सलमान खान हमेशा से अपने
पिता सलीम खान को अपना सबसे बड़ा क्रिटिक समझते आये है। उन्होंने अपने कई इंटरव्यूज में भी कहा है कि उन्हें अपनी फिल्म के बारे में जो रिएक्शन अपने पिता सलीम खान से मिलता है, वही रिएक्शन ऑडियंस से भी मिलता आया है। सिर्फ सलमान ही नहीं फिल्म ट्यूबलाइट के निर्देशक कबीर खान का भी यही मानना है। इस बारे में कबीर खान कहते हैं, "मैंने जब सलीम साहेब को फिल्म ट्यूबलाइट का फर्स्ट कट
दिखाया। जब वह एडिट रूम से बाहर निकले तो बिना कुछ कहे उन्होंने मुझे कास कर गले लगा लिया। वह बोले मुझे और कुछ कहने की ज़रूरत है क्या !" कबीर
खान आगे कहते हैं, "मैं शूटिंग से पहले अपनी फिल्म की स्क्रिप्ट सलीम साहेब को ज़रूर
सुनाता हूँ। उनके द्वारा दिए गए इनपुट्स हमेशा से ही मेरे लिए सही
साबित हुए है। सलीम साहेब ने मेरी स्क्रिप्ट पर विशेष ध्यान दिया है। फिल्म ट्यूबलाइट के लिए भी उन्होंने कुछ पॉइंटर्स दिए, जो फिल्म
की पटकथा को और भी बेहतरीन बनाते है। वास्तव में, पोस्टर की
कैचलाइन - क्या तुम्हे यकीन है भी उनका ही अविष्कार है।"
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday, 27 April 2017
सलीम खान ने दी ट्यूबलाइट को कैचलाइन- क्या तुम्हे यकीन है
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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