Friday, 2 October 2015

क्या बॉक्स ऑफिस पर 'ब्लिंग' कर पायेगा यह 'सिंह' !

सबसे पहले अक्षय कुमार से एक बात ! अब कुछ नया करें. सरदार बन कर लुंगी कुरता पहन कर ओवर कॉमेडी करना छोड़े. ऐसी भाव भंगिमाए और एक्शन आप सहित बहुत से बॉलीवुड स्टार कर चुके हैं. फिल्म में तोआप बहुत साधारण एक्टिंग करते हैं. यह कह सकते हैं कि आप पहले की अपनी भूमिकाओं को बार बार दोहराते हैं. आपके एक्शन भी ख़ास नहीं. आपसे ज्यादा दमदार एक्शन एमी जैक्सन के पल्ले पड़े हैं . वह दर्शकों की खूब तालियाँ बटोर ले जाती हैं. अक्षय तो फीके लगते ही हैं. निर्देशक प्रभुदेवा ने भी रूटीन काम किया है. एक भी सीन, एक भी परिस्थिति और नृत्य गीत ताज़गी भरे नहीं. खुद प्रभुदेवा का निर्देशन साधारण है. रूमानिया के प्राकृतिक दृश्य और इमारतें खूबसूरत हैं, लेकिन वृत्त चित्र स्टाइल में शूट किये गए हैं . शिराज़ अहमद और चिंतन गाँधी की कहानी और संवाद साधारण दर्जे के हैं. शिराज़ एक भी सीन ऐसा तैयार नहीं कर पाए हैं, जो दर्शकों को नया लगे. सच तो यह है कि कहानी ही सिरे से स्वाभाविक नहीं है. अक्षय कुमार के रफ़्तार सिंह का रूमानिया जाना, एमी जैक्सन का माँ को खोजने गोवा में आना और फिर माँ के मिलने के बावजूद वापस चला जाना स्वाभाविक नहीं लगता. ऐसा लगता है कि कुछ ख़ास लोकेशन को तय कर फिल्म बना दी गई . अक्षय कुमार की दुभाषिये के बतौर लारा दत्ता हंसाती तो हैं, लेकिन, ओवर हो कर. उनका करैक्टर भी अधूरा है .केके मेनन ऎसी भूमिकाएं इतनी बार कर चुके हैं कि अब फिल्म में उनके विलन अवतार को देख कर ऊब लगती हैं . इस फिल्म से किसी को फायदा होगा तो वह हैं एमी जैक्सन . आई के बाद वह सिंह इज ब्लिंग में हिंदी दर्शकों को प्रभावित कर सकेंगी . 
सिंह इज ब्लिंग ने गाँधी जयंती वीकेंड पर ज़बरदस्त इनिशियल तो ले लिया. लेकिन, वीकेंड में यह जलवा कायम रख पायेगी, इस पर शक है. 

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