मार्गोट रॉब्बी के नाम से मशहूर मार्गोट एलिस रॉब्बी ऑस्ट्रेलियाई
एक्ट्रेस हैं। २४ साल की इस एक्ट्रेस ने सोप ओपेरा नेबर्स की डोना फ्रीडमन
की भूमिका से लोकप्रियता पायी। अमेरिका में आने के बाद उन्होंने एबीसी
ड्रामा सीरीज पैन ऍम से दर्शकों के बीच जगह बना ली। २०१३ में रिलीज़ दो फिल्मों अबाउट टाइम और द वुल्फ फ़ो वॉल स्ट्रीट से वह हॉलीवुड में जगह बनाने में कामयाब हो गयी। आगामी फिल्म टार्ज़न में जेन की भूमिका में नज़र आने वाली मार्गोट के पास फिल्मों की कमी नहीं। वार्नर ब्रदर्स की फिल्म सुसाइड स्क्वॉड में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण है। इस फिल्म के निर्देशक डेविड अय्यर हैं। लेकिन, ख़ास है द तालिबान शफल। यह फिल्म एक अमेरिकी पत्रकार किम बार्कर के पाकिस्तान और अफगानिस्तान में तालिबान की गतिविधियों पर आधारित फिल्म है। यह २००२ के काबुल की कहानी है। इस फिल्म में किम बार्कर की भूमिका फिल्म की एक निर्माता और मशहूर अभिनेत्री टीना फे कर रही है। फिल्म में मार्गोट रोब्बी एक ब्लोंड और बार्कर के विरोधी चैनल की उससे प्रतिस्पर्द्धा करने वाली पत्रकार की भूमिका कर रही है, जो बाद में बार्कर की अच्छी दोस्त बन जाती है। यह फिल्म उन लम्हों का बयान करती है, जब बार्कर तालिबानी कहर का सामान करने के बावजूद उस क्षेत्र को पसंद करने लगती है। इस फिल्म का निर्देशन जॉन रेक्वा और ग्लेंन फिकारा कर रहे हैं। मार्गोट रॉब्बी विल स्मिथ के साथ फिल्म फोकस में जेस बैरेट की भूमिका में नज़र आएंगी। कहने का मतलब यह कि ऑस्ट्रेलियाई एक्ट्रेस मार्गोट रॉब्बी हॉलीवुड की फतह को निकल बड़ी है।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday 12 November 2014
Saturday 8 November 2014
अक्षय कुमार को डुबोने वाली फिल्म 'द शौक़ीनस' !
तीन दिनों में ४०००+ प्रिंट रिलीज़ कर १०० करोड़ कमाने वाले खानों की इस भीड़ में अक्षय कुमार ही एक ऐसा नाम है, जिनकी फिल्मों से दर्शक कुछ अलग और मनोरंजक फिल्म की उम्मीद करते हैं। अश्विन वर्डे, मुराद खेतानी, अक्षय कुमार की अभिषेक शर्मा निर्देशित फिल्म 'द शौक़ीनस' पूरी तरह से निराश करती है। द शौक़ीनस १९८२ में रिलीज़ बासु चटर्जी की फिल्म शौक़ीन का रीमेक है। पकी पकाई कहानी होने के बावजूद लेखक और संवाद लेखक तिग्मांशु धूलिया कुछ मनोरंजक पेश नहीं कर पाये। उनकी स्क्रिप्ट में झोल ही झोल हैं। सब कुछ ऐसे चलता है जैसे बच्चों का खेल। पूर्वार्ध में पियूष मिश्रा, अन्नू कपूर और अनुपम खेर के चरित्रों का परिचय कराते और उन्हें विकसित करने वाले दृश्य हैं। लेकिन इनमे कोई कल्पनाशीलता नहीं है. अविश्वसनीय और अनगढ़ दृश्यों की भरमार है। संवाद बहुत घिसे पिटे हैं। ऐसे चरित्रों के मुंह से ऐसे ही संवाद बुलाये जाते हैं।
फिल्म की कहानी तीन शौकीनों की हैं, जो किसी न किसी कारण से सेक्स को लेकर असंतुष्ट हैं। इसलिए वह अपनी सेक्सुअल संतुष्टि के लिए अपनी आँखें सेंकने से लेकर कर लड़कियों को छूने तक का असफल प्रयास करते हैं और बेइज़्ज़त होते हैं। फिर वह बैंकॉक जाकर अपनी इच्छा पूरी करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, घर में विरोध के कारण वहां नहीं जा पाते। फिर वह मॉरीशस जाते हैं। वहां उनकी मुलाकात अक्षय कुमार की दीवानी लड़की से होती है। वह उसे अक्षय कुमार से मिलाने का जतन करते हैं, ताकि उसकी निकटता पा सकें। बड़े अविश्वसनीय घटनाक्रम होते हैं मॉरीशस में। अजीब लगता हैं फिल्म में खुद की भूमिका कर रहे अक्षय कुमार का प्रेस कॉन्फ्रेरेन्स में पहले तीनों शौक़ीनस और उस लड़की को बेइज़्ज़त करना, फिर दुबारा उनकी सफाई देने के लिए प्रेस कांफ्रेंस करना। यही कारण है कि जब फिल्म ख़त्म होती है तब दर्शक खुद को तीनों शौकीनों की तरह असंतुष्ट महसूस करता है।
फिल्म में कुछ भी ऐसा नहीं जिसका ज़िक्र किया जाए, सिवाय अभिनय के। अक्षय कुमार तो साधारण रहे हैं। शौक़ीनस तिकड़ी में पियूष मिश्रा और अन्नू कपूर का अभिनय बढ़िया है. अन्नू कपूर तो दर्शकों की खूब तालियां बटोरते हैं, जबकि पियूष मिश्रा दर्शकों की प्रशंसा के हक़दार बनते हैं। न जाने क्या बात थी कि अनुपम खेर इन दोनों के सामने मुरझाये लगे। लिसा हेडेन ने फिल्म क्वीन में जितना प्रभावित किया था, इस फिल्म उससे कई गुना ज़्यादा निराश करती हैं। वह अपनी कमनीय काया का प्रदर्शन करती हैं, लेकिन कोई आकर्षण पैदा नहीं कर पातीं कि दर्शक उनके इस अंग प्रदर्शन के लिए फिल्म देखने आये।
इस फिल्म को देख कर अक्षय कुमार के प्रशंसक भी निराश होंगे।
फिल्म की कहानी तीन शौकीनों की हैं, जो किसी न किसी कारण से सेक्स को लेकर असंतुष्ट हैं। इसलिए वह अपनी सेक्सुअल संतुष्टि के लिए अपनी आँखें सेंकने से लेकर कर लड़कियों को छूने तक का असफल प्रयास करते हैं और बेइज़्ज़त होते हैं। फिर वह बैंकॉक जाकर अपनी इच्छा पूरी करने की कोशिश करते हैं। लेकिन, घर में विरोध के कारण वहां नहीं जा पाते। फिर वह मॉरीशस जाते हैं। वहां उनकी मुलाकात अक्षय कुमार की दीवानी लड़की से होती है। वह उसे अक्षय कुमार से मिलाने का जतन करते हैं, ताकि उसकी निकटता पा सकें। बड़े अविश्वसनीय घटनाक्रम होते हैं मॉरीशस में। अजीब लगता हैं फिल्म में खुद की भूमिका कर रहे अक्षय कुमार का प्रेस कॉन्फ्रेरेन्स में पहले तीनों शौक़ीनस और उस लड़की को बेइज़्ज़त करना, फिर दुबारा उनकी सफाई देने के लिए प्रेस कांफ्रेंस करना। यही कारण है कि जब फिल्म ख़त्म होती है तब दर्शक खुद को तीनों शौकीनों की तरह असंतुष्ट महसूस करता है।
फिल्म में कुछ भी ऐसा नहीं जिसका ज़िक्र किया जाए, सिवाय अभिनय के। अक्षय कुमार तो साधारण रहे हैं। शौक़ीनस तिकड़ी में पियूष मिश्रा और अन्नू कपूर का अभिनय बढ़िया है. अन्नू कपूर तो दर्शकों की खूब तालियां बटोरते हैं, जबकि पियूष मिश्रा दर्शकों की प्रशंसा के हक़दार बनते हैं। न जाने क्या बात थी कि अनुपम खेर इन दोनों के सामने मुरझाये लगे। लिसा हेडेन ने फिल्म क्वीन में जितना प्रभावित किया था, इस फिल्म उससे कई गुना ज़्यादा निराश करती हैं। वह अपनी कमनीय काया का प्रदर्शन करती हैं, लेकिन कोई आकर्षण पैदा नहीं कर पातीं कि दर्शक उनके इस अंग प्रदर्शन के लिए फिल्म देखने आये।
इस फिल्म को देख कर अक्षय कुमार के प्रशंसक भी निराश होंगे।
अभिनय से बदरंग रंग रसिया
अगर किसी फिल्म के साथ बड़े नाम न जुड़े हों तो उस फिल्म को रिलीज़ में परेशानियां आती हैं, यह केतन मेहता की फिल्म 'रंग रसिया' के बारे में नहीं कहा जा सकता। २००८ में पूरी हो चुकी रंग रसिया अपने कारणों से छह साल तक रिलीज़ नहीं हो सकी। हालाँकि, विदेशी मेलों में इसे दिखाया गया। परन्तु, अब जबकि यह फिल्म रिलीज़ हो चुकी है, रणदीप हुडा और नंदना सेन जैसे नाम रंग रसिया के रंग को मंद कर रहे हैं। बतौर निर्देशक केतन मेहता ने एक मास्टरपीस बनाने की पूरी कोशिश की है। वह महान पेंटर राजा रवि वर्मा के जीवन को पूरी सुंदरता और पवित्रता के साथ परदे पर पेश करते हैं। उनकी ईमानदारी का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है कि वह रवि वर्मा और उनकी प्रेरणा सुगंधा के बीच के रोमांस को कुछ इस सुंदरता से पेश किया कि नंदना सेन आवक्ष नग्न हो कर भी अश्लीलता और कामुकता की अनुभूति नहीं करा रही थी। केतन मेहता केवल इसी एक दृश्य के लिए प्रशंसा के पात्र नहीं, वह राजा रवि वर्मा की पूरी कहानी को ईमानदारी से एक एक विवरण देते प्रस्तुत करते हैं। फिल्म को देखते हुए रवि वर्मा को न जानने वाले दर्शकों को भी उनके बारे में जानकारी हो जाती है। वह अपने इस महान पेंटर के योगदान और कष्टों का अनुभव करता है। इसमे केतन मेहता का साथ स्क्रिप्ट लिखने में संजीव दत्ता, संगीत के क्षेत्र में सन्देश शांडिल्य, कैमरा के पीछे राइल रालत्चेव और क्रिस्टो बाक्लोव बखूबी देते हैं। इन दोनों का कैमरा वर्क इस फिल्म को आकर्षक पेंटिंग की तरह पेश करता है।
फिल्म की कमी है इसके कलाकार। ख़ास तौर पर मुख्य भूमिका में रणदीप हुडा और नंदना सेन अपने चरित्र के साथ न्याय नहीं कर पाते। इन दोनों में न तो इतनी अभिनय प्रतिभा है और न ही व्यक्तित्व कि इन चरित्रों को स्वाभाविक बना सकें। परिणामस्वरूप, परेश रावल, दर्शन जरीवाला, सुहासिनी मुले, विक्रम गोखले, आदि सशक्त कलाकारों के बावजूद केतन मेहता की आकर्षिक पेंटिंग नहीं बन पाती। वैसे जो लोग राजा रवि वर्मा को नहीं जानते हों, उनके बारे में जानना चाहते हों तो इस फिल्म को ज़रूर देखें। बहुत कुछ जाएंगे. आपके दिलों में रवि वर्मा के प्रति सम्मान पैदा होगा।
फिल्म की कमी है इसके कलाकार। ख़ास तौर पर मुख्य भूमिका में रणदीप हुडा और नंदना सेन अपने चरित्र के साथ न्याय नहीं कर पाते। इन दोनों में न तो इतनी अभिनय प्रतिभा है और न ही व्यक्तित्व कि इन चरित्रों को स्वाभाविक बना सकें। परिणामस्वरूप, परेश रावल, दर्शन जरीवाला, सुहासिनी मुले, विक्रम गोखले, आदि सशक्त कलाकारों के बावजूद केतन मेहता की आकर्षिक पेंटिंग नहीं बन पाती। वैसे जो लोग राजा रवि वर्मा को नहीं जानते हों, उनके बारे में जानना चाहते हों तो इस फिल्म को ज़रूर देखें। बहुत कुछ जाएंगे. आपके दिलों में रवि वर्मा के प्रति सम्मान पैदा होगा।
शादी रास नहीं आती बॉलीवुड की हस्तियों को
अभिनेता ऋतिक रोशन अपनी १४ साल के वैवाहिक जीवन और दो बच्चों के बाद पत्नी सुज़ैन से तलाक़ लेने के साथ ही बॉलीवुड की आमिर खान, आदि कुछ सेलिब्रिटीज में शामिल हो गए, जिन्हे अपनी प्रेमिकाओं के साथ विवाह रास नहीं आया ।हकीकत तो यह है कि कोई आमिर खान या ऋतिक रोशन नहीं, बल्कि ज़्यादा बॉलीवुड केलेब्रिटी को शादी रास नहीं आती, चाहे वह अपनी प्रेमिका से शादी करें या फिल्म की नायिका से। बॉलीवुड की ऎसी भी हस्तियां हैं, जिन्होंने तीन तीन विवाह तक किया. यह बात दीगर है कि कभी पत्नी के देहांत के बाद या अलगाव के बाद। यहाँ पेश है बॉलीवुड सेलिब्रिटीज की मशहूर शादियां और उतने ही मशहूर तलाक़ और फिर शादियां।
तलाक़ नहीं लिया, सिर्फ अलग हो गए
कुछ बॉलीवुड सेलिब्रिटी तलाक़ लेने से पहले अलग रहना चाहते हैं। पर उनका इरादा फिर साथ जाने का नहीं होता। ऋतिक रोशन और सुज़ैन भी तलाक़ से पहले अलग रह रहे थे। इसी प्रकार के कुछ दूसरे उदाहरण भी है। फिल्म निर्माता निर्देशक अनुराग कश्यप का पहला विवाह आरती बजाज से हुआ था। दोनों की एक लड़की आलिया भी है । पहली फिल्म 'पांच' के रिलीज़ न हो पाने के सदमे में अनुराग बहुत शराब पीने लगे थे। कहते हैं इसी कारण से इन दोनों का तलाक़ हो गया । देव डी की शूटिंग के दौरान अनुराग और फिल्म की एक नायिका कल्कि कोएच्लिन के बीच में निकटता बढ़ी। फिर दोनों ने शादी कर ली। लेकिन, यह शादी तीन साल भी नहीं चल सकी। २०१३ में अनुराग और कल्कि अलग अलग हो गए। हालाँकि, इन दोनों के बीच अभी तलाक़ नहीं हुआ है। लेकिन, अंदर खाने की खबर है कि कल्कि से तलाक़ के बाद अनुराग कश्यप अपनी गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की सह नायिका हुमा कुरैशी के साथ निकाह पढवा सकते हैं। बिना तलाक़ लिए अलग रहने वाली फ़िल्मी हस्तियों में अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह भी हैं। सुधीर मिश्रा की फिल्म हज़ारों ख्वाहिशें ऎसी से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली चित्रांगदा सिंह के अपने गोल्फर पति ज्योति सिंह रंधावा के साथ संबंधों में खटास सुधीर मिश्रा के कारण ही आई। हालाँकि,चित्रांगदा और सुधीर के संबंधों में पहले वाली बात नहीं रही। परन्तु , चित्रांगदा, फिलहाल अपने पति से तलाक़ लिए बिना अलग रह रही हैं। अभिनेत्री कोंकणासेन शर्मा ने मशहूर कॉमेडियन रणवीर शोरे के साथ प्रेम विवाह किया था। लेकिन, इस विवाह बंधन को एक बच्चे का जन्म भी मज़बूत नहीं बना सका. फिलहाल कोंकणा अपनी शादी को टूटने से बचाने की कोशिश में अपनी माँ अपर्णा सेन के घर रह रही हैं। अभिनेत्री राखी ने फिल्म गीतकार गुलज़ार से प्रेम विवाह किया था। दोनों के एक बेटी का जन्म भी हुआ। मगर आपस में पट नहीं सकी। इसलिए दोनों बिना तलाक़ लिए अलग रह रहे हैं। राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया के संबंधों में खटास आई तो दोनों अलग हो गए। पर दोनों ने तलाक़ नहीं लिया। रणधीर कपूर और बबिता के वैवाहिक सम्बन्ध भी अलगाव में बदल चुके हैं। दोनों अलग रहते हैं। पर सामजिक समारोहों में साथ नज़र आते हैं।
बॉलीवुड सितारे, जिन्हे रास आई शादी और तलाक़ भी
किशोर कुमार- गायक अभिनेता किशोर कुमार विवाह और तलाक़ के उस्ताद थे। उनका पहला विवाह मशहूर बंगला गायिका रूमा गुहा ठकुराता से हुआ था . १९५० में हुई यह शादी केवल आठ साल ही चल सकी। १९६० में किशोर कुमार ने हिंदी फिल्मों की वीनस मधुबाला से विवाह किया। नौ साल के दुखी वैवाहिक जीवन के बाद मधुबाला टीबी का शिकार हो गयीं। मधुबाला की मृत्यु के बाद किशोर कुमार ने फिल्म अभिनेत्री योगिता बाली से शादी की। यह विवाह केवल दो साल चला। किशोर कुमार से तलाक़ के बाद योगिता बाली श्रीमती मिथुन चक्रवर्ती बन गयीं। फिर किशोर कुमार ने अभिनेत्री लीना चंद्रावरकर से विवाह किया। लीना चंद्रावरकर खुद एक विधवा थीं। परन्तु, किशोर- लीना विवाह किशोर कुमार की मृत्यु तक बना रहा।
लकी अली- पुराने ज़माने के कॉमेडियन महमूद के बेटे और पॉप गायक लकी अली ने तीन शादियां की। उनकी पहली शादी न्यूज़ीलैंड की लड़की मीघन से हुई। मीघन ने लकी अली के पॉप एल्बम ओ सनम का वीडियो किया था। उनकी दूसरी शादी इनया से हुई। उनकी २०१० में तीसरी शादी एक ब्रिटिश मॉडल से हुई। पहली दो शादियों से लकी के दो दो बच्चे और तीसरी शादी से एक लड़का हुआ।
सिद्धार्थ रॉय कपूर- यूटीवी के मुखिया सिद्धार्थ रॉय कपूर की वर्तमान पत्नी अभिनेत्री विद्या बालन हैं। सिद्धार्थ रॉय कपूर का पहला विवाह अपनी बचपन की दोस्त से हुआ था। उनकी दूसरी शादी एक टीवी फिल्म प्रोडूसर से हुई थी।
संजय दत्त- अभिनेता संजय दत्त भी तीन तीन बार के शादी शुदा हैं। उनका तीसरा विवाह प्रकाश झा की फिल्म गंगाजल की आइटम गर्ल मान्यता से हुआ। मान्यता से उनके जुड़वां बच्चे हैं। उनका पहला विवाह फिल्म अभिनेत्री ऋचा शर्मा से हुआ था। ऋचा से संजय की एक बेटी त्रिशला है। १९९६ में ऋचा की ब्रेन ट्यूमर से मौत के दो साल बाद संजय ने मॉडल रिया पिल्लई से शादी कर ली।
विधुविनोद चोपड़ा- विधुविनोद चोपड़ा भी तीन शादियां कर चुके हैं। विधु का पहला विवाह फिल्म एडिटर और मशहूर अभिनेत्री राधा सलूजा की बहन रेनू सलूजा से हुआ। उन्होंने दूसरा विवाह फिल्म मेकर सुखदेव दुबे की बेटी शबनम सुखदेव से किया। परन्तु, उनके यह दोनों विवाह सफल नहीं हुए। उन्होंने तीसरी शादी फिल्म पत्रकार अनुपमा चोपड़ा से किया है।
मिथुन चक्रवर्ती- अपने फिल्मों के शुरूआती दौर में मिथुन चक्रवर्ती ने एक मॉडल हेलेन ल्यूक से शादी की थी। पर उनका जल्द तलाक हो गया। फिर मिथुन ने किशोर कुमार से तलाक़शुदा योगिताबाली से शादी कर ली। इसके बाद उनकी एक फिल्म के दौरान अपनी को-स्टार श्रीदेवी से गुपचुप विवाह की खबरें उड़ने लगी । परन्तु, मिथुन योगिता के कारण श्रीदेवी से संबंधों को स्वीकार नहीं कर रहे थे। उन्होंने इस विवाह को तभी स्वीकार किया, जब एक गॉसिप मैगज़ीन ने इन दोनों के विवाह की तसवीर प्रकाशित कर दी। बाद में यह शादी ख़त्म हो गयी। श्रीदेवी ने बोनी कपूर से विवाह कर लिया।
बिना तलाक़ लिए की शादी
अभिनेता धर्मेन्द्र ने अपनी शराफत, नया ज़माना, सीता और गीता, राजा जानी, जुगनू, प्रतिज्ञा, आदि सुपर हिट फिल्मों की जोड़ीदार हेमा मालिनी से शादी कर ली। परन्तु, उन्होंने अपनी पत्नी प्रकाश कौर से तलाक़ नहीं लिया। उनके प्रकाश कौर से चार बच्चे विजयता, अजीता, सनी देओल और बॉबी देओल हैं। हेमा से भी उन्हें दो बेटियां एषा और अहाना है। फिल्म निर्माता बोनी कपूर ने अभिनेत्री श्रीदेवी से शादी तो की, लेकिन मोना कपूर से तलाक़ लिए बिना। श्रीदेवी से बोनी कपूर को दो बेटियां हैं।
शादी के लिए तलाक़ के लिहाज़ से सलीम-जावेद की लेखक जोड़ी पीछे नहीं। सलीम का हेलेन पर दिल आया तो उन्होंने हिन्दू पत्नी सुशीला चरक उर्फ़ सलमा के रहते १९८१ में दूसरी शादी करने में देर नहीं की। सलीम के सलमा से सलमान, अरबाज़, सोहैल और अलविरा हैं। उन्होंने हेलेन से शादी करने के बाद एक हिन्दू लड़की अर्पित का गोद लिया।
राज बब्बर ने स्मिता पाटिल से शादी करने के लिए अपनी पत्नी नादिरा को छोड़ दिया। पर नादिरा तलाक़ नहीं दिया। उनके नादिरा से दो बच्चे आर्य बब्बर और जूही बब्बर हैं। यहाँ दिलचस्प तथ्य यह है कि राज और नादिरा की बेटी जूही ने भी दो विवाह किये हैं। उन्होंने २००७ में बिजोय नाम्बियार से शादी की। फिर दो साल बाद उनसे तलाक़ ले कर २०११ में अभिनेता अनूप सोनी से विवाह कर लिया।
महेश भट्ट का पहला विवाह लॉरेन ब्राइट उर्फ़ किरण से हुआ। किरण से पूजा भट्ट और राहुल भट्ट का जन्म हुआ। पर किरण और महेश के संबंधों में खटास आ गयी। इसी बीच महेश भट्ट को अपनी फिल्म सारांश की नायिका सोनी राज़दान से इश्क़ हो गया। महेश भट्ट ने इस्लाम स्वीकार कर सोनी राजदान से शादी कर ली।
तलाक़, फिर शादी
कुछ सेलिब्रिटी की शादियां तलाक़ के बाद हुईं। आम तौर पर सेलिब्रिटी पति बनने के लिए तलाक़ लिया गया।
ऐसी ही कुछ शादियां -
१- बिजनेसमैन राज कुंद्रा ने २००९ में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी से शादी करने के लिए अपनी पत्नी कविता को तलाक़ दे दिया। राज और शिल्पा एक बेटे के माता पिता बन चुके हैं।
२- टेनिस स्टार महेश भूपति जब अभिनेत्री लारा दत्ता के प्रेम में पड़े, श्वेत जयशंकर के पति थे। श्वेत से तलाक़ के बाद महेश ने लारा दत्ता से शादी की। इन दोनों के अभी एक लड़की हुई है।
३- करिश्मा कपूर और संजय कपूर के विवाह की दास्ताँ भी दिलचस्प है। उन दिनों करिश्मा कपूर अभिषेक बच्चन से डेटिंग कर रही थी. दोनों की मांगनी भी हो गयी थी। लेकिन, फिर यकायक, दोनों के सम्बन्ध टूट गए। करिश्मा ने उद्योगपति संजय कपूर से शादी कर ली, जो फैशन डिज़ाइनर नंदिता महतानी से विवाहित थे। करिश्मा और संजय समायरा और किआन के पेरेंट्स हैं।
४- आमिर खान ने अपनी बचपन की दोस्त रीना दत्ता से विवाह किया था। पंद्रह साल के वैवाहिक जीवन और पिता बनने के बाद आमिर खान का दिल अपनी सहायक किरण राव पर आ गया। उन्होंने १५ साल बाद रीना को तलाक़ दे कर किरण से शादी कर ली।
५- रवीना टंडन ने प्यार तो कई से किया। लेकिन शादी के लिए एक विवाहित पुरुष अनिल थडानी को चुना। अनिल ने अपनी पहली पत्नी नताशा सिप्पी को तलाक़ देकर रवीना टंडन से शादी कर ली।
६- जावेद अख्तर ने अपने संघर्षों के दिनों में हनी ईरानी का साथ पाया था। उन्होंने उन्ही दिनों हनी ईरानी से शादी कर ली। फरहान और ज़ोया इन दोनों की संताने हैं। फिर जावेद का दिल शबाना आज़मी पर आ गया। अख्तर ने ईरानी को तलाक़ देकर आज़मी से निकाह पढवा लिया।
७- कमलहासन दक्षिण की अभिनेत्री वाणी गणपति से विवाहित थे, जब उन्होंने सारिका को अपनी जीवन संगिनी चुना। उन्होंने वाणी को तलाक़ दे कर सारिका से विवाह किया। इन दोनों के दो बेटियां श्रुति और अक्षरा होने के बावजूद शादी चल नहीं सकी। दोनों ने तलाक़ ले लिया।
८- पहलवान दारा सिंह के बेटे बिंदु ने अभिनेत्री फराह से शादी की थी। कुछ साल तक दोनों का वैवाहिक जीवन काफी अच्छा चला। फिर विंदू के जीवन में मॉडल दिना आ गयीं। बिंदु ने फराह से तलाक ले कर दिना से विवाह कर लिया।
कुछ और तलाक़
बीआर चोपड़ा के सीरियल महाभारत के कृष्ण नीतीश भरद्वाज ने फेमिना की संपादक विमला पाटिल की बेटी मोनिषा से शादी की। लेकिन, दो बच्चों के बाद इन दोनों में तलाक़ हो गया. निर्देशक शेखर कपूर ने अभिनेत्री सुचित्रा कृष्णमूर्ति से शादी की। शादी के बाद सुचित्रा को महसूस हुआ कि पति शेखर कपूर के कारण उनके कलाकार को महत्व नहीं मिल पा रहा है। इसलिए उन्होंने शेखर से तलाक़ ले लिया। फिल्म निर्माता निर्देशक विक्रम भट्ट ने फिल्म आप मुझे अच्छे लगने में अपनी नायिका अमीषा पटेल की खातिर बीवी अदिति से तलाक़ ले कर अमीषा पटेल से शादी कर ली। लेकिन,यह शादी पांच साल से ज़्यादा नहीं टिक सकी। पंकज कपूर ने टीवी अभिनेत्री नीलिमा अज़ीम से शादी की। दोनों के पुत्र का नाम शाहिद कपूर है। फिर दोनों के संबंधों में खटास आ गयी। नीलिमा से अलगाव के बाद पंकज कपूर ने सुप्रिया पाठक से शादी कर ली। नीलिमा अज़ीम ने भी उस्ताद राजा अली खान से निकाह पढ़वा लिया। यह नीलिमा का तीसरा विवाह था। नीलिमा ने पंकज से पहले अभिनेता राजेश खट्टर से भी शादी की थी। पटौदी के नवाब सैफ अली खान ने अपने से ग्यारह साल बड़ी अमृता सिंह से प्रेम विवाह किया था। दोनों के बच्चे भी हुए। पर शादी टूट गयी। सैफ ने करीना कपूर को अपनी बेगम बना लिया। फ़िरोज़ खान ने सुंदरी से २० साल लम्बे वैवाहिक जीवन के बाद तलाक़ ले लिया था। विनोद खन्ना ने गीतांजलि से तलाक़ ओशो आश्रम में जाने के लिए लिया था। परन्तु जब वह वापस आये तो गीतांजलि पास नहीं, बल्कि उन्होंने कविता से शादी कर ली। तलाक़ के मामले में अभिनेत्री नंदिता दास भी पीछे नहीं। उन्होंने, सात साल के विवाह के बाद, वैचारिक मतभेदों के हवाले से सौम्य सेन से विवाह तोड़ लिया। फिर उन्होंने सुबोध मस्कारा से शादी कर ली। टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी ने राजा चौधरी से अपनी नौ साल की शादी को तोड़ कर अभिनेता अभिनव कोहली से शादी कर ली, जिनसे वह डेटिंग कर रही थी।
इन्होने बचा ली अपनी शादी
आम तौर पर सेलिब्रिटी के बीच की चख चख सुर्खियां पाती हैं। कभी कभी यह सुर्खियां तलाक़ की हद तक पहुँच जाती हैं। इसके बावजूद यह विवाह तलाक़ की दहलीज़ से वापस आ जाते हैं।
१-अमिताभ बच्चन और रेखा के बीच का रोमांस १९८० के दशक में काफी चर्चित हुआ था। उनके रोमांस की आग बच्चन परिवार तक पहुँचने लगी थी। ऐसा लगाने लगा था कि जया और अमिताभ विवाह टूट जायेगा। लेकिन, कुली से सेट पर हुई दुर्घटना ने सब कुछ बदल दिया। अमिताभ बच्चन केवल और केवल जया बच्चन के हो कर रह गए।
२- अस्सी के दशक में ही दिलीप कुमार और सायरा बानो का निकाह टूटने की नौबत आ गयी थी। खबर यह उड़ी कि दिलीप कुमार ने एक पाकिस्तानी महिल आस्मां से निकाह पढवा लिया है। लेकिन,सायरा बानो ने चतुराई बरतते हुए दिलीप कुमार को आस्मां को तलाक़ देने पर मज़बूर कर दिया।
३- कोई दस साल पहले यह खबर सुर्ख हुई थी कि अक्षय कुमार की कैसानोवा इमेज से ट्विंकल खन्ना नाराज़ हैं। वह खुद फ़िल्में करना चाहती हैं . यहाँ ख़ास बात यह थी कि इसी दौरान अक्षय का एक फिल्म अभिनेत्री से रोमांस सुर्ख हो रहा था। इसी समय ट्विंकल के एक ख़ास अभिनेता के साथ फिल्म करने की जिद्द ने आग में घी का काम किया। अब यह बात दीगर है कि बाद में खुद ट्विंकल ने अक्षय को एक औरत का आदमी बताते हुए मामला ख़त्म कर दिया।
४- जिन दिनों सुज़ैन रोशन अपने पति से अलग हो कर रह थीं और तलाक़ मांग रही थीं, उसी समय यह खबर सुर्ख हुई कि सुज़ैन के जीवन में अर्जुन रामपाल आ गए हैं। यह खबर अर्जुन की पत्नी मेहर के लिए वज्राघात जैसी थी। क्योंकि, मेहर और सुज़ैन आपस में गहरी दोस्त हैं। अब यह बात दीगर है कि अर्जुन ने खुद आगे आ कर इन खबरों का ज़ोरदार खंडन कर दिया।
तलाक़ नहीं लिया, सिर्फ अलग हो गए
कुछ बॉलीवुड सेलिब्रिटी तलाक़ लेने से पहले अलग रहना चाहते हैं। पर उनका इरादा फिर साथ जाने का नहीं होता। ऋतिक रोशन और सुज़ैन भी तलाक़ से पहले अलग रह रहे थे। इसी प्रकार के कुछ दूसरे उदाहरण भी है। फिल्म निर्माता निर्देशक अनुराग कश्यप का पहला विवाह आरती बजाज से हुआ था। दोनों की एक लड़की आलिया भी है । पहली फिल्म 'पांच' के रिलीज़ न हो पाने के सदमे में अनुराग बहुत शराब पीने लगे थे। कहते हैं इसी कारण से इन दोनों का तलाक़ हो गया । देव डी की शूटिंग के दौरान अनुराग और फिल्म की एक नायिका कल्कि कोएच्लिन के बीच में निकटता बढ़ी। फिर दोनों ने शादी कर ली। लेकिन, यह शादी तीन साल भी नहीं चल सकी। २०१३ में अनुराग और कल्कि अलग अलग हो गए। हालाँकि, इन दोनों के बीच अभी तलाक़ नहीं हुआ है। लेकिन, अंदर खाने की खबर है कि कल्कि से तलाक़ के बाद अनुराग कश्यप अपनी गैंग्स ऑफ़ वासेपुर की सह नायिका हुमा कुरैशी के साथ निकाह पढवा सकते हैं। बिना तलाक़ लिए अलग रहने वाली फ़िल्मी हस्तियों में अभिनेत्री चित्रांगदा सिंह भी हैं। सुधीर मिश्रा की फिल्म हज़ारों ख्वाहिशें ऎसी से बॉलीवुड में डेब्यू करने वाली चित्रांगदा सिंह के अपने गोल्फर पति ज्योति सिंह रंधावा के साथ संबंधों में खटास सुधीर मिश्रा के कारण ही आई। हालाँकि,चित्रांगदा और सुधीर के संबंधों में पहले वाली बात नहीं रही। परन्तु , चित्रांगदा, फिलहाल अपने पति से तलाक़ लिए बिना अलग रह रही हैं। अभिनेत्री कोंकणासेन शर्मा ने मशहूर कॉमेडियन रणवीर शोरे के साथ प्रेम विवाह किया था। लेकिन, इस विवाह बंधन को एक बच्चे का जन्म भी मज़बूत नहीं बना सका. फिलहाल कोंकणा अपनी शादी को टूटने से बचाने की कोशिश में अपनी माँ अपर्णा सेन के घर रह रही हैं। अभिनेत्री राखी ने फिल्म गीतकार गुलज़ार से प्रेम विवाह किया था। दोनों के एक बेटी का जन्म भी हुआ। मगर आपस में पट नहीं सकी। इसलिए दोनों बिना तलाक़ लिए अलग रह रहे हैं। राजेश खन्ना और डिंपल कपाड़िया के संबंधों में खटास आई तो दोनों अलग हो गए। पर दोनों ने तलाक़ नहीं लिया। रणधीर कपूर और बबिता के वैवाहिक सम्बन्ध भी अलगाव में बदल चुके हैं। दोनों अलग रहते हैं। पर सामजिक समारोहों में साथ नज़र आते हैं।
बॉलीवुड सितारे, जिन्हे रास आई शादी और तलाक़ भी
किशोर कुमार- गायक अभिनेता किशोर कुमार विवाह और तलाक़ के उस्ताद थे। उनका पहला विवाह मशहूर बंगला गायिका रूमा गुहा ठकुराता से हुआ था . १९५० में हुई यह शादी केवल आठ साल ही चल सकी। १९६० में किशोर कुमार ने हिंदी फिल्मों की वीनस मधुबाला से विवाह किया। नौ साल के दुखी वैवाहिक जीवन के बाद मधुबाला टीबी का शिकार हो गयीं। मधुबाला की मृत्यु के बाद किशोर कुमार ने फिल्म अभिनेत्री योगिता बाली से शादी की। यह विवाह केवल दो साल चला। किशोर कुमार से तलाक़ के बाद योगिता बाली श्रीमती मिथुन चक्रवर्ती बन गयीं। फिर किशोर कुमार ने अभिनेत्री लीना चंद्रावरकर से विवाह किया। लीना चंद्रावरकर खुद एक विधवा थीं। परन्तु, किशोर- लीना विवाह किशोर कुमार की मृत्यु तक बना रहा।
लकी अली- पुराने ज़माने के कॉमेडियन महमूद के बेटे और पॉप गायक लकी अली ने तीन शादियां की। उनकी पहली शादी न्यूज़ीलैंड की लड़की मीघन से हुई। मीघन ने लकी अली के पॉप एल्बम ओ सनम का वीडियो किया था। उनकी दूसरी शादी इनया से हुई। उनकी २०१० में तीसरी शादी एक ब्रिटिश मॉडल से हुई। पहली दो शादियों से लकी के दो दो बच्चे और तीसरी शादी से एक लड़का हुआ।
सिद्धार्थ रॉय कपूर- यूटीवी के मुखिया सिद्धार्थ रॉय कपूर की वर्तमान पत्नी अभिनेत्री विद्या बालन हैं। सिद्धार्थ रॉय कपूर का पहला विवाह अपनी बचपन की दोस्त से हुआ था। उनकी दूसरी शादी एक टीवी फिल्म प्रोडूसर से हुई थी।
संजय दत्त- अभिनेता संजय दत्त भी तीन तीन बार के शादी शुदा हैं। उनका तीसरा विवाह प्रकाश झा की फिल्म गंगाजल की आइटम गर्ल मान्यता से हुआ। मान्यता से उनके जुड़वां बच्चे हैं। उनका पहला विवाह फिल्म अभिनेत्री ऋचा शर्मा से हुआ था। ऋचा से संजय की एक बेटी त्रिशला है। १९९६ में ऋचा की ब्रेन ट्यूमर से मौत के दो साल बाद संजय ने मॉडल रिया पिल्लई से शादी कर ली।
विधुविनोद चोपड़ा- विधुविनोद चोपड़ा भी तीन शादियां कर चुके हैं। विधु का पहला विवाह फिल्म एडिटर और मशहूर अभिनेत्री राधा सलूजा की बहन रेनू सलूजा से हुआ। उन्होंने दूसरा विवाह फिल्म मेकर सुखदेव दुबे की बेटी शबनम सुखदेव से किया। परन्तु, उनके यह दोनों विवाह सफल नहीं हुए। उन्होंने तीसरी शादी फिल्म पत्रकार अनुपमा चोपड़ा से किया है।
मिथुन चक्रवर्ती- अपने फिल्मों के शुरूआती दौर में मिथुन चक्रवर्ती ने एक मॉडल हेलेन ल्यूक से शादी की थी। पर उनका जल्द तलाक हो गया। फिर मिथुन ने किशोर कुमार से तलाक़शुदा योगिताबाली से शादी कर ली। इसके बाद उनकी एक फिल्म के दौरान अपनी को-स्टार श्रीदेवी से गुपचुप विवाह की खबरें उड़ने लगी । परन्तु, मिथुन योगिता के कारण श्रीदेवी से संबंधों को स्वीकार नहीं कर रहे थे। उन्होंने इस विवाह को तभी स्वीकार किया, जब एक गॉसिप मैगज़ीन ने इन दोनों के विवाह की तसवीर प्रकाशित कर दी। बाद में यह शादी ख़त्म हो गयी। श्रीदेवी ने बोनी कपूर से विवाह कर लिया।
बिना तलाक़ लिए की शादी
अभिनेता धर्मेन्द्र ने अपनी शराफत, नया ज़माना, सीता और गीता, राजा जानी, जुगनू, प्रतिज्ञा, आदि सुपर हिट फिल्मों की जोड़ीदार हेमा मालिनी से शादी कर ली। परन्तु, उन्होंने अपनी पत्नी प्रकाश कौर से तलाक़ नहीं लिया। उनके प्रकाश कौर से चार बच्चे विजयता, अजीता, सनी देओल और बॉबी देओल हैं। हेमा से भी उन्हें दो बेटियां एषा और अहाना है। फिल्म निर्माता बोनी कपूर ने अभिनेत्री श्रीदेवी से शादी तो की, लेकिन मोना कपूर से तलाक़ लिए बिना। श्रीदेवी से बोनी कपूर को दो बेटियां हैं।
शादी के लिए तलाक़ के लिहाज़ से सलीम-जावेद की लेखक जोड़ी पीछे नहीं। सलीम का हेलेन पर दिल आया तो उन्होंने हिन्दू पत्नी सुशीला चरक उर्फ़ सलमा के रहते १९८१ में दूसरी शादी करने में देर नहीं की। सलीम के सलमा से सलमान, अरबाज़, सोहैल और अलविरा हैं। उन्होंने हेलेन से शादी करने के बाद एक हिन्दू लड़की अर्पित का गोद लिया।
राज बब्बर ने स्मिता पाटिल से शादी करने के लिए अपनी पत्नी नादिरा को छोड़ दिया। पर नादिरा तलाक़ नहीं दिया। उनके नादिरा से दो बच्चे आर्य बब्बर और जूही बब्बर हैं। यहाँ दिलचस्प तथ्य यह है कि राज और नादिरा की बेटी जूही ने भी दो विवाह किये हैं। उन्होंने २००७ में बिजोय नाम्बियार से शादी की। फिर दो साल बाद उनसे तलाक़ ले कर २०११ में अभिनेता अनूप सोनी से विवाह कर लिया।
महेश भट्ट का पहला विवाह लॉरेन ब्राइट उर्फ़ किरण से हुआ। किरण से पूजा भट्ट और राहुल भट्ट का जन्म हुआ। पर किरण और महेश के संबंधों में खटास आ गयी। इसी बीच महेश भट्ट को अपनी फिल्म सारांश की नायिका सोनी राज़दान से इश्क़ हो गया। महेश भट्ट ने इस्लाम स्वीकार कर सोनी राजदान से शादी कर ली।
तलाक़, फिर शादी
कुछ सेलिब्रिटी की शादियां तलाक़ के बाद हुईं। आम तौर पर सेलिब्रिटी पति बनने के लिए तलाक़ लिया गया।
ऐसी ही कुछ शादियां -
१- बिजनेसमैन राज कुंद्रा ने २००९ में अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी से शादी करने के लिए अपनी पत्नी कविता को तलाक़ दे दिया। राज और शिल्पा एक बेटे के माता पिता बन चुके हैं।
२- टेनिस स्टार महेश भूपति जब अभिनेत्री लारा दत्ता के प्रेम में पड़े, श्वेत जयशंकर के पति थे। श्वेत से तलाक़ के बाद महेश ने लारा दत्ता से शादी की। इन दोनों के अभी एक लड़की हुई है।
३- करिश्मा कपूर और संजय कपूर के विवाह की दास्ताँ भी दिलचस्प है। उन दिनों करिश्मा कपूर अभिषेक बच्चन से डेटिंग कर रही थी. दोनों की मांगनी भी हो गयी थी। लेकिन, फिर यकायक, दोनों के सम्बन्ध टूट गए। करिश्मा ने उद्योगपति संजय कपूर से शादी कर ली, जो फैशन डिज़ाइनर नंदिता महतानी से विवाहित थे। करिश्मा और संजय समायरा और किआन के पेरेंट्स हैं।
४- आमिर खान ने अपनी बचपन की दोस्त रीना दत्ता से विवाह किया था। पंद्रह साल के वैवाहिक जीवन और पिता बनने के बाद आमिर खान का दिल अपनी सहायक किरण राव पर आ गया। उन्होंने १५ साल बाद रीना को तलाक़ दे कर किरण से शादी कर ली।
५- रवीना टंडन ने प्यार तो कई से किया। लेकिन शादी के लिए एक विवाहित पुरुष अनिल थडानी को चुना। अनिल ने अपनी पहली पत्नी नताशा सिप्पी को तलाक़ देकर रवीना टंडन से शादी कर ली।
६- जावेद अख्तर ने अपने संघर्षों के दिनों में हनी ईरानी का साथ पाया था। उन्होंने उन्ही दिनों हनी ईरानी से शादी कर ली। फरहान और ज़ोया इन दोनों की संताने हैं। फिर जावेद का दिल शबाना आज़मी पर आ गया। अख्तर ने ईरानी को तलाक़ देकर आज़मी से निकाह पढवा लिया।
७- कमलहासन दक्षिण की अभिनेत्री वाणी गणपति से विवाहित थे, जब उन्होंने सारिका को अपनी जीवन संगिनी चुना। उन्होंने वाणी को तलाक़ दे कर सारिका से विवाह किया। इन दोनों के दो बेटियां श्रुति और अक्षरा होने के बावजूद शादी चल नहीं सकी। दोनों ने तलाक़ ले लिया।
८- पहलवान दारा सिंह के बेटे बिंदु ने अभिनेत्री फराह से शादी की थी। कुछ साल तक दोनों का वैवाहिक जीवन काफी अच्छा चला। फिर विंदू के जीवन में मॉडल दिना आ गयीं। बिंदु ने फराह से तलाक ले कर दिना से विवाह कर लिया।
कुछ और तलाक़
बीआर चोपड़ा के सीरियल महाभारत के कृष्ण नीतीश भरद्वाज ने फेमिना की संपादक विमला पाटिल की बेटी मोनिषा से शादी की। लेकिन, दो बच्चों के बाद इन दोनों में तलाक़ हो गया. निर्देशक शेखर कपूर ने अभिनेत्री सुचित्रा कृष्णमूर्ति से शादी की। शादी के बाद सुचित्रा को महसूस हुआ कि पति शेखर कपूर के कारण उनके कलाकार को महत्व नहीं मिल पा रहा है। इसलिए उन्होंने शेखर से तलाक़ ले लिया। फिल्म निर्माता निर्देशक विक्रम भट्ट ने फिल्म आप मुझे अच्छे लगने में अपनी नायिका अमीषा पटेल की खातिर बीवी अदिति से तलाक़ ले कर अमीषा पटेल से शादी कर ली। लेकिन,यह शादी पांच साल से ज़्यादा नहीं टिक सकी। पंकज कपूर ने टीवी अभिनेत्री नीलिमा अज़ीम से शादी की। दोनों के पुत्र का नाम शाहिद कपूर है। फिर दोनों के संबंधों में खटास आ गयी। नीलिमा से अलगाव के बाद पंकज कपूर ने सुप्रिया पाठक से शादी कर ली। नीलिमा अज़ीम ने भी उस्ताद राजा अली खान से निकाह पढ़वा लिया। यह नीलिमा का तीसरा विवाह था। नीलिमा ने पंकज से पहले अभिनेता राजेश खट्टर से भी शादी की थी। पटौदी के नवाब सैफ अली खान ने अपने से ग्यारह साल बड़ी अमृता सिंह से प्रेम विवाह किया था। दोनों के बच्चे भी हुए। पर शादी टूट गयी। सैफ ने करीना कपूर को अपनी बेगम बना लिया। फ़िरोज़ खान ने सुंदरी से २० साल लम्बे वैवाहिक जीवन के बाद तलाक़ ले लिया था। विनोद खन्ना ने गीतांजलि से तलाक़ ओशो आश्रम में जाने के लिए लिया था। परन्तु जब वह वापस आये तो गीतांजलि पास नहीं, बल्कि उन्होंने कविता से शादी कर ली। तलाक़ के मामले में अभिनेत्री नंदिता दास भी पीछे नहीं। उन्होंने, सात साल के विवाह के बाद, वैचारिक मतभेदों के हवाले से सौम्य सेन से विवाह तोड़ लिया। फिर उन्होंने सुबोध मस्कारा से शादी कर ली। टीवी एक्ट्रेस श्वेता तिवारी ने राजा चौधरी से अपनी नौ साल की शादी को तोड़ कर अभिनेता अभिनव कोहली से शादी कर ली, जिनसे वह डेटिंग कर रही थी।
इन्होने बचा ली अपनी शादी
आम तौर पर सेलिब्रिटी के बीच की चख चख सुर्खियां पाती हैं। कभी कभी यह सुर्खियां तलाक़ की हद तक पहुँच जाती हैं। इसके बावजूद यह विवाह तलाक़ की दहलीज़ से वापस आ जाते हैं।
१-अमिताभ बच्चन और रेखा के बीच का रोमांस १९८० के दशक में काफी चर्चित हुआ था। उनके रोमांस की आग बच्चन परिवार तक पहुँचने लगी थी। ऐसा लगाने लगा था कि जया और अमिताभ विवाह टूट जायेगा। लेकिन, कुली से सेट पर हुई दुर्घटना ने सब कुछ बदल दिया। अमिताभ बच्चन केवल और केवल जया बच्चन के हो कर रह गए।
२- अस्सी के दशक में ही दिलीप कुमार और सायरा बानो का निकाह टूटने की नौबत आ गयी थी। खबर यह उड़ी कि दिलीप कुमार ने एक पाकिस्तानी महिल आस्मां से निकाह पढवा लिया है। लेकिन,सायरा बानो ने चतुराई बरतते हुए दिलीप कुमार को आस्मां को तलाक़ देने पर मज़बूर कर दिया।
३- कोई दस साल पहले यह खबर सुर्ख हुई थी कि अक्षय कुमार की कैसानोवा इमेज से ट्विंकल खन्ना नाराज़ हैं। वह खुद फ़िल्में करना चाहती हैं . यहाँ ख़ास बात यह थी कि इसी दौरान अक्षय का एक फिल्म अभिनेत्री से रोमांस सुर्ख हो रहा था। इसी समय ट्विंकल के एक ख़ास अभिनेता के साथ फिल्म करने की जिद्द ने आग में घी का काम किया। अब यह बात दीगर है कि बाद में खुद ट्विंकल ने अक्षय को एक औरत का आदमी बताते हुए मामला ख़त्म कर दिया।
४- जिन दिनों सुज़ैन रोशन अपने पति से अलग हो कर रह थीं और तलाक़ मांग रही थीं, उसी समय यह खबर सुर्ख हुई कि सुज़ैन के जीवन में अर्जुन रामपाल आ गए हैं। यह खबर अर्जुन की पत्नी मेहर के लिए वज्राघात जैसी थी। क्योंकि, मेहर और सुज़ैन आपस में गहरी दोस्त हैं। अब यह बात दीगर है कि अर्जुन ने खुद आगे आ कर इन खबरों का ज़ोरदार खंडन कर दिया।
Back in the '80s, reports claimed that Amitabh Bachchan's
alleged relationship with Rekha caused some trouble in his marriage
with Jaya Bachchan. However, the couple never gave in to the pressure of
reacting to such reports. They patiently waited for the media hype to
pass and eventually let time prove all those rumours just that -
rumours.
Veteran star Dilip Kumar too went through a tough time. In 1980, he reportedly parted ways with his then-wife Saira Banu to marry a Pakistani girl. But some sources claim that after he found out that she was cheating on him, he ended that relationship and re-married Banu.
In 2004, Akshay Kumar and Twinkle Khanna too had apparently called it quits. Reports claimed that Twinkle had asked Akshay to leave the house as she had found out about his affair with another actor. Their spat even took an ugly turn when Twinkle apparently slapped Akshay publicly in the lobby of a hotel and warned him against signing films with the particular actor. - See more at: http://www.hindustantimes.com/entertainment/tabloid/bollywood-stars-who-saved-their-marriages/article1-1163054.aspx#sthash.T9wtTJk9.dpuf
Veteran star Dilip Kumar too went through a tough time. In 1980, he reportedly parted ways with his then-wife Saira Banu to marry a Pakistani girl. But some sources claim that after he found out that she was cheating on him, he ended that relationship and re-married Banu.
In 2004, Akshay Kumar and Twinkle Khanna too had apparently called it quits. Reports claimed that Twinkle had asked Akshay to leave the house as she had found out about his affair with another actor. Their spat even took an ugly turn when Twinkle apparently slapped Akshay publicly in the lobby of a hotel and warned him against signing films with the particular actor. - See more at: http://www.hindustantimes.com/entertainment/tabloid/bollywood-stars-who-saved-their-marriages/article1-1163054.aspx#sthash.T9wtTJk9.dpuf
बीस साल बाद फिर डम्ब एंड डम्बर
सोमवार को हॉलीवुड फिल्म 'डम्ब एंड डम्बर टू' के प्रीमियर की रात कुछ खास थी। रेड कारपेट पर अभिनेता जिम कैर्री और जेफ्फ डेनियल्स एक साथ थे। इन दोनों अभिनेताओं के सेलिब्रिटी जीवन में यह मौका बीस साल बाद आया था। बीस साल पहले दो दिल के अच्छे पर थोड़ा मूर्ख दोस्तों की कहानी 'डम्ब एंड डम्बर ' रिलीज़ हुई थी। जिम कैर्री और जेफ्फ डेनियल्स इसमे दो दोस्तों लायड क्रिसमस और हैरी ड्यून की भूमिका कर रहे थे। १६ दिसंबर १९९४ को रिलीज़ डम्ब एंड डम्बर को समीक्षकों की मिश्रित प्रतिक्रिया मिली थी। लेकिन, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर सफल हुई थी। इसके बावजूद डम्ब एंड डम्बर का सीक्वल बनाने का कोई प्रयास नहीं हुआ। अब बीस साल बाद इस फिल्म का सीक्वल 'डम्ब एंड डम्बर टू ' १४ नवंबर को रिलीज़ होने जा रही है। सोमवार को लोस एंजेल्स में इसी फिल्म का प्रीमियर था, जिसमे यह दोनो ऑन स्क्रीन बडी के साथ थे। बीस साल बाद आये इस मौके पर जिम कैर्री की प्रतिक्रिया थी, "मेरे लिए बहुत शानदार। पूरी तरह से अलग था सब कुछ। "
'डैडी'ज़ होम' में विल फरेल और मार्क वह्ल्बर्ग की कॉमेडी जोड़ी
विल फेरेल और मार्क वह्ल्बर्ग की जोड़ी एक बार फिर बनने जा रही है। २०१० में इस जोड़ी की हास्य व्यंग्य से भरपूर कोप ड्रामा फिल्म द अदर गाइस को ठीक ठाक सफलता मिली थी। अब इस फोर्टी प्लस की जोड़ी को परदे पर लाने का काम 'दैट्स माय बॉय' के डायरेक्टर सीन एंडर्स कर रहे हैं। ब्रायन बर्न्स की लिखी एक रेडियो एग्जीक्यूटिव विल फेरेल की दो सौतेले बच्चो को पाने के लिए उनके वापस आये पिता से प्रतिस्पर्द्धा करने की कहानी पर फिल्म 'डैडी'ज़ होम' का निर्माण पैरामाउंट पिक्चर्स कर रहा है। इस फिल्म की शूटिंग इस साल के आखिर में शुरू हो जाएगी।
बेस्ट एनिमेटेड फीचर की श्रेणी में बीस फ़िल्में
ऑस्कर २०१४ की बेस्ट एनिमेटेड फीचर फिल्म की श्रेणी की पांच फिल्मों के नामांकन के लिए बीस एनीमेशन फिल्मों ने अपनी दावेदारी ठोंक दी है।आम तौर पर किसी श्रेणी में फिल्मों के नामांकन के लिए कम से कम १६ फिल्मों की प्रविष्टियाँ ज़रूरी हैं। लगातार चार सालों से ऑस्कर्स की इस श्रेणी के लिए ज़रूरी फिल्मों का कोटा पूरा हो गया है। ऑस्कर अवार्ड्स में बेस्ट एनिमेटेड फीचर की श्रेणी २००१ में शामिल की गयी थी। पहले दस सालों में २००२ से २००९ के बीच केवल दो बार ही पांच फ़िल्में इस श्रेणी में नामित हो पायीं थीं, बाकी आठ सालों में केवल ३-३ नामांकन ही हो पाये थे। इस साल नामांकन के लिए प्राप्त २० फिल्मों में डिज्नी की 'बिग हीरो ६', ड्रीम वर्क्स एनीमेशन की 'हाउ टू ट्रेन योर ड्रैगन २', वार्नर ब्रदर्स की 'द लेगो मूवी' लइका की द बॉक्सट्रॉल्स' और फॉक्स की द बुक ऑफ़ द लाइफ' उल्लेखनीय हैं। दो बहु चर्चित विदेशी फ़िल्में आयरिश भाषा की 'सांग ऑफ़ द सी' और जापानी फिल्म 'द टेल ऑफ़ द प्रिंसेस कागुया' भी बीस प्रविष्टियों में हैं। इस बार ख़ास बात यह हुई है कि पिछले १३ सालों में ७ बार पुरस्कार जीतने वाले स्टुडिओ पिक्सर की कोई भी फिल्म नामांकन के लिए दौड़ में नहीं है। इस प्रकार से बेस्ट एनिमेटेड फीचर की श्रेणी में बिग हीरो ६, द बुक ऑफ़ लाइफ, द बॉक्सट्रॉल्स, चीटिंग, गिओवन्निज आइलैंड, हेनरी एंड मी , द हीरो ऑफ़ कलर सिटी, हाउ टू ट्रैन योर ड्रैगन, जैक एंड द कुकु-क्लॉक हार्ट, लेजेंड्स ऑफ़ ओज- डोरोथीज रिटर्न , द लेगो मूवी, मीनुसूले- वैली ऑफ़ द लॉस्ट अंट्स , मिस्टर पीबॉय एंड शेर्मन, पेंगुइन्स ऑफ़ मेडागास्कर, द पायरेट फेयरी, प्लान्स: फायर एंड रेस्क्यू, रिओ २, रॉक्स इन माय पॉकेट्स, सांग ऑफ़ द सी, द टेल ऑफ़ द प्रिंसेस कागुया फ़िल्में शामिल की गयी हैं। बेस्ट एनिमेटेड फीचर की श्रेणी में नामित फिल्मों के नाम अगले साल १५ जनवरी को घोषित किये जायेंगे। ८७ वें अकादमी अवार्ड्स रविवार २२ फरवरी को दिए जायेंगे।
अल्पना कांडपाल
अल्पना कांडपाल
माइकल फॉस्बेंडर बनेंगे स्टीव जॉब्स !
भारत में स्लमडॉग मिलियनेयर फिल्म से मशहूर निर्देशक डैनी बॉयल के सितारे इधर कुछ अच्छे नहीं चल रहे। उन्होंने काफी पहले एप्पल के को-फाउंडर स्टीव जॉब्स पर फिल्म बनाने की घोषणा की थी। सबसे पहले अभिनेता लिओनार्डो डीकेप्रिओ को स्टीव जॉब्स के रोल के लिए लगभग फाइनल कर लिया गया था। उन्होंने इस भूमिका पर काम करना भी शुरू कर दिया था। लेकिन, एक दिन यकायक उन्होंने खुद ही फिल्म छोड़ने का ऐलान कर दिया। फिर लेखक आरोन सल्किन की इस फिल्म में क्रिस्चियन बेल को लिए जाने की खबर सुर्ख हुई। फिल्म में एप्पल के दूसरे को-फाउंडर स्टीव वोज़नियक की भूमिका के लिए सेठ रोगन को ले लिया गया था। अब खुद आरोन सल्किन ने यह ऐलान कर दिया है कि स्टीव जॉब्स की भूमिका क्रिस्चियन बेल नहीं कर रहे। वह 'बहुत सोच विचार और विरोधी विचारों' के कारण फिल्म से बाहर हो गए हैं। यह विरोधी विचार क्या थे, साफ़ नहीं किया गया है। क्रिस्चियन भी ऐसे समय में बाहर हुए, जब ऐसा लग रहा था कि फिल्म फ्लोर पर जाने ही वाली है। अब मालूम हुआ है कि स्टीव जॉब्स के रोल के लिए लिए डैनी बॉयल के जेहन में माइकल फॉस्बेंडर का नाम पहले से ही चल रहा था। ऐसे में जब कि क्रिस्चियन बेल फिल्म से बाहर हो चुके हैं माइकल फॉस्बेंडर के लिए रास्ता साफ़ लगता है। हालाँकि, फिल्म के लिए माइकल का नाम शुरूआती दौर में ही है, लेकिन, स्टीव जॉब्स से मिलती शक्ल और अपनी अभिनय क्षमता के चलते वह अंतिम चुनाव साबित हो सकते हैं। स्टीव जॉब्स पर फिल्म की कहानी उनके जीवन और एप्पल की स्थापना की तीन महत्वपूर्ण घटनाओं मैक की लॉन्चिंग, कंपनी से हटाये जाने के बाद स्टीव का नेक्स्ट (NeXT) स्थापना और iPod की लॉन्चिंग में बंटी हुई है। हर घटना को तीस तीस मिनट की कहानी में पिरोया गया है।
अल्पना कांडपाल
अल्पना कांडपाल
किल/दिल ने रोक बाजीराव मस्तानी को !
संजयलीला भंसाली की फिल्म बाजीराव मस्तानी की शूटिंग फिलहाल रुक गयी है। फिल्म की शूटिंग रुकने का जिम्मेदार रणवीर सिंह होते हुए भी नहीं हैं. उन्होंने, अपनी बाजीराव की भूमिका के लिए अपने लम्बे बालों की बलि पहले ही चढ़ा दी थी। बाजीराव, फिल्म बाजीराव मस्तानी का मुख्य किरदार है। इसलिए बाजीराव मस्तानी की शूटिंग बिना रणवीर सिंह के हो ही नहीं सकती थी। परन्तु, रणवीर सिंह फिर से चोटिल नहीं हो गए हैं। वह स्वस्थ एवं प्रसन्न प्रचार में जुटे हुए हैं। रणवीर सिंह की अली ज़फर के साथ मुख्य भूमिका वाली फिल्म किल/दिल को रिलीज़ होने में सिर्फ दो हफ्ते बचे हैं। रणवीर सिंह इस फिल्म के प्रचार में बिलकुल समय नहीं दे पाये हैं। यह फिल्म यशराज फिल्म्स जैसे बड़े बैनर की फिल्म है। रणवीर सिंह और खुद बाजीराव मस्तानी के निर्माता संजय लीला भंसाली भी इस बैनर की उपेक्षा नहीं कर सकते थे। इसलिए, रणवीर सिंह को किल/दिल के प्रचार के लिए बाजीराव के करैक्टर से छुट्टी लेनी पड़ी और वह किल/दिल के प्रचार में जुट गए। ऐसे में, जब बाजीराव मस्तानी का बाजीराव नदारद था तो मस्तानी कैसे मस्त हो सकती थी। इसलिए फिल्मसिटी में चल रही बाजीराव मस्तानी की शूटिंग रोक दी गयी।
अर्जुन रामपाल के साथ सोनी राजदान का 'लव अफेयर' !
अब यह तय हो गया है कि अर्जुन रामपाल 'लव अफेयर' करेंगे। अर्जुन रामपाल का यह रील लाइफ लव अफेयर निर्माता पूजा भट्ट की सोनी राज़दान निर्देशित फिल्म लव अफेयर में होगा । लव अफेयर १९५९ में मुंबई में हुए सनसनीखेज नानावती कांड पर आधारित है। हालाँकि, पूजा भट्ट अपनी फिल्म को नानावती कांड पर फिल्म नहीं कहती। वह इसे एक औरत के विवाहेत्तर संबंधों पर फिल्म बताती हैं, जिसमे आपराधिक मोड़ आ जाता है। लेकिन, पति, पत्नी और पत्नी के वह की यह कहानी पूरी तरह से नानावती कांड जैसी ही है। १९५९ में पूरे देश में इस खबर के कारण सनसनी फ़ैल गयी थी कि नेवी के कमांडर कवास मानेकशॉ नानावती ने अपनी पत्नी के प्रेमी और बिज़नेस मैन प्रेम आहूजा की अपने सर्विस रिवाल्वर से गोली दाग कर हत्या कर के पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया था। इस केस को आज के मशहूर वकील राम जेठमलानी ने लड़ा था। पूजा भट्ट की फिल्म लव की कहानी में यह समानता है। ध्यान रहे कि फिल्म निर्माता निर्देशक स्वर्गीय सुनील दत्त ने इसी हत्याकांड से प्रेरित होकर फिल्म यह रास्ते हैं प्यार के का निर्माण किया था। इस फिल्म में नानावती का किरदार खुद सुनील दत्त ने किया था। उनकी स्क्रीन वाइफ लीला नायडू बनी थीं। नायडू के प्रेमी रहमान बने थे। मोतीलाल सरकारी वकील बने थे और बचाव पक्ष के वकील अशोक कुमार बने थे। इतने बड़े कलाकारों के बावजूद यह रास्ते हैं प्यार के बॉक्स ऑफिस पर असफल रही थी। अब पूजा भट्ट ऐसा दूसरा प्रयास कर रही हैं तो सुनील दत्त का रोल करने के लिए अर्जुन रामपाल शामिल किये गए हैं। कल्कि कोएच्लिन लीला नायडू की सैंडल पहनेंगी। गुलशन देवैया रहमान वाले रोल में होंगे। रील लाइफ राम जेठमलानी अभिनेता चन्दन रॉय सान्याल बने हैं।
Tuesday 4 November 2014
बॉक्स ऑफिस को किस रंग में रंगेंगे शौक़ीनस
क्या बॉलीवुड को बॉक्स ऑफिस पर धमाके के लिए दिसंबर का इंतज़ार करना होगा, जब आमिर खान की फिल्म 'पीके ' और अजय देवगन की फिल्म 'एक्शन जैक्सन' रिलीज़ होगी! बॉक्स ऑफिस पर धमाके के लिहाज़ से तो ऐसे ही लगता है। लेकिन, नवंबर में कुछ ऎसी फ़िल्में हैं, जो गुनगुनी सर्दी में मस्त दर्शकों को सिनेमाघरों तक खींच ला सकती है। ऎसी ही एक फिल्म निर्माता अक्षय कुमार की तीन शौक़ीन बुड्ढों की एक जवान लड़की से एक तरफा रोमांस की फिल्म 'द शौक़ीनस' दर्शकों को आकर्षित कर सकती है। यह फिल्म १९८० में रिलीज़ हृषिकेश मुख़र्जी की फिल्म शौक़ीन का रीमेक है। निर्देशक अभिषेक शर्मा की फिल्म द शौक़ीनस अक्षय कुमार के कारण दर्शकों को उतना आकर्षित नहीं करेगी, जितने अपनी चतुर कॉमेडी और तीन शौक़ीन बुड्ढों अन्नू कपूर, पियूष शर्मा और अनुपम खेर के बीच की केमिस्ट्री और उनके स्वाभाविक अभिनय के कारण। क्योंकि, फिल्म में अक्षय कुमार की भूमिका ग्लोरिफ़िएड एक्स्ट्रा या एक्सटेंडेड गेस्ट रोल जैसी है।
जब सदाशिव अमरापुरकर को पड़ी गालियां!
१८ नवंबर १९८३। लखनऊ का कैपिटल सिनेमा। इस सिनेमाहॉल में गोविन्द निहलानी
की फिल्म अर्द्धसत्य रिलीज़ हो रही थी। उस समय तक आक्रोश और विजेता फिल्म
से गोविन्द निहलानी चर्चित निर्देशक बन चुके थे। आक्रोश के भीकू लहन्या के
कारण ओम पूरी का गहरे चेचक के दंगों से भरा चेहरा दर्शकों के दिमाग पर
असर कर चुका था। अर्द्ध सत्य में ओम पूरी पुलिस अधिकारी अनंत वेलणेकर का
किरदार कर रहे थे। फिल्म शुरू हुई। दर्शक घटनाक्रम में उलझता चला गया।
फिल्म के अंत में अनंत नेता का गला घोट कर मार देता है। पूरा सिनेमाघर
दर्शकों की जोशीली तालियों से गूँज रहा था। यह तमाम तालियां अनंत वेलणेकर
यानि ओम पुरी की जीत के लिए थीं। लेकिन, दर्शकों के दिमाग में रामा
शेट्टी घूम रहा था। रामा शेट्टी, जो भ्रष्ट नेता था। वह अनंत वेलणकर का
हर तरह से शोषण करता है। लेकिन, जब वह उसके ज़मीर को ललकारता है तो अनंत
उसे मार देता है। दर्शक पूरी फिल्म में रामा शेट्टी की भृकुटियों, उसके
माथे की सलवटों और कुटिल संवाद अदायगी से उबाल रहा था। इसी लिए जब लखनऊ का
पहले शो का दर्शक सिनेमाघर से बाहर निकला, तब जुबां पर अनंत वेलणेकर से
ज़्यादा रामा शेट्टी का नाम था। बाहर निकालता दर्शक रामा शेट्टी को गंदी
गालियां बक रहा था। इस रामा शेट्टी को इस क़दर क़दर दर्शकों के जेहन पर
बैठाने का काम किया था मराठी थिएटर और फिल्मों के अभिनेता सदाशिव
अमरापुरकर ने। इसके बाद , लखनऊ के फिल्म प्रेमियों ने सदाशिव अमरापुरकर की
बुरे और
सुहृदय चरित्र वाली फ़िल्में केवल उनके कारण ही देखी थी। हुकूमत और इश्क़
की सफलता इसका प्रमाण है।
११ मई १९५० को जन्मे गणेश कुमार नर्वोडे, जब २४ साल बाद सदाशिव नाम से रंगमंच पर उतरे थे, उस समय शायद ही किसी को एहसास रहा होगा कि यह गहरे रंग वाला अहमदनगर में पैदा हुआ व्यक्ति एक दिन बॉलीवुड को एक नयी विधा देगा। अर्द्धसत्य के रामा शेट्टी के ज़रिये ही बॉलीवुड के दर्शकों का परिचय सदाशिव अमरापुरकर से हुआ । इस फिल्म में सदाशिव की संवाद अदायगी का ख़ास चुभता लहज़ा और माथे में पड़ती सलवटें हिंदी फिल्मों के खलनायक की नहीं परिभाषा गढ़ रही थी । अर्द्ध सत्य के हिट होते ही सदाशिव अमरापुरकर के रूप में हिंदी फिल्मों को भिन्न शैली में संवाद बोलने वाला विलेन और चरित्र अभिनेता मिल गया । इस फिल्म के लिए सदाशिव अमरापुरकर को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला । इस फिल्म के बाद उन्हें जवानी, आर पार, तेरी मेहरबानियाँ, खामोश, आखिरी रास्ता, मुद्दत और हुकूमत जैसी बड़ी फ़िल्में मिल गयीं । हालाँकि, इन फिल्मों में ज़्यादातर में उन्हें नेगेटिव रोल ही मिले । हुकूमत के वह मुख्य विलेन थे । सदाशिव अमरापुरकर अपने करियर के शीर्ष पर पहुंचे महेश भट्ट की फिल्म सड़क से । इस फिल्म में उन्होने औरत के वेश में रहने वाले खल नायक महारानी का किरदार किया था । इस फिल्म के लिए सदाशिव अमरापुरकर को पहली बार स्थापित फिल्मफेयर का श्रेष्ठ खल अभिनेता का पुरस्कार मिला । नब्बे के दशक के मध्य में सदाशिव अमरापुरकर के करियर को कॉमेडी मोड़ मिला । उन्होंने डेविड धवन की फिल्म आँखें में इंस्पेक्टर प्यारे मोहन का कॉमिक किरदार किया था । सदाशिव अमरापुरकर और कादर खान ने एक साथ दिल लगा के देखों, हम हैं कमाल के, ऑंखें, आग, द डॉन, कुली नंबर १, याराना, छोटे सरकार,मेरे दो अनमोल रतन, आंटी नंबर १,बस्ती, परवाना, खुल्लम खुल्ला प्यार करें , कोई मेरे दिल में है, झाँसी की रानी, हम हैं धमाल के और दीवाने तथा गोविंदा के साथ आँखें, आंटी नंबर १, कुली नंबर १, दो आँखें बारह हाथ, राजा भैया को भी अच्छी सफलता मिली । इन कॉमेडी फिल्मों के बीच सदाशिव अमरापुरकर ने एक बार भी खल नायिकी के हुनर दिखाए फिल्म इश्क़ में । वह इस फिल्म में अजय देवगन के अमीर पिता बने थे। सदाशिव अमरापुरकर ने अपने पूरे फिल्म करियर में दो सौ से ज़्यादा फिल्मों में भिन्न किरदार किये । उन्हें हमेशा यह मलाल रहा कि हिंदी फिल्म निर्माताओं ने उन्हें टाइप्ड भूमिकाएं ही दी । इसीलिए उन्होंने धीरे धीरे कर हिंदी फिल्मों में अभिनय करना कम कर दिया । उनकी आखिरी फिल्म बॉम्बे टॉकीज २०१३ में रिलीज़ हुई थी । सदाशिव अमरापुरकर के दौर में कादर खान, परेश रावल, अनुपम खेर, आदि जैसे मज़बूत चरित्र अभिनेता थे । उन्होंने इन सशक्त हस्ताक्षरों के बीच अपने ख़ास अंदाज़ में अपनी ख़ास जगह बनायी । इससे साबित होता है कि अमरापुरकर हिंदी फिल्मों के हरफनमौला सदाशिव थे।
११ मई १९५० को जन्मे गणेश कुमार नर्वोडे, जब २४ साल बाद सदाशिव नाम से रंगमंच पर उतरे थे, उस समय शायद ही किसी को एहसास रहा होगा कि यह गहरे रंग वाला अहमदनगर में पैदा हुआ व्यक्ति एक दिन बॉलीवुड को एक नयी विधा देगा। अर्द्धसत्य के रामा शेट्टी के ज़रिये ही बॉलीवुड के दर्शकों का परिचय सदाशिव अमरापुरकर से हुआ । इस फिल्म में सदाशिव की संवाद अदायगी का ख़ास चुभता लहज़ा और माथे में पड़ती सलवटें हिंदी फिल्मों के खलनायक की नहीं परिभाषा गढ़ रही थी । अर्द्ध सत्य के हिट होते ही सदाशिव अमरापुरकर के रूप में हिंदी फिल्मों को भिन्न शैली में संवाद बोलने वाला विलेन और चरित्र अभिनेता मिल गया । इस फिल्म के लिए सदाशिव अमरापुरकर को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला । इस फिल्म के बाद उन्हें जवानी, आर पार, तेरी मेहरबानियाँ, खामोश, आखिरी रास्ता, मुद्दत और हुकूमत जैसी बड़ी फ़िल्में मिल गयीं । हालाँकि, इन फिल्मों में ज़्यादातर में उन्हें नेगेटिव रोल ही मिले । हुकूमत के वह मुख्य विलेन थे । सदाशिव अमरापुरकर अपने करियर के शीर्ष पर पहुंचे महेश भट्ट की फिल्म सड़क से । इस फिल्म में उन्होने औरत के वेश में रहने वाले खल नायक महारानी का किरदार किया था । इस फिल्म के लिए सदाशिव अमरापुरकर को पहली बार स्थापित फिल्मफेयर का श्रेष्ठ खल अभिनेता का पुरस्कार मिला । नब्बे के दशक के मध्य में सदाशिव अमरापुरकर के करियर को कॉमेडी मोड़ मिला । उन्होंने डेविड धवन की फिल्म आँखें में इंस्पेक्टर प्यारे मोहन का कॉमिक किरदार किया था । सदाशिव अमरापुरकर और कादर खान ने एक साथ दिल लगा के देखों, हम हैं कमाल के, ऑंखें, आग, द डॉन, कुली नंबर १, याराना, छोटे सरकार,मेरे दो अनमोल रतन, आंटी नंबर १,बस्ती, परवाना, खुल्लम खुल्ला प्यार करें , कोई मेरे दिल में है, झाँसी की रानी, हम हैं धमाल के और दीवाने तथा गोविंदा के साथ आँखें, आंटी नंबर १, कुली नंबर १, दो आँखें बारह हाथ, राजा भैया को भी अच्छी सफलता मिली । इन कॉमेडी फिल्मों के बीच सदाशिव अमरापुरकर ने एक बार भी खल नायिकी के हुनर दिखाए फिल्म इश्क़ में । वह इस फिल्म में अजय देवगन के अमीर पिता बने थे। सदाशिव अमरापुरकर ने अपने पूरे फिल्म करियर में दो सौ से ज़्यादा फिल्मों में भिन्न किरदार किये । उन्हें हमेशा यह मलाल रहा कि हिंदी फिल्म निर्माताओं ने उन्हें टाइप्ड भूमिकाएं ही दी । इसीलिए उन्होंने धीरे धीरे कर हिंदी फिल्मों में अभिनय करना कम कर दिया । उनकी आखिरी फिल्म बॉम्बे टॉकीज २०१३ में रिलीज़ हुई थी । सदाशिव अमरापुरकर के दौर में कादर खान, परेश रावल, अनुपम खेर, आदि जैसे मज़बूत चरित्र अभिनेता थे । उन्होंने इन सशक्त हस्ताक्षरों के बीच अपने ख़ास अंदाज़ में अपनी ख़ास जगह बनायी । इससे साबित होता है कि अमरापुरकर हिंदी फिल्मों के हरफनमौला सदाशिव थे।
Monday 3 November 2014
रसूख वाला बॉय फ्रेंड ज़रूरी है- श्रेया नारायण
यों तो श्रेया नारायण का प्रोफाइल काफी भरा पूरा है। उनके खाते में नॉक आउट, कुछ करिये, राजनीति, तनु वेड्स मनु, सम्राट एंड क., साहब बीवी और गैंगस्टर, रॉक ऑन, आदि फ़िल्में दर्ज हैं। रेखा के साथ इंद्र कुमार की फिल्म सुपर नानी पिछले शुक्रवार रिलीज़ हुई है। इस फिल्म में वह रेखा की बहु के किरदार में हैं, जो फिल्म अभिनेत्री बना चाहती हैं। पेश है उनसे हुई बातचीत -
१- सुपर नानी रिलीज़ हो चुकी है। कैसा लग रहा है ?
मेरे पेट में मरोड़ जैसी उठ रही थी। मैं लम्बे समय बाद काम पर लौटी थी। मैं अपनी माँ की बीमारी के कारण कोई दो साल तक फिल्म नहीं कर पायी। वह इस फिल्म को देखना चाहती थीं, लेकिन, जब तक फिल्म पूरी होती उनकी डेथ हो गयी।
२- रेखा और रणधीर कपूर जैसे वरिष्ठ कलाकारों के साथ फिल्म का अनुभव कैसा रहा ? कोई तनाव ?
हाँ, होता है। आप इतने वरिष्ठ कलाकारों की वरिष्ठता और सम्मान के प्रति सतर्क रहते हो। लेकिन, आपको अपना ख्याल भी रखना होता है। कभी इतने वरिष्ठों के साथ काम बेहतर हो जाता है। कभी सामान्य से कम भी। यह डायरेक्टर पर निर्भर करता है कि वह बैलेंस कैसे बनाता है।
३- अन्य फिल्मों के चरित्रों के मुकाबले सुपर नानी में आपका किरदार कैसा है ?
मैंने वायआरएफ की सीरीज पाउडर में एक पुलिस की मुखबिर धंधे वाली का किरदार किया था। मैं साहब बीवी और गैंगस्टर में महुआ रखैल का किरदार कर रही थी। रॉकस्टार में मेरा कैमिया था। मैंने ज़्यादातर फिल्मों में सेक्सी और ग्लैमरस रोल किये हैं। पर इन सब से अलग है मेरा सुपर नानी का किरदार। यह पूरी तरह से हास्य से भरपूर है।
४- रॉकस्टार की छोटी भूमिका करने का क्या नजरिया था ?
मुझे लोग आज भी उस रोल के लिए याद रखते हैं। यह दिमाग को झिंझोड़ देने वाली भूमिका थी। मैंने इसमे अपनी अभिनय शक्ति दिखायी थी। मैं समझती हूँ कि विश्व के किसी भी सिनेमा में छोटे मगर प्रभावशाली रोल का महत्व होता है।
५- बतौर एक्टर और बतौर सामान्य स्त्री आपकी चाहत क्या है ?
मैं चुनौतीपूर्ण भूमिका करना चाहती हूँ, जो पिछली भूमिका से भिन्न हो । हर रोल में भिन्नता होनी चाहिए। नहीं तो सब बोरिंग हो जाता है। वैसे मैं एक प्यारी सी पारिवारिक ज़िन्दगी चाहती हूँ। मैं अपने सपने पूरे करना चाहती हूँ। मेरा हमेशा कोई लक्ष्य होता है, और मैं उसी के अनुसार काम करती हूँ। इससे ज़िंदगी सकारात्मक हो जाती है।
६- आपकी राजनीतिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि है। क्या आप कभी राजनीति में जाना चाहेंगी ?
हाँ बिलकुल। मैं मैनेज कर पाने में सक्षम हूँ। मैं दबाव झेल सकती हूँ। मैं ख़राब से खराब परिस्थितियों में भी संयम नहीं खोती। मैंने अपनी माँ के कैंसर के दिनों में मृत्य की चुनौती झेली है।
७- बॉलीवुड में नए चेहरों की भरमार हो रही है। आप इन्हे क्या सलाह देना चाहेंगी ?
अगर आप इंडस्ट्री से नहीं हैं तो मिस इंडिया बनिए। ऑडिशन में समय बर्बाद मत कीजिये। किसी स्टार को या ताकतवर रसूखवाले पुरुष को मित्र बनाइये। अगर यह नहीं है तो आप समय बर्बाद करते हैं। अगर आपमे प्रतिभा नहीं भी है घबराइये नहीं। अच्छा चेहरा मोहरा, कनेक्शन और कम कपडे आपके काफी काम आएंगे।
८- आपको कौन या क्या प्रेरणा देता है ?
न्याय के लिए संघर्ष मुझे प्रेरित करता है। सादगी और दयालुता सबसे बड़े इंस्पिरेशन है। ऐसे सामान्य लोग, जो अपनी कमियों के बावजूद दूसरों के लिए करने को तैयार रहते हैं, मेरे प्रेरक हैं। मुझे मेरे दोस्त और परिवार प्रेरणा देता है। मैं किसी से भी प्रेरणा ले सकती हूँ, अगर मेरी ज़िंदगी के लिए सार्थक हो, मेरे बौद्धिक लक्ष्य को पाने में सहायक हो।
राजेंद्र कांडपाल
१- सुपर नानी रिलीज़ हो चुकी है। कैसा लग रहा है ?
मेरे पेट में मरोड़ जैसी उठ रही थी। मैं लम्बे समय बाद काम पर लौटी थी। मैं अपनी माँ की बीमारी के कारण कोई दो साल तक फिल्म नहीं कर पायी। वह इस फिल्म को देखना चाहती थीं, लेकिन, जब तक फिल्म पूरी होती उनकी डेथ हो गयी।
२- रेखा और रणधीर कपूर जैसे वरिष्ठ कलाकारों के साथ फिल्म का अनुभव कैसा रहा ? कोई तनाव ?
हाँ, होता है। आप इतने वरिष्ठ कलाकारों की वरिष्ठता और सम्मान के प्रति सतर्क रहते हो। लेकिन, आपको अपना ख्याल भी रखना होता है। कभी इतने वरिष्ठों के साथ काम बेहतर हो जाता है। कभी सामान्य से कम भी। यह डायरेक्टर पर निर्भर करता है कि वह बैलेंस कैसे बनाता है।
३- अन्य फिल्मों के चरित्रों के मुकाबले सुपर नानी में आपका किरदार कैसा है ?
मैंने वायआरएफ की सीरीज पाउडर में एक पुलिस की मुखबिर धंधे वाली का किरदार किया था। मैं साहब बीवी और गैंगस्टर में महुआ रखैल का किरदार कर रही थी। रॉकस्टार में मेरा कैमिया था। मैंने ज़्यादातर फिल्मों में सेक्सी और ग्लैमरस रोल किये हैं। पर इन सब से अलग है मेरा सुपर नानी का किरदार। यह पूरी तरह से हास्य से भरपूर है।
४- रॉकस्टार की छोटी भूमिका करने का क्या नजरिया था ?
मुझे लोग आज भी उस रोल के लिए याद रखते हैं। यह दिमाग को झिंझोड़ देने वाली भूमिका थी। मैंने इसमे अपनी अभिनय शक्ति दिखायी थी। मैं समझती हूँ कि विश्व के किसी भी सिनेमा में छोटे मगर प्रभावशाली रोल का महत्व होता है।
५- बतौर एक्टर और बतौर सामान्य स्त्री आपकी चाहत क्या है ?
मैं चुनौतीपूर्ण भूमिका करना चाहती हूँ, जो पिछली भूमिका से भिन्न हो । हर रोल में भिन्नता होनी चाहिए। नहीं तो सब बोरिंग हो जाता है। वैसे मैं एक प्यारी सी पारिवारिक ज़िन्दगी चाहती हूँ। मैं अपने सपने पूरे करना चाहती हूँ। मेरा हमेशा कोई लक्ष्य होता है, और मैं उसी के अनुसार काम करती हूँ। इससे ज़िंदगी सकारात्मक हो जाती है।
६- आपकी राजनीतिक और शैक्षणिक पृष्ठभूमि है। क्या आप कभी राजनीति में जाना चाहेंगी ?
हाँ बिलकुल। मैं मैनेज कर पाने में सक्षम हूँ। मैं दबाव झेल सकती हूँ। मैं ख़राब से खराब परिस्थितियों में भी संयम नहीं खोती। मैंने अपनी माँ के कैंसर के दिनों में मृत्य की चुनौती झेली है।
७- बॉलीवुड में नए चेहरों की भरमार हो रही है। आप इन्हे क्या सलाह देना चाहेंगी ?
अगर आप इंडस्ट्री से नहीं हैं तो मिस इंडिया बनिए। ऑडिशन में समय बर्बाद मत कीजिये। किसी स्टार को या ताकतवर रसूखवाले पुरुष को मित्र बनाइये। अगर यह नहीं है तो आप समय बर्बाद करते हैं। अगर आपमे प्रतिभा नहीं भी है घबराइये नहीं। अच्छा चेहरा मोहरा, कनेक्शन और कम कपडे आपके काफी काम आएंगे।
८- आपको कौन या क्या प्रेरणा देता है ?
न्याय के लिए संघर्ष मुझे प्रेरित करता है। सादगी और दयालुता सबसे बड़े इंस्पिरेशन है। ऐसे सामान्य लोग, जो अपनी कमियों के बावजूद दूसरों के लिए करने को तैयार रहते हैं, मेरे प्रेरक हैं। मुझे मेरे दोस्त और परिवार प्रेरणा देता है। मैं किसी से भी प्रेरणा ले सकती हूँ, अगर मेरी ज़िंदगी के लिए सार्थक हो, मेरे बौद्धिक लक्ष्य को पाने में सहायक हो।
राजेंद्र कांडपाल
सलमान खान की बॉक्स ऑफिस पर 'जय' कराने वाले 'बोरडे'
जहाँ एक तरफ तमाम वेब पेज, अख़बार और सोशल साइट्स पर चरित्र अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर के दुखद निधन के समाचार से भरे हुए थे, वहीँ एक दिन पहले स्वर्गवासी हुए नृत्य निर्देशक जय बोरडे का कोई नाम लेवा तक नहीं था। अलबत्ता, सलमान खान ने ट्विटर पेज पर उनके निधन पर शोक ज़रूर व्यक्त किया था। सलमान खान का जय बोरडे को याद करना स्वाभाविक था। सलमान खान के स्टारडम पर जय बोरडे के डांस स्टेप्स का बड़ा योगदान था। उन्होंने सलमान खान की पहली सुपर डुपर हिट फिल्म मैंने प्यार किया का नृत्य निर्देशन किया था। इस फिल्म ने सलमान खान को टॉप पर पहुँचाने में मदद की। इसके बाद जय बोरडे सलमान खान और राजश्री की सभी फिल्मों का निर्देशन कर रहे थे। उन्होंने कुदरत, कसम पैदा करने वाले की और लव इन गोवा के नृत्य निर्देशन में सह भूमिका निभाई थी। उन्हें स्वतंत्र रूप से किसी फिल्म की कोरियोग्राफी करने का मौका नसीरुद्दीन शाह की फिल्म हीरो हीरालाल से मिला। उन्होंने सलमान खान की बाग़ी, सनम बेवफा, कुर्बान, सूर्यवंशी, एक लड़का एक लड़की, निश्चय, हम आपके हैं कौन, वीरगति और हम साथ साथ हैं का नृत्य निर्देशन भी किया था। ग़दर एक प्रेमकथा में सनी देओल जैसे नृत्य के गैर जानकार अभिनेता से मैं निकला गड्डी लेकर जैसे गीत पर नृत्य करा ले जाना जय बोरडे की प्रतिभा का ही कमाल था। उन्होंने राजश्री की मैं प्रेम की दीवानी हूँ और विवाह फिल्मों का नृत्य निर्देशन भी किया। उन्हें फिल्म हम आपके हैं कौन के नृत्य निर्देशन के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार भी मिला। जय बोरडे निधन पर दुःख व्यक्त करते हुए सलमान खान ने कहा, "जय मेरे प्रिय कोरियोग्राफर थे। मैंने उनके साथ हम आपके हैं कौन,मैंने प्यार किया, हम साथ साथ हैं, आदि के गीतों पर स्टेप्स करने का पूरा पूरा आनंद लिया था। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दे।
सदाशिव के रामा शेट्टी ने हिंदी फिल्मों के विलेन को नए आयाम दिए थे
११ मई १९५० को जन्मे गणेश कुमार नर्वोडे , जब २४ साल बाद सदाशिव नाम से रंगमंच पर उतरे थे, उस समय शायद ही किसी को एहसास रहा होगा कि यह गहरे रंग वाला अहमदनगर में पैदा हुआ व्यक्ति एक दिन बॉलीवुड को एक नयी विधा देगा। १९७४ में मराठी नाटकों से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले सदाशिव ने १९७४ में पहली मराठी फिल्म अमरस पा ली. शुरू में सदाशिव को मराठी फिल्मों में छोटे रोल ही मिले। उन्हें बड़ा और मशहूर करने वाला रोल मिला मराठी फिल्म बाल गंगाधर तिलक में तिलक का । इस फिल्म के बाद सदाशिव ने कई मराठी फ़िल्में की। उन्होंने अपनी फिल्म निर्माण कंपनी अंजना आर्ट्स के तहत मराठी फ़िल्में भी बनायी । इसी दौरान बॉलीवुड कला फिल्मों की आलोचना हो रही थी कि यह कूड़ा फ़िल्में हैं, इनका आम दर्शकों से ख़ास सरोकार भी नहीं होता, जिन्हे ज़्यादा दर्शक देखता ही नहीं । उस दौरान श्याम बेनेगल का सिनेमा चर्चित हो रहा था । उनके सिनेमा को जीवंत करने का काम श्याम के सिनेमेटोग्राफर गोविन्द निहलानी कर रहे थे । गोविन्द निहलानी जब सिनेमा बनाने उतरे तो उन्होंने मेंटर श्याम बेनेगल से थोड़ा हट कर रास्ता चुना । श्याम बेनेगल की फिल्मों के दबे कुचले किरदार गोविन्द निहलानी की फिल्म में आकर आक्रोशित हो रहे थे । ओमपुरी की मुख्य भूमिका वाली फिल्म आक्रोश ऎसी ही फिल्म थी । इस फिल्म ने कला फिल्मों के शोषित नायक को भी विद्रोही चोला पहना दिया । कला सिनेमा और मुख्य धारा के बीच सेतु का काम किया गोविन्द निहलानी की फिल्म अर्द्धसत्य ने । यह फिल्म व्यवस्था के नीचे दबे हुए एक पुलिस अधिकारी अनंत वेलणेकर के विद्रोह की थी । एक नेता रामा शेट्टी के तलुवे चाटते चाटते वह अधिकारी विद्रोह कर उठता है और नेता को उसका गला दबा कर मार देता है । नेताओं और पुलिस भ्रष्टाचार से पीड़ित तत्कालीन दर्शकों की आवाज़ बने ओम पूरी । लेकिन, ओम पूरी का किरदार रामा शेट्टी के बिना अधूरा था । ओमपुरी के पुलिस किरदार को उकसाने वाले रामा शेट्टी का किरदार मराठी फिल्मों के अभिनेता सदाशिव अमरापुरकर ने किया था । इस फिल्म में सदाशिव की संवाद अदायगी का ख़ास चुभता लहज़ा और माथे में पड़ती सलवटें हिंदी फिल्मों के खलनायक की नहीं परिभाषा गढ़ रही थी । यह पहली फिल्म थी जिसमे व्यवस्था के महत्वपूर्ण अंग एक राजनेता पर उंगली उठायी गयी थी । अर्द्ध सत्य के हिट होते ही सदाशिव अमरापुरकर के रूप में हिंदी फिल्मों को भिन्न शैली में संवाद बोलने वाला विलेन और चरित्र अभिनेता मिल गया । इस फिल्म के लिए सदाशिव अमरापुरकर को बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का फिल्मफेयर अवार्ड मिला । दिलचस्प बात यह है कि सदाशिव अमरापुरकर को अर्द्ध सत्य की सफलता के बाद जो फिल्म मिली वह श्याम और तुलसी रामसे की हॉरर फिल्म पुराना मंदिर थी । इस फिल्म में उन्होंने दुर्जन चौकीदार की भूमिका की थी । अर्द्ध सत्य से सदाशिव के अभिनय का डंका मुख्य धारा के फिल्मकारों के बीच बज गया । उन्हें जवानी, आर पार, तेरी मेहरबानियाँ, खामोश, आखिरी रास्ता, मुद्दत और हुकूमत जैसी बड़ी फ़िल्में मिल गयीं । हालाँकि, इन फिल्मों में ज़्यादातर में उन्हें नेगेटिव रोल ही मिले । हुकूमत के वह मुख्य विलेन थे । धर्मेन्द्र की मुख्य भूमिका वाली हुकूमत ने उसी साल प्रदर्शित फिल्म मिस्टर इंडिया से ज़्यादा कमाई की थी । इस फिल्म के बाद धर्मेन्द्र और सदाशिव अमरापुरकर की नायक-खल नायक जोड़ी हिट हो गयी । सदाशिव अमरापुरकर अपने करियर के शीर्ष पर पहुंचे महेश भट्ट की फिल्म सड़क से । इस फिल्म में उन्होने औरत के वेश में रहने वाले खल नायक महारानी का किरदार किया था । इस फिल्म के लिए सदाशिव अमरापुरकर को पहली बार स्थापित फिल्मफेयर का श्रेष्ठ खल अभिनेता का पुरस्कार मिला । नब्बे के दशक के मध्य में सदाशिव अमरापुरकर के करियर को कॉमेडी मोड़ मिला । उन्होंने डेविड धवन की फिल्म आँखें में इंस्पेक्टर प्यारे मोहन का कॉमिक किरदार किया था । इस फिल्म से गोविंदा और कादर खान के साथ सदाशिव अमरापुरकर की जोड़ी खूब जम गयी । सदाशिव अमरापुरकर और कादर खान ने एक साथ दिल लगा के देखों, हम हैं कमाल के, ऑंखें, आग, द डॉन, कुली नंबर १, याराना, छोटे सरकार,मेरे दो अनमोल रतन, आंटी नंबर १,बस्ती, परवाना, खुल्लम खुल्ला प्यार करें , कोई मेरे दिलम में है, झाँसी की रानी, हम हैं धमाल के और दीवाने जैसी १७ फ़िल्में कीं । गोविंदा के साथ सदाशिव अमरापुरकर की कॉमेडी फिल्मों आँखें, आंटी नंबर १, कुली नंबर १, दो आँखें बारह हाथ, राजा भैया को भी अच्छी सफलता मिली । इन कॉमेडी फिल्मों के बीच सदाशिव अमरापुरकर ने एक बार भी खल नायिकी के हुनर दिखाए फिल्म इश्क़ में । वह इस फिल्म में अजय देवगन के अमीर पिता बने थे। सदाशिव अमरापुरकर ने अपने पूरे फिल्म करियर में दो सौ से ज़्यादा फिल्मों में भिन्न किरदार किये । उन्हें हमेशा यह मलाल रहा कि हिंदी फिल्म निर्माताओं ने उन्हें टाइप्ड भूमिकाएं ही दी । इसीलिए उन्होंने धीरे धीरे कर हिंदी फिल्मों में अभिनय करना कम कर दिया । उनकी आखिरी फिल्म बॉम्बे टॉकीज २०१३ में रिलीज़ हुई थी, जिसमे उन्होंने दिबाकर बनर्जी के निर्देशन में बनी कहानी में भूमिका की थी । सदाशिव अमरापुरकर के दौर में कादर खान, परेश रावल, अनुपम खेर, आदि जैसे मज़बूत चरित्र अभिनेता थे । उन्होंने इन सशक्त हस्ताक्षरों के बीच अपने ख़ास अंदाज़ में अपनी ख़ास जगह बनायी । यह काफी है बताने के लिए कि अमरापुरकर हिंदी फिल्मों के हरफनमौला सदाशिव थे।
Sunday 2 November 2014
यह नोरा सुन्दर, सेक्सी और ताकतवर भी है
नोरा फतेही को बॉलीवुड पर ज़बरदस्त विदेशी हमला कहा जा सकता है। वह मोरक्को की सुन्दरी हैं। सुपर मॉडल रही हैं। अपने देश में हॉट ब्यूटी मानी जाती हैं। कनाडा में वह बेली डांसर के रूप में मशहूर हुईं । बॉलीवुड को ऎसी ही विदेशी और हॉट सुंदरियों की चाहत रहती है। फिर नोरा फतेही में तो पंजाबी रक्त भी मिला है। यानि बॉलीवुड में विदेशी खूबसूरत अभिनेत्रियों का जमावड़ा लगा ही रहता है। लेकिन, नोरा फतेही इनसे काफी अलग हैं। उन्होंने निर्देशक कमल सडाना की फिल्म 'रोर टाइगर ऑफ़ द सुंदरबन्स' सीजे की भूमिका की है। पर यह भूमिका सेक्स बम वाली नहीं। बेशक, फिल्म के पहले ही दृश्य में वह अपनी छातियों के उभारों को दिखाती नज़र आती है। लेकिन, वास्तव में वह फिल्म में सेक्स सिंबल नहीं, बल्कि एक कमांडो की भूमिका कर रही हैं. वह जंगल में नर भक्षी शेर को मारने के लिए अपने साथियों के साथ आयीं हों, इसलिए उनकी बदन दिखाने वाली पोशाकें उपयुक्त हैं। लेकिन,फिल्म के आगे बढ़ते बढ़ते नोरा अपने रंग में आने लगती हैं। वह हॉलीवुड की एक्शन सुंदरियों की तर्ज़ पर एक्शन करती हैं. एयर ग्लाइडिंग करती हैं। उनके एक्शन खतरनाक हद तक किये गए हैं। इस प्रकार से नोरा फतेही अन्य पुरुष किरदारों की मौजूदगी में भी दर्शकों में अपनी मौजूदगी दर्ज़ करा ले जाती हैं। अपनी भूमिका के बारे में नोरा कहती हैं, "जब मैं पहली बार कमल से मिलीं, उन्होंने फिल्म का टेस्ट शॉट दिखाया तो मैं फिल्म पर फ़िदा हो गयी। मेरी भूमिका ब्यूटी, ब्रेन और ब्रॉन यानि शारीरिक शक्ति का मिक्सचर हैं। हम लोगों को अपना सब कुछ लगा देना पड़ता था। जब दिन ख़त्म होता तब हम अपने शरीर के ज़ख्मों को सहला रहे होते।" रोर टाइगर्स ऑफ़ द सुंदरबन्स से नोरा फतेही की शुरुआत बढ़िया हुई है। एक्शन फिल्मों में एक्शन नायिका के लिए वह निर्माताओं की पसंद बन सकती हैं, बशर्ते कि वह अपनी हिंदी को माज लें। वैसे इस समय भी उन्हें इमरान हाशमी के साथ फिल्म मिस्टर एक्स में एक आइटम सांग मिला है। उनके प्रकाश झा की फिल्म क्रेजी कक्कड़ फैमिली में भी एक ख़ास भूमिका मिलने की खबर है।
कैलेंडर से फिल्म अभिनेत्री तक हिमांषा
हिमांषा वेंकटसामी की ग्लैमर जगत में शुरुआत किंगफ़िशर कैलेंडर मॉडल के बतौर हुई थी। हालाँकि, इस कैलेंडर की शूट के बाद हिमांषा दक्षिण अफ्रीका चली गयीं। उनका ज़्यादा समय वहीँ बीता। क्योंकि, वह दक्षिण अफ्रीका में मेडिकल शिक्षा के साथ साथ ड्रामा और एक्टिंग भी सीख रही थीं। "क्योंकि, मैं हमेशा से फिल्म एक्ट्रेस बनाना चाहती थीं," कहती हैं हिमांषा । लेकिन, किंगफ़िशर कैलेंडर ने तमाम दूसरी मॉडल की तरह हिमांषा के लिए भी बॉलीवुड के दरवाज़े खुलवा दिए थे । पर इससे पहले ही वह दक्षिण अफ्रीका में सुपरमॉडल बन गयी थीं । अलबत्ता, किंगफ़िशर कैलेंडर की बदौलत हिमांषा को कमल सडाना की फिल्म रोर टाइगर ऑफ़ द सुंदरबन्स मिल गयी । उन्हें ऑडिशन के लिए बुलाया गया । उन्हें सात पेज की स्क्रिप्ट पकड़ा दी गयी और संवाद बोलने के लिए कहा गया । हिमांषा के लिए हिंदी बिलकुल अजनबी भाषा जैसी थी । लेकिन, हमांशा कहती हैं, "मुझे चुनौती रास आती है। मैंने अपने संवाद ठीक ठाक बोल डाले ।" इसके बाद कमल सडाना ने हिमांषा को फिल्म में पंडित और उसके साथियों की ट्रैक गाइड झुम्पा बना दिया । हिमांषा ने फिल्म में काफी एक्शन किये हैं । वह साँपों से भरे कीचड़ में दौड़ी हैं । मगरमच्छो से भरी नहर की तेज़ धार में तैरी हैं । उनके लिए अब एक्शन कुछ ख़ास कठिन नहीं रह गया है । इसके बावजूद हिमांषा रोर के बाद एक्शन फिल्म नहीं कर रहीं । वह एक फिल्म में पंजाबी कवयित्री का किरदार कर रही हैं । वह कहती हैं, "मैं इंटरेस्टिंग स्क्रिप्ट और इंटेस भूमिकाएं करना चाहूंगी ।"
राजेंद्र कांडपाल
राजेंद्र कांडपाल
यह 'अकबर' विलेन है क्योकि…!
सोनी एंटरटेनमेंट चैनल के ऐतिहासिक सीरियल 'भारत का वीर पुत्र महाराणा प्रताप' में माहौल बदलने वाला है। अभी तक कुंवर प्रताप और अजबदे के बीच की मीठी तकरार का माहौल बड़ी तेज़ी से बदलेगा। वास्तविकता तो यह है कि सीरियल महाराणा प्रताप में तेज़ी से बदलाव हुआ है। प्रताप और अजबदे के चरित्र बदल चुके हैं। अब दोनों बड़े हो गए हैं। किशोरावस्था में दोनों परिस्थितियोंवश अलग हो गए थे । अब दोनों युवा हो चुके हैं । शरद मल्होत्रा कुंवर प्रताप और रचना पारूलकर अजबदे बन चुकी हैं । अब दर्शकों को इंतज़ार है युवा अकबर का। टीवी के इस अकबर को अभिनेता कृप सूरी कर रहे हैं। मुग़ल-ए -आज़म के पृथ्वीराज कपूर और जोधा अकबर के ह्रितिक रोशन के बाद, कृप सूरी के अकबर का महत्व इस लिहाज़ से होगा कि यह छोटे परदे का जवान अकबर होगा । परन्तु, मुग़ल-ए -आज़म के पृथ्वीराज कपूर और जोधा अकबर के ह्रितिक रोशन के द्वारा खेले गए अकबर से कृप सूरी का अकबर इस दृष्टिकोण से बहुत अलग है कि टीवी का अकबर विलेन है। वह प्रताप को परास्त करने के लिए घात प्रतिघात करता रहता है । अब यह टकराव आमने सामने का होने जा रहा है । कृप सूरी को अपने अकबर को खल चरित्र बनाने के लिए ख़ास मेहनत करनी होगी । "लेकिन", कहते हैं कृप सूरी, "नेगेटिव रोल करना कठिन होता है। पर एक आर्टिस्ट को चैलेंज स्वीकार करना चाहिए. इसीलिए मैंने अकबर को रोल करना मंज़ूर किया।" कृप सूरी कई टीवी सीरियलों में काम कर चुके हैं। मान रहे तेरा पिता, अपनों के लिए गीता का धर्मयुद्ध और फुलवा जैसे सीरियल कर चुके, कृप सूरी को लाइफ ओके के दर्शक सीरियल सावित्री के राहुकाल की भूमिका से अच्छी तरह पहचानते हैं । आजकल वह उतरन में असगर का रोल कर रहे हैं । पर भारत के वीर पुत्र महाराणा प्रताप के अकबर को पृथ्वीराज कपूर और ह्रितिक रोशन के अकबर की टक्कर में बनाये रखना कृप सूरी के लिए सचमुच बड़ी चुनौती साबित होगा ।
स्ट्रगल कर रहे जिमी शेरगिल !
खबर है कि एक्टर जिमी शेरगिल के स्ट्रगल का दौर शुरू होने जा रहा है। जिमी के प्रशंसकों को यह खबर चौंकाने वाली लग सकती है. जिमी और स्ट्रगल। सवाल हीं नहीं उठता। उनकी हर साल तीन चार फ़िल्में रिलीज़ होती रहती हैं. इस साल भी, उनकी तीन हिंदी फ़िल्में रिलीज़ हो चुकी हैं। पंजाबी फिल्म इंडस्ट्री के वह स्थापित नाम हैं। ऐसे में उनके स्ट्रगल करने का सवाल ही नहीं उठता। लेकिन, वह स्ट्रगल कर रहे हैं, पर ऑन स्क्रीन। मनोज मेनन और आसिफ क़ाज़ी की फिल्म गन पे डन में जिमी शेरगिल एक स्ट्रगलिंग एक्टर पंचम का किरदार कर रहे हैं, जिसके आइडल फ़िरोज़ खान हैं। वह मिमिक्री करता है और समझता है कि बहुत अच्छा काम कर रहा। अभीक भानु निर्देशित गन पे डन हँसा हँसा कर लोटपोट कर देने वाली रोमांस कॉमेडी फिल्म है। इस फिल्म में जिमी शेरगिल की नायिका तारा अलीशा हैं। विजय राज़, संजय मिश्रा, वृजेश हीरजी जैसे सक्षम अभिनेता जिमी को सपोर्ट करने के लिए मौजूद है। पिछले दिनों इस फिल्म का मुहूर्त संपन्न हुआ। इस मौके पर अपने रोल के बारे में जिमी शेरगिल ने कुछ यों बताया, "पंचम अपने आइडल फ़िरोज़ खान की तरह एक्टर बनने के लिए मुंबई आया है। परन्तु, वह अपनी मिमिक्री को ही अभिनय समझता है। वह नहीं जानता कि वह बहुत ख़राब करता है।"
Saturday 1 November 2014
'सुपर' तो नहीं ही है यह 'नानी'
इंद्र कुमार ने कभी दिल, बेटा, राजा, इश्क़, मन और रिश्ते जैसी मनोरंजक और परिवार से जुडी फिल्मों का निर्माण किया था। यह फ़िल्में हिट हुई. सभी श्रेणी के दर्शकों द्वारा पसंद की गयी। फिर वह मस्ती पर उतर आये। मस्ती जैसे सेक्स कॉमेडी बना डाली। फिल्म हिट हो गयी तो प्यारे मोहन, धमाल, डबल धमाल और ग्रैंड मस्ती जैसी फ़िल्में बना डालीं। इसके साथ ही परिवार उनका सरोकार छूटता चला गया। अब जबकि वह ग्रैंड मस्ती जैसी सौ करोडिया सेक्स कॉमेडी फिल्म के बाद सुपर नानी से परदे पर रेखा को लेकर आये हैं तो लगता है जैसे वह फिल्म बनाना भूल गए हैं. उन्होंने रेखा जैसी बहुमुखी प्रतिभा वाली अभिनेत्री को नानी बनाया , लेकिन कहानी घिसी पिटी ले बैठे। रेखा नानी बनी है, जिसका उसके घर में उसका पति और बच्चे अपमान और उपेक्षा करते हैं। तभी आता है नाती शरमन जोशी। वह यह सब देख कर अपनी नानी को सुपर नानी बनाने की कोशिश करता है।
जब तक रेखा नानी होती हैं, आकर्षित करती हैं. वह बेहतरीन अभिनय करती थीं , कर सकती हैं और आगे भी लेंगी, फिल्म से साबित करती हैं। लेकिन, जैसे ही वह सुपर नानी का चोला पहनती हैं, बिलकुल बेजान हो जाती हैं. यह इंद्र कुमार की असफलता है कि वह पूरी फिल्म में रेखा की उपयोगिता नहीं कर सके। इंद्र कुमार का रेखा को मॉडल बना कर सुपर नानी बनाने का विचार ही, अस्वाभाविक है। वह किसी दूसरे एंगल से रेखा को सुपर नानी साबित कर सकते थे। जैसे वह फिल्म में रेखा के बेटे से उधार लेनी आये गुंडे खुद के लिए रेखा की ममता देख कर वापस चले जाते हैं.
फिल्म को इंद्र कुमार के लिए नहीं रेखा और शरमन जोशी की जोड़ी के कारण देखा जा सकता है। यह जोड़ी जब भी परदे पर आती है, छा जाती है। शरमन जोशी बेहद सजीव अभिनय करते हैं। पता नहीं क्यों फिल्मकार उनका उपयोग घटिया कॉमेडी करवाने के लिए ही क्यों करते हैं। इंद्र कुमार की बिटिया श्वेता के 'इंद्र कुमार की बिटिया' टैग से उबरने की जुगत फिल्म में नज़र नहीं आती। रणधीर कपूर को न पहले एक्टिंग आती थी, न इस फिल्म में वह कुछ कर पाये हैं। अनुपम खेर ने यह फिल्म निश्चित ही पैसों के लिए ही की होगी। बाकी, दूसरों को जिक्र करने से कोई फायदा नहीं है।
जब तक रेखा नानी होती हैं, आकर्षित करती हैं. वह बेहतरीन अभिनय करती थीं , कर सकती हैं और आगे भी लेंगी, फिल्म से साबित करती हैं। लेकिन, जैसे ही वह सुपर नानी का चोला पहनती हैं, बिलकुल बेजान हो जाती हैं. यह इंद्र कुमार की असफलता है कि वह पूरी फिल्म में रेखा की उपयोगिता नहीं कर सके। इंद्र कुमार का रेखा को मॉडल बना कर सुपर नानी बनाने का विचार ही, अस्वाभाविक है। वह किसी दूसरे एंगल से रेखा को सुपर नानी साबित कर सकते थे। जैसे वह फिल्म में रेखा के बेटे से उधार लेनी आये गुंडे खुद के लिए रेखा की ममता देख कर वापस चले जाते हैं.
फिल्म को इंद्र कुमार के लिए नहीं रेखा और शरमन जोशी की जोड़ी के कारण देखा जा सकता है। यह जोड़ी जब भी परदे पर आती है, छा जाती है। शरमन जोशी बेहद सजीव अभिनय करते हैं। पता नहीं क्यों फिल्मकार उनका उपयोग घटिया कॉमेडी करवाने के लिए ही क्यों करते हैं। इंद्र कुमार की बिटिया श्वेता के 'इंद्र कुमार की बिटिया' टैग से उबरने की जुगत फिल्म में नज़र नहीं आती। रणधीर कपूर को न पहले एक्टिंग आती थी, न इस फिल्म में वह कुछ कर पाये हैं। अनुपम खेर ने यह फिल्म निश्चित ही पैसों के लिए ही की होगी। बाकी, दूसरों को जिक्र करने से कोई फायदा नहीं है।
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