Friday, 2 October 2015

यह 'पुलि' चीता इतना बहादुर भी नहीं

दक्षिण की सामान्य फिल्में हिंदी में डब कर रिलीज़ नहीं की जाती . टेलीविज़न चैनल ज़रूर इन फिल्मों का प्रसारण करते हैं. रजनीकांत और कमल हासन जैसे अभिनेताओं की तमिल और तेलुगु फ़िल्में ज़रूर डब हो कर प्रदर्शित होती हैं. लेकिन, इस साल जुलाई में रिलीज़ ऐतिहासिक फिल्म 'बाहुबली : द बेगिनिंग' ने और इससे पहले 'आई' ने दक्षिण की फिल्मों का  डंका बजा दिया था. फिल्म अपने विसुअल कंटेंट, अभिनय, वीएफ़क्स और भव्यता के बल पर दर्शको के दिलों दिमाग पर छा गई . ऐसा लगा जैसे दक्षिण श्रेष्ठ फ़िल्में बना रहा है . शायद इसीलिए हिंदी दर्शकों को फंतासी-एडवेंचर फिल्म पुलि (चीता) का इंतज़ार था . 'पुलि' का हिंदी डब संस्करण आज गाँधी जयंती के दिन रिलीज़ हुआ. निर्देशक चिम्बु देवेन की फिल्म पुलि में तमिल स्टार विजय के साथ पूर्व तमिल फिल्म स्टार और हिंदी फिल्मों में कभी टॉप की अभिनेत्री  रही श्रीदेवी के अलावा श्रुति हास, सुदीप, हंसिका मोटवानी, नंदिता श्वेता, प्रभु, आदि के नाम उल्लेखनीय हैं . फिल्म किस युग की है, कहना ज़रा मुश्किल है. पर मसाला भरा पूरा है. राजा, रानी,  राजमहल, कॉस्टयूम और चमत्कार हैं. एक्शन खूब है. फिल्म की नायिका श्रुति हासन थोड़ा अंग प्रदर्शक पोशाक पहनती हैं, तो हसिका मोटवानी थोड़ी ज्यादा. श्रीदेवी पोशाकों के लिहाज़ से भड़कीले अंदाज़ में हैं. उनके चहरे का बुढापा फूट फूट कर बाहर नज़र आता है. लेकिन, श्रुति हासन, हंसिका मोटवानी की तरह अभिनय वह भी नहीं करती . सुदीप सशक्त अभिनेता हैं . लेकिन, सेनापति दलपति जलतारंगन के किरदार में वह प्रभावहीन रहे हैं. निराशा होती है विजय को देख कर. वह तमिल फिल्म प्रोडूसर और डायरेक्टर एस ए चंद्रशेखर के बेटे हैं . तमिल फिल्मो में उनकी स्थिति सुपर स्टार जैसी है . लेकिन, लगता नहीं कि उन्हें अभिनय का क ख ग घ आता है . उनकी बॉडी लैंग्वेज और संवाद हमेशा एक दूसरे से ३६ का आंकड़ा बनाए रखते हैं. ऐसा लगता है जैसे वह हर सीन में कॉमेडी कर रहे हैं. एक्शन में भी वह नहीं जमे. विश्वास नहीं होता कि पुलि के वीएफ़क्स मगधीरा और ईगा के वीएफ़क्स डायरेक्टर कमलाकन्नन ने तैयार किये हैं. बेहद बचकाना और नकली दृश्य लगते हैं. बिलकुल रोमांचित नहीं करते. आर्ट डायरेक्टर टी मुथुराज ने किले की प्रतिमूर्ति बनाने में अपना हुनर दिखाया है. पुलि गाँधी जयंती के दिन और 'सिंह इज ब्लिंग' के अपोजिट रिलीज़ हुई है . लेकिन, यह अपना वीकेंड वाला जलवा वीक डेज में दिखा पाने में नाकामयाब होगी. 
एक सुझाव है दक्षिण के फिल्म निर्माताओ के लिए. उनको अपनी सभी फिल्मों को डब कर रिलीज़ नहीं करना चाहिए. इस प्रकार से दक्षिण की फिल्में अपना प्रभाव खो बैठेंगी . वैसे अब अगला हफ्ता बताएगा कि रुद्रमदेवी क्या गुल खिलाती हैं !

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