गोविंदा, रणवीर सिंह, अली ज़फर और परिणीति चोपड़ा की फिल्म किल/दिल के लेखक के तौर पर तीन नाम नितेश तिवारी, श्रेयस जैन और निखिल मेहरोत्रा नज़र आते हैं। पर इनके जिम्मे पटकथा और संवाद ही हैं। कहानी लेखक के रूप में किसी का नाम नहीं है, न ही फिल्म में कोई कहानी है। जो कहानी है वह कई बार कही जा चुकी है। इसी बैनर की इस साल के शुरू में रिलीज़ फिल्म गुंडे की कहानी भी बचपन से अपराध में लिप्त दो दोस्तों की थी। देसी कट्टे की कहानी भी बिलकुल किल/दिल वाली थी। किल/दिल इंटरवल से पहले तक देव और टूटू की कहानी है, जिन्हे एक गुंडा भैयाजी कचरे से उठा कर लाता है, पाल पोस कर बड़ा करता है, पर पढ़ाता लिखाता नहीं, बन्दूक चलाना और सुपाड़ी लेकर लोगों को मारना सिखाता है। देव रणवीर सिंह बने हैं और टूटू अली ज़ाफर। देव को एक लड़की से प्यार हो जाता है. उस लड़की से प्यार के बाद वह बन्दूक छोड़ देता है। इस समय तक कहानी संवादों के सहारे ज़ोरदार ढंग से चलती है। इंटरवल के बाद ! इंटरवल की कहानी तो खुद निर्माता आदित्य चोपड़ा और निर्देशक शाद अली को तक नहीं मालूम रही होगी. तभी, फिल्म क्लाइमेक्स पर बुरी तरह से बिखर जाती है. शाद अली तय नहीं कर पाये कि फिल्म को कहाँ ख़त्म करे। इस प्रकार की फिल्मों के के खतरे यही होते हैं। इसीलिए शाद पूरे बचकाने ढंग से एक सुपाड़ी के हाथों गोविंदा के करैक्टर को मरवा कर फिल्म ख़त्म कर देते हैं. कहा जा सकता है कि आदित्य और शाद की जोड़ी इंटरवल इंटरवल तक के किये कराये पर फ्लश चला देते हैं।
फिल्म के संवाद पंच वाले हैं। इन पर रणवीर सिंह और अली ज़फर की जोड़ी ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। दोनों की जोड़ी ज़मी भी खूब. गोविंदा बता जाते हैं कि खल अभिनय क्या होता है। वह अकेले ही अली और रणवीर की जोड़ी पर छा जाते हैं। परिणीति चोपड़ा की एक इमेज बन चुकी है। उनके रोल टेलर मेड होते हैं। इसी बल पर वह हिट फ़िल्में भी देख चुकी हैं। पर अब वह उबाने की हद पर पहुँच चुकी हैं. हालाँकि, फिल्म में उनका काम बढ़िया है। संवादों के अलावा फिल्म का बढ़िया पक्ष शंकर एहसान लॉय का फिल्म के अनुरूप संगीत और उससे कहीं बहुत अर्थपूर्ण गुलज़ार के बोल हैं। इस फिल्म में गणेश अचार्य ने तमाम गीतों को इस तरह से फिल्माया है कि कहानी को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं ।
फिल्म के संवाद पंच वाले हैं। इन पर रणवीर सिंह और अली ज़फर की जोड़ी ने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया है। दोनों की जोड़ी ज़मी भी खूब. गोविंदा बता जाते हैं कि खल अभिनय क्या होता है। वह अकेले ही अली और रणवीर की जोड़ी पर छा जाते हैं। परिणीति चोपड़ा की एक इमेज बन चुकी है। उनके रोल टेलर मेड होते हैं। इसी बल पर वह हिट फ़िल्में भी देख चुकी हैं। पर अब वह उबाने की हद पर पहुँच चुकी हैं. हालाँकि, फिल्म में उनका काम बढ़िया है। संवादों के अलावा फिल्म का बढ़िया पक्ष शंकर एहसान लॉय का फिल्म के अनुरूप संगीत और उससे कहीं बहुत अर्थपूर्ण गुलज़ार के बोल हैं। इस फिल्म में गणेश अचार्य ने तमाम गीतों को इस तरह से फिल्माया है कि कहानी को आगे बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं ।
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