Sunday 24 January 2021

क्यों नहीं थम रहा गुस्से का ‘तांडव’?


सलमान खान की सुल्तान और टाइगर ज़िंदा है जैसी सुपरहिट फिल्मों का निर्देशन करने वाले अली अब्बास ज़फर तांडव की आग में घिर चुके हैं।  उनकी प्राइम वीडियो से स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज ने भयंकर विवादों को जन्म दे दिया है। बहुसंख्यक हिन्दुओं का गुस्सा आसमान पर  है।  हालाँकि, अली ने बिना शर्त लिखित माफ़ी ज़ारी कर दी है। लेकिन, लोग उनकी माफ़ी मंजूर करने को तैयार नहीं।  ऐसा क्या हो गया कि  तांडव शांत नहीं हो रहा?

विवादित सामग्री का तांडव- सच बात तो यह है कि तांडव सिर्फ हिन्दू धर्म का मज़ाक ही नहीं उड़ाती, बल्कि यह अलगाववाद को भी बढ़ावा देती है। सेना, पुलिस और सरकार को 'मासूम' मुसलमानों को एनकाउंटर में मार देने वाला भी  बताती है।  यह शो सन्देश देता लगता है कि भारत में मुसलमानों को मारना आसान है।  यह सीरीज दिल्ली के जेएनयू में आज़ादी आज़ादी के  लगाने वाले अलगाववादी  कन्हैया कुमार और उमर खालिद का महिमा मंडन करती है। इस सबके बावजूद तांडव पर आम जान का गुस्सा इंतहा की हद लगता है।  इसके साफ़ कारण भी है।

निशाने पर हिन्दू !- तांडव, वेब सीरीज पर रिलीज़ हुई उन तमाम सीरीज की परंपरा में हैं, जो हिन्दू धर्म पर प्रहार करती है। यानि इससे ऐसा  लगता है कि ओटीटी प्लेटफार्म और कुछ फिल्मकारों का सॉफ्ट टारगेट हिन्दू और हिन्दू धर्म बन गया है।  ऎसी तमाम सीरीज रिलीज़ हुई है और इस  समय भी  स्ट्रीम हो रही है, जिनके निशाने पर हिन्दू धर्म, हिन्दू परम्पराएं, भगवान, देवी-देवता और चिन्ह है।

निरंकुश डिजिटल माध्यम- वेब सीरीज के ज़रिये हिन्दुओं और हिन्दू धर्म  को निशाना बनाना ओटीटी प्लेटफार्म की लोकप्रियता के साथ ही शुरू हो गया था।  डिजिटल प्लेटफार्म पर किसी प्रकार का अंकुश नहीं है।  फिल्मों की तरह डिजिटल सामग्री सेंसर नहीं होती।  इसलिए, डिजिटल सीरीज में गन्दी गालियों, अश्लील  हरकतों और सेक्स प्रदर्शन की स्वतंत्रता होती है। इस प्रकार की  सामग्री वाली सीरीज या फिल्म लोकप्रिय  हो  जाती है।  इसीलिए कोई हिन्दू ब्राह्मण प्रकाश झा और मुस्लिम अली अब्बास ज़फर हिन्दू धर्म को निशाना बनाती विषय वस्तु परोसने में नहीं हिचकता।  सिर्फ पिछले साल ही में कई ऐसी फ़िल्में या सीरीज बनाई गई  थी, जिनमे हिन्दू विरोधी सामग्री थी।  प्रकाश झा की सीरीज आश्रम, मीरा नायर की फिल्म/सीरीज अ सूटेबल बॉय, पाताल लोक, बुलबुल, गॉडमैन, लीला, आदि ऎसी ही फ़िल्में और सीरीज थी।

सेना का अपमान भी- डिजिटल माध्यम से, हिन्दू धर्म के अलावा सेना का अपमान करने की भी कोशिश की गई। ऐसी सीरीज में एकता कपूर की सीरीज ट्रिपल एक्स २, मनोज बाजपेई की  द फॅमिली मैन, आदि सीरीज में सेना की वर्दी फाड़ने और उन्हें आतंकवादियों की आड़ में मासूम मुसलमानों का क़त्ल  करने वाली बताया जाता था। यही कारण था कि भारत  को ओटीटी प्लेटफार्म से किसी सामग्री के प्रसारण से पहले भारत सरकार के रक्षा  विभाग से एनओसी लेने के लिए कहा गया था।

बात क्यों नहीं बनी ?- अली अब्बास ज़फर की सीरीज तांडव में सेना, पुलिस और हिन्दू धर्म, सभी को निशाना बनाया गया है।  यही कारण है कि विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा। दरअसल, इसका साफ़ कारण भी है।  अभी तक जितने भी विवाद खड़े हुए है, वह या तो वक़्त के साथ दब गए या  माफीनामे के बाद ख़त्म मान लिए गए।  इसके बाद, डिजिटल प्लेटफार्म से नए सिरे से आपत्तिजनक सामग्री परोसे जाने का  सिलसिला शुरू हो गया।  ऐसा मान लिया गया कि माफ़ी मांग लो, सब ठीक हो जाएगा।

क्यों बंद की जाए तांडव ? -यही कारण है कि तांडव को बंद किये जाने  की मांग उठ रही है।  हिन्दुओ को लगता है कि बिना आक्रामक हिन्दू धर्म और हिन्दुओं को  निशाना बनाना रुकेगा नहीं।  कंगना रनौत ने तो टीम तांडव के खिलाफ हिंसा करने की बात भी ट्वीट कर दी थी।  हिन्दुओं ने देखा है कि हिंसक घटनाओं के बाद या हिंसा की धमाके दे कर किसी शो या फिल्म को रोका जा  सकता है।  सीरीज बाइबिल की कहानिया का प्रसारण मुसलमानों की हिंसा करने की धमकी के बाद रोक दिया गया था।  कमल हासन को अपनी फिल्म विश्वरूपम  को विरोध के बाद, रोकना पड़ा था तथा मुसलमानों की मांग के अनुसार दृश्यों  और संवादों  में बदलाव् करने पड़े थे।  बाइबिल की  कहानियां और विश्वरूप के बीच दसियों ऐसा उदाहरण है, जिनमे मुस्लिम तुष्टिकरण के सामने झुकना पड़ा।  तांडव के विरोधियों के सामने यह नज़ीर हैं।  

 


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