भारतीय
सिनेमा की सितारा अभिनेत्री श्रीदेवी का निधन ५४ साल की उम्र में हुआ था। जिस
प्रकार से वह हिंदी और दक्षिण की फिल्मों में सक्रिय थी, उससे उनका जाना बड़ी ज़ल्दी चला जाना लगता
है। लेकिन, श्रीदेवी से पहले और उनसे भी कम उम्र में, टेलीविज़न और फिल्मों के कई सितारे मृत्यु
के ग्रास बन गए। कुछ सितारों ने पेशेवर या व्यक्तिगत जीवन की निराशा के चलते
आत्महत्या कर ली। मगर,
इन सितारों
ने अपने छोटे करियर में ही रूपहले परदे को मालामाल कर दिया था।
इमोशन की
मृत्यु
मीना कुमारी
को जब याद किया जाता है तो बैजू बावरा से दिल अपना और प्रीत पराई, आरती, दिल एक मंदिर और साहिब बीवी और गुलाम से लेकर पाकीज़ा तक याद किया जाता
है। वह हरफनमौला अभिनेत्री थी, लेकिन गंभीर भूमिकाये, ख़ास तौर पर दुखांत कहानियों की वह मलिका थी। उन्होंने छः साल की उम्र
में फिल्म लेदर फेस की बाल भूमिका से लेकर पाकीज़ा में तवायफ की भूमिका तक ३४ साल
के फिल्म करियर में लगभग ९२ फिल्मों में अभिनय किया। लेकिन, वह जीवित रही सिर्फ ३८ साल। स्मिता पाटिल
तो उनसे भी कम उम्र जीवित रही। स्मिता पाटिल की मृत्य ३१ साल में हो गई। स्मिता
पाटिल ने अपने १५ साल लम्बे फिल्म जीवन में निशांत, भूमिका,
मंथन, भवानी भवाई, आक्रोश,
चक्र, अर्थ और मंडी जैसी फिल्मों से खुद को अमर
कर लिया। उन्हें भूमिका और चक्र के लिए दो राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिले। दिलचस्प
बात यह थी कि वह समान्तर फिल्मों की उन अभिनेत्रियों में शुमार हुई, जो मसाला फिल्मों मी भी सामान रूप से सफल
हुई। उन्होंने,
राजकुमार, अमिताभ बच्चन, राजेश खन्ना, मिथुन चक्रवर्ती जैसे बॉलीवुड के सुपर
सितारों के साथ फ़िल्में की।
दिल के दौरे
ने ली जान
काम का तनाव
था या निजी ज़िंदगी की ज़द्दोजहद, कुछ बॉलीवुड सितारे दिल की बीमारी का शिकार हो गए। दुःख तब होता है, जब यह सितारे काफी कम उम्र में हार्ट अटैक
का शिकार हुए। विनोद मेहरा को ४५ साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ा और वह परलोक
सिधार गए। इस समय तक विनोद मेहरा ने हिंदी की मुख्य धारा की फिल्मों में अमिताभ
बच्चन, विनोद खन्ना, राजेश खन्ना, आदि के बीच अपना एक स्थान बना लिया था।
बॉलीवुड के गब्बर सिंह अमजद खान भी ५१ साल की उम्र में हार्ट अटैक के शिकार हो गए।
अमजद खान ने अपने हास्य से भरपूर खल किरदारों से हिंदी फिल्मों की खलनायिकी को
कादर खान और शक्ति कपूर के साथ नया आयाम दिया। विनोद मेहरा और अमजद खान से काफी
पहले, हिंदी फिल्मों की वीनस मधुबाला भी ३६ साल
की उम्र में दिल की बीमारी के कारण मृत्य का शिकार हुई। गीता बाली तो ३५ साल की
उम्र में चेचक ने लील लिया। इन दोनों ही अभिनेत्रियों ने अपनी छोटी ज़िन्दगी में
हिंदी फिल्मों में अपने अभिनय के झंडे गाड़ दिए थे। अंतरमहल और चोखेर बाली से मशहूर
बांगला फिल्म डायरेक्टर रितुपर्णो घोष का, जब दिल का दौरा पड़ने से निधन हुआ, वह सिर्फ ४९ साल के थे। उन्होंने, अल्पायु में ही, ११ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीत लिए थे।
शापित
गुरुदत्त परिवार
बाज़, आर पार, मिस्टर एंड मिसेज ५५, प्यासा,
कागज़ के फूल, चौदहवी का चाँद, भरोसा, बहुरानी,
सांझ और
सवेरा जैसी फिल्मों के एक्टर और कागज़ के फूल, प्यासा,
बाज़, जाल, बाज़ी,
आर पार जैसी
फिल्मों के डायरेक्टर गुरुदत्त सिर्फ ३९ साल में स्वर्गवासी हो गए थे। उनकी गायिका
पत्नी गीता राय की मृत्यु ४१ साल मे हो गई थी। गुरुदत्त परिवार को कमउम्र का श्राप
अगली पीढ़ी तक गया। उनके बड़े बेटे तरुण दत्त ने फिल्म बिंदिया चमकेगी (१९८४) में
रेखा को निर्देशित किया था। उन्होंने भी ३५ साल की उम्र में अपने पिता गुरुदत्त की
तरह आत्महत्या कर ली थी। गुरुदत्त के छोटे बेटे तरुण दत्त की मृत्य ५८ साल में हुई
थी।
संजीव कुमार
और उनके भाई भी
संजीव कुमार
ने दस्तक और कोशिश के लिए बेस्ट एक्टर का नेशनल फिल्म अवार्ड जीता था। अपनी तमाम
फिल्मों में ७५ साल तक के बूढ़े की भूमिका करने वाले संजीव कुमार अपनी मृत्य के समय
सिर्फ ४७ साल के थे। ख़ास बात यह थी कि संजीव कुमार का पूरा परिवार ज़ल्दी मरने के
लिए शापित था। जब संजीव कुमार काफी छोटे थे, तभी उनके पिता का देहांत हो गया। संजीव कुमार के दो भाई थे। यह दोनों
भी एक्टर थे। उनके एक छोटे भाई नकुल की मृत्य संजीव कुमार की मृत्यु से पहले ही हो
गई थी। दूसरे भाई किशोर जरीवाला की मृत्य छः महीने बाद हो गई।
छोटी उम्र की
मौत, बड़ा रहस्य
तेलुगु स्टार
वेंकटेश के साथ फिल्म बोब्बिली राजा से फिल्म डेब्यू करने वाली दिव्या भारती ने
सिर्फ चार साल में दक्षिण और बॉलीवुड की फिल्मों में अपना नाम बना लिया था। विश्वात्मा (१९९२) से हिंदी फिल्म डेब्यू करने वाली दिव्या भारती ने
सिर्फ दो सालों में दिल का क्या कसूर, शोला और शबनम,
दीवाना, बलवान, दिल आशना है,
क्षत्रिय, आदि हिट फिल्मों से श्रीदेवी और माधुरी
दीक्षित के लिए चुनौती खडी कर दी थी। दिव्या ने फिल्म निर्माता साजिद नाडियाडवाला
के साथ शादी कर ली थी। दिव्या भारती की
मृत्यु अपने पांचवी मंजिल के फ्लैट की बालकनी से गिरकर हो गई थी। कुछ लोग कहते हैं कि वह नशे की हालत में गिर
पड़ी, कुछ का कहना है कि उन्हें धक्का दिया
गया। यह कहने वालों की भी कमी नहीं कि
दिव्या भारती ने आत्महत्या की थी। लेकिन, दिव्या भारती की मौत हादसा थी या...! कुछ
ऐसा ही जिया खान की मौत का रहस्य है। जिया
खान ने अमिताभ बच्चन के साथ, रामगोपाल वर्मा के निर्देशन में फिल्म निःशब्द से डेब्यू किया
था। आमिर खान की फिल्म गजिनी में सह
भूमिका में भी उन्होंने दर्शकों को प्रभावित किया। जिया खान, एक्टर आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली से प्रेम करती थी और शादी करना चाहती थी। कहते हैं कि सूरज ने शादी से इंकार किया, इसलिए निराश जिया ने आत्महत्या कर ली। उस
समय वह २५ साल की थी। जिया की माँ आज भी अपनी बेटी की मौत को हत्या ही बताती हैं।
दिव्या भारती और जिया खान की मौत आज भी रहस्य के घेरे में है।
जसपाल भट्टी
के शो के शौक
जसपाल भट्टी
के शो फ्लॉप शो से अपने करियर की शुरुआत करने वाले विवेक शौक का निधन ४७ साल में
हो गया था। विवेक को सनी देओल के साथ
फिल्म ग़दर एक प्रेम कथा में सनी के दोस्त दरमियान सिंह की भूमिका से फिल्मों में
पहचान मिली। उनकी उल्लेखनीय फिल्मों में
दिल्ली हाइट्स,
ऐतराज़, ३६ चाइना टाउन, दिल है तुम्हारा, आदि हैं। ख़ास बात यह थी कि उल्टा पुल्टा
में उनके डायरेक्टर जसपाल भट्टी की मृत्यु एक कार एक्सीडेंट में हुई थी। उस समय वह ५७ साल के थे। लेकिन, श्रीदेवी की तरह, जसपाल भी अपने बेटे की पहली
फिल्म पावर कट की रिलीज़ नहीं देख सके। जसपाल ही इस फिल्म के डायरेक्टर थे।
टीवी के
सितारे, दिल के मारे
टीवी एक्टर
संजीत बेदी (फिल्म हॉलिडे और टीवी सीरियल हमारी बेटियों का विवाह, क्या होगा निम्मो का, कोई जाने न) और अबीर गोस्वामी (कुसुम, प्यार का दर्द है मीठा मीठा प्यारा प्यारा, घर आना पड़ेसी, आदि) का भी देहांत चालीस साल से कम की
उम्र में हो गया। दिलचस्प तथ्य यह था कि संजीत का जहाँ लम्बी बीमारी के बाद
हॉस्पिटल मे देहांत हुआ,
वही अबीर का
इलाज़ के दौरान दिल का दौरा पड़ने से देहांत हुआ। रामगोपाल वर्मा की फिल्मों जंगल, शूल, आदि के एक्टर अशरफुल हक़ का निधन भी ४५ साल में हुआ। उन्होंने, मांझी द माउंटेनमैन, फुकरे, तलाश द आंसर लाइज वीथिन, पान सिंह तोमर, डेल्ही बेली, आदि से अपनी अलग पहचान बनाई। टीवी सीरियल
नुक्कड़ के गुरु दिलीप धवन के फिल्म करियर की शुरुआत हिंदी फिल्म संघर्ष में दिलीप
कुमार के बचपन का किरदार करके हुई। उन्होंने नुक्कड़ के बाद कई टीवी सीरियल किये।
सईद मिर्ज़ा की फिल्मों के वह स्थाई सदस्य हुआ करते थे। उनकी दिल का दौरा पड़ने से
जब मृत्यु हुई तब वह ४५ साल के थे। ये जो है ज़िन्दगी के शफी इनामदार दिल का दौरा
पड़ने से ५० साल की उम्र में कालकवलित हो गए।
अनोखे निर्मल
पांडे
शेखर कपूर की
फिल्म बैंडिट क्वीन में विक्रम मल्लाह की छोटी भूमिका से भी अपनी पहचान बनाने वाली
निर्मल ने छोटी आयु (४७ साल) में ही ट्रेन टू पाकिस्तान, इस रात की सुबह नहीं, हम तुम पे मरते हैं, आदि से ही खूब शोहरत लूटी थी। उन्हें
फिल्म दायरा में एक हिंजड़े के किरदार के लिए फ्रांस के फिल्म फेस्टिवल में सोनाली
कुलकर्णी के साथ बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार मिला था। यह निर्मल द्वारा स्थापित
अपने आप में अनोखा कीर्तिमान है।
कुछ दूसरी
बीमारियां और दुर्घटना
लक्ष्मीकांत
बेर्डे ने सूरज बडजात्या की फिल्मों मैंने प्यार किया, हम साथ साथ हैं, हम आपके हैं कौन के कॉमेडियन के तौर पर
अपनी पहचान बना ली थी। किडनी की बीमारी के कारण ५० साल की उम्र में उनका निधन हो
गया। अक्षय कुमार की फिल्म भूल भुलैया में जानकी उपाध्याय की भूमिका करने वाली
रसिका जोशी का ३८ साल की उम्र में रक्त कैंसर से निधन हो गया। प्रियदर्शन और
रामगोपाल वर्मा की फिल्मों के इस जाना पहचाने इस चेहरे ने मालामाल वीकली, ढोल, डरना ज़रूरी है,
गायब, सरकार, एक हसीना थी,
आदि फिल्मों
से अपनी पहचान बनाई। अमिताभ बच्चन की दोहरी भूमिका वाली फिल्म सुर्यवंषम में
अमिताभ बच्चन की पत्नी की भूमिका करने वाली अभिनेत्री सौंदर्या तमिल, तेलूग, कन्नड़ और मलयालम फिल्मों की स्थापित एक्टर थी। लेकिन, उन्होंने हिंदी मे सिर्फ यही एक फिल्म की
थी। २००४ में जब वह भारतीय जनता पार्टी के प्रचार में जा रही थी, तो एक हवाई दुर्घटना में ३१ साल की उम्र
में उनकी मृत्यु हो गई।
आत्महत्या कर
ली
टीवी
एक्ट्रेस और बालिका बधू की आनंदी प्रत्युष बनर्जी अपने घर में रहस्यमय मौत का
शिकार हुई। हिप हिप हुर्रे,
घर एक मंदिर, रिश्ते, क्यों होता है प्यार, आदि शो की मशहूर अभिनेत्री कुलराज रंधावा ने २८ साल की अल्पायु में
आत्महत्या कर ली थी। इसी प्रकार से कुलराज की अच्छी मित्र नसीफा जोसफ ने अपनी शादी
टूट जाने के कारण अवसादग्रस्त हो कर आत्महत्या कर ली। उस समय वह २६ साल की थी। माधुरी दीक्षित के
सेक्रेटरी रिक्कू राकेशनाथ के बेटे करण नाथ के साथ फिल्म पागलपन में अभिनय करने
वाली आरती अगरवाल को दक्षिण की फिल्मों में सफलता मिली। लेकिन, उनका निजी जीवन काफी उथलपथल भरा रहा। उनकी शादी टूट गई थी। उन्होंने
कई बार आत्महत्या करने की कोशिश की। सर्जरी में समस्या के बाद उनकी हालत ख़राब होती
चली गई। एक दिन कोमा की हालत में वह हॉस्पिटल ले जाई गई, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उस
समय वह ३१ साल की थी।
No comments:
Post a Comment