Monday, 19 October 2015

भारत कुमार का एक्शन अवतार इंडियन : सनी देओल

साठ के दशक में, अभिनेता मनोज कुमार ने शहीद के बाद उपकार, पूरब और पश्चिम, शोर, क्रांति, आदि फ़िल्में बना कर खुद के लिए भारत कुमार की उपाधि बटोरी थी।  उपकार के एक करैक्टर भारत से मनोज  कुमार को शोहरत इसलिए मिली कि उन्होंने अपनी फिल्मों से देश की बात की थी।  गाँव की समस्या को  उठाया था।  भारत को पश्चिम देशों से श्रेष्ठ बताया था।  आज भी, जब मनोज कुमार का जिक्र होता है तो उन्हें भारत पर गर्व करने वाला भारत कुमार ही पुकारा जाता है। मनोज कुमार को रूपहले परदे से अलग हुए २० साल हो गए हैं। उनकी भूमिका वाली आखिरी फिल्म 'मैदान ए जंग' १९९५ में रिलीज़ हुई थी।  के सी बोकाडिया की इस मल्टीस्टार कास्ट फिल्म में मनोज कुमार के साथ धर्मेन्द्र मुख्य भूमिका में थे।  इन्ही धर्मेन्द्र सिंह देओल के बेटे हैं सनी देओल, जो आजकल भारत कुमार के एक्शन अवतार इंडियन के बतौर याद किये जाते हैं।  १९ अक्टूबर १९५७ को जन्मे  धर्मेन्द्र के सबसे बड़े बेटे सनी देओल ने १९८३ में अमृता सिंह के साथ रोमांटिक फिल्म 'बेताब' से फिल्म डेब्यू किया।  इस फिल्म में एक्शन नाम मात्र को था।  सनी, मंज़िल मंज़िल, सोहनी महिवाल और ज़बरदस्त की असफलता के बाद सनी देओल को सफलता मिली राहुल रवैल की फिल्म 'अर्जुन' से।  अर्जुन में सनी देओल एक क्रुद्ध युवा छात्र के किरदार में थे।  राहुल रवैल ने अपनी इस धुंआधार एक्शन फिल्म में सनी देओल के व्यक्तित्व का बढ़िया उपयोग किया।  सनी देओल चेहरे से मासूम हैं।  राहुल ने उन्हें एक सीधे सादे मासूम चेहरा युवा का चोला पहनाया, जो सताए जाने के बाद हिंसा का सहारा लेता है।  डकैत भी इसी लाइन पर बनी फिल्म थी। लेकिन, सनी देओल को नया  एक्शन हीरो बनाया राजकुमार संतोषी ने।  संतोषी ने भी सनी लियॉन की चेहरे की खासियत को हथियार बना कर, फिल्म 'घायल' में उनके अजय मेहरा के किरदार के हाथों में हथियार पकड़ा दिए।  दर्शकों को सनी देओल का यह मासूम चहरे वाला यह कुद्ध युवा बेहद पसंद आया।  घायल न केवल सुपर हिट हुई, बल्कि फिल्म के लिए सनी देओल को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में जूरी का स्पेशल अवार्ड मिला।  इस फिल्म का आमिर खान की फिल्म 'दिल' से सीधा टकराव हुआ।  पर दिल को पिछड़ना पड़ा।  यहाँ उल्लेखनीय है कि राजकुमार संतोषी ने घायल की कहानी कमल हासन को ध्यान में रख कर लिखी थी।  लेकिन, किसी भी फिल्म निर्माता द्वारा कमल हासन की फिल्म में पैसा लगाने से इंकार के बाद धर्मेन्द्र आगे आये।  उन्होंने घायल को अपने बैनर विजेता फिल्म्स के अंतर्गत बनाया।  जहाँ सनी देओल को राहुल रवैल ने मासूम क्रुद्ध युवा और राजकुमार संतोषी ने एक्शन स्टार बनाया, वहीँ अनिल शर्मा ने उन्हें भारत कुमार का एक्शन अवतार इंडियन बना दिया।  जिन दिनों सनी देओल राजकुमार संतोषी और राहुल रवैल की दामिनी, घातक और अर्जुन पंडित जैसी फिल्मों से दशक के एक्शन हीरो साबित हो रहे थे, उसी के ठीक बाद २००१ में अनिल शर्मा और सनी देओल की जोड़ी की फिल्म 'ग़दर : एक प्रेमकथा' रिलीज़ हुई।  इस फिल्म का भोला भाला ट्रक ड्राइवर एक मुस्लिम लड़की सकीना से मन ही मन प्रेम करने लगता है।  इसी दौरान देश का बँटवारा हो जाता है।  सकीना का पूरा परिवार पाकिस्तान चला जाता है, लेकिन, सकीना उस ट्रेन पर चढने नहीं पाती।  बंटवारे के समय के घायल पंजाब में लोगों के क्रोध से सकीना को बचाने के लिए तारा सिंह उससे शादी कर लेता है।  कहानी में मोड़ तब आता  है, जब सकीना का पाकिस्तान में रसूखदार पिता उसे धोखे से पाकिस्तान में कैद कर लेता है।  तब शुरू होता है अपनी बीवी को छुड़ाने के लिए तारा सिंह का पाकिस्तान अभियान। इसके साथ ही फिल्म के शक्तिमान तलवार के लिखे धारदार संवादों ने तारा सिंह के मुंह से आग की तरह बरसना शुरू कर दिया।  सनी देओल के ढाई किलो के घूसे पाकिस्तानियों पर कहर बन कर बरसने लगे।  पाकिस्तान की नापाक हरकतों से आज़िज़ भारतीय जनता के लिए सनी देओल और उनके जोशीले और पाकिस्तान को धिक्कारने वाले संवादों ने मरहम का काम किया।  इन संवादों को सुनते और पाकिस्तान के पुलिस वालों और सैनिकों पर सनी और उनके  घूसों को बरसते देख कर सिनेमाहॉल में बैठा दर्शक देश भक्ति से भर उठा ।  फिल्म ने कमाई  उसी शुक्रवार रिलीज़ आमिर  खान की फिल्म लगान को पीछे छोड़ दिया।  इस फिल्म के संवादों के साउंड ट्रैक की खूब बिक्री हुई।  इसके साथ ही सनी देओल पाकिस्तान को गरियाने और जुतियाने वाले 'इंडियन' बन गए।  ग़दर एक प्रेम कथा के बाद सनी देओल की पाकिस्तान को गरियाने वाली इंडियन,  माँ तुझे सलाम और द हीरो :लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई जैसी फ़िल्में रिलीज़ हुई।  ज़्यादातर हिट भी हुई।  आज सनी देओल अपनी फिल्मों में पाकिस्तान को धमका नहीं रहे,  लेकिन उनकी भारत कुमार के एक्शन अवतार इंडियन वाली इमेज बरकरार है।



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