Wednesday 21 October 2015

याहू स्टार शम्मी कपूर ! जो साइबर प्रेमी था

शम्मी कपूर, हिंदी फिल्मों के रिबेलियन हीरो यानि विद्रोही नायक थे। उनके समय से पहले तक का नायक अपनी नायिका के लिए रोता, सुबकता और बिछुड़ता ट्रेजेडी किंग जैसा  था।  शम्मी कपूर ने इस नायक की इमेज बंदलने की सफल कोशिश की।  उन्होंने, नायक को समाज और परिवार का विरोध करना सिखाया।  वह नायिका  लिए मार खा सकता था, लेकिन उससे बिछुड़ना उसे मंजूर नहीं था।  शम्मी कपूर को डांस में महारत हासिल थी।  धीमी धुनों वाले गीतों में भी वह कुछ ऐसा थिरकते थे कि  सिनेमाघरों में बैठे दर्शक तक झूम उठते थे।  उनका  चेहरा और हाव भाव गीतों के बोलों को  पहचान देते थे।  इसीलिए, उन्हें बॉलीवुड का एल्विस प्रेस्ले भी कहा जाता है। उन्हें बाद में याहू स्टार भी कहा गया।  सायरा बानो की डेब्यू फिल्म 'जगंली' में वह उनके ऐंठू नायक बने थे।  इस फिल्म के एक गीत 'चाहो कोई मुझे जंगली कहे' में निकाली गई 'याहू' की आवाज़ ने उन्हें दर्शकों में लोकप्रिय बनाया था। इस गीत पर उनका यादगार झूमना उन्हें याहू स्टार भी बना गया। लेकिन, यह बताने की ज़रुरत है कि शम्मी कपूर की पहचान बनी याहू आवाज़ उनकी नहीं, बल्कि पृथ्वी थिएटर के एक कलाकार पराग राज की थी। कहने का मतलब यह कि शम्मी  कपूर को अपनी फिल्मों और अभिनय शैली के ज़रिये जितने खिताब मिले वह अपने आप में काबिल ए तारीफ हैं।  लेकिन, शायद कम लोग जानते हैं कि हिंदुस्तान में इंटरनेट लाने का पहला प्रयास शम्मी कपूर ने किया था।  भारतीय विदेश संचार निगम ने १५ अगस्त १९९५ से इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा शुरू की।  लेकिन, इससे एक साल पहले ही शम्मी कपूर इंटरनेट के ज़रिये काम किया करते थे।  उन्होंने मुंबई के एक पांच सितारा होटल में लीज पर टीसीपी/आईपी लाइन लेकर पहले साइबर कैफ़े की स्थापना की।  उन्होंने इंटरनेट यूजरस  कम्युनिटी ऑफ़ इंडिया के स्थापना की।  वह इसके आजीवन चेयरमैन रहे।  उन्होंने साइबर अपराधों को रोकने के लिए एथिकल हैकर्स एसोसिएशन की स्थापना में अपना महत्वपूर्ण योगदान किया।  उन्होंने कपूर परिवार को समर्पित एक वेब साइट भी तैयार की। आज अगर शम्मी कपूर जीवित होते तो अपनी ८४वी वर्षगाँठ मना रहे होते।







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