Friday, 9 October 2015

नहीं रहे राम तेरी गंगा मैली के रविन्द्र जैन

आज मुंबई के लीलावती हॉस्पिटल में लम्बी बीमारी के बाद मशहूर संगीतकार, गीतकार और गायक रविन्द्र जैन का देहांत हो गया।  इसके साथ ही बॉलीवुड फिल्म संगीत में भक्ति का मिश्रण करने वाली एक प्रतिभा का भी अवसान हो गया।  वह ७१ साल के थे।  रविन्द्र जैन जन्मांध थे।  इसके बावजूद उन्होंने ऐसे जीवंत संगीत की रचना की, जिसे ४२ साल बाद भी दर्शक भूले  नहीं।  क्या आपको याद है १९७३ में रिलीज़ अमिताभ बच्चन, नूतन और पद्मा खन्ना की फिल्म 'सौदागर' के गीतों की! कौन भूल सकता है 'सजना है मुझे सजना के लिए', 'क्यों लायो सैयां पान मेरे होंठ तो यूँ ही लाल', 'हर हंसीं चीज का मैं तलबगार हूँ' और 'तेरा मेरा साथ रहे' जैसे गीत । सौंदर्य शास्त्र के लिहाज़ से यह गीत लाजवाब हैं। इन गीतों को सुनते हुए नायिका का सौंदर्य और अपने प्रीतम के लिए भावनाएं आखों के सामने तैर जाती हैं।  इन सभी गीतों के रचयिता रविन्द्र जैन ही थे।   सत्तर के दशक में रविन्द्र जैन के संगीत की धूम मचा करती थी।  वह राजश्री बैनर की फिल्मों के स्थाई संगीतकार थे। सिर्फ सूरज बड़जात्या के निर्देशन मेंबनी किसी फिल्म का संगीत रविन्द्र जैन ने नहीं दिया।  अन्यथा, वह ताराचंद बड़जात्या की फिल्मों से लेकर  राजकपूर की फिल्मों के संगीतकार भी बने।  उनके संगीत में भावनाएं होती थी, भक्ति होती थी और उत्साह होता था।  उन्होंने, चोर मचाये शोर और फकीरा जैसी महा कमर्शियल फिल्मों में भी अपने संगीत के स्तर को गिरने नहीं दिया।  उन्होंने, फिल्म चोर मचाये शोर के लिए 'एक डाल पर तोता बोले एक डाल पर मैना और घुँघरू की तरह बजता ही रहा हूँ जैसे हिट गीत लिखे। फकीरा फिल्म में चल फकीरा चल और तोता मैना की कहानी जैसे गीत सुपर हिट हुए। अमिताभ बच्चन के एंग्री यंगमैन के उदय के बाद, जब आरडी बर्मन जैसे संगीतकार स्तरहीन संगीत दे रहे थे, उसी दौरान रविन्द्र जैन ने तपस्या, चितचोर, कोतवाल साब, राम भरोसे, दुल्हन वही जो पिया मन भाये, अँखियों के झरोखों से, पति पत्नी और वह, सुनयना, आदि फिल्मों में आत्मा को छूने वाले कर्णप्रिय संगीत की रचना की। उनके संगीतबद्ध किये फिल्म 'गीत गाता चल' के तमाम गीत मंदिरों में तक बजाये जाते थे। वह ऐसे संगीतकार थे जिन पर राजकपूर तक का जादू नहीं चला।  उन्होंने राजकपूर की दो फिल्मों राम तेरी गंगा मैली और हिना के लिए संगीत रचना की।  राजकपूर संगीत के जानकार फिल्मकार थे।  लेकिन, रविन्द्र जैन ने राजकपूर के प्रभाव के बिना अपनी शैली का संगीत दिया।  उन्हें राम तेरी गंगा मैली के लिए श्रेष्ठ संगीतकार की श्रेणी में फिल्मफेयर अवार्ड मिला। छोटे परदे पर रामानंद सागर और धीरज कुमार के सीरियलों से रविन्द्र जैन का संगीत घर घर पहुंचा।   
रविन्द्र जैन उत्तर प्रदेश में अलीगढ में  पैदा हुए थे। संगीत प्रभाकर की डिग्री लेने के बाद १९७० में वह मुंबई आ गए।  उन्हें पहला मौका फिल्मकार एनएन सिप्पी ने अपनी फिल्म 'सिलसिला है प्यार का' के लिए दिया। लेकिन, यह फिल्म  बन ही नहीं सकी। १९७४  में रविन्द्र जैन ने एनएन सिप्पी की फिल्म 'चोर मचाये शोर' का संगीत दिया। उनकी पहली रिलीज़ फिल्म 'कांच और हीरा' थी। इस  फिल्म का मोहम्मद रफ़ी का गाया गीत 'नज़र आती नहीं मंज़िल' ज़बरदस्त हिट हुआ।   लेकिन,रविन्द्र जैन के संगीत को बुलंदिया दी अमिताभ बच्चन अभिनीत राजश्री बैनर की फिल्म 'सौदागर' ने। उन्होंने बॉलीवुड फिल्म इंडस्ट्री को येसुदास,  हेमलता, जसपाल सिंह, आरती मुख़र्जी, चंद्रानी मुख़र्जी, आदि जैसी बहुत सी प्रतिभाओं से परिचित कराया।  वह लाइव शो भी किया करते थे।  वह अच्छे शायर भी थे।  उनकी उर्दू शायरी के संग्रह 'उजालों का सिलसिला' को उत्तर प्रदेश हिन्दू-उर्दू साहित्य अवार्ड कमिटी ने साहित्य अवार्ड से नवाज़ा।  उन्हें कई राष्ट्रीय अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार और सम्मान मिले।  उन्हें इसी साल पद्मश्री से दी गई।  उन्होंने आत्मकथा 'सुनहरे पल' भी लिखी।  उनकी गैर हिंदी रचनाओं में आशा भोंसले का प्राइवेट एल्बम ओम नमः शिवाय, गुरु वंदना, टाइमलेस्स महात्मा, काशी पुष्पांजलि, मिशन बोध गया और संपूर्ण रामायण के नाम उल्लेखनीय हैं।  सम्पूर्ण रामायण को बॉलीवुड के कई गायकों ने गाया था।  

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