अगर किसी फिल्म के साथ बड़े नाम न जुड़े हों तो उस फिल्म को रिलीज़ में परेशानियां आती हैं, यह केतन मेहता की फिल्म 'रंग रसिया' के बारे में नहीं कहा जा सकता। २००८ में पूरी हो चुकी रंग रसिया अपने कारणों से छह साल तक रिलीज़ नहीं हो सकी। हालाँकि, विदेशी मेलों में इसे दिखाया गया। परन्तु, अब जबकि यह फिल्म रिलीज़ हो चुकी है, रणदीप हुडा और नंदना सेन जैसे नाम रंग रसिया के रंग को मंद कर रहे हैं। बतौर निर्देशक केतन मेहता ने एक मास्टरपीस बनाने की पूरी कोशिश की है। वह महान पेंटर राजा रवि वर्मा के जीवन को पूरी सुंदरता और पवित्रता के साथ परदे पर पेश करते हैं। उनकी ईमानदारी का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है कि वह रवि वर्मा और उनकी प्रेरणा सुगंधा के बीच के रोमांस को कुछ इस सुंदरता से पेश किया कि नंदना सेन आवक्ष नग्न हो कर भी अश्लीलता और कामुकता की अनुभूति नहीं करा रही थी। केतन मेहता केवल इसी एक दृश्य के लिए प्रशंसा के पात्र नहीं, वह राजा रवि वर्मा की पूरी कहानी को ईमानदारी से एक एक विवरण देते प्रस्तुत करते हैं। फिल्म को देखते हुए रवि वर्मा को न जानने वाले दर्शकों को भी उनके बारे में जानकारी हो जाती है। वह अपने इस महान पेंटर के योगदान और कष्टों का अनुभव करता है। इसमे केतन मेहता का साथ स्क्रिप्ट लिखने में संजीव दत्ता, संगीत के क्षेत्र में सन्देश शांडिल्य, कैमरा के पीछे राइल रालत्चेव और क्रिस्टो बाक्लोव बखूबी देते हैं। इन दोनों का कैमरा वर्क इस फिल्म को आकर्षक पेंटिंग की तरह पेश करता है।
फिल्म की कमी है इसके कलाकार। ख़ास तौर पर मुख्य भूमिका में रणदीप हुडा और नंदना सेन अपने चरित्र के साथ न्याय नहीं कर पाते। इन दोनों में न तो इतनी अभिनय प्रतिभा है और न ही व्यक्तित्व कि इन चरित्रों को स्वाभाविक बना सकें। परिणामस्वरूप, परेश रावल, दर्शन जरीवाला, सुहासिनी मुले, विक्रम गोखले, आदि सशक्त कलाकारों के बावजूद केतन मेहता की आकर्षिक पेंटिंग नहीं बन पाती। वैसे जो लोग राजा रवि वर्मा को नहीं जानते हों, उनके बारे में जानना चाहते हों तो इस फिल्म को ज़रूर देखें। बहुत कुछ जाएंगे. आपके दिलों में रवि वर्मा के प्रति सम्मान पैदा होगा।
फिल्म की कमी है इसके कलाकार। ख़ास तौर पर मुख्य भूमिका में रणदीप हुडा और नंदना सेन अपने चरित्र के साथ न्याय नहीं कर पाते। इन दोनों में न तो इतनी अभिनय प्रतिभा है और न ही व्यक्तित्व कि इन चरित्रों को स्वाभाविक बना सकें। परिणामस्वरूप, परेश रावल, दर्शन जरीवाला, सुहासिनी मुले, विक्रम गोखले, आदि सशक्त कलाकारों के बावजूद केतन मेहता की आकर्षिक पेंटिंग नहीं बन पाती। वैसे जो लोग राजा रवि वर्मा को नहीं जानते हों, उनके बारे में जानना चाहते हों तो इस फिल्म को ज़रूर देखें। बहुत कुछ जाएंगे. आपके दिलों में रवि वर्मा के प्रति सम्मान पैदा होगा।
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