तमिल फिल्म जय भीम २ नवम्बर २०२१ से #PrimeVideo से स्ट्रीम हो रही है. यह फिल्म अपने विषय के कारण काफी चर्चा में है.
तमिलनाडु की सत्य घटना पर फिल्म जय भीम एक गर्भवती जनजातीय महिला की अपने पति की खोज की है, जिसे कुछ दिन पहले पुलिस ने कथित रूप से चोरी के अपराध में पकड़ा था. महिला की खोज एक मानवाधिकारवादी वकील तक जा पहुंचती है. वह वकील इस मामले को न केवल हाई कोर्ट तक ले जाता है, बल्कि दोषी पुलिस वालों को सजा भी दिलवाता है.
इस फिल्म में सूर्या का वकील चंद्रू की भूमिका में अभिनय बेमिसाल है. बाकी के चेहरे भी सशक्त अभिनय कर ले जाने वाले है. हिंदी दर्शकों के लिए एक जाना पहचाना चेहरा प्रकाश राज का है, जो डी आई जी पुलिस बने हैं.
इसमें कोई शक नहीं कि जय भीम बिना किसी भाषणबाजी और दोषारोपण के जातिगत अत्याचार का दिल दहला देने वाला चित्रण करती है. परन्तु समकालीन तमिल सिनेमा की विसंगतियां हैं.
तमिल फिल्मों में ज़्यादातर मुख्य चरित्र क्रिस्चियन होते है. यह चरित्र बहुत कम बुरे दिखाए जाते हैं. यहाँ तक कि तमिल फिल्म निर्माता वास्तविक चरित्रों को भी ईसाई से बदल कर हिन्दू कर देते हैं. जय भीम में ऐसा ही किया गया है.
वास्तव में जनजाति युवाओं पर अत्याचार करने वाला पुलिस अधिकारी ईसाई था, जय भीम में यह हिन्दू है. ऎसी की कुछ दूसरी फिल्मों में भी किया गया है.
जय भीम हिंदी को लेकर भी विवाद में घिरी थी. इस फिल्म में प्रकाश राज का चरित्र एक अपराधी को हिंदी बोलने के कारण झापड़ मारता है.
आरोप लगा कि यह झापड़ हिंदी का विरोध के लिए था. जबकि निर्माताओं की ओर से सफाई दी गई कि चूंकि वह अपराधी सवालों का जवाब न देने के ख्याल से करता है, इसलिए उसे डी आई जी झापड़ मारता है.
बहरहाल विवाद अपनी जगह पर और फिल्म की गुणवत्ता अपनी जगह पर. यह फिल्म विषयगत प्रभाव छोड़ पाने में सफल होती है.
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