Sunday, 25 October 2015

चार्ल्स शोभराज सेलेब्रिटी क्राइम वाला अपराधी था- रणदीप हूडा

रफ्ता रफ्ता ही सही एक्टर रणदीप हूडा का करियर चलता चला जा रहा है।  कॉकटेल, जिस्म २, किक, हाईवे और रंग रसिया जैसी फिल्में इसे रफ़्तार देती हैं। अब वह लम्बे समय बाद कॉनमैन के रूप में मुख्य भूमिका कर रहे हैं।  वह सोच समझ कर चुनिंदा फ़िल्में करने के शौक़ीन हैं। 'मैं और चार्ल्स' में वह चार्ल्स शोभराज का कॉन किरदार कर रहे हैं। व्यस्ततता के कारण शादी नहीं की, लेकिन घोड़े पालने का शौक है।  पेश है इसी शुक्रवार रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'मैं और चार्ल्स' को लेकर उनसे हुई बातचीत के कुछ अंश - 
क्या 'मैं और चार्ल्स' चार्ल्स शोभराज की बायोपिक है ?
- यह बायोपिक नहीं है। १९८६ में दिल्ली में तिहाड़ जेल से एक आदमी १७५ लोगों को धराशायी कर उनके ऊपर से चाबी लेकर फरार हो गया था। वह कैसे भागा, क्यों भागा, हमने इसी को दिखाया है। इसमें उसका पूरा जीवन नहीं दिखेगा। इसमें केवल उसके २०-२५ साल के जीवन को दिखाया गया है। उसके जेल से भागने, पकड़े जाने और कोर्ट में पेशी के दौरान की कहानी है। काफी अध्ययन करके वास्तविकता निकालने की कोशिश की गई है।
ऐसा व्यक्ति जो पर्यटकों की हत्या करता है। क्या वह नफ़रत के लायक नहीं है ?
-अगर इस तरह से सोचें तो वो नफरत के लायक हैं। फिल्म में भी हम उसके जुर्म को कोई अच्छा नहीं बताने जा रहे हैं। लेकिन गौर करने की बात है कि उस पर जो भी हत्या और फ्राड के आरोप लगे, वो पूरी तरह से साबित नहीं हो पाये। उसके पास किसी भी देश का पासपोर्ट नहीं था। हिंदुस्तान के सामने उसको लेकर एक समस्या यह भी थी कि उसे जेल से निकालने के बाद किस देश को सौंपा जाएगा। इस लिए उसे जेल में ही रखा गया हो सकता है। नेपाल में भी एक पुराने प्लास्टिक के पैकेट और एक बुढ़े पुलिस अधिकारी के साक्ष्य पर ज्यादा छानबीन किये बिना उसे दोषी ठहरा दिया गया।
आपने शोभराज के किरदार को जी लिया है। आपके ख्याल से क्या उपेक्षा की कसक और महत्वपूर्ण होने के लोभ का परिणाम है शोभराज ?
- हां हम कह सकते हैं। उसके दिल में इन दोनों बातों को लेकर कसक थी। वो गरीबी में बहुत रहा। उसे यूरोपियनों से चिढ़ थी। शोभराज बहुत ही मार्केटिंग वाला आदमी है। वो जो भी काम करता था, उसे ग्लोरीफाई करके करता था। वह न्यूज में बने रहने का आदी रहा। उसे हम सेलीब्रिटी क्राइम वाला व्यक्ति कह सकते हैं। वो अपने बारे में छपी खबरों को पढ़कर सुकून महसूस करता था।
क्या आपको उससे  हमदर्दी ?
-जी मैंने ये किरदार किया है और अगर मुझमें उसके प्रति हमदर्दी नहीं होगी, तो मैं करुंगा कैसे। फिर मैं उससे जुड़ूंगा नहीं तो अपने रोल के प्रति न्याय कैसे कर पाउंगा।
तो क्या आप चाहते हैं कि उसे माफ कर दिया जाए ?
-देखिये अभी वो ७०-७५ साल का है। उस उम्र में बाहर ही जीने के लिए कितनी देखभाल की जरूरत होती है, तो जेल में वो उम्र काटना तो बेहद ही कष्टदायी है। ३०-३५ साल से वो जेल में है। १४ साल की उम्र कैद होती है। ऐसे में मैं सोचता हूं कि उसकी सजा अब माफ कर देनी चाहिए।
अब आपके कंधे पर फिल्म की जिम्मेदारी की अपेक्षा की जा रही है ?
-कंधे की जिम्मेदारी निर्माता-निर्देशक की होती है।  एक कलाकार के तौर पर मैं हमेशा शिद्दत से काम करता रहा हूं। अगर मुझको लेकर जिम्मेदारी महसूस की जा रही है, तो मैं इससे बहुत खुश हूं। इससे मैं भागने वाला भी नहीं हूँ। अब मुझे ऐसी फिल्में भी मिल रही हैं । आप बड़े नाम के साथ काम करते हैं तो एक स्टार के तौर पर जीत होती है।
पीछे मुड़कर देखते हैं तो ऐसा कुछ दिखता है , जिसे करने से आपकी जर्नी कुछ शॉर्टकट होती ?
-मुझे शुरू से ही अपने कंधे पर बंदूक रखकर चलाने की ज्यादा जरूरत नहीं थी। अगर मैं दूसरों की पीठ पर बैठकर उनके कंधे से बंदूक चलाया होता, तो थोड़ा जल्दी आगे आ जाता । पर ये जो संघर्ष है। मानसून वेडिंग जो बाहर की फिल्म थी, के बाद ४-५ साल कोई काम नहीं मिला। २००५ में सफर शुरू हुआ और अब तक १०सालों में बहुत मेहनत, लगन, भड़ास और निराशा को अपने अंदर दबाकर हर रोज जूझता रहा हूं। अगर ये सब नहीं हुआ होता, तो शायद आज मैं ऐसा नहीं बन पाता । अब कुछ बदलाव आया है। पहले ज्यादा मुंहफट, गुस्सैल और बेवकूफ भी था। लेकिन अब थोड़ा संजीदा हो गया हूं।
कोई फिल्म साइन करने से पहले क्या देखते हैं ?
-सबसे पहले ये देखता हूं कि क्या ये लोग इस काम के स्टार्ट होने के बाद अगले ६ महीने तक झेल पाएंगे। इनके साथ काम करके मेरी कला, मेरी पहचान किस तरफ जाएगी। फिर अपने सहायक से सलाह करके निर्णय लेता हूं। मैं ये नहीं कहूंगा कि मैं ज्यादा चूजी हूं। क्योंकि जैसा काम करता हूं, वैसी फिल्में कम बनती हैं। इसलिए जो  काम मेरे पास आते हैं, उसी में से अपनी पसंद के आस-पास वाला काम कर लेता हूं।
आपके प्रशंसक आपको गंभीर कलाकार मानते हैं। क्या आप इस दबाव में ऐसा ही करते रहने वाले हैं या रिस्क भी उठानां है ?
-अब तक निभाये मेरे किरदार को अगर आप देखें तो वे कहीं ना कहीं रिस्क लेने वाले ही हैं। और मुझे लगता है, जो मेरे प्रशंसक हैं, उन्हें वही रिस्क अच्छा लगता है। मैं अपना काम अपने प्रशंसकों की सोच को आगे रखकर नहीं करने वाला हूं। कहीं मेरी अपनी सोच है, जिंदगी है, जिसे मैं हर हाल में बरकरार रखने वाला हूं। क्योंकि अगर यही टूट गया, तो मुझमे बचेगा क्या। आप मेरी फिल्मों को देख लीजिए, आप मुझे किसी एक जोनर में नहीं रख पाएंगे।
सफलता के बावजूद कुवाँरेपन का कारण क्या है ?
-मेरी शादी मेरे काम से हो गयी है। मैं अपने काम में इतना बिजी रहता हूं कि दूसरी तरफ ध्यान ही नहीं जाता कि निजी जिंदगी में क्या है, किसकी कमी है। यह बात दूसरे लोगों के लिए भले ही फ्रस्टेशन की हो, लेकिन मैं नहीं चाहता कि कोई आए और मैं अपना पागलपन उस पर थोप कर उसकी जिंदगी को मायूस कर दूं। इससे ये मत सोचिये की मेरी लाइफ नीरस है। मैं बहुतों से मिलता हूं, घुड़सवारी करता हूं। मेरी पोलो की टीम है, जिसे चलाता हूं। कभी छुट्टी पर नहीं गया हूं । हमेशा काम में ही उलझा रहता हूं। मेरी यही रुचि है, मुझे इसी में मजा आता है।
कमर्शियल और आर्ट की दीवार टूट रही है।  क्या सहयोगी बन रहा है ?

-दुनिया बदल रही है। आज इंटरनेट घर-घर पहुंच रहा है। दूसरे देशों और भाषाओं की फिल्में डब होके घर-घर में देखी जा रही हैं। इससे  लोगों का नये विषयों से जुड़ाव हो रहा है। एक ही ढर्रे की फिल्मों से नया कुछ टेस्ट मिल रहा है। मेरे जैसे कलाकार कमर्शियल और आर्ट के बीच की खाई को पाटने में ब्रिज बन रहे हैं। मैं चाहता हूं कि इस दीवार को तोडऩे में मेरा काम सहयोगी बने।  

Saturday, 24 October 2015

मुझे 'बांड गर्ल' मत कहिये - मोनिका बेल्लुच्चि

सैम मेंडिस की बांड फिल्म 'स्पेक्ट्र' में डेनियल क्रैग के साथ लुसिआ स्शर्रा का किरदार कर रही मोनिका बेल्लुच्चि  को खुद को बांड गर्ल कहलाना पसंद नहीं। मैट्रिक्स सीरीज की फिल्मों 'रीलोडेड' और 'रेवोलुशन्स' की इतालवी नायिका मोनिका ५१ साल की हैं। उन्हें उस समय आश्चर्य हुआ था, जब उन्हें स्पेक्ट्र के लिए संपर्क किया गया। क्योंकि, बांड फिल्मों में जवान अभिनेत्रियों की दरकार होती है, जो अपनी सेक्स अपील से दर्शकों को लुभाएं। इसमे कोई शक नहीं कि वह जेम्स बांड सीरीज की लम्बी श्रंखला की फिल्मों की सबसे उम्रदराज एक्ट्रेस हैं। वह कहती है, "मैं 'जेम्स बांड वुमन' हूँ।  मैं सही मायनों में महिला हूँ, न कि बांड गर्ल । इसीलिए, मैं जब भी स्पेक्ट्र के लिए अपना परिचय देती हूँ तो 'जेम्स बांड लेडी' या 'जेम्स बांड वुमन' ही कहती हूँ।" मोनिका ऐसे समय में बांड सीरीज की फिल्म में काम कर रही हैं तो यह पुरानी अभिनेत्रियों की समस्या के लिहाज़ से बढ़िया होगा। वह  कहती हैं, "मैं फ्रांस में रहती हूँ।  देखती रहती हूँ पुराने ज़माने की नताली बाये, कैथरीन डेनेउव, इसाबेल्ले हूप्पेर्ट, क्रिस्टीन स्कोत्त थॉमस, शेर्लोट राम्पलिंग को। इनका शानदार करियर रहा है।  लेकिन, आज क्या है ?" अगले महीने २० नवंबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'स्पेक्ट्र' में मोनिका राजनेताओं के उस हत्यारे की पत्नी का किरदार निभा रही हैं, जिसे बांड ने मार डाला है। 

कैट हडसन को लगे बिल मूरे बहुत सेक्सी

'द ऑलमोस्ट फेमस' और 'हाउ टू लूज़ अ गाए इन टैन डेज़' जैसी फिल्मों की मशहूर अभिनेत्री कैट हडसन एक बार फिर अभिनेता बिल मूरे के साथ अपनी आने वाली फ़िल्म 'रॉक द कासबह' से दर्शकों के दिलों को जीतने के लिए तैयार हैं।फ़िल्म में मूरे एक जुनूनी म्यूजिक मैनेजर की भूमिका में है, जो अनजान सीमा क्षेत्रों में घूमता हुआ जादुई आवाज़ वाली एक टैलेंन्टेड लड़की को खोज निकालता है। इस फ़िल्म का निर्देशन ऑस्कर विजेता निर्देशक बैरी लेविंसन (फ़िल्म रेन मैन) ने किया है। वह बेहद दमदार कास्ट (केट हडसन और बिल मुरे) के साथ इस दिलचस्प कहानी को दर्शकों के सामने परोसने जा रहे है । हाल ही के एक इंटरव्यू में कैट ने बिल मूरे के साथ काम करते हुए, अपने अनुभवों और फ़िल्म में आपसी ट्यूनिंग पर बातचीत की । कैट हडसन ने बताया, " मुझे बिल मूरे को किस करना बहुत पसंद था । वह अभी भी बहुत सेक्सी है और हमारे सम्बन्ध काफी अच्छे हैं ।फ़िल्म की पृष्ठभूमि युद्ध में लिप्त अफगानिस्तान की है। पर इसे मोरैको में फिल्माया गया है । यह मेरे जीवन का एक बेहद मज़ेदार अनुभव रहा।  मोरैको अपने आप में एक बेहद मस्त जगह है ।वहां कुछ ऐसे स्थान है जो मुझे हमेशा ही अपनी तरफ खींचते हैं ।" फ़िल्म 'रॉक द कासबह' पीवीआर पिक्चर्स द्वारा 22 अक्टूबर को भारत में रिलीज़ की जा रही है।



फिल्म 'तंत्र शक्ति' में पचास भूतों से लड़ेगी राय लक्ष्मी !

दिसम्बर में रिलीज़ होने जा रही श्रीकांत और लक्ष्मी राय की तमिल हॉरर-कॉमेडी फिल्म 'सोव्कारपेत्तई' वास्तव में दो और भाषाओँ तेलुगु और हिंदी में भी रिलीज़ की जायेगी।  तेलुगु में इसे 'शिव गंगा' और हिंदी में 'तंत्र शक्ति' टाइटल से रिलीज़ किया जायेगा। इस फिल्म में तमिल फिल्मों की सेक्सी नायिका राय लक्ष्मी मुख्य भूमिका कर रही हैं।  यह उनकी तीसरी हॉरर फिल्म है।  इससे पहले वह 'कंचना' और 'अरनमनाई'  जैसी हॉरर फिल्मों में अभिनय कर चुकी हैं। यह वही राय लक्ष्मी है, जो सोनाक्षी सिन्हा की फिल्म 'अकिरा' और दीपक शिवदासानी की फिल्म 'जूली २' में मुख्य भूमिका निभा रही हैं। श्रीकांत की यह पहली हॉरर फिल्म है।   श्रीकांत तमिल फिल्मों के रोमांटिक हीरो रहे हैं।  समय के साथ उनका रोमांटिक हीरो धुंधला पड़ गया।  अब श्रीकांत सशक्त भूमिकाओं के ज़रिये अपनी वापसी करना चाहते हैं।  इस फिल्म में श्रीकांत अपने करियर की पहली दोहरी भूमिका कर रहे हैं।  फिल्म की एक भूमिका में वह अघोरी का किरदार कर रहे हैं।  सोव्कारपेत्तई में पहली बार श्रीकांत और राय लक्ष्मी की जोड़ी बनाई गई है।  इस फिल्म की खासियत है क्लाइमेक्स।  इस क्लाइमेक्स में श्रीकांत और राय लक्ष्मी के किरदार श्मशान में पचास भूतों से लड़ाई करते दिखाए गये हैं। सूत्र बताते हैं कि तमिल फिल्मों में कभी इतने बड़े पैमाने पर ऐसे दृश्य नहीं फिल्माए गए। फिल्म में दर्शकों को तमिल- तेलुगु फिल्मों की सेक्सी नायिका का किरदार निभाने वाली अभिनेत्री राय लक्ष्मी बड़े डरावने चहरे के साथ नज़र आयेंगी। फिल्म का निर्देशन वादिवुदियान कर रहे हैं।




Friday, 23 October 2015

क्या हिंदी फिल्मों में पैर जमा पायेगा दक्षिण का यह 'बाहुबली' स्टार !

तेलुगु फिल्मों के एक्टर प्रभास के जन्मदिन पर उनका ज़िक्र इसलिए कि हिंदी बेल्ट के दर्शकों से उनका परिचय एस एस राजामौली की फिल्म 'बाहुबली: द बेगिनिंग' के बाहुबली शिवुडु की भूमिका से हो चुका है।  इससे पहले प्रभास ने प्रभुदेवा की अजय देवगन अभिनीत फिल्म 'एक्शन जैक्सन' में कैमिया किया था।  प्रभास दक्षिण के ऐसे सितारे साबित हुए हैं, जिन्होंने शिवाजी गणेशन और जैमिनी गणेशन से लेकर कमल हासन और रजनीकांत की फिल्मों की असफलता के इतिहास को धोने की कोशिश की है।  प्रभास की फिल्म 'बाहुबली' के डब संस्करण ने रजनीकांत की फिल्म 'रोबोट' के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन से छह गुना ज़्यादा कलेक्शन किया।  इसीलिए, यह सवाल पूछा जा रहा है कि क्या २३ अक्टूबर १९७९ को जन्मे प्रभास बॉलीवुड में दक्षिण के सितारों की असफलता के दाग को धो पाएंगे ? क्या वह हिंदी फिल्मों में सफल साबित होंगे ? अगर बाहुबली की सफलता को देखें और इस फिल्म के आखिरी दृश्य ने हिंदी दर्शकों में बाहुबली की दूसरी कड़ी के लिए जैसी उत्सुकता पैदा की है, उसे देखते हुए सोचा जाना स्वाभाविक है कि बाहुबली की सीक्वल फिल्म 'बाहुबली द कनक्लुजन' जब रिलीज़ होगी तो पिछले सारे रिकॉर्ड भंग कर देगी। इसमे कोई शक नहीं कि बाहुबली का क्रेज बन चूका है।  इसकी आखिरी क़िस्त का बड़ी हिट होना सुनिश्चित है।  लेकिन, इससे प्रभास की हिंदी फिल्मों में सफलता का निष्कर्ष निकालना ज़ल्दबाज़ी होगी।  प्रभास का दक्षिण की फिल्मों में करियर ख़त्म हो चूका था।  बाहुबली से तो उन्होंने बाउंस बैक किया है।  वह इस समय ३२ साल के है। बाहुबली की सफलता बॉलीवुड के बैनर धर्मा प्रोडक्शंस की देन भी है।  लेकिन, करण जौहर प्रभास को लेकर कोई बड़ी फिल्म बनाना चाहेंगे, यह खतरा मोल लेने वाला विचार ही है।  खुद राजामौली भी जब बाहुबली को हिंदी में बनाना चाहते थे तो उन्होंने ह्रितिक रोशन और जॉन अब्राहम से पहला और आखिरी संपर्क किया था।  जहाँ तक बॉलीवुड के फिल्मकारों की बात है तो वह खान अभिनेताओं के अलावा अक्षय कुमार, अजय देवगन, हृतिक रोशन, आदि को लेकर कोई फिल्म बनाएगा।  तमाम साउथ हिट फिल्मों के रीमेक बॉलीवुड के बड़े सितारों के साथ ही तो बनाये जा रहे हों।  फिर भी, प्रभास के चहरे में उत्तर के चेहरों वाली बात है।  उनकी हिंदी बेहद कमज़ोर है।  उसे इसे अच्छी तरह मांजना होगा। तभी वह बॉलीवुड के बॉक्स ऑफिस पर पकड़ रखने वाले सितारों के सामने अपना प्रभाव  जमा पाएंगे।


हिंदी फिल्मों में बैंड बाजा बारात ! शादी से पहले शादी के बाद !!

सिनेमेटोग्राफर बिनोद प्रधान की डेब्यू फिल्म 'द वेडिंग पुलाव' की थीम में शादी है।  लेकिन, दिगंत और अनुष्का की यह कहानी न तो शादी से पहले की है, न शादी के बाद की है।  बल्कि, यह फिल्म शादी के दौरान की है। अनुष्का और दिगंत साथ काम करते हैं, अच्छे दोस्त है।  अनजाने में एक दूसरे को चाहने लगते हैं, लेकिन इसका एहसास नहीं।  एक दिन अनुष्का को दिगंत की शादी का इनविटेशन मिलता है।  वह उसमे शामिल होने जाती है।  इस शादी के दौरान दोनों को अजीब अनुभव होता है। अनुष्का के साथ उसका बॉयफ्रेंड है।  दिगंत अनुष्का के बॉय फ्रेंड को देख कर जलने लगता है।  अनुष्का को लगता है कि दिगंत की शादी न होने पाये।  ऐसा क्यों ? यही शादी के दौरान का वेडिंग पुलाव है।
शादी के दौरान हुआ प्यार
हिंदी फिल्मों की यही महिमा है।  कभी शादी के पहले,कभी शादी के बाद तो कभी शादी के दौरान भी।  बैंड बाजा बारात के श्रुति (अनुष्का शर्मा) और बिट्टू (रणवीर सिंह) दिल्ली के वेडिंग प्लानर हैं।  दूसरों की शादी कराते हैं।  कई कई दिन लगातार एक दूसरे के साथ दिन रात रहते हैं।  दोनों में प्यार हो जाता है।  अब इन वेडिंग प्लानर की शादी तो होनी ही है न ! कुछ ऐसा ही एहसास यह जवानी है दीवानी के कबीर (रणबीर कपूर) को भी होता है, जब वह अपनी दोस्त अदिति (कल्कि कोएचलिन) की शादी में जाता है। हालाँकि, नैना (दीपिका पादुकोण) उससे बहुत पहले से प्यार करती है।  लेकिन, कबीर को तो दुनिया घूमने का चस्का है।  उसे नैना का प्यार नज़र नहीं आता।  जब दोनों फिर अदिति की शादी में मिलते हैं, तब कबीर को एहसास होता है कि वह अब तक क्या क्या खो चूका था।  शादी के दौरान का एहसास तनु वेड्स मनु में दोनों मुख्य किरदारों को भी होता है।  मनु (आर माधवन)  शादी के लिए तनु (कंगना रनौत) को देखने आता है। लेकिन, तनु तो राजा अवस्थी (जिमी शेरगिल) की दीवानी है।  कॉमन फ्रेंड की शादी में दोनों बार बार मिलते हैं।  तनूजा को एहसास होता है मनु के प्यार का।  इस प्रकार का शादी के दौरान का प्रेम बहुत सी मेरे यार की शादी है, हम आपके हैं कौन, दिलवाले दुल्हनिया ले जायेंगे, बिट्टू बॉस जैसी तमाम हिंदी फिल्मों के केंद्र में रहा है।  ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस की श्रीमती बक्शी की अपनी चार बेटियों के लिए दूल्हे की तलाश एक शादी में ही पूरी होती है।
शादी के बाद
किसी शादी को निभाना एक बड़ी बात होती है।  पति पत्नी के बीच मतभेद पैदा होते हैं।  कभी सुलझ जाते हैं, कभी टूट कर सुलझते हैं।  हालिया फिल्म 'तनु वेड्स मनु रिटर्न्स' में तनु (कंगना रनौत) और मनु (आर माधवन) के संबंधों में खटास आ जाती है।  वह मनु को पागलखाने में छोड़ कर वापस भारत आ जाती है।  मनु तनु की हमशक्ल लड़की से शादी करने लगता है। इसी दौरान दोनों को एहसास हो जाता है कि वह दोनों गलती पर थे।  दो फिल्मों मैं मेरी पत्नी और वह तथा रब ने बना दी जोड़ी में विवाहित जोड़ियों की समस्या बेमेल विवाह की है।  जहाँ रब ने बना दी जोड़ी में सुरिंदर (शाहरुख़ खान) उम्र में तानी (अनुष्का शर्मा) से बड़ा है।  तानी को हमेशा यह एहसास रहता है कि उसकी शादी एक बड़ी उम्र के आदमी से कर दी गई।  सुरिंदर उसे खुश रखना चाहता है।  जबकि तानी उसमे सुपर मैन देखना चाहती है।  वही मैं मेरी पत्नी और वह का मिथिलेश (राजपाल यादव)  छोटे कद है, जबकि वीणा (रितुपर्णा सेनगुप्ता) लम्बे कद की है।  वीणा को पति के छोटे कद से परेशानी नहीं।  लेकिन, मिथिलेश में हीन भावना है। वह लम्बे कद की सुन्दर पत्नी को लेकर सशंकित रहता है।  कुछ समय पहले रिलीज़ फिल्म दम लगा के हईशा में प्रेम (आयुष्मान खुराना)  और संध्या (भूमि पेडणेकर) की कहानी भी कुछ ऐसी ही है, जिसमे मोटी पत्नी वाले पति को मोटी पत्नी के साथ शर्म आती है।
शादी के बाद शादी से पहले का
कई फिल्मों में शादी के बाद के जीवन में शादी के पहले वाला  आ जाता है।  बीआर चोपड़ा ने ऎसी ही भटकी नारियों के जीवन पर फिल्म बनाई थी गुमराह।  इस फिल्म में कमला (माला सिन्हा) और राजेंद्र (सुनील दत्त)  प्यार करते हैं।  लेकिन कमला की शादी बैरिस्टर अशोक (अशोक कुमार) से हो जाती है।  सब ठीक हो रहा होता है कि एक दिन कमला की विवाहित ज़िन्दगी में राजेंद्र फिर आ जाता है।  वह अपने पुराने प्यार की दुहाई देता है।  कुछ ऐसी ही कहानी धड़कन के अंजलि (शिल्पा शेट्टी), राम (अक्षय कुमार) और देव (सुनील शेट्टी) की भी थी। यश चोपड़ा की फिल्म 'सिलसिला' में अमित (अमिताभ बच्चन) और चांदनी (रेखा) एक दूसरे से प्यार करते हैं।  लेकिन, अमित  की शादी शोभा (जया बच्चन) से और चांदनी की शादी डॉक्टर आनंद (संजीव कुमार) से हो जाती है।  कुछ समय बाद दोनों मिलते हैं।  अमित और चांदनी का पुराना रोमांस सर उठाता है।  दोनों शादियां टूटने की कगार पर आ जाती हैं।
शादी जीतती है
जस्ट मैरिड का अभय (ज़ायद खान) और रीतिका (दिया मिर्ज़ा) नवविवाहित जोड़ा है।  दोनों के बीच मतभेद पैदा होने लगते हैं।  लेकिन, वह उनको सुलझाने की कोशिश करने लगते हैं।  संजयलीला भंसाली की फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' की नंदिनी (ऐश्वर्य राय) समीर (सलमान खान)  से प्रेम करती है।  पिता उसकी शादी ज़बरदस्ती वनराज (अजय देवगन) से करा देता है।  नंदिनी शादी की पहली रात ही वनराज को अपने प्यार के बारे में बता देती है।  वनराज निर्णय लेता है कि वह नंदिनी और समीर को मिलाएगा।  इसी प्रकार से 'नमस्ते लंदन' की ब्रिटेन में रहने वाली जसमीत (कैटरीना कैफ) चार्ली से प्रेम करती है।  पिता जसमीत की शादी गाँव में रहने वाले अर्जुन (अक्षय कुमार) से तय कर देता है।  जसमीत यह शादी नहीं चाहती।  अर्जुन जसमीत के साथ लंदन आ जाता है।  लंदन में जसमीत को अर्जुन की अच्छाइयों का पता चलता है।  इन सभी फिल्मों में तयशुदा शादी जीतती है। लव ब्रेकअप ज़िन्दगी का जय और नैना को जोड़ा और उनके दोस्त यह महसूस करते हैं कि शादी के बाद बहुत कुछ बदल जाता है।  गुलज़ार की फिल्म इजाज़त के महेंद्र (नसीरुद्दीन शाह) और माया (अनुराधा पटेल) प्यार करते हैं।  पर माया शादी नहीं करना चाहती।  महेंद्र की शादी सुधा (रेखा) से हो जाती है।  लेकिन, महेंद्र माया को भूल नहीं पाता।  नतीज़तन, महेंद्र और सुधा की शादी टूट जाती है। बरसों बाद महेंद्र और सुधा एक रेलवे स्टेशन पर मिलते हैं।  दोनों महसूस करते हैं कि उन्होंने ऐसा कुछ है, जो खो दिया है। आदित्य और सुहानी की शादी भी टूटने की कगार पर आ जाती है।  लेकिन, दोनों समझदारी से काम लेते हैं। शादी के साइड इफेक्ट्स में सिड (फरहान अख्तर) और तृषा (विद्या बालन)  की शादी का ज़िम्मेदारी का एहसास होते ही दरकने लगती है।
कुछ विवाह ऐसे भी
विवाह के प्रेम (शाहिद कपूर) और पूनम (अमृता राव) की शादी उस समय खतरे में पड़ जाती है, जब शादी के दिन आग लगाने से पूनम का पूरा शरीर जल जाता है।  इसके बावजूद प्रेम पूनम से शादी करता है। घरौंदा में सुदीप (अमोल पालेकर) और छाया (ज़रीना वहाब) प्यार करते हैं और शादी करना चाहते हैं।  लेकिन, घरौंदा न होने के कारण शादी नहीं कर पा रहे हैं।  इस पर सुदीप छाया से एक बूढ़े मोदी (डॉक्टर श्रीराम लागू) से शादी करने को कहता है, जो बीमार रहता है और जल्द ही मर जायेगा।  लेकिन, शादी के बाद छाया पति के लिए बदलने लगती है। मेरे ब्रदर की दुल्हन में कुश (इमरान खान) अपने भाई लव (अली ज़फर) की दुल्हन डिम्पी (कैटरीना कैफ) को देखने जाता है।  लेकिन, खुद उसके प्यार में पड़ जाता है। घर शादी शुदा जोड़े विकास (विनोद मेहरा) और आरती (रेखा) की कहानी थोड़ी अनोखी थी।  आरती का बलात्कार हो जाता है।  दोनों पति पत्नी इस हादसे से उबरने की कोशिश करते हैं। हम आपके हैं कौन में नायक विजय (अनिल कपूर)  मेघा (काजोल) से कॉन्ट्रैक्ट करके शादी करता है।  लेकिन, कॉन्ट्रैक्ट के दौरान उन्हें पता लगता है कि वह एक दूसरे से प्यार करने लगे हैं।

शादी, शादी के दौरान, शादी के बाद और शादी से पहले के कथानक पर कभी कभी, चलते चलते, कभी अलविदा न कहना, हाउसफूल ३, आदि ढेरों फ़िल्में बनाई गई हैं।  इन फिल्मों में शादी से पहले का प्रेम शादी के बाद के प्रेम से हारता है।  यानि, हिंदी फिल्मों की नारी कभी भी पति और परिवार के विरुद्ध नहीं जा सकती।  आज भी ऐसे कथानक किसी न किसी रूप में हैं, जिनमे शादी जीतती है।

विदेशी टीवी पर देसी सितारे

आजकल  अमेरिका से भारत तक, बॉलीवुड एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा तहलका मचाये हुए हैं।  वह एबीसी नेटवर्क के शो 'क्वांटिको' में एफबीआई रिक्रूट अलेक्स परिश का किरदार कर रही हैं।  इस शो में दर्जन के करीब कई दूसरे किरदार भी हैं । लेकिन, फिलहाल फोकस प्रियंका चोपड़ा के करैक्टर पर ही है, जिस पर आतंकवादी हमले में शामिल होने का संदेह किया जा रहा है।  उसे इन आतंकियों को पकड़ने का मौका दिया जाता है। इस सीरियल में प्रियंका को एक्शन भी करना है और इमोशन भी दिखाना है ।  फिलहाल मीडिया में उनकी चर्चा हो रही है अपने गरम दृश्यों के लिए । बताते हैं  कि क्वांटिको में मिस चोपड़ा ने और भी काफी गर्मागर्म सीन किये हैं और बिकिनी पहनी है।  लेकिन, भारतीय दर्शकों तक यह दृश्य पूरी तरह से नहीं पहुँच पाएंगे।  जैसा कि उनके कार में सेक्स करने का सीन टोंड डाउन कर दिए गया था।  लेकिन, शेष पूरी दुनिया ने प्रियंका चोपड़ा के इस  कामुक अंदाज़ को देखा।  प्रियंका चोपड़ा कहती हैं, "मैं एक एक्टर और  एंटरटेनर हूँ।  इसलिए  मैं लगातार नई चुनौतियों को खोजते रहती हूँ।  मैं अपनी क्रिएटिविटी के लिए कोई सीमा तय करना नहीं चाहती।"  
क्वांटिको जैसा प्रचार नहीं !
ऐसा नहीं कि प्रियंका चोपड़ा से पहले कोई भारतीय सितारा विदेशी टीवी पर नहीं झिलमिलाया।  इस समय भी, क्वांटिको की धूम मची हुई है, बहुत से भारतीय सितारे विदेशी टेलीविज़न दर्शकों को अपनी प्रतिभा का कायल बनाने के लिए कमर कसे हुए हैं। अलबत्ता, एबीसी के शो क्वांटिको की तरह इतना ज़बरदस्त प्रचार किसी दूसरे शो को नहीं मिला या इतना ज़ोरदार प्रचार नहीं किया गया।  विशाल भरद्वाज की २०११ में रिलीज़ फिल्म '७ खून माफ़' में प्रियंका चोपड़ा के शौहर वसीउल्लाह खान का किरदार निभाने वाले इरफ़ान खान दूसरे विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि पर एक जापानी शो करने जा रहे हैं।  इस शो में इरफ़ान एक जज की भूमिका करेंगे। इरफ़ान कहते हैं, "मैं इस करैक्टर की छानबीन करने के लिए उत्साहित हूँ।" इस सीरियल को कैनेडियन डायरेक्टर रॉब डब्ल्यू किंग और डच डायरेक्टर पीटर वेर्होएफ कर रहे हैं।  क्या इस शो को इतना प्रचार मिला? जुरासिक वर्ल्ड के बाद इरफ़ान खान दुनिया के दर्शकों के जाने पहचाने बन गए हैं।  इरफ़ान ने 'द माइटी हार्ट', 'स्लमडॉग मिलियनेयर', 'द नेमसेक',  आदि ढेरों विदेशी फिल्में की हैं।  आजकल वह हॉलीवुड  फिल्म 'इन्फर्नो' की  शूटिंग में बिजी हैं। वह २०१० में  सीरीज 'इन ट्रीटमेंट' कर चुके हैं।  लेकिन, उनके किसी टीवी प्रोजेक्ट को इतनी धुंआधार पब्लिसिटी नहीं मिली, जितनी एबीसी के 'क्वांटिको' को मिली।  बीबीसी टीवी सीरीज 'इंडियन समर्स' का प्रसारण २७ सितम्बर से शुरू हो चूका है। क्वांटिको के मुकाबले कितने भारतीय दर्शकों को इस सीरीज की जानकारी हो सकी थी !
और भी हैं बॉलीवुड सितारे 
इरफ़ान खान ही नहीं बहुत से दूसरे बॉलीवुड सितारे हैं जो विदेशी टीवी पर चमक रहे हैं। अनुपम खेर तो विदेशी छोटे परदे पर बहुत लोकप्रिय हैं।  वह अपनी पत्नी किरण  खेर के साथ 'ईआर' के सिंगल एपिसोड में अभिनय कर चुके हैं ।  नेटफ्लिक्स पर साइंस फिक्शन ड्रामा 'सेंस ८' में तो अनुपम खेर के अलावा टीना देसाई, पूरब कोहली, मीता वशिष्ट और दर्शन जरीवाला जैसे इंडियन एक्टर्स की भरमार है। यह थ्रिलर सीरियल दुनिया के आठ भिन्न देशों के व्यक्तियों को एक कहानी में जोड़ने वाला है। शबाना आज़मी, पिछले दिनों बीबीसी वन की मिनी सीरीज कैपिटल की लंदन में शूटिंग कर चुकी हैं।  यह सीरीज जॉन लान्चेस्टर के इसी टाइटल वाले चर्चित उपन्यास पर आधारित है। हॉलीवुड और ब्रिटेन की कई फिल्मों  में अभिनय कर चुकी शबाना आज़मी की यह पहली टीवी सीरीज होगी। लंचबॉक्स की एक्टर निम्रत कौर ने आतंकवाद पर ड्रामा 'होमलैंड' में एक पाकिस्तानी आईएसआई एजेंट तस्नीम कुरैशी का किरदार किया हैं।  अनिल कपूर तो काफी मशहूर हैं।  वह २०१० में एक्शन-थ्रिलर ' २४' में राष्ट्रपति ओमर हसन की भूमिका कर चुके थे।  इसी के बाद उन्होंने इस सीरीज को हिंदी में बनाया।  अब वह इसका दूसरा पार्ट बनाने जा रहे है।  वह एक एडल्ट एनिमेटेड सीरीज 'फैमिली गय में ग्रिफिन फैमिली के एक किरदार के लिए वॉयस ओवर कर रहे हैं।  अनिल कपूर कहते हैं, "ग्रिफिन फैमिली का हिस्सा बन कर मैं उत्तेजित हूँ।"
एशियाई चरित्रों के लिए 
अमेरिकी सीरीज में हिंदुस्तान के कलाकार खास तौर पर पाकिस्तानी या एशियाई भूमिका के कारण लिए जाते हैं। क्योंकि, उनकी शक्ल सूरत और हाव भाव इन किरदारों के आसपास के होते हैं। प्रियंका चोपड़ा क्वांटिको के लिए इसी लिए चुनी गई कि उनका अलेक्स परिश का किरदार भारतीय और कोकेशियान मिश्रित रक्त वाला है। इसी प्रकार से, अनिल कपूर का सीरीज '२४' में ओमर हसन, निम्रत कौर का 'होमलैंड' में तस्नीम खान का किरदार एशियाई लुक वाला हैं।  अक्षय खन्ना को शीत युद्ध के दौर का ड्रामा 'द अमेरिकन्स' में काम करने का मौका मिला तो  वह एक पाकिस्तानी अफसर बनाये गए, जो रूस का जासूस है । लिलेट दुबे १९३२ के भारत में ब्रितानी साम्राज्यवादी शासन के खात्मे पर ब्रिटिश सीरीज 'इंडियन समर्स' में रोशना दलाल का किरदार कर रही हैं ।  इस सीरीज का प्रसारण २७ सितम्बर से शुरू हो चूका है। इस सीरीज में रोशन सेठ और निकेश पटेल जैसे कुछ दूसरे भारतीय चेहरे भी नज़र आएंगे । लिलेट दुबे कहती हैं, "एक्टर्स भी चाहते हैं कि उनके काम को दूसरे देशों में भी देखा जाये।"    
कबीर बेदी जैसा कोई नहीं   
विदेशी टीवी पर हिंदुस्तानी एक्टर्स का अभिनय करना आज की बात नहीं।  हिंदुस्तानी एक्टर्स ने विदेशी टीवी पर हमेशा से धूम मचाई है, बशर्ते कि रोल एशियाई हो।  चालीस साल पहले, जब भारत में टेलीविज़न आज का जितना पॉपुलर नहीं था, कबीर बेदी ने इटैलियन मिनी टीवी सीरीज 'संदोकन' से सुदूर इटली में धूम मचा दी थी। जब वह इटली की सडकों गुजरते थे तो औरते उनके पीछे दौड़ लगाती थी। उनसे लिपटने को बेकरार होती थी। इस सीरीज में कबीर बेदी ने एक भारतीय राजकुमार संदोकान का किरदार किया था, जिस का राज्य ब्रितानी हुकूमत छीन लेती है।  वह बदला लेने के लिए समुद्री डाकुओं का नेता बन जाता है और ब्रितानी सेना पर हमले करता रहता है। इस सीरीज में कबीर बेदी काफी सेक्सी लगे थे। इसी लिए इतालवी औरतों में लोकप्रिय हुए। संदोकान को इतालवी भाषा में १३० मिनट की टीवी मूवी की तरह २२ दिसंबर १९७७ को प्रसारित किया गया। उन्होंने एक मिनी सीरीज 'रिटर्न ऑफ़ संदोकन'  भी की। कबीर बेदी जैसी लोकप्रियता शायद आज की प्रियंका चोपड़ा के लिए स्वप्न सामान ही होगी। कबीर बेदी ने अमेरिकी ओपेरा 'द बोल्ड एंड द ब्यूटीफुल' में प्रिंस ओमर  रशीद का किरदार भी किया।  ज़ाहिर है कि भारत के काबिल एक्टर्स की विदेशों में मांग है, लेकिन ख़ास देसी भूमिकाओं में।  'द बिग बैंग थ्योरी' के कुणाल नैयर, गेम ऑफ़ थ्रोन्स' की इंदिरा वर्मा और 'द गुड वाइफ' की आर्ची पंजाबी इसे पुख्ता करती हैं। एक्टर इरफ़ान खान की विदेशी सीरीज और  फिल्मों में जैसी मांग है, उससे वह हिंदुस्तानी मॉर्गन फ्रीमैन साबित होते हैं।  


अल्पना कांडपाल  

  

हिंदी फिल्मों में डांडिया और गरबा की धूम

नवरात्रि उत्सव मनाने के लिए देवी प्रतिमा के सामने होने वाला डांडिया डांस पंडालों से गुजर कर बॉलीवुड फिल्मों तक जा पहुंचा है।  आज की आधुनिक माहौल वाली हिंदी फिल्मों में भी डांडियां डिस्को डांडिया के रूप में भी मौजूद है।  यहाँ तक कि दक्षिण की फिल्मों में भी डांडिया और गरबा का मिला जुला डांस सीक्वेंस रखा जाता है।  १९९९ की कथीर निर्देशित तमिल फिल्म 'कांधलर धिनम' यानि वैलेंटाइन डे में गरबा और डांडिया का मिला जुला रूप देखा जा सकता है। इस  फिल्म को  तेलुगु  में 'प्रेमीकुला रोजु' और हिंदी में 'दिल ही दिल में'  टाइटल के साथ डब कर रिलीज़ किया गया था।  सोनाली बेंद्रे और कुणाल सिंह की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म के हिंदी संस्करण  के 'चाँद उतर आया है ज़मीन पे गरबे की रात में' गीत में डांडिया और गरबा का मिश्रण सोनाली बेंद्रे और कुणाल सिंह पर फिल्माया गया।  हालाँकि, 'दिल ही दिल में' फ्लॉप रही थी।  लेकिन, तमिल 'कांधलर धिनम' को ज़बरदस्त सफलता मिली थी। 
संजयलीला भंसाली की फिल्मों में डांडिया और गरबा 
फिल्मकार संजयलीला भंसाली की फ़िल्में आम तौर पर रोमांटिक होती है।  इसलिए, उनकी फिल्मों में डांडिया या गरबा या इसका मिला जुला रूप होना स्वाभाविक है।  उनकी फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' के 'ढोली तारो' गीत में सलमान खान और ऐश्वर्या राय के बीच का रोमांस बखूबी उभर कर आया है।  इस गीत को इस्माइल दरबार ने संगीतबद्ध किया है। इस जोड़े की जादूगरी है कि यह गीत आज भी डांडिया और गरबा पंडालों की शान बना हुआ है।  संजयलीला भंसाली ने फिल्म ' गोलियों की रासलीला राम-लीला' के 'नगाड़ा संग ढोल ' गीत में दीपिका पादुकोण पर गरबा का खूबसूरत चित्रण किया है।  भारी घेरदार लहंगा पहने दीपिका पादुकोण का यह डांस फिल्म को क्लाइमेक्स की ओर  बढ़ता है। इसी गीत में दीपिका और रणवीर सिंह एक दूसरे को आमने सामने से देखते हैं।  चूंकि, संजयलीला भंसाली को गरबा और डांडिया से लगाव है, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि उनकी नई फिल्म' बाजीराव मस्तानी' में भी कोई एक गीत डांडिया-गरबा शैली  में होगा।  
बॉलीवुड सुपर स्टार्स का डांडिया और गरबा 
बॉलीवुड के तमाम सुपर स्टार डांडिया और गरबा कर चुके हैं।  सलमान खान का ज़िक्र तो किया ही जा चूका है। सलमान  खान के बाद, उनके दोस्त आमिर खान ने भी फिल्म 'लगान' में गरबा शैली में ग्रेसी सिंह के साथ 'राधा कैसे न जले' गीत में  नृत्य किया। धीमी गति की डांस शैली मैं  यह गीत आमिर और ग्रेसी सिंह के बीच छेड़-छाड़ और मान-मनुहार का बढ़िया चित्रण करता है।  इस गीत के संगीतकार ए आर रहमान हैं। आमिर खान १९८९ में रिलीज़ फिल्म 'लव लव लव' में 'डिस्को डांडिया' गीत पर नृत्य कर चुके थे। आमिर खान के साथ जूही चावला पर फिल्माया गया यह गीत भी डांडिया पंडालों में हिट है।  फिल्म 'आप मुझे अच्छे लगाने लगे' में फिल्म के नायक नायिका नवरात्र उत्सव में अपने घर वालों से छुप कर मिलने आते हैं। इस गीत में इंडस्ट्री के एक दूसरे सुपर स्टार ह्रितिक रोशन अभिनेत्री अमीषा पटेल के साथ 'ओ री गोरी' गीत पर नृत्य करते हैं।  इसी गीत में अमीषा के भाई आ जाते हैं और इन दोनों को भागना पड़ता है।  राजश्री प्रोडक्शंस की सूरज बड़जात्या निर्देशित फिल्म 'मैं प्रेम की दीवानी हूँ' में नायिका करीना कपूर स्टेज पर ऋतिक रोशन के लिए 'बनी बनी  मैं तो बनी' गीत पर गरबा करते हुए अपने प्यार का इज़हार करती है। इस गीत में पारम्परिक धुनों और आधुनिक ताल का मिश्रण सुनने  को मिलता हैं।  अमिताभ बच्चन और रेखा की मनमोहन देसाई निर्देशित फिल्म 'सुहाग' में भी इन दोनों सुपर स्टारों पर एक डांडिया गीत 'नाम रे  सबसे बड़ा तेरा नाम' फिल्माया गया था।  यह दुगा पूजा पंडाल में फिल्माया गया गीत है। 'प्रतिकार' फिल्म के 'चिट्ठी मुझे लिखना' गीत को डांडिया शैली में अनिल कपूर और माधुरी दीक्षित के साथ फिल्माया गया।  बाद इस गीत से पाकिस्तानी क्रिकेटर मोहसिन खान और सोनू वालिया भी आ जुड़ते हैं।   श्रीदेवी पर फिल्माया गया फिल्म 'चाँद का टुकड़ा' का 'आज राधा को शाम याद आ गया' को डांडिया गीत बताया जाता है।  लेकिन, यह विशुद्ध डांडिया नहीं है।  
डांडिया और गरबा में भक्ति भाव  
सुहाग का गीत देवी मंदिर में फिल्माया गया गीत है।  इसमें भक्ति के साथ साथ फिल्म को अहम् मोड़ भी दिया गया है।  कुछ ऐसे ही गीत दूसरी फिल्मों में भी फिल्माए गए हैं।  शोले के दौरान सुपर हिट साबित होने वाली, कम बजट की फिल्म 'जय संतोषी माँ' का शीर्षक गीत भक्ति गीत है जिसे सामने खड़े श्रद्धालुओं पर फिल्माया गया है।  फिल्म 'क्रांतिवीर' का एक गीत 'जय अम्बे जगदम्बे माँ' गीत भी भक्ति गीत के तौर पर फिल्माया गया है।  आम तौर पर ऐसे गीत दर्शकों की धार्मिक भावनाओं के लिए एक आइटम के तौर पर फिल्माए गए हैं। 'काई पो चे' का परी हूँ मैं गीत रीमिक्स कर पूजा पंडाल में राजकुमार राव और अमृता पूरी पर फिल्माया गया था।  गुरिंदर चड्ढा की फिल्म 'ब्राइड एंड प्रेज्यूडिस' में 'डोला डोला' गीत पर ऐश्वर्या राय अपने को-स्टार माइक एंडरसन के साथ डांडिया धुन पर थिरकी थी।  केतन देसाई की फिल्म 'मिर्च मसाला' में गरबा शैली का एक नृत्य स्मिता पाटिल, दीप्ति नवल और पाठक बहनों सुप्रिया और रत्ना पाठक पर फिल्माया गया।  
शाहरुख खान ने अभी तक किसी फिल्म में गरबा या डांडिया शैली में कोई डांस नहीं किया है।  लेकिन, सूत्र  
बताते यहीं कि वह निर्देशक राहुल ढोलकिया की आगामी फिल्म 'रईस' में गरबा करते नज़र आएंगे।  यह फिल्म गुजरात के एक गैंगस्टर पर रियल लाइफ फिल्म है।  इस गीत को शाहरुख खान ने घुटनो पर चोट के बावजूद पूरा किया।  फिल्म में  उनकी  नायिका पाकिस्तान की माहिर खान हैं।  
हिंदी फिल्मों में डांडिया या गरबा गीत भक्ति, इश्क मोहब्बत और ग्लैमर का प्रतीक हैं।  इन गीतों में गाढ़े और चटख रंगों का इस्तेमाल किया जाता है।  भारी वस्त्राभूषण इसकी खासियत होते।  गहरे रंग दर्शकों का ध्यान आकृष्ट करते हैं। तेज़ और मिश्रित बीट पर नृत्य क्लब और पूजा पंडालों में जल्द पॉपुलर हो जाते हैं।  इसके बावजूद बॉलीवुड यह दावा नहीं करता कि वह विशुद्ध डांडिया या गरबा दिखा रहा है।  ज़्यादातर फिल्मों में तो इन दोनों नृत्य शैलियों की घालमेल हुई है।  इसके बावजूद यह गीत दर्शनीय बन पाते हैं।  तभी तो तमाम सुपर स्टार अभिनेता अभिनेत्री इन गीतों पर थिरकने से मना नहीं कर पाते।  


राजेंद्र कांडपाल  



'शानदार' नहीं है विकास बहल की फिल्म

जब कोई खुद की सफलता पर अति मुग्ध हो जाता है. जिस पर फैंटम फिल्म के अनुराग कश्यप और करण जौहर का प्रभाव हो, वह विकास बहल हो जाता है और 'शानदार' बनाता है . फिल्म में अनुराग कश्यप का प्रभाव है तो संजय कपूर का किरदार हमेशा बन्दूक हाथ में लिए रहता है . दादी फायरिंग करने की कल्पना करती रहती है . वह जवान शाहिद कपूर को देख कर मुग्ध हो जाती है. करण जौहर के प्रभाव से गे और लेस्बियन किरदार हैं. खुद करण जौहर बकवास किस्म का काफी विथ करण खेल रहे हैं . इस फिल्म में विशाल भरद्वाज की फिल्म 'मटरू की बिजली का मंडोला' वाली बकवास भी है.एक से एक बेसिर पैर के सीन हैं .खुद को महान एक्टर समझ चुके शाहिद कपूर हैं. उन्हें अभिनय करते देख कर पता चलता रहता है कि वह अपने ज़बरदस्त (!) अभिनय की चाशनी टपका रहे हैं . जिसे एक रत्ती भी अभिनय नहीं आता, वह आलिया भट्ट हैं. कोई नदारद है तो वह है विकास बहल. विश्वास नहीं होता कि 'क्वीन' जैसी ज़बरदस्त फिल्म बनाने वाला विकास बहल ऎसी बकवास और उकताऊ फिल्म बना सकता है . फिल्म का केवल एक उजागर पक्ष है, वह है शाहिद कपूर की सौतेली बहन और पंकज कपूर और सुप्रिया पाठक की बेटी सना कपूर. इस लड़की में सम्भावनाये हैं. पंकज कपूर कहीं कहीं जमे हैं . विकास बहल ने अलिया जगजिंदर के साथ सो गई जैसे प्रसंग रच कर हास्य पैदा करने की असफल कोशिश की है. अलिया भट्ट रात में सो नहीं पाती, वह रजाई ओढ़ बत्ती जला कर केला खाती है. इसका क्या मक़सद विकास ने बताया नहीं. संगीत अच्छा है, लेकिन गीत ठूंसे हुए हैं. 
फिल्म देखनी है ! देख आओ. देख लेना कि अंटी में फालतू पैसे हैं !

रवि किशन अंजना सिंह फिर साथ साथ

भोजपुरी फिल्मो के सदाबहार सुपर स्टार रवि किशन व हॉट केक अंजना सिंह चार साल के अंतराल के बाद एक बार फिर दिखेंगे फ़िल्म लव और राजनीति में । निर्देशक हर्ष राज की यह फ़िल्म अब प्रदर्शन के लिए तैयार है । इस फ़िल्म में अंजना सिंह पहली बार एक पॉलिटिशियन की भूमिका में दिखेंगी । उल्लेखनीय है की अंजना ने अपनी फ़िल्मी कैरियर की शुरुवात रवि किशन के साथ ही 2011 में फ़िल्म फौलाद से की थीं । उस फ़िल्म के बाद रवि किशन और अंजना सिंह ने अलग अलग 30 से भी अधिक फिल्में की लेकिन एक दूसरे के अपोजिट काम करने का मौक़ा नहीं मिला । हालांकि दोनो ने ही आज के दौर के चर्चित निर्देशक व लेखक संतोष मिश्रा की बतौर निर्देशक पहली फ़िल्म कइसन पियवा के चरित्तर बा में साथ साथ काम किया था पर उस फ़िल्म में रवि किशन के अपोजिट थी भोजपुरी फिल्मो की रानी कही जाने वाली रानी चटर्जी । अंजना के अनुसार रवि किशन जैसे ऊर्जावान अभिनेता के साथ काम करने वाले हर कलाकारों में नयी ऊर्जा का संचार होता है और उनके लिए यह ख़ुशी की बात है की देर से ही सही एक बार फिर उन्हें रवि किशन के साथ काम करने का मौक़ा मिला ।

प्राची देसाई पहली 'रॉकऑन' से दूसरी 'रॉक ऑन' तक

ज़ी टीवी के लोकप्रिय सीरियल 'कसम से' की बानी वालिया के किरदार से ज़बरदस्त लोकप्रियता हासिल करने के बाद प्राची देसाई ने फिल्मों की और छलांग लगा दी।  इसमे उनकी मदद की उनकी फिल्म एंड टीवी प्रोडूसर दोस्त एकता कपूर ने।  उनको पहली फिल्म मिली रॉक बैंड मैजिक के चार दोस्तों की कहानी 'रॉक ऑन' में एक दोस्त आदित्य (फरहान अख्तर) की पत्नी साक्षी की भूमिका वाली । इस फिल्म में उन्हें साड़ी पहन कर गृहस्थन बनना था।  जो उनकी 'कसम से' इमेज के अनुरूप भी था।  फिल्म हिट हुई।  लेकिन, प्राची देसाई ठीक वैसी हिट नहीं हो पाई, जैसी उन्हें 'रॉक ऑन' के बाद 'वन्स अपॉन अ टाइम इन मुंबई' के भी हिट होने पर हो जाना चाहिए था।  आज प्राची देसाई 'रॉक ऑन' से 'रॉक ऑन २' तक का सफर तय करने जा रही हैं।  इस बीच उन्होंने 'लाइफ पार्टनर', 'आई मी और मैं'  तथा 'पोलिसगिरी' जैसी फ्लॉप फ़िल्में की।  केवल 'बोल बच्चन' उनकी हिट फिल्म थी।  उसमे भी असिन हिस्सा बाँट कर रही थी।  एक दूसरी हिट फिल्म 'एक विलेन' में उन्होंने एक सेक्सी आइटम  किया था।  इस असफलता ने उन्हें ग्लैमर का तड़का कुछ ज़्यादा लगाने के लिए प्रेरित किया है या कहिये कि मज़बूर किया है । 'रॉक ऑन २' में भी वह 'रॉक ऑन' वाली साक्षी ही हैं।  लेकिन, रंग ढंग बदले हुए हैं। उन्होंने साड़ी के बजाय शॉर्ट्स पहने हैं।  वह ज़्यादा स्टाइलिश और सजीली लग रही हैं।  कभी अपने लम्बे  बालों के लिए मशहूर प्राची देसाई ने 'रॉक ऑन २' की साक्षी को स्टाइलिश बनाने के लिए अपने बाल भी छोटे करवा लिए हैं (देखें फोटो) ।  यह प्राची देसाई की मज़बूरी ही है।  क्योंकि, 'रॉक ऑन २' में श्रद्धा कपूर भी आ गई हैं।  दर्शकों की श्रद्धा प्राची देसाई से ज़्यादा इस 'कपूर' पर है । सूत्र बताते हैं कि श्रद्धा कपूर की भूमिका प्राची के मुकाबले में ज़्यादा मज़बूत और महत्वपूर्ण है ।  देखिये, 'रॉक ऑन' से शुरुआत करने वाली प्राची देसाई 'रॉक ऑन २'  में क्या गुल खिलाती है ! 

क्या 'मैं और चार्ल्स' का तौलिया बदल पायेगा ऋचा चड्डा की इमेज !

बता रहे हैं कि प्रवाल रमन की ३० अक्टूबर को रिलीज़ होने जा रही फिल्म 'मैं और चार्ल्स' में ऋचा चड्डा बोल्ड या द बोल्ड नहीं, बल्कि बोल्डेस्ट अवतार में नज़र आयेंगी।  वह फिल्म में एक लॉ स्टूडेंट मीरा का किरदार कर रही हैं, जो अंतर्राष्ट्रीय ठग चार्ल्स शोभराज के व्यक्तित्व से सम्मोहित है।  वह चार्ल्स की मीठी मीठी बातों और आकर्षक सपनों का शिकार हो जाती हैं। चूंकि, वह चार्ल्स पर मुग्ध हैं, इसलिए वह उसके लिए सब कुछ करने के लिए तैयार है।  ऐसे किरदार को करने के लिए अभिनेत्री को भी कुछ भी करना पड़ता है ।  'मैं और चार्ल्स' में ऋचा का बोल्डेस्ट अवतार मीरा के किरदार का प्रभाव है।  ऋचा ने फिल्म के प्रमोशन के दौरान फिल्म में चार्ल्स का किरदार कर रहे रणवीर हुड्डा के साथ नकली स्मूचिंग सीन करके यह आभास दे दिया था कि उनका किरदार कितना गर्म होगा। 'मैं और चार्ल्स' में उनके स्टिल फोटोग्राफ रणदीप हुड्डा के साथ बिस्तर पर हैं। इनमे वह अपने शरीर पर केवल एक तौलिया लपेटे नज़र आ रही हैं।  'मैं और चार्ल्स' ऋचा को कितनी हॉट एक्ट्रेस बनाएगी, यह तो वक़्त बताएगा।  लेकिन, यह ऋचा के वक़्त की ही पुकार है कि उन्हें इस प्रकार के सीन करने पड़ रहे हैं ।  'ओये लकी लकी ओये' में उनका चंचल किरदार, गंग्स ऑफ़ वासेपुर में उनका एक गैंगस्टर की तेज़ तर्रार बीवी का किरदार और 'गोलियों की रासलीला :राम-लीला' में उनका रसीला का इमोशनल किरदार उनके करियर को ख़ास फायदा नहीं पहुंचा पाया है।  मसान में उनकी भूमिका प्रभावशाली नहीं बन सकी थी।  ऐसे में उन्हें 'मैं और चार्ल्स' में अपना सब कुछ दांव पर लगाना ही था।  जो उन्होंने लगा दिया है।  आगे भी उनकी अभिनय क्षमता की नहीं सेक्स अपील की परीक्षा होगी।  पूजा भट्ट की फिल्म 'कैबरे' में वह एक कैबरे डांसर के किरदार में हैं।  ज़ाहिर है कि 'स्किन शो' तो करना ही होगा। सुधीर मिश्र की फिल्म 'और देवदास' में वह आधुनिक पारो के किरदार में हैं।  बताते हैं कि यह पारो शरतचंद्र के पारो से बिलकुल अलग है।  मतलब साफ़ है कि ऋचा चड्डा को ही अब साबित करना है कि वह अभिनय करना चाहेंगी कि और दो चार फिल्मों में अपनी सेक्स अपील का प्रदर्शन कर ट्विटर के पन्नो तक सीमित हो जाना चाहेंगी।

Wednesday, 21 October 2015

हेलेन : एक सेंसुअस कैबरे डांसर

हेलेन का नाम लेते ही शोले की 'महबूबा महबूबा' याद आ जाती है।  थोडा पीछे जाए 'तीसरी मंजिल' में शम्मी कपूर के साथ थिरकती 'हसीना जुल्फों' वाली का थिरकता बदन आँखों के आगे घूम जाता है।  फिर फ़ास्ट फॉरवर्ड करते हैं। अमिताभ बच्चन को लेकर चंद्रा बारोट ने बनाई थी 'डॉन' । इस फिल्म का गीत 'छोरा गंगा किनारे वाला' अमिताभ के मस्त डांस की बदौलत हिट हुआ था।  लेकिन, हेलेन पर फिल्माया गया 'ये मेरा दिल प्यार का दीवाना' कहाँ पीछे था।  तेज़ बीट को थिरकने में पीछे छोड़ती लग रही थी।  २८ साल बाद फरहान अख्तर ने जब डॉन का रीमेक बनाया तो हेलेन वाला डांस करीना कपूर से करवाया।  करीना एक बड़ी ग्लैमरस एक्ट्रेस है।  उनकी थिरकन में सेक्स अपील है।  लेकिन, न जाने क्यों उन्हें देखते हुए हेलेन याद आ रही थी।  यही तो हेलेन के डांस की खासियत है।  वह हर प्रकार के डांस कर सकती है।  जिस डांस नंबर पर वह थिरकती है, वह उनका हो कर रह जाता है।  दूसरे विश्व युद्ध में पिता के मारे जाने के बाद, २१ अक्टूबर १९३९ को जन्मी हेलेन को लेकर उनकी माँ बर्मा से भारत चली आई थी।  माँ नर्स थी।  फिर भी घर का खर्च चलना मुश्किल हो रहा था।  ऐसे में हेलेन को पढ़ाई छोड़ कर कुछ कमाने के लिए निकलना पडा।  उस समय की बड़ी डांस कुकु पारिवारिक मित्र थी।  कुकु ने हेलेन को फिल्मों में डांस करने की सलाह दी। हालाँकि, कुकु की मदद से हेलेन को फ़िल्में मिलने लगी। लेकिन, इनमे उन्हें भीड़ के बीच कदम थिरकाने पड़ते थे। उनकी पहली सोलो डांसर फिल्म १९५३ में रिलीज़ 'अलिफ़ लैला' थी।  गीत था आशा भोंसले का गया 'राते प्यार की बीत जाएंगी'। इस फिल्म के बाद हेलेन का सितारा चमकने लगा।  'हावड़ा ब्रिज' का ओ पी नय्यर का संगीत बद्ध गीत 'मेरा नाम चिन चिन चू' बड़ा हिट गीत  साबित हुआ।  इस गीत के बाद हेलेन कैबरे क्वीन का बतौर  मशहूर हो गई।  एक समय ऐसा आया, जब बॉलीवुड में डांस जानने वाली अभिनेत्रियां आने लगी।  इसके कारण हेलेन को काम  मिलना काफी काम हो गया।  ऐसे समय में सलीम खान ने हेलेन की मदद की।  सलीम खान के कारण हेलेन को ईमान धरम, डॉन और दोस्ताना जैसी फिल्मों में अभिनय करने का मौका मिला।  महेश भट्ट ने फिल्म लहू के दो रंग में हेलेन को विनोद खन्ना की नायिका बना दिया। इस फिल्म  के लिए हेलेन को बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस का फिल्मफेयर पुरस्कार मिला। हेलेन ने कई फिल्मों में वैम्प की भूमिकाएं की।  यहाँ एक दिलचस्प तथ्य यह है कि हेलेन ने १९६१ की फिल्म 'सम्पूर्ण रामायण' में सुपर्णखा का किरदार किया था। सत्तर के दशक में  पद्मा खन्ना, जयश्री टी, बिंदु, अरुणा ईरानी और कल्पना अय्यर जैसी कम डांसर्स के आ जाने के बाद फिल्मों में हेलेन की मांग घट गई।  उम्र भी उन पर भारी पड़ रही थी।  इसलिए, उन्होंने धीरे धीरे डांस करना बिलकुल काम कर दिए।  वह १९८३ में फिल्मों से दूर हो गई। फिर उन्होंने २००० में मोहब्बते फिल्म से छोटी छोटी भूमिकाएं करना शुरू कर दिया। उन्होंने संजयलीला भंसाली की फिल्म 'हम दिल दे चुके सनम' में  सलमान खान की माँ का किरदार किया था, जो रियल लाइफ में उनके सौतेले बेटे है। हेलेन ने अपने जीवन में ५०३ फिल्मों में डांसर, नायिका, खल नायिका, कैबरे  और चरित्र भूमिकाये की।  





याहू स्टार शम्मी कपूर ! जो साइबर प्रेमी था

शम्मी कपूर, हिंदी फिल्मों के रिबेलियन हीरो यानि विद्रोही नायक थे। उनके समय से पहले तक का नायक अपनी नायिका के लिए रोता, सुबकता और बिछुड़ता ट्रेजेडी किंग जैसा  था।  शम्मी कपूर ने इस नायक की इमेज बंदलने की सफल कोशिश की।  उन्होंने, नायक को समाज और परिवार का विरोध करना सिखाया।  वह नायिका  लिए मार खा सकता था, लेकिन उससे बिछुड़ना उसे मंजूर नहीं था।  शम्मी कपूर को डांस में महारत हासिल थी।  धीमी धुनों वाले गीतों में भी वह कुछ ऐसा थिरकते थे कि  सिनेमाघरों में बैठे दर्शक तक झूम उठते थे।  उनका  चेहरा और हाव भाव गीतों के बोलों को  पहचान देते थे।  इसीलिए, उन्हें बॉलीवुड का एल्विस प्रेस्ले भी कहा जाता है। उन्हें बाद में याहू स्टार भी कहा गया।  सायरा बानो की डेब्यू फिल्म 'जगंली' में वह उनके ऐंठू नायक बने थे।  इस फिल्म के एक गीत 'चाहो कोई मुझे जंगली कहे' में निकाली गई 'याहू' की आवाज़ ने उन्हें दर्शकों में लोकप्रिय बनाया था। इस गीत पर उनका यादगार झूमना उन्हें याहू स्टार भी बना गया। लेकिन, यह बताने की ज़रुरत है कि शम्मी कपूर की पहचान बनी याहू आवाज़ उनकी नहीं, बल्कि पृथ्वी थिएटर के एक कलाकार पराग राज की थी। कहने का मतलब यह कि शम्मी  कपूर को अपनी फिल्मों और अभिनय शैली के ज़रिये जितने खिताब मिले वह अपने आप में काबिल ए तारीफ हैं।  लेकिन, शायद कम लोग जानते हैं कि हिंदुस्तान में इंटरनेट लाने का पहला प्रयास शम्मी कपूर ने किया था।  भारतीय विदेश संचार निगम ने १५ अगस्त १९९५ से इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा शुरू की।  लेकिन, इससे एक साल पहले ही शम्मी कपूर इंटरनेट के ज़रिये काम किया करते थे।  उन्होंने मुंबई के एक पांच सितारा होटल में लीज पर टीसीपी/आईपी लाइन लेकर पहले साइबर कैफ़े की स्थापना की।  उन्होंने इंटरनेट यूजरस  कम्युनिटी ऑफ़ इंडिया के स्थापना की।  वह इसके आजीवन चेयरमैन रहे।  उन्होंने साइबर अपराधों को रोकने के लिए एथिकल हैकर्स एसोसिएशन की स्थापना में अपना महत्वपूर्ण योगदान किया।  उन्होंने कपूर परिवार को समर्पित एक वेब साइट भी तैयार की। आज अगर शम्मी कपूर जीवित होते तो अपनी ८४वी वर्षगाँठ मना रहे होते।







हिंदुस्तान की पहली डेस्टिनेशन वेडिंग फिल्म 'शानदार'

इस शुक्रवार निर्देशक विकास बहल की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'शानदार' रिलीज़ हो रही है।  इस फिल्म में पहली बार शाहिद कपूर और अलिया भट्ट की रोमांटिक जोड़ी बन रही है।  यह भारत की पहली डेस्टिनेशन वेडिंग फिल्म होगी।  इस प्रकार की शादी पारम्परिक शादी से अलग दोनों पक्षों के घरों से कहीं दूर जगह पर की जाती है।  इसमे दोनों  तरफ के मेहमानों को किसी स्थान पर खुद ही पहुँचना होता है। इस शादी के मेहमान कई  दिनों तक रुक सकते हैं। २००९ की मंदी के दौर में डेस्टिनेशन वेडिंग काफी सफल रही थी, क्योंकि, इसे कम खर्च में किया जा सकता था। हॉलीवुड में डेस्टिनेशन वेडिंग थीम पर 'फादर ऑफ़ ब्राइड', '१६ कैंडल्स', 'द प्रिंसेस ब्राइड', 'ब्लू हवाई', 'यू  मी एंड डुप्री', 'मामा मिया', आदि ढेरों फ़िल्में बनाई गई हैं और यह खासी सफल भी हुई हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग का पूरा इंतज़ाम करने का जिम्मा वेडिंग प्लानर के कन्धों पर होता है।  'क्वीन' जैसी रोचक फिल्म बनाने वाले अमित बहल की इस फिल्म में  शाहिद कपूर वेडिंग प्लानर बने हैं।  इस लिहाज़ से गीत, नाच, रोमांस और हास्य से भरपूर फिल्म 'शानदार' हिंदी दर्शकों का मनोरंजन करेगी।  ख़ास बात यह है कि इस फिल्म में शाहिद कपूर पहली बार अपने पिता पंकज कपूर के सामने अभिनय कर रहे हैं।  अलबत्ता, उन्होंने पंकज कपूर के निर्देशन में फिल्म 'मौसम' में अभिनय ज़रूर किया था।  सौतेली माँ सुप्रिया पाठक से बहन सना कपूर भी फिल्म में अलिया भट्ट की सहेली ईशा का किरदार कर रही हैं।  इस प्रकार से पंकज कपूर परिवार के तीन सदस्य फिल्म में एक साथ दिखाई देंगे । सना कपूर पर तो 'गुलाबो' जैसा हिट गीत भी फिल्माया गया है। लेकिन, पाठकों के लिए दिलचस्प खबर यह है कि शाहिद कपूर और पंकज कपूर की फिल्म 'शानदार' के सामने निर्देशक मिलिंद उके की मार्शल आर्ट्स पर फिल्म 'रणवीर: द मार्शल' रिलीज़ हो रही है। शाहिद कपूर इन्ही मिलिंद उके की फिल्म 'पाठशाला' के नायक थे।  लेकिन, असल खबर यह नहीं, दूसरी है।  'रणवीर द मार्शल' के हीरो अभिनेता ऋषि हैं।  लेकिन, फिल्म में राजेश खट्टर राणा की ख़ास  भूमिका में हैं।  राणा ही मार्शल आर्ट्स की प्रतियोगिता करवा कर दौलत कमाता है। यह फिल्म हंगर गेम्स सीरीज की फिल्मों से प्रेरित लगती है। शाहिद कपूर की फिल्म के सामने राजेश खट्टर की फिल्म का होना ही ख़ास खबर है। जहाँ पंकज कपूर शाहिद कपूर के सगे पिता हैं, वहीँ राजेश खट्टर उनके सौतेले पिता हैं।  शाहिद की माँ नीलिमा अज़ीम ने पंकज कपूर से तलाक़ लेने के बाद राजेश खट्टर से शादी की थी। नीलिमा और राजेश से ईशान खट्टर का जन्म हुआ।  ईशान और शाहिद फिल्म 'वाह ! लाइफ हो तो ऎसी !' में अभिनय कर चुके हैं।  इसका मतलब यह हुआ कि २२ अक्टूबर को अपने अपने एक फिल्म में साथ होंगे और दूसरी फिल्म के सौतेले से भिंडेंगे।  वाह ! क्या शानदार होगी रणवीर द मार्शल से भिड़ंत !  देखिये, 'रणवीर द मार्शल' का ट्रेलर -



बदल जाएगी गोकुल धाम कॉलोनी

पिछले सात सालों से, सोनी सब पर कॉमेडी सीरियल  'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' की गोकुल धाम सोसाइटी में एक रत्ती भी बदलाव नहीं हुआ है।  किरदार नए आये, पुराने बदले और कुछ की उम्र बढ़ गई।  लेकिन, सोसाइटी के मकान वैसे के वैसे ही रहे।  अब सुनाई पड़ रहा है कि गोकुल धाम सोसाइटी के दिन बहुरने वाले हैं।  घर दीवारों से टपकने वाले रंगो और टूटे दरवाज़ों से जूझते गोकुल धाम के निवासियों के लिए खुश खबर है।  अब बहुत ही जल्द गोकुलधाम सोसाइटी में  रहने वालो लोंगो के घरो की मरम्मत होगी। उनके घरो का नक्शा पूरी तरह से बदल जायेंगा ।  सभी के घरो को पूरी तरह से नया बनाया जा रहा है । सीरियल के निर्माता असित कुमार मोदी कहते हैं," पिछले ७ सालो से दर्शको ने जेठालाल, भिड़े, बबिता, तारक मेहता, पोपटलाल, डॉ हांथी और सोढ़ी के घरो में कुछ बदलाव नही देखा है। जबकि, निजी जीवन में लोग इतने सालो में अपने घरो में कुछ न कुछ बदलाव कर लेते है । लोगों के घरों का कलर से लेकर फर्नीचर तक जाता है । उसी के चलते  गोकुलधाम सोसाइटी के घरो का भी नूतनीकरण किया जा रहा है ।" सीरियल 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के किरदार अपने अस्थाई घरों से ऊबे हों या न ऊबे हों, दर्शक ज़रूर ऊब गए हैं। यह बदलाव इसी का परिणाम है। 

'डाई हार्ड ६' में युवा जॉन मैकक्लेन भी होगा

हॉलीवुड में धुंआधार एक्शन फिल्म सीरीज 'डाई हार्ड' की छठी क़िस्त बनाने की तैयारी जोरो पर है।  फिल्म का निर्माता स्टूडियो ट्वंटीएथ सेंचुरी फॉक्स की सीरीज की चौथी फिल्म 'लाइव फ्री ऑर डाई हार्ड' के निर्देशक लेन वाइजमैन से बातचीत चल रही है कि वह फ्रैंचाइज़ी में वापसी कर छठी फिल्म की कमान सम्हाले।  'डाई हार्ड 6' काफी हद तक प्रेकुएल फिल्म भी होगी।  क्योंकि, इस फिल्म में १९७९ का न्यू यॉर्क शहर भी दिखाया जायेगा। इसलिए, दर्शकों को आज के ब्रूस विलीस का मैकक्लेन  भी नज़र आयेगा और उनका युवा अवतार भी।  लेकिन, फिल्म का यह युवा अवतार ब्रूस विलीस विग पहन कर नहीं करेंगे, बल्कि कोई युवा अभिनेता इस किरदार को करेगा।  यह अभिनेता कौन होगा, अभी तय नहीं हुआ है। डाई हार्ड सीरीज की पहली फिल्म 'डाई हार्ड' १५ जुलाई १९८८ को रिलीज़ हुई थी।  इस फिल्म का बजट २८ मिलियन डॉलर था।  फिल्म ने वर्ल्डवाइड १४०.८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया था।  यह फिल्म १३२ मिनट लम्बी थी। दो साल बाद यानि ४ जुलाई १९९० को 'डाई हार्ड 2' रिलीज़ हुई।  १२४ मिनट की इस फिल्म के निर्माण में ७० मिलियन डॉलर खर्च हुए थे।  फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर २४० मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया। डाई हार्ड सीरीज की पांचवी फिल्म को बनने में पांच साल लग गए।  डाई हार्ड विथ अ वेनजिअंस' १९ मई १९९५ को रिलीज़ हुई।  इस फिल्म के निर्माण में ९० मिलियन डॉलर खर्च हुए थे।  लेकिन, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर केवल ३६० मिलियन डॉलर ही कमा सकी।  अब डाई हार्ड सीरीज की फिल्मों के फ्रंट पर ख़ामोशी छा गई।  एक दशक बाद 'लाइव फ्री ऑर डाई हार्ड' बनाने की शुरुआत हुई।  फिल्म ने ११० मिलियन डॉलर खर्च कर ३८३ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया। सीरीज की पहली का निर्देशन जॉन मेकटियरनन ने किया था।  डाई हार्ड २ के निर्देशन की कमान रेंनी हार्लिन के हाथों में थी।  १९९५ की फिल्म में फिर टियरनन आ गए। पहली बार 'लाइव फ्री ऑर डाई हार्ड' के निर्देशन का जिम्मा लेन वाइजमैन  को सौंपा गया था।  अगली फिल्म 'अ गुड डे टू डाई हार्ड' की कमान फिल्म नए निर्देशक जॉन मूर को सौंप दी गई।  यह फिल्म ९२ मिलियन डॉलर के बजट से बनी थी तथा वर्ल्डवाइड कलेक्शन ३०४ मिलियन डॉलर का हुआ था।  अब जबकि, डाई हार्ड ६  बनाई जा रही है, ब्रूस विलीस के प्रशंसकों के लिए बुरी खबर यह है कि ब्रूस विलीस अब जॉन मेकक्लेन के किरदार से रिटायर होना चाहते हैं।  शायद इसीलिए कि कोई दूसरा अभिनेता ब्रूस विलीस की जगह ले सके डाई हार्ड ६ में अतीत के न्यू यॉर्क शहर की  घटनाएँ जोड़ दी गई है।

मिशन इम्पॉसिबल ५ की रेबेका बनेगी कैप्टेन मार्वल

हालिया रिलीज़ हॉलीवुड फिल्म 'मिशन इम्पॉसिबल रोग नेशन' में एमआई ६ की अंडरकवर एजेंट और एथन हंट की दोस्त इल्सा फॉस्ट की भूमिका करने वाली अभिनेत्री रेबेका फर्गुसन ने फ़िल्म में अपने धुंआधार एक्शन से मार्वल के बॉसेस का ध्यान खींच लिया है।  रेबेका को एक नायिका प्रधान सुपरहीरो फिल्म में मुख्य भूमिका करने के लिए चुन  लिए जाने की खबर है।  पिछले साल मार्वल ने कैप्टेन मार्वल का ऐलान किया था।  उसी समय से यह अटकलें लगाई जा रही थी कि टाइटल रोल के लिए किस अभिनेत्री का चुनाव होता है।  उसी समय यह भी कहा गया था कि कैप्टेन मार्वल का करैक्टर फ़िल्म 'अवेंजर्स: एज ऑफ़ अल्ट्रान' आखिरी सीन में नज़र आयेगे।  बाद में इस आईडिया को छोड़ दिया गया क्योंकि, कैप्टेन मार्वल के लिए उपयुक्त अभिनेत्री तय नहीं हो पाई थी।  अब, जबकि, रेबेका फर्गुसन मिशन इम्पॉसिबल सीरीज की पांचवी फिल्म में अपने धुआंधार एक्शन से पूरी दुनिया का ध्यान खींच चुकी है, मार्वल के बॉसेस को भी लगता है कि उनकी कैप्टेन मार्वल की खोज ख़त्म हो गई है।  मिशन इम्पॉसिबल ५ के बाद रेबेका के पास ढेरो ऑफर पहुँच रहे थे।  फॉक्स की गैम्बिट फिल्म में उन्हें बेला बौड्रीक्स की बड़ी भूमिका दी जा रही थी।  रेबेका के इंकार के बाद यह रोल ली सेडॉक्स के पास चला गया।  कैप्टेन मार्वल को गार्डियंस ऑफ़ द गैलेक्सी की निकोल पर्लमैन और इनसाइड आउट की मेग लेफॉव द्वारा लिखा जा रहा है। यह फिल्म २ नवंबर २०१८ को रिलीज़ होगी।  

Tuesday, 20 October 2015

दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे के २० साल

आज (२० अक्टूबर को), जब मुंबई के मराठा मंदिर में फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' दोपहर का शो शुरू होगा, उस समय हिंदी फिल्मों के इतिहास में किसी फिल्म के एक ही सिनेमाघर में, लगातार २० साल तक चलते रहने का कीर्तिमान स्थापित हो जायेगा।  यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा ने जब अपने निर्देशन  में बनने वाली पहली फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले आएंगे' के पहला ड्राफ्ट पढ़ा तो उस समय वह २३ साल के थे। हालाँकि, उस समय तक आदित्य चोपड़ा कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट लिख चुके थे।  वह 'मोहब्बते' से अपना फिल्म डेब्यू करना चाहते थे।  लेकिन, यश चोपड़ा ने उन्हें रोमांस फिल्म से डेब्यू करने की सलाह दी।  आदित्य चोपड़ा ने दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे को अमेरिकन लडके और भारतीय लड़की की रोमांस कहानी की तरह डेवलप किया था।  वह इसे अंग्रेजी भाषा में टॉम क्रूज़ को ले कर बनाना चाहते थे।  लेकिन, यश चोपड़ा ने उन्हें भारतीय ढंग से ही फिल्म को डेवलप करने और फिल्म हिंदी में बनाने की हिदायत की  । आदित्य ने राज की भूमिका के लिए शाहरुख़ खान से संपर्क किया।  लेकिन, शाहरुख़ खान को लगता था कि वह रोमांटिक भूमिकाओं में नहीं फबेंगे, क्योंकि, वह  उस समय तक बाज़ीगर और डर जैसी फिल्मों के एंटी-हीरो के रूप में सफल हो रहे थे। करण अर्जुन जैसी एक्शन फ़िल्में उन्हें रास आ रही थी।  इसलिए उन्होंने आदित्य की फिल्म करने से मना कर दिया। आदित्य सैफ अली खान के पास गए।  लेकिन, अनजाने कारणों से सैफ ने भी यह फिल्म करने से इंकार कर दिया।  अब मज़बूरन आदित्य को शाहरुख़ खान को ही मनाना पड़ा।  उन्होंने शाहरुख़ खान को समझाया कि वह कभी सुपर स्टार नहीं बन सकेंगे, अगर वह हर औरत के  सपने के मर्द और हर माँ के सपने के बेटे नहीं बन सकते।  शाहरुख़ खान आज भी आदित्य के शुक्रगुजार हैं कि आदित्य ने उन्हें सुपर स्टार बनने का रास्ता दिखाया।  'दिल वाले  दुल्हनिया ले जायेंगे' २० अक्टूबर १९९५ को रिलीज़ हुई। इस फिल्म ने शाहरुख़ खान को बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस का बादशाह खान बना दिया।  हिंदी फिल्मों को एनआरआई हीरो का कांसेप्ट दिया।  इसके बाद एनआरआई दूल्हे वाली कई फ़िल्में बनी। इस फिल्म ने माता पिता से विद्रोह का शादी करने के लिए लड़की भगा ले जाने वालों लड़कों को माता पिता की सहमति से शादी करने का सन्देश दिया।  फिल्म ने समग्र मनोरंजन करने वाली फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।  इस फिल्म ने करण जौहर जैसा डायरेक्टर दिया, जो फिल्म में आदित्य चोपड़ा का सहायक था।  करण जौहर ने तीन साल बाद फिल्म 'कुछ कुछ होता है' से निर्देशन में कदम रखा।  यह फिल्म एक सिनेमाघर में सबसे ज़्यादा (२० साल तक) चलने वाली फिल्म साबित हुई।  इस फिल्म ने इंडियन बॉक्स ऑफिस पर १ बिलियन से ज़्यादा का बिज़नेस किया। फिल्म का टाइटल 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' शशि कपूर और मुमताज की फिल्म 'चोर मचाये शोर' के एक गीत से प्रेरित था, जिसे अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर ने आदित्य चोपड़ा को सुझाया था।  काजोल को यह टाइटल टपोरी लगा था तथा अपना स्क्रीन का सिमरन नाम एलियन जैसा।  सरोज खान को आदित्य चोपड़ा की प्रतिभा पर भरोसा नहीं था, इसलिए यह बीच में ही फिल्म छोड़ कर  चली गई और उनकी जगह फराह खान ने ले ली।  फिल्म में परमीत सेठी वाली भूमिका सबसे पहले मिलिंद गुणाजी को दी गई थी।  लेकिन, उन्होंने अपनी फेमस दाढ़ी साफ़ करने से मना कर दिया। अरमान कोहली को परमीत वाली नहीं, शाहरुख़ खान वाली भूमिका करनी थी।  इसलिए आखिर में परमीत फाइनल हो गए।  आदित्य को दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे को डीडीएलजे के शार्ट नाम से पुकारना पसंद नहीं।  वह फिल्म को दिलवाले कहते हैं।



Monday, 19 October 2015

नवी मुंबई में होगा "शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल"

आज फ़िल्मी दुनिया में आने वालों की तादात कम नही है, पर सभी को यहाँ मुक्कमल जहाँ नही मिलता, शॉर्ट फ़िल्म मेकिंग उन्ही बडे रास्तों की सुनहरी पगडंडी है, जिसे कम पैसो में बनाकर फिल्ममेकर्स अपनी अंदर छुपी प्रतिभा को दुनिया के सामने ला सकता है, पर जब तक वो दुनिया से परिचित नहीं होती तब उसकी कोई पहचान नही, अब अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद्, ऐरोली शाखा नवी मुंबई में "शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल -2015 ( कार्निवल ऑफ डिजिटल सिनेमा) का आयोजन कर रहा है, जिस में कई सारे फिल्ममेकर्स को शॉर्ट फिल्म द्वारा अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। इस फेस्टिवल में सारे भारत से मराठी, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं की शॉर्ट फिल्मों को मौका मिलेगा, अपनी एंट्री को 30 अक्तूबर से पहले निश्चित करें ऐसा अध्यक्ष विजय चौगले इन्होंने अपने प्रसिध्ही पत्रकद्वारा कहा है।
शामिल सभी फिल्मों से बेहतरीन दस फिल्मों का स्पेशल स्क्रीनिंग किया जाएगा, और उन्ही फिल्मों से सर्वोत्कृष्ट 3 फिल्मो को चयन होगा, जिन्हें पुरस्कार स्वरुप - नकद राशि, स्मृतिचिन्ह और सन्मानपत्र दिया जाएगा, 2 मिनिट से ज्यादा और 30 मिनिट से कम फ़िल्म का अवधी होना अनिवार्य है, फेस्टिवल के आखरी दिन सभी समीक्षकों द्वारा फ़िल्ममेकर्स के लिए एक विशेष अभ्यासवर्ग आयोजित किया जाएगा जिसमे मराठी और हिंदी फिल्मों के कई सारे लेखक, निर्देशक, कलाकार शामिल होंगे..ऐसा निर्देशक संदीप जंगम और अभिनेता रमेश वाणी इन्होंने कहा है।
इसके लिए संपर्क करे -
natyaparishad.airoli@gmail.com
और 7506360778 और 9821009137 पर संपर्क करे।