सुधीर मिश्रा ने अपने राजनीतिक देवदास को पियक्कड़ जैसा बना दिया है। पाँव किसी एक तारीख़ पर टिक ही नहीं रहे। पहले,
दास देव को ९ फरवरी को रिलीज़ करने का ऐलान किया। लेकिन इस तारीख़ के आने से पहले ही
रिलीज़ की तारीख़ एक हफ्ते बढ़ा कर १६ फरवरी कर दी गई। इसके बाद, यकायक यह
खबर आई कि फिल्म २३ मार्च को रिलीज़ होगी।
इस तारीख़ में भी आधा दर्जन रिलीज़ हो रही थी। शायद, रानी
मुख़र्जी की फिल्म हिचकी से टकराव टालने के लिए दास देव को ३० मार्च को रिलीज़ किया
जाना तय किया गया। अब राजनीतिक देवदास की
कहानी पर फिल्म दास देव की रिलीज की तारीख़ ३० मार्च से हटा कर २० अप्रैल कर दी गई। ऐसा इसलिये किया गया (लो कर लो बात) ताकि टाइगर श्रॉफ़ की एक्शन फिल्म बाग़ी २ से
टकराव टाल दिया जाये । लेकिन, एक महीने
बाद रिलीज हो रही दास देव एक बार फिर बहुकोणीय मुक़ाबले में फँसी अभिमन्यु बनी नजर
आ रही है । २० अप्रैल को, हाई जैक, बियॉन्ड द
क्लाउड्स, नानू की जानू, इश्क़ तेरा
और इंडिया नॉट अगेन निर्भया जैसी फ़िल्में भी रिलीज़ हो रही हैं। लेकिन, एक ब्रिटिश
आतंकवादी पर बनी फिल्म ओमर्ता से दास देव का टकराव ख़ास हो जाता है। ऐसा नहीं कि उत्तर प्रदेश का एक नेता दास देव
इस ब्रिटिश आतंकवादी से डर गया। ख़ास यह है
कि ओमेर्ता हंसल मेहता की फिल्म है।
हंसल मेहता और सुधीर मिश्रा अच्छे
दोस्त है। यह एक दूसरे की फिल्मों को
सपोर्ट करते रहते हैं। ऐसे में दोनों की
फिल्मों का टकराव चकित करने वाला लगता है।
क्या सुधीर मिश्रा ने बागी २ के सामने अपने दास देव के काफी छोटा होने के
कारण रिलीज़ की तारिख में बदलाव किया ? या फिर दास
देव की तरह ओमेर्ता की रिलीज़ की तारीख़ भी बदली जानी है ?
या इसका उलटा भी ?
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