अशोक कुमार ने बतौर फिल्म निर्माता हिमांशु राय और देविका रानी के बॉम्बे टॉकीज के लिए कई फिल्मों का निर्माण किया। निर्माता अशोक कुमार की इन फिल्मों ने बॉलीवुड को कई एक्टर दिए। १९४८ में रिलीज़ फिल्म 'ज़िद्दी' से देव आनंद और प्राण का फिल्म करियर शुरू हुआ। फिल्म नील कमल से राज कपूर जैसा एक्टर-डायरेक्टर मिला। लेकिन, खुद अशोक कुमार का करियर इत्तेफ़ाक़ से शुरू हुआ। यह वाकया बॉम्बे टॉकीज की फिल्म 'जीवन नैया' के निर्माण का दौरान का है। इस फिल्म के नायक नजमुल हसन थे और उनकी नायिका हिमांशु राय की होने वाली बीवी देविका रानी थी। एक दिन नजमुल हसन देविका रानी को लेकर चम्पत हो गए। इस घटना से हिमांशु राय बेहद नाराज़ हुए। बाद में दोनों वापस आये। लेकिन, नाराज़ हिमांशु राय ने नजमुल हसन को फिल्म ही नहीं स्टूडियो से बाहर कर दिया। उन्होंने 'जीवन नैया' का नायक अपने स्टूडियो के लैब असिस्टेंट कुमुदलाल गांगुली को बना दिया। हालाँकि, फिल्म के डायरेक्टर फ्रेज़ ऑस्टिन कुमुदलाल को हीरो बनाने के खिलाफ थे। लेकिन, हिमांशु राय ने कुमुद का बपतिस्मा कर अशोक कुमार बना दिया। अशोक कुमार और देविका रानी की पहली फिल्म 'जीवन नैया' १९३६ में रिलीज़ हुई और ज़बरदस्त हिट हुई। इस फिल्म के बाद अशोक कुमार और देविका रानी ने ब्राह्मण लडके के छोटी जात की लड़की से प्रेम की खानी 'अछूत कन्या' के अलावा जन्मभूमि, इज़्ज़त, सावित्री, वचन और निर्मला एक साथ की। इन दोनों की फिल्म 'अनजान' (१९४१) के फ्लॉप होने के साथ ही यह जोड़ी टूट गई। इसी बीच अशोक कुमार ने लीला चिटनीस के साथ फ़िल्में करनी शुरू कर दी थी। इन दोनों ने कंगन, बंधन, आज़ाद, झूला, आदि फ़िल्में की। झूला बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। झूला में अशोक कुमार की नायिका लीला चिटनीस ने फिल्म 'आवारा' में निर्माता अशोक कुमार की फिल्म 'नील कमल' से डेब्यू करने वाले राज कपूर की माँ का किरदार किया।
क्या आप जानते हैं कि अशोक कुमार फिल्मों के पहले एंटी हीरो थे। फिल्म थी निर्देशक ज्ञान मुख़र्जी की १९४३ में रिलीज़ फिल्म 'किस्मत' । फिल्म में अशोक कुमार ने एक जेब कतरे की भूमिका की थी। बताते हैं कि अशोक कुमार की फिल्म 'किस्मत' में अशोक कुमार के किरदार को लेकर सदन में बहस भी हुई थी। माननीय सदस्यों का कहना था कि यह कैसा हीरो है, जो सिगरेट पीता है और चाकू चमकाता है। लेकिन, अशोक कुमार की एंटी हीरो वाली फिल्म 'किस्मत' ने तमाम स्थापित रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। यह बॉक्स ऑफिस पर एक करोड़ का ग्रॉस करने वाली पहली फिल्म बनी। यह कलकत्ता के रॉक्सी सिनेमा में लगातार १८७ हफ्ते तक चली। किस्मत का यह रिकॉर्ड ३२ साल तक अटूट रहा। इस फिल्म में कवि प्रदीप का लिखा गीत 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है' महात्मा गांधी के क्विट इंडिया मूवमेंट का गीत बन गया। हालाँकि, इस गीत को जर्मन और जापानियों को लेकर लिखा गया था। लेकिन कवि प्रदीप के निशाने पर अँगरेज़ ही थे। किस्मत की सफलता ने अशोक कुमार को बॉलीवुड का पहला सुपर स्टार बना दिया था। उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि 'किस्मत' की रिलीज़ के बाद वह घर से बहुत कम निकलते थे। क्योंकि, वह जैसे ही घर से बाहर निकलते लोगों की भीड़ जुट जाती। ट्रैफिक रुक जाता। कई बार पुलिस को लाठीचार्ज कर लोगों को भगाना पड़ा। किस्मत के बाद अशोक कुमार बॉलीवुड के सबसे भरोसेमंद एक्टर बन गए। उन्होंने एक के बाद एक चल चल रे नौजवान, शिकारी, साजन, महल, संग्राम और समाधि जैसी सुपर हिट फ़िल्में दी। वह सदाबहार हीरो थे। उनका सिक्का मरते दम तक चला। उन्होंने दिलीप कुमार, देव आनंद और राजकपूर के युग भी फ़िल्में की और राजेंद्र कुमार, धर्मेन्द्र और मनोज कुमार के युग में भी। उन्होंने अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना के साथ भी फ़िल्में की। उनकी आखिरी फिल्म 'रिटर्न ऑफ़ ज्वेल थीफ' १९९७ में रिलीज़ हुई। गांगुली परिवार की यह त्रासदी थी कि इस परिवार के सबसे बड़े भाई अशोक कुमार के सामने उनके छोटे भाइयों किशोर कुमार और अनूप कुमार की मौत हो गई। अपने जन्मदिन पर १३ अक्टूबर १९८७ को किशोर कुमार की मृत्य ने अशोक कुमार को झिंझोड़ कर रख दिया। किशोर कुमार की मृत्यु के बाद अशोक कुमार ने अपना जन्मदिन मनाना छोड़ दिया। अशोक कुमार का निधन १० दिसंबर २००१ को ९० साल की आयु में हुआ ।
क्या आप जानते हैं कि अशोक कुमार फिल्मों के पहले एंटी हीरो थे। फिल्म थी निर्देशक ज्ञान मुख़र्जी की १९४३ में रिलीज़ फिल्म 'किस्मत' । फिल्म में अशोक कुमार ने एक जेब कतरे की भूमिका की थी। बताते हैं कि अशोक कुमार की फिल्म 'किस्मत' में अशोक कुमार के किरदार को लेकर सदन में बहस भी हुई थी। माननीय सदस्यों का कहना था कि यह कैसा हीरो है, जो सिगरेट पीता है और चाकू चमकाता है। लेकिन, अशोक कुमार की एंटी हीरो वाली फिल्म 'किस्मत' ने तमाम स्थापित रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिए। यह बॉक्स ऑफिस पर एक करोड़ का ग्रॉस करने वाली पहली फिल्म बनी। यह कलकत्ता के रॉक्सी सिनेमा में लगातार १८७ हफ्ते तक चली। किस्मत का यह रिकॉर्ड ३२ साल तक अटूट रहा। इस फिल्म में कवि प्रदीप का लिखा गीत 'दूर हटो ऐ दुनिया वालों हिंदुस्तान हमारा है' महात्मा गांधी के क्विट इंडिया मूवमेंट का गीत बन गया। हालाँकि, इस गीत को जर्मन और जापानियों को लेकर लिखा गया था। लेकिन कवि प्रदीप के निशाने पर अँगरेज़ ही थे। किस्मत की सफलता ने अशोक कुमार को बॉलीवुड का पहला सुपर स्टार बना दिया था। उनकी लोकप्रियता का अंदाज़ा इसी से लगाया जा सकता है कि 'किस्मत' की रिलीज़ के बाद वह घर से बहुत कम निकलते थे। क्योंकि, वह जैसे ही घर से बाहर निकलते लोगों की भीड़ जुट जाती। ट्रैफिक रुक जाता। कई बार पुलिस को लाठीचार्ज कर लोगों को भगाना पड़ा। किस्मत के बाद अशोक कुमार बॉलीवुड के सबसे भरोसेमंद एक्टर बन गए। उन्होंने एक के बाद एक चल चल रे नौजवान, शिकारी, साजन, महल, संग्राम और समाधि जैसी सुपर हिट फ़िल्में दी। वह सदाबहार हीरो थे। उनका सिक्का मरते दम तक चला। उन्होंने दिलीप कुमार, देव आनंद और राजकपूर के युग भी फ़िल्में की और राजेंद्र कुमार, धर्मेन्द्र और मनोज कुमार के युग में भी। उन्होंने अमिताभ बच्चन और राजेश खन्ना के साथ भी फ़िल्में की। उनकी आखिरी फिल्म 'रिटर्न ऑफ़ ज्वेल थीफ' १९९७ में रिलीज़ हुई। गांगुली परिवार की यह त्रासदी थी कि इस परिवार के सबसे बड़े भाई अशोक कुमार के सामने उनके छोटे भाइयों किशोर कुमार और अनूप कुमार की मौत हो गई। अपने जन्मदिन पर १३ अक्टूबर १९८७ को किशोर कुमार की मृत्य ने अशोक कुमार को झिंझोड़ कर रख दिया। किशोर कुमार की मृत्यु के बाद अशोक कुमार ने अपना जन्मदिन मनाना छोड़ दिया। अशोक कुमार का निधन १० दिसंबर २००१ को ९० साल की आयु में हुआ ।
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