Tuesday, 20 October 2015

दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे के २० साल

आज (२० अक्टूबर को), जब मुंबई के मराठा मंदिर में फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' दोपहर का शो शुरू होगा, उस समय हिंदी फिल्मों के इतिहास में किसी फिल्म के एक ही सिनेमाघर में, लगातार २० साल तक चलते रहने का कीर्तिमान स्थापित हो जायेगा।  यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा ने जब अपने निर्देशन  में बनने वाली पहली फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले आएंगे' के पहला ड्राफ्ट पढ़ा तो उस समय वह २३ साल के थे। हालाँकि, उस समय तक आदित्य चोपड़ा कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट लिख चुके थे।  वह 'मोहब्बते' से अपना फिल्म डेब्यू करना चाहते थे।  लेकिन, यश चोपड़ा ने उन्हें रोमांस फिल्म से डेब्यू करने की सलाह दी।  आदित्य चोपड़ा ने दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे को अमेरिकन लडके और भारतीय लड़की की रोमांस कहानी की तरह डेवलप किया था।  वह इसे अंग्रेजी भाषा में टॉम क्रूज़ को ले कर बनाना चाहते थे।  लेकिन, यश चोपड़ा ने उन्हें भारतीय ढंग से ही फिल्म को डेवलप करने और फिल्म हिंदी में बनाने की हिदायत की  । आदित्य ने राज की भूमिका के लिए शाहरुख़ खान से संपर्क किया।  लेकिन, शाहरुख़ खान को लगता था कि वह रोमांटिक भूमिकाओं में नहीं फबेंगे, क्योंकि, वह  उस समय तक बाज़ीगर और डर जैसी फिल्मों के एंटी-हीरो के रूप में सफल हो रहे थे। करण अर्जुन जैसी एक्शन फ़िल्में उन्हें रास आ रही थी।  इसलिए उन्होंने आदित्य की फिल्म करने से मना कर दिया। आदित्य सैफ अली खान के पास गए।  लेकिन, अनजाने कारणों से सैफ ने भी यह फिल्म करने से इंकार कर दिया।  अब मज़बूरन आदित्य को शाहरुख़ खान को ही मनाना पड़ा।  उन्होंने शाहरुख़ खान को समझाया कि वह कभी सुपर स्टार नहीं बन सकेंगे, अगर वह हर औरत के  सपने के मर्द और हर माँ के सपने के बेटे नहीं बन सकते।  शाहरुख़ खान आज भी आदित्य के शुक्रगुजार हैं कि आदित्य ने उन्हें सुपर स्टार बनने का रास्ता दिखाया।  'दिल वाले  दुल्हनिया ले जायेंगे' २० अक्टूबर १९९५ को रिलीज़ हुई। इस फिल्म ने शाहरुख़ खान को बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस का बादशाह खान बना दिया।  हिंदी फिल्मों को एनआरआई हीरो का कांसेप्ट दिया।  इसके बाद एनआरआई दूल्हे वाली कई फ़िल्में बनी। इस फिल्म ने माता पिता से विद्रोह का शादी करने के लिए लड़की भगा ले जाने वालों लड़कों को माता पिता की सहमति से शादी करने का सन्देश दिया।  फिल्म ने समग्र मनोरंजन करने वाली फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता।  इस फिल्म ने करण जौहर जैसा डायरेक्टर दिया, जो फिल्म में आदित्य चोपड़ा का सहायक था।  करण जौहर ने तीन साल बाद फिल्म 'कुछ कुछ होता है' से निर्देशन में कदम रखा।  यह फिल्म एक सिनेमाघर में सबसे ज़्यादा (२० साल तक) चलने वाली फिल्म साबित हुई।  इस फिल्म ने इंडियन बॉक्स ऑफिस पर १ बिलियन से ज़्यादा का बिज़नेस किया। फिल्म का टाइटल 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' शशि कपूर और मुमताज की फिल्म 'चोर मचाये शोर' के एक गीत से प्रेरित था, जिसे अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर ने आदित्य चोपड़ा को सुझाया था।  काजोल को यह टाइटल टपोरी लगा था तथा अपना स्क्रीन का सिमरन नाम एलियन जैसा।  सरोज खान को आदित्य चोपड़ा की प्रतिभा पर भरोसा नहीं था, इसलिए यह बीच में ही फिल्म छोड़ कर  चली गई और उनकी जगह फराह खान ने ले ली।  फिल्म में परमीत सेठी वाली भूमिका सबसे पहले मिलिंद गुणाजी को दी गई थी।  लेकिन, उन्होंने अपनी फेमस दाढ़ी साफ़ करने से मना कर दिया। अरमान कोहली को परमीत वाली नहीं, शाहरुख़ खान वाली भूमिका करनी थी।  इसलिए आखिर में परमीत फाइनल हो गए।  आदित्य को दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे को डीडीएलजे के शार्ट नाम से पुकारना पसंद नहीं।  वह फिल्म को दिलवाले कहते हैं।



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