तीन तलाक एक ऐसी विवादित प्रथा है जिसके ज़रिए एक मुस्लिम मर्द को यह हक़
हासिल है कि वह तीन बार 'तलाक' बोलकर अपनी
पत्नी को हमेशा के लिए छोड़ सकता है। वह तलाक न सिर्फ़ मौखिक रूप से दे सकता है
बल्कि ऐसा वह लिखित रूप से और इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में भी कर सकता है। ऐसे में
अलीना खान की फ़िल्म फ़ौरी तलाक से मुस्लिम समाज पर पड़नेवाले गहरे असर को
रेखांकित करती है फिल्म कोड ब्लू।
मुस्लिम महिलाओं के संगठन भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने इस
प्रथा के विरोध में पुरज़ोर अंदाज़ में अपनी आवाज़ को बुलंद किया था। प्रैक्टिसिंग
मुस्लिम डॉक्टर अलीना खान ने तीन तलाक की शिकार होकर बर्बाद होनेवाली महिलाओं की
कहानी को फ़िल्म के माध्यम से कहने का फ़ैसला किया। कोड ब्लू' की निर्देशक अलीना खान ने जज़्बाती होते हुए कहा, "मेरी फ़िल्म तीन ऐसे लफ़्ज़ों पर आधारित है जो तीन सेकंड में लाखों महिलाओं की ज़िंदगी को बर्बाद कर देते हैं."
मौखिक रूप से तलाक देनेवाली प्रथा के ग़लत इस्तेमाल की शिकार हुईं कई
महिलाओं के अलावा खुद अलीना खान इस हादसे से गुज़रीं। अलीना
ने बताया, 'मैं एक बार एक ऐसी गर्भवती महिला से मिली,
जिनके पति ने उन्हें बिना किसी वजह से उन्हें तलाक दे दिया था। एक
मुस्लिम मर्द को अपनी गर्भवती बीवी को तलाक देने का अधिकार नहीं है। इसके बावजूद
वो शख़्स आज़ाद घूमता रहा। इसमें उसे न सिर्फ़ धार्मिक प्रतिनिधियों की मदद शामिल
थी बल्कि उसका ये विश्वास भी गहरा था कि उसकी करतूत क़ुरान और हदीद द्वारा मान्य
है।"
अलीना खान के लिए इस विषय पर फ़िल्म बनाना कतई आसान नहीं था। उन्हें हर
कदम पर विरोध का सामना करना पड़ा. अलीना खान ने इस पर हंसते हुए कहा,
"मगर परिवार ने मेरा हमेशा साथ दिया और मेरे लिए इससे बढ़कर और क्या बात हो
सकती है भला?" अलीना कहती हैं,
"बदलाव की बातें करने का कोई मतलब नहीं है। ख़ुद हमें ही वह बदलाव बनना
होगा, जो हम चाहते हैं।"
'कोड ब्लू' को राहत
काज़मी फ़िल्म्स के सहयोग से बनाया गया है। फ़िल्म में आलोकनाथ,
रिषी भूटानी, सुष्मिता मुखर्जी और अलीना खान जैसे सितारे
लीड रोल में नज़र आएंगे. जल्द ही बर्लिन फ़िल्म फ़ेस्टिवल में फ़िल्म का वर्ल्ड
प्रीमियर होगा।
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