Sunday 29 September 2013

जोया अख्तर और फरहान अख्तर के जीवन पर जोया की फिल्म

 
एक युवा अभिनेता के Bollywood का सफल सितारा बनने की दास्तान पर लक बाइ चान्स से अपना कैरियर शुरू करने वाली जोया अख्तर अब आत्मकथन पर फिल्म बनाने जा रही है। यह फिल्म जोया और उनके छोटे भाई फरहान अख्तर के रियल लाइफ संबंधों पर केंद्रित होगी । अपने रियल लाइफ संबंधो पर रील लाइफ फिल्म बनाने के लिए पहले जोया रियल लाइफ के भाई बहन यानि रणबीर कपूर और करीना कपूर को लेना चाहती थी। इन दोनों कपूरों ने जोया को कभी हाँ और कभी ना कह कर लटकाये रखा। काफी इंतज़ार के बाद जोया ने अब आगे कदम बढ़ाने का निश्चय किया है। लेकिन, अब उनकी इस आत्मकथा फिल्म में भाई बहन की भूमिका रणवीर सिंह और प्रियंका चोपड़ा करेंगे । फिल्म में अनुष्का शर्मा रणवीर की प्रेमिका के रोल में होंगी। ख्याल रहे कि रणवीर और अनुष्का ने बैंड बाजा बारात फिल्म में एक साथ अभिनय किया था। उसके बाद दोनों में प्रेम और विछोह का चैप्टर चला। देखने वाली बात होगी कि रणवीर सिंह अपनी प्रेमिका बनी अनुष्का के साथ जितना रोमांटिक होंगे, क्या उतना ही इमोश्नल अपनी बहन बनी प्रियंका चोपड़ा के साथ भी हो पाएंगे !  

 

Wednesday 25 September 2013

इस शुक्रवार की हीरोइन ऑफ़ द वीक है वीना मलिक !

 
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Tuesday 24 September 2013

’रक्त’ में मेरे किरदार के कई शेड्स हैं- शीना शाहाबादी

सतीश कौशिक ‍की फिल्म ‘तेरे संग’ से शीना शाहाबादी ने अपना बॉलीवुड करियर शुरू किया था। इसके बाद वे ‘फास्ट फॉरवर्ड’ में नजर आईं। अब वे अदि ईरानी और शिवा द्वारा निर्देशित ‘रक्त’ तथा कपिल शर्मा और ‍सृष्टि आर्या की फिल्मों में भी नजर आएंगी। शीना ने अपनी पहली ही फिल्म में अपरंपरागत और बोल्ड किस्म का रोल निभाया था। वे 15 वर्ष की ऐसी लड़की बनी थी, जिसका 17 वर्ष के लड़के से संबंध बनते हैं और वह गर्भवती हो जाती है। इस फिल्म के जरिये टीन प्रेग्नेंसी का मुद्दा उठाया गया था। शीना की मां साधना सिंह भी अभिनेत्री हैं जो ‘नदिया के पार’ के लिए आज भी याद की जाती हैं। अपनी मां से प्रेरणा लेकर ही शीना भी फिल्मों में आई हैं। पेश है शीना से बातचीत :
‘रक्त’ में आपके किरदार के बारे में बताइए। यह ‘तेरे संग’ से कितना अलग है?
’रक्त’ में मेरे किरदार के कई शेड्स हैं। यह एक ऐसी लड़की का रोल है जिसे आंटी पाल-पोसकर बढ़ा करती है और उसे वो हर चीज मिलती है जो वह मांगती है। इससे उस लड़की और उसकी मां के बीच अजीब सा रिश्ता बन जाता है। वह लड़की नहीं चाहती कि कोई उसकी मां के नजदीक आए। इसके लिए वह किसी को मार भी सकती है। 
मां की बात निकलती है तो आपकी मां एक अभिनेत्री हैं। आपके पिता भोजपुरी के प्रसिद्ध निर्माता हैं। क्या यही वजह है कि फिल्म और अभिनय की दुनिया के प्रति आप आकर्षित हुईं?
मैं इससे इंकार नहीं करूंगी। मैं जब पांच वर्ष की बच्ची थी, तभी मैंने सोच लिया था कि मुझे अभिनेत्री बनना है। 16 वर्ष की उम्र में मैं अपने आपको निखारने में लग गई थी। शुरुआत में मेरे माता-पिता मेरे निर्णय से आश्चर्यचकित हुए, लेकिन फिल्मों के प्रति मेरी दीवानगी की बात समझने में उन्हें देर नहीं लगी। मेरी मां ने मुझे पूरा सहयोग दिया, जबकि डैड ने ‘ओके-ओके’ रिएक्शन दिया। उन्होंने कहा ‘ठीक है, कर लो, जैसा तुम्हें ठीक लगे’। शुक्र है कि किसी ने मेरे निर्णय का विरोध नहीं किया। मैंने एक्टिंग कोर्स में प्रवेश लिया ताकि अभिनय की बारीकियां सीख सकूं। 
एक्टिंग क्लास से क्या सीखा?
सीखने की इस प्रक्रिया में मैंने अपने आपको जाना। मैं अपने प्लस पाइंट्स से परिचित हुई। मुझे लगा कि भावना प्रधान और रोमांस को अच्छे तरीके से अभिव्यक्त कर सकती हूं। मुझे याद है कि एक्टिंग क्लास के दौरान मैं एक सीन कर रही थी, तभी मुझे मेरे सर ने रोक दिया और तुरंत मेरी मां को बुलाया। मैं नर्वस हो गई कि पता नहीं क्या बात हो गई। मेरी मां के पहुंचते ही उन्होंने मुझे दोबारा वो सीन करने के लिए कहा। मैंने फिर से वही सीन किया और समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या हो रहा है। जैसे ही सीन खत्म हुआ मेरे सर ने घोषणा कर दी कि मैं अब कैमरे का सामना करने के लिए तैयार हूं। उन्होंने मेरी मां से पूछा कि क्या उनका (सर का) निर्णय सही है। वह सीन मेरी मां के लिए लाइव शो रील की तरह था और मेरी मां के चेहरे ने सारी बात बयां कर दी। उनका सहमति देना मैं जिंदगी भर नहीं भूल पाऊंगी।  
क्या शूटिंग के दौरान भी आपने अपने अभिनय को संवारने में मदद ली?
हां, मेरी मां का मुझे हमेशा सहयोग मिला। यदि मुझे किसी दृश्य को करने में दिक्कत महसूस होती तो वे बताती कि मैं किस तरीके से बेहतर कर सकती हूं। यदि कोई दृश्य मैं बेहतरीन तरीके से करती तो वे मेरी ज्यादा तारीफ न करते हुए सिर्फ इतना कहती कि मैंने अच्छा किया है और मुझे अब अगले दृश्य पर ध्यान देना चाहिए। मैं उनकी शाबाशी और आलोचना से खुश होती थी क्योंकि मेरे सामने एक ऐसा शख्स था जो ईमानदार और स्पष्ट था। हां, आलोचनाएं बुरी जरूर लगती थी। उदाहरण के लिए ‘तेरे संग’ की शूटिंग के दौरान किसी ने मेरे वजन को लेकर टिप्पणी कर दी। मुझे इसका बुरा लगा लेकिन मेरी मां ने कहा कि आलोचनाओं को मुझे चुनौती के रूप में लेना चाहिए। उन्होंने कहा ‘चलो, अब उसने ऐसा कहा है तो पतला होकर दिखाओ।‘ मैंने वर्कआउट किया और वापस अपने शेप में आ गई। 
अपनी पहली फिल्म में ही प्रेग्नेंट लड़की का किरदार निभाना आसान बात नहीं है। और अब एक साइको किलर? क्या यह सब आसान रहा?
यदि आप मेरे किरदार के बारे में बात कर रहे हों तो मुझे इनको निभाने में ज्यादा मेहनत नहीं करना पड़ी। यह लड़की हंसमुख है। सदा हंसती रहती है। ये किरदार मेरे जैसा ही है। मैं आज की लड़की बनी हूं और हर लड़की मेरे किरदार से अपने आपको जोड़ सकती है। हमने स्क्रिप्ट रीडिंग सेशन किया और एक्टिंग की वर्कशॉप भी की। मेरी मां कहती है कि आज के कलाकार भाग्यशाली हैं क्योंकि उनके जमाने में एक्टिंग वर्कशॉप जैसा कोई विचार नहीं था। प्रेग्नेंट लड़की का किरदार निभाना थोड़ा मुश्किल था क्योंकि मैं उस इमोशन से नहीं गुजरी हूं।
तो आपने किसकी मदद ली?
इस बारे में मैंने अपनी मां से कई प्रश्न पूछे। मैंने नीना गुप्ता की भी मदद ली जो फिल्म में मेरी मां की भूमिका में थीं। जब मुझे प्रेग्नेंट लड़की का किरदार ‍निभाना था तब मैं रियल लाइफ में भी अपने आपको तनाव और परेशान रखती थी। आखिरकार मुझे दर्शकों को यकीन दिलाना था कि मैं दर्द और मुसीबत से गुजर रही हूं। 

Monday 23 September 2013

फटा पोस्टर निकला चूहा !

                          File:Phata Poster Nikhla Hero Theatrical Poster (2013).jpg
                   शाहिद कपूर अच्छे अभिनेता हैं. डांसिंग में भी वह लाजवाब हैं।  इसका पता उनकी फिल्म फटा  पोस्टर  निकला हीरो को देख  कर चलता है। फ़िल्म में पोस्टर फाड़ कर उनकी एंट्री पर दर्शकों के शोर का सैलाब हिलोरें लेने लगता है.  वह जब डांस करते हैं, तब सिनेमाघर में बैठा दर्शक झूमने लगता है। अपने अभिनय से वह दर्शकों को प्रभावित करते हैं. लेकिन, घिसी- पुरानी कहानी और लंगडी स्क्रिप्ट उन्हें लम्बी रेस का घोड़ा साबित नहीं  होने देती। वह बीच दौड़ में लुढ़क जाते हैं.
                     फटा पोस्टर की कहानी पुरानी है- साठ के दशक की फिल्मों जैसी माँ बेटा और ईमानदारी का पाठ. आजकल के युवाओं को ऎसी उपेशात्मक कहानी रास नहीं आती. वह तो लम्पट, चोर, धोखेबाज, नशेबाज और लौंडिया को बिस्तर पर धर पटकने वाले हीरो को पसंद करते हैं। अभी ग्रैंड मस्ती, शुद्ध देसी रोमांस और आशिकी२  इसका प्रमाण है. कहानी से मात खायी यह फिल्म लेखन के मामले में भी मात खा जाती है। अगर राजकुमार संतोषी फिल्म को लिखने में किसी दूसरे लेखक  का सहारा लेते तो बेहतर फिल्म दे पाते। मध्यांतर से पहले शाहिद कपूर की कॉमिक timings  और डांस से दर्शकों को बांधे रखने वाली फिल्म, मध्यांतर के बाद बिलकुल  बिखर जाती है।  खुद शाहिद कपूर भी असहाय से नज़र आते हैं. फ़िल्म की जान टीनू वर्मा और कनाल कन्नन के एक्शन हैं।  शाहिद कपूर को यह एक्शन फबते भी खूब हैं. जहाँ तक प्रीतम चक्रवर्ती की धुनों का सवाल है, केवल मीका का गाया एक  गीत तू मेरे अगल बगल ही बढ़िया बना है. इरशाद कामिल और अमिताभ भट्टाचार्य के संवाद काम चलाऊ ही कहे जा सकते हैं.
                      फिल्म मे इलियाना डी'सौजा, पद्मिनी कोल्हापुरे, दर्शन  जरीवाला,जाकिर हुसैन, सौरभ शुक्ल, मुकेश तिवारी और संजय मिश्रा जैसे सक्षम कलाकारों की भरमार है. लेकिन, सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं भ्रष्ट पुलिस वाले के रूप में जाकिर हुसैन। संजय मिश्र का काम भी अच्छा है।  दुःख होता है इलियाना को देख कर. वह फ़िल्म की नायिका हैं, लेकिन उनका रोल ही सबसे ज्यादा कमज़ोर लिखा गया है। 
                      कहा जा सकता है कि अजब प्रेम की गज़ब कहानी के राजकुमार संतोषी की यह बेहद कमज़ोर  फिल्म है, इतनी कि सलमान खान का कैमिया और नर्गिस फाखरी का आइटम भी फटे पोस्टर से निकलते हीरो हीरो को जीरो बनने से रोक नहीं सका. बढ़िया हीरो शाहिद कपूर की इस फिल्म को फटा पोस्टर निकला चूहा कहना  ज़्यादा ठीक होगा।
 

Thursday 19 September 2013

क्या फटेगा पोस्टर निकलेगा हीरो !


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Sunday 15 September 2013

दैट डे आफ्टर एवेरीडे

अनुराग कश्यप के निर्देशन में बनी संध्या मृदुल और राधिका आप्टे अभिनीत यह लघु फिल्म शीघ्र ही ऑनलाइन रिलीज़ होने जा रही है.
 
 


'राम' पर भारी पड़ेगी संजय की 'लीला' !

                       फिल्म प्रेमियों की निगाहें  १५ नवम्बर को  'रामलीला' पर लगी होंगी।  हालाँकि, तब तक दशहरा ख़त्म हुए एक महीना बीत चुका होगा. लेकिन, संजय लीला भंसाली की फिल्म की प्रतीक्षा तो हर दर्शक को होती है. फिल्म रामलीला भंसाली का  शेक्सपियर के नाटक रोमियो एंड जूलिएट का गुजराती संस्करण है. इस फिल्म में अभिनेत्री दीपिका पादुकोण  ने एक गुजराती जूलिएट लीला का रोल किया है. उनके रोमियो राम रणवीर कपूर बने है।  इस रोमांटिक ड्रामा फिल्म पर सभी निगाहें अलग अलग कारणों से लगी होंगी। ब्लैक के बाद संजयलीला भंसाली कोई हिट फिल्म नहीं दे सके हैं. बड़े बजट और स्टार कास्ट के बावजूद भंसाली निर्देशित पिछली दो फ़िल्में सांवरिया और गुज़ारिश बुरी तरह से फ्लॉप हुई है. संजयलीला भंसाली के लिए राम लीला का सफल होना जीवन मरण के सामान है. इसके लिए वह कोई कसर नहीं छोड़ रहे. वह हर शॉट पर मेहनत कर रहे हैं. सेट को शानदार बनाने की पूरी कोशिश में है. पहले फिल्म की लीला के लिया संजय ने करीना कपूर का चुनाव किया था। करीना भी संजय की लीला बनने के लिए बेताब थी.  इसी दौरान करीना कपूर की सैफ अली खान के साथ संभावित शादी की पुख्ता खबरें आने लगीं। संजयलीला भंसाली फिल्म के लिए किसी कुंवारी अभिनेत्री को लेना चाहते थे. करीना ने उन्हें भरोसा दिलाया भी था कि वह शादी के बावजूद फिल्म पूरी होने तक माँ नहीं बनेंगी। लेकिन, संजय ने करीना को बाहर का रास्ता दिखा कर दीपिका पादुकोण को ले लिया।  यहाँ बिल्ली के भाग्य से छींका फुट गया. दीपिका पादुकोण की इस साल प्रदर्शित तीनों फ़िल्में रेस २, यह जवानी है दीवानी और चेन्नै एक्सप्रेस बॉक्स ऑफिस पर एक सौ करोड़ कमाने वाली फ़िल्में बन गयी. दीपिका की फिल्मों की बॉक्स ऑफिस पर ऎसी सफलता संजयलीला भंसाली की फिल्म के लिहाज़ से फायदेमंद है. फिल्म के हीरो रणवीर सिंह लीला के राम बन कर सौ करोड़ की तीन फिल्मों की नायिका के हीरो बन जायेंगे। लेकिन, राम लीला दीपिका पादुकोण की अग्निपरीक्षा से कम नहीं होगी। संजयलीला भंसाली की फिल्मों में नायिका का महत्व हीरो से अधिक होता है. कहा जा सकता है कि उनकी फिल्मे नायिका पर केन्द्रित होती है. इसलिए राम लीला का पूरा भार, रणवीर सिंह के बावजूद दीपिका के कन्धों पर होगा। रणवीर अभी तक खुद  को बॉक्स ऑफिस का विश्वसनीय अभिनेता नहीं बना पाए हैं. इसी साल प्रदर्शित फिल्म लुटेरा इसकी पुष्टि करती है।  ऐसे कमज़ोर अभिनेता के साथ दीपिका को काफी कुछ हीरो वाली ज़िम्मेदारी निभानी होगी. इसके अलावा बॉक्स ऑफिस का दबाव भी होगा। वह तीन तीन हिट और सुपरहिट फ़िल्में दे चुकी हैं. तब क्यों नहीं कोई यह सोचे कि दीपिका इस साल चौथी १०० करोडिया फिल्म भी देगी। 
                     बहरहाल, राम लीला का फर्स्ट लुक आँखों को ठंडक पहुंचाने वाला है. दीपिका पादुकोण सुर्ख घाघरे में काफी आकर्षक लग रही हैं. वैसे भी उनकी लम्बी टाँगे घाघरे को नयनाभिराम बनाती हैं. रणवीर सिंह एक गुजराती वारियर रोमियो की वेशभूषा में शानदार लग रहे हैं।  फिल्म के सेट भी महंगे और भव्य हैं. इनसे यह तो कहा ही जा सकता  है कि भंसाली एक क्लासिक फिल्म पेश करेंगे। अब यह क्लासिक फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बाजी मार ले जाए तो क्या कहने।