पिछले दिनों सुशांत सिंह राजपूत की मुख्य भूमिका वाली फिल्म रोमियो अकबर वाल्टर का पोस्टर जारी हुआ। इस पोस्टर से ऐसा लगता है कि सुशांत ने फिल्म में तीन तीन रोल किये हैं। लेकिन, रॉबी ग्रेवाल निर्देशित इस फिल्म का पोस्टर बड़ा ट्रिकी है। इस पोस्टर में टाइटल बड़ा ट्रिकी लिखा गया है। रोमियो अकबर और वाल्टर के अंग्रेजी के पहले तीन अक्षर आर ए डब्ल्यू लाल रंग से लिखे गए हैं। इन तीनों अक्षरों को एक साथ पढ़ें तो यह रॉ बनता है। रॉ यानि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, भारत की एक ख़ुफ़िया एजेंसी है। यह एजेंसी दूसरे देशों में अपने जासूस रख कर ख़ुफ़िया जानकारी इकठ्ठा किया करती है। सुशांत सिंह राजपूत इसी ख़ुफ़िया ऐंजेंसी के एजेंट हैं।
जब रॉ एजेंट नहीं था
बॉलीवुड की हिंदी फिल्मों में जासूस का सिलसिला बहुत पुराना है। इन्हें फिल्म में सीक्रेट एजेंट कहा गया। किस ख़ुफ़िया एजेंसी के हैं, कभी बहुत साफ़ नहीं किया गया। मसलन, ऑंखें का जासूस सुनील मेहरा जेम्स बांड टाइप का जासूस था। लेकिन, किसी भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी से नहीं, बल्कि देश भक्त पूर्व सैनिकों तथा निजी लोगों से बना हुआ समूह का एक सदस्य था। आँखें (१९६८) से पहले जीतेंद्र और बबिता की फिल्म फ़र्ज़ (१९६७) भी देसी जेम्स बांड वाली फिल्म थी। मिथुन चक्रवर्ती फिल्म सुरक्षा में एजेंट जी ९ बने थे। द ग्रेट गैम्बलर (१९७९) से हिंदी सिनेमा में अंडर कवर एजेंट का प्रवेश हुआ। मुखबिर (२००८) में हिंदी फिल्मों में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानि आईबी परदे पर नज़र आया। लेकिन, इस बॉलीवुड के जासूस ग्रुप में रॉ एजेंट की एंट्री काफी नई हुई है।
सनी देओल बने पहले रॉ एजेंट !
बॉलीवुड की जासूस फिल्मों की श्रृंखला में पहली रॉ एजेंट वाली फिल्म का खिताब अनिल शर्मा की फिल्म द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ स्पाई को दिया जा सकता है। पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी गतिविधियों का खात्मा करने के लिए भेजे गए रॉ एजेंट अरुण खन्ना पर केंद्रित इस फिल्म में इस हिंदुस्तानी जासूस की दो प्रेमिकाएं - एक हिंदुस्तानी और एक पाकिस्तानी थी। शायद इसी लिए फिल्म के टाइटल के साथ लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई की टैग लाइन जोड़ी गई थी। ग़दर एक प्रेम कथा के बाद सनी देओल पाकिस्तान के अंदर घुस कर जवाब देने वाले हीरो बन गए थे। इसलिए उन्ही पर केंद्रित द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई ने मुम्बई सर्किट में सबसे अच्छा बिज़नस किया। इस फिल्म में सनी देओल के मेजर अरुण खन्ना के किरदार ने तीन रूप बदले थे।
द हीरो के बाद अजान और दूसरे रॉ एजेंट
अब एक बार फिर रॉ एजेंट दर्शकों के सामने है। रोमियो अकबर वाल्टर की कहानी १९७१ के भारत- पाकिस्तान युद्ध के दौरान घटी सच्ची घटनाओं पर फिल्म है। इस फिल्म के अलावा २२ दिसम्बर २०१७ को रिलीज़ होने जा रही फिल्म टाइगर ज़िंदा है भी रॉ एजेंट कहानी है। इस फिल्म में सलमान खान एक था टाइगर वाले अपने रोल अविनाश सिंह राठौर को फिर से कर रहे हैं। अलबत्ता इस फिल्म के निर्देशक कबीर खान नहीं, सुल्तान के निर्देशक अली अब्बास ज़फर हैं। यह दोनों फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर कितना जोश भर पाती हैं, इसका काफी दारोमदार फिल्म की पटकथा और निर्देशन की चुस्ती और रफ़्तार पर टिका होगा।
जब रॉ एजेंट नहीं था
बॉलीवुड की हिंदी फिल्मों में जासूस का सिलसिला बहुत पुराना है। इन्हें फिल्म में सीक्रेट एजेंट कहा गया। किस ख़ुफ़िया एजेंसी के हैं, कभी बहुत साफ़ नहीं किया गया। मसलन, ऑंखें का जासूस सुनील मेहरा जेम्स बांड टाइप का जासूस था। लेकिन, किसी भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी से नहीं, बल्कि देश भक्त पूर्व सैनिकों तथा निजी लोगों से बना हुआ समूह का एक सदस्य था। आँखें (१९६८) से पहले जीतेंद्र और बबिता की फिल्म फ़र्ज़ (१९६७) भी देसी जेम्स बांड वाली फिल्म थी। मिथुन चक्रवर्ती फिल्म सुरक्षा में एजेंट जी ९ बने थे। द ग्रेट गैम्बलर (१९७९) से हिंदी सिनेमा में अंडर कवर एजेंट का प्रवेश हुआ। मुखबिर (२००८) में हिंदी फिल्मों में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानि आईबी परदे पर नज़र आया। लेकिन, इस बॉलीवुड के जासूस ग्रुप में रॉ एजेंट की एंट्री काफी नई हुई है।
सनी देओल बने पहले रॉ एजेंट !
बॉलीवुड की जासूस फिल्मों की श्रृंखला में पहली रॉ एजेंट वाली फिल्म का खिताब अनिल शर्मा की फिल्म द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ स्पाई को दिया जा सकता है। पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी गतिविधियों का खात्मा करने के लिए भेजे गए रॉ एजेंट अरुण खन्ना पर केंद्रित इस फिल्म में इस हिंदुस्तानी जासूस की दो प्रेमिकाएं - एक हिंदुस्तानी और एक पाकिस्तानी थी। शायद इसी लिए फिल्म के टाइटल के साथ लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई की टैग लाइन जोड़ी गई थी। ग़दर एक प्रेम कथा के बाद सनी देओल पाकिस्तान के अंदर घुस कर जवाब देने वाले हीरो बन गए थे। इसलिए उन्ही पर केंद्रित द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई ने मुम्बई सर्किट में सबसे अच्छा बिज़नस किया। इस फिल्म में सनी देओल के मेजर अरुण खन्ना के किरदार ने तीन रूप बदले थे।
द हीरो के बाद अजान और दूसरे रॉ एजेंट
द हीरो के सनी देओल के बाद रॉ एजेंट बने सचिन जोशी। मुम्बई के गुटखा किंग जगदीश एम जोशी के बेटे सचिन जोशी को फिल्मों का चस्का है। तीन तेलुगु फिल्मों में अभिनय करने के बाद जब सचिन ने बॉलीवुड की और रुख किया तो खुद का प्रोडक्शन हाउस स्थापित कर फिल्म अज़ान (२०११) का निर्माण किया। इस फिल्म में
सचिन जोशी ने रॉ एजेंट अज़ान खान का किरदार किया था। इस फिल्म की कहानी रॉ एजेंट अज़ान खान की कहानी थी, जिसका भाई अमान खान पर जासूसी करने का शक़ किया जा रहा है। इस फिल्म में रॉ एजेंट बने सचिन जोशी की अभिनेता शाहरुख़ खान ने काफी तारीफ की थी। लेकिन, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से विफल रही।
दूसरे एजेंट
अज़ान की असफलता के बावजूद रॉ एजेंट किरदार के साथ फिल्मों का सिलसिला चल निकला। बॉलीवुड के तमाम बड़े छोटे सितारों ने रॉ एजेंट की भूमिकाएं की। कबीर खान ने भी अपनी दो फिल्मों के कथानक में रॉ एजेंट को केंद्र में रखा। ख़ास बात यह रही कि बड़े परदे के यह रॉ एजेंट दर्शकों को पसन्द भी आये।
टाइगर बने सलमान खान
कबीर खान की फिल्म एक था टाइगर (१५ अगस्त २०१२ को रिलीज़) की कहानी काफी कुछ सनी देओल की २००३ की फिल्म द हीरो लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई से मेल खाती थी। इस फिल्म में सलमान खान ने कोड नाम टाइगर वाले रॉ एजेंट अविनाश सिंह राठौर का किरदार किया था। इराक में एक मिशन में इसकी मुलाक़ात एक आईएसआई एजेंट ज़ोया से होती है। दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगते हैं। इस फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली थी। ७५ करोड़ में बनी फिल्म ने ३२० करोड़ का ग्रॉस किया था।
सैफ अली खान भी रॉ एजेंट
परंतु, एक था टाइगर से पहले २३ मार्च २०१२ को श्रीराम राघवन निर्देशित फिल्म एजेंट विनोद रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म अफगानिस्तान और पाकिस्तान में रॉ के लिए काम कर रहे एजेंट विनोद की थी। विनोद को इन दोनों देशों में साथी एजेंटों के मारे जाने के कारणों का पता लगाना था। इस फिल्म में करीना कपूर और कुछ विदेशी किरदार भी थे। बॉक्स ऑफिस पर ९७ करोड़ कमाने वाली ७९ करोड़ लागत वाली एजेंट विनोद को फ्लॉप फिल्मों में शुमार किया जाता है।
२०१३ में कोई तीन रॉ एजेंट फ़िल्में रिलीज़ हुई। इन फिल्मों के एजेंट विदेश में भारत के विरुद्ध साज़िश रच रहे दुश्मन देशों के एजेंटों से मुक़ाबला करते थे। इन फिल्मों के कथानक को लेकर देश- विदेश में विवाद भी हुआ।
विश्वरूपम उर्फ़ विश्वरूप
२०१३ में सबसे पहले रिलीज़ हुई कमल हासन की तमिल फिल्म विश्वरूपम। इस फिल्म का हिंदी संस्करण विश्वरूप १ फरवरी २०१३ को रिलीज़ हुआ। निर्माता और निर्देशक कमल हासन ने इस फिल्म में रॉ एजेंट विश्वनाथ उर्फ़ मेजर विसम अहमद कश्मीरी की भूमिका की थी। कमल हासन का किरदार न्यू यॉर्क सिटी में रहते हुए एक शास्त्रीय नर्तक विश्वनाथ के वेश में दुश्मन एजेंटों की टोह ले रहा था। तकनीकी रूप से भी उत्कृष्ट इस फिल्म के निर्माण में ९५ करोड़ रुपये खर्च हुए थे। फिल्म ने २२० करोड़ का ग्रॉस किया। कुछ मुस्लिम संगठनों ने फिल्म को लेकर आपत्ति भी की।
डी- डे
निखिल अडवाणी निर्देशित फिल्म डी-डे (१९ जुलाई २०१३ को रिलीज़) में इरफ़ान खान ने पाकिस्तान में एक रॉ एजेंट वली खान का किरदार किया था, जो भारत में मुम्बई में वांछित डी कंपनी के सरगना गोल्डमैन पर नज़र रखे हुए था । फिल्म में भारत से भेजे गए अर्जुन रामपाल और हुमा कुरैशी के एजेंट किरदार डी कंपनी के सरगना को गिरफ्तार कर भारत की सीमा के अंदर ला कर मार देते हैं। इस फिल्म में ऋषि कपूर ने गोल्डमैन का किरदार किया था। मगर फिल्म को ख़ास सफलता नहीं मिली।
मद्रास कैफ़े
निर्माता जॉन अब्राहम और शूजित सरकार ने लिट्टे द्वारा तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि पर फिल्म मद्रास कैफ़े (२३ अगस्त २०१३ रिलीज़) का निर्माण किया था। शूजित सरकार द्वारा निर्देशित फिल्म में जॉन अब्राहम ने रॉ एजेंट विक्रम सिंह का किरदार किया था। फिल्म की ज़्यादा शूटिंग श्रीलंका में जाफना में हुई थी। इस फिल्म की निर्माण लागत ३५ करोड़ थी। फिल्म ने ५१ करोड़ का ग्रॉस किया।
टाइगर और विनोद के बाद फैंटम
कबीर खान ने, २०१२ में सलमान खान के साथ रॉ एजेंट फिल्म बनाने के बाद एक बार फिर फैंटम से रॉ एजेंट फिल्म जैसे विषय पर हाथ आजमाया। इस फिल्म में सैफ अली खान दूसरी बार रॉ एजेंट की भूमिका कर रहे थे। यह फिल्म काफी बनते रुकते और फिर बनते बनी थी। पहले इस फिल्म का नाम दनियाल खान था। हुसैन ज़ैदी के उपन्यास मुम्बई अवेंजर्स पर आधारित कबीर खान की लिखी पटकथा पर इस फिल्म में रॉ एजेंट दनियाल खान को भारत के जाने पहचाने अपराधी हफ़ीज़ सईद को पकड़ने या मार डालने का काम सौंपा जाता है। एक था टाइगर और बजरंगी भाईजान के डायरेक्टर कबीर खान की फिल्म फैंटम से दर्शकों ने कुछ ज़्यादा उम्मीदें लगा रखी थी। इसलिए, घिसेपिटे क्लाइमेक्स वाली फैंटम बॉक्स ऑफिस पर ५० करोड़ की लागत के विरुद्ध ६३ करोड़ का ग्रॉस ही कर सकी।
फाॅर्स २ का अलग फाॅर्स
ज़ाहिर है कि बॉलीवुड के रॉ एजेंट को बॉक्स ऑफिस से खट्टे-मीठे अनुभव मिले थे। इस लिए अक्षय कुमार की फिल्म बेबी और जॉन अब्राहम और वरुण धवन की फिल्म डिशूम के जासूस भारत की काल्पनिक सीक्रेट एजेंसी के एजेंट थे। फिर भी रॉ एजेंट वाली फिल्मों के इक्का दुक्का प्रयास जारी रहे। फाॅर्स २ में सोनाक्षी सिन्हा रॉ की एजेंट बनी थी । उनकी मदद कर रहे जॉन अब्राहम एक तेज़ तर्रार पुलिस ऑफिसर थे। यह फिल्म रॉ द्वारा विदेशों में अपने एजेंटों को पकड़े जाने पर नकारने के कथानक पर फिल्म थी। अभिनय देव की यह फिल्म कथ्य के हिसाब से काफी अलग थी । इस फिल्म ने ४५ करोड़ के बजट के विरुद्ध बॉक्स ऑफिस पर ५८.७५ करोड़ का ग्रॉस किया। निर्देशक समीर सिप्पी की रोमांस फिल्म इश्क़ फॉरएवर में जावेद जाफरी और लिसा रे ने रॉ एजेंट का रोल किया था, जिन्हें प्रधान मंत्री को हमले से बचाने की ड्यूटी सौंपी गई थी।
फिर रॉ एजेंट
टाइगर बने सलमान खान
कबीर खान की फिल्म एक था टाइगर (१५ अगस्त २०१२ को रिलीज़) की कहानी काफी कुछ सनी देओल की २००३ की फिल्म द हीरो लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई से मेल खाती थी। इस फिल्म में सलमान खान ने कोड नाम टाइगर वाले रॉ एजेंट अविनाश सिंह राठौर का किरदार किया था। इराक में एक मिशन में इसकी मुलाक़ात एक आईएसआई एजेंट ज़ोया से होती है। दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगते हैं। इस फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली थी। ७५ करोड़ में बनी फिल्म ने ३२० करोड़ का ग्रॉस किया था।
सैफ अली खान भी रॉ एजेंट
परंतु, एक था टाइगर से पहले २३ मार्च २०१२ को श्रीराम राघवन निर्देशित फिल्म एजेंट विनोद रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म अफगानिस्तान और पाकिस्तान में रॉ के लिए काम कर रहे एजेंट विनोद की थी। विनोद को इन दोनों देशों में साथी एजेंटों के मारे जाने के कारणों का पता लगाना था। इस फिल्म में करीना कपूर और कुछ विदेशी किरदार भी थे। बॉक्स ऑफिस पर ९७ करोड़ कमाने वाली ७९ करोड़ लागत वाली एजेंट विनोद को फ्लॉप फिल्मों में शुमार किया जाता है।
२०१३ में कोई तीन रॉ एजेंट फ़िल्में रिलीज़ हुई। इन फिल्मों के एजेंट विदेश में भारत के विरुद्ध साज़िश रच रहे दुश्मन देशों के एजेंटों से मुक़ाबला करते थे। इन फिल्मों के कथानक को लेकर देश- विदेश में विवाद भी हुआ।
विश्वरूपम उर्फ़ विश्वरूप
२०१३ में सबसे पहले रिलीज़ हुई कमल हासन की तमिल फिल्म विश्वरूपम। इस फिल्म का हिंदी संस्करण विश्वरूप १ फरवरी २०१३ को रिलीज़ हुआ। निर्माता और निर्देशक कमल हासन ने इस फिल्म में रॉ एजेंट विश्वनाथ उर्फ़ मेजर विसम अहमद कश्मीरी की भूमिका की थी। कमल हासन का किरदार न्यू यॉर्क सिटी में रहते हुए एक शास्त्रीय नर्तक विश्वनाथ के वेश में दुश्मन एजेंटों की टोह ले रहा था। तकनीकी रूप से भी उत्कृष्ट इस फिल्म के निर्माण में ९५ करोड़ रुपये खर्च हुए थे। फिल्म ने २२० करोड़ का ग्रॉस किया। कुछ मुस्लिम संगठनों ने फिल्म को लेकर आपत्ति भी की।
डी- डे
निखिल अडवाणी निर्देशित फिल्म डी-डे (१९ जुलाई २०१३ को रिलीज़) में इरफ़ान खान ने पाकिस्तान में एक रॉ एजेंट वली खान का किरदार किया था, जो भारत में मुम्बई में वांछित डी कंपनी के सरगना गोल्डमैन पर नज़र रखे हुए था । फिल्म में भारत से भेजे गए अर्जुन रामपाल और हुमा कुरैशी के एजेंट किरदार डी कंपनी के सरगना को गिरफ्तार कर भारत की सीमा के अंदर ला कर मार देते हैं। इस फिल्म में ऋषि कपूर ने गोल्डमैन का किरदार किया था। मगर फिल्म को ख़ास सफलता नहीं मिली।
मद्रास कैफ़े
निर्माता जॉन अब्राहम और शूजित सरकार ने लिट्टे द्वारा तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि पर फिल्म मद्रास कैफ़े (२३ अगस्त २०१३ रिलीज़) का निर्माण किया था। शूजित सरकार द्वारा निर्देशित फिल्म में जॉन अब्राहम ने रॉ एजेंट विक्रम सिंह का किरदार किया था। फिल्म की ज़्यादा शूटिंग श्रीलंका में जाफना में हुई थी। इस फिल्म की निर्माण लागत ३५ करोड़ थी। फिल्म ने ५१ करोड़ का ग्रॉस किया।
टाइगर और विनोद के बाद फैंटम
कबीर खान ने, २०१२ में सलमान खान के साथ रॉ एजेंट फिल्म बनाने के बाद एक बार फिर फैंटम से रॉ एजेंट फिल्म जैसे विषय पर हाथ आजमाया। इस फिल्म में सैफ अली खान दूसरी बार रॉ एजेंट की भूमिका कर रहे थे। यह फिल्म काफी बनते रुकते और फिर बनते बनी थी। पहले इस फिल्म का नाम दनियाल खान था। हुसैन ज़ैदी के उपन्यास मुम्बई अवेंजर्स पर आधारित कबीर खान की लिखी पटकथा पर इस फिल्म में रॉ एजेंट दनियाल खान को भारत के जाने पहचाने अपराधी हफ़ीज़ सईद को पकड़ने या मार डालने का काम सौंपा जाता है। एक था टाइगर और बजरंगी भाईजान के डायरेक्टर कबीर खान की फिल्म फैंटम से दर्शकों ने कुछ ज़्यादा उम्मीदें लगा रखी थी। इसलिए, घिसेपिटे क्लाइमेक्स वाली फैंटम बॉक्स ऑफिस पर ५० करोड़ की लागत के विरुद्ध ६३ करोड़ का ग्रॉस ही कर सकी।
फाॅर्स २ का अलग फाॅर्स
ज़ाहिर है कि बॉलीवुड के रॉ एजेंट को बॉक्स ऑफिस से खट्टे-मीठे अनुभव मिले थे। इस लिए अक्षय कुमार की फिल्म बेबी और जॉन अब्राहम और वरुण धवन की फिल्म डिशूम के जासूस भारत की काल्पनिक सीक्रेट एजेंसी के एजेंट थे। फिर भी रॉ एजेंट वाली फिल्मों के इक्का दुक्का प्रयास जारी रहे। फाॅर्स २ में सोनाक्षी सिन्हा रॉ की एजेंट बनी थी । उनकी मदद कर रहे जॉन अब्राहम एक तेज़ तर्रार पुलिस ऑफिसर थे। यह फिल्म रॉ द्वारा विदेशों में अपने एजेंटों को पकड़े जाने पर नकारने के कथानक पर फिल्म थी। अभिनय देव की यह फिल्म कथ्य के हिसाब से काफी अलग थी । इस फिल्म ने ४५ करोड़ के बजट के विरुद्ध बॉक्स ऑफिस पर ५८.७५ करोड़ का ग्रॉस किया। निर्देशक समीर सिप्पी की रोमांस फिल्म इश्क़ फॉरएवर में जावेद जाफरी और लिसा रे ने रॉ एजेंट का रोल किया था, जिन्हें प्रधान मंत्री को हमले से बचाने की ड्यूटी सौंपी गई थी।
फिर रॉ एजेंट
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