत
है। लेकिन इस होली गीत में भी परंपरागत रंग भरी पिचकारियों का इस्तेमाल नहीं किया
गया है। फिल्म के गीत में ऐश्वर्या राय बच्चन, अक्षय कुमार और आदित्य रॉय कपूर और उनके साथी अबीर और गुलाल, ख़ास तौर पार लाल गुलाल का इस्तेमाल करते
हुए होली मनाते हैं। विपुल अमृतलाल शाह अपनी होली गीतों को ज़रिये सूखी होली के
सन्देश को देने वाले लगते हैं।
अक्षय कुमार
की अकेली होली
रंगों वाली
अक्षय कुमार की होली देखनी और खेलनी हो तो जॉली एलएलबी २ और टॉयलेट एक प्रेम कथा
देखनी होगी। इन दोनों फिल्मों की पृष्ठभूमि में उत्तर प्रदेश के नगर हैं। जॉली
एलएलबी २ का कथानक लखनऊ शहर का है। फिल्म की होली बिलकुल लखनऊ के रंग में रंगी
रंगों, गुलाल, भंग और उड़दंग वाली है। इस फिल्म के गो पागल गीत में अक्षय कुमार और हम
कुरेशी के किरदार दूसरे अन्य किरदारों के साथ पानी के रंगों से भीगी उत्साहपूर्ण
होली खेलते नज़र आते हैं। वैसे यह गीत फिल्म के अदालती तनाव को ख़त्म करने के लिहाज़
से रखा गया लगता है। लेकिन,
दूसरी तरफ
अक्षय कुमार की गाँव में संडास की समस्या पर श्रीनाथ सिंह की फिल्म टॉयलेट एक
प्रेम कथा की होली मथुरा की होने के कारण बरसाने की लट्ठ मार होली है। यह गीत
अक्षय कुमार की भूमि पेडनेकर के किरदार के प्रति प्रेम की अभिव्यक्ति करने का
ज़रिया बनता है। भूमि पेडनेकर उन्हें लट्ठ से मारती है और अक्षय कुमार गोरी तू
लट्ठ मार गा कर उसे अपने सच्चे प्रेम का परिचय देने की कोशिश करते है। यह दोनों ही
गीत देसी स्वभाव के ठेठ होली गीत हैं।
वरुण धवन की
पिंजड़े वाली मुनिया होली
बॉलीवुड के
होली गीतों में से एक नवीनतम गीत वरुण धवन और अलिया भट्ट की फिल्म बद्रीनाथ की
दुल्हनिया का बद्री की दुल्हनिया गीत भी है। इस गीत में भी होली है। इस होली गीत
को गवई रंग देने के लिए फ़िल्मी गीतों के रीमिक्स बनाने के लिए मशहूर तनिष्क बागची
ने इस गीत में तीसरी कसम के बिहारी फोक वाले गीत चलत मुसाफिर मोह लियों रे को
इस्तेमाल किया है। यह इस्तेमाल बढ़िया बन पडा है। होली की मस्ती से भरा यह गीत
स्टेज पर अबीर गुलाल उड़ाते एक्स्ट्राओं के बीच वरुण धवन और उनकी दुल्हनिया अलिया
भट्ट पर फिल्माया गया है। इन दोनों की बढ़िया केमिस्ट्री है। इसलिए इस गीत में होली
का उत्साह नज़र आता है। यह गीत काफी पॉपुलर भी हुआ है। इस गीत के साथ, अयान मुख़र्जी की फिल्म यह जवानी है दीवानी
के बलम पिचकारी गीत का ज़िक्र करना इसलिए ज़रूरी है कि यह नए जमाने के युवाओं पर
फिल्माया गया,
मस्ती
भरा गीत है। इस गीत में दीपिका पादुकोण का
किरदार अपने दब्बू खोल से निकल कर उन्मुक्त हो जाती है। उस पर फ़िदा रणबीर कपूर भी उसे भिगोने में कोई
कसर नहीं छोड़ते। इसी गीत के ख़त्म होते होते दीपिका पादुकोण रणबीर के प्रति अपना प्रेम व्यक्त करना चाहती है कि तभी
आदित्य रॉय कपूर राज खोलते हैं कि रणबीर कपूर
विदेश जाना चाहता है। दीपका की बात उसके मन में रह जाती है।
तीन ख़ास होली
गीत
हिंदी
फिल्मों के सैकड़ों होली गीतों में तीन गीतों का ज़िक्र कुछ ख़ास है। पहला गीत फिल्म
नवरंग (१९५९) का अरे जा रे हट नटखट खूबसूरत और यादगार होली गीत है। यह गीत अपने
संगीत और बोलों के साथ साथ विज़ुअल ट्रीट के लिहाज़ से भी शानदार है। इस गीत को
संध्या पर फिल्माया गया है। संध्या एक पारंगत नृत्यांगना थी। वह इस गीत के हर
टुकडे पर अपने कदमों का धीमी और तेज़ गति से बखूबी इस्तेमाल करती हैं। गाढे रंगों से भीगा यह गीत एक
हाथी के नृत्य के कारण चकित करने वाला बन पड़ा है। राजेश खन्ना और आशा पारेख की फिल्म कटी
पतंग का गीत राजेश खन्ना के किरदार को विधवा आशा पारेख को प्रेम व्यक्त करने के
साथ साथ उसे समाज के बंधनों को तोड़ने का सन्देश भी देता है, जब राजेश खन्ना आशा पारेख के बालों पर लाल
गुलाल लगा देते हैं। तीसरा गीत शोले फिल्म में ज़बरदस्त क्लाइमेक्स की तरफ बढ़ने वाला गीत
है। गाँव वाले गब्बर सिंह के डाकुओं को भगा देने की ख़ुशी होली खेल कर व्यक्त करते
हैं। जहाँ वीरू (धर्मेन्द्र) अपनी बसंती (हेमा मालिनी) को रंगों से सरोबार कर अपने
उन्मुक्त प्रेम का प्रदर्शन करता है, वही जय (अमिताभ बच्चन) गुलाल मुट्ठी में बांधे होली खेल रहा है। यकायक
उसकी नज़र विधवा राधा (जया बच्चन) पर जाती है। वह खुद को नियंत्रित कर गंभीर हो
जाता है। क्योंकि जानता है कि विधवा होली के रंग नहीं खेल सकती। इस गीत के ख़त्म
होते होते गब्बर सिंह अपने साथियों के साथ रामगढ पर हमला कर देता है। इसके साथ ही
संजीव कुमार के किरदार की कहानी का खुलासा होने का समय आ जाता है।
शुरू हुआ गुलशन कुमार के नाम पर फिल्म इंस्टिट्यूट - पढ़ने के लिए क्लिक
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