मार्वल की, अगले साल
नवम्बर में रिलीज़ होने जा रही सुपर हीरो फंतासी फिल्म ‘डॉक्टर स्ट्रेंज’ में डॉक्टर
स्ट्रेंज की नायिका रेचल मैकअडम्स होंगी। वैसे अभी यह नहीं कहा जा सकता है कि
रेचल डॉक्टर स्ट्रेंज की प्रेमिका क्लेया का किरदार करेंगी या नाईट नर्स लिंडा
कार्टर का। हालाँकि, एक वेब साईट का दावा है कि रेचल का किरदार इससे अलग नाईट
नर्स क्रिस्टीन पामर का होगा। क्रिस्टीन पामर डॉक्टर स्ट्रेंज की सर्जिकल नर्स है। न्यूरोसर्जन डॉक्टर स्टेफेन स्ट्रेंज का किरदार अभिनेता बेनेडिक्ट कम्बरबैच कर
रहे हैं। फिलहाल अब तक जो स्टारकास्ट तय हुई है, उसके अनुसार द अन्सिएन्ट वन का
किरदार टिल्डा स्विंटन और विलेन बैरन मोर्डो का किरदार चिवेटेल एजिओफोर करेंगे। फिल्म के बारे में केविन फ़ीज ने बताया है कि यह फिल्म वास्तव में डॉक्टर स्ट्रेंज
के ओरिजिन की होगी तथा इसे अलग तरीके से कहा जाएगा। फिल्म की कहानी के अनुसार
प्रतिभाशाली मगर अपने करियर के प्रति लापरवाह डॉक्टर का करियर ख़त्म हो चुका होता
है। उसे नया जीवन मिलता है एक जादूगर के ज़रिये, जो उसे अपने संरक्षण में लेकर
प्रशिक्षित करता है ताकि वह शैतान से दुनिया को बचा सके। इस फिल्म का निर्देशन
स्कॉट डेरिक्सन कर रहे हैं। फिल्म की पटकथा जॉन स्पैह्ट्स ने लिखी है। डॉक्टर स्ट्रेंज की शूटिंग अगले साल से शुरू हो
जाएगी। लेकिन, फिलहाल निगाहें रेचल को मिलने वाले रोल पर है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Sunday, 22 November 2015
डॉक्टर स्ट्रेंज में मैक अडम्स
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Friday, 20 November 2015
इसीलिए कठिन था जूलिया रॉबर्ट्स के लिए वह दृश्य
हॉलीवुड फिल्मों में जूलिया रॉबर्ट्स के नाम से मशहूर जूलिया फियोना रॉबर्ट्स को सेंसिटिव अभिनेत्री के बतौर याद किया जाता है। उन्हें फिल्म 'एरिन ब्रोकोविच' के लिए २००० का बेस्ट एक्ट्रेस का ऑस्कर अवार्ड्स मिला था। वह किसी किरदार में खो जाने वाली अभिनेत्री मानी जाती हैं। इसीलिए उन्हें 'स्टील मैग्नोलियस' और 'प्रिटी वुमन' फिल्म के लिए ऑस्कर नॉमिनेशन मिला था। उन्हें इन फिल्मों के लिए गोल्डन ग्लोब अवार्ड्स भी मिला था। उनके लिए कैसा भी कठिन दृश्य बेहद आसान होता है। तब ऐसी अभिनयशील अभिनेत्री के लिए फिल्म 'सीक्रेट इन देयर आईज' का एक दृश्य कठिन कैसे साबित हुआ ! फिल्म 'सीक्रेट इन देयर आईज' में जूलिया रॉबर्ट्स ऍफ़बीआई की सीक्रेट एजेंट जेस का किरदार कर रही हैं। इस फिल्म में जेस की किशोर पुत्री की हत्या कर दी जाती है। लड़की का मृत शरीर एक कूड़ेदान में पाया जाता है। इस फिल्म के सिनेमैटोग्राफर जूलिया के पति डैनी मॉडेर हैं। कूड़ेदान में लड़की के मृत शरीर की शूटिंग डैनी ही कर रहे थे। कहती हैं जूलिया रॉबर्ट्स, "यह आम दृश्यों की तरह नहीं था। कभी आप ऐसे दृश्य करने में खुद को तैयार नहीं पाते। मेरे और ख़ास तौर पर डैनी के लिए (जो कूड़ेदान के अंदर से यह सीन शूट कर रहे थे) काफी मुश्किल हो रहा था, क्योंकि मैं पागलों की तरह रो रही थी।" यहाँ बताते चलें कि जूलिया रॉबर्ट्स तीन बच्चों की माँ हैं। उनकी बेटी पेट्रीसिया भी ११ साल की हैं। इसीलिए एक टीन एज बेटी की माँ के लिए उसी उम्र की रील लाइफ बेटी का मृत शरीर देखना काफी मुश्किल सीन बन गया था।
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Wednesday, 18 November 2015
'साहिर' सुशांत सिंह राजपूत की 'अमृता' प्रियंका चोपड़ा
'बाजीराव मस्तानी 'की रिलीज़ से पहले संजयलीला भंसाली ने एक बड़ा धमाका किया है। उनकी बतौर निर्माता फिल्म 'गुस्ताखियाँ' में अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत से रोमांस करती नज़र आएँगी। यह खबर पहले की उन खबरों से बिलकुल अलग है, जिसमे यह बताया गया था कि संजयलीला भंसाली की फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा और फव्वाद खान रोमांस करेंगे। यहाँ बताते चले कि फिल्म 'गुस्ताखियाँ' मशहूर शायर और फिल्म गीतकार साहिर लुधियानवी के लेखिका और कवयित्री अमृता प्रीतम के साथ रोमांस पर केंद्रित फिल्म है। इस फिल्म में सुशांत साहिर के किरदार में होंगे और प्रियंका चोपड़ा ऑन स्क्रीन अमृता प्रीतम बनी नज़र आएंगी । प्रियंका चोपड़ा ने फिल्म में काम करने की अपनी सहमति काफी पहले दे दी थी। लेकिन, उनके साहिर की खोज अब जा कर ख़त्म हुई है। ज़ाहिर है कि यह प्रेम कथा सामान्य प्रेम कथाओं से काफी हट कर है। प्रियंका चोपड़ा एक प्रतिभाशाली अभिनेत्री हैं। उनके लिए भंसाली की फिल्म में 'मैरी कॉम' की तरह अभिनय करने के भरपूर अवसर होंगे। नवोदित अशी दुआ निर्देशित फिल्म की शूटिंग अगले साल से शुरू हो जाएगी।
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ये ल्लों !!!
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Tuesday, 17 November 2015
क्या होगा टकराव !
इस साल के शुरू में
बड़ी फिल्मों के टकराव की कहानियां अख़बारों और पत्रिकाओं में प्रमुखता से छापी गई ।
अक्षय कुमार की फिल्म ‘गब्बर इज बेक’ और सनी लियॉन की फिल्म ‘मस्तीजादे’, जॉन
अब्रहम्म की फिल्म ‘वेलकम बेक’ और कंगना रानौत की फिल्म ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’,
अक्षय कुमार की फिल्म ‘सिंह इज ब्लिंग’ और जॉन अब्राहम की फिल्म ‘रॉकी हैंड्सम’,
सलमान खान की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ और सनी देओल की फिल्म ‘घायल वन्स अगेन’ के
टकराव की खबरे प्रकाशित करते हुए चिंता व्यक्त की गई कि यह फ़िल्में टकराई तो दोनों
ही फिल्मों को नुक्सान होगा । अब निगाहें १८ दिसम्बर को रिलीज़ हो रही रणवीर सिंह
और दीपिका पादुकोण की संजयलीला भंसाली निर्देशित फिल्म ‘बाजीराव मस्तानी’ और शाहरुख़
खान और काजोल की रोहित शेट्टी निर्देशित फिल्म ‘दिलवाले’ बड़े टकराव की संभावना
देखी जा रही है । ४ दिसम्बर को सनी लियॉन की फिल्म ‘मस्तीजादे’ और ज़रीन खान की
फिल्म ‘हेट स्टोरी ३’ के सेक्सी टकराव की भी संभावना बनाती नज़र आ रही है ।
बड़ा सवाल यह है कि क्या
यह टकराव होगा ? अब तक के कथित उपरोक्त टकराव को देखे तो इनमे से कोई भी टकराव
नहीं हुआ । सभी फ़िल्में अलग अलग रिलीज़ हुई । ‘मस्तीजादे’ सेंसर के चंगुल में फँस
कर अब ४ दिसम्बर को रिलीज़ हो रही है । रॉकी हैण्डसम अगले साल तक के लिए टल गई है ।
गब्बर इज बेक १ मई को, दो हफ्ते बाद २२ मई को तनु वेड्स मनु रिटर्न्स, सिंह इज
ब्लिंग २ अक्टूबर को रिलीज़ हुई । मतलब यह कि टकराव अंततः नहीं हुआ । टकराव न होने
के बावजूद अलग अलग रिलीज़ उपरोक्त फिल्मों में कुछ हिट हुई और कुछ फ्लॉप । सनी देओल
की फिल्म ‘घायल वन्स अगेन’ भी अगले साल रिलीज़ होगी । ऎसी दशा में अगर यह फ़िल्में
टकराती भी हैं तो क्या होगा ? आइये डालते हैं एक नज़र -
केवल ‘सांवरिया’
हारी
बॉक्स ऑफिस पर कभी
दो फिल्मों का टकराव हो ही जाता है । कभी दो बड़ी फ़िल्में टकराती हैं, कभी एक छोटी
और एक बड़ी फिल्म । ऐसा ही हुआ १९७५ में जब रमेश सिप्पी की अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र,
हेमा मालिनी, संजीव कुमार, जया बच्चन और अमजद खान की फिल्म ‘शोले’ के सामने एक कम
बजट की फिल्म ‘जय संतोषी माँ’ आ गई । उस समय एक्शन फिल्म ‘शोले’ के हिट होने के
बारे में कोई सोच भी नहीं रहा था । इसके बावजूद ‘शोले’ बड़ी हिट फिल्म साबित हुई ।
इसने कीर्तिमान समय तक चलने का इतिहास बनाया, जो बाद में दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे’
ने तोडा । लेकिन, छोटे बजट की भक्ति भाव वाली फिल्म का बाल भी बांका नहीं हुआ । यह
फिल्म १९७५ की सरप्राइज हिट फिल्म साबित हुई । बजट के लिहाज़ से ‘जय संतोषी माँ’ की
कमाई ‘शोले’ से कही ज्यादा थी । दूसरा टकराव १९८१ में फिर ‘शोले’ की अमिताभ बच्चन,
संजीव कुमार और जया बच्चन की तिकड़ी और रेखा के साथ फिल्म ‘सिलसिला’ का महेश भट्ट
की स्मिता पाटिल, कुलभूषण खरबंदा और शबाना आजमी की फिल्म ‘अर्थ’ का हुआ । यह दोनों
ही फ़िल्में रियल रिलेशन यानि अमिताभ बच्चन और रेखा तथा महेश भट्ट और परवीन बाबी के
संबंधों पर थी । इस विवाद का फायदा दोनों फिल्मों को हुआ । २००१ का मुकाबला देखने
लायक था । आमिर खान की फिल्म ‘लगान’ के सामने सनी देओल की फिल्म ‘ग़दर एक प्रेमकथा’
रिलीज़ हुई । दोनों ही पीरियड फ़िल्में थी । आमिर खान की फिल्म लगान क्रिकेट पर
अंग्रेज़ी राज के दौर की थी, जबकि, ग़दर बंटवारे के दौर की । यह तीसरा मौका था, जब
आमिर खान और सनी देओल टकरा रहे थे । पहले दो मौको पर घायल और दिल तथा घातक और राजा
हिन्दुस्तानी का टकराव एक दो हफ़्तों के अंतराल के टकराव के लिए टाल दिया गया था ।
तीसरी बार यह टकराव हुआ । दोनों ही फ़िल्में हिट हुई । लेकिन बाज़ी मारी सनी देओल की
फिल्म ने । २००७ में ‘ओम शांति ओम’ और ‘सांवरिया’ का टकराव हुआ था दिवाली के वीकेंड
में । शाहरुख़ खान और दीपिका पादुकोण की फराह खान निर्देशित फिल्म ‘ओम शांति ओम’ ने
संजयलीला भंसाली की रणबीर कपूर और सोनम कपूर की डेब्यू फिल्म ‘सांवरिया’ को बुरी
तरह से मात दी । इससे साफ़ है कि टकराव ज़्यादातर फलते हैं, बशर्ते कि दोनों फ़िल्में
भिन्न शैली की हो । ऐसे बहुत से टकराव ने किसी फिल्म को नुक्सान नहीं दिया ।
अलबत्ता, मुनाफा थोडा कम ज़रूर हुआ । इस लिहाज़ से इस साल के बाकी दो टकराव या तो टल
जायेंगे या फिर इनका मुनाफा कम हो जायेगा ।
टकराव टालने की
कोशिश
फिल्म निर्माताओं को
यह तो समझ में आ गया है कि टकराव टालने से उनकी फिल्म अनुकूल वीकेंड का पूरा पूरा
फायदा नहीं उठा सकती है। यह फायदा एकाधिक हिस्सों में बंट भी सकता है। वैसे
बॉलीवुड के कुछ फिल्मकार हैं, जो हमेशा से आपसी समझ और समझौते से काम लेते है।
इनके बीच किसी टकराव का सवाल उठ ही नहीं सकता है। ऎसी ही एक जोड़ी एकता कपूर और करण
जौहर की है । दोनों ही फिल्म निर्माता है। इतना ही नहीं दोनों फ़िल्में कोप्रोडूसर
भी करते है। यही कारण था कि जब एकता कपूर की फिल्म ‘एक विलेन’ से करण जौहर की
फिल्म ‘हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया’ का टकराव होता नज़र आया तो करण जौहर ने समझ से
काम लेते हुए अपनी फिल्म को ११ जुलाई तक के लिए टाल दिया । करण जौहर की शाहरुख़ खान
और आदित्य चोपड़ा के साथ भी अच्छा तालमेल है। करण जौहर तो आदित्य चोपड़ा की पहली
फिल्म ‘दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे’ में उनके असिस्टंट थे । इसी साल आदित्य
चोपड़ा अपनी फिल्म ‘फैन’ को १४ अगस्त को रिलीज़ करने जा रहे थे । फिर ऐसा हुआ कि ‘फैन’
कुछ कारणों से रुक गई । ऐसे में आदित्य ने करण को फ़ोन कर इस बात को बताते हुए,
उन्हें अपनी फिल्म ‘ब्रदर्स’ १४ अगस्त को रिलीज़ करने की सलाह दी । ब्रदर्स १४
अगस्त को रिलीज़ हुई और फिल्म को इसका फायदा भी हुआ । फिल्म अंदाज़ अपना अपना के
जोड़ीदार सलमान खान और आमिर खान की दोस्ती इस हद तक है कि दोनों ही एक दूसरे की
फ़िल्में प्रमोट करने का कोई मौका नहीं जाने देते । जहाँ सलमान खान ने अपने शो बिग बॉस में आमिर की
फिल्म ‘धूम ३’ का प्रमोशन किया, वही आमिर खान ने सबसे पहले बजरंगी भाईजान के
फर्स्ट लुक को ट्वीट कर फिल्म को बढ़िया बढ़त दिला दी । इसी तरह से अजय देवगन और
सलमान खान की दोस्ती ‘हम दिल दे चुके सनम’ से चली आ रही है । दोनों ने ‘लन्दन
ड्रीम्स’ भी साथ की । सलमान खान ने अजय देवगन की फिल्म ‘सन ऑफ़ सरदार के लिए कैमिया
किया तो अजय देवगन उनसे पहले फिल्म रेडी में कैमिया कर चुके थे । सलमान खान ने अजय देवगन की फिल्म सिंघम के
फर्स्ट लुक को भी ट्वीट किया था ।
अब सलमान खान और
शाहरुख़ खान का दोस्ताना बनाता भी नज़र आ रहा है । दिसम्बर में रिलीज़ होने जा रही शाहरुख़ खान की
फिल्म ‘दिलवाले’ का ट्रेलर सलमान खान की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ के साथ रिलीज़
होगा । इसलिए कोई कारण नज़र नहीं आता कि दोस्ती का यह नवीनीकरण रईस और सुलतान का टकराव
कर तोड़ दिया जायेगा । लेकिन, फिलहाल रईस और सुलतान का टकराव हो रहा है । संजयलीला
भंसाली और शाहरुख़ खान की अदावत है कि बाजीराव मस्तानी और दिलवाले का टकराव ज़रूर
होगा । वैसे पिछले दिनों यह खबर थी कि बाजीराव मस्तानी २५ दिसम्बर को रिलीज़ होगी ।
अल्पना कांडपाल
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
एक फिल्म में उत्तर दक्षिण के सुपर स्टार
एस एस राजामौली की
फिल्म ‘बाहुबली द बेगिनिंग’ के हिंदी में डब संस्करण ने बॉक्स ऑफिस पर ज़बरदस्त बिज़नस किया था । फिल्म ने रजनीकांत की फिल्म ‘रोबोट’
से छः गुना ज्यादा बिज़नस किया । क्या
इसे ‘बाहुबली द बेगिनिंग के नायक प्रभास की हिंदी बेल्ट के फिल्म दर्शकों के बीच स्वीकारोक्ति कहा जा सकता है ? फिलहाल इस सवाल का जवाब मुमकिन नहीं है । लेकिन,
हिंदी दर्शकों को भी अगले साल रिलीज़ होने जा रहे इस फिल्म के दूसरे हिस्से
‘बाहुबली द कांक्लुजन’ का बेताबी से इंतज़ार है । संभव है कि ‘बाहुबली द कांक्लुजन’
‘द बेगिनिंग’ से बड़ी हिट फिल्म साबित हो । लेकिन, इससे भी प्रभास की स्वीकृति साबित नहीं होती। प्रभास को तो बॉलीवुड की किसी विशुद्ध
हिंदी फिल्म से अपने स्टारडम की परीक्षा देनी होगी । दक्षिण के सितारों के लिए हिंदी फिल्मों का महत्व केवल अखिल भारतीय दर्शक पाना ही नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टि से भी है। आंध्र प्रदेश के सुपर स्टार नन्दीमुरी तारक रामाराव ने १९९१ के लोक सभा चुनाव में कांग्रेस को चुनौती देने के लिए 'ब्रह्मऋषि विश्वामित्र 'का निर्माण हिंदी में भी किया था। विश्वामित्र की भूमिका में वह खुद थे तथा मेनका मीनाक्षी शेषाद्रि बनी थी। उनके खिलाफ दसरी नारायण राव ने 'विश्वामित्र' नाम की हिंदी फिल्म बनाई थी। अब यह बात दीगर है कि किसी न किसी कारण से यह दोनों फ़िल्में समय पर रिलीज़ नहीं हो सकी। विश्वामित्र तो पूरी ही नहीं हो सकी। तब इसे दसरी नारायण राव ने टीवी सीरियल के रूप में दूरदर्शन से टेलीकास्ट करवाया।
गणेशन भी हिंदी बोले
जहाँ
तक बॉलीवुड में दक्षिण के सितारों की सफलता का सवाल है, यह बहुत उत्साहवर्धक नहीं
है । हालाँकि, कन्नड फिल्मों के सुपर स्टार राजकुमार जैसे अभिनेता भी थे, जिन्हें
हिंदी फिल्मों में काम करने में कोई दिलचस्पी नहीं थी । इसके बावजूद दक्षिण के बहुत से सितारों ने हिंदी फिल्मों में किस्मत आजमाने की बार बार कोशिश की । दक्षिण के इन सितारों
ने बॉलीवुड के बड़े सितारों के साथ भी फ़िल्में की, लेकिन दर्शकों की स्वीकारोक्ति नहीं
मिली । यहाँ बताते चलें कि हिंदी फिल्मों में आने वाले ज़्यादातर अभिनेता दक्षिण के सुपर स्टार थे । कभी दक्षिण में शिवाजी गणेशन और
जैमिनी गणेशन की तूती बोला करती थी । यह दोनों गणेशन भी हिंदी फिल्मों में नज़र आये
। इन दोनों ने ही मेहमान भूमिकाये की । शिवाजी गणेशन ने राजेंद्र कुमार और वहीदा
रहमान के साथ फिल्म ‘धरती’ में और जैमिनी गणेशन ने राजकपूर और वैजयंतीमाला की
फिल्म ‘नज़राना’ में मेहमान भूमिका की थी । दोनों ही फिल्मे दक्षिण के निर्देशक
सी वी श्रीधर द्वारा निर्देशित और बॉलीवुड के बड़े सितारों वाली फ़िल्में थी । वैसे शिवाजी गणेशन को हिंदी फिल्मों में कोई ख़ास दिलचस्पी नहीं थी । लेकिन ‘धरती’ तो राजेंद्र कुमार और वहीदा रहमान की बड़ी कास्ट के
बावजूद फ्लॉप हुई । नज़राना का बिज़नस भी ख़ास नहीं रहा । हिंदी दर्शकों ने जैमिनी
गणेशन की बेटी रेखा को तो सुपर स्टार का दर्ज़ा दिया, लेकिन पिता गणेशन को ठुकरा
दिया ।
मम्मूती, मोहनलाल और विष्णुवर्द्धन
मम्मूती, मोहनलाल और विष्णुवर्द्धन
हिंदी फिल्मों ने दक्षिण की अभिनेत्रियों को तो हाथोंहाथ लिया। परन्तु, दक्षिण के अभिनेताओं को सफलता नहीं मिली। इसके
बावजूद, दक्षिण की तमिल-तेलुगु-मलयालम फिल्मों के सितारे हिंदी फिल्मों में छिटपुट
नज़र आते रहे । इनमे मलयालम सुपर स्टार मोहनलाल और मम्मूती के नाम उल्लेखनीय है ।
१९९३ में इकबाल दुर्रानी की फिल्म ‘धरती पुत्र’ रिलीज़ हुई थी । यह एक रोमांटिक
एक्शन फिल्म थी । फिल्म में ऋषि कपूर और जयाप्रदा के साथ फिल्म के नायक मम्मूती थे
। फिल्म फ्लॉप हुई । मम्मूती ने ‘बाबासाहब आंबेडकर’ फिल्म में अम्बेडकर की भूमिका
की । मोहनलाल ने रामगोपाल वर्मा की फिल्म ‘कंपनी’ से डेब्यू किया था । फिल्म में
अजय देवगन और मनीषा कोइराला मुख्य भूमिका में थे । मोहनलाल ने एक ईमानदार पुलिस
अधिकारी की सशक्त भूमिका की थी । मोहनलाल ने रामगोपाल वर्मा की आग में अमिताभ
बच्चन, हल्ला बोल में अजय देवगन और तेज़ में अजय देवगन और अनिल कपूर के साथ स्क्रीन
शेयर की । लेकिन, दोनों ही मलयालम सुपरस्टार बॉलीवुड में जगह नहीं बना सके । इसी
प्रकार से कन्नड़ सुपर स्टार विष्णुवर्द्धन ने इंस्पेक्टर धनुष में नायक की भूमिका
निबाहने के बाद अक्षय कुमार के साथ दो फिल्मों ‘अशांत’ और ‘ज़ालिम’ में काम किया ।
विष्णुवर्द्धन को भी बॉलीवुड रास नहीं आया ।
तमिल सितारों की लम्बी पारी
हिंदी दर्शकों को
सबसे ज्यादा आकृष्ट करने की कोशिश कमल हासन और रजनीकांत ने की । बॉलीवुड में सबसे ज्यादा लम्बी पारी इन्हीं दोनों सितारों ने खेली। इन दोनों को बॉलीवुड के सुपर स्टार
अमिताभ बच्चन के साथ फ़िल्में भी मिली । रजनीकांत की पहली फिल्म ‘अँधा कानून’ में
अमिताभ बच्चन एक्सटेंडेड गेस्ट रोल में थे । कमल हासन और रजनीकांत फिल्म गिरफ्तार
में अमिताभ बच्चन के साथ थे । कमल हासन ने अमिताभ बच्चन के साथ फिल्म खबरदार भी की
थी । इन दोनों ही तमिल सुपर स्टारों को बॉलीवुड के बड़े नामों के साथ फ़िल्में करने
का मौका मिला । इनमे कमल हासन की राजकुमार, धर्मेन्द्र और सुनील दत्त के साथ फिल्म
राज तिलक और रजनीकांत की शत्रुघ्न सिन्हा के साथ फिल्म उत्तर दक्षिण उल्लेखनीय हैं
। इसके बावजूद यह दोनों तमिल फिल्म स्टार बॉलीवुड में अपनी जगह पक्की नहीं कर सके ।
बच्चनों
का साथ
दक्षिण
के सितारों के साथ संयोगवश या जान बूझ कर अमिताभ बच्चन और अभिषेक बच्चन को लेकर
फ़िल्में बनाई गई । कमल हासन और रजनीकांत की अमिताभ बच्चन के साथ फिल्मों का तो
ज़िक्र किया जा चूका है । अमिताभ बच्चन ने राणा दग्गुबती के साथ डिपार्टमेंट, धनुष के
साथ षमिताभ और नागार्जुन के साथ खुदा गवाह की । अभिषेक बच्चन ने राणा दग्गुबती के
साथ दम मारो दम और विक्रम के साथ मणि रत्नम की फिल्म ‘रावण’ की । अभी राणा
दग्गुबती फिल्म ‘बेबी’ में अक्षय कुमार के साथ कमांडों की भूमिका में थे । दक्षिण
की फिल्मों के सितारे सिद्धार्थ ने रंग दे बसंती में आमिर खान के एक मित्र की
भूमिका की थी । रंग दे बसंती में आमिर खान के एक दूसरे मित्र आर माधवन ने सैफ अली
खान के साथ फिल्म ‘रहना है तेरे दिल में’ से रोमांटिक डेब्यू किया । वह ‘३
इडियट्स’ में भी आमिर के जोड़ीदार थे ।
अगर,
दक्षिण के सितारों की बॉलीवुड या हिंदी फिल्मों में असफलता का ऊंचा ग्राफ देखे तो
दक्षिण के सितारों के लिए हिंदी फिल्मों में कोई जगह नज़र नहीं आती । लेकिन, अब
परिदृश्य बदल रहा है । दक्षिण की डब फिल्मों को सौ करोड़ की कमाई देने वाले दर्शक
मिलना इस बदले परिदृश्य की ओर इशारा करता है । राणा दग्गुबती को परदे पर देख रहे हिंदी ‘बाहुबली द बेगिनिंग’ और ‘बेबी’ के दर्शक तालियाँ बजा रहे थे । माधवन और
धनुष अपने खुद के बल पर अपनी हिंदी फ़िल्में तनु वेड्स मनु सीरीज और रांझाना हिट करा ले जाते हैं । ‘बाहुबली द
कांक्लुजन’ के बाद सिनेरियो और बदलेगा । राणा दग्गुबती, माधवन, सहित कुछ
तमिल-तेलुगु सितारों की फ़िल्में हिंदी में भी बनाई जा रही हैं । सलमान खान की
फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ तमिल और तेलुगु में भी रिलीज़ की जा रही है । इसलिए
बॉलीवुड की फिल्मों को दक्षिण में झांकने के लिए दक्षिण के सितारों की ज़रुरत होगी ।
रा.वन और चेन्नई एक्सप्रेस जैसी फिल्में इसे साबित कर चुकी हैं ।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
माय नाम इज बांड, जेम्स बांड !
ब्रितानी जासूसी
संस्था एमआई-६ के एजेंट जेम्स बांड की वर्ल्डवाइड लोकप्रियता अभूतपूर्व है । हर
अगली फिल्म के साथ जेम्स बांड का काल्पनिक चरित्र दुनिया के दर्शको का चाहीता बनता
चला जाता है । उपन्यासकार इयान फ्लेमिंग की कलम से १९५३ में जन्मा बांड दस साल बाद
१९६२ में रुपहले परदे पर आया । डॉक्टर नो के प्रदर्शन के साथ ५३ साल पहले रुपहले
परदे पर जन्मा बांड आज भी उतना ही फुर्तीला, बुद्धिमान और आकर्षक है । रॉजर मूर और सीन कांनरी
की परंपरा को पियर्स ब्रोसनन के बाद डेनियल क्रैग भी बखूबी निबाह रहे हैं । बांड
करैक्टर के साथ अब तक २३ ऑफिसियल और २ अनऑफिसियल फ़िल्में ‘कैसिनो रोयाले’ (१९६७) और ‘नेवर से नेवर अगेन’ (१९८३)
बनाई जा चुकी हैं । बांड फिल्मों का ऑफिसियल प्रोडक्शन हाउस निर्माता जोड़ी
अल्बर्ट आर ब्रोक्कोली और हैरी
साल्ट्ज़मैन द्वारा स्थापित ईआन
प्रोडक्शन है । रुपहले परदे पर जेम्स बांड को सीन कांनरी, डेविड निवेन (अनऑफिसियल फिल्म ‘कैसिनो रोयाले’), जॉर्ज लेज़ेन्बी, रॉजर मूर, टिमोथी डाल्टन, पियर्स ब्रोसनन और डेनियल क्रैग सहित सात एक्टर
कर चुके हैं । सीन कांनरी और रॉजर मूर सात सात बार और पियर्स ब्रोसनन और डेनियल
क्रैग चार चार बार जेम्स बांड के किरदार को किया है । स्पेक्ट्र से पहले तक जेम्स
बांड सीरीज की फिल्मों के निर्माण में १.२५७९ मिलियन डॉलर का खर्च हुआ तथा इन
फिल्मों ने वर्ल्डवाइड बॉक्स ऑफिस पर ५.९८४ बिलियन डॉलर का कलेक्शन किया । सीन
कांनरी को पहली बांड फिल्म के लिए ०.१ मिलियन डॉलर का पारिश्रमिक मिला था । जबकि,
स्काईफॉल के लिए डेनियल क्रैग को १७
मिलियन डॉलर दिए गए । कुल कलेक्शन के लिहाज़ से ईआन प्रोडक्शन की सीरीज तीसरी सबसे
ज्यादा कमाई की फिल्म है । पहले नंबर पर हैरी पॉटर सीरीज और दूसरे नंबर पर मार्वल
सिनेमेटिक यूनिवर्स की फिल्मे हैं । जेम्स बांड सीरीज की फिल्मों के वर्ल्डवाइड
डिस्ट्रीब्यूटर मेट्रो-गोल्डविन मेयर हैं ।
डॉक्टर नो
(१९६२)
बजट- १ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ५९.५६
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- टेरेंस
यंग
एक्टर- सीन कांनरी
फ्रॉम रसिया विथ लव
(१९६३)
बजट- २ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ७८.९
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- टेरेंस
यंग
एक्टर- सीन कांनरी
गोल्डफिंगर (१९६४)
बजट- ३ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १२४.९
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- गय
हैमिलटन
एक्टर- सीन कांनरी
थंडरबॉल (१९६५)
बजट- ९ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १४१.२
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- टेरेंस
यंग
एक्टर- सीन कांनरी
यू ओनली लिव ट्वाइस
(१९६७)
बजट- ९.५ मिलियन
डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १११.६
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- लेविस
गिल्बर्ट
एक्टर- सीन कांनरी
कैसिनो रोयाल
(१९६७)*
बजट- १२ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ४४.४
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- केन
हूजेस और पांच अन्य
एक्टर- डेविड निवेन
ऑन हर मेजेस्टीज
सीक्रेट सर्विस (१९६९)
बजट- ८ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ८२
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- पीटर आर
हंट
एक्टर- जॉर्ज
लेजेंबी
डायमंड्स आर फ़ॉरएवर
(१९७१)
बजट- ७.२ मिलियन
डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ११६
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- गय
हैमिलटन
एक्टर- सीन कांनरी
लिव एंड लेट डाई
(१९७३)
बजट- ७ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १६१.८
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- गय
हैमिलटन
एक्टर- रॉजर मूर
द मैन विथ द गोल्डन
गन (१९७४)
बजट- ७ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ९७.६
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- गय
हैमिलटन
एक्टर- रॉजर
मूर
द स्पाई हु लव्ड मी
(१९७७)
बजट- १४ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १८५.४
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- लेविस
गिल्बर्ट
एक्टर- रॉजर
मूर
मूनरेकर (१९७९)
बजट- ३१ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- २१०.३
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- लेविस
गिल्बर्ट
एक्टर- रॉजर मूर
फॉर योर आईज ओनली
(१९८१)
बजट- २८ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १९५.३
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- जॉन
ग्लेन
एक्टर- रॉजर
मूर
ऑक्टोपसी (१९८३)
बजट- २७.५ मिलियन
डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १८२
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- जॉन
ग्लेन
एक्टर - रॉजर
मूर
नेवर से नेवर अगेन
(१९८३)*
बजट- ३६ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १५९.९३
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- इरविन
केर्श्नेर
एक्टर- सीन कांनरी
अ व्यू टू किल
(१९८५)
बजट- ३० मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १५१.९६
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- जॉन
ग्लेन
एक्टर- रॉजर
मूर
द लिविंग डेलाइट्स
(१९८७)
बजट- ४० मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १९०.११
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- जॉन
ग्लेन
एक्टर- टिमोथी
डाल्टन
लाइसेंस टू किल
(१९८९)
बजट- ४२ मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १५४.६९
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- जॉन
ग्लेन
एक्टर- टिमोथी
डाल्टन
गोल्डनऑय (१९९५)
बजट- ६० मिलियन डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ३५५.९४
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- मार्टिन
कैम्पबेल
एक्टर- पियर्स
ब्रोसनन
टुमारो नेवर डाईज
(१९९७)
बजट- ११० मिलियन
डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ३३९.४७
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- रॉजर
स्पॉट्सवुडे
एक्टर- पियर्स
ब्रोसनन
द वर्ल्ड इज नॉट एनफ
(१९९९)
बजट- १३५ मिलियन
डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ३६१.७३
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- माइकल
अपटेड
एक्टर- पियर्स
ब्रोसनन
डाई अनदर डे (२००२)
बजट- १४२ मिलियन
डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ४३१.९३
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- ली
तमाहोरी
एक्टर- पियर्स
ब्रोसनन
कैसिनो रोयाल (२००६)
बजट- १०२ मिलियन
डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ५९४.२७
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- मार्टिन
कैम्पबेल
एक्टर- डेनियल क्रैग
क्वांटम ऑफ़ सोलेस
(२००८)
बजट- २३० मिलियन
डॉलर
बॉक्स ऑफिस- ५९१.६९
मिलियन डॉलर
डायरेक्टर- मार्क
फोर्स्टर
एक्टर- डेनियल
क्रैग
स्काईफॉल (२०१२)
बजट- २०० मिलियन
डॉलर
बॉक्स ऑफिस- १.११
बिलियन डॉलर
डायरेक्टर- सैम
मेंडेस
एक्टर- डेनियल क्रैग
स्पेक्ट्र (२०१५)-
जेम्स बांड सीरीज की यह २४ वी ऑफिसियल फिल्म है । डेनियल क्रैग चौथी बार बांड के
किरदार में हैं । यह फिल्म ब्रिटेन में २६ अक्टूबर तथा अमेरिका में २ नवम्बर को
रिलीज़ हो चुकी है । इस बार भारत में बांड सीरीज की फिल्म तीन हफ्ते बाद २० नवम्बर
को रिलीज़ हो रही है । वैसे यह फिल्म दुनिया की तरह भारत में ज़बरदस्त सफलता हासिल
करने जा रही है । फिल्म के डायरेक्टर सैम मेंडेस हैं ।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
प्रिजनर ऑफ़ जेंडा पर है सलमान खान की फिल्म
एक बार फिर, बॉलीवुड को ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ की याद आ रही है। ‘प्रिजनर ऑफ़
जेंडा’ ब्रितानी उपन्यासकार और नाटककार अन्थोनी होप के उपन्यास का नाम है। ९
फरवरी १८६३ को जन्मे अन्थोनी हॉप ने १८९४ में दो सफल उपन्यास ‘द डॉली डायलॉग्स’ और
‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ लिखे थे। ‘द डॉली डायलॉग्स’ को ठीक ठाक सफलता मिली लेकिन, 'द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा' को पाठकों द्वारा काफी पसंद किया गया। आज १२१ साल बाद, ‘द प्रिजनर
ऑफ़ जेंडा की याद इसलिए आ रही है कि सूरज बडजात्या की दिवाली में रिलीज़ होने जा रही
सलमान खान, सोनम कपूर और नील नितिन मुकेश की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ इसी
उपन्यास पर आधारित है या कहिये कि इस उपन्यास पर बनी हॉलीवुड फिल्मों से प्रेरित है । फिल्म में सलमान खान राजकुमार और उसके हमशक्ल का दोहरा किरदार कर रहे हैं।
क्या है उपन्यास की कहानी
अन्थोनी होपकिंस का उपन्यास ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ राजमहल के षडयंत्रों और
राजनीति पर था। काल्पनिक देश रुरितानिया के होने वाले राजा रुडोल्फ को ताजपोशी की
रस्म से ऐन पहले नशीली दवा दे कर बेहोश कर दिया जाता है। राजा का सौतेला भाई राज्य
हड़पने के लिए बेहोश रुडोल्फ को बंदी बना कर एक छोटे शहर जेंडा में कैद कर लेता
है। ऐसे में रुडोल्फ राज्याभिषेक में पहुँचने में असमर्थ है। परिस्थिति
को सम्हालने के लिए राजा के वफादार एक टूरिस्ट रुडोल्फ रसेनडील को पकड़ लेते हैं,
जिसकी इत्तेफाक से शक्ल राजा से मिलती है। उसे तैयार किया जाता है राजा का स्थान लेकर ताजपोशी करवाने के लिए। अब होता क्या है कि राजा की मदद करते करते वह हमशक्ल
राजा की मंगेतर से ही प्रेम करने लगता है। पूरा उपन्यास रहस्य, रोमांच और रोमांस से
भरपूर है।
खूब बनी ‘प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ फ़िल्में
एडवर्ड रोज के साथ अन्थोनी होप के उपन्यास पर हॉलीवुड में ही ढेरो फ़िल्में
बनी। १९१३ में फोर्ड और एडविन एस पोर्टर की निर्देशक जोड़ी ने सबसे पहले इस
उपन्यास पर फिल्म ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ बनाई। इस फिल्म में राजा रुडोल्फ का
किरदार जेम्स के हैकेट कर रहे थे। १९१५ में जॉर्ज लोअने टकर के निर्देशन में एक
दूसरी फिल्म ‘द प्रिजनर ऑफ़ ज़ेण्डा’ का निर्माण किया गया। इस फिल्म में राजा की
भूमिका हेनरी ऐन्ले कर रहे थे। फिर १९२२ में रमोन नोवारो की मुख्य भूमिका वाली ‘द
प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ रिलीज़ हुई। इस फिल्म को रेक्स इनग्राम ने निर्देशित किया था। १९२५
में प्रिंसेस फ्लाविया टाइटल के साथ ओपेरा खेला गया। जॉन क्रोमवेल ने १९३७ में
फिर ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ को अपनाया और फिल्म में रुडोल्फ और रसेनडील की हमशक्ल भूमिका
अभिनेता रोनाल्ड कोलमैन ने की। हमशक्ल किरदारों के लिहाज़ से १९३७ की फिल्म ‘द
प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ सबसे बढ़िया फिल्म मानी गई। कोलमैन ने १९३७ की फिल्म के अपने
साथियों स्मिथ और फेयरबैंक्स के साथ १९३९ में लक्स रेडियो थिएटर के नाटक के लिए
अपने अपने किरदार फिर किये। फिर आई ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ फिल्मों में सबसे सफल
फिल्म। १९५२ में डायरेक्टर रिचर्ड थोर्पे ने ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ का निर्माण
किया। इस फिल्म में मुख्य भूमिकाओं के लिए स्टीवर्ट ग्रेंजर, डेबोरा केर, लुइस
कैलहेर्न, जेन ग्रीर, लेविस स्टोन, रोबर्ट डगलस, जेम्स मासों और रोबर्ट कूट को
लिया गया। लेविस स्टोन ने १९२२ की फिल्म में किंग और उसके हमशक्ल की भूमिका की थी। इस फिल्म में स्टोन का रोल बहुत छोटा था। यह टैक्नीकलर में बनाई गई थी, लेकिन
१९३७ की फिल्म की फ्रेम दर फ्रेम कॉपी थी। १९६१ में अमेरिकी टेलीविज़न पर भी इस
उपन्यास पर क्रिस्टोफर प्लमर और इंगेर स्टेवेंस के साथ शो प्रसारित हुआ। १९६३ में
एक म्यूजिकल शो जेंडा ब्रॉडवे पर दिखाया गया। यह १९२५ के ओपेरा प्रिंसेस फ्लाविया
पर आधारित था। १९७९ में ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेना’ का कॉमिक अवतार हुआ। इस फिल्म में
पीटर सेलर्स ने किंग रुडोल्फ और उसके हमशक्ल किरदार किये थे। फिल्म का
निर्देशन रिचर्ड कुइन ने किया था। आखिरी बार ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ को बीबीसी ने
माल्कोम सिंक्लैर के साथ अडॉप्ट किया।
बॉलीवुड और हिन्दुस्तानी सिनेमा का ‘जेंडा’
बॉलीवुड ने भी अन्थोनी होप के उपन्यास पर बनी फिल्मों की तर्ज पर हिंदी
फ़िल्में बनाई। मोटे तौर पर कहा जाये तो बॉलीवुड में ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ के
अलावा मार्क ट्वेन के उपन्यास ‘द प्रिंस एंड द पौपर’ और विलियम शेक्सपियर के नाटक ‘कॉमेडी
ऑफ़ एररस’ का घालमेल कर दोहरी भूमिकाओं वाली ढेरों फ़िल्में बनाई गई । बॉलीवुड ने जब विशुद्ध
कॉमेडी ऑफ़ एररस को अपनाया तो ‘अंगूर’, ‘दो दूनी चार’, आदि कॉमेडी फ़िल्में बनी। आम
तौर पर बॉलीवुड ने मार्क ट्वेन और अन्थोनी होप के किरदारों की घालमेल की। राम और
श्याम, सीता और गीता और चालबाज़ फ़िल्में इसका प्रमाण थी। दक्षिण के निर्माता एलवी
प्रसाद ने संजीव कुमार और कुमकुम की मुख्य भूमिका वाली फिल्म ‘राजा और रंक’ का
निर्माण किया। इस फिल्म में महेश कोठारे ने राजा और रंक की दोहरी भूमिका की थी। यह फिल्म 'द प्रिंस एंड द पॉपर' से प्रेरित थी। अगर
हम ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ पर हिंदी फिल्मों की बात करें तो घालमेल साफ़ नज़र आती है। हिंदी में इस कहानी को राजा रजवाड़ों वाली न रख कर, कुछ अलग सन्दर्भ में लिया गया। शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म 'कालीचरण' के अलावा अमिताभ बच्चन और शाहरुख़ खान की 'डॉन' को
मोटे तौर पर अन्थोनी होप के उपन्यास से प्रेरित फ़िल्में कहा जा सकता है। हिंदी फिल्मों
के अलावा दक्षिण की भाषाओं में भी एनटी रामाराव, रजनीकांत, अजित, प्रभास और
मोहनलाल ने जेंडा का कैदी को डॉन के रूप में पेश किया। यह सभी फ़िल्में हमशक्ल
किरदारों की अदला बदली की कहानी थी। २०१३ में रिलीज़ अर्जुन कपूर की दोहरी भूमिका
वाली फिल्म ‘औरंगजेब’ भी हमशक्ल किरदारों की अदल बदल फिल्म थी। विशुद्ध हिंदी
प्रिजनर ऑफ़ जेंडा की बात की जाये तो याद आती हैं १९७८ में रिलीज़ आलो सरकार
निर्देशित फिल्म ‘बंदी’ की। इस फिल्म में उत्तम कुमार ने युवराज उदय भान सिंह और
भोला बी सिंह की दोहरी भूमिका की थी। यह फिल्म भरतपुर के राज घरानों पर काल्पनिक
फिल्म थी। फिल्म में इन्द्राणी मुख़र्जी, अमजद खान, उत्पल दत्त, इफ़्तेख़ार, आदि की
मुख्य भूमिका थी। उत्तम कुमार इससे पहले एक बांगला फिल्म ‘झिन्देर बंदी’ में यही
भूमिका कर चुके थे। इस फिल्म का आगे ज़िक्र किया गया है।
अन्य भाषाओँ में फ़िल्में
तपन सिन्हा ने ‘द प्रिजनर ऑफ़ जेंडा’ पर बांगला फिल्म ‘झिन्देर बंदी’ का
निर्माण किया। तपन सिन्हा की फिल्म का झिंद मध्य प्रदेश की एक छोटी रियासत थी। इस
फिल्म में उत्तम कुमार ने राजा और उसके हमशक्ल का किरदार किया था। तरुण कुमार ने
सौतेले भाई उदित कुमार की भूमिका की थी। अरुंधती देवी राजा की मंगेतर बनी थी। इस
फिल्म में सौमित्र चटर्जी का नेगेटिव किरदार था। १९८१ में एस वी राजेन्द्र सिंह
बाबू की कन्नड़ फिल्म ‘अंत’ में एक पुलिस अधिकारी अपने हमशक्ल पकडे गए एक खतरनाक
अपराधी का स्थान ले लेता है। इस फिल्म ने अभिनेता अम्बरीश को कन्नड़ फिल्मों का
सुपर स्टार बना दिया था। इस फिल्म का हिंदी रीमेक ‘मेरी आवाज़ सुनो’ जीतेंद्र और
हेमा मालिनी के साथ बनाया गया। भयावह हिंसक दृश्यों के कारण इस फिल्म पर बैन भी लगाया गया। लेकिन, फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली।
हिंदी फिल्मों ने, जहाँ हीरो के खिलाफ षडयंत्र दिखाया तो फिल्म को 'द प्रिजनर ऑफ़ ज़नता' से प्रेरित करवा दिया। जहाँ, हीरो खुद इसमे शामिल हुआ, वहां फिल्म 'द प्रिंस एंड द पॉपर' हो गई। शाहरुख़ खान की फिल्म 'फैन' को 'द प्रिंस एंड द पॉपर' का रीमेक कहा जा सकता है, क्योंकि, शाहरुख़ फिल्म में अपने हमशक्ल फैन को अपनी जगह सुपर स्टार के रूप में प्लांट कर देते हैं। वही, सूरज बड़जात्या की फिल्म 'प्रेम रतन धन पायो' राज महल के अपराध पर केंद्रित 'द प्रिजनर ऑफ़ ज़ेंडा' का सलमान खान संस्करण है।
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फिल्म पुराण
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Monday, 9 November 2015
तमिल-तेलुगु भाषा में प्रेम रतन धन पायो का मुकाबला
डेढ़ दशक बाद सूरज बडजात्या के निर्देशन में सलमान
खान की दिवाली में रिलीज़ होने जा रही फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ के धमाकेदार बिज़नस
की उम्मीद की जा रही है । इस दिवाली को सलमान खान कोई
मौका नहीं खोना चाहते । वह अपनी फिल्म के ज़रिये पूरे देश की सिनेमा स्क्रीन्स पर छा जाना चाहते हैं ।
इसलिए, राजश्री बैनर द्वारा ‘प्रेम रतन धन पायो’ को तमिल और तेलुगु में भी डब कर
रिलीज़ किया जा रहा है । इस फिल्म को ५०००+ प्रिंट्स के साथ रिलीज़ किया जा रहा है। हालाँकि, इसमे कोई शक नहीं कि हिंदी बेल्ट में सलमान खान बॉक्स ऑफिस पर सुलतान
बने ताल ठोंक रहे होंगे । लेकिन, दक्षिण में कुछ ऐसा ही माजरा नहीं बनाने जा रहा होगा ।
हैदराबाद और चेन्नई के मल्टीप्लेक्स और सिंगल स्क्रीन सिनेमाघरों में सलमान खान को सुलतान वाला सम्मान नहीं मिलने
जा रहा । क्योंकि, दिवाली के दौरान ही दक्षिण की दो
दूसरी फ़िल्में भी रिलीज़ हो रही है । सलमान खान की फिल्म ‘प्रेम रतन धन पायो’ में
सोनम कपूर, अनुपम खेर और नील नितिन मुकेश एक राजघराने के षड्यंत्र को अंजाम तक पहुंचा रहे
होंगे । सिंहासन के लिए भाई भाई का दुश्मन बना नज़र आएगा । सोनम कपूर दो-दो सलमान
खान के बीच फंसी होंगी । यह फिल्म हॉलीवुड की हिट फिल्म 'द प्रिजनर ऑफ़ ज़िन्दा' का हिंदी रीमेक है। दक्षिण में तमिल ‘प्रेम रतन धन पायो’ को चेन्नई और दक्षिण के अन्य तमिल भाषी शहरों
में तमिल भाषा की दो फिल्मों और उनके दो सुपर सितारों की फिल्मों का सामना करना
होगा । तमिल फिल्मों के सितारे अजित की फिल्म ‘वेदलम’ एक एक्शन ड्रामा फिल्म
है । इसमे सुपर नेचुरल तड़का भी है । अजित के साथ हिंदी बेल्ट की जानी पहचानी
अभिनेत्री श्रुति हासन उनकी नायिका हैं । दूसरी तमिल फिल्म कमल हासन की फिल्म ‘थून्गवनम’
है । यह एक थ्रिलर फिल्म है, जो एक फ्रेंच फिल्म ‘स्लीपलेस नाईट’ का रीमेक है ।
फिल्म में कमल हासन एक भ्रष्ट पुलिस अधिकारी की भूमिका कर रहे हैं । एक ड्रग
माफिया अपनी नशीली दवाओं को वापस पाने के लिए पुलिस अधिकारी के बेटे का अपहरण कर
लेता है । कमल हासन को अपने बेटे को छुडाने के लिए उस ड्रग माफिया को उसका माल
वापस करना ही है । इस फिल्म में तृषा ने भी महिला पुलिस की भूमिका की है । हैदराबाद, आदि तेलुगू भाषी क्षेत्रों में सलमान खान
की तेलुगु भाषा में फिल्म को कमल हासन की फिल्म ‘थून्गवनम’ के तेलुगु संस्करण का सामना
करना होगा । थून्गवनम’ को तेलुगु में ‘चीकाती राज्यम’ शीर्षक से रिलीज़ किया जा रहा
है । हैदराबाद में कमल हासन की फिल्म का तेलुगु संस्करण सलमान खान को नाको चने
चबवा देगा । यह इसलिए भी होगा कि सलमान खान की रोमांस ड्रामा फिल्म के सामने खडी यह दोनों फ़िल्में एक्शन, थ्रिलर और ड्रामा से भरपूर फ़िल्में हैं । इन फिल्मों के अभिनेताओं की अपने दर्शकों
में अच्छी पकड़ है । चूंकि, दोनों ही एक्शन थ्रिलर फ़िल्में हैं । इस शैली की फिल्मों को तमिल और तेलुगु दर्शक काफी पसंद करता है । ऐसा नहीं है कि
दक्षिण के दर्शक तमिल और तेलुगु बोलने वाले सलमान खान को पसंद नहीं करेंगे ! लेकिन अगर
उनके अपने सितारे, उनके पसंदीदा जोनर वाली फिल्म से उनके सामने होगे तो वह सलमान
खान को क्यों देखना चाहेंगे ! ऐसे में दक्षिण में भी दिवाली वीकेंड का पूरा पूरा फायदा उठाने का
सलमान खान का सपना अधूरा रह सकता है ।
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ये ल्लों !!!
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बाजीराव मस्तानी के तीन पोस्टर
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Saturday, 7 November 2015
‘महादेव’ की टीम के साथ ‘सिया के राम’
स्टार पर प्लस से दो
शो अलविदा कहने जा रहे हैं। २२ दिसम्बर २०१४ से शुरू हुए सीरियल ‘तू मेरा हीरो’
का आखिरी एपिसोड १४ नवम्बर को दिखाया जायेगा। चैनल के सूत्र बताते हैं कि यह शो ठीकठाक रेटिंग न मिल पाने के
कारण चैनल से बाहर हो रहा है। स्टार प्लस से बाहर होने वाला दूसरा शो ‘तेरे शहर में’ है। २ मार्च २०१५ को शुरू
वाराणसी की पृष्ठभूमि पर यह शो भी १४ नवम्बर को अपना आखिरी प्रसारण करेगा। सोशल ‘तू
मेरा हीरो’ की जगह एक पौराणिक कथानक ‘सिया के राम’ लेगा। राम के चरित्र पर इस सीरियल की खासियत यह
होगी कि इसमे राम के चरित्र को सिया यानि सीता माता की दृष्टि से दिखाया जायेगा। इस सीरियल में आशीष शर्मा राम और मदिराक्षि मुण्डले सीता का चरित्र करेंगी। ज़ाहिर है कि इस सीरियल में राम के बजाय सीता ख़ास होंगी। इस सीरियल को बनाने में ‘देवों
के देव महादेव’ की टीम ही जुटी हुई है। महादेव के अनिरुद्ध पाठक की परिकल्पना ‘सिया के राम’ को आनंद नीलकांतन और सुब्रत सिन्हा सीरियल के क्रिएटिव कंसलटेंट देवदत्त पटनायक के
साथ लिख रहे हैं। चैनल सूत्रों की खबर है कि रात साढ़े दस बजे प्रसारित होने वाले
सीरियल ‘तेरे शहर में’ की जगह रश्मि शर्मा टेलीफिल्म का नया शो ‘साजन’ लेगा। हालाँकि,
अभी इसका अधिकारिक ऐलान नहीं हुआ है। ‘साजन’ युवा केन्द्रित प्रेम त्रिकोण है। स्टार नेटवर्क को लगता है कि उसके चैनल के लिए ‘साथ
निभाना साथिया’ जैसा पॉपुलर सीरियल देने वाली रश्मि शर्मा का यह सीरियल भी उतना ही सफल होगा। बताते चलें कि ‘साथ निभाना साथिया’ टॉप फाइव सेरिअलों में शामिल है।
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वाटर गेट कांड पर लिअम नीसों
इस बार लियम नीसों को कुछ गुप्त फाइलों की खोज करनी है । 'टेकन' सीरीज की फिल्मों से एक्शन स्टार के रूप में मशहूर लियम नीसों एक पोलिटिकल थ्रिलर फिल्म में काम करने जा रहे हैं। यह फिल्म १९७२ के उस कुख्यात वाटरगेट कांड पर फिल्म है, जिसके फलस्वरूप तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था। इस फिल्म का टाइटल 'फेल्ट' रखा गया है। नीसों एफबीआई के पूर्व एसोसिएट डायरेक्टर मार्क फेल्ट का किरदार कर रहे हैं। मार्क फेल्ट ने ही वाशिंगटन पोस्ट के रिपोर्टर बॉब वुडवॉर्ड और कार्ल बर्नस्टीन को सूचनाएं लीक की थी। इस घटना के बाद राष्ट्रपति निक्सन के वाटरगेट काम्प्लेक्स में स्थित डेमोक्रेटिक नेशनल समिति के मुख्यालय में घुस कर सूचनाएं चुराने के अपराध में पांच लोग गिरफ्तार किये गए थे। २००५ में मार्क फेल्ट ने खुद को अनाम 'डीप थ्रोट' सोर्स बताया था। इस स्पाई थ्रिलर फिल्म का निर्देशन विल स्मिथ की एनएफएल ड्रामा फिल्म 'ककशन' के डायरेक्टर पीटर लैंड्समैन कर रहे हैं।
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रेजिडेंट ईविल की स्टंटवुमन घायल
इन दिनों, रेजिडेंट
ईविल सीरीज की फिल्म ‘रेजिडेंट ईविल : द फाइनल चैप्टर’ की शूटिंग दक्षिण अफ्रीका
में चल रही है । रेजिडेंट ईविल
सीरीज की फ़िल्में सुपर पॉवर रखने वाली औरत की कहानी होने के बावजूद काफी लोकप्रिय
साबित हुई है । इसका श्रेय फिल्म में एलिस की भूमिका करने वाली अभिनेत्री मिला
जोवोविच को । उनके द्वारा किये गए एक्शन दर्शकों को सीट से चिपका देते हैं । एक्शन
की उत्तेजना से उनकी मुट्ठियाँ भिंची रहती है । मिला जोवोविच के एक्शन डबल का काम
करती है साउथ अफ्रीका की स्टंटवुमन ओलिविया जैक्सन । द फाइनल चैप्टर में भी
ओलिविया मिला के बॉडी डबल के बतौर स्टंट कर रही है । ऐसे ही एक स्टंट के दौरान
ओलिविया जैक्सन मोटर साइकिल स्टंट करते हुए गम्भीर रूप से घायल हो गई । वह मोटरसाइकिल
पर स्टंट करते समय कैमरा क्रेन से टकरा गई । उनके शरीर की कई हड्डियाँ टूट गई और
वह कोमा की स्थिति में चली गई । हालाँकि, साउथ अफ्रीका में ओलिविया को बढ़िया इलाज़
दिया जा रहा है, लेकिन उनकी हालत में फिलहाल कोई ख़ास सुधार नहीं है । ओलिविया ने रेजिडेंट
ईविल सीरीज की फिल्मों में एलिस की भूमिका में मिला जोवोविच के तमाम एक्शन किया
हैं । स्टार वार्स सीरीज की फिल्मों के स्टंट भी ओलिविया ने ही किये हैं । पिछले
दिनों उन्हें फिल्म 'मोर्टडेकाई' फिल्म में एक्ट्रेस ग्वीनेथ पाल्ट्रो और फिल्म मैड मैक्स :फ्यूरी रोड' में रोसिए हंटिंगटन के स्टंट डबल की भूमिका निबाही। वह मोटर साइकिल स्टंट की शौक़ीन हैं। उनके पति भी एक स्टंट मैन हैं।
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Friday, 6 November 2015
जब बेटे चार्ली शीन ने दिलाया पिता मार्टिन शीन को रोल
१९८७ में एक फिल्म रिलीज़ हुई थी 'वाल स्ट्रीट' । अमेरिका की आर्थिक बाजार वाल स्ट्रीट की अंदरुनी हकीकत को बयान करने वाली फिल्म 'वाल स्ट्रीट' का निर्देशन ओलिवर स्टोन ने किया था। यह फिल्म कहानी थी एक युवा स्टॉकब्रोकर बड फॉक्स की, जो सफलता पाने के लिए बेक़रार है। उसका आइडल गॉर्डोन गेक्को है। वह वाल स्ट्रीट का धनी, मगर निर्मम कॉर्पोरेट खिलाड़ी हैं। बड उसकी कंपनी में काम करना चाहता है। इंटरव्यू के दौरान बड कई बुद्धिमत्तापूर्ण चीज़े बताता है। लेकिन, गॉर्डोन प्रभावित नहीं होता। इस पर बड ब्लूस्टार एयरलाइन्स की उन अंदरूनी सूचनाओं को गॉर्डोन को बता देता है, जो उसने अपने पिता और एयरलाइन्स के यूनियन लीडर कार्ल से बातों बातों में सुनी थी। गॉर्डोन बड की आकाँक्षाओं को भांप जाता है। वह उसका इस्तेमाल करना चाहता है। गेक्को बड फॉक्स को अपने साथ शामिल कर लेता है। लेकिन, सिलसिला यहीं नहीं रुकता। गेक्को चाहता है कि बड फॉक्स उसे कुछ और अंदरुनी सूचना दिलवाए। चाहे इसके लिए बड को कुछ भी करना पड़े। इसके साथ ही मुश्किलों की शुरुआत हो जाती है। ओलिवर स्टोन गॉर्डोन गेक्को के रोल के लिए वारेन बीटी को लेना चाहते थे। लेकिन, वारेन ने मना कर दिया। फिर वह रिचर्ड गेर के पास गए। लेकिन अंततः इस रोल के लिए माइकल डगलस फाइनल हुए। बड फॉक्स का किरदार २२ साल के चार्ली शीन कर रहे थे। जब ओलिवर के सामने बड फॉक्स के पिता कार्ल फॉक्स के किरदार के लिए अभिनेता के चुनाव का सवाल उठा तो उन्होंने मार्टिन शीन पर छोड़ दिया कि वह जैक लेमन और अपने रियल लाइफ पिता मार्टिन शीन में से किसी को चुन ले। चार्ली शीन ने अपने रियल पिता को रील के लिए भी चुन लिया। चार्ली ने मार्टिन का चुनाव इस लिए किया था कि मार्टिन में भी वही नैतिकता थी, जो कार्ल के करैक्टर में थी।
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
क्या पाकिस्तान फिल्म इंडस्ट्री में सांस ले पायेगा बॉलीवुड का बादशाह खान !
शाहरुख़ खान से लोग कह रहे हैं कि पाकिस्तान चले जाओ। शाहरुख़ खान गाना-बजाना करने और नाचने वाला एक्टर है। उसकी साल में औसतन दो फ़िल्में रिलीज़ होती हैं। अगर वह पकिस्तान धर्म के लिहाज़ से न सही, एक्टर के लिहाज़ से चला जाये तो वह वहाँ क्या करेगा! एक्टिंग ही न। आइये जान लेते हैं पाकिस्तानी फिल्म इंडस्ट्री का हाल। आजादी से पहले हिन्दुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री मुख्य रूप से लाहौर में केन्द्रित थी। इसीलिए, आज की भाषा में पाकिस्तानी इंडस्ट्री को लोलिवुड कहा जाता है। पाकिस्तान की पहली फिल्म १९२८ में बनाई गई। इस फिल्म का नाम डॉटर ऑफ़ टुडे था। पाकिस्तान की पहली पंजाबी फिल्म शीला (पिंड दि कुड़ी) लाहौर में नहीं, बल्कि कलकत्ता में के डी मेहरा ने बनाई थी। पाकिस्तान बनने के बाद गैर मुस्लिम कलाकारों का पाकिस्तान से भागने का सिलसिला शुरू हो गया। अभिनेत्री शहनाज़ बेगम को इसलिए पाकिस्तान से भागना पड़ा, क्योंकि उनकी मातृ भाषा बंगाली थी और उनका रंग काला था। पार्टीशन के दौरान संगीतकार ओ पी नय्यर पर हमला हुआ। एक मुसलमान पडोसी ने उनकी जान बचाई। वह भारत भाग आये। १९५५ में शीला रमानी और मीना शोरी अपने 'वतन' पाकिस्तान गई। शीला रमानी का जल्द ही पाकिस्तान से मोह भंग हो गया। वह हिंदुस्तान वापस आ गई। लेकिन, मीना शोरी वापस नहीं आई। विडम्बना देखिये की अविभाजित भारत की इस पॉपुलर एक्ट्रेस की १९८९ में मौत हुई तो उनको दफनाने के लिए पैसे नहीं थे। १९७१ से पहले पाकिस्तान में लाहौर, कराची और ढाका में फिल्मों का निर्माण होता था। १९७१ में बांगलादेश बनने के बाद ढाका अलग हो गया। पाकिस्तान में मुख्य रूप से उर्दू भाषा में फिल्मे बनाई जाती हैं। पंजाबी, पश्तो, बलूची और सिन्धी भाषा में भी फ़िल्में बनाई जाती है। पाकिस्तानी फिल्म उद्योग हमेशा से इस्लामिक एजेंडा का शिकार होता रहा है। जनरल जिया-उल- हक के शासन काल में इस पर काफी प्रतिबन्ध थोपे गए। नतीजे के तौर पर फिल्म इंडस्ट्री का ख़ास तौर पर प्रोडक्शन और एक्सिबिशन सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ। नतीजे के तौर पर कभी साल में ८० फ़िल्में बनाने वाला लोलिवुड मुश्किल से दो फ़िल्में बनाने लगा। सिनेमाघर बंद होते चले गए। साठ के दशक में जिस कराची में १०० सिनेमाघर हुआ करते थे और यह सेंटर १०० फिल्मे बनाया करता था, सत्तर के दशक में उसी कराची में दसेक सिनेमाघर ही बचे रह सके। २००२ से सिनेमाघरों को खोले जाने का प्रयास किया जाने लगा। सिनेप्लेक्स के ज़रिये स्क्रीन बढ़ाने की कोशिशें जारी है। वर्तमान में (२००९) पाकिस्तान में ३१९ सिनेमाघर हैं। पाकिस्तानी फिल्म उद्योग साल में १५ फ़िल्में ही बना पाता है। बताते हैं कि एक समय सिनेमाघरों से दूर हो गए दर्शक २०१० में सलमान खान की फिल्म दबंग की रिलीज़ के बाद वापस आने लगे। पाकिस्तान में बॉलीवुड फिल्मों के लिए टिकट दरें ३००-५०० की रेंज में रखी जाती हैं। बॉलीवुड की फ़िल्में दुनिया के जिन ९० देशों में रिलीज़ होती है, वहाँ घुसने की कल्पना तो पाकिस्तानी फ़िल्में करती भी नहीं हैं। पाकिस्तान की सबसे ज़्यादा कमाई करने वाली फिल्म १९१५ में रिलीज़ जवानी फिर न आनी' है। इस फिल्म ने ३७ करोड़ का बिज़नेस किया है। पाकिस्तान की केवल सात फिल्मे ही १० करोड़ से ज़्यादा का बिज़नेस कर सकी है। पाकिस्तान में अगर कोई फिल्म १० करोड़ कमा ले जाती है तो वह भारतीय फिल्मों के १०० करोड़ में शामिल मानी जाती है। ज़ाहिर है कि पाकिस्तान में १० करोड़ का इलीट क्लब बना हुआ है।
इसे पढने के बाद आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पाकिस्तानी आर्टिस्ट भारत की और क्यों भागते हैं। ऐसे में अगर हफ़ीज़ सईद के बुलावे पर 'असहिष्णुता' का शिकार शाहरुख़ खान पाकिस्तान चला जाये तो वह वहां क्या धोएगा, क्या निचोड़ेगा और क्या ख़ाक सुखायेगा। खुद सूख जायेगा। अगर शाहरुख़ खान इसे सोच ले तो उसका दम पाकिस्तान से दूर मुंबई में मन्नत में बैठे बैठे ही घुट जायेगा।
इसे पढने के बाद आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि पाकिस्तानी आर्टिस्ट भारत की और क्यों भागते हैं। ऐसे में अगर हफ़ीज़ सईद के बुलावे पर 'असहिष्णुता' का शिकार शाहरुख़ खान पाकिस्तान चला जाये तो वह वहां क्या धोएगा, क्या निचोड़ेगा और क्या ख़ाक सुखायेगा। खुद सूख जायेगा। अगर शाहरुख़ खान इसे सोच ले तो उसका दम पाकिस्तान से दूर मुंबई में मन्नत में बैठे बैठे ही घुट जायेगा।
सबसे ज्यादा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन करने वाली पाकिस्तानी फिल्म 'जवानी फिर नहीं आनी' |
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सरहद पार
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Thursday, 5 November 2015
जेनिफर एनिस्टन और डेमी मूर से प्रेरित हुई 'मस्तीज़ादे' की सनी लियॉन
दिसंबर में रिलीज़ होने जा रही सनी लियॉन की फिल्म 'मस्तीज़ादे' में दर्शकों को सनी लियॉन की डबल मस्ती देखने को मिलेगी। इस फिल्म में सनी लियॉन दोहरी भूमिका में हैं। वह फिल्म में दो बहनों हॉट और सेक्सी लैला लेले और सुन्दर मगर मूर्ख लिली लेले की भूमिकाएं कर रही हैं। हालाँकि, लिली लेले बेवक़ूफ़ किस्म की है, इसके बावजूद वह अपनी बहन के साथ मिल कर स्ट्रिपटीज़ डांस करते हुए वीर दास और तुषार कपूर को ललचाते हुए नज़र आएंगी। चूंकि, एक सनी के यह दो किरदार हैं तो स्वाभाविक रूप से इनमे उन्हें फर्क रखना ही होगा। सनी लियॉन ने दो बहनों के इस फर्क को फिल्म में अपने स्ट्रिपटीज़ डांस में भी कायम रखा है। उन्होंने, जहाँ लैला लेले की स्ट्रिपटीज़ डांस की शैली फिल्म 'वी आर द मिलरस' में जेनिफर एनिस्टन के स्ट्रिपटीज़ डांस वाली रखी हैं, वहीँ लिली लेले का स्ट्रिपटीज़ डांस फिल्म 'स्ट्रिपटीज़' में डेमी मूर के स्ट्रिपटीज़ की शैली में किया है। 'मस्तीज़ादे' फिल्मों के कथा-पटकथा लेखक मिलाप जावेरी की बतौर निर्देशक दूसरी फिल्म है। उनकी पहली फिल्म 'जाने कहाँ से आई है' बॉक्स ऑफिस पर असफल हुई थी। इसलिए, 'ग्रैंड मस्ती' के इस लेखक मिलाप कामुक हावभाव और द्विअर्थी संवादों वाली फिल्म से हिंदी फिल्म दर्शकों को आकर्षित करने की कोशिश कर रहे हैं। इस दो बहनों के स्ट्रिपटीज़ डांस सीक्वेंस के बारे में मिलाप जावेरी बताते हैं, "मैंने जब सनी लियॉन को यह सीक्वेंस सुनाया तो उनकी आँखों के सामने जेनिफर एनिस्टन और डेमी मूर के स्ट्रिपटीज़ डांस सीक्वेंस घूम गए। मैं इस सीक्वेंस से चकित कर देने वाला प्रभाव चाहता था। सनी लियॉन ने ज़बरदस्त डांस किये हैं।" मस्तीज़ादे पिछले दो सालों से बनती रुकती और बनती फिल्म है। इस फिल्म में सनी लियॉन, वीर दास और तुषार कपूर के अलावा रितेश देशमुख का एक्सटेंडेड कैमिया है।
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ये ल्लों !!!
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अपनी फिल्मों को प्रचार दिलाने की एसआरके की 'असहिष्णुता' साज़िश !
शाहरुख़ खान और उनके माय नाम इज खान, बट आई एम नॉट टेररिस्ट टाइप के विवादों का चोली दामन का नाता है। इसे यों कहा जा सकता है कि वह इन विवादों से खुद का नाता ज़बरन जोड़ लेते हैं, बशर्ते कि उनकी कोई नई फिल्म रिलीज़ होने जा रही हो। वैसे यह बात आमिर खान पर भी लागू होती हैं। लेकिन, यहाँ सिर्फ शाहरुख़ खान की बात ही करते हैं। शाहरुख़ खान और लश्कर ए तैयबा के फाउंडर हफ़ीज़ सईद का पुराना नाता है। २०१३ में शाहरुख़ खान ने 'आउटलुक टर्निंग पॉइंट' को दिए इंटरव्यू में शाहरुख़ खान ने एक बार फिर खुद को मुसलमान बताते हुए, यह आरोप लगाया कि लोग मेरा हिंदुस्तान के बजाय पाकिस्तान से नाता जोड़ देते हैं। जबकि, शाहरुख़ खान के पारिवारिक परिचय से पता चलता है कि उनके पिता अविभाजित भारत के पेशावर से थे, जो इस समय पाकिस्तान में है। खान के इस कंट्रोवर्सियल बयान के बाद पाकिस्तान से हफ़ीज़ सईद की आवाज़ बुलंद हुई कि अगर शाहरुख़ खान खुद को भारत में असुरक्षित महसूस करते हैं, तो पाकिस्तान में आ सकते हैं। अब यह बात दीगर है कि २०१३ में खान की फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' रिलीज़ हुई। फिल्म इंडस्ट्री में सबसे ज़्यादा झगड़ालू शाहरुख़ खान ही हैं। सलमान खान, आमिर खान, शिरीष कुंदर, अभिजीत भट्टाचार्य (कभी अभिजीत फिल्मों में शाहरुख़ की आवाज़ हुआ करते थे), प्रियंका चोपड़ा, अमिताभ बच्चन और अमर सिंह, आदि के साथ शाहरुख़ खान पंगा लेते रहते हैं। लेकिन, जब उनकी कोई फिल्म रिलीज़ होने को होती है तो वह खुद को खान घोषित करते हुए यह भी कहते हैं, "आई एम नॉट टेररिस्ट" (भाई तुमको टेररिस्ट कहा किसने) . फरवरी २०१० को शाहरुख़ खान की करण जौहर निर्देशित फिल्म 'माय नाम इज खान' रिलीज़ होने को थी। उस दौरान फिल्म की शूटिंग तेज़ी पर थी। शाहरुख़ खान आम तौर पर अपनी फिल्म का प्रचार छह महीना पहले से ही शुरू कर देते हैं। जैसे अभी से रईस और फैन का प्रचार शुरू हो चूका है। जबकि, यह फ़िल्में अगले साल जुलाई और अप्रैल में रिलीज़ होनी है। शाहरुख़ खान ने २००९ में यह सुर्रा छोड़ा कि अगस्त २००९ में उन्हें नेवार्क एयरपोर्ट पर दो घंटे तक रोके रखा, क्योंकि मेरे नाम के साथ खान लगा है। जबकि वास्तविकता यह थी कि अमेरिका में ऎसी तलाशिया होती रहती हैं। उत्तर प्रदेश के एक मंत्री आज़म खान भी इसका शिकार हो चुके हैं। खान ने इस घटना को अपने पीआर और मीडिया के दोस्तों के ज़रिये खूब भुनाया। कुछ इसी प्रकार का सुर्रा, इसी एयरपोर्ट पर पहुँच कर खान ने अप्रैल २०१० में फिर छोड़ा और खुद को बड़ा स्टार साबित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अब इसे इत्तेफ़ाक़ तो नहीं ही कहा जायेगा। ध्यान दें तो शाहरुख़ खान किसी एक्टर या को स्टार के साथ ज़बरदस्ती झगड़ा मोल लेकर प्रचार जुटाते हैं। अपनी फिल्म 'जब तक हैं' जान को उन्होंने जानबूझ कर अजय देवगन की फिल्म 'सन ऑफ़ सरदार' के सामने ला खड़ा किया। यह विवाद कोर्ट तक पहुंचा। २०१३ को आउटलुक को दिया इंटरव्यू फिल्म 'चेन्नई एक्सप्रेस' को प्रचार दिलाने के मक़सद से ही दिया गया था। दिवाली २०१४ में शाहरुख़ खान की फिल्म 'हैप्पी न्यू ईयर' रिलीज़ होनी थी। यह साल लोकसभा चुनाव का वर्ष था। बीजेपी को बढ़त साफ़ नज़र आ रही थी। नरेंद्र मोदी के खिलाफ सांप्रदायिक प्रचार धूर्तता की हद तक हो रहा था। ऐसे समय में शाहरुख़ खान ने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया। खान का विवादित बयान सामने आया कि अगर नरेंद्र मोदी जीते तो मैं हिंदुस्तान छोड़ दूंगा। यह उनका अपनी फिल्म को प्रचार देने का शोशा इसलिए था कि खान ने न तो इसका खंडन किया, न ही वह देश छोड़ कर गए। इस बार भी खान की फिल्म 'दिलवाले' डेढ़ महीने बाद रिलीज़ होने वाली है। खान ने अपनी यह फिल्म भी संजय लीला भंसाली को छेड़ने के लिए पहले से तय फिल्म 'बाजीराव मस्तानी ' की रिलीज़ डेट को ही रिलीज़ करने की घोषणा कर दी। चूंकि, प्रचार के मामले में संजयलीला भंसाली काफी आगे निकल गए हैं, इसलिए शाहरुख़ खान ने फिर खुद के खान होने और देश में असहिष्णुता का राग अलाप दिया। यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि मामला सिर्फ 'दिलवाले' को प्रचार दिलाने का नहीं, बल्कि ईडी की उन नोटिसों का भी है, जो उन्हें और उनकी पत्नी को आईपीएल के ज़रिये फेमा के उल्लंघन पर पूछताछ के लिए भेजी गई थी तथा जिसमे अगर खान फंस गए तो उन्हेंऔर उनकी बीवी को जेल जाने से कोई नहीं बचा सकता। इसलिए सरकार पर दबाव और प्रचार का दोहरा लाभ पाने के लिए शाहरुख़ खान ने असहिष्णुता की घी भरी कड़ाही में अपनी उंगली या सर नहीं डाला बल्कि, खुद को पूरी तरह से डुबो दिया।
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सोनाली बेंद्रे बतायेंगी कि कौन बेस्ट ड्रामेबाज़ !
कुछ समय पहले टीवी सीरियल 'अजीब दास्तान है यह' से टीवी दर्शकों के दिलों में जगह बनाने वाली सोनाली बेंद्रे अब पूरी तरह से टीवी शोज में रम गई लगती हैं। तभी तो वह एक रियलिटी टीवी शो में फिर से ड्रामेबाज़ की खोज करती नज़र आयेंगी। पोपुलर रियलिटी शो 'इंडियाज बेस्ट ड्रामेबाज़' के दूसरे सीजन में सोनाली बेन्द्र एक बार फिर बेस्ट ड्रामेबाज़ चुनने के लिए इस शो को जज करने जा रही है। इस शो में बच्चों के एक्टिंग टैलेंट को जांचा परखा जाता है उसमे से श्रेष्ठ को चुना जाता है। इस शो के पिछले सीजन में श्रेष्ठ बाल प्रतिभाओं के प्रदर्शन ने सोनाली बेंद्रे को बहुत प्रभावित किया था। वह कहती है, "अजीब दास्ताँ है ये' की शूटिंग में बेहद व्यस्त रहने के बाद मैं कुछ दिन आराम करना चाहती थी। अपने बेटे रणवीर और परिवार को समय देना चाहती थी। लेकिन, चूंकि यह ड्रामेबाज़ था, इसलिए मैंने इस जज करना मंज़ूर कर लिया। वैसे रियलिटी शो मेरे लिए उपयुक्त है। क्योंकि, मुझे ऐसे शोज को शूट करने के लिए महीने में पांच या छः दिन ही देने होंगे। "
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Television
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फिर साथ साथ रजनीकांत और अमिताभ बच्चन !
दक्षिण में खबरे गर्म हैं कि २०१० की तमिल ब्लॉकबस्टर फिल्म 'एंधीरन' की सीक्वल फिल्म 'एंधिरन २' में रजनीकांत के साथ अमिताभ बच्चन नज़र आ सकते हैं। शंकर द्वारा निर्देशित फिल्म 'एंधिरन' को हिंदी में 'रोबोट' शीर्षक के साथ रिलीज़ किया गया था। अब इसके सीक्वल पर काम किया जा रहा है। पिछले दिनों, यह खबर गर्म थी कि शंकर 'एंधिरन २' के मुख्य विलेन के लिए हॉलीवुड के एक्शन स्टार अर्नाल्ड श्वार्ज़नेगर को लेना चाहते हैं। लेकिन, पता चला है कि अर्नाल्ड ने जो शर्ते रखी हैं उसे पूरी करना शंकर के वश की बात नहीं है। अर्नाल्ड ने 'एंधिरन २' का मुख्य विलेन बनने के लिए शर्त रखी है कि पहले फिल्म की स्क्रिप्ट को किसी हॉलीवुड स्क्रिप्ट राइटर से फिर लिखवाया जाये । उन्होंने फिल्म में काम करने की एवज में १०० करोड़ का पारिश्रमिक भी मांगा है। ज़ाहिर है कि सुपर स्टार रजनीकांत को ध्यान में लिखी गई फिल्म की स्क्रिप्ट को अर्नाल्ड की शर्त के अनुसार बदला जाना संभव नहीं है। एक सौ करोड़ का पारिश्रमिक तो बहुत बाद की बात है। अर्नाल्ड के बाद अमिताभ बच्चन को फिल्म में लिए जाने की चर्चा भी ज़ोरों पर है। शंकर ने अमिताभ बच्चन से कांटेक्ट कर फिल्म में काम करने का ऑफर किया। बताते हैं कि अमिताभ बच्चन अपने अच्छे मित्र तथा अंधा कानून और गिरफ्तार जैसी फिल्मों के को-स्टार रजनीकांत के साथ फिल्म करने के इच्छुक भी हैं। यहाँ याद दिला दें कि 'एंधिरन' में रजनीकांत की नायिका अमिताभ बच्चन की बहु ऐश्वर्या राय बच्चन थी। लेकिन, 'एंधिरन २' में ससुर-बहु टकराव नहीं होने जा रहा। क्योंकि, 'एंधिरन २' में रजनीकांत की नायिका एमी जैक्सन हैं। इस विज्ञानं फंतासी फिल्म के शुरू होने का ऐलान १२ दिसंबर को रजनीकांत के जन्मदिन पर क्या जायेगा। इस फिल्म को ३ डी तकनीक से बनाया जायेगा।
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साउथ सिनेमा
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
एक थी अजूरी
भारतीय सिनेमा के शुरूआती यहूदी सितारों की परंपरा में अज़ूरी भी थी। उनका पूरा नाम अन्ना मारिए गुएजलोर था। वह बेंगलोर में १९०७ में पैदा हुई। वह हिंदी फिल्मों की नर्तकी अभिनेत्री थी। अज़ूरी ने बहुत फ़िल्में नहीं की। वह ज़्यादा फिल्मों की नायिका भी नहीं बनी। उन्होंने 'जजमेंट ऑफ़ अल्लाह', 'जवानी की हवा', 'चंद्रसेना', 'सुनहरा संसार', 'लग्न बंधन', 'भूकैलाश', 'नया संसार', शेख चिल्ली', तस्वीर', 'रतन', 'शाहजहाँ', 'परवाना', आदि १६ फिल्मों में बतौर नर्तकी अभिनेत्री किरदार किये। वास्तविकता तो यह है कि अज़ूरी की पहचान भी हिंदी फिल्मों की नर्तकी अभिनेत्रियों के बतौर ही है। हिंदी फिल्मों की आइटम डांसर या कैबरे डांसर के बतौर हेलेन को याद किया जाता है। हेलेन कुकु की देन थी। कुकु ने हिंदी फिल्म निर्माताओं का परिचय हेलेन से करवाया। कुकु के हिंदी फिल्मों में नृत्य गीत फिल्मों को हिट बनाने की गारंटी हुआ करते थे। लेकिन, कुकु भी हिंदी फिल्मों की पहली डांसर अभिनेत्री नहीं थी। फिल्मों को आवाज़ मिलने के बाद, हिंदी फिल्मों की पहली डांसर अज़ूरी थी। तीस और चालीस के दशक में अज़ूरी की तूती बोला करती थी। सच कहा जाए तो भारतीय और पाकिस्तानी फिल्मों में अज़ूरी ने अपने नृत्यों को इतना पॉपुलर बनाया कि फिल्मों में अज़ूरी का डांस होना ज़रूरी हो गया था । उनकी पहली फिल्म 'नादिरा' १९३४ में रिलीज़ हुई थी। अज़ूरी की माँ हिन्दू ब्राह्मण थी और पिता एक जर्मन यहूदी डॉक्टर । अज़ूरी ने एक मुसलमान से शादी की थी। देश के बंटवारे के बाद अज़ूरी पाकिस्तान नहीं गईं। लेकिन, १९६० में वह पाकिस्तान चली गई। अलबत्ता, उनकी दो बहने भारत में ही रह गई। उन्होंने पाकिस्तान में भी झूमर जैसी फिल्मों में अभिनय किया। उनकी आखिरी भारतीय फिल्म बहना थी, जो १९६० में रिलीज़ हुई। अज़ूरी की मृत्यु १९९८ में ९० साल की उम्र में हुई। अज़ूरी की बदौलत हिंदी फिल्मों में डांसर अभिनेत्रियों का जन्म हुआ। कुकु, हेलेन, सीमा वाज, शशिकला, बिंदु, आदि के लिए हिंदी फिल्मों की राह खोलने वाली अज़ूरी ही थी। कुकु तो अज़ूरी के डांस से काफी प्रेरित थी।
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हस्तियां
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सीले हुए पटाखों से निकला 'असहिष्णुता' का धुंवा !
हिन्दुओं की असहिष्णुता को लेकर अपने अवार्ड लौटने वाले फिल्मकारों की हकीकत-
आनंद पटवर्धन को डाक्यूमेंट्री 'जय भीम कामरेड' बनाने में १४ साल लगे. यह डाक्यूमेंट्री २०११ में दिखाई गई. इसके बाद से सन्नाटा है.
कुंदन शाह की फुल लेंग्थ फिल्म 'एक से बढ़ कर एक' २००४ में रिलीज़ हुई. इसके १० साल बाद उनकी एक वैश्या के प्रधान मंत्री बनने के कथानक पर घटिया फिल्म 'पी से पीएम तक' २०१४ में रिलीज़ हुई. इस फिल्म से बेहतर तो मलिका शेरावत की फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' ज्यादा बेहतर थी .इस कथित इन्टेलेक्ट की यह फिल्म शायद खुद उनके, समीक्षकों और उनके दोस्तों के अलावा किसी ने भी नहीं देखी.
कुंदन शाह के दोस्त सईद अख्तर मिर्ज़ा तो १९९५ में 'नसीम' बनाने के बाद सन्नाटे में आ गए. बीस साल में वह केवल एक फिल्म 'एक ठो चांस' ही बना सके, जिसे एक ठो दर्शक ने भी नहीं देखा.
उपरोक्त से ज़ाहिर है कि उपरोक्त फिल्मकार विदेशी शोहरत के सहारे अभी टिके हुए हैं और जिनकी प्रतिभा का सूखा तो दसियों साल से पडा हुआ है. यह तो सहिष्णु माहौल में तक एक्को फिल्म न बना सके. वह अब इसके अलावा और कर ही क्या सकते हैं!
कुछ फिल्मकार जो सक्रिय हैं, उनके हकीकत पढ़िए-
खोसला का घोसला की फ्लूक कामयाबी के सहारे इन्टेलेक्ट बने दिबाकर बनर्जी ने लव सेक्स एंड धोखा जैसे गटर में गोता लगाया. शंघाई और डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी जैसी टोटल वाशआउट फ़िल्में बनाई. इधर उनकी 'तितली' रिलीज़ होने वाली थी. इसे प्रचार दिलाने के लिए उन्होंने वह पुरस्कार लौटा दिया, जो उनका था नहीं. खोसला का घोसला के निर्माता दिबाकर नहीं थे तो वह यह पुरस्कार कैसे लौटा सकते थे. यह धोखाधड़ी का मामला ही तो है.
आनंद पटवर्धन को डाक्यूमेंट्री 'जय भीम कामरेड' बनाने में १४ साल लगे. यह डाक्यूमेंट्री २०११ में दिखाई गई. इसके बाद से सन्नाटा है.
कुंदन शाह की फुल लेंग्थ फिल्म 'एक से बढ़ कर एक' २००४ में रिलीज़ हुई. इसके १० साल बाद उनकी एक वैश्या के प्रधान मंत्री बनने के कथानक पर घटिया फिल्म 'पी से पीएम तक' २०१४ में रिलीज़ हुई. इस फिल्म से बेहतर तो मलिका शेरावत की फिल्म 'डर्टी पॉलिटिक्स' ज्यादा बेहतर थी .इस कथित इन्टेलेक्ट की यह फिल्म शायद खुद उनके, समीक्षकों और उनके दोस्तों के अलावा किसी ने भी नहीं देखी.
कुंदन शाह के दोस्त सईद अख्तर मिर्ज़ा तो १९९५ में 'नसीम' बनाने के बाद सन्नाटे में आ गए. बीस साल में वह केवल एक फिल्म 'एक ठो चांस' ही बना सके, जिसे एक ठो दर्शक ने भी नहीं देखा.
उपरोक्त से ज़ाहिर है कि उपरोक्त फिल्मकार विदेशी शोहरत के सहारे अभी टिके हुए हैं और जिनकी प्रतिभा का सूखा तो दसियों साल से पडा हुआ है. यह तो सहिष्णु माहौल में तक एक्को फिल्म न बना सके. वह अब इसके अलावा और कर ही क्या सकते हैं!
कुछ फिल्मकार जो सक्रिय हैं, उनके हकीकत पढ़िए-
खोसला का घोसला की फ्लूक कामयाबी के सहारे इन्टेलेक्ट बने दिबाकर बनर्जी ने लव सेक्स एंड धोखा जैसे गटर में गोता लगाया. शंघाई और डिटेक्टिव ब्योमकेश बख्शी जैसी टोटल वाशआउट फ़िल्में बनाई. इधर उनकी 'तितली' रिलीज़ होने वाली थी. इसे प्रचार दिलाने के लिए उन्होंने वह पुरस्कार लौटा दिया, जो उनका था नहीं. खोसला का घोसला के निर्माता दिबाकर नहीं थे तो वह यह पुरस्कार कैसे लौटा सकते थे. यह धोखाधड़ी का मामला ही तो है.
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