Wednesday 15 June 2016

बारह साल पहले एक थी सुरैया !

सुरैया का एक्टिंग करियर १९४१ में नानूभाई वकील की फिल्म ‘ताज महल’ में बालिका मुमताज महल के रोल से शुरू हुआ था। वह अपने मामा और चरित्र अभिनेता एम ज़हूर के साथ ताज महल की शूटिंग देखने के लिए मोहन स्टूडियो गई थी। नानूभाई वकील ने उन्हें देखा और नन्ही मुमताज का रोल दे दिया। इसके साथ ही सुरैया के बतौर अभिनेत्री करियर की शुरुआत हो गई। 
सुरैया अपने बचपन के दोस्तों राजकपूर और मदन मोहन के आल इंडिया रेडियो के बच्चों के प्रोग्राम में हिस्सा लिया करती थी। वहीँ, उन्हें संगीतकार नौशाद ने पहली बार सुना। उन्होंने सुरैया से पहली बार ए आर कारदार की फिल्म ‘शारदा’ के लिए पंछी जा पीछे रहा है मेरा बचपन गीत गवाया था। इस गीत को उस समय की बड़ी अभिनेत्री महताब पर फिल्माया गया था। महताब उम्र में सुरैया से काफी बड़ी थी।  वह सशंकित थी कि इस १३ साल की बच्ची की आवाज़ उन पर कैसे सूट करेगी। लेकिन,  नौशाद ने सुरैया से ही गीत गवाया।  इसके साथ ही सिंगिंग स्टार सुरैया का जन्म हुआ।  
स्टेशन मास्टर और तमन्ना जैसी फिल्मों के बाद सुरैया को गायिका अभिनेत्री के बतौर बड़ा ब्रेक मिला फिल्म हमारी बात में।  १९४५ में रिलीज़ फिल्म फूल ने सुरैया को बतौर गायिका अभिनेत्री ज़बरदस्त शोहरत दी। सुरैया की गायन की अग्नि परीक्षा हुई, नौशाद की संगीत से सजी फिल्म अनमोल घडी (१९४६) से। इस फिल्म में नूरजहाँ नायिका थी। फिल्म में नूरजहाँ ने जवां है मोहब्बत, आवाज़ दे कहाँ है, आ जा मेरी बर्बाद मोहब्बत के सहारे, मेरे बचपन के साथी और क्या मिल गया भगवान जैसे आल टाइम सुपर हिट गीत गाये थे . लेकिन, बाज़ी मारी सुरैया ने सोचा था क्या, क्या हो गया गीत से।  लोग इस गीत को सुनने के लिए बार बार फिल्म देखने आते थे और जैसे ही गीत ख़त्म होता हॉल से बाहर निकल जाते थे। 
सुरैया की तक़दीर बदली देश के विभाजन ने। देश विभाजन के दौरान हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की कई हस्तियाँ पाकिस्तान चली गई थीं।  इनमे नूरजहाँ भी एक थी। नूरजहाँ पाकिस्तान चली गई। लेकिन, सुरैया ने भारत रहना ही मंज़ूर किया। इसके बाद सुरैया का करियर बिलकुल बदल गया।  चूंकि, वह गा भी सकती थी, इसलिए वह फिल्म निर्माताओं की पहली पसंद बन गई। उस समय की बड़ी अभिनेत्रियों नर्गिस और कामिनी कौशल पर सुरैया को तरजीह मिलने लगी। क्योंकि, यह अभिनेत्रियाँ अपने गीत नहीं गा सकती थी। जबकि, सुरैया की खासियत यह थी कि वह नूरजहाँ की तरह अच्छा गा सकती थी और नर्गिस और कामिनी कौशल की तरह बढ़िया अभिनय भी कर सकती थी। 
सुरैया को उनकी तीन फिल्मों ने हिन्दुस्तानी फिल्म इंडस्ट्री की बड़ी स्टार बना दिया। दो फ़िल्में प्यार की जीत (१९४८) और बड़ी बहन (१९४९) में सुरैया के नायक रहमान थे। तीसरी फिल्म दिल्लगी (१९४९) में वह श्याम की नायिका थी। यह तीनों फ़िल्में बड़ी म्यूजिकल हिट फ़िल्में थी। प्यार की जीत और बड़ी बहन के संगीतकार हुस्नलाल भगतराम थे, जबकि दिल्लगी का संगीत नौशाद ने दिया था। दिल्लगी के बाद नौशाद और सुरैया की जोड़ी जम गई। १९४७ से १९५० के बीच इन दोनों ने कोई ३० फ़िल्में बतौर संगीतकार और गायिका जोड़ी की। लेकिन, सुरैया की यह सफलता बहुत थोड़े दिन रही।  एक उभरती गायिका लता मंगेशकर ने सुरैया के साम्राज्य को ध्वस्त कर दिया। यह सिलसिला शुरू हुआ नौशाद के संगीत निर्देशन में फिल्म अंदाज़ के गीत उठाये जा उनके सितम गीत से। सुरैया की हिट फिल्म ‘बड़ी बहन’ में लता मंगेशकर ने भी गीत गए थे। जहाँ सुरैया ने खुद पर फिल्माए गए गीत ओ लिखने वाले ने और बिगड़ी बनाने वाले गाये थे, वहीँ लता मंगेशकर ने सुरैया के साथ फिल्म की  सह नायिका गीता बाली के लिए दो गीत चुप चुप खड़े हो ज़रूर कोई बात है और चले जाना नहीं गाये थे। इन चारों गीतों को ज़बरदस्त सफलता मिली। सुरैया जैसी स्थापित गायिका की मौजूदगी में मिली इस कामयाबी ने लता मंगेशकर को बतौर गायिका स्थापित कर दिया। इसके साथ ही सुरैया का सितारा भी धुंधलाने लगा। फिसलते करियर के दौरान भी सुरैया ने कुछ ऐसी फ़िल्में की, जिहोने सुरैया को शोहरत और सम्मान दोनों दिए। 
मिर्ज़ा ग़ालिब (१९५४) में सुरैया ग़ालिब की प्रेमिका और तवायफ मोती बाई के किरदार में थी। यह फिल्म सुपर हिट फिल्म तो साबित हुई ही, इस फिल्म ने राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ फिल्म का स्वर्ण कमल जीता। इस फिल्म में सुरैया ने गुलाम मोहम्मद के संगीत निर्देशन में दिले नादाँ तुझे हुआ क्या है और ये न थी हमारी किस्मत जैसे सदाबहार हिट गीत गाये।  इस फिल्म का सुरैया के लिए क्या महत्त्व रहा होगा, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि भारत के पहले प्रधान मंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरु ने उनकी प्रशसा करते हुए कहा था कि तुमने मिर्ज़ा ग़ालिब की रूह को जिंदा कर दिया। सुरैया की आखिरी फिल्म रुस्तम सोहराब १९६३ में रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म में सुरैया के नायक पृथ्वीराज कपूर थे, जो बीस साल पहले की सुरैया की फिल्म इशारा में उनके नायक थे। इस फिल्म का गीत ये कैसी अजाब दास्ताँ हो गई सुरैया का गाया आखिरी गीत भी साबित हुआ। 
सुरैया ने अपने २० साल के फिल्म करियर में अपने समय के सभी बड़े अभिनेताओं मोतीलाल और अशोक कुमार से ले कर भारत भूषण तक के साथ अभिनय किया तथा के एल सहगल और तलत महमूद से लेकर मोहम्मद रफ़ी और मुकेश तक सभी गायकों के साथ युगल गीत गाये। उन्होंने लता मंगेशकर के साथ भी दो युगल गीत गाये। इनमे एक गीत संगीतकार हुस्नलाल भगतराम का संगीतबद्ध फिल्म बालम (१९४९) का ओ परदेसी मुसाफिर तथा दूसरा नौशाद का संगीतबद्ध फिल्म दीवाना (१९५२) का मेरे लाल मेरे चंदा तुम जियों हजारों साल था। दिलचस्प तथ्य यह था कि सुरैया ने गायन की कोई क्लासिकल ट्रेनिंग नहीं ली थी।  इसके बावजूद उन्होंने सचिन देव बर्मन का संगीतबद्ध क्लासिकल गीत गीत मन मोर हुआ मतवाला गाया था। यहाँ एक दिलचस्प तथ्य यह है कि बचपन के दोस्त मदन मोहन केवल एक फिल्म ख़ूबसूरत (१९५२) के लिए गीत गवाए। 
सुरैया के प्रति दर्शकों में पागलपन का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि छात्र उनकी फिल्म का पहले दिन का पहला शो देखने के लिए क्लास तथा ऑफिसों में काम करने वाले लोग दफ्तर छोड़ कर सिनेमाघरों के बाहर खड़े नज़र आते थे। अभिनेता धर्मेन्द्र ने एक बातचीत में बताया था कि उन्होंने सुरैया की फिल्म दिल्लगी ४० बार देखी थी। सुरैया जमाल शेख बॉलीवुड की ऎसी गायिका अभिनेत्री थी, जो अपने रिटायरमेंट लेने तक अभिनय करती रही और अपने गीत गाती रही। उनका आखिरी गाया गीत रुस्तम शोहराब फिल्म का 'ये कैसी अजाब दास्ताँ हो गई' था, जो उन पर ही फिल्माया गया था। इसके साथ ही सुरैया का बतौर एक्टर और सिंगर करियर ख़त्म हो गया।  ३१ जनवरी २००४ को वह एक थी सुरैया हो गई।  


हत्या पर केंद्रित होती है क्राइम थ्रिलर फ़िल्में

अनुराग कश्यप एक बार फिर अपनी पसंदीदा शैली थ्रिलर रमन राघव २.० लेकर आ रहे हैं। आज की मुंबई की पृष्ठभूमि पर यह फिल्म वास्तव में १९६० में हुए एक सीरियल किलर रमन राघव के करैक्टर से प्रेरित फिल्म है। रमन राघव २.० एक क्राइम थ्रिलर फिल्म है, क्योंकि इस फिल्म के केंद्र में एक हत्यारा है और उसके द्वारा की गई हत्याओं का रहस्य है। इस फिल्म में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने रमन की भूमिका की है। आम तौर पर थ्रिलर फ़िल्में दर्शकों की पसंदीदा होती हैं।  लेकिन, अगर यह क्राइम थ्रिलर है तो कहने ही क्या ? पहली ही रील में हत्या दर्शकों को  सिनेमाघरों में अपनी सीटों से चिपकाए रहती है।  आइये जानते हैं ऎसी कुछ अलग किस्म की क्राइम थ्रिलर फिल्मों के बारे में-   
तलाश: द आंसर लाइज विदिन- आमिर खान, करीना कपूर और रानी मुख़र्जी की साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म तलाश: द आंसर लाइज विदिन एक हत्या का रहस्य सुलझाने की ज़िम्मेदारी ओढ़े इंस्पेक्टर सुरजन शेखावत, उसके परिवार और एक कॉल गर्ल के इर्द गिर्द घूमती थी। इसी रहस्य को खोलने में वह एक कॉल गर्ल के नज़दीक आता है। जब हत्या का रहस्य खुलता है तो सभी चौंक पड़ते हैं। फिल्म की निर्देशक रीमा कागती थीं। 
मनोरमा सिक्स फीट अंडर- अभय देओल, गुल पनाग और राइमा सेन की इस फिल्म मनोरमा सिक्स फ़ीट अंडर को बहुत चर्चा नहीं मिली। यह फिल्म एक नौसिखिउए जासूस की थी, जो राजस्थान में एक हत्या के रहस्य से पर्दा उठाते हुए विचित्र परिस्थितियों में फंस जाता है। इस फिल्म के निर्देशक नवदीप सिंह थे। 
गुप्त: द हिडन ट्रुथ- बॉबी देओल, काजोल और मनीषा कोइराला की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में साहिल सिन्हा (बॉबी देओल) पर अपने सौतेले पिता की हत्या का आरोप है। वह, जब इस इस हत्या की तह में जाने की कोशिश करता है तो नई मुसीबत में फंस जाता है। इस फिल्म का निर्देशन राजीव राय ने किया था। 
इत्तफाक- राजेश खन्ना और नंदा अभिनीत इस फिल्म में एक पेंटर पर अपनी पत्नी की हत्या का आरोप लगा है  उसे पागलखाने भेजा जाता है कि वह वहां से भाग निकलता है वह भागते हुए एक घर में आ छुपता है लेकिन, उसे क्या मालूम कि यहाँ उस पर दूसरे खून का आरोप लगने वाला है इस फिल्म के निर्देशक यश चोपड़ा थे
द स्टोनमैन मर्डर्स- अस्सी के दशक की रियल लाइफ घटनाओं पर फिल्म द स्टोनमैन मर्डर्स पत्थर मार कर अपने शिकार की हत्या करने वाले हत्यारे की गिरफ्तारी पर फिल्म थी इस फिल्म में के के मेनन और अरबाज खान मुख्य भूमिका में थे फिल्म के निर्देशक मनीष गुप्ता थे 
अजनबी- अक्षय कुमार, बॉबी देओल, करीना कपूर और बिपाशा बासु अभिनीत फिल्म अजनबी में राज मल्होत्रा पर हत्या का आरोप लगता है वह शक के आधार पर एक जोड़े का पीछा करता है। इस फिल्म के निर्देशक थ्रिलर फिल्मों के उस्ताद अब्बास मुस्तान की जोड़ी थी
गुमनाम- मनोज कुमार, नंदा, हेलेन, प्राण और महमूद निर्देशित फिल्म गुमनाम एक वीराने बंगले में छोड़ दिए लोगों और उनकी एक के बाद एक होती हत्याओं पर फिल्म थी इस फिल्म का निर्देशन राजा नवाथे ने किया था फिल्म का संगीत सुपर हिट हुआ था 
तीसरी मंजिल- शम्मी कपूर और आशा पारेख की फिल्म तीसरी मंजिल सुनीता की बहन को तीसरी मंजिल से फेंक कर मार देने के दृश्य से शुरू होती थी सुनीता अपनी बहन के कातिल को ढूढ़ना चाहती हैउसे बताया जाता है कि उसकी बहन एक होटल के बैंड प्लेयर रॉकी से प्रेम करती थी  जब हत्या का रहस्य खुलता है, तब दर्शक चौंक पड़ते हैं इस फिल्म का निर्देशन विजय आनंद ने किया था 
१०० डेज- माधुरी दीक्षित के किरदार देवी को होने वाली घटनाओं का आभास हो जाता है. वह भी अपनी बहन के हत्यारे की खोज में लगी है . इस फिल्म का निर्देशन पार्थो घोष ने किया था
खिलाडी- अक्षय कुमार, आयशा जुल्का, सबीहा और दीपक तिजोरी की मुख्य भूमिका वाली फिल्म चार दोस्तों राज, बोनी, शीतल और नीलम की कहानी है शीतल की हत्या हो जाती है किसने की है यह हत्या? अब्बास मुस्तान की जोड़ी को बतौर निर्देशक स्थापित कर देने वाली इस फिल्म में रहस्य का पर्दाफाश चौंकाने वाला था
कौन- केवल मनोज बाजपेई, उर्मिला मातोंडकर और सुशांत सिंह के करैक्टर के इर्दगिर्द घूमती यह फिल्म एक साइको किलर की तलाश कराती थी मनोज बाजपेई का करैक्टर कुछ इसी प्रकार की हरकते करता था, जो उर्मिला के घर घुस आया है इस फिल्म का निर्देशन रामगोपाल वर्मा ने किया था 
एक रुका हुआ फैसला- पंकज कपूर, के के रैना, एम् के रैना, अन्नू कपूर, आदि सशक्त अभिनेताओं की यह फिल्म अपने आप में अनोखी फिल्म थी बारह सदस्यों की जूरी को अपने पिता के कातिल युवक को दोषी ठहराए जाने पर निर्णय लेना है ज़्यादातर एक कमरे में फिल्माई गई इस फिल्म का निर्देशन बासु चटर्जी ने किया था 
समय: व्हेन टाइम स्ट्राइक्स- सुष्मिता सिंह, जैकी श्रॉफ और सुशांत सिंह की मुख्य भूमिका वाली फिल्म में महिला पुलिस अधिकारी एक सीरियल किलर की तलाश कर रही है फिल्म का निर्देशन रोबी ग्रेवाल ने किया था
धुंद- अशोक कुमार, संजय खान, जीनत अमान, डैनी डैंग्जोप्पा और नवीन निश्चल की फिल्म धुंद में एक अपाहिज की हत्या हो जाती है  शक के घेरे में उसकी पत्नी है इस फिल्म का निर्देशन बीआर चोपड़ा ने किया था   
रहस्य- के के मेनन, आशीष विद्यार्थी, टिस्का चोपड़ा और अश्विनी कलसेकर अभिनीत रहस्य डॉक्टर दम्पति की बेटी की हत्या पर फिल्म थी, जिसका दोषी डॉक्टर दम्पति को ही बताया जा रहा है इस फिल्म का निर्देशन मनीष गुप्ता ने किया था
बीस साल बाद- विश्वजीत, वहीदा रहमान, मदन पूरी, मनमोहन कृष्ण, सज्जन और असित सेन अभिनीत फिल्म बीस साल बाद एक हवेली के वंशजो की हो रही हत्याओं पर केन्द्रित फिल्म थी यह बॉलीवुड की पहली हॉरर फिल्म मानी जाती है इस फिल्म से डायरेक्टर बिरेन नाग का डेब्यू हुआ था .
खामोश- नसीरुद्दीन शाह, शबाना आज़मी, अमोल पालेकर, सोनी राजदान और पंकज कपूर की फिल्म खामोश एक उभरती अभिनेत्री की हत्या की गुत्थी सुलझाने की कहानी थी इस फिल्म में अमोल पालेकर, सोनी राजदान और शबाना आज़मी ने खुद के काल्पनिक किरदार किये थे फिल्म के निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा थे 
हॉलीवुड से प्रेरित क्राइम थ्रिलर 
बॉलीवुड की ज्यादा क्राइम थ्रिलर फ़िल्में हॉलीवुड की फिल्मों पर आधारित थी मसलन मनोरमा सिक्स फीट अंडर हॉलीवुड की रोमन पोलंस्की निर्देशित जैक निकल्सन और फाए डनअवे अभिनीत फिल्म चाइनाटाउन (१९७४०) पर, इत्तफाक हॉलीवुड फिल्म साइनपोस्ट पर, अजनबी निर्देशक एलन जे पकुला निर्देशित अमेरिकन थ्रिलर कंसेंटिंग एडल्ट्स पर, एक रुका हुआ फैसला सिडनी लुमेट निर्देशित अमेरिकन फिल्म १२ एंग्री में पर, समय: व्हेन टाइम स्ट्राइक्स ब्रैड पिट और मॉर्गन फ्रीमैन अभिनीत फिल्म Se7en (सेवेन) पर, बीस साल बाद आर्थर कानन डायल की फिल्म द हाउंड ऑफ़ बास्कर्विलेस पर आधारित थी वहीँ द स्टोनमैन मर्डर्स और रहस्य (मोटे तौर पर आरुषी हत्याकांड) रियल लाइफ घटना पर फ़िल्में थी गुमनाम अगाथा क्रिस्टी के मशहूर थ्रिलर उपन्यास एंड देन देयर वर नन, धुंद भी अगाथा क्रिस्टी के उपन्यास द अनएक्सपेक्टेड गेस्ट पर आधारित थी
बढ़िया हिट संगीत 

आम तौर पर थ्रिलर फिल्मों में संगीत का ख़ास महत्त्व नहीं होता। मगर, बॉलीवुड ने कुछ बढ़िया हिट संगीत वाली सस्पेंस थ्रिलर फिल्मों का निर्माण किया है क्राइम थ्रिलर फ़िल्में भी इसका अपवाद नहीं । एक रुका हुआ फैसला, द स्टोनमैन मर्डर्स और इत्तफाक में कोई नाच गीत नहीं थे। लेकिन, तीसरी मंज़िल में आरडी बर्मन, गुमनाम में शंकर जयकिशन, बीस साल बाद में हेमंत कुमार, खिलाडी में जतिन-ललित, धुंद में रवि, गुप्त में विजू शाह और अजनबी में अनु मालिक का संगीत हिट हुआ था । 

अल्पना कांडपाल 

Tuesday 14 June 2016

The official poster of Disney's Pete's dragon

Here's presenting the official poster of Pete's Dragon starring Bryce Dallas Howard, Oakes Fegley, Wes Bentley, Karl Urban, Oona Laurence, Isiah Whitlock, Jr. and Robert Redford. Pete's Dragon, a re-imagining of Disney’s cherished family film, is the adventure of an orphaned boy named Pete and his best friend Elliot, who just so happens to be a dragon.Pete's Dragon releases in India in August 2016.

लास्ट मूमेंट बताया गया कि लिप-लॉक करना है- संगीता चौहान

कई विज्ञापन फिल्मों में अपनी आकर्षक मुस्कान का प्रदर्शन कर चुकी संगीता चौहान आजकल अपनी एक बड़ी फिल्म की रिलीज़ की तैयारी में व्यस्त है । लव यू अलिया टाइटल वाली इस कन्नड़ फिल्म में संगीता को भूमिका चावला, वी रविचंद्रन और सुदीप जैसे बड़े सितारों के साथ अभिनय का मौका मिला है । फिल्म के डायरेक्टर इन्द्रजीत लंकेश साउथ के बड़े निर्देशकों में शुमार किये जाते   हैं । लव यू अलिया कन्नड़ के अलावा हिंदी में भी डब कर रिलीज़ की जा रही है । पेश है संगीता चौहान से एक बातचीत-
लव यू अलिया क्या कोई सन्देश देने वाली फिल्म है ?
आजकल के परिवार में साथ खाने और बैठ कर बातचीत करने के रिश्ते ख़त्म हो चुके  है । यह सम्बन्ध ट्वीट और मेसेज भेजने तक ही सीमित हैं । लव यू अलिया आधुनिक परिवार के सदस्यों के डिनर टेबल पर बैठ कर बातचीत करने और आपसी संबंधो, आदि पर गहराई से नज़र डालती है ।
अलिया के बारे में कुछ बताये
अलिया तलाकशुदा माता-पिता की संतान है । उसे शादी जैसी संस्था पर कतई विश्वास नहीं । वह शादी करना नहीं चाहती । परिस्थितियां उसे महसूस कराती है । मैं इस मुख्य किरदार को करके खुद को । भाग्यशाली समझती हूँ । अलिया एक सीधी साडी लड़की है, जिसे संबंधों से जुड़ना पड़ता है और तब उसकी ज़िन्दगी में जटिलताएं पैदा होने लगती है । आपने अब तक जितने करैक्टर देखें हैं, अलिया उनसे काफी अलग है ।
इन्द्रजीत लंकेश दक्षिण के प्रतिष्ठित नाम है । उनके साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा ?
मैं उनकी कार्य शैली से बेहद प्रभावित हुई हूँ । उन्हें दक्षिण की फिल्मों का यश चोपड़ा कहा जा सकता है । मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे यह रोल मिला और लंकेश ने मुझ पर विश्वास किया । 
क्या इस फिल्म के लिए कोई ख़ास ट्रेनिंग ली ?
मैंने नीरज कबी के साथ एक्टिंग की वर्कशॉप की । नीरज एक्टर भी हैं और एक्टिंग टीचर भी ।
शूटिंग के दौरान का कोई कठिन दौर ?
फिल्म में एक लिप-लॉक का सीन है । मुझे इसकी इत्तला बैंकाक में शूटिंग के दौरान आखिरी मौके पर दी गई । शुरू में मैं समझ नहीं पा रही थी कि इसे कैसे करूंगी । लेकिन, फिर कर लिया ।
आपकी दूसरी फ़िल्में ?
यह मेरी दूसरी फिल्म है । मेरी पहली फिल्म शार्पशूटर थी । मैंने अभी हिंगलिश में एक शॉर्ट फिल्म शूट की है । इसकी निर्देशक हीना डीसूजा हैं । इस फिल्म का वर्किंग टाइटल काफी जटिल था । इसलिए अभी टाइटल फाइनल होना है ।
आप इंडस्ट्री में किसे आदर्श मानती है ?

विद्या बालन मेरी रोल मॉडल हैं । उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बलबूते पर अपना एक यह मुकाम बनाया है । संघर्षों के बावजूद उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी । अभिनेताओं में आर माधवन और आमिर खान मेरे पसंदीदा है । 

Saturday 11 June 2016

नशीली दवाओं चंगुल में फंसा बॉलीवुड

अभिषेक चौबे की फिल्म उड़ता पंजाब आजकल के पंजाब प्रान्त में युवाओं के बीच नशीली दवाओं की समस्या पर फिल्म है।  इस फिल्म में करीना कपूर और शाहिद कपूर लम्बे समय बाद किसी  फिल्म में आ ज़रूर रहे हैं, लेकिन उनके साथ साथ कोई सीन नहीं होंगे।   लेकिन,दर्शकों के लिए समस्या यह नहीं होगी।  वह देखना चाहेंगे कि उनके द्वारा चार साल तक की गई कथित मेहनत ने स्क्रिप्ट में क्या आकार लिया है।  क्या यह फिल्म पंजाबी युवाओं के नशीली दवाओं के जाल में फंसने की घटनाओंं को वास्तविक तथ्यों पर उभार पाए होंगे ? बॉलीवुड ने तो नशीली दवाओं को युवाओं के शौक और मज़े के तौर पर ही दिखाया है।
ड्रग्स पर 'गुमराह' करती फिल्म
निर्माता यश जौहर और निर्देशक महेश भट्ट ने १९९३ में नशीली दवाओं की तस्करी के विषय पर एक फिल्म गुमराह बनाई थी।  इस फिल्म में श्रीदेवी ने एक सिंगर रोशनी का किरदार किया था,  जिसे राहुल प्रमोट करता है और विदेशों में शो करवाता है।  ऐसे ही एक शो के लिए जाते समय रोशनी हांगकांग एयरपोर्ट पर नशीली दवाओं की तस्करी के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया जाता है।  उसे फांसी की सज़ा हो जाती है। ऐसे में जगन्नाथ उसकी मदद करता है।  संजय दत्त ने जगन्नाथ और राहुल रॉय ने प्रमोटर राहुल का किरदार किया था। इस फिल्म को रॉबिन भट्ट और सुजीत सेन ने लिखा था।   लेकिन, वह पकड़ नहीं बन पाई थी।  फिल्म में न तथ्य थे, न विषय की गहराई से समझ थी।  यह फिल्म श्रीदेवी और संजय दत्त की फ्लॉप फिल्मों में शुमार की जाती है।
नेपाल से गोवा तक ड्रग्स
१८ साल बाद निर्देशक रोहन सिप्पी को गोवा में नशीली दवाओं का धंधा नज़र आया।  उस दौर में गोवा इस खासियत के कारण मशहूर हो रहा था।  फिल्म में नशीली दवाओं के तस्करों की तरकीबों, पुलिस की कोशिशों और नशे के दुष्परिणाम का चित्रण काफी अच्छी तरह से हुआ था।  इस फिल्म में दीपिका पादुकोण पर  हरे राम हरे कृष्णा का दम मारो दम गीत का रीमिक्स वर्शन फिल्माया गया था ।  इसके बावजूद फिल्म फ्लॉप हुई।  जिस हरे राम हरे कृष्णा के गीत पर रोहन सिप्पी ने गोवा पर अपनी फिल्म का नाम रख था, देव आनंद और ज़ीनत  अमान की यह फिल्म नेपाल में हिप्पियों और नशे के जाल पर केंद्रित थी।  इस संगीतमय फिल्म ने हिंदुस्तानी दर्शकों को काफी प्रभावित किया था  फिल्म सुपर हिट साबित हुई।  लेकिन, इसके  बाद कोई ऎसी सफल फिल्म नहीं बनाई जा सकी।
ड्रग्स से लग जाते हैं 'पंख'
सुदीप्तो चट्टोपाध्याय निर्देशित फिल्म को नशीली दवाओं पर केंद्रित फिल्म कहना ठीक नहीं होगा।  इस फिल्म में एक बच्चे के मनोविज्ञान का भी चित्रण किया गया था।  जेरी एक बर्बाद परिवार से है।  वह फिल्मों में लड़कियों का किरदार करता है।  माँ के साथ ख़राब सम्बन्ध उसे नशे में धकेल देते हैं।  नशीली दवाओं की डोज़ लेकर वह बिपाशा बासु की फंतासी करता है।  यह फिल्म बाल मनोविज्ञान की दृष्टि से प्रशंसनीय थी।  नशा तो एक पहलू था ही।
नशीली दवाओं के आदती किरदार
बॉलीवुड की काफी फिल्मों के किरदार नशा लेने वाले दिखाये गए हैं।  मधुर भंडारकर की फैशन इंडस्ट्री पर फिल्म फैशन की कहानी मेघना माथुर यानि प्रियंका चोपड़ा पर केंद्रित थी।  फिल्म का शोनाली का किरदार पतन को जा रही मॉडल का था, जो हताशा में नशीली दवाओं में डूब जाता है।  इस भूमिका के लिए कंगना रनौत को सपोर्टिंग एक्ट्रेस का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।  अनुराग कश्यप की आधुनिक देवदास पर फिल्म देव डी में देवदास का किरदार पारो की शादी हो जाने के बाद ड्रग्स लेने लगता है।  अनुराग कश्यप के चले बिजॉय नांबियर की फिल्म शैतान के नशीली दवाओं और शराब में डूबे पांच दोस्त नशे में चूर हो कर अपनी कार से एक स्कूटर सवार को  ठोंक डालते हैं।  इसके बाद शुरू होता है उनका पश्चाताप और एक के बाद ज़िंदगियों का ख़त्म होना।  कंगना रनौत की फिल्म रिवाल्वर रानी में एक्टर बनने मुंबई आया वीर दास का किरदार हमेशा कोकीन सुडकता रहता है।  हँसी तो फसी में परिणीति चोपड़ा का किरदार डिप्रेशन से उबरने के लिए ड्रग्स लेता है।  रागिनी एमएमएस में एक जोड़ा नशे वाली सिगरेट पीता है।  इसके बाद वह लोग सेक्स करने शावर के नीचे  जाते हैं।  तभी लड़का  प्रेत बन जाता है।  लड़की नशीली सिगरेट को इसका कारण बताती है।  गैंग्स ऑफ़ वास्सेपुर में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी हर समय चरस पीते रहते हैं। विशाल भरद्वाज की फिल्म ७ खून माफ़ में सुसन्ना (प्रियंका चोपड़ा) के दूसरे पति बने जॉन अब्राहम ड्रग्स लेते थे ।  उसकी  ज़्यादतियों से तंग आकर सुसन्ना ड्रग की ओवर डोज़ देकर  मार देती है।
ड्रग्स ने बनाया ज़ोंबी
कृष्णा डी के और राज निदिमोरु की निर्देशक जोड़ी की फिल्म गो गोवा गॉन में कुणाल खेमू और  वीर दास के करैक्टर गोवा की एक रेव पार्टी में जाते हैं।  नशे में डूबने के बाद  जब वह सुबह उठते हैं तो पाते हैं कि नशे ने वहा मौजूद तमाम लोगों को ज़ोंबी बना दिया है।  इसके बाद शुरू होती है कॉमिक भागदौड़ और जोम्बियों की मारकाट।  सैफ अली खान ज़ोंबी के वायरस के शिकार ज़ोंबी हंटर बने थे।
ड्रग्स पर हॉलीवुड
नशीली दवाओं के  अंतर्राष्ट्रीय रैकेट को हॉलीवुड की कई फिल्मों में दिखाया गया है। इनमे डायरेक्टर रिडले स्कॉट की डंजेल वाशिंगटन और रशेल क्रोव की फिल्म अमेरिकन गैंगस्टर, डायरेक्टर ब्रायन डी पाल्मा की अल पचीनो अभिनीत स्कारफेस,  निर्देशक डैनी बॉयल की ट्रेनस्पॉटिंग, फर्नांडो मेिरेलस की फिल्म सिटी ऑफ़ गॉड, स्टीवन सोडरबर्ग निर्देशित ट्रैफिक, कोएन ब्रदर्स निर्देशित ऑस्कर अवार्ड विजेता फिल्म नो कंट्री फॉर ओल्ड मेन, डैरेन अरोनोफस्की निर्देशित रिक्विम फॉर अ ड्रीम, निर्देशक टेरी विलियम की फियर एंड लोथिंग इन लॉस वेगासक्वेंटिन टारनटिनो की फिल्म पल्प फिक्शन, टेड डेमे की ब्लो, रिचर्ड लिंकलेटर के डैजड एंड कन्फ्यूज्ड और डायरेक्टर जोशुआ मर्स्टन की मारिया फुल ऑफ़ ग्रेस के नाम उल्लेखनीय हैं। 
ममता कुलकर्णी 
नाना पाटेकर की हिट फिल्म तिरंगा से अपने करियर की शुरुआत करने वाली ममता कुलकर्णी ने अपनी सेक्स अपील के बलबूते शाहरुख़ खान, सलमान खान, आमिर खान और सैफ अली खान के साथ फिल्में की। वह जब तब अपने नखरों और हरकतों के कारण चर्चित होती रही।  एक दिन ममता कुलकर्णी यकायक गायब हो गई।हाल ही में महाराष्ट्र में ठाणे पुलिस के ममता कुलकर्णी के पति विकी गोस्वामी के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी करने की खबर आई है।  ममता और उनके पति नशीली दवाओं  की तस्करी में लिप्त बताये जाते हैं।  

Thursday 9 June 2016

प्रियंका चोपड़ा की पहली भोजपुरी फिल्म

क्वांटिको के बाद बेवाच मूवी की शूटिंग कर मार्च के आखिर में स्वदेश लौटी प्रियंका चोपड़ा अब तक ३० ब्रांड एनडोर्समेंट, चार फिल्म निर्माताओं से बातचीत और दो पत्रिकाओं के लिए फोटोशूट करवा चुकी है। हॉलीवुड में अपना झंडा गड़वा चुकी प्रियंका चोपड़ा अब क्षेत्रीय सिनेमा के लिए कुछ करना चाहती हैं। उनके बैनर पर्पल पेबल पिक्चरस के अंतर्गत बनाई गई पहली भोजपुरी फिल्म बम बम बोल रहा काशी इस शुक्रवार रिलीज़ हो रही है। इस फिल्म का निर्देशन संतोष मिश्र कर रहे हैं। फिल्म में भोजपुरी फिल्मों बड़े सितारे दिनेश लाल यादव निरहुआ और आम्रपाली पाण्डेय मुख्य भूमिका में है। इस फिल्म के ९ जून के पटना प्रीमियर में प्रियंका चोपड़ा भी शामिल हो रही हैं। इससे साफ़ है कि वह अपनी पहली भोजपुरी फिल्म के प्रति कितना गंभीर है। प्रियंका चोपड़ा के बैनर से एक मराठी और एक पंजाबी फिल्म का निर्माण भी किया जायेगा।  प्रियंका का मानना है कि कहानी में गहराई होनी चाहिए। दर्शक ऎसी फिल्म पसंद करेगा। इसे ध्यान में रख कर ही प्रियंका क्षेत्रीय भाषाओँ में फ़िल्में बना रही हैं। 


आम्रपाली में लता मंगेशकर की जगह मधुश्री

बलदेव सिंह बेदी १९६६ की म्यूजिकल, ऐतिहासिक रोमांस ड्रामा फिल्म आम्रपाली का रीमेक बनाने जा रहे है। पचास साल पहले रिलीज़ ऍफ़ सी मेहरा की फिल्म में नगरवधु आम्रपाली का किरदार वैजयंतीमाला ने किया था। सुनील दत्त उनके प्रेमी अजातशत्रु बने थे। रीमेक में आम्रपाली का किरदार कौन अभिनेत्री करेगी, अभी तय नहीं हुआ है। लेकिन, पता चला है कि १९६६ की फिल्म में अजातशत्रु का किरदार करने वाले सुनील दत्त के बेटे संजय दत्त नई आम्रपाली में इस किरदार को करेंगे। पुरानी आम्रपाली के तमाम गीत गायिका लता मंगेशकर ने गाये थे। आज के जमाने की आम्रपाली के सभी गीत मधुश्री गा रही हैं। मधुश्री इस फिल्म के दो गीतों की रिकॉर्डिंग भी कर चुकी है। पहला गीत रशीद खान के साथ मधुश्री का गाया आम्रपाली के बचपन से युवा होने तक के सफ़र को बताने वाला गीत है। दूसरा गीत हल्दी रस्म पर है। आम्रपाली के गीतों को अपनी आवाज़ देने के बारे में मधुश्री कहती हैं, “मैं बहुत उत्साहित हूँ कि मैं आम्रपाली के सभी गीत गा रही हूँ। मैंने पुरानी आम्रपाली के गीत सुने है।  लता जी ने तमाम गीत बहुत शानदार गाये हैं।  मुझे उनके काम को अंजाम देना है।  यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।” आम्रपाली का संगीत रॉबी बादल तैयार कर रहे हैं। 


Wednesday 8 June 2016

टाइटल अजीबो गरीब

इस हफ्ते रिलीज़ होने जा रही, निर्माता सुजॉय सरकार की फिल्म 'TE3N ' बॉलीवुड के विचित्र टाइटल वाली फिल्मों की लम्बी सीरीज में विचित्र टाइटल वाली  ताज़ातरीन फिल्म हैं।  इस फिल्म का टाइटल हिंदी में नहीं। अंग्रेजी टाइटल में टीई और एन के बीच इंग्लिश का ३ है।  इससे यह आभास तो होता ही  है कि फिल्म का टाइटल TEEN (टीन यानि किशोर/किशोरी) होगा।  लेकिन, अंकों में लिखा ३ थोड़ा धोखा भी देता है और उत्सुकता भी जगाता है।  यह फिल्म  वास्तव में तीन चरित्रों की एक गुमशुदा लड़की को खोजने की सस्पेंस थ्रिलर  कहानी है।  
विचित्र साइलेंस 
विचित्र टाइटल वाली फिल्मों का सिलसिला मूक फिल्मों के युग से ही शुरू हो गया था।  १९२० में रिलीज़ श्रीराम पाटनकर की फिल्म द एनचांटेड पिल्स उर्फ़ विचित्र गुटिका टाइटल इसका उदाहरण है।  जे जे मदन की १९२३ में रिलीज़ फिल्म का टाइटल पत्नी प्रताप था।  फिल्मों को आवाज़ मिलने से पहले के साल यानि १९३० में अलबेलो सवार, भोला शिकार, चतुर सुंदरी, डॉटर ऑफ़ अख्तर नवाज़ आउटलॉ, जवान मर्द उर्फ़ डैशिंग हीरो, स्पार्कलिंग युथ उर्फ़ जगमगाती जवानी और रसीली रानी जैसे टाइटल वाली मूक फ़िल्में रिलीज़ हुई।  
बोली भी तो विचित्र---!
चलती फिरती फिल्मों के साल यानि १९३१ में मीठी छुरी जैसे टाइटल वाली साइलेंट फिल्म तथा फौलादी फरमान, गायब ए गरुड़ उर्फ़ ब्लैक ईगल, थर्ड वाइफ और तूफानी तरुणी जैसे टाइटल वाली फ़िल्में रिलीज़ हुई। साफ़ तौर पर, युग चाहे मूक रहा हो या सवाक  फिल्मों का, समाजिक फ़िल्में बनती हो या एक्शन फंतासी फ़िल्में, विचित्र शीर्षकों पर फिल्मों के नाम रखने का सिलसिला लगातार चला आ रहा है।  कभी निर्माता अपनी फिल्मों का कथ्य समझाने के लिए या दर्शकों में उत्सुकता पैदा करने के लिए फ़िल्मों के शीर्षक अजीबो गरीब रख देता है।  कॉमेडी शैली की फिल्मों के शीर्षक तो अपने आप में हास्य पैदा करने वाले होते हैं।  
हंसोड़ विचित्रता 
यह जताने के लिए कि कोई फिल्म कॉमेडी है, विचित्र या ऊटपटांग टाइटल रखा जाना स्वभाविक है।  हू हू हा हा ही ही, अपलम चपलम, तेल मालिश बूट पॉलिश, मुर्दे की जान खतरे में, मिस कोका कोला, मैं शादी करने चला, लडके बाप से बढ़ के, लड़की पसंद है, कुंवारी या विधवा, इसकी टोपी उसके सर, हम तो मोहब्बत करेगा, फॉर लेडीज ओनली, गुरु सुलेमान चला पहलवान, घर में राम गली में श्याम, दो नंबर के अमीर, दो लडके दोनों कड़के,  दामाद  चाहिए,  हंसो हंसो ऐ दुनिया वालों, चलती का नाम गाडी, बढती का नाम दाढ़ी, मुर्दे की जान खतरे में, अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान, गुरु सुलेमान चेला पहलवान, बाप नंबरी तो बेटा दस नम्बरी, धोती लोटा और चौपाटी, आदि टाइटल फिल्म के कॉमेडी होने की ओर इशारा कर रहे हैं।  इस लिहाज़ से दादा कोंडके का जवाब नहीं।  उनकी फिल्मों के टाइटल और संवाद द्विअर्थी हुआ करते थे।  उन्होंने हिंदी में तेरे मेरे बीच में, अँधेरी रात में दिया तेरे हाथ में, आगे की सोच जैसी द्विअर्थी टाइटल और संवाद वाली सफल फ़िल्में बनाई।  वही थोड़ा रूमानी हो जाएँ आम कॉमेडी फिल्मों से हट कर कॉमेडी फिल्म का टाइटल है।  
सामजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल 
सामाजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल फिल्म के कंटेंट की ओर भी इशारा करते हैं।  ख़ास तौर पर दहेज़ जैसी  महिला समस्या को लेकर ऐसे टाइटल वाली फ़िल्में खूब बनी।  बन्दूक दहेज़ के  सीने पे,  ज्वाला दहेज़ की, दूल्हा बिकता है, सस्ती दुल्हन महंगा दूल्हा, आदि विचित्र शीर्षकों वाली फ़िल्में दहेज़ की गम्भीर समस्या पर थी।  इनके अलावा एक फूल तीन कांटे, फैशनेबुल वाइफ,  अकेली मत जइयो, आप तो ऐसे न थे, बाली उमर को सलाम, बिन माँ के बच्चे, ग्यारह हजार लड़कियां, कब तक चुप रहूंगी, कितना बदल गया इंसान, मैं और मेरा हाथी, मैं नशे में हूँ, मेरा पति सिर्फ मेरा है, प्यार करने वाले कभी कम न होंगे, प्यार किया है प्यार करेंगे, क़ैद में है बुलबुल, यहाँ से शहर को देखो, उधार का सिन्दूर, समाज को बदल डालो, आदि फ़िल्में किसी न किसी सामाजिक समस्या पर फ़िल्में थी।  
यह लड़की लड़ैत है 
कुछ फिल्मों के विचित्र टाइटल नायिका के लड़ैत यानि एक्शन हीरोइन होने की ओर इशारा करते हैं। सीतापुर की गीता, सिपाही की सजनी, सिन्दूर और बन्दूक, टार्ज़न की बेटी, मिस फ्रंटियर मेल, मिस कोका कोला, मेहनि बन गई खून, मैं चुप नहीं रहूंगी, मैं अबला नहीं हूँ,  हातिमताई  की बेटी, एलीफैंट क्वीन, दिलरुबा तांगेवाली, डाकू की लड़की, कार्निवाल क्वीन, बसंती तांगेवाली, बम्बई की बिल्ली, बागी हसीना, आलम आरा की बेटी, अफलातून औरत,  जंगल की बेटी, आदि फिल्मों की नायिका समाज से सताई हुई, बलात्कार या अन्याय की शिकार और तंग आ कर हथियार उठा लेने वाली औरत थी।  
विचित्र कामुकता 
कामुक या सेक्सी फिल्मों के टाइटलों में भी विचित्रता दिखाई देती है।  लेकिन, यह टाइटल बताते हैं कि फिल्म सेक्सी है।  नायिका का  उदार अंग प्रदर्शन और बिस्तर के दृश्यों की गारंटी होते हैं यह अजीबोगरीब टाइटल।  जवानी की भूल, जंगल ब्यूटी, एक्ट्रेस क्यों  बनी,  बैडरूम स्टोरी, भटकती जवानी, मन तेरा तन मेरा, आदि टाइटल वाली फिल्मों की नायिका कपडे  उतार फेंकने में उदार थी।  यह टाइटल फिल्म के सी-ग्रेड की होने की ओर भी इशारा करते हैं।  
हॉलीवुड फिल्मों को विचित्र टाइटल 
आजकल हॉलीवुड की ज़्यादातर फ़िल्में हिंदी में डब कर रिलीज़ की जाने लगी है।  इनके हिंदी टाइटल आम तौर पर मूल टाइटल को हिंदी में लिख कर ही रख दिए जाते जाते हैं।  लेकिन, मज़ा तब आता है, जब यह खालिस हिंदी में रखे जाते हैं।  ऐसे में  वुल्फ ऑफ़ वाल स्ट्रीट, दलाल स्ट्रीट का भेदिया बन जाता है।  अमेरिकन हसल को अमेरिकी धोखा कहा जाता है।  हॉरर फिल्म द कजउरिंग का टाइटल शैतान का बुलावा और मैन ऑफ़ स्टील आदमी इस्पात का हो जाता है।  कुछ दूसरी हॉलीवुड फिल्मों के विचित्र हिंदी टाइटल वाली फिल्मों का ज़िक्र आगे किया गया है। इनमे रैट ए टू ई (बिंदास बावर्ची, अप (उड़न छू), द लीजन (मौत के फरिश्ते), स्टुअर्ट लिटिल २ (छोटे मियां क्या कहना), मॉन्स्टर इंक (डर की दूकान), पोम्पेइ (क़यामत की रात), हेल बॉय (नरक पुत्र) फाइनल डेस्टिनेशन ३ (मौत का झूला), घोस्ट राइडर (महाकाल बदले की आग), डीप ब्लू सी (मौत का समुन्दर), चार्लीज़ एंजल्स (त्रिशक्ति), रेजिडेंट ईविल (प्रलय-अब होगा सर्वनाश, वर्ल्ड वॉर जेड (प्रेतों का आतंक) कैप्टेन अमेरिका (महादबंग), आयरन मैन  ३ (फौलादी रक्षक), द हीट (गरमी),  इन्सेप्शन (सपनो का मायाजाल चक्रव्यूह), डंस्टन चेक्स इन (एक बन्दर होटल के अंदर), स्टार वार्स: अटैक ऑफ़ द क्लोन्स (हमशक्लों का हमला), लारा क्रॉफ्ट: तुंब रेडर (शेरनी नंबर १),  किस ऑफ़ द ड्रैगन (मौत का चुम्मा), आई एम लीजेंड (ज़िंदा हूँ मैं), नाईट ऐट द म्यूजियम (म्यूजियम के अंदर फँस गया सिकन्दर), द सिक्स्थ डे (मुक़ाबला अर्नाल्ड का) और प्लेनेट ऑफ़ एप्स (वानर राज)   विचित्र टाइटल उल्लेखनीय हैं।  
विचित्र भोजपुरी 


भोजपुरी फिल्मों  के टाइटल की विचित्रता बेजोड़ है।  सीरियस से सीरियस फिल्म के टाइटल पढ़ कर आपकी हंसी नहीं रुक सकती।  अब पढ़िए न लैला   माल बा छैला  धमाल बा, अज़ब देवर की गज़ब भौजाई , मिया अनाड़ी बा बीवी खिलाड़ी बा, ए बलमा बिहार वाला, ल ही डांटा हिलवल आधा घंटा, ठोंक देब, रिक्शावाला आई लव यु, सैया जिगरबाज, पेप्सी पी के लागेलू सेक्सी, मेहरारू बिना रतिया कैसे कटी, सास रानी बहु नौकरानी, लहरिया लूट ए राजाजी, आदि भोजपुरी फिल्मों के नाम।  


Monday 6 June 2016

डिज्नी के साथ मयूर पूरी की हैटट्रिक

संवाद लेखक मयूर पूरी डिज्नी के साथ हैट्रिक को तैयार है । द जंगल बुक और कैप्टेन अमेरिका: सिविल वॉर के बाद, डिज्नी ने मयूर पूरी से अपनी तीसरी फिल्म फाइंडिंग डोरी के हिंदी संवाद लिखने का जिम्मा सौंपा है । १७ जून को रिलीज़ होने जा रही इस एनिमेटेड करैक्टर वाली फिल्म में निमो और मर्लिन अपने माता पिता से मिलने के प्रयास में लगी डोरी की मदद करते हैं । फाइंडिंग निमो की इस सीक्वल फिल्म में निमो, मर्लिन और डोरी से साथ कई दूसरे करैक्टर नए शामिल हैं । बिछुड़े हुए परिवार से मिलाने की इस कहानी से मनमोहन देसाई की फिल्मों की याद आ सकती है । एंड्रू स्टेंटन निर्देशित फाइंडिंग डोरी की डबिंग डायरेक्टर एलिजा लुईस है । फाइंडिंग डोरी के इंग्लिश संवाद एलेन डीजेनरेस, अल्बर्ट ब्रुक्स,  डीएन कीटन, टय बर्रेल, एड ओ'नील और इदरीस एल्बा ने क्रमशः डोरी, मार्लिन, जेनी, बैली, हेंक और फ्लूक के एनिमेटेड किरदारों को आवाज़ दी है।   

करणवीर बोहरा की फिल्म में जूही चावला का कैमिया

टीवी एक्टर करणवीर बोहरा और प्रिया बनर्जी की मुख्य भूमिका वाली फिल्म हमे तुमसे प्यार कितना में जूही चावला कैमिया करेंगी । इस फिल्म के निर्माता महेंद्र बोहरा हैं, जिन्होंने जूही चावला के साथ कुछ फ़िल्में बतौर सह निर्माता पहले भी बनाई हैं। इस निर्माता-अभिनेत्री की जोड़ी के संबंधों में आज भी वही गर्माहट हैं। सच्चाई तो यह है कि महेंद्र बोहरा के लिए जूही चावला लकी मैस्कॉट हैं । करणवीर ने जूही चावला के साथ किस्मत कनेक्शन फिल्म में छोटी भूमिका साथ की थी । हमें तुमसे प्यार कितना में करण का निगेटिव रोल है । इस रोल के लिए करण शाहरुख़ खान की फिल्म बाज़ीगर के अलावा डर से भी टिप्स ली हैं । संयोग ही है कि डर में शाहरुख़ खान की नायिका जूही चावला ही थी । इस फिल्म के डायरेक्टर ललित मोहन हैं । 


Sunday 5 June 2016

सोफिया हयात ने कहा- मैं सेक्स नहीं करूंगी

मॉडल, एक्ट्रेस और सिंगर सोफिया हयात हमेशा से अपनी सेक्स अपील के लिए चर्चा में रही हैं। आजकल वह कुछ दूसरे कारण से चर्चा में हैं।  सोफिया हयात अब नन बन चुकी हैं। उन्होंने अपना नाम बदल कर गइया मदर सोफ़िया रख लिया है। इस खबर के फैलने के बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की और अपनी जिंदगी को लेकर नए खुलासे किये । खुद सोफिया ने माना कि वह रातोंरात नन नहीं बन गईं, बल्कि रिलेशनशिप में प्रताड़ित होने के कारण आखिर में उन्होंने यह फैसला लिया। इंग्लैंड में रह रहीं सोफिया ने बताया, 'जिंदगी में डरा हुआ होने के कारण मुझमें ये बदलाव आया। एक रिश्ते की वजह से मैं बेहद परेशान थी। खुद को मारने की कोशिश भी कर चुकी थी। मै थोड़ी ठीक हुई तो मुझे लगा कि मेरी जिंदगी भगवान का गिफ्ट है। मेकअप नकलीपन होता है और इसके जरिए वैसा दिखने की कोशिश करते हैं, जैसे हम नहीं होते हैं। इसी तरह एक्टिंग भी है। मैं जीवन में ज्यादा वक्त तक एक्टिंग नहीं कर सकती थी, क्योंकि यह फाल्स रियलिटी की तरह है। राम, कृष्ण और गणेश मेरे पास आए और कहा कि धरती स्वर्ग है और वहां नर्क के लिए कोई जगह नहीं है। इसीलिए मैं धरती को स्वर्ग जैसा बनाना चाहती हूं।
सोफ़िया ने अपनी सिलिकॉन इम्प्लांट की छाती को हटा दिया है। वह सेक्स से बिलकुल ऊब चुकी हैं।  आखिर में सोफिया ने कहा 'अब मैं सेक्स कभी नहीं करूंगी। ना ही शादी करूंगी और न बच्चे पैदा करूंगी। मैं होली मदर हूं, इसलिए सभी मेरे बच्चे हैं।'

Saturday 4 June 2016

बॉलीवुड की पहली मिस इंडिया थी नूतन !

सचमुच कितना बदल गया है हिंदी सिनेमा या कहें बॉलीवुड ! कभी भारतीय सिनेमा के पितामह दादासाहेब फाल्के को तारामती बनने के लिए कोई  महिला नहीं मिली थी। समय के साथ समाज का फिल्मों के प्रति नजरिया बदला। फिल्मों में काम करने के लिए सम्भ्रान्त घराने की महिलायें भी आने लगी।  इसके  बावजूद महिलाओं के सन्दर्भ में हिंदी सिनेमा के टैबू बने रहे। आजकल मॉडल्स, मिस इंडिया, मिस यूनिवर्स या वर्ल्ड और न जाने क्या क्या को बॉलीवुड बाहें फैला कर स्वागत करता है।  लेकिन, कभी बॉलीवुड को मिस इंडियाओं पर भरोसा नहीं था।  अगर ऐसा न होता तो मिस इंडिया नूतन को हिंदी फिल्मों के लिए संघर्ष न करना पड़ता।  हिंदी फिल्मों में काम करने वाली पहली मिस इंडिया थी नूतन समर्थ (बाद में बहल)। आज के दौर में जहां मिस इंडिया का खिताब जीतने वाली सुंदरियों को फिल्मों में काम करने का मौका आसानी से मिल जाता है वहीं नूतन को फिल्मों में काम पाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ा था। उन्होंने कई सौंदर्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया।  वह मिस इंडिया बनी। इसके बावजूद बॉलीवुड ने उनकी तरफ  ध्यान नहीं दिया।  उनकी माँ शोभना समर्थ ने फिल्म हमारी बेटी में खुद की बेटी बना कर पेश किया।  इसी बीच नूतन को दिलीप कुमार के भाई नासिर खान के साथ फिल्म नगीना मिली।  फिल्म फ्लॉप हुई।  नूतन को पहचान मिली बलराज सहनी के साथ फिल्म सीमा एक विद्रोहिणी युवती के किरदार से।  इस फिल्म के बाद नूतन का सिक्का जम गया। उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार मिला।  उन्होंने दिल्ली का ठग (१९५८) में स्विमसूट पहन कर तहलका मचा दिया। नूतन हरफनमौला अभिनेत्री थी। उन्होंने दिल्ली का ठग जैसी कॉमेडी फ़िल्में भी की, तेरे घर के सामने जैसी हलकी फुलकी रोमांस फ़िल्में भी और बंदिनी, सरस्वती चन्द्र, दुल्हन एक रात की, मिलन, आदि गम्भीर फ़िल्में भी की।  उन्होंने कई फिल्मफेयर पुरस्कार जीते। वह फिल्म साजन का घर की प्रोडूसर थी। उन्होंने फिल्म यादगार में एक गीत भी गाया था। उन्हें १९७४ में पद्मश्री मिली।  ४ जून १९३६ को जन्मी नूतन बहल की मृत्यु कैंसर से ५५ साल की उम्र में २५ फरवरी १९९१ को मृत्यु हो गई। 

म्यूजिक वीडियो में बॉलीवुड सेलिब्रिटी

भट्ट कैम्प की सुपरहिट फिल्मआशिकी 2’के गानेसुन रहा है न तू...से अपनी पहचान बना चुके संगीतकार-गायक अंकित तिवारी अपने नए सिंगल बदतमीज’ को लेकर चर्चा में हैं। खास बात यह कि गोवा में शूट किए गए इस गाने को उन्होंने ही गाया है और कंपोज भी किया है। इस गाने के वीडियो में वह एक्ट्रेस सोनल चैहान के साथ इश्क फरमाते भी नजर आते हैं। अंकित तिवारी का यह म्यूजिक वीडियो न पहला है और आखिरी ही। म्यूजिक वीडियो दर्शकों के ज़ेहन में जगह बनाने के ख्याल से बेजोड़ हैं।  इसीलिए, काफी बॉलीवुड स्टार म्यूजिक वीडियो में नज़र आते हैं।  
हुमा कुरेशी और विद्युत जम्वाल का दिल्लगी
पाकिस्तानी गायक राहत फ़तेह अली खान ने मरहूम गायक नुसरत फ़तेह अली खान के एक गीत दिल्लगी के रूपांतरण को गाया है।  टी-सीरीज द्वारा जारी किये जाने वाले इस गीत के वीडियो में विद्युत जमवाल और हुमा कुरैशी रोमांस करती नज़र आएँगी। बीच बीच में खुद राहत गीत गाते नज़र आएंगे।  इस  वीडियो में विद्युत के सामान्य नौजवान की तरह नज़र आएंगे तो एक खूबसूरत लड़की हुमा कुरैशी से दिली मोहब्बत करता है। विद्युत कहते हैं, "हालाँकि, एक्शन फिल्मों में भी रोमांटिक गीत होते  हैं।  लेकिन, इस गीत से मैं खालिस रोमांस की दुनिया में उतरा हूँ।" यह गीत जून में जारी होगा। दिल्लगी से पहले  भी हुमा कुरैशी एल्बम 'मिट्टी दी खुशबू' कर चुकी हैं। आयुष्मान खुराना के इस पंजाबी गीतों के एल्बम को टी-सीरीज ने ही जारी किया था।  
सोनम कपूर का पहला अंतर्राष्ट्रीय एल्बम
कई बॉलीवुड अभिनेत्रियां इंटरनेशनल हो गई हैं।  ब्रिटिश रॉक बैंड कोल्ड प्ले का सातवां एल्बम इंडियन ऑडियंस के लिहाज़ से ख़ास है।  इस एल्बम के एक गीत के वीडियो में भारतीय अभिनेत्री सोनम कपूर का कैमिया हुआ है।  कोल्डप्ले के इस दूसरे वीडियो 'ह्यम ऑफ़ ड्रीम्स' (Hymn of Dreams) को बॉन मोर ने डायरेक्ट किया है। इस एल्बम के वीडियो में भारतीय प्रभाव है।  एल्बम की शूटिंग वर्ली मुंबई के गोल्फा देवी मंदिर में हुई है।  सोनम कपूर पूरे भारतीय घाघरा चोली, कंठ हार, झुमके, बिंदा, आदि में सजी नज़र आती है।  इस एल्बम की परिकल्पना सोनम कपूर की छोटी बहन रिया कपूर की है।
एषा गुप्ता का भी इंटरनेशनल एल्बम 
इमरान हाश्मी के साथ म्यूजिक वीडियो मैं रहूँ या न रहूँ के बाद एषा गुप्ता का रुतबा बढ़ा है। अब उन्होंने भी इंटरनेशनल म्यूजिक वीडियो की ओर कदम बढ़ा दिए हैं।  जहाँ मैं रहूँ एक खालिस क्लासिकल रोमांटिक नंबर पर था, एषा इंटरनेशनल म्यूजिक वीडियो इडीएम म्यूजिक शैली में हैं। इस वीडियो में एषा का लुक काफी ग्लैमरस होगा।  उन्हें छोटा हेयर कट रखना होगा।  कहा जा रहा है कि उनका यह लुक अंतर्राष्ट्रीय संगीत जस्टियों अवरिल लैविने और जेनिफर लोपेज़ जैसा होगा। एषा कहती हैं, "मैं पहले से ही काफी व्यस्त हूँ।  फिर भी यह उत्साहपूर्ण है।" 
ऋषि रिच के साथ अमृत दासु के सिंगल में मल्लिका शेरावत
इंटरनेशनल एल्बम के लिहाज़ से मल्लिका शेरावत सबसे आगे नज़र आती हैं। प्रमुख म्यूजिक कंपनी यूनिवर्सल म्यूजिक के  रोस्टर में पहला नाम न्यू यॉर्क/ न्यू जर्सी के पॉप सेंसेशन अमृत दासु उर्फ़ दासु का जुड़ गया है।  दासु, एशिया के सबसे सफल म्यूजिक प्रोडूसर ऋषि रिच की खोज हैं।  उन्होंने  दासु की प्रतिभा को पहचाना और अपने प्रशिक्षण में ले लिया।  इसी का नतीज़ा है कि आज दासु   का संगीत की दुनिया से परिचय यूनिवर्सल म्यूजिक समूह के ज़रिये हो रहा है।  दासु का पहला सिंगल 'दिल क्या करे (डिड आई लव यू ?)  ऋषि रिच  और दासु ने लिखा है।  ऋषि रिच ने १९७५ के फिल्म जूली के हिट गीत  दिल क्या करे का मुखड़ा लेकर गीत तैयार किया है।  इस गीत के वीडियो में लीड एक्ट्रेस मल्लिका शेरावत दासु के साथ गोवा की खूबसूरत लोकेशन में नज़र आती हैं।  इस वीडियो का निर्देशन इमैजिक मीडिया की नमीता प्रेमकुमार ने किया है।
म्यूजिक वीडियो में  गुलशन कुमार की बेटी
म्यूजिक लेबल टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की दो बेटियों में बड़ी तुलसी कुमार प्लेबैक सिंगर हैं। उनकी छोटी बेटी खुशाली कुमार फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में गई।  अपना अलग लेबल बनाया।  अब वह एक बिलकुल नए अवतार में नज़र आने जा रही हैं।  वह १९९१ में रिलीज़ आमिर खान की फिल्म 'दिल है कि मानता नहीं' के गुलशन कुमार को प्रिय गीत 'मैनु इश्क़ दा लाग्या रोग' के म्यूजिक वीडियो में बिलकुल ग्लैमरस अंदाज़ में नज़र आएंगी। म्यूजिक वीडियो में काम करने का आईडिया खुशाली के भाई और टी-सीरीज के मालिक भूषण कुमार का था।  भूषण कुमार आजकल गुलशन कुमार को प्रिय कई गीतों को नए अंदाज़ और धुन में समेत कर म्यूजिक वीडियो के साथ पेश कर रहे हैं। पिछले दिनों, गुलशन कुमार की याद में उनका एक अन्य पसंदीदा गीत 'धीरे धीरे से मेरी ज़िंदगी में आनायो यो हनी सिंह द्वारा रीक्रिएट कर ह्रितिक रोशन और सोनम कपूर पर फिल्माया गया था।'मैनु इश्क़ दा लाग्या रोग' इसी की कड़ी में हैं।  इस गीत का वीडियो खुशाली ने ही डिज़ाइन किया है।  खुशाली पर फिल्माए जाने वाले इस गीत को बड़ी बहन तुलसी कुमार ने गाया है। इस वीडियो की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। इन दोनों गायिका और अभिनेत्री बहने अपने पिता गुलशन कुमार को श्रद्धांजलिस्वरुप मेरे पापा एल्बम पेश करने जा रही है।  
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का इश्क़ अनोखा 
बजरंगी भाईजान, बदलापुर और मांझी जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके नवाज़ुद्दीन सिद्द्की भी म्यूजिक वीडियो में काम कर चुके है।  कैलाश खेर के एल्बम इश्क़ अनोखा के इस वीडियो में नवाज़ुद्दीन मिस इंडिया अर्थ शोभिता धुलिपला के साथ हैं। यूट्यूब पर इस वीडियो को लाखों हिट मिल चुकी हैं।   
सारा जेन डिआस का म्यूजिक विडियो 
मोज़ेज़ सिंह की हालिया रिलीज़ फिल्म 'जुबान' को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोहरत मिली। लेकिन, इस फिल्म के लिए देश में दर्शक जुटाने के लिए म्यूजिक वीडियो का सहारा लेना पड़ा। रेचल वर्गीस के गए गीत म्यूजिक इस माय आर्ट में अभिनेत्री सारा जेन डिआस जेनिफर लोपेज़ के अंदाज़ में विक्की कौशल के साथ थिरक रही थी। यह म्यूजिक वीडियो दिल्ली की बैकग्राउंड पर था। इसे सुनते समय अनायास पाकिस्तानी पॉप गायिका नाज़िया हसन की याद आती थी।    
जीएफ बीएफ जैक्विलिन फर्नांडीज़ और सूरज पंचोली 
इस साल फरवरी में गुरिदर सैगल का गाये गीतों का एल्बम रिलीज़ हुआ था।  इस एल्बम में सूरज और जैक्विलिन इस गीत को स्ट्रीट डांसर की तरह नाचते गाते नज़र आते है।  इस एल्बम को इस साल का बड़ा क्लब डांस म्यूजिक  बताया जा रहा है।  
जीना जरूरी था इमरान हाश्मी और विद्या बालन का
टी-सीरीज को पाकिस्तानी गायक राहत फ़तेह अली खान के साथ ख़ास लगाव है।  कुछ समय पहले इस कंपनी ने राहत फ़तेह अली खान के एल्बम बैक २ लव को रिलीज़ किया था।  यह सला का सबसे ज़्यादा बिकने वाल नॉन- फिल्म एल्बम में शुमार हो गया था। इस एल्बम के सिंगल ज़रूरी था में इमरान हाश्मी और विद्या बालन की केमिस्ट्री जमती नज़र आती थी। बाद में इस गीत को विद्या बालन, राजकुमार यादव और इमरान हाशमी की फिल्म 'हमारी अधूरी कहानी में शामिल कर लिया गया। 

गोल्डनऑय की बांड गर्ल इजाबेला स्कोप्को

गोल्डनऑय की बांड गर्ल इजाबेला स्कोप्कोबांड सीरीज की १९९५ में रिलीज़ फिल्म 'गोल्डनऑय' में रशियन एयर फ़ोर्स में काम करने वाली नताल्या सिमोनोवा का किरदार करने वाली इजाबेला स्कोप्को पोलिश-स्वीडिश मूल  की अभिनेत्री, गायिका और मॉडल हैं।  केवल १८ साल की उम्र में इमें कान अलास्का सोम वि से फिल्म डेब्यू करने वाली नताल्या ने अभी तक को डेढ़ दर्जन फ़िल्में और टीवी सीरीज की हैं।  उनके चार सिंगल्स और एक एल्बम निकल चुके है।  पिछले साल वह स्लीपवॉकर फिल्म में नज़र आई थी।  जेम्स बांड की रूसी बांड गर्ल  ४ जून १९७० को जन्मी थी।

जब मोहम्मद रफ़ी ने किया मोहम्मद अली को पंच

यह वाक़या १९७९ का है।  मोहम्मद रफ़ी अमेरिका में १४ शहरों के टूर पर थे।  वह महान बॉक्सर मोहम्मद अली के प्रशंसक थे।  मोहम्मद रफ़ी के एक प्रशंसक ने रफ़ी और अली को रु-ब- करवा दिया।  मोहम्मद रफ़ी और मोहम्मद अली पूरे ४५ मिनट बॉक्सिंग और म्यूजिक पर बातचीत करते रहे।  बातचीत ख़त्म होने के बाद दोनों ने साथ फोटो खिंचाने की इच्छा ज़ाहिर की।  अली ने रफ़ी को सुझाव दिया कि रफ़ी उन्हें पंच करे, बदले में अली रफ़ी को पंच करेंगे।  हँसते हुए दोनों ने यह बॉक्सिंग पोज़ कैमराबंद करवाया।  रफ़ी के उस समय १८ साल के बेटे शाहिद ने यह फोटो खींचा।   मोहम्मद अली के  प्रशंसकों में  लता मंगेशकर का नाम भी शामिल है।  लता ने अली की मृत्यु पर शोक जताते हुए, ट्विटर पर एक फ्लाइट के दौरान अली से मिलने का ज़िक्र किया और अपनी और अपनी भतीजी की अली के साथ फोटो भी ट्वीट की।  मिथुन चक्रवर्ती भी मोहम्मद अली के प्रशंसक  थे।  उन्हें अपने योगिता बाली से बेटे का नाम माइकल जैक्सन और मोहम्मद के नामों की शुरूआती स्पेलिंग  मिलाते हुए मिमोह रखा था।  बॉलीवुड की कई हस्तियों शाहरुख़ खान, अभिषेक  बच्चन, अनुष्का  शर्मा, रणदीप हूडा, अली अब्बास ज़फर, राणा डग्गुबाती, साजिद खान, फरहान अख्तर, कुणाल कोहली, अथिया शेट्टी, अर्जुन कपूर, आदि ने अपनी संवेदनाएं ट्वीट की ।

अंधे और लंगड़े लड़कों की 'दोस्ती'

६ नवंबर १९६४ को राजश्री प्रोडक्शन्स से एक फिल्म दोस्ती रिलीज़ हुई थी।  सत्येन बोस निर्देशित यह फिल्म एक बांगला फिल्म 'ललू-भुलु' का हिंदी रीमेक थी।  इस फिल्म से दो नए चहरे सुधीर कुमार और सुशील कुमार का हिंदी दर्शकों से परिचय हुआ था।  सुधीर कुमार ने अंधे लडके मोहन की भूमिका की  थी, जो सडकों पर गीत गा कर अपने लंगड़े दोस्त रामू को पढ़ाना चाहता है।  रामू की भूमिका सुशील कुमार ने की थी।  दोस्ती अभिनेता संजय खान की डेब्यू फिल्म थी।  फिल्म में मोहन की नर्स बहन और संजय खान की प्रेमिका की भूमिका करने वाली मराठी एक्ट्रेस उमा राव की भी यह पहली फिल्म थी।  बेबी फरीदा ने एक बीमार बच्ची और रामू और मोहन की दोस्त का किरदार किया था।  बेबी फरीदा अब बड़ी हो कर दादी बन गई हैं।  उन्हें टीवी और फिल्मों में आज भी देखा जा सकता है।  लेकिन, सबसे ज़्यादा दिलचस्प है दोनों अंधे और लंगड़े लड़कों का किरदार करने वाले लड़कों के बारे में।  जब फिल्म रिलीज़ हुई और बड़ी हिट साबित हुई तो उस समय यह अफवाह उडी की इन दोनों का किसी बड़े एक्टर ने खुन्नस में मर्डर करवा  दिया, क्योंकि यह उससे ज़्यादा लोकप्रिय हो गए थे।  यह भी अफवाह थी कि यह सड़क दुर्घटना में मारे गए।  लेकिन, यह सब अफवाहे थी।  अलबत्ता इन दोनों का करियर लंबा नहीं चल सका।  सुशील कुमार को फिल्मों से मोह-भंग हो गया था।   क्योंकि, फिल्म निर्माता इन दोनों का स्क्रीन टेस्ट लेते।  पर फाइनल कभी नहीं कर पाते। राजश्री के ताराचंद बड़जात्या इन दोनों को लेकर अगली फिल्म बनाना चाहते थे।  इन माहवार तनख्वाह भी दी जा रही थी।  लेकिन, तभी सुधीर कुमार को एवीएम की फिल्म लाडला का ऑफर मिला। सुधीर ने इस फिल्म को राजश्री प्रोडक्शन के साथ कॉन्ट्रैक्ट के बावजूद स्वीकार कर लिया। इसके लिए सुधीर को हर्जाना भी देना पड़ा।  इससे नाराज़ हो कर ताराचंद बड़जात्या ने वह प्रोजेक्ट ही ख़त्म कर दिया। हालाँकि, सुधीर कुमार ने बाद में संत ज्ञानेश्वरलाडला, जीने की राह, आदि फ़िल्में की। लेकिन, तब तक सुशील कुमार का फिल्मों से मोह भंग हो गया।  उन्होंने एयरलाइन्स ज्वाइन कर ली। दुखद घटना हुई सुधीर कुमार के साथ।  हुआ यह कि १९९३ के बॉम्बे बम ब्लास्ट के बाद बॉम्बे में कर्फ्यू लगा हुआ था।  सुधीर कुमार मुर्गा खा रहे थे कि एक हड्डी उनके गले में फंस गई। उनका गला बुरी तरह से घायल हो गया। कर्फ्यू लगा होने के कारण उन्हें इलाज भी नहीं मिल पाया।  कुछ दिनों बाद उनकी मृत्यु हो गई। सुशील कुमार ज़रूर स्वस्थ एवं सानन्द अपनी रिटायरमेंट की ज़िंदगी जी रहे हैं।

Friday 3 June 2016

जब मिल जाएँ तीन यार !

१९८४ में रिलीज़ अमिताभ बच्चन की फिल्म शराबी में संगीतकार बप्पी लहरी ने एक गीत रचा था- जहाँ चार यार मिल जाएँ वहीँ रात हो गुलजार।  हालाँकि, एक अमीर आदमी के शराबी पुत्र की इस कहानी में रोमांस था और उनकी  इंस्पेक्टर बने दीपक पराशर की दोस्ती की कहानी थी।  इस गाने से एक बात तो साफ़ होती ही है कि जहाँ चार यार  मिल जाएँ, वहीँ रात हो गुलजार, लेकिन जब फिल्म की कहानी दो किरदारों की दोस्ती की कहानी है तो यह सोचा जाना लाजिमी है कि जहाँ तीन यार मिल जाएँ तो क्या होता होगा ?
इस हफ्ते निर्माता साजिद नाडियाडवाला की साजिद फरहाद निर्देशित फिल्म हाउसफुल ३ रिलीज़ हो रही है। यह फिल्म तीन दोस्तों सैंडी, बंटी और टेडी की कहानी है।  इन भूमिकाओं को अक्षय कुमार, अभिषेक बच्चन और रितेश देशमुख कर रहे हैं।  जब तीन यार मिल जाएँ तो रोमांस भरा धमाल तो होना ही है।  जी हाँ, हाउसफुल फ्रैंचाइज़ी की इस तीसरी फिल्म में खूब मस्ती और कॉमेडी है। इनके साथ जैक्विलिन फर्नाडीज, नर्गिस फाखरी और लिसा हैडन का ग्लैमर और सेक्स अपील भी है। इसमें कोई शक नहीं कि जब तीन दोस्त मिलते हैं तो गज़ब की कॉमेडी होती है।  फिल्म मस्ती हो या ग्रैंड मस्ती या फिर आने वाली ग्रेट ग्रैंड मस्ती, फुल 2 फुलटॉस मस्ती है।  इसे आप द्विअर्थी या अश्लील मस्ती भी कह सकते हैं।  विवेक ओबेरॉय, रितेश देशमुख और आफताब शिवदसानी की दोस्त तिकड़ी हंसाते हंसाते लोटपोट कर देती है।  यही कारण है कि निर्देशक लव रंजन की २०११ में रिलीज़ तीन दोस्तों रजत, निशांत और विक्रांत की कॉलेज की दोस्ती की दास्ताँ स्लीपर हिट साबित होती है। बावजूद कार्तिक आर्यन, दिव्येंदु शर्मा और रायो एस बखिर्ता के नए चेहरों के।  यहाँ तक कि इस फिल्म का सीक्वल भी हिट साबित होता है।  प्रियदर्शन ने २००० में तीन दोस्तों के साथ कॉमेडी को नए आयाम दिए थे। राजू, घनश्याम और बाबूराव गणपत राव आप्टे की इस कॉमेडी चखचख में साफ़ सुथरा हास्य भरा था।  अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी और परेश रावल ने कॉमेडी का कुछ ऐसा बारूद बनाया था कि हेरा फेरी की फ्रैंचाइज़ी बन गई।  फिर हेरा फेरी के बाद खबर थी कि तीसरी फिल्म में अक्षय, सुनील और परेश नहीं होंगे।  लेकिन, बात नहीं बनी। निर्माता फ़िरोज़ नाडियाडवाला को इन्हीं तीनों की हेरा फेरी चाहिए।  बासु चटर्जी ने १९८२ में तीन बूढ़े दोस्तों की कहानी शौक़ीन में दिखाई  थी,  जो एक मॉडल पर लाइन मारने लगते हैं।  अपनी साफ़ सुथरी कॉमेडी कारण यह फिल्म हिट हुई थी।  इसके बाद २०१४ में इस फिल्म का रीमेक पियूष मिश्र, अनुपम खेर और अन्नू कपूर के साथ द शौकीन्स बनाया गया तो दर्शकों  ने इसे नापसंद कर दिया। अनीस बज़्मी की फिल्म नो एंट्री इसी फार्मूला पर फिल्म थी।  मनमोहन देसाई ने अपनी फिल्मों में तीन दोस्तों के फॉर्मूले को  खूब आज़माया।
नज़रिए का फर्क
हॉउसफुल, मस्ती और हेरा फेरी की फ्रैंचाइज़ी  फिल्मों की शैली कॉमेडी कॉमेडी और सिर्फ कॉमेडी है।  वहीं, कभी लेखक के नज़रिए का फर्क किरदारों के सोचने में फर्क पैदा कर देता है।  तीन हँसते खेलते दोस्तों की ज़िन्दगी में गम्भीर मोड़ आ जाता है।  तीनों दोस्त किरदार अपने रोमांस के साथ गम्भीर हो जाते हैं।  कदाचित इस नज़रिए की शुरुआत फरहान अख्तर ने फिल्म दिल चाहता है से की थी।  हँसते, मज़ाक करते और बेपरवाह नज़र आते आमिर खान, सैफ अली खान और अक्षय खन्ना के किरदार खुद की ज़िन्दगी में आये मोड़ से भावुक हो जाते हैं। वह परवाह करने वाले ज़िम्मेदार बन जाते हैं।  कुछ ऐसा ही काई पो चे, रंग दे बसंती, रॉक ऑन, ज़िन्दगी न मिलेगी दोबारा में भी देखने को मिलता है।  राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स इसे शिक्षा की ऊंचाइयों तक पहुंचा देती है।  रंग दे बसंती के तीन दोस्त सिस्टम को बदलने के लिए हथियार उठा  लेते हैं।
दो लडके एक लड़की : क्या होता है !
जब तीन दोस्त मर्द हो तो धमाल होता है, क्लाइमेक्स में थोड़ी सीरियसनेस भी आती है।  लेकिन---अगर इन तीन किरदारों में से कोई एक लड़का या लड़की हो तब ! शायद महबूब खान ने पहली बार फिल्म में इस नज़रिए को दिखाने की कोशिश की थी।  फिल्म थी अंदाज़।  दोस्त थे दिलीप कुमार, राजकपूर और नर्गिस।  क्या दो मर्दों के साथ एक औरत की दोस्ती हो सकती है।  महबूब ने यह बताने की कोशिश की थी कि मनमुटाव तो होना ही है।  लेकिन, समझदारी बड़े काम की चीज़ है।  एक दोस्त को बलिदान देना चाहिए।  बलिदान का यह फार्मूला राज कपूर ने फिल्म संगम में भी दिखाया।  राजकपूर और वैजयंतीमाला के लिए राजेंद्र कुमार को बलिदान करना पड़ा।  इस बलिदान को १९८८ में सनी देओल, अनिल कपूर और श्रीदेवी के साथ सुनील हिंगोरानी ने भी दोहराया।  सनी देओल को बलिदान देना पड़ा।  लॉरेंस डिसूज़ा की फिल्म साजन में सलमान खान अपने दोस्त संजय दत्त के लिए माधुरी दीक्षित का बलिदान कर देते हैं।
दो लडकिया, एक लड़का : तब क्या होता है !
जब दोस्ती से उपजे रोमांस फिल्मों के किरदारों में थोड़ा फर्क कर दिया जाता  है यानि आपस में दोस्त  दो  लड़कियां एक ही लडके को प्यार करने लगें तो क्या होता हैं ! यहाँ एक ख़ास बात शाहरुख़ खान ने  ऐसी कई फिल्मों में काम किया है, जिनमे एक लड़के से दो लड़कियां प्रेम करने लगाती हैं।  कुछ कुछ होता है में  काजोल और रानी मुख़र्जी, दिल तो  पागल में करिश्मा कपूर और माधुरी दीक्षित, देवदास में ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित और जब तक है जान में कैटरिना कैफ और अनुष्का शर्मा के किरदार शाहरुख़ खान के किरदार से प्रेम करती हैं।  इन इन दो औरतों में से एक बलिदान देती है। यहां एक ख़ास नुक्ता है ।  यह बलिदान भारतीयता की झलक मारती नारी के लिए आधुनिक नायिका को देना पड़ता है।  कॉकटेल में दीपिका पादुकोण सैफ अली खान को केवल इस कारण से खो देती हैं, क्योंकि वह आधुनिकता के रंग में रंगी थी।  मुझसे दोस्ती करोगे में इकलौते ह्रितिक रोशन से रानी मुख़र्जी और करीना कपूर प्यार  करती हैं। विदेश से आई करीना कपूर बलिदान करती है।  सलमान खान को भी हर दिल जो प्यार करेगा और चोरी चोरी चुपके चुपके जैसी फिल्मों में दो नायिकाएं प्यार करती हैं। इन सभी रोमांस की शुरुआत दोस्ती से ही होती है।
शाहरुख़ खान का हटके अंदाज़
शाहरुख़ खान की रोमांस फिल्मों में दो नायिका भी थी और दो नायक भी।  मतलब दो स्त्रियां उनसे रोमांस कराती हैं या उनके साथ दूसरा नायक भी इकलौती नायिका से प्रेम करने लगता है।  इस रोमांस में खान दो नए रंग पेश करते हैं।  वह बलिदान देना नहीं जानते।  बाज़ीगर, डर और अंजाम जैसी फिल्मों में वह खून खराबा करने पर उतर आते हैं।  बाज़ीगर में तो वह अपने से प्यार करने वाली शिल्पा शेट्टी की हत्या कर  देते हैं और काजोल को भी मारने का प्रयास करते हैं।  डर और अंजाम फिल्मों में वह जूही चावला और माधुरी दीक्षित के किरदारों को पाने के लिए खून बहाने से पीछे नहीं हटते ।
ज़ाहिर है कि तीन दोस्तों की दोस्ती धमाल करने वाली होती है।  बलिदान भी होता है, लेकिन हाउसफुल ३ में ऐसी कोई गुंजायश नहीं।  तीनों नायकों की एक एक नायिका है।  आगामी कई फिल्मों में  इस प्रकार के कई रंग देखने को मिल सकते हैं।   क्योंकि,  हिंदी फिल्मों को यार बिना  चैन कहाँ रे !
जब हो यार तीन नहीं चार !
जहाँ चार यार मिल जाए, वहां फिल्म धमाल होनी ही है।  इंद्रकुमार की धमाल फिल्म  सीरीज की सफलता चार यारों की सफलता ही है।  सीरीज के चार यार बोमन (आशीष चौधरी), मानव (जावेद जाफरी), आदित्य (अरशद वारसी) और आर्य (रितेश देशमुख) की अपनी फितरत हैं।   इसके बावजूद दोनों अच्छे दोस्त हैं।  लेकिन, टकरा जाते हैं एक डॉन से। कबीर (संजय दत्त) के आने के बाद उनकी ज़िन्दगी में जो धमाल मचता  है, दर्शक उसका खूब मज़ा लेते हैं। अयान मुख़र्जी  की फिल्म यह जवानी है दीवानी में कॉलेज के चार दोस्त कबीर, नैना, अवि और अदिति का कॉमेडी रोमांस ड्रामा है।  रणबीर कपूर, दीपिका पादुकोण, आदित्य रॉय कपूर और कल्कि कोएच्लिन ने इन किरदारों को जिया था।  मृगदीप सिंहलाम्बा की फिल्म फुकरे  में हनी,चूचा, लाली और ज़फर के लापरवाह, बेपरवाह और रोमांस में मगन किरदार नज़र आते हैं।  इन भूमिकाओं को कर रहे पुलकित सम्राट, वरुण शर्मा, मनजोत सिंह और अली फज़ल की  बढ़िया केमिस्ट्री फिल्म को  दर्शनीय बना देती है।  लेकिन, चार दोस्तों की इस कहानी में खतरनाक मोड़ आता है, जब इन दोस्तों को सिस्टम से टकराना पड़ता है।


अल्पना कांडपाल


Wednesday 1 June 2016

रिडले स्कॉट की झोली में एक वेस्टर्न फिल्म

इंग्लिश फिल्म प्रोडूसर और डायरेक्टर रिडले स्कॉट की पहले से ही फिल्मो से भरी झोली में एक वेस्टर्न फिल्म भी आ गिरी है।  द मार्शियन की सफलता से लबालब रिडले स्कॉट टैबू, मर्सी स्ट्रीट, द गुड वाइफ, द हॉट जोन, पोट्सडमेर पलतज, माइंडहॉर्न, एमाज वॉर, ेारतलेस्स, डेविड मॉर्गन, किलिंग रीगन,  किलिंग पैटन और ब्रेन डेड जैसी फ़िल्में और टीवी सीरीज का निर्माण कर रहे हैं।  बतौर डायरेक्टर वह फिल्म एलियन कोवेनेंट बना रहे हैं।  अब उन्हें एस क्रैग जहलर के वेस्टर्न उपन्यास रैथस ऑफ़ द ब्रोकेन लैंड के फिल्म रूपांतरण का निर्देशन  करने का ज़िम्मा सौंपा गया है। इस फिल्म को द मार्शियन लेखक ड्रू गोडार्ड ही लिख रहे हैं।  गोडार्ड ने जहलर की डेब्यू फिल्म हॉरर बोन टॉमहॉक को लिखा था।  इस फिल्म में कर्ट रशेल ने फौलादी इरादे वाले शेरिफ का किरदार किया था।  रैथ्स ऑफ़ द ब्रोकन लैंड की कहानी क्रूर अपराधियों की है, जिन्हे एक सफ़ेदपॉश के क्लब से सेक्स स्लेवरी के लिए ले जाई गई दो बहनों को छुड़ाने का जिम्मा सौंपा जाता है।  द मार्शियन के डायरेक्टर रिडले अब अपनी एक सबसे खराब फिल्म प्रोमेथियस के सीक्वल एलियन :कोवेनेंट के निर्माण में जुटे हुए हैं। वैसे रिडले स्कॉट की आदत है कि वह फिल्म निर्माण के अधिकार खरीद लेते हैं और फिर चुप बैठ जाते हैं।  उदहारणस्वरुप उन्होंने फॉरएवर वॉर के लिए चैनिंग टॉटम को साइन कर लेने के बावजूद एक दिन भी फिलम की शूटिंग नहीं की है।  इसलिए, यह पूछा जाना स्वाभाविक है कि क्या रिडले के एक्शन से वेस्टर्न फिल्म बन पाएगी ?

अपराधियों का मददगार द अकाउंटेंट !

मार्च में रिलीज़ बैटमैन वर्सेज सुपरमैन: डॉन ऑफ़ जस्टिस में ब्रूस वेन/बैटमैन के करैक्टर को परदे पर उतारने के बाद अभिनेता बेन अफ्लेक वार्नर ब्रदर्स की फिल्म द अकाउंटेंट में एक कुटिल किरदार क्रिस को कर रहे हैं।  इस फिल्म का ट्रेलर अभी रिलीज़ हुआ है।  इस ट्रेलर में बेन अफ्लेक एक प्रतिभाशाली गणितज्ञ की भूमिका में नज़र आते हैं, जो भयानक दोहरी ज़िन्दगी जी रहा है। इस फिल्म को अक्टूबर की सबसे गर्म फिल्म बताया जा रहा है, जिसका दर्शकों को बेसब्री से इंतज़ार है। फिल्म में एना केंड्रिक और जे के सिमंस क्रमशः डाना और रे किंग के किरदार को कर रहे हैं।  क्रिस्चियन वुल्फ को गणित का इस्तेमाल ज्ञान के  लिए करने से ज़्यादा खतरनाक अपराधी गिरोहों के अकाउंटेंट का काम करने में है।  इसका फल उसे भोगना ही होगा।  मगर कैसे इसका जवाब निर्देशक गेविन ओ'कोनोर की फिल्म द अकाउंटेंट देख कर ही मिलेगा।  ट्रेड पंडित इंतज़ार में है कि क्या बेन अफ्लेक की फिल्म द अकाउंटेंट डॉन ऑफ़ जस्टिस की तरह रिकॉर्ड तोड़ बिज़नेस कर पाएगी।  क्योंकि, द  अकाउंटेंट की रिलीज़ से एक हफ्ता पहले ७ अक्टूबर को बहुप्रतीक्षित द गर्ल ऑन द ट्रैन, केविन हार्ट: व्हाट नाउ, फोकस फीचर की फिल्म अ मॉन्स्टर कॉल्स और सोनी की फिल्म अंडरवर्ल्ड" ब्लड वार्स तथा १४ अक्टूबर को जैक रीचर २, ओइजा २ और बू! अ मडीअ हेलोवीन जैसी चर्चित फिल्मों के बीच द अकाउंटेंट रिलीज़ हो रही हैं।