इस महीने ११ अक्टूबर को अमिताभ बच्चन ७३ साल के हो जायेंगे। इस उम्र में अमिताभ बच्चन न केवल सक्रीय हैं, बल्कि हिंदी फिल्मों में मुख्य भूमिका भी अदा कर रहे हैं। आर० बल्कि जैसे फिल्म निर्देशक उन्हें ध्यान में रख कर फिल्मों की कहानियाँ गढ़ते हैं। भिन्न उत्पादों के लिए वह सबसे अच्छे ब्रांड एम्बेसडर हैं। बेशक आज वह चरित्र नायक बन गए हैं, लेकिन कभी वह हिंदी फिल्मों के क्रोधी युवा नायक को रिप्रेजेंट कर रहे थे, जो सिस्टम से नाराज़ था, बुरे किरदारों से सताया गया था। किसी के भी साथ होने वाला अन्याय उसे नाराज़ कर देता था। उन्होंने इस किरदार को सबसे पहले परदे पर उतारा प्रकाश मेहरा की १९७३ में रिलीज़ फिल्म 'ज़ंजीर' में। ज़ंजीर का नायक भयावने अतीत से जूझ रहा इंस्पेक्टर विजय खन्ना था, जो एक लोकल दादा से टकराने के लिए सरेआम अपनी खाकी वर्दी उतार कर, उसी के मोहल्ले में उससे भिड़ जाता है। इस किरदार को सच्चा बनाने में अमिताभ बच्चन की धंसी हुई उदास आँखों और गहरी आवाज़ ने, उनके अभिनेता का भरपूर साथ दिया। अभी तक १३ फ्लॉप फ़िल्में दे चुके अमिताभ बच्चन को 'ज़ंजीर' ने हिट बना दिया। १९७५ में यश चोपड़ा की फिल्म 'दीवार' और रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' के रिलीज़ होते होते अमिताभ बच्चन सुपर स्टार बन गए। वह हिंदी फिल्मों के एंग्रीयंगमैन कहलाने लगे। हालाँकि, दीवार और शोले की रिलीज़ के साल यानि १९७५ में उनकी चुपके चुपके जैसी हिट कॉमेडी फिल्म भी रिलीज़ हुई थी। ज़ाहिर है कि अमिताभ बच्चन के हास्य नायक पर क्रोधित नायक भारी पड़ा था।
हालाँकि, अमिताभ बच्चन को हिंदी फिल्मों का एंग्री यंगमैन बताया जाता है। लेकिन, वास्तव में यह करैक्टर ओरिजिनल नहीं। हिंदी फिल्मों में क्रुद्ध युवा साठ के दशक में भी हुआ करते थे। बताते हैं कि शत्रुघ्न सिन्हा ने १९७० में पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट के छात्र शम्सुद्दीन की डिप्लोमा फिल्म 'ऐन एंग्री यंग मैन' में एक क्रोधी युवक का किरदार किया था। इस फिल्म के एक सीन में शत्रुघ्न सिन्हा एक आदमी के झापड़ मारने के बाद अपने हाथ को झटक कर अपनी रिस्ट वाच की जांच करते हैं। इस फिल्म में जया भादुड़ी भी थीं। शत्रुघ्न सिन्हा हमेशा खुद को ओरिजिनल एंग्री यंग मैन समझते रहे। उन्हें मलाल था कि उनकी ईज़ाद एंग्री यंग मैन करैक्टर का फायदा अमिताभ बच्चन उठा ले गए। १९७१ में रिलीज़ गुलज़ार की फिल्म 'मेरे अपने' के चैनू को और किस केटेगरी में रखा जा सकता है ! डॉन और कालीचरण के कथानक लगभग समान हमशक्ल किरदारों वाले थे। कालीचरण में पुलिस कमिश्नर एक अपराधी को मृत पुलिस अधिकारी की जगह प्लांट कर देता है। डॉन में, एक गंवई को मृत डॉन की जगह प्लांट किया जाता है। हालाँकि, दोनों फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट गई। लेकिन, शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म से ज़्यादा अमिताभ बच्चन की फिल्म का ज़िक्र होता है । जिस दौरान अमिताभ बच्चन फिल्म दर फिल्म एंग्री यंग मैन किरदारों से मेगा स्टार बनाते जा रहे थे, शत्रुघ्न सिन्हा को उतना भाव नहीं मिल रहा था।
शत्रुघ्न सिन्हा की बात छोड़िये, वह तो अमिताभ बच्चन के समकालीन थे। लेकिन, मदर इंडिया में सुनील दत्त के किरदार बिरजू, फूल और पत्थर में धर्मेन्द्र के किरदार शाका और गंगा जमुना में दिलीप कुमार के किरदार गंगा को क्या नाम दिया जायेगा। मदर इंडिया का बिरजू गाँव के साहूकार के अत्याचारों को बचपन से देखता आ रहा है। जब पानी सर से ऊपर चला जाता है तो वह साहूकार को मार डालता है। फूल और पत्थर में धर्मेन्द्र ने छोटा मोटा अपराध करने वाले अपराधी शाका का किरदार किया था। वह नरम दिल है। जब एक विधवा पर अत्याचार होते देखता है तो उबल पड़ता है। इस फिल्म ने धर्मेन्द्र को गरम धरम और ही-मैन के खिताब दिलवाए थे। गंगा जमुना का गंगा सीधा सादा गंवई था। लेकिन, उसे भी अन्याय स्वीकार नहीं। अंत में वह साहूकार को मार देता है। मदर इंडिया १९५७, गंगा जमुना १९६२ और फूल और पत्थर १९६६ में रिलीज़ हुई थी। उस समय तक शत्रुघ्न सिन्हा और अमिताभ बच्चन का स्क्रीन डेब्यू तक नहीं हुआ था। अलबत्ता, सुनील दत्त, दिलीप कुमार और धर्मेन्द्र का क्रोध हिंसा को अंतिम हथियार मानता था। जबकि, अमिताभ बच्चन का एंग्री यंग मैन हिंसा करके ही अपने क्रोध की अभिव्यक्ति करता था।
हालाँकि, क्रोधी नायक हिंदी फिल्मों की शुरुआत से ही किसी न किसी रूप में था। लेकिन, उसे बॉलीवुड का किंग बनाया अमिताभ बच्चन ने ही। अमिताभ बच्चन के उदय के साथ ही हिंदी फिल्मों में गीत संगीत, परिवार, हास्य अभिनेता और भारतीय नारी का नामोनिशान मिट गया। इन सबकी जगह एंग्री यंग मैन ने ले ली। नतीजे के तौर पर नारी प्रधान फिल्मों के बजाय पुरुष प्रधान (क्रुद्ध युवा) फ़िल्में बनने लगी। हर अभिनेता एंग्री यंग मैन के लिए छटपटाने लगा। 'वह सात दिन' में पटियाला से आये सीधे सादे युवक प्रेम प्रताप पटियालावाला का किरदार करके मशहूर होने वाले अभिनेता अनिल कपूर भी अपनी अंदर-बाहर, युद्ध, मेरी जंग, जांबाज़, कर्मा, आदि फिल्मो में क्रोधित हो कर अनियंत्रित हिंसा कर रहे थे। बॉलीवुड के तमाम स्टार किड्स कुमार गौरव, सनी देओल, संजय दत्त, फरदीन खान, ज़ायद खान, ह्रितिक रोशन, आदि की बॉलीवुड एंट्री चाहे रोमांस फिल्मों से हुई हो या एक्शन, लेकिन अंततः सभी ने एंग्री यंग मैन को अपना ईश्वर माना। शाहरुख़
खान, जैकी श्रॉफ, गोविंदा, अक्षय कुमार, अजय देवगन, आदि ने भी परदे पर क्रोध दिखाने की कोशिश की। अनिल कपूर ने तो कई ऎसी फ़िल्में की, जो मूल रूप से अमिताभ बच्चन के लिए लिखी गई थी। अनिल कपूर तो एक समय एंग्री यंग मैन के सहारे टॉप पर पहुँचाने का ख्वाब देखने लगे। हालाँकि, बॉलीवुड के कई अभिनेताओं ने एंग्री यंग मैन को अपनाया, लेकिन लम्बी रेस का घोड़ा वही बने, जिन्होंने अपने एंग्री यंग मैन को कुछ हट कर पेश किया। सनी देओल का चेहरा काफी मासूम है।
इसलिए उन्हें एक छात्र या बेरोजगार के किरदार में दिखाया गया, जो विलन के सताए जाने पर हथियार उठाता है। जैकी श्रॉफ भी भोले भाले रोमांटिक हीरो थे, जो अपने परिवार पर हुए अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाता है। अजय देवगन खामोश एंग्री यंग मैन थे, जिसके अंदर लावा उबल रहा है। अक्षय कुमार देश विरोधी ताक़तों को ख़त्म करने वाले क्रोधित युवा थे। जॉन अब्राहम ने टपोरी एंग्री यंग मैन का चोला पहना।
इस समय नज़ारा थोड़ा बदला बदला सा है। क्रोधित युवा रूपहले परदे पर आते हैं। लेकिन, नए चहरे रोमांस या रोमांटिक कॉमेडी या म्यूजिकल रोमांस के ज़रिये अपना करियर बनाना चाहते हैं। रणबीर कपूर एक्शन करते हैं, लेकिन रोमांस उनके करैक्टर की खासियत है। सिद्धार्थ मल्होत्रा रोमांस को प्रेफर कर रहे हैं। वरुण धवन ने रोमांटिक कॉमेडी और एक्शन फिल्मों में जगह बनानी शुरू कर दी है। आदित्य रॉय कपूर, आयुष्मान खुराना, आदि रोमांस कॉमेडी फ़िल्में करते हैं। रणवीर सिंह रोमांटिक नायक बन कर उभर रहे हैं। कभी एंग्री यंग मैन को खुदा मानने वाले तमाम सीनियर अभिनेता भी अब हट कर भूमिकाये कर रहे हैं। अब सलमान खान की किसी भी फिल्म में युवा क्रोधित नहीं होता। अक्षय कुमार अब देश के दुश्मनों से बदला लेने लगे हैं। अजय देवगन और जॉन अब्राहम को देश के अंदर जूझना है। सनी देओल का मुक्का आज भी ढाई किलो का है। सैफ अली खान किसी ख़ास इमेज के गुलाम नहीं। पिछले महीने रिलीज़ फिल्म 'हीरो' का सूरज पंचोली एक्शन धुंआधार करता है, लेकिन उसे अथिया शेट्टी से मोहब्बत है। यानि की एंग्री यंग मैन फिलहाल आराम कर रहा है।
आगामी फिल्मों में कहाँ है एंग्री यंग मैन !
एक नज़र डालते हैं इस साल अक्टूबर से रिलीज़ होने जा रही फिल्मों पर कि इनमे एंग्री यंग मैन कहाँ हैं।
रॉकी हैंडसम- जॉन अब्राहम इस फिल्म में ड्रग माफिया पर नकेल डालने की कोशिश करते हैं। इस फिल्म में ड्रामा खूब है, एक्शन तो है ही।
सिंह इज़ ब्लिंग- अक्षय कुमार की यह फिल्म खालिस कॉमेडी फिल्म है। वैसे अक्षय कुमार है तो थोड़ा बहुत एक्शन होगा ही।
शानदार- शाहिद कपूर की यह फिल्म अलिया भट्ट के साथ खालिस रोमांस की है। कॉमेडी का तड़का भी है।
प्रेम रतन धन पायो- सलमान खान की यह फिल्म राजश्री कैंप की विशुद्ध पारिवारिक फिल्म है।
घायल वन्स अगेन- घायल की सीक्वल फिल्म में सनी देओल का ढाई किलो का मुक्का खूब चलेगा। इस फिल्म में सनी देओल एंग्रीमैन के किरदार में नज़र आएंगे।
तमाशा- निर्देशक इम्तियाज़ अली की रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण के यह फिल्म विशुद्ध रोमांस फिल्म है, लैला मजनू टाइप की।
बाजीराव मस्तानी- यह ऐतिहासिक ड्रामा रोमांस त्रिकोण फिल्म है। रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा का ज़बरदस्त त्रिकोण बनाया गया है।
दिलवाले- शाहरख खान, काजोल, वरुण धवन और कीर्ति सेनन की यह फिल्म ड्रामा से भरपूर फिल्म है। रोहित शेट्टी की इस फिल्म में थोड़ा एक्शन भी होगा।
हेरा फेर ३- इस सीक्वल फिल्म में पहली दो हेरा फेरी फिल्मों की तरह खूब कॉमेडी है। इस बार परेश रावल के साथ जॉन अब्राहम, अभिषेक बच्चन और सुनील शेट्टी दर्शकों को हंसाने का प्रयास करेंगे।
हालाँकि, अमिताभ बच्चन को हिंदी फिल्मों का एंग्री यंगमैन बताया जाता है। लेकिन, वास्तव में यह करैक्टर ओरिजिनल नहीं। हिंदी फिल्मों में क्रुद्ध युवा साठ के दशक में भी हुआ करते थे। बताते हैं कि शत्रुघ्न सिन्हा ने १९७० में पुणे फिल्म इंस्टिट्यूट के छात्र शम्सुद्दीन की डिप्लोमा फिल्म 'ऐन एंग्री यंग मैन' में एक क्रोधी युवक का किरदार किया था। इस फिल्म के एक सीन में शत्रुघ्न सिन्हा एक आदमी के झापड़ मारने के बाद अपने हाथ को झटक कर अपनी रिस्ट वाच की जांच करते हैं। इस फिल्म में जया भादुड़ी भी थीं। शत्रुघ्न सिन्हा हमेशा खुद को ओरिजिनल एंग्री यंग मैन समझते रहे। उन्हें मलाल था कि उनकी ईज़ाद एंग्री यंग मैन करैक्टर का फायदा अमिताभ बच्चन उठा ले गए। १९७१ में रिलीज़ गुलज़ार की फिल्म 'मेरे अपने' के चैनू को और किस केटेगरी में रखा जा सकता है ! डॉन और कालीचरण के कथानक लगभग समान हमशक्ल किरदारों वाले थे। कालीचरण में पुलिस कमिश्नर एक अपराधी को मृत पुलिस अधिकारी की जगह प्लांट कर देता है। डॉन में, एक गंवई को मृत डॉन की जगह प्लांट किया जाता है। हालाँकि, दोनों फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर हिट गई। लेकिन, शत्रुघ्न सिन्हा की फिल्म से ज़्यादा अमिताभ बच्चन की फिल्म का ज़िक्र होता है । जिस दौरान अमिताभ बच्चन फिल्म दर फिल्म एंग्री यंग मैन किरदारों से मेगा स्टार बनाते जा रहे थे, शत्रुघ्न सिन्हा को उतना भाव नहीं मिल रहा था।
शत्रुघ्न सिन्हा की बात छोड़िये, वह तो अमिताभ बच्चन के समकालीन थे। लेकिन, मदर इंडिया में सुनील दत्त के किरदार बिरजू, फूल और पत्थर में धर्मेन्द्र के किरदार शाका और गंगा जमुना में दिलीप कुमार के किरदार गंगा को क्या नाम दिया जायेगा। मदर इंडिया का बिरजू गाँव के साहूकार के अत्याचारों को बचपन से देखता आ रहा है। जब पानी सर से ऊपर चला जाता है तो वह साहूकार को मार डालता है। फूल और पत्थर में धर्मेन्द्र ने छोटा मोटा अपराध करने वाले अपराधी शाका का किरदार किया था। वह नरम दिल है। जब एक विधवा पर अत्याचार होते देखता है तो उबल पड़ता है। इस फिल्म ने धर्मेन्द्र को गरम धरम और ही-मैन के खिताब दिलवाए थे। गंगा जमुना का गंगा सीधा सादा गंवई था। लेकिन, उसे भी अन्याय स्वीकार नहीं। अंत में वह साहूकार को मार देता है। मदर इंडिया १९५७, गंगा जमुना १९६२ और फूल और पत्थर १९६६ में रिलीज़ हुई थी। उस समय तक शत्रुघ्न सिन्हा और अमिताभ बच्चन का स्क्रीन डेब्यू तक नहीं हुआ था। अलबत्ता, सुनील दत्त, दिलीप कुमार और धर्मेन्द्र का क्रोध हिंसा को अंतिम हथियार मानता था। जबकि, अमिताभ बच्चन का एंग्री यंग मैन हिंसा करके ही अपने क्रोध की अभिव्यक्ति करता था।
हालाँकि, क्रोधी नायक हिंदी फिल्मों की शुरुआत से ही किसी न किसी रूप में था। लेकिन, उसे बॉलीवुड का किंग बनाया अमिताभ बच्चन ने ही। अमिताभ बच्चन के उदय के साथ ही हिंदी फिल्मों में गीत संगीत, परिवार, हास्य अभिनेता और भारतीय नारी का नामोनिशान मिट गया। इन सबकी जगह एंग्री यंग मैन ने ले ली। नतीजे के तौर पर नारी प्रधान फिल्मों के बजाय पुरुष प्रधान (क्रुद्ध युवा) फ़िल्में बनने लगी। हर अभिनेता एंग्री यंग मैन के लिए छटपटाने लगा। 'वह सात दिन' में पटियाला से आये सीधे सादे युवक प्रेम प्रताप पटियालावाला का किरदार करके मशहूर होने वाले अभिनेता अनिल कपूर भी अपनी अंदर-बाहर, युद्ध, मेरी जंग, जांबाज़, कर्मा, आदि फिल्मो में क्रोधित हो कर अनियंत्रित हिंसा कर रहे थे। बॉलीवुड के तमाम स्टार किड्स कुमार गौरव, सनी देओल, संजय दत्त, फरदीन खान, ज़ायद खान, ह्रितिक रोशन, आदि की बॉलीवुड एंट्री चाहे रोमांस फिल्मों से हुई हो या एक्शन, लेकिन अंततः सभी ने एंग्री यंग मैन को अपना ईश्वर माना। शाहरुख़
खान, जैकी श्रॉफ, गोविंदा, अक्षय कुमार, अजय देवगन, आदि ने भी परदे पर क्रोध दिखाने की कोशिश की। अनिल कपूर ने तो कई ऎसी फ़िल्में की, जो मूल रूप से अमिताभ बच्चन के लिए लिखी गई थी। अनिल कपूर तो एक समय एंग्री यंग मैन के सहारे टॉप पर पहुँचाने का ख्वाब देखने लगे। हालाँकि, बॉलीवुड के कई अभिनेताओं ने एंग्री यंग मैन को अपनाया, लेकिन लम्बी रेस का घोड़ा वही बने, जिन्होंने अपने एंग्री यंग मैन को कुछ हट कर पेश किया। सनी देओल का चेहरा काफी मासूम है।
इसलिए उन्हें एक छात्र या बेरोजगार के किरदार में दिखाया गया, जो विलन के सताए जाने पर हथियार उठाता है। जैकी श्रॉफ भी भोले भाले रोमांटिक हीरो थे, जो अपने परिवार पर हुए अन्याय के खिलाफ आवाज़ उठाता है। अजय देवगन खामोश एंग्री यंग मैन थे, जिसके अंदर लावा उबल रहा है। अक्षय कुमार देश विरोधी ताक़तों को ख़त्म करने वाले क्रोधित युवा थे। जॉन अब्राहम ने टपोरी एंग्री यंग मैन का चोला पहना।
इस समय नज़ारा थोड़ा बदला बदला सा है। क्रोधित युवा रूपहले परदे पर आते हैं। लेकिन, नए चहरे रोमांस या रोमांटिक कॉमेडी या म्यूजिकल रोमांस के ज़रिये अपना करियर बनाना चाहते हैं। रणबीर कपूर एक्शन करते हैं, लेकिन रोमांस उनके करैक्टर की खासियत है। सिद्धार्थ मल्होत्रा रोमांस को प्रेफर कर रहे हैं। वरुण धवन ने रोमांटिक कॉमेडी और एक्शन फिल्मों में जगह बनानी शुरू कर दी है। आदित्य रॉय कपूर, आयुष्मान खुराना, आदि रोमांस कॉमेडी फ़िल्में करते हैं। रणवीर सिंह रोमांटिक नायक बन कर उभर रहे हैं। कभी एंग्री यंग मैन को खुदा मानने वाले तमाम सीनियर अभिनेता भी अब हट कर भूमिकाये कर रहे हैं। अब सलमान खान की किसी भी फिल्म में युवा क्रोधित नहीं होता। अक्षय कुमार अब देश के दुश्मनों से बदला लेने लगे हैं। अजय देवगन और जॉन अब्राहम को देश के अंदर जूझना है। सनी देओल का मुक्का आज भी ढाई किलो का है। सैफ अली खान किसी ख़ास इमेज के गुलाम नहीं। पिछले महीने रिलीज़ फिल्म 'हीरो' का सूरज पंचोली एक्शन धुंआधार करता है, लेकिन उसे अथिया शेट्टी से मोहब्बत है। यानि की एंग्री यंग मैन फिलहाल आराम कर रहा है।
आगामी फिल्मों में कहाँ है एंग्री यंग मैन !
एक नज़र डालते हैं इस साल अक्टूबर से रिलीज़ होने जा रही फिल्मों पर कि इनमे एंग्री यंग मैन कहाँ हैं।
रॉकी हैंडसम- जॉन अब्राहम इस फिल्म में ड्रग माफिया पर नकेल डालने की कोशिश करते हैं। इस फिल्म में ड्रामा खूब है, एक्शन तो है ही।
सिंह इज़ ब्लिंग- अक्षय कुमार की यह फिल्म खालिस कॉमेडी फिल्म है। वैसे अक्षय कुमार है तो थोड़ा बहुत एक्शन होगा ही।
शानदार- शाहिद कपूर की यह फिल्म अलिया भट्ट के साथ खालिस रोमांस की है। कॉमेडी का तड़का भी है।
प्रेम रतन धन पायो- सलमान खान की यह फिल्म राजश्री कैंप की विशुद्ध पारिवारिक फिल्म है।
घायल वन्स अगेन- घायल की सीक्वल फिल्म में सनी देओल का ढाई किलो का मुक्का खूब चलेगा। इस फिल्म में सनी देओल एंग्रीमैन के किरदार में नज़र आएंगे।
तमाशा- निर्देशक इम्तियाज़ अली की रणबीर कपूर और दीपिका पादुकोण के यह फिल्म विशुद्ध रोमांस फिल्म है, लैला मजनू टाइप की।
बाजीराव मस्तानी- यह ऐतिहासिक ड्रामा रोमांस त्रिकोण फिल्म है। रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और प्रियंका चोपड़ा का ज़बरदस्त त्रिकोण बनाया गया है।
दिलवाले- शाहरख खान, काजोल, वरुण धवन और कीर्ति सेनन की यह फिल्म ड्रामा से भरपूर फिल्म है। रोहित शेट्टी की इस फिल्म में थोड़ा एक्शन भी होगा।
हेरा फेर ३- इस सीक्वल फिल्म में पहली दो हेरा फेरी फिल्मों की तरह खूब कॉमेडी है। इस बार परेश रावल के साथ जॉन अब्राहम, अभिषेक बच्चन और सुनील शेट्टी दर्शकों को हंसाने का प्रयास करेंगे।
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