१९८७ में एक फिल्म रिलीज़ हुई थी 'वाल स्ट्रीट' । अमेरिका की आर्थिक बाजार वाल स्ट्रीट की अंदरुनी हकीकत को बयान करने वाली फिल्म 'वाल स्ट्रीट' का निर्देशन ओलिवर स्टोन ने किया था। यह फिल्म कहानी थी एक युवा स्टॉकब्रोकर बड फॉक्स की, जो सफलता पाने के लिए बेक़रार है। उसका आइडल गॉर्डोन गेक्को है। वह वाल स्ट्रीट का धनी, मगर निर्मम कॉर्पोरेट खिलाड़ी हैं। बड उसकी कंपनी में काम करना चाहता है। इंटरव्यू के दौरान बड कई बुद्धिमत्तापूर्ण चीज़े बताता है। लेकिन, गॉर्डोन प्रभावित नहीं होता। इस पर बड ब्लूस्टार एयरलाइन्स की उन अंदरूनी सूचनाओं को गॉर्डोन को बता देता है, जो उसने अपने पिता और एयरलाइन्स के यूनियन लीडर कार्ल से बातों बातों में सुनी थी। गॉर्डोन बड की आकाँक्षाओं को भांप जाता है। वह उसका इस्तेमाल करना चाहता है। गेक्को बड फॉक्स को अपने साथ शामिल कर लेता है। लेकिन, सिलसिला यहीं नहीं रुकता। गेक्को चाहता है कि बड फॉक्स उसे कुछ और अंदरुनी सूचना दिलवाए। चाहे इसके लिए बड को कुछ भी करना पड़े। इसके साथ ही मुश्किलों की शुरुआत हो जाती है। ओलिवर स्टोन गॉर्डोन गेक्को के रोल के लिए वारेन बीटी को लेना चाहते थे। लेकिन, वारेन ने मना कर दिया। फिर वह रिचर्ड गेर के पास गए। लेकिन अंततः इस रोल के लिए माइकल डगलस फाइनल हुए। बड फॉक्स का किरदार २२ साल के चार्ली शीन कर रहे थे। जब ओलिवर के सामने बड फॉक्स के पिता कार्ल फॉक्स के किरदार के लिए अभिनेता के चुनाव का सवाल उठा तो उन्होंने मार्टिन शीन पर छोड़ दिया कि वह जैक लेमन और अपने रियल लाइफ पिता मार्टिन शीन में से किसी को चुन ले। चार्ली शीन ने अपने रियल पिता को रील के लिए भी चुन लिया। चार्ली ने मार्टिन का चुनाव इस लिए किया था कि मार्टिन में भी वही नैतिकता थी, जो कार्ल के करैक्टर में थी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Friday 6 November 2015
जब बेटे चार्ली शीन ने दिलाया पिता मार्टिन शीन को रोल
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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