कंगना रनौत ने बहस को हवा दे दी है। करण जौहर के शो कॉफी विथ करण में पूछे जाने पर कंगना रनौत ने कहा कि बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है। इसके साथ ही बॉलीवुड के अलग अलग तबकों से बयानों का सिलसिला चल निकला है। कंगना के बयान का समर्थन करने वाले जितने हैं उतने ही इसका विरोध करने वाले भी हैं। शो कॉफी विथ करण के होस्ट करण जौहर ने खंडन किया कि बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है। उन्होंने कहा, "मैंने कभी अपने घर के लोगों के साथ काम नहीं किया। मैंने धर्मा प्रोडक्शन की फिल्मों से कई ऐसे लोगों को मौका दिया, जो बाहरी थे।"
करण जौहर की फिल्मों में भाई भतीजावाद
क्या बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है ? अगर है तो किस हद तक है ? अगर है तो क्यों हैं ? क्या बाहरी एक्टर्स को मौक़ा मिलता है ? यदि मिलता है तो कितना और कैसा ? क्या इन एक्टर्स को भी स्टार संस या डॉटर की तरह बार बार मौका मिलता है? जिस शो कॉफी विथ करण से इस बहस की शुरुआत हुई है और इसके होस्ट करण जौहर के बयान को ही लें। वह कहते हैं कि मैंने अपनी फिल्मों से कई बाहरी लोगों को मौक़ा दिया है। निर्माता करण जौहर के खाते में कोई ३४ फ़िल्में दर्ज़ हैं। ज़्यादातर में स्टार संस या काजोल, रानी मुख़र्जी, शाहरुख़ खान, अमिताभ बच्चन, अर्जुन कपूर, हृथिक रोशन, करीना कपूर, इमरान खान, रणबीर कपूर, आदि अभिनय कर रहे थे। स्टूडेंट ऑफ़ द ईयर में उन्होंने डेविड धवन के बेटे वरुण धवन और महेश भट्ट की बेटी आलिया भट्ट को बड़ा मौका दिया। शानदार में पंकज कपूर के बेटे शाहिद कपूर के साथ आलिया भट्ट थी। हँसी तो फांसी, २ स्टेट्स और कपूर एंड संस से लेकर बद्रीनाथ की दुल्हनिया तक घुमा फिरा कर स्टार संस और डॉटर ही थे। उनकी आगामी फिल्मों में शुद्धि में आलिया भट्ट और वरुण धवन, मोहित सूरी निर्देशित अनाम फिल्म में वरुण धवन और सैफ अली खान तथा इत्तफ़ाक़ में शत्रुघ्न सिन्हा की बेटी सोनाक्षी सिन्हा भी स्टार संस और डॉटर हैं।
बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है, इसका प्रमाण आज के बड़े सितारों में सलमान खान और आमिर खान हैं। इन दोनों के पिता बॉलीवुड के बड़े नाम थे। संजय दत्त के माता-पिता हिंदी फिल्मों की बड़ी हस्तियां थी। सनी देओल और बॉबी देओल अभिनेता धर्मेंद्र के बेटे हैं। वरुण धवन के पिता डेविड धवन मशहूर फिल्म निर्देशक हैं। अर्जुन कपूर फिल्म निर्माता बोनी कपूर और हृथिक रोशन निर्देशक राकेश रोशन के बेटे हैं। रणबीर कपूर,करीना कपूर के पीछे बॉलीवुड के पहले फिल्म परिवार कपूर परिवार का आभा मंडल है। आलिया भट्ट के पिता महेश भट्ट प्रतिष्ठित फिल्मकार हैं। काजोल और रानी मुख़र्जी भी फिल्म निर्माण से जुडी बड़ी हस्तियों के घरानों से थी। दरअसल, फिल्म निर्माण एक जुआ है। जो दीखता है, वही बॉक्स ऑफिस पर बिकता है। किसी स्टार किड्स को लांच करने में रातोंरात प्रचार पाने में आसानी होती है। दर्शकों के बीच भी वह चेहरा चर्चित होता है। यही कारण है कि डेविड धवन के बेटे वरुण धवन इस बहस से बचना चाहते हैं। वरुण धवन कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं सोचता। वैसे में इस मामले में ज़्यादा बात करना नहीं चाहता।"
इसके बावजूद बाहरी एक्टरों की मौजूदगी भी है। अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित से लेकर शाहरुख़ खान, अक्षय कुमार, प्रियंका चोपड़ा, रणवीर सिंह, विद्युत् जम्वाल और कंगना रनौत तक सब बाहरी हैं। अलबत्ता इन लोगों को आसानी से मौक़ा नहीं मिला। ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता के इर्दगिर्द विश्व सुंदरी होने का आभा मंडल था। लेकिन, बाकियों के लिए सब आसान नहीं था। मर्दानी के खलनायक ताहिर राज भसीन को फिल्म पाने में डेढ़ साल तक एड़िया रगड़नी पड़ी। उन्हें विलेन के रोल से अपने करियर की शुरुआत करनी पड़ी। वह कहते हैं, "मेरी मर्दानी में खल भूमिका थी। ऎसी शुरुआत अच्छी नहीं मानी जाती। लेकिन, मेरा यह रोल क्लिक कर गया। कहा नहीं जा सकता कि कौन सा फार्मूला काम कर जाएगा।" फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की पिछली फिल्म में छोटी भूमिका कर चुके अली फज़ल को पहला मौका राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स में छोटी भूमिका के रूप में मिला। अली फज़ल कहते हैं, "सबको टाइगर श्रॉफ, आलिया भट्ट और वरुण धवन जैसा मौका नहीं मिलता। लेकिन आखिर में आपका टैलेंट ही आपको लम्बी रेस का घोड़ा बनाता है।"
बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है, सभी इसे मानते हैं। लेकिन, साथ में को विशेषण जोड़ना नहीं भूलते। आजकल रियल लाइफ विवादित चरित्रों पर फिल्म बना कर मशहूर हो रहे हंसल मेहता ने एक गैर फिल्मी पृष्ठभूमि वाले एक्टर राजकुमार राव को बड़ा नाम बना दिया है। वह कंगना रनौत के साथ सिमरन बना रहे हैं। हंसल मेहता कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं मानता कि स्टार संस और डॉटर से आसानी से प्रचार मिलता है। मैं उन्हें भार ज़्यादा मानता हूँ। मैं खुद १८ साल से इंडस्ट्री में हूँ।" महेश भट्ट हिंदी फिल्मों के बड़े भट्ट खानदान के चश्मोचिराग हैं। उन्होंने कंगना रनौत को हिंदी फिल्मों में पहला मौका दिया था। वह कई नए चेहरों को सामने लाने के लिए मशहूर हैं। लेकिन पूजा भट्ट को लांच करने वाले महेश भट्ट ने दूसरी बेटी आलिया को लांच नहीं। वह बॉलीवुड में भाई भतीजावाद को स्वीकार करते हुए कहते हैं, "कंगना के कथन में काफी सच्चाई है। लेकिन, यह कहाँ नहीं है। हॉलीवुड में भी भाई भतीजावाद है। मैंने तो २८ साल पहले अनुपम खेर को सारांश जैसी फिल्म दी, उस समय अनुपम खेर को कोई नहीं जानता था।"
भाई भतीजावाद के बावजूद प्रतिभा की ही विजय होती है। सलमान खान, आमिर खान, हृथिक रोशन, काजल और रानी मुख़र्जी में दमखम नहीं होता तो क्या उनका करियर इतना लम्बा चल पाता ! कुमार गौरव, फरदीन खान, ज़ायद खान, बॉबी देओल, अभिषेक बच्चन, आदि का फिल्म इंडस्ट्री में आज क्या मुकाम है? अभिषेक बच्चन तो तब बीच इक्का दुक्का फ़िल्में कर रहे हैं। लेकिन बाकी का तो कोई नामलेवा नहीं है। महेश भट्ट कहते हैं, "यह दर्शक हैं, जो फैसला करते हैं कि कौन स्टार है और कौन नहीं । हममे यह ताक़त तो है कि हम किसी को मौक़ा दें, लेकिन यह ताकत नहीं कि तय कर सकें कि कौन फिल्म चलेगी और कौन सी नहीं।"
कंगना रनौत के बयान का सबसे पहले खंडन करने वाले करण जौहर यह भूल गए कि उन्हें बतौर निर्देशक पेश करने वाली फिल्म कुछ कुछ होता है के निर्माता उनके पिता यश जौहर थे। यश जौहर के कारण ही करण जौहर अपनी फिल्म के लिए शाहरुख़ खान और काजोल जैसे स्थापित जोड़े को ले पाए। करण जौहर को बतौर सह निर्देशक मौका मिला यश चोपड़ा के बैनर की फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे से। यहीं उनकी मुलाकात शाहरुख़ खान और काजोल से हुई। क्या करण जौहर जैसा बड़ा मौका किसी बाहरी निर्देशक को मिलता ? शायद कभी नहीं।
इसके बावजूद बाहरी एक्टरों की मौजूदगी भी है। अमिताभ बच्चन और माधुरी दीक्षित से लेकर शाहरुख़ खान, अक्षय कुमार, प्रियंका चोपड़ा, रणवीर सिंह, विद्युत् जम्वाल और कंगना रनौत तक सब बाहरी हैं। अलबत्ता इन लोगों को आसानी से मौक़ा नहीं मिला। ऐश्वर्या राय, सुष्मिता सेन, प्रियंका चोपड़ा और लारा दत्ता के इर्दगिर्द विश्व सुंदरी होने का आभा मंडल था। लेकिन, बाकियों के लिए सब आसान नहीं था। मर्दानी के खलनायक ताहिर राज भसीन को फिल्म पाने में डेढ़ साल तक एड़िया रगड़नी पड़ी। उन्हें विलेन के रोल से अपने करियर की शुरुआत करनी पड़ी। वह कहते हैं, "मेरी मर्दानी में खल भूमिका थी। ऎसी शुरुआत अच्छी नहीं मानी जाती। लेकिन, मेरा यह रोल क्लिक कर गया। कहा नहीं जा सकता कि कौन सा फार्मूला काम कर जाएगा।" फ़ास्ट एंड फ्यूरियस सीरीज की पिछली फिल्म में छोटी भूमिका कर चुके अली फज़ल को पहला मौका राजकुमार हिरानी की फिल्म ३ इडियट्स में छोटी भूमिका के रूप में मिला। अली फज़ल कहते हैं, "सबको टाइगर श्रॉफ, आलिया भट्ट और वरुण धवन जैसा मौका नहीं मिलता। लेकिन आखिर में आपका टैलेंट ही आपको लम्बी रेस का घोड़ा बनाता है।"
बॉलीवुड में भाई भतीजावाद है, सभी इसे मानते हैं। लेकिन, साथ में को विशेषण जोड़ना नहीं भूलते। आजकल रियल लाइफ विवादित चरित्रों पर फिल्म बना कर मशहूर हो रहे हंसल मेहता ने एक गैर फिल्मी पृष्ठभूमि वाले एक्टर राजकुमार राव को बड़ा नाम बना दिया है। वह कंगना रनौत के साथ सिमरन बना रहे हैं। हंसल मेहता कहते हैं, "मैं ऐसा नहीं मानता कि स्टार संस और डॉटर से आसानी से प्रचार मिलता है। मैं उन्हें भार ज़्यादा मानता हूँ। मैं खुद १८ साल से इंडस्ट्री में हूँ।" महेश भट्ट हिंदी फिल्मों के बड़े भट्ट खानदान के चश्मोचिराग हैं। उन्होंने कंगना रनौत को हिंदी फिल्मों में पहला मौका दिया था। वह कई नए चेहरों को सामने लाने के लिए मशहूर हैं। लेकिन पूजा भट्ट को लांच करने वाले महेश भट्ट ने दूसरी बेटी आलिया को लांच नहीं। वह बॉलीवुड में भाई भतीजावाद को स्वीकार करते हुए कहते हैं, "कंगना के कथन में काफी सच्चाई है। लेकिन, यह कहाँ नहीं है। हॉलीवुड में भी भाई भतीजावाद है। मैंने तो २८ साल पहले अनुपम खेर को सारांश जैसी फिल्म दी, उस समय अनुपम खेर को कोई नहीं जानता था।"
भाई भतीजावाद के बावजूद प्रतिभा की ही विजय होती है। सलमान खान, आमिर खान, हृथिक रोशन, काजल और रानी मुख़र्जी में दमखम नहीं होता तो क्या उनका करियर इतना लम्बा चल पाता ! कुमार गौरव, फरदीन खान, ज़ायद खान, बॉबी देओल, अभिषेक बच्चन, आदि का फिल्म इंडस्ट्री में आज क्या मुकाम है? अभिषेक बच्चन तो तब बीच इक्का दुक्का फ़िल्में कर रहे हैं। लेकिन बाकी का तो कोई नामलेवा नहीं है। महेश भट्ट कहते हैं, "यह दर्शक हैं, जो फैसला करते हैं कि कौन स्टार है और कौन नहीं । हममे यह ताक़त तो है कि हम किसी को मौक़ा दें, लेकिन यह ताकत नहीं कि तय कर सकें कि कौन फिल्म चलेगी और कौन सी नहीं।"
कंगना रनौत के बयान का सबसे पहले खंडन करने वाले करण जौहर यह भूल गए कि उन्हें बतौर निर्देशक पेश करने वाली फिल्म कुछ कुछ होता है के निर्माता उनके पिता यश जौहर थे। यश जौहर के कारण ही करण जौहर अपनी फिल्म के लिए शाहरुख़ खान और काजोल जैसे स्थापित जोड़े को ले पाए। करण जौहर को बतौर सह निर्देशक मौका मिला यश चोपड़ा के बैनर की फिल्म दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे से। यहीं उनकी मुलाकात शाहरुख़ खान और काजोल से हुई। क्या करण जौहर जैसा बड़ा मौका किसी बाहरी निर्देशक को मिलता ? शायद कभी नहीं।
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