Sunday, 11 October 2015

अमिताभ बच्चन से होकर गुजरती है यह रेखा

जन्मदिन के लिहाज़ से रेखा और अमिताभ बच्चन का चोली दमन का साथ है. रेखा १० अक्टूबर को पैदा हुई थी. अमिताभ बच्चन आज के दिन (११ अक्टूबर को) क्विट इंडिया मूवमेंट के वर्ष में पैदा हुए थे। रेखा आजादी के सात साल बाद पैदा हुई  लेकिन, इन दोनों का हिंदी फिल्म करियर एक साथ शुरू हुआ . रेखा ने पहली हिंदी फिल्म 'अनजाना सफ़र' १९६९ में साइन की थी, जबकि पहले रिलीज़ हुई 'सावन भादो' . अमिताभ बच्चन ने पहली फिल्म 'सात हिन्दुस्तानी' भी १९६९ में की थी . जहाँ तक रूपहले परदे पर अभिनय का सवाल है, रेखा अमिताभ बच्चन से सीनियर हैं. उनकी पहली तेलुगु फिल्म 'रंगुला रत्नम' १९६६ में रिलीज़ हो गई थी. इसे अमिताभ बच्चन का भाग्य ही कहेंगे कि जिस सात हिन्दुस्तानी से उनका फिल्म करियर शुरू हुआ था, उसके बाकी छः हिन्दुस्तानियों का फिल्म करियर या तो ख़त्म हो चूका है या वह स्वर्गवासी हो चुके हैं. उनके साथ ही करियर शुरू करने वाली रेखा भी खामोश रहना पसंद करती हैं. आज रेखा का जिक्र इस लिए कि अमिताभ बच्चन रेखा के बिना अधूरे हैं. रेखा अपने आप में पूरी रेखा हैं. लेकिन, अमिताभ बच्चन रेखा के बिना पूरे नहीं. इन दोनों की लव स्टोरी ३३ साल बाद भी जीवंत है. आर० बल्कि को अपनी फिल्म शमिताभ में अमिताभ बच्चन और रेखा के रिश्तों को दिखाने की ज़रुरत महसूस हुई थी. अमिताभ बच्चन के लिए रेखा का कितना महत्व  था, यह अमिताभ ही बता सकते हैं. लेकिन, रेखा के फिल्म करियर में अमिताभ का ज़बरदस्त प्रभाव था . वास्तविकता तो यह है कि अमिताभ बच्चन ने रेखा को उस समय संरक्षण दिया, जब बॉलीवुड के छिछोरे रेखा के हिंदी न समझ पाने का गलत फायदा उठाया करते थे. उनसे भद्दे मज़ाक किया करते थे. ज़ंजीर के बाद सुपर स्टार बन गए अमिताभ बच्चन ने रेखा के साथ अपनी जोड़ी बनानी शुरू कर दी . हालाँकि उस समय तक रेखा 'एलान', 'गोरा और काला', 'एक बेचारा', 'दो यार', 'रामपुर का लक्षमण', 'कीमत', 'कहानी किस्मत की', 'धर्मा', आदि बड़ी हिट फ़िल्में दे चुकी थी. अमिताभ बच्चन के साथ उनकी पहली फिल्म ऋषिकेश मुख़र्जी की 'नमक हराम' थी. लेकिन, वह इस फिल्म में अमिताभ की नायिका नहीं थी. इन दोनों का साथ बना 'दो अनजाने' से. इन दोनों ने एक साथ अलाप, इमान धरम, खून पसीना, गंगा की सौगंध, कसमे वादे, मुकद्दर का सिकंदर, मिस्टर नटवरलाल, सुहाग, राम बलराम और सिलसिला जैसी फ़िल्में की . सिलसिला के बाद इन दोनों की फिल्मों का सिलसिला थम गया. दोनों फिर कभी परदे पर आमने सामने नहीं आये. लेकिन, रेखा के जीवन में अमिताभ बच्चन का जो गहरा प्रभाव पडा, उसकी एक झलक रेखा की फिल्मों में मिलती है. एक तरफ रेखा जहाँ खूबसूरत, जुदाई, मांग भरो सजना, उमराव जान, अगर तुम न होते, आदि फिल्मों से खुद को संवेदनशील अभिनेत्री साबित कर रही थी, वहीँ मुझे इन्साफ चाहिए, इन्साफ की आवाज़, खून भरी मांग, भ्रष्टाचार, आज़ाद देश के गुलाम, फूल बने अंगारे, जैसी फिल्मों में अमिताभ बच्चन के एंग्री यंग मैन का लेडी संस्करण पेश कर रही थी. अमिताभ बच्चन के प्रति रेखा की भावनाओं को बाल्की ने अपनी फिल्म 'शमिताभ' में अमिताभ की आवाज़ के सहारे पेश किया था. रेखा ने भी सिर्फ इसी कारण से फिल्म साइन की थी. 
अमिताभ बच्चन आज भी सक्रिय हैं. उनकी भूमिका ज़रूर बदल चुकी है अब वह वृद्ध भूमिकाएं कर रहे हैं. टीवी पर शो भी कर रहे हैं. लेकिन, रेखा चुनिन्दा फ़िल्में भी बहुत सोच समझ कर करती. फिल्म 'फितूर' को बीच में ही छोड़ देना इसका उदाहरण है. अलबता इस तुलना में एक मामले में रेखा अमिताभ बच्चन पर भारी हैं. अमिताभ बच्चन को कांग्रेसी और समाजवादी राजनीती रास नहीं आई. लेकिन, रेखा मनोनीत राज्य सभा सदस्य के रूप में अपनी भूमिका चुपचाप निभाती चली आ रही हैं. 



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