सिमी गरेवाल का नाम लेते ही बिल्ली जैसी खूबसूरत औरत की सूरत आँखों के सामने आ जाती है। पंजाब के जाट सिख परिवार में पैदा सिमी गरेवाल के पिता आर्मी में ब्रिगेडियर थे। वह इंग्लैंड में पली बढ़ी। इसीलिए उनकी बोलचाल में इंग्लिश उच्चारण का प्रभाव साफ़ महसूस किया जाता था । वास्तविकता तो यह है कि सिमी गरेवाल को उनकी पहली फिल्म 'टार्ज़न गोज टू इंडिया' उनके इंग्लिश बोल सकने के कारण ही मिली थी। इंग्लिश भाषा में इस फिल्म में सिमी ने एक भारतीय राजकुमारी की भूमिका की थी। फ़िरोज़ खान राजकुमार बने थे। इस फिल्म ने ५३ साल पहले अपने निर्माताओं को एक लाख ७८ हजार डॉलर का नुक्सान दिया था। फिल्म में सिमी के नायक फ़िरोज़ खान थे। उस समय सिमी मात्र १५ साल की थी। इसी साल उन को दो हिंदी फ़िल्में 'राज की बात' और 'सन ऑफ़ इंडिया' भी मिल गई। अब तो उनके लिए हिंदी सीखना ज़रूरी हो गया। अब यह बात दीगर है कि इसके बावजूद उनके हिन्दी उच्चारण में अंग्रेजी उच्चारण दोष बना ही रहा। सिमी ने गरेवाल ने अपने २० साल के सक्रिय फिल्म करियर में ५० फ़िल्में की। बकौल सिमी गरेवाल 'इतने पुरस्कार मिले कि घर में रखने की जगह ही नहीं है।' अंग्रेजी फिल्म से डेब्यू करने वाली सिमी गरेवाल को अपने छोटे फिल्म करियर में महबूब खान के अलावा राजकपूर, सत्यजित रे, मृणाल सेन, सुभाष घई, रमेश सिप्पी और कोनार्ड रूक्स जैसे फिल्म निर्देशकों की फिल्मों में काम करने का मौक़ा मिला। सिमी ने दो बांगला फ़िल्में सत्यजित रे की 'अरण्येर दिन रात्रि' (डेज एंड नाईट इन द फारेस्ट) और मृणाल सेन की फिल्म 'पदातिक' (द गौरिल्ला फाइटर) भी की। 'पदातिक' में वह एक राजनीतिक उग्रवादी को शरण देने वाली भावुक महिला का किरदार किया था। फिल्म 'अरण्येर दिन रात्रि' में वह एक जनजातीय संथाल लड़की दुली के किरदार में थी। इतने बड़े बड़े फिल्मकारों के साथ काम करना किसी भी अभिनेत्री के लिए गौरव की बात होनी चाहिए। उन्होंने राजकपूर की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' और कोनार्ड रूक्स की फिल्म 'सिद्धार्थ' भी की। लेकिन, सिमी को ऎसी तमाम फिल्मों में अपने अभिनय के करण उतनी प्रशंसा नहीं मिली, जितनी इन फिल्मों मे उनके अंग प्रदर्शन और कामुक प्रसंगो को मिली। तीन देवियाँ उनकी एडल्ट फिल्म थी। सत्यजित रे की फिल्म 'अरण्येर दिन रात्रि' में वह एक संथाल लड़की दुली की भूमिका में थी। इस फिल्म में उनके समित भंज के साथ अंतरंग दृश्य थे। इन फिल्मों में उनको सेक्सी इंग्लिश गर्ल बना दिया। इसी साल, सिमी गरेवाल की फिल्म 'मेरा नाम जोकर' रिलीज़ हुई। तीन हिस्सों वाली इस फिल्म के पहले हिस्से में सिमी गरेवाल ने एक कान्वेंट की टीचर का किरदार किया था। किशोर ऋषि कपूर उनके स्कूल के छात्र हैं। इस फिल्म के एक सीन में सिमी गरेवाल पानी में फिसल जाती हैं। जब वह अपने गीले कपडे बदल रही होती है तब किशोर ऋषि उन्हें देखता है। इस सीन में राजकपूर ने सिमी की गीली देह का खूब गर्म प्रदर्शन किया था। अब यह बात है कि फिल्म इसके बावजूद फ्लॉप हो गई। दो साल बाद १९७२ में रिलीज़ कोनार्ड रूक्स की फिल्म 'सिद्धार्थ' में तो सिमी गरेवाल बिलकुल नग्न खडी दिखाई गई। इस फिल्म में उनके नग्न पोस्टर सिनेमाघरों के बाहर ख़ास लगाए जाते थे। इस भूमिका के लिए सिमी की काफी आलोचना भी हुई। हालाँकि, इस बीच सिमी ने मनोज कुमार और आशा पारेख के साथ दो बदन, राजेंद्र कुमार और वैजयंती माला के साथ साथी, दिलीप कुमार, वहीदा रहमान और मनोज कुमार के साथ आदमी, हेमा मालिनीं, शम्मी कपूर और राजेश खन्ना के साथ 'अंदाज़', ख्वाजा अहमद अब्बास कि फिल्म 'दो बूँद पानी', राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन और रेखा के साथ नमक हराम, विनोद खन्ना और रंधीर कपूर के साथ हाथ की सफाई, अमिताभ बच्चन के साथ कभी कभी के अलावा नाच उठे संसार, चलते चलते, चला मुरारी हीरो बनाने, अनोखी पहचान, आदि फिल्में की। ज़ाहिर है कि उन्होंने बड़े सितारों और बैनर के साथ बड़ी फिल्म की। लेकिन, इन फिल्मों में वह सह नायिका थी। सुभाष घई की फिल्म 'क़र्ज़' में उनकी वैम्पिश भूमिका ने दर्शकों का ध्यान खींचा ज़रूर। लेकिन, करियर को बचाए रखने के लिए इतना काफी नहीं था। सिमी गरेवाल को समय से पहले की अभिनेत्री कहना उपयुक्त होगा। खुद वह भी इसे मानती हैं कि वह बाउंड स्क्रिप्ट चाहती थी, वह समय की कीमत समझने वाली और अनुशासन चाहने वाली अभिनेत्री थी। वह चाहती थी कि उनकी फिल्म एक स्ट्रेच में पूरी की जाए। वह अपने लिए वैनिटी वैन की चाहत भी रखती थी। उस समय बॉलीवुड के लिहाज़ से यह समय से पहले की बात थी। नतीजतन सिमी गरेवाल का करियर अस्सी के दशक में बिलकुल ख़त्म हो गया। वह टीवी शो में रम गई। उन्होंने टीवी पर तेरी मेरी कहानी, किंग्स ऑफ़ कॉमनर्स और रेन्देवौ विथ सिमी गरेवाल जैसे चर्चित शो किये। उन्हें इन शोज के लिए बेस्ट एंकर के अवार्ड्स भी मिली। उन्होंने एक फिल्म 'रुखसत' का निर्माण और निर्देशन भी किया। साफ़ है कि उन्होंने जो किया परफेक्ट किया। लेकिन, हिंदी फिल्मों में उन्होंने जो किया, उनमे यादगार रहे उनके सेक्सी सीन।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 17 October 2015
कल की बोल्ड एन ब्यूटीफुल सिमी गरेवाल आज भी है ब्यूटीफुल
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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