विकास बहल की २२ अक्टूबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'शानदार' का एक गीत 'गुलाबों' बड़ा झिन्चैक है। इस गीत में म्यूजिक की तरह तेज़ रफ़्तार डांस है। अलिया भट्ट के साथ शाहिद कपूर झूम झूम कर नाच रहे हैं। लेकिन, इस गीत में जिस 'गुलाबो' का ज़िक्र हुआ है, वह अपनी अलिया बेबी नहीं है। 'शानदार' के 'गुलाबो' की जानदार गुलाबो सना कपूर हैं। वह इस फिल्म में अलिया भट्ट की बहन ईशा का किरदार कर रही हैं। लेकिन, आप जानते हैं कि यह सना कपूर रियल लाइफ में किसकी बहन है ? बताते हैं आपको। सना कपूर फिल्म के हीरो शाहिद कपूर की बहन हैं। उनके पिता पंकज कपूर हैं और माँ का नाम सुप्रिया पाठक है। लेकिन, सना कहती हैं, "मैंने यह रोल बिना भाई और पिताजी की सिफारिश के पाया। मैंने ऑडिशन दिया और मैं चुन ली गई। मेरे फिल्म के लिए चुने जाने की खबर पर भाई और पापा के चेहरे की ख़ुशी अमूल्य थी।" बहरहाल, सना इस इकलौते गीत से टैलेंटेड लगती हैं। डांस में वह अपने भाई की तरह तेज़ तर्रार हैं। चूंकि, वह फिल्म की सेकंड लीड हैं, इस लिए उनके लिए अभिनय के मौके भी होंगे। उनकी अभिनय प्रतिभा का पता तभी लगेगा। लेकिन, उन्हें अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना होगा। वह बिना जिम गए 'गुलाबो' गीत की खटिया पर बैठ गई लगती हैं।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday 6 October 2015
कोरियाई 'सेवन डेज' बनी ऐश्वर्या राय की 'जज़्बा'
मशहूर महिला वकील
यूं जी-येओन ने अभी तक कोई मुकदमा नहीं हारा है।
यूं अपनी बेटी के स्कूल में अभिभावकों की दौड़ में हिस्सा ले रही है कि तभी
उसकी बेटी गायब हो जाती है। उसी दिन बाद में
उसके पास एक आदमी का फ़ोन आता है, जिसने यूं की बेटी का अपहरण किया है। वह आदमी साफ़ करता है कि उसे उसका पैसा नहीं
चाहिए। उसे अगर अपनी बेटी को पाना है तो
उसे बलात्कार और हत्या के जुर्म में पांच बार दोषी पाए जा चुके आदमी की अपील की
पैरवी करके उसे छुडाना है। जी-येओन के पास
केवल सात दिन बचे हैं, अपराधी के ट्रायल ख़त्म होने के। यूं को लगता है कि वह आदमी
निरपराध होगा। लेकिन, जब वह मृतका की
माँ से मिलती है, तब यू को पता लगता है कि मृतका को कितनी क्रूरता से क़त्ल किया गया। यह कहानी है निर्देशक वोन शिन-येओन की १४
नवम्बर २००७ को रिलीज़ कोरियाई फिल्म 'सेवेन डेज (हंगुल) की। इस फिल्म को २१ लाख ७ हजार ८४९ कोरियाई दर्शकों
ने देखा। यह सबसे ज्यादा देखि गई फिल्म
थी। फिल्म में महिला वकील की भूमिका करने
वाली अभिनेत्री युनजिन किम को बेस्ट एक्ट्रेस का ग्रैंड बेल अवार्ड्स दिया
गया। उनके साथी अभिनेता पार्क ही-सून को
फिल्म में पुलिस डिटेक्टिव की भूमिका के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का ब्लू ड्रैगन
फिल्म अवार्ड्स और कोरियाई फिल्म अवार्ड्स दिया गया। निर्देशक संजय गुप्ता 'सेवेन डेज' को रोबिन भट्ट के साथ हिंदी में एडाप्ट किया है
और नाम दिया है जज्बा। फिल्म में ऐश्वर्या
राय बच्चन ने महिला वकील की भूमिका की है। वह जज़्बा से हिंदी फिल्मों में वापसी कर
रही हैं। ज़ाहिर है कि उनका रोल काफी सशक्त है। इरफ़ान खान पुलिस
डिटेक्टिव बने हैं। पुलिस डिटेक्टिव वाला किरदार पहले जॉन अब्राहम को ऑफर किया गया
था। संजय गुप्ता ने अपनी फिल्म की नायिका ऐश्वर्या को अपराधी को छुडाने के लिए
केवल तीन दिन दिए हैं। इन दोनों के सामने युनजिन और पार्क ही-सून के अवार्ड विनिंग
परफॉरमेंस की चुनौती होगी। फिल्म में
शबाना अजमी ने मृतका की माँ का किरदार किया है।
चन्दन रॉय सान्याल और सिद्धांत कपूर ने खल किरदार किये हैं। खुद संजय
गुप्ता रामशास्त्र (१९९५) के बीस साल बाद
अनुपम खेर के साथ फिल्म कर रहे हैं। क्या कोरियाई फिल्म 'सेवेन डेज' की 'जज्बा' भी सबसे ज्यादा देखि गई फिल्म बन पायेगी ? क्या ऐश्वर्या और
इरफ़ान इस फिल्म के लिए कोई पुरस्कार जीत पाएंगे ?
जे जयललिता की इकलौती हिंदी फिल्म 'इज़्ज़त'
यह सभी जानते हैं कि तमिलनाडु की मुख्य मंत्री जे जयललिता पूर्व फिल्म अभिनेत्री थी। १९६१ से १९८० तक अपने फिल्म करियर में जयललिता ने १३८ दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम किया। वह तमिलनाडु की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्री थी। उन्होंने अपने समय के तमाम सुपर स्टार्स के साथ फ़िल्में की। लेकिन, बहुत कम लोग जानते होंगे की जयललिता ने अपने २० साल लम्बे फिल्म करियर में केवल एक हिंदी फिल्म में अभिनय किया। यह फिल्म थी निर्देशक टी प्रकाशराव की 'इज़्ज़त' । इस फिल्म में जयललिता एक आदिवासी लड़की झुमकी के किरदार में थी। फिल्म में धर्मेन्द्र की दोहरी भूमिका थी। तनूजा फिल्म की एक नायिका थी। फिल्म की कहानी ठाकुर प्रताप सिंह (बलराज साहनी) और उसके एक वैध बेटे दिलीप और दूसरे अवैध बेटे शेखर (दोनों भूमिकाओं में अभिनेता धर्मेन्द्र) की थी। शेखर एक आदिवासी लड़की सावली से ठाकुर की संतान था। शेखर का रंग काला था। वह जब पढ़ाई करके वापस आता है तो उसका सामना साफ़ रंगत वाले हमशक्ल भाई दिलीप से होता है। दिलीप शेखर को ऑफिस देता है और कहता है कि वह एक अमीर की बेटी दीपा के सामने दिलीप बन कर जाए। शेखर मान जाता है। वह दिलीप बन कर दीपा से प्रेम करता है। इधर जयललिता का आदिवासी किरदार झुमकी गोर दिलीप से प्रेम करने लगती है और गर्भवती हो जाती है। दिलीप झुमकी से शादी करने से इंकार कर देता है। इस फिल्म में लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल का संगीत था। उन्होंने एक से बढ़ कर एक धुनें बनाई थी। ये दिल तुम बिन लगता नहीं धर्मेन्द्र और तनूजा पर फिल्माया गया दोगाना था। क्या मिलिए ऐसे लोगों से परदे पर धर्मेन्द्र का गाया महफ़िल गीत था। दो गीत रुक जा ज़रा किधर को चला और जाएगी बदन में ज्वाला सैया तूने क्या कर डाला जयललिता पर फिल्माए गए थे। जाएगी बढ़ाने में ज्वाला काफी सेक्सी बन पड़ा गीत था। उस समय के समीक्षक नायिका के अंग प्रदर्शन को अपने विटामिन दिखाना कहते थे। 'इज़्ज़त' में जयललिता ने भी खूब विटामिन दिखाए थे। इस फिल्म के एक सीन में धर्मेन्द्र ने जयललिता को गोद में उठाया था। तमाम इमोशंस, रोमांस और ड्रामा के बावजूद 'इज़्ज़त' बॉक्स ऑफिस पर अपनी इज़्ज़त नहीं बना पाई। फिल्म फ्लॉप हुई। इसके साथ ही जे जयललिता ने हिंदी फिल्मों को अलविदा कह दी।
Monday 5 October 2015
रत्न एवं आभूषण के बारे में ज्ञान हासिल कर रही हैं अमृता
छोटे परदे पर दर्शको को जल्द ही एक नया शो देखने को मिलेगा, शो की मेजबानी अमृता राव करेंगी। अमृता को, इस बीच में, रोल की शुरुआत करने के लिए उसे 100 प्रतिशत देने के लिए रत्न एवं आभूषण के बारे में ज्ञान हासिल करने की मांग की है। अभिनेत्री प्रकाश झा की अगली फिल्म 'सत्संग' मे दिखायी देगी।
सूत्रों का कहना शो के निर्माताओं के लिए एक सुंदर बॉलीवुड अभिनेत्री में देख रहे थे और अंत में कलाकार एमएफ हुसैन की सरस्वती अमृता, को चुना गया है। "मेजबान को दोनों पारंपरिक और पश्चिमी ज्वैलरी पैटर्न के साथ न्याय करना हैं. और अमृता इस शो के मूल्य को और ज्यादा आकर्षित पुरे सहजता से करेगी।
अब रामगोपाल वर्मा की 'ब्रूस ली' भी
रामगोपाल वर्मा अपने आप में निराले फिल्मकार हैं। वह सुर्खियां पाने का एक भी मौका नहीं छोड़ते। राम जाने उनके खाते में कैसे कैसे सरप्राइज पैक भरे हुए हैं। आजकल, तेलुगु फिल्मों के सितारे राम चरन तेजा की फिल्म 'ब्रूस ली : द फाइटर' की काफी चर्चा है। श्रीनू वैतला निर्देशित यह फिल्म १६ अक्टूबर को रिलीज़ होने जा रही है। बस, यहीं रामगोपाल वर्मा ने अपने सरप्राइज पैक से एक तीर निकाल कर छोड़ दिया। वह २०१३ में एक फिल्म 'ब्रूस ली' की शूटिंग कर रहे थे। फिर उन्होंने यकायक इस प्रोजेक्ट को बंद कर दिया। अब जबकि, तेजा वाली ब्रूस ली रिलीज़ होने वाली है, वर्मा ने 'ब्रूस ली : द फाइटर' के ऑडियो लांच के एक दिन पहले अपनी २०१३ की फिल्म 'ब्रूस ली' का ट्रेलर लांच कर दिया। यह ट्रेलर रामगोपाल वर्मा की स्टाइल में हैं। स्लो मोशन में इस ट्रेलर में लीजेंडरी मार्शल आर्ट्स स्टार ब्रूस ली को श्रद्धांजलि दी गई है। इस ट्रेलर में मार्शल आर्ट्स की विशेषज्ञ एक सुन्दर लड़की कई लोगों को अपने बॉक्सिंग ग्लब्स वाले घूंसे से उड़ा रही है। इस दौरान वह अपने आकर्षक शरीर का प्रदर्शन भी कर रही है। यह लड़की रामगोपाल वर्मा की पुणे खोजबताई जा रही है । सोर्स बताते हैं कि उन्होने ही इस लड़की को मार्शल आर्ट्स की ट्रेनिंग दिलवाई है। रामगोपाल वर्मा खुद को मार्शल आर्ट्स का दीवाना बताते हैं। वह दावा करते हैं कि उनकी फिल्म 'ब्रूस ली' भारत की पहली मार्शल आर्ट्स फिल्म है। वर्मा के दावे पर सवाल करने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन, सवाल यह है कि दो साल पहले बंद कर दी गई अपनी फिल्म 'ब्रूस ली' को राम चरन तेजा की फिल्म 'ब्रूस ली : द फाइटर' की रिलीज़ के समय पेश करना, तेजा की फिल्म से थोड़ी चमक चुराने का प्रयास तो नहीं! विवादित फिल्म बना कर और विवाद में फंस कर अपनी फिल्मों को सुर्खियां दिलाने का फंडा रामगोपाल वर्मा से अच्छा कौन जानता है।
इम्पा चुनाव टीपी अग्रवाल प्रेजिडेंट अभय सिन्हा सीनियर वाइस प्रेजिडेंट निर्वाचित
इम्पा चुनाव में ऐतिहासिक जीत हासिल करने वाले टी पी अग्रवाल और अभय सिन्हा के ग्रुप ने अपनी कार्यकारिणी घोषित कर दी है । नयी कार्यकारिणी ने सर्व सम्मति से टी पी अग्रवाल को प्रेजिडेंट व अभय सिन्हा को सीनियर वाइस प्रेजिडेंट चुना है ।
उल्लेखनीय है की 29 सितम्बर को संपन्न हुए चुनाव में टीपी-अभय ग्रुप ने 23 में से 19 सीटो पर सफलता हासिल कर चुनाव में अपना कब्जा बरक़रार रखा था । टी पी ग्रुप के निशांत उज्जवल इम्पा पहचने वाले सबसे कम उम्र के निर्माता हैं उन्हें 146 वोट प्राप्त हुए थे और उन्होंने कई दिग्गजो को पीछे छोड़ दिया था । टी पी अग्रवाल अभय सिन्हा और निशांत उज्जवल के अलावा अन्य विजयी उम्मीदवारों में जे. नीलम नीलम, अशोक पंडित, मनोज चतुर्वेदी, नितिन पी. मोवानी, बालासाहेब एम. गोरे , राजू भट , विनोद छाबरा , हरेश भाई पटेल , जय प्रकाश शॉ , जीतें पुरोहित, रमेश मीर , संदीप सिंह 'बॉबी बेदी और विकाश शाहूराज पाटिल शामिल हैं । टीवी प्रोग्राम प्रोडूसर्स की दोनों सीट बाबूभाई थिबा एवं राहुल अग्रवाल अग्रवाल (टीपी ग्रुप) ने जीता। एसोसिएट की ५ में से एक मात्र सीट टीपी ग्रुप को बाकी चारों बोबोकाडिया ग्रुप ने जीती। टीपी ग्रुप की शुष्मा शिरोमणी और बोकाडिया ग्रुप से केसी बोकाडिया, राकेश नाथ रिंकू, महेंद्र धारीवाल और मेहुल कुमार विजयी हुए। उल्लेखनीय है की भोजपूरी फ़िल्म जगत के कई लोग चुनाव मैदान में थे लेकिन जित का सेहरा मात्र अभय सिन्हा व निशांत उज्जवल के सर ही बंधा । निशांत उज्जवल सबसे कम उम्र के उम्मीदवार थे । इम्पा की नयी कार्यकारिणी में नितिन मवानी व अशोक पंडित को उपाध्यक्ष बनाया गया है ।
उल्लेखनीय है की 29 सितम्बर को संपन्न हुए चुनाव में टीपी-अभय ग्रुप ने 23 में से 19 सीटो पर सफलता हासिल कर चुनाव में अपना कब्जा बरक़रार रखा था । टी पी ग्रुप के निशांत उज्जवल इम्पा पहचने वाले सबसे कम उम्र के निर्माता हैं उन्हें 146 वोट प्राप्त हुए थे और उन्होंने कई दिग्गजो को पीछे छोड़ दिया था । टी पी अग्रवाल अभय सिन्हा और निशांत उज्जवल के अलावा अन्य विजयी उम्मीदवारों में जे. नीलम नीलम, अशोक पंडित, मनोज चतुर्वेदी, नितिन पी. मोवानी, बालासाहेब एम. गोरे , राजू भट , विनोद छाबरा , हरेश भाई पटेल , जय प्रकाश शॉ , जीतें पुरोहित, रमेश मीर , संदीप सिंह 'बॉबी बेदी और विकाश शाहूराज पाटिल शामिल हैं । टीवी प्रोग्राम प्रोडूसर्स की दोनों सीट बाबूभाई थिबा एवं राहुल अग्रवाल अग्रवाल (टीपी ग्रुप) ने जीता। एसोसिएट की ५ में से एक मात्र सीट टीपी ग्रुप को बाकी चारों बोबोकाडिया ग्रुप ने जीती। टीपी ग्रुप की शुष्मा शिरोमणी और बोकाडिया ग्रुप से केसी बोकाडिया, राकेश नाथ रिंकू, महेंद्र धारीवाल और मेहुल कुमार विजयी हुए। उल्लेखनीय है की भोजपूरी फ़िल्म जगत के कई लोग चुनाव मैदान में थे लेकिन जित का सेहरा मात्र अभय सिन्हा व निशांत उज्जवल के सर ही बंधा । निशांत उज्जवल सबसे कम उम्र के उम्मीदवार थे । इम्पा की नयी कार्यकारिणी में नितिन मवानी व अशोक पंडित को उपाध्यक्ष बनाया गया है ।
Sunday 4 October 2015
तमिल 'मौन गुरु' का रीमेक है अकीरा
सोनाक्षी सिन्हा की एआर मुरुगदॉस निर्देशित फिल्म 'अकीरा' के लिए कठोर ट्रेनिंग ले रही हैं। वह फिटनेस पर ध्यान दे रही हैं। खुद को रफ़ टफ बना रही हैं। यह फिल्म भी मुरुगदॉस की परंपरा में रीमेक फिल्म है। आमिर खान की फिल्म गजिनी और अक्षय कुमार की फिल्म हॉलिडे अ सोल्जर इज़ नेवर ऑफ़ ड्यूटी की तरह सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म अकीरा भी तमिल फिल्म 'मौन गुरु' का रीमेक हैं। इस फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा की भूमिका क्या है ? इसे जानना है तो तमिल फिल्म 'मौन गुरु' की कहानी दे रहा हूँ।
''मौन गुरु' कहानी है कॉलेज के छात्र करुणाकरन की। वह कभी भी समाज से एडजस्ट नहीं कर पाता। उसे हमेशा गलत समझा जाता है। इससे वह अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं कर पाता और किसी न किसी मुसीबत में फंस जाता है । उसके इस अनपेक्षित व्यवहार से उसका भाई और माँ हमेशा चिंतित रहते है। कई वारदातों के बाद उसे मदुरै छोड़ना पड़ता है और वह चेन्नई चला जाता है। वह चेन्नई में एक आर्ट्स कॉलेज में दाखिला ले लेता है और हॉस्टल में रहने लगता है। लेकिन, वह वहाँ भी मुसीबत में फंस जाता है। अब इस कहानी के सामानांतर एक दूसरी कहानी चल रही है। पुलिस के कुछ अफसर सहायक आयुक्त मरिमुथु, इंस्पेक्टर राजेंद्रन, सुब इंस्पेक्टर सेलवम और एक अन्य पुलिस कर्मी बैंगलोर से चेन्नई जा रहे हैं। रास्ते में एक कार का एक्सीडेंट होते देखते हैं। वह कार में बैठे घायल को, जो बैंगलोर के एक बिज़नेस टाइकून को बेटा है, हॉस्पिटल ले जाना चाहते हैं कि उनकी नज़र कार में पड़े करोड़ों रुपये के नोटों पर पड़ती हैं। उन के मन में लालच आ जाता है। वह अधमरे लडके को मार देते हैं और नोट बटोर का चेन्नई चले जाते हैं। इस केस को एक ईमानदार पुलिस अफसर पलानीअम्माल अपने हाथ में लेती हैं। अब होता क्या है कॉलेज हॉस्टल में रहा रहा करुणाकरन इस अपराध में फंसा दिया जाता है। क्या ईमानदार पुलिस अधिकारी पलानीअम्माल निर्दोष करुणाकरन को बचा पाएगी ? फिल्म का अंत बेहद रोमांचक तरीके से होता है। २०११ में रिलीज़ मौन गुरु सुपर हिट रही थी। फिल्म की हिन्दू जैसे अख़बार ने प्रशंसा की थी। यह स्लीपर हिट फिल्म साबित हुई थी। इसे तेलुगु और कन्नड़ में भी रीमेक किया गया। अब इसे हिंदी में बनाया जा रहा है।"
क्या आप बता सकते हैं कि फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा की भूमिका क्या है ?
''मौन गुरु' कहानी है कॉलेज के छात्र करुणाकरन की। वह कभी भी समाज से एडजस्ट नहीं कर पाता। उसे हमेशा गलत समझा जाता है। इससे वह अपने क्रोध को नियंत्रित नहीं कर पाता और किसी न किसी मुसीबत में फंस जाता है । उसके इस अनपेक्षित व्यवहार से उसका भाई और माँ हमेशा चिंतित रहते है। कई वारदातों के बाद उसे मदुरै छोड़ना पड़ता है और वह चेन्नई चला जाता है। वह चेन्नई में एक आर्ट्स कॉलेज में दाखिला ले लेता है और हॉस्टल में रहने लगता है। लेकिन, वह वहाँ भी मुसीबत में फंस जाता है। अब इस कहानी के सामानांतर एक दूसरी कहानी चल रही है। पुलिस के कुछ अफसर सहायक आयुक्त मरिमुथु, इंस्पेक्टर राजेंद्रन, सुब इंस्पेक्टर सेलवम और एक अन्य पुलिस कर्मी बैंगलोर से चेन्नई जा रहे हैं। रास्ते में एक कार का एक्सीडेंट होते देखते हैं। वह कार में बैठे घायल को, जो बैंगलोर के एक बिज़नेस टाइकून को बेटा है, हॉस्पिटल ले जाना चाहते हैं कि उनकी नज़र कार में पड़े करोड़ों रुपये के नोटों पर पड़ती हैं। उन के मन में लालच आ जाता है। वह अधमरे लडके को मार देते हैं और नोट बटोर का चेन्नई चले जाते हैं। इस केस को एक ईमानदार पुलिस अफसर पलानीअम्माल अपने हाथ में लेती हैं। अब होता क्या है कॉलेज हॉस्टल में रहा रहा करुणाकरन इस अपराध में फंसा दिया जाता है। क्या ईमानदार पुलिस अधिकारी पलानीअम्माल निर्दोष करुणाकरन को बचा पाएगी ? फिल्म का अंत बेहद रोमांचक तरीके से होता है। २०११ में रिलीज़ मौन गुरु सुपर हिट रही थी। फिल्म की हिन्दू जैसे अख़बार ने प्रशंसा की थी। यह स्लीपर हिट फिल्म साबित हुई थी। इसे तेलुगु और कन्नड़ में भी रीमेक किया गया। अब इसे हिंदी में बनाया जा रहा है।"
क्या आप बता सकते हैं कि फिल्म में सोनाक्षी सिन्हा की भूमिका क्या है ?
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