भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday, 4 July 2013
क्या पुलिस की गिरफ्त में आएगा या पुलिस को भी लूट लेगा लुटेरा!
कल दो फिल्में रिलीज हो रही हैं। एकता कपूर, शोभा कपूर, अनुराग कश्यप और विकास बहल के पिटारे से निकली है विक्रमादित्य मोटवाने की फिल्म लुटेरा । इस साल जिस प्रकार से एक के बाद एक फिल्मे सौ करोडिया क्लब मे शामिल होती जा रही हैं, उससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि थोड़ा स्लो स्टार्ट के बावजूद लुटेरा पिक करेगी और सौ करोड़ क्लब में शामिल हो जाएगी। यह सच हो सकता था अगर लुटेरा का मुकाबला पुलिसगिरि से न हो रहा होता। पुलिसगिरि निर्माता Rahul अग्रवाल और टीपी अग्रवाल की फिल्म है। इसका निर्देशन दक्षिण के केएस रविकुमार कर रहे हैं। फिल्म के संजय दत्त हैं। यह वही संजय दत्त हैं जो अभी जेल गए है तथा कथित सहानुभूति लहर उनके साथ है। संजय दत्त की स्टार पावर के कारण लुटेरा का पुलिसगिरि की हवा निकालना आसान नहीं होगा, लेकिन कठिन कतई नहीं।
सवाल यहा यह है कि दर्शक पुलिसगिरि या लुटेरा को देखे ही क्यों? संजय दत्त अब चुक चुके अभिनेता हैं। प्राची देसाई, हालांकि फिल्म का सक्रिय प्रचार कर रही हैं। लेकिन, उनमे इतनी दम नहीं कि वह दर्शकों को सिनेमाहाल तो क्या पत्रकारों को अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में तक ले आ पाएँ । इसलिए अब फिल्म के प्रचार में संजय दत्त की गांधीगिरी के चर्चे हो रहे हैं। उनकी फिल्म को संजय दत्त के जेल के साथी कैदियों को विशेष स्क्रीनिंग में दिखलाया जाएगा। पर ऐसा संभव होगा? पुलिसगिरि की कहानी सत्तर के दशक की ज़ंजीर के जमाने की है। एक ईमानदार कॉप का तबादला एक बदनाम थाने में जाता हैं, जहां दबंगों का बोलबाला है। ऐसे दबंगों को संजय दत्त कैसे खत्म कराते हैं, यही फिल्म की घिसिपीटी कहानी है। इस फिल्म को पहले संजय दत्त की 1990 में रिलीज फिल्म थानेदार के सेकुएल के रूप में किया जा रहा था। फिल्म का नाम थानेदार 2 रखा जाना था। लेकिन, संजय दत्त को यह टाइटल पसंद नहीं आया। नतीजे के तौर पर उन्हीं के सुझाव पर थानेदार 2 को पुलिसगिरि कर दिया गया। इससे अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि पुलिसगिरि बॉक्स ऑफिस पर क्या गुल खिलाएगी।
पुलिसगिरि के ऑपोज़िट लुटेरा है। इस फिल्म की कहानी साथ साल पहले के कलकत्ता की है। एक जमींदार के पास एक युवक पुरातत्ववेत्ता का पत्र लेकर आता है, जिसमे उस लड़के को मदद देने का अनुरोध किया गया है। जमींदार लड़के को अपने घर रख लेता है तथा खोज में उसकी मदद करता है। इसी बीच लड़का और लड़की यानि रणवीर कपूर और सोनाक्षी सिन्हा के बीच प्यार पननपने लगता है। दोनों के विवाह की तारीख तय होती ही है कि एक दिन लड़का पुरातत्व के महत्व की एक कीमती चीज़ चुरा कर भाग जाता है। इससे जमींदार का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो जाता है। इसके काफी समय बाद लड़का एक बार फिर उसके घर रहस्यमयी स्थितियों में पहुँच जाता है। फिर क्या होता है?
संजय दत्त और प्राची देसाई के मुकाबले रणवीर और सोनाक्षी की जोड़ी अपने समय की बेहद गरम जोड़ी है। हालांकि, रणवीर का संजय दत्त से कोई मुकाबला नहीं, पर सोनाक्षी सिन्हा बेजोड़ हैं। वह एक के बाद एक हिट फिल्में दे रही हैं। रणवीर की भी पहले की दो फिल्में बैंड बाजा बारात और लेडिज वरसेस रिकी बहल सफल रही थीं। इस लिहाज से मधुर संगीत, फिल्म के माहौल और विक्रमादित्य मोटवाने के निर्देशन के कारण लुटेरा पुलिसगिरि को पछड़ सकती है।
क्या लुटेरा पुलिस को लूट ले जाएगा? क्या पुलिसगिरि लुटेरा को अपनी गिरफ्त में ले पाएगी? कहा जा रहा है कि संजय दत्त के जेल जाने के बाद उनके पक्ष में दर्शकों के बीच सहानुभूति की लहर है। यह लहर उनकी फिल्म के बॉक्स ऑफिस पर दर्शकों की भीड़ बहा ले आएगी। कल इसी लहर की परीक्षा भी है। क्या होगा यह कल पता लगेगा। लेकिन इतना तय है कि सिंगल स्क्रीन थिएटर में पुलिसगिरि की पुलिसगिरि ही चलेगी। लुटेरा मल्टीप्लेक्स में बढ़िया प्रदर्शन करेगी। हो सकता है कि माउथ पब्लिसिटी के बाद लुटेरा सिंगल स्क्रीन दर्शकों का दिल भी जीत ले। लेकिन, क्या ऐसा संभव है कि संजय दत्त अपनी पुलिसगिरि से सिंगल स्क्रीन दर्शकों को इतना आकर्षित करे कि वह मल्टीप्लेक्स के सहारे आसमान छू रही फिल्म लुटेरा को पछाड़ सके। क्या ऐसा होगा?
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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