Saturday, 17 February 2018

पाकिस्तान में बैन बॉलीवुड

पाकिस्तान मे पेडमैन बैन हो गई । अक्षय कुमार, सोनम कपूर और राधिका आप्टे की यह फिल्म महिलाओं के मासिक चक्र के दौरान स्वच्छता जैसी सामाजिक समस्या पर है । इस फिल्म को भारत में रिलीज़ से पहले ही काफी चर्चा मिली । लेकिन, पाकिस्तान में केवल इसी कारण से फिल्म को बैन कर दिया गया । पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड के एक सदस्य इसाक अहमद ने बयान दिया, हम अपने फिल्म वितरकों को वैसी फ़िल्में आयात करने की इजाज़त नहीं दे सकते, जो हमारी परंपरा एवं संस्कृति के खिलाफ हैं । सेंसर बोर्ड के तमाम सदस्यों की दलील थी कि हमें वर्जित विषयों पर फिल्मों की स्क्रीनिंग की इजाज़त नहीं देनी चाहिए । यह हमारी संस्कृति, समाज यहाँ तक हमारे धर्म में भी नहीं है । हालाँकि, सेंसर के इस रवैये का पाकिस्तान के लोगों में, ख़ास तौर पर महिलाओं में, भारी विरोध हुआ । एक महिला ने ट्विटर पर व्यंग्य किया, “बहुत अच्छा, क्योंकि यहाँ की महिलाओं को पीरियड्स नहीं होते हैं न ! कितने बेवकूफ लोग सेंसर में बैठे हैं ।“
भाषा, धर्म और संस्कृति की दुहाई
पाकिस्तानी चाहे कितना विरोध करें, पैडमैन अब पाकिस्तान के सिनेमाघरों में रिलीज़ होने नहीं जा रही । पाकिस्तान सेंसर बोर्ड के कुछ सख्त नियम कानून हैं । इसके सदस्यों को उन्ही के अनुसार फ़िल्में सेंसर करनी होती है । इसी लिए पाकिस्तान के सेंसर बोर्ड को पाकिस्तान को डर्टी पिक्चर की भाषा गन्दी लगती है । फिल्म में विद्या बालन ने अपने उभारों का भी प्रदर्शन किया था ।  बकौल पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड पाकिस्तानी दर्शकों के लिहाज़ से यह बोल्ड फिल्म है।   बाद में डर्टी पिक्चर काफी कट के बाद '' सर्टिफिकेट के साथ रिलीज़ की गई । पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड धार्मिक चिन्हों के प्रति काफी सचेत है। अक्षय कुमार  की फिल्म 'खिलाडी ७८६' को पवित्र अंक जुडा होने के  बैन किया गया । बाद में यह फिल्म बिना ७८६ के रिलीज़ हुई । आनंद एल राज की सोनम कपूर और धनुष अभिनीत फिल्म 'रांझणा' को पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने इस बिना पर प्रदर्शन के अयोग्य माना की फिल्म में मुस्लिम ज़ोया हिंदी कुंदन के प्यार में मुब्तिला होती है। लेकिन, यह सेंसर मुसलमान लडके से प्रेम करने वाली हिन्दू लड़की वाली फिल्म 'पीके' को बेझिझक रिलीज़ होने देता है।
पाकिस्तान के दर्शक
पाकिस्तान आतंकवाद को लेकर उतना चिंतित नहीं, जितना बॉलीवुड द्वारा बनाई जा रही अपनी इमेज को लेकर है।  फैंटम को  निराशाजनक कूड़ा बताने वाला पाकिस्तान बजरंगी भाईजान, पीके और हैदर को हाथों हाथ लेता हैं, क्योंकि बजरंगी भाईजान पाकिस्तानियों की प्रति नरम है, यहाँ तक कि आर्मी को भी दोस्ताना दिखाया गया है।  पीके हिन्दू धर्म गुरुओं को गरियाते हुए पाकिस्तानियों को 'बेईमान नहीं होते' साबित करती है और हैदर कश्मीर में उग्रवाद के लिए भारतीय सेना को जिम्मेदार बताती है।  लेकिन, वह बजरंगी भाईजान वाले निर्देशक कबीर खान की फिल्म फैंटम को अस्वीकार करने की तयारी कर रहा  है क्योंकि यह फिल्म उनके यहाँ पल रहे आतंकवादी हाफिज सईद को इंगित करती है। पाकिस्तान को रास नहीं आता कि भारतीय फ़िल्में उसे आतंकवादियों की पनाहगाह बताये। यही कारण है कि अक्षय कुमार की आतंकवाद पर फिल्म 'बेबी' बैन कर दी जाती है, क्योंकि यह फिल्म भी पाकिस्तानी एक्टर रशीद नाज़ के चेहरे में मौलाना हफ़ीज़ सईद का चेहरा छिपा दिखाती थी । 'बेबी' साफ़ साफ़ पाकिस्तान को हफ़ीज़ सईद की पनाहगाह बताती थी। पाकिस्तान को भारत की उन फिल्मों से डर लगता है, जिनमे बम विस्फोट, दाढ़ी वाले आतंकवादी और आतंकवाद का कोण हो।  अगर कही फिल्म में ढका-छुपा कर भी पाकिस्तान का हाथ बताया गया है तो समझिए कि फिल्म पाकिस्तान में बैन हो गई।  रितेश देशमुख की करण अंशुमान निर्देशित कॉमेडी फिल्म 'बंगीस्तन' पाकिस्तान में इसी कारण से रोक दी गई । 
पाकिस्तान की सेना और शासक
पाकिस्तान को केवल इस लिए रंज नहीं कि  हिंदी फिल्मों में दाढ़ी वाले आतंकी, बम विस्फोट और आतंकवाद के तार पाकिस्तान से जुड़े दिखाए जाते हैं।  उसे आईएसआई से भी गुरेज़ है।  पाकिस्तान आईएसआई के कारनामों से रंज  नहीं करता, उसे रंज होता है हिंदी फिल्मों का आईएसआई को ग्लोबल टेररिज्म के लिए ज़िम्मेदार दिखाना।  इसीलिए ऎसी सभी हिंदी फ़िल्में पाकिस्तान में बैन हो जाती हैं, जिनमे आईएसआई के तार आतंकवाद से जुड़े हों।  अब चाहे वह फिल्म सलमान खान और कबीर खान की एक था टाइगर रही हो या सैफ अली खान की एजेंट विनोद। बेबी तो खैर अक्षय कुमार की फिल्म थी।  कुर्बान में मुसलमानों को आतंकवादी दिखाया गया था, जबकि एक था टाइगर की कैटरीना कैफ आईएसआई एजेंट बताई गई थी। तेरे बिन लादेन में तो पाकिस्तानी अधिकारीयों को बुरी छवि में दिखाया गया था। यशराज बैनर ने पाकिस्तान में फिल्म रिलीज़ होने की मंशा से टाइगर जिंदा है में आईएसआई को आतंकवाद से लड़ने वाला बताने की कोशिश की थी । इसके बावजूद पाकिस्तानी हुक्मरानों को एक आइएसआई एजेंट को रॉ एजेंट से हाथ मिलाना रास नहीं आया । फिल्म पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं हो सकी ।
पाकिस्तानियों के पूर्वाग्रह
हिंदी फिल्मों पर बैन लगाने के मामले में पाकिस्तान काफी पूर्वाग्रही लग सकता है।  पाकिस्तान में बजरंगी भाईजान बेशक रिलीज़ हुई थी । इसके बावजूद कि फिल्म का जहाँ पाकिस्तानी दर्शक बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे, वहीँ फिल्म इंडस्ट्री के लोग अपनी फिल्मों को स्क्रीन न मिलने या कम हो जाने के भय से विरोध कर रहे थे। परन्तु, सलमान खान को ईद पर देखने के पाकिस्तानियों के उत्साह को देख कर पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने फिल्म को कुछ कट के साथ रिलीज़ कर दिया। काटे गए तमाम दृश्य और डायलाग में सलमान खान का बोला गया यह डायलाग भी था कि कश्मीर का एक हिस्सा हमारे (भारत के) पास भी है । कश्मीर का ज़िक्र होने के कारण जॉली एलएलबी २ भी पाकिस्तान में रिलीज़ नहीं हो पाई थी । फरहान अख्तर की फिल्म भाग मिल्खा भाग पाकिस्तान में फरहान अख्तर के मिल्खा किरदार के द्वारा बोले गए इस संवाद के कारण बैन हो गई कि मैं पाकिस्तान नहीं जाऊंगा । यह मुझसे नहीं होगा । क्योंकि पाकिस्तान को लगता था कि मिल्खा सिंह विभाजन के दौरान हिन्दुओं के कत्लेआम के लिए मुसलामानों को दोषी मानता है ।
हिन्दुस्तानी फिल्मों के खिलाफ निर्माता और वितरक
पाकिस्तान में शाहरुख खान की फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' को ईद के दौरान रिलीज़ होने से रोकने के लिए सर्टिफिकेट नहीं दिया गया था।  कारण यह था कि  ८ अगस्त ईद के दिन पाकिस्तान की चार फ़िल्में जोश, इश्क़ खुदा, वॉर और मेरा नाम अफरीदी रिलीज़ होनी थी।  इसलिए पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री के हितों की रक्षा के लिए चेन्नई एक्सप्रेस को सर्टिफाई नहीं किया गया।  बाद में यह फिल्म पाकिस्तान में रिलीज़ हुई। पाकिस्तान के प्रदर्शक हिंदी फिल्मों को पाकिस्तान में रिलीज़ किये जाने के पक्षधर हैं । क्योंकि, हिंदी फिल्मों के कारण सिनेमाघर मालिकों की अच्छी कमाई हो जाती है । जबकि, पाकी फिल्म निर्माताओं को हिंदी फिल्मों से खतरा महसूस होता है । इसीलिए, पाकिस्तान में हिंदी फिल्मों के साथ लव/हेट का रिश्ता ऐसे ही चलता रहेगा ।  
जैसे जैसे बॉलीवुड प्रोग्रेसिव होता जाएगा, इसके लिए पाकिस्तान के स्क्रीन कम होते चले जायेंगे । पाकिस्तान को बॉलीवुड का प्रोग्रेसिव अंदाज़ रास नहीं आने वाला । जाने माने पाकिस्तानी फिल्म निर्माता सैयद नूर का मानना है कि विदेशों (हिंदुस्तान) से आयात की जाने वाली फिल्मों के बारे में स्थानीय फिल्म वितरकों और एग्जीबीटर्स से बात करने की जरूरत है । वह कहते हैं, “सिर्फ पैडमैन ही नहीं, बल्कि मुझे लगता है कि पद्मावत भी पाकिस्तान में रिलीज नहीं की जानी चाहिए, क्योंकि यह मुसलमानों को बहुत नकारात्मक रूप से चित्रित करती है ।“ यानि बॉलीवुड का अभी काफी विरोध होना है ।


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