सितारों की ज़िन्दगी
में झांकने, वह फिल्म की शूटिंग के बाद क्या करते हैं, कहाँ जाते हैं, किसके साथ
घूमते फिरते हैं, आदि आदि बातों का ज़िक्र होते ही आँखों के सामने गॉसिप मैगज़ीन ‘स्टारडस्ट’
का लेटेस्ट कवर घूम जाता है। इसके साथ ही, पैंतालिस साल पहले हिंदी फिल्म स्टार्स की ज़िन्दगी
को बेपर्दा कर देने वाली अंग्रेजी फिल्म मासिक ‘स्टारडस्ट’ के संस्थापक नारी हिरा
का नाम भी याद आ जाता है। नारी हिरा ने बम्बइया फिल्म पत्रकारिता का जैसे चेहरा
ही बदल दिया था। उस समय कोई सोच भी नहीं सकता था कि कोई मैगज़ीन किसी फिल्म स्टार
की ज़िन्दगी में इतने बेबाकी से झाँकेगी, उस के निजी जीवन की बेशर्म सच्चाइयों को उस आम फिल्म प्रेमी को बताएगी, जो अपने
पसंदीदा सितारे को ईश्वर की तरह पूजता है। नारी हिरा को एक मैगज़ीन के जरिया ऐसा करने का विचार उस समय आया, जब वह उस दौर की एक
लोकप्रिय फिल्म पत्रिका ‘फिल्मफेयर’ के एक अंक को देख कर। मैगज़ीन में इस उस समय की लोकप्रिय
फिल्म अभिनेत्रियों साधना, आशा पारेख और वहीदा रहमान को मुंबई के जुहू बीच पर रेत के किले बनाते दिखाया गया था। यह
अभिनेत्रियाँ मैगज़ीन के पत्रकार से अपनी फिल्मों के बारे में बात कर रही थी। नारी हिरा को लगा क्या
मज़ाक है ! यह क्यों नहीं जाना जाता कि यह अभिनेत्रियाँ फिल्म की शूटिंग के बाद
क्या करती हैं। उनके जीवन की सच्चाइयों को क्यों नहीं बताया जाता ! इसके साथ ही ‘स्टारडस्ट’ का जन्म हुआ। दरअसल, नारी हिरा हॉलीवुड की
तीसवे और चालीसवे दशक में निकलने वाली फिल्म मैगज़ीन ‘फोटोप्ले’ जैसी कोई पत्रिका
निकालना चाहते थे। उन्होंने किया भी ऐसा ही। उस समय राजेश खन्ना का सितारा बुलंदी पर था। नारी हिरा मैगज़ीन के लॉन्चिंग अंक की कवर स्टोरी का हीरो राजेश खन्ना को ही बनाना चाहते थे। उस समय
अंजू महेन्द्रू का राजेश खन्ना के साथ रोमांस चल रहा था। नारी हिरा अंजू
महेन्द्रू को जानते थे। उन्होंने अंजू से कहा कि मैं अपनी मैगज़ीन के लिए स्टोरी
करना चाहता हूँ। उन्होंने पूछा कि क्या तुम बताओगी कि क्या तुम दोनों शादी करना चाहते हो या सिर्फ रोमांस ही करोगे ? अंजू को
नारी हिरा की स्टोरी का यह आईडिया पसंद आया। अंजू ने जवाब दिया मैं आपको यह तो
नहीं बताने जा रही कि हम दोनों ने गुप्त रूप से शादी कर ली है या नहीं। लेकिन
बाकी सब कुछ बताऊंगी। अक्टूबर १९७१ में स्टारडस्ट का पहला अंक बाज़ार में आया। कवर स्टोरी थी- इज
राजेश खन्ना सीक्रेटली मैरिड ? यह अंक अक्टूबर के पहले हफ्रते में बाज़ार में आया। इसके साथ ही
बॉम्बे की फिल्म पत्रकारिता का चरित्र ही बदल गया।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday, 4 November 2015
नारी हिरा : फिल्म पत्रकारिता का चेहरा बदल देने वाला 'हीरा'
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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