भारतीय सिनेमा के शुरूआती यहूदी सितारों की परंपरा में अज़ूरी भी थी। उनका पूरा नाम अन्ना मारिए गुएजलोर था। वह बेंगलोर में १९०७ में पैदा हुई। वह हिंदी फिल्मों की नर्तकी अभिनेत्री थी। अज़ूरी ने बहुत फ़िल्में नहीं की। वह ज़्यादा फिल्मों की नायिका भी नहीं बनी। उन्होंने 'जजमेंट ऑफ़ अल्लाह', 'जवानी की हवा', 'चंद्रसेना', 'सुनहरा संसार', 'लग्न बंधन', 'भूकैलाश', 'नया संसार', शेख चिल्ली', तस्वीर', 'रतन', 'शाहजहाँ', 'परवाना', आदि १६ फिल्मों में बतौर नर्तकी अभिनेत्री किरदार किये। वास्तविकता तो यह है कि अज़ूरी की पहचान भी हिंदी फिल्मों की नर्तकी अभिनेत्रियों के बतौर ही है। हिंदी फिल्मों की आइटम डांसर या कैबरे डांसर के बतौर हेलेन को याद किया जाता है। हेलेन कुकु की देन थी। कुकु ने हिंदी फिल्म निर्माताओं का परिचय हेलेन से करवाया। कुकु के हिंदी फिल्मों में नृत्य गीत फिल्मों को हिट बनाने की गारंटी हुआ करते थे। लेकिन, कुकु भी हिंदी फिल्मों की पहली डांसर अभिनेत्री नहीं थी। फिल्मों को आवाज़ मिलने के बाद, हिंदी फिल्मों की पहली डांसर अज़ूरी थी। तीस और चालीस के दशक में अज़ूरी की तूती बोला करती थी। सच कहा जाए तो भारतीय और पाकिस्तानी फिल्मों में अज़ूरी ने अपने नृत्यों को इतना पॉपुलर बनाया कि फिल्मों में अज़ूरी का डांस होना ज़रूरी हो गया था । उनकी पहली फिल्म 'नादिरा' १९३४ में रिलीज़ हुई थी। अज़ूरी की माँ हिन्दू ब्राह्मण थी और पिता एक जर्मन यहूदी डॉक्टर । अज़ूरी ने एक मुसलमान से शादी की थी। देश के बंटवारे के बाद अज़ूरी पाकिस्तान नहीं गईं। लेकिन, १९६० में वह पाकिस्तान चली गई। अलबत्ता, उनकी दो बहने भारत में ही रह गई। उन्होंने पाकिस्तान में भी झूमर जैसी फिल्मों में अभिनय किया। उनकी आखिरी भारतीय फिल्म बहना थी, जो १९६० में रिलीज़ हुई। अज़ूरी की मृत्यु १९९८ में ९० साल की उम्र में हुई। अज़ूरी की बदौलत हिंदी फिल्मों में डांसर अभिनेत्रियों का जन्म हुआ। कुकु, हेलेन, सीमा वाज, शशिकला, बिंदु, आदि के लिए हिंदी फिल्मों की राह खोलने वाली अज़ूरी ही थी। कुकु तो अज़ूरी के डांस से काफी प्रेरित थी।
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