रणवीर सिंह के बारे में कहा जाता है कि वह अपने किरदारों में डूब जाने वाले अभिनेता हैं। अब तक उन्होंने जितनी फ़िल्में की हैं, उनसे वह अपनी रोमियो टाइप इमेज बनाते नज़र आते हैं। ऎसी भूमिकाएं उनकी ऑफ स्क्रीन इमेज के साथ मेल खाती हैं। अब उन्होंने खुद को भूमिकाओं के अनुरूप ढालने का प्रयास भी शुरू कर दिया है। संजयलीला भंसाली की फिल्म गोलियों की रास लीला -राम-लीला में उनकी भूमिका उनकी इमेज के अनुरूप आधुनिक गुजराती रोमियो टाइप थी। परन्तु राम की भूमिका के लिए उन्होंने अपने बाल लम्बे रखे और मूछों के साथ ठेठ गुजराती पोशाकों में नज़र आये। अब बाजीराव मस्तानी में उन्होंने परफेक्शन की दिशा में अगला कदम रखा है। फिल्म के लिए उन्होंने अपने सर के बाल मुंडवा दिए हैं। वह क्लीन शेव, एक मराठी पेशवा जैसे चेहरे मोहरे के लिए पूरी तरह से तैयार हैं। लेकिन, रणवीर सिंह यहीं नहीं रुक रहे। उन्होंने एक पेशवा का राजसी बाना ही नहीं पहना है, उन्होंने अपनी आवाज़ में भी बदलाव किया है। उन्होंने अपनी आवाज़ में उतार चढ़ाव के जरिये गहराई और भारीपन लाने का प्रयास किया है। एक ऐसा ही प्रयास अमिताभ बच्चन ने १९९० में रिलीज़ फिल्म अग्निपथ में विजय दीनानाथ की आवाज़ के लिए किया था। इस प्रकार से, रणवीर सिंह अमिताभ बच्चन का अनुसरण करते लगते हैं। अब देखने वाली बात होगी कि पत्नी काशीबाई और नर्तकी प्रेमिका मस्तानी के प्रेम में उलझे रणवीर सिंह खुद को कितना प्रभावशाली साबित कर पाते हैं।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday, 1 November 2014
आवाज़ बदल रहा है बाजीराव रणवीर सिंह !
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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