Thursday, 27 November 2014

आम आदमी को बेवक़ूफ़ समझना ठीक नहीं- आदिल हुसैन

डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी की फिल्म जेड प्लस में अभिनेता आदिल हुसैन एक पंक्चर वाले असलम का किरदार कर रहे हैं, जिसे भ्रष्ट राजनीतिज्ञ जेड प्लस सुरक्षा दे देते हैं।  इस सुरक्षा घेरे में उस पंक्चर वाले का जीवन कैसे नरक हो जाता है, यही जेड प्लस का राजनीतिक व्यंग्य है। अभी तक गंभीर और गहन भूमिकाएं करने वाले आदिल हुसैन 'जेड प्लस' को उनकी इमेज बदल देने वाली फिल्म मानते हैं। क्यों ?
जब आपके पास जेड प्लस का प्रस्ताव आया तो आपकी पहली प्रतिक्रिया क्या थी ?
जब फिल्म के निर्देशक डॉक्टर चंद्रप्रकाश द्विवेदी अपनी फिल्म लेकर मेरे पास आये तो मैं चकित रह गया कि  वह मेरे पास यह हल्की फुल्की कहानी वाली फिल्म क्यों लेकर आये हैं! हो सकता है किसी को लगा होगा कि  मैं यह रोल कर सकता  हूँ।  वैसे यह कुछ लोग ही जानते हैं कि मेरी ट्रेनिंग विदूषक के तौर पर हुई है और मैं स्टैंड अप  कॉमेडियन भी रहा हूँ। वैसे मैं काफी समय से हल्की  फुल्की  फिल्म करना चाहता था।
 आप के लिए इस फिल्म का कितना महत्त्व है ?
यह फिल्म मुझे मेरी स्टीरियो टाइप इमेज से बाहर निकलेगी।  बॉलीवुड का यह ट्रेंड है कि  आप अगर एक प्रकार की भूमिका में सफल होते हैं तो आपको फिर वैसी ही भूमिकाएं दी जाती हैं।  इसीलिए जब मुझे यह ऑफर मिला तो मैं सरप्राइज था।  डॉक्टर चन्द्रप्रकाश ने जब कहानी सुनाई तो मैं जैसे आसमान में उड़ने लगा।
आपके साथ मोना सिंह काम कर रही हैं।  कैसा रहा उनका साथ ?
मोना बहुत खुल कर काम करती हैं। साथ ही उनमे दायित्व बोध भी है।  वह जीवंत महिला है।  उनमे अच्छी चीजों की समझ है।  अगर उन्हें कुछ करना है तो उनमे इतना साहस है कि  वह उसे आगे बढ़ कर करें।  उन्होंने बतौर अभिनेत्री फिल्म में शानदार काम किया है।  उनके  साथ काम करना आनंददायक अनुभव था।  
फिल्म के डायरेक्टर डॉक्टर चंद्रप्रकाश के बारे में क्या कहना चाहेंगे ?
उनका कहानी कहने का अंदाज़ बहुत अलग है।  उन्हें इस फिल्म को बनाने के लिए बड़ा इंतज़ार करना पड़ा है।  वह सीरियल चाणक्य में ही काफी अलग थे।  उस समय जब वह चाणक्य बना रहे थे तो लोग उनकी आलोचना कर रहे थे।  नाउ इट्स  अ लीजेंड, इट्स  अ कल्ट।  चाणक्य शानदार इस लिए था कि  डॉक्टर चंद्रप्रकाश ने इसे उसी प्रकाश से बनाया, जैसे वह बनाना चाहते थे।  उन्होंने कंटेंट के साथ कोई समझौता नहीं किया।
जेड प्लस के कॉमन मैन  के बारे में क्या कहेंगे ?
यह सोचना ही अपमान होगा कि  आम आदमी शहर के आदमी के मुकाबले  कम बुद्धिमान होता है।  आम आदमी को बेवक़ूफ़ समझना ठीक नहीं।  डॉक्टर चंद्रप्रकाश बतौर निर्देशक यह समझ रखते हैं।  







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