बलदेव सिंह बेदी
१९६६ की म्यूजिकल, ऐतिहासिक रोमांस ड्रामा फिल्म आम्रपाली का रीमेक बनाने जा रहे
है। पचास साल पहले रिलीज़ ऍफ़ सी मेहरा की फिल्म में नगरवधु आम्रपाली का किरदार वैजयंतीमाला ने किया
था। सुनील दत्त उनके प्रेमी अजातशत्रु बने थे। रीमेक में आम्रपाली का किरदार कौन
अभिनेत्री करेगी, अभी तय नहीं हुआ है। लेकिन, पता चला है कि १९६६ की फिल्म में
अजातशत्रु का किरदार करने वाले सुनील दत्त के बेटे संजय दत्त नई आम्रपाली में इस किरदार को करेंगे। पुरानी आम्रपाली के तमाम गीत गायिका लता मंगेशकर ने गाये थे। आज के जमाने की
आम्रपाली के सभी गीत मधुश्री गा रही हैं। मधुश्री इस फिल्म के दो गीतों की
रिकॉर्डिंग भी कर चुकी है। पहला गीत रशीद खान के साथ मधुश्री का गाया आम्रपाली के
बचपन से युवा होने तक के सफ़र को बताने वाला गीत है। दूसरा गीत हल्दी रस्म पर है। आम्रपाली के गीतों को अपनी आवाज़ देने के बारे में मधुश्री कहती हैं, “मैं बहुत
उत्साहित हूँ कि मैं आम्रपाली के सभी गीत गा रही हूँ। मैंने पुरानी आम्रपाली के गीत सुने है। लता जी ने तमाम गीत बहुत शानदार गाये हैं। मुझे उनके काम को अंजाम देना
है। यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।” आम्रपाली का संगीत रॉबी बादल तैयार कर
रहे हैं।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Thursday 9 June 2016
आम्रपाली में लता मंगेशकर की जगह मधुश्री
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गीत संगीत
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Wednesday 8 June 2016
टाइटल अजीबो गरीब
इस हफ्ते रिलीज़ होने जा रही, निर्माता सुजॉय सरकार की फिल्म 'TE3N ' बॉलीवुड के विचित्र टाइटल वाली फिल्मों की लम्बी सीरीज में विचित्र टाइटल वाली ताज़ातरीन फिल्म हैं। इस फिल्म का टाइटल हिंदी में नहीं। अंग्रेजी टाइटल में टीई और एन के बीच इंग्लिश का ३ है। इससे यह आभास तो होता ही है कि फिल्म का टाइटल TEEN (टीन यानि किशोर/किशोरी) होगा। लेकिन, अंकों में लिखा ३ थोड़ा धोखा भी देता है और उत्सुकता भी जगाता है। यह फिल्म वास्तव में तीन चरित्रों की एक गुमशुदा लड़की को खोजने की सस्पेंस थ्रिलर कहानी है।
विचित्र साइलेंस
विचित्र टाइटल वाली फिल्मों का सिलसिला मूक फिल्मों के युग से ही शुरू हो गया था। १९२० में रिलीज़ श्रीराम पाटनकर की फिल्म द एनचांटेड पिल्स उर्फ़ विचित्र गुटिका टाइटल इसका उदाहरण है। जे जे मदन की १९२३ में रिलीज़ फिल्म का टाइटल पत्नी प्रताप था। फिल्मों को आवाज़ मिलने से पहले के साल यानि १९३० में अलबेलो सवार, भोला शिकार, चतुर सुंदरी, डॉटर ऑफ़ अख्तर नवाज़ आउटलॉ, जवान मर्द उर्फ़ डैशिंग हीरो, स्पार्कलिंग युथ उर्फ़ जगमगाती जवानी और रसीली रानी जैसे टाइटल वाली मूक फ़िल्में रिलीज़ हुई।
बोली भी तो विचित्र---!
चलती फिरती फिल्मों के साल यानि १९३१ में मीठी छुरी जैसे टाइटल वाली साइलेंट फिल्म तथा फौलादी फरमान, गायब ए गरुड़ उर्फ़ ब्लैक ईगल, थर्ड वाइफ और तूफानी तरुणी जैसे टाइटल वाली फ़िल्में रिलीज़ हुई। साफ़ तौर पर, युग चाहे मूक रहा हो या सवाक फिल्मों का, समाजिक फ़िल्में बनती हो या एक्शन फंतासी फ़िल्में, विचित्र शीर्षकों पर फिल्मों के नाम रखने का सिलसिला लगातार चला आ रहा है। कभी निर्माता अपनी फिल्मों का कथ्य समझाने के लिए या दर्शकों में उत्सुकता पैदा करने के लिए फ़िल्मों के शीर्षक अजीबो गरीब रख देता है। कॉमेडी शैली की फिल्मों के शीर्षक तो अपने आप में हास्य पैदा करने वाले होते हैं।
हंसोड़ विचित्रता
यह जताने के लिए कि कोई फिल्म कॉमेडी है, विचित्र या ऊटपटांग टाइटल रखा जाना स्वभाविक है। हू हू हा हा ही ही, अपलम चपलम, तेल मालिश बूट पॉलिश, मुर्दे की जान खतरे में, मिस कोका कोला, मैं शादी करने चला, लडके बाप से बढ़ के, लड़की पसंद है, कुंवारी या विधवा, इसकी टोपी उसके सर, हम तो मोहब्बत करेगा, फॉर लेडीज ओनली, गुरु सुलेमान चला पहलवान, घर में राम गली में श्याम, दो नंबर के अमीर, दो लडके दोनों कड़के, दामाद चाहिए, हंसो हंसो ऐ दुनिया वालों, चलती का नाम गाडी, बढती का नाम दाढ़ी, मुर्दे की जान खतरे में, अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान, गुरु सुलेमान चेला पहलवान, बाप नंबरी तो बेटा दस नम्बरी, धोती लोटा और चौपाटी, आदि टाइटल फिल्म के कॉमेडी होने की ओर इशारा कर रहे हैं। इस लिहाज़ से दादा कोंडके का जवाब नहीं। उनकी फिल्मों के टाइटल और संवाद द्विअर्थी हुआ करते थे। उन्होंने हिंदी में तेरे मेरे बीच में, अँधेरी रात में दिया तेरे हाथ में, आगे की सोच जैसी द्विअर्थी टाइटल और संवाद वाली सफल फ़िल्में बनाई। वही थोड़ा रूमानी हो जाएँ आम कॉमेडी फिल्मों से हट कर कॉमेडी फिल्म का टाइटल है।
सामजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल
सामाजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल फिल्म के कंटेंट की ओर भी इशारा करते हैं। ख़ास तौर पर दहेज़ जैसी महिला समस्या को लेकर ऐसे टाइटल वाली फ़िल्में खूब बनी। बन्दूक दहेज़ के सीने पे, ज्वाला दहेज़ की, दूल्हा बिकता है, सस्ती दुल्हन महंगा दूल्हा, आदि विचित्र शीर्षकों वाली फ़िल्में दहेज़ की गम्भीर समस्या पर थी। इनके अलावा एक फूल तीन कांटे, फैशनेबुल वाइफ, अकेली मत जइयो, आप तो ऐसे न थे, बाली उमर को सलाम, बिन माँ के बच्चे, ग्यारह हजार लड़कियां, कब तक चुप रहूंगी, कितना बदल गया इंसान, मैं और मेरा हाथी, मैं नशे में हूँ, मेरा पति सिर्फ मेरा है, प्यार करने वाले कभी कम न होंगे, प्यार किया है प्यार करेंगे, क़ैद में है बुलबुल, यहाँ से शहर को देखो, उधार का सिन्दूर, समाज को बदल डालो, आदि फ़िल्में किसी न किसी सामाजिक समस्या पर फ़िल्में थी।
यह लड़की लड़ैत है
कुछ फिल्मों के विचित्र टाइटल नायिका के लड़ैत यानि एक्शन हीरोइन होने की ओर इशारा करते हैं। सीतापुर की गीता, सिपाही की सजनी, सिन्दूर और बन्दूक, टार्ज़न की बेटी, मिस फ्रंटियर मेल, मिस कोका कोला, मेहनि बन गई खून, मैं चुप नहीं रहूंगी, मैं अबला नहीं हूँ, हातिमताई की बेटी, एलीफैंट क्वीन, दिलरुबा तांगेवाली, डाकू की लड़की, कार्निवाल क्वीन, बसंती तांगेवाली, बम्बई की बिल्ली, बागी हसीना, आलम आरा की बेटी, अफलातून औरत, जंगल की बेटी, आदि फिल्मों की नायिका समाज से सताई हुई, बलात्कार या अन्याय की शिकार और तंग आ कर हथियार उठा लेने वाली औरत थी।
विचित्र कामुकता
कामुक या सेक्सी फिल्मों के टाइटलों में भी विचित्रता दिखाई देती है। लेकिन, यह टाइटल बताते हैं कि फिल्म सेक्सी है। नायिका का उदार अंग प्रदर्शन और बिस्तर के दृश्यों की गारंटी होते हैं यह अजीबोगरीब टाइटल। जवानी की भूल, जंगल ब्यूटी, एक्ट्रेस क्यों बनी, बैडरूम स्टोरी, भटकती जवानी, मन तेरा तन मेरा, आदि टाइटल वाली फिल्मों की नायिका कपडे उतार फेंकने में उदार थी। यह टाइटल फिल्म के सी-ग्रेड की होने की ओर भी इशारा करते हैं।
हॉलीवुड फिल्मों को विचित्र टाइटल
आजकल हॉलीवुड की ज़्यादातर फ़िल्में हिंदी में डब कर रिलीज़ की जाने लगी है। इनके हिंदी टाइटल आम तौर पर मूल टाइटल को हिंदी में लिख कर ही रख दिए जाते जाते हैं। लेकिन, मज़ा तब आता है, जब यह खालिस हिंदी में रखे जाते हैं। ऐसे में वुल्फ ऑफ़ वाल स्ट्रीट, दलाल स्ट्रीट का भेदिया बन जाता है। अमेरिकन हसल को अमेरिकी धोखा कहा जाता है। हॉरर फिल्म द कजउरिंग का टाइटल शैतान का बुलावा और मैन ऑफ़ स्टील आदमी इस्पात का हो जाता है। कुछ दूसरी हॉलीवुड फिल्मों के विचित्र हिंदी टाइटल वाली फिल्मों का ज़िक्र आगे किया गया है। इनमे रैट ए टू ई (बिंदास बावर्ची, अप (उड़न छू), द लीजन (मौत के फरिश्ते), स्टुअर्ट लिटिल २ (छोटे मियां क्या कहना), मॉन्स्टर इंक (डर की दूकान), पोम्पेइ (क़यामत की रात), हेल बॉय (नरक पुत्र) फाइनल डेस्टिनेशन ३ (मौत का झूला), घोस्ट राइडर (महाकाल बदले की आग), डीप ब्लू सी (मौत का समुन्दर), चार्लीज़ एंजल्स (त्रिशक्ति), रेजिडेंट ईविल (प्रलय-अब होगा सर्वनाश, वर्ल्ड वॉर जेड (प्रेतों का आतंक) कैप्टेन अमेरिका (महादबंग), आयरन मैन ३ (फौलादी रक्षक), द हीट (गरमी), इन्सेप्शन (सपनो का मायाजाल चक्रव्यूह), डंस्टन चेक्स इन (एक बन्दर होटल के अंदर), स्टार वार्स: अटैक ऑफ़ द क्लोन्स (हमशक्लों का हमला), लारा क्रॉफ्ट: तुंब रेडर (शेरनी नंबर १), किस ऑफ़ द ड्रैगन (मौत का चुम्मा), आई एम लीजेंड (ज़िंदा हूँ मैं), नाईट ऐट द म्यूजियम (म्यूजियम के अंदर फँस गया सिकन्दर), द सिक्स्थ डे (मुक़ाबला अर्नाल्ड का) और प्लेनेट ऑफ़ एप्स (वानर राज) विचित्र टाइटल उल्लेखनीय हैं।
विचित्र साइलेंस
विचित्र टाइटल वाली फिल्मों का सिलसिला मूक फिल्मों के युग से ही शुरू हो गया था। १९२० में रिलीज़ श्रीराम पाटनकर की फिल्म द एनचांटेड पिल्स उर्फ़ विचित्र गुटिका टाइटल इसका उदाहरण है। जे जे मदन की १९२३ में रिलीज़ फिल्म का टाइटल पत्नी प्रताप था। फिल्मों को आवाज़ मिलने से पहले के साल यानि १९३० में अलबेलो सवार, भोला शिकार, चतुर सुंदरी, डॉटर ऑफ़ अख्तर नवाज़ आउटलॉ, जवान मर्द उर्फ़ डैशिंग हीरो, स्पार्कलिंग युथ उर्फ़ जगमगाती जवानी और रसीली रानी जैसे टाइटल वाली मूक फ़िल्में रिलीज़ हुई।
बोली भी तो विचित्र---!
चलती फिरती फिल्मों के साल यानि १९३१ में मीठी छुरी जैसे टाइटल वाली साइलेंट फिल्म तथा फौलादी फरमान, गायब ए गरुड़ उर्फ़ ब्लैक ईगल, थर्ड वाइफ और तूफानी तरुणी जैसे टाइटल वाली फ़िल्में रिलीज़ हुई। साफ़ तौर पर, युग चाहे मूक रहा हो या सवाक फिल्मों का, समाजिक फ़िल्में बनती हो या एक्शन फंतासी फ़िल्में, विचित्र शीर्षकों पर फिल्मों के नाम रखने का सिलसिला लगातार चला आ रहा है। कभी निर्माता अपनी फिल्मों का कथ्य समझाने के लिए या दर्शकों में उत्सुकता पैदा करने के लिए फ़िल्मों के शीर्षक अजीबो गरीब रख देता है। कॉमेडी शैली की फिल्मों के शीर्षक तो अपने आप में हास्य पैदा करने वाले होते हैं।
हंसोड़ विचित्रता
यह जताने के लिए कि कोई फिल्म कॉमेडी है, विचित्र या ऊटपटांग टाइटल रखा जाना स्वभाविक है। हू हू हा हा ही ही, अपलम चपलम, तेल मालिश बूट पॉलिश, मुर्दे की जान खतरे में, मिस कोका कोला, मैं शादी करने चला, लडके बाप से बढ़ के, लड़की पसंद है, कुंवारी या विधवा, इसकी टोपी उसके सर, हम तो मोहब्बत करेगा, फॉर लेडीज ओनली, गुरु सुलेमान चला पहलवान, घर में राम गली में श्याम, दो नंबर के अमीर, दो लडके दोनों कड़के, दामाद चाहिए, हंसो हंसो ऐ दुनिया वालों, चलती का नाम गाडी, बढती का नाम दाढ़ी, मुर्दे की जान खतरे में, अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान, गुरु सुलेमान चेला पहलवान, बाप नंबरी तो बेटा दस नम्बरी, धोती लोटा और चौपाटी, आदि टाइटल फिल्म के कॉमेडी होने की ओर इशारा कर रहे हैं। इस लिहाज़ से दादा कोंडके का जवाब नहीं। उनकी फिल्मों के टाइटल और संवाद द्विअर्थी हुआ करते थे। उन्होंने हिंदी में तेरे मेरे बीच में, अँधेरी रात में दिया तेरे हाथ में, आगे की सोच जैसी द्विअर्थी टाइटल और संवाद वाली सफल फ़िल्में बनाई। वही थोड़ा रूमानी हो जाएँ आम कॉमेडी फिल्मों से हट कर कॉमेडी फिल्म का टाइटल है।
सामजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल
सामाजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल फिल्म के कंटेंट की ओर भी इशारा करते हैं। ख़ास तौर पर दहेज़ जैसी महिला समस्या को लेकर ऐसे टाइटल वाली फ़िल्में खूब बनी। बन्दूक दहेज़ के सीने पे, ज्वाला दहेज़ की, दूल्हा बिकता है, सस्ती दुल्हन महंगा दूल्हा, आदि विचित्र शीर्षकों वाली फ़िल्में दहेज़ की गम्भीर समस्या पर थी। इनके अलावा एक फूल तीन कांटे, फैशनेबुल वाइफ, अकेली मत जइयो, आप तो ऐसे न थे, बाली उमर को सलाम, बिन माँ के बच्चे, ग्यारह हजार लड़कियां, कब तक चुप रहूंगी, कितना बदल गया इंसान, मैं और मेरा हाथी, मैं नशे में हूँ, मेरा पति सिर्फ मेरा है, प्यार करने वाले कभी कम न होंगे, प्यार किया है प्यार करेंगे, क़ैद में है बुलबुल, यहाँ से शहर को देखो, उधार का सिन्दूर, समाज को बदल डालो, आदि फ़िल्में किसी न किसी सामाजिक समस्या पर फ़िल्में थी।
यह लड़की लड़ैत है
कुछ फिल्मों के विचित्र टाइटल नायिका के लड़ैत यानि एक्शन हीरोइन होने की ओर इशारा करते हैं। सीतापुर की गीता, सिपाही की सजनी, सिन्दूर और बन्दूक, टार्ज़न की बेटी, मिस फ्रंटियर मेल, मिस कोका कोला, मेहनि बन गई खून, मैं चुप नहीं रहूंगी, मैं अबला नहीं हूँ, हातिमताई की बेटी, एलीफैंट क्वीन, दिलरुबा तांगेवाली, डाकू की लड़की, कार्निवाल क्वीन, बसंती तांगेवाली, बम्बई की बिल्ली, बागी हसीना, आलम आरा की बेटी, अफलातून औरत, जंगल की बेटी, आदि फिल्मों की नायिका समाज से सताई हुई, बलात्कार या अन्याय की शिकार और तंग आ कर हथियार उठा लेने वाली औरत थी।
विचित्र कामुकता
कामुक या सेक्सी फिल्मों के टाइटलों में भी विचित्रता दिखाई देती है। लेकिन, यह टाइटल बताते हैं कि फिल्म सेक्सी है। नायिका का उदार अंग प्रदर्शन और बिस्तर के दृश्यों की गारंटी होते हैं यह अजीबोगरीब टाइटल। जवानी की भूल, जंगल ब्यूटी, एक्ट्रेस क्यों बनी, बैडरूम स्टोरी, भटकती जवानी, मन तेरा तन मेरा, आदि टाइटल वाली फिल्मों की नायिका कपडे उतार फेंकने में उदार थी। यह टाइटल फिल्म के सी-ग्रेड की होने की ओर भी इशारा करते हैं।
हॉलीवुड फिल्मों को विचित्र टाइटल
आजकल हॉलीवुड की ज़्यादातर फ़िल्में हिंदी में डब कर रिलीज़ की जाने लगी है। इनके हिंदी टाइटल आम तौर पर मूल टाइटल को हिंदी में लिख कर ही रख दिए जाते जाते हैं। लेकिन, मज़ा तब आता है, जब यह खालिस हिंदी में रखे जाते हैं। ऐसे में वुल्फ ऑफ़ वाल स्ट्रीट, दलाल स्ट्रीट का भेदिया बन जाता है। अमेरिकन हसल को अमेरिकी धोखा कहा जाता है। हॉरर फिल्म द कजउरिंग का टाइटल शैतान का बुलावा और मैन ऑफ़ स्टील आदमी इस्पात का हो जाता है। कुछ दूसरी हॉलीवुड फिल्मों के विचित्र हिंदी टाइटल वाली फिल्मों का ज़िक्र आगे किया गया है। इनमे रैट ए टू ई (बिंदास बावर्ची, अप (उड़न छू), द लीजन (मौत के फरिश्ते), स्टुअर्ट लिटिल २ (छोटे मियां क्या कहना), मॉन्स्टर इंक (डर की दूकान), पोम्पेइ (क़यामत की रात), हेल बॉय (नरक पुत्र) फाइनल डेस्टिनेशन ३ (मौत का झूला), घोस्ट राइडर (महाकाल बदले की आग), डीप ब्लू सी (मौत का समुन्दर), चार्लीज़ एंजल्स (त्रिशक्ति), रेजिडेंट ईविल (प्रलय-अब होगा सर्वनाश, वर्ल्ड वॉर जेड (प्रेतों का आतंक) कैप्टेन अमेरिका (महादबंग), आयरन मैन ३ (फौलादी रक्षक), द हीट (गरमी), इन्सेप्शन (सपनो का मायाजाल चक्रव्यूह), डंस्टन चेक्स इन (एक बन्दर होटल के अंदर), स्टार वार्स: अटैक ऑफ़ द क्लोन्स (हमशक्लों का हमला), लारा क्रॉफ्ट: तुंब रेडर (शेरनी नंबर १), किस ऑफ़ द ड्रैगन (मौत का चुम्मा), आई एम लीजेंड (ज़िंदा हूँ मैं), नाईट ऐट द म्यूजियम (म्यूजियम के अंदर फँस गया सिकन्दर), द सिक्स्थ डे (मुक़ाबला अर्नाल्ड का) और प्लेनेट ऑफ़ एप्स (वानर राज) विचित्र टाइटल उल्लेखनीय हैं।
विचित्र भोजपुरी
भोजपुरी फिल्मों के टाइटल की विचित्रता बेजोड़ है। सीरियस से सीरियस फिल्म के टाइटल पढ़ कर आपकी हंसी नहीं रुक सकती। अब पढ़िए न लैला माल बा छैला धमाल बा, अज़ब देवर की गज़ब भौजाई , मिया अनाड़ी बा बीवी खिलाड़ी बा, ए बलमा बिहार वाला, ल ही डांटा हिलवल आधा घंटा, ठोंक देब, रिक्शावाला आई लव यु, सैया जिगरबाज, पेप्सी पी के लागेलू सेक्सी, मेहरारू बिना रतिया कैसे कटी, सास रानी बहु नौकरानी, लहरिया लूट ए राजाजी, आदि भोजपुरी फिल्मों के नाम।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Monday 6 June 2016
डिज्नी के साथ मयूर पूरी की हैटट्रिक
संवाद लेखक मयूर पूरी डिज्नी के साथ हैट्रिक को तैयार है । द जंगल बुक और कैप्टेन अमेरिका: सिविल वॉर के बाद, डिज्नी ने मयूर पूरी से अपनी तीसरी फिल्म फाइंडिंग डोरी के हिंदी संवाद लिखने का जिम्मा सौंपा है । १७ जून को रिलीज़ होने जा रही इस एनिमेटेड करैक्टर वाली फिल्म में निमो और मर्लिन अपने माता पिता से मिलने के प्रयास में लगी डोरी की मदद करते हैं । फाइंडिंग निमो की इस सीक्वल फिल्म में निमो, मर्लिन और डोरी से साथ कई दूसरे करैक्टर नए शामिल हैं । बिछुड़े हुए परिवार से मिलाने की इस कहानी से मनमोहन देसाई की फिल्मों की याद आ सकती है । एंड्रू स्टेंटन निर्देशित फाइंडिंग डोरी की डबिंग डायरेक्टर एलिजा लुईस है । फाइंडिंग डोरी के इंग्लिश संवाद एलेन डीजेनरेस, अल्बर्ट ब्रुक्स, डीएन कीटन, टय बर्रेल, एड ओ'नील और इदरीस एल्बा ने क्रमशः डोरी, मार्लिन, जेनी, बैली, हेंक और फ्लूक के एनिमेटेड किरदारों को आवाज़ दी है।
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Hollywood
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
करणवीर बोहरा की फिल्म में जूही चावला का कैमिया
टीवी एक्टर करणवीर
बोहरा और प्रिया बनर्जी की मुख्य भूमिका वाली फिल्म हमे तुमसे प्यार कितना में
जूही चावला कैमिया करेंगी ।
इस फिल्म के निर्माता महेंद्र बोहरा हैं, जिन्होंने जूही चावला के साथ कुछ फ़िल्में
बतौर सह निर्माता पहले भी बनाई हैं। इस निर्माता-अभिनेत्री की जोड़ी के संबंधों में
आज भी वही गर्माहट हैं। सच्चाई तो यह है कि महेंद्र बोहरा के लिए जूही चावला लकी
मैस्कॉट हैं । करणवीर ने जूही चावला के साथ किस्मत कनेक्शन फिल्म में छोटी भूमिका
साथ की थी । हमें तुमसे प्यार कितना में करण का निगेटिव रोल है । इस रोल के लिए
करण शाहरुख़ खान की फिल्म बाज़ीगर के अलावा डर से भी टिप्स ली हैं । संयोग ही है कि
डर में शाहरुख़ खान की नायिका जूही चावला ही थी । इस फिल्म के डायरेक्टर ललित मोहन
हैं ।
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ये ल्लों !!!
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Sunday 5 June 2016
सोफिया हयात ने कहा- मैं सेक्स नहीं करूंगी
मॉडल, एक्ट्रेस और सिंगर सोफिया हयात हमेशा से अपनी सेक्स अपील के लिए चर्चा
में रही हैं। आजकल वह कुछ दूसरे कारण से चर्चा में हैं। सोफिया हयात अब नन बन चुकी हैं। उन्होंने अपना नाम बदल कर गइया मदर सोफ़िया रख लिया है। इस खबर के फैलने के बाद उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस की और अपनी
जिंदगी को लेकर नए खुलासे किये । खुद सोफिया ने माना कि वह रातोंरात नन नहीं बन
गईं, बल्कि रिलेशनशिप में
प्रताड़ित होने के कारण आखिर में उन्होंने यह फैसला लिया। इंग्लैंड में रह
रहीं सोफिया ने बताया, 'जिंदगी में डरा हुआ
होने के कारण मुझमें ये बदलाव आया। एक रिश्ते की वजह से मैं बेहद परेशान थी। खुद
को मारने की कोशिश भी कर चुकी थी। मै थोड़ी ठीक हुई
तो मुझे लगा कि मेरी जिंदगी भगवान का गिफ्ट है। मेकअप नकलीपन होता है और इसके जरिए
वैसा दिखने की कोशिश करते हैं, जैसे हम नहीं होते हैं। इसी तरह एक्टिंग भी है। मैं जीवन में ज्यादा
वक्त तक एक्टिंग नहीं कर सकती थी, क्योंकि यह फाल्स रियलिटी की तरह है। राम,
कृष्ण और गणेश मेरे पास आए और कहा कि धरती
स्वर्ग है और वहां नर्क के लिए कोई जगह नहीं है। इसीलिए मैं धरती को स्वर्ग जैसा
बनाना चाहती हूं।'
सोफ़िया ने अपनी सिलिकॉन इम्प्लांट की छाती को हटा दिया है। वह सेक्स से बिलकुल ऊब चुकी हैं। आखिर में सोफिया ने कहा 'अब मैं सेक्स कभी नहीं करूंगी। ना ही शादी करूंगी और न बच्चे पैदा करूंगी। मैं
होली मदर हूं, इसलिए सभी मेरे बच्चे हैं।'
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Sofia Hayat,
हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
Saturday 4 June 2016
बॉलीवुड की पहली मिस इंडिया थी नूतन !
सचमुच कितना बदल गया है हिंदी सिनेमा या कहें बॉलीवुड ! कभी भारतीय सिनेमा के पितामह दादासाहेब फाल्के को तारामती बनने के लिए कोई महिला नहीं मिली थी। समय के साथ समाज का फिल्मों के प्रति नजरिया बदला। फिल्मों में काम करने के लिए सम्भ्रान्त घराने की महिलायें भी आने लगी। इसके बावजूद महिलाओं के सन्दर्भ में हिंदी सिनेमा के टैबू बने रहे। आजकल मॉडल्स, मिस इंडिया, मिस यूनिवर्स या वर्ल्ड और न जाने क्या क्या को बॉलीवुड बाहें फैला कर स्वागत करता है। लेकिन, कभी बॉलीवुड को मिस इंडियाओं पर भरोसा नहीं था। अगर ऐसा न होता तो मिस इंडिया नूतन को हिंदी फिल्मों के लिए संघर्ष न करना पड़ता। हिंदी फिल्मों में काम करने वाली पहली मिस इंडिया थी नूतन समर्थ (बाद में बहल)। आज
के दौर में जहां मिस इंडिया का खिताब जीतने वाली सुंदरियों को फिल्मों में काम
करने का मौका आसानी से मिल जाता है वहीं नूतन को फिल्मों में काम पाने के लिए कड़ा
संघर्ष करना पड़ा था। उन्होंने कई सौंदर्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। वह मिस इंडिया बनी। इसके बावजूद बॉलीवुड ने उनकी तरफ ध्यान नहीं दिया। उनकी माँ शोभना समर्थ ने फिल्म हमारी बेटी में खुद की बेटी बना कर पेश किया। इसी बीच नूतन को दिलीप कुमार के भाई नासिर खान के साथ फिल्म नगीना मिली। फिल्म फ्लॉप हुई। नूतन को पहचान मिली बलराज सहनी के साथ फिल्म सीमा एक विद्रोहिणी युवती के किरदार से। इस फिल्म के बाद नूतन का सिक्का जम गया। उन्हें फिल्मफेयर का बेस्ट एक्ट्रेस का पुरस्कार मिला। उन्होंने दिल्ली का ठग (१९५८) में स्विमसूट पहन कर तहलका मचा दिया। नूतन हरफनमौला अभिनेत्री थी। उन्होंने दिल्ली का ठग जैसी कॉमेडी फ़िल्में भी की, तेरे घर के सामने जैसी हलकी फुलकी रोमांस फ़िल्में भी और बंदिनी, सरस्वती चन्द्र, दुल्हन एक रात की, मिलन, आदि गम्भीर फ़िल्में भी की। उन्होंने कई फिल्मफेयर पुरस्कार जीते। वह फिल्म साजन का घर की प्रोडूसर थी। उन्होंने फिल्म यादगार में एक गीत भी गाया था। उन्हें १९७४ में पद्मश्री मिली। ४ जून १९३६ को जन्मी नूतन बहल की मृत्यु कैंसर से ५५ साल की उम्र में २५ फरवरी १९९१ को मृत्यु हो गई।
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श्रद्धांजलि,
हस्तियां
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
म्यूजिक वीडियो में बॉलीवुड सेलिब्रिटी
भट्ट
कैम्प की सुपरहिट फिल्म‘आशिकी 2’के गाने‘सुन रहा है न तू...’से अपनी पहचान बना चुके संगीतकार-गायक अंकित तिवारी अपने नए सिंगल ‘बदतमीज’ को लेकर चर्चा में हैं। खास बात यह कि
गोवा में शूट किए गए इस गाने को उन्होंने ही गाया है और कंपोज भी किया है। इस गाने के वीडियो में वह
एक्ट्रेस सोनल चैहान के साथ इश्क फरमाते भी नजर आते हैं। अंकित तिवारी का यह म्यूजिक वीडियो न पहला है और आखिरी ही। म्यूजिक वीडियो दर्शकों के ज़ेहन में जगह बनाने के ख्याल से बेजोड़ हैं। इसीलिए, काफी बॉलीवुड स्टार म्यूजिक वीडियो में नज़र आते हैं।
हुमा कुरेशी और विद्युत जम्वाल का दिल्लगी
पाकिस्तानी गायक राहत फ़तेह अली खान ने मरहूम गायक नुसरत फ़तेह अली खान के एक गीत दिल्लगी के रूपांतरण को गाया है। टी-सीरीज द्वारा जारी किये जाने वाले इस गीत के वीडियो में विद्युत जमवाल और हुमा कुरैशी रोमांस करती नज़र आएँगी। बीच बीच में खुद राहत गीत गाते नज़र आएंगे। इस वीडियो में विद्युत के सामान्य नौजवान की तरह नज़र आएंगे तो एक खूबसूरत लड़की हुमा कुरैशी से दिली मोहब्बत करता है। विद्युत कहते हैं, "हालाँकि, एक्शन फिल्मों में भी रोमांटिक गीत होते हैं। लेकिन, इस गीत से मैं खालिस रोमांस की दुनिया में उतरा हूँ।" यह गीत जून में जारी होगा। दिल्लगी से पहले भी हुमा कुरैशी एल्बम 'मिट्टी दी खुशबू' कर चुकी हैं। आयुष्मान खुराना के इस पंजाबी गीतों के एल्बम को टी-सीरीज ने ही जारी किया था।
सोनम कपूर का पहला अंतर्राष्ट्रीय एल्बम
कई बॉलीवुड अभिनेत्रियां इंटरनेशनल हो गई हैं। ब्रिटिश रॉक बैंड कोल्ड प्ले का सातवां एल्बम इंडियन ऑडियंस के लिहाज़ से ख़ास है। इस एल्बम के एक गीत के वीडियो में भारतीय अभिनेत्री सोनम कपूर का कैमिया हुआ है। कोल्डप्ले के इस दूसरे वीडियो 'ह्यम ऑफ़ ड्रीम्स' (Hymn of Dreams) को बॉन मोर ने डायरेक्ट किया है। इस एल्बम के वीडियो में भारतीय प्रभाव है। एल्बम की शूटिंग वर्ली मुंबई के गोल्फा देवी मंदिर में हुई है। सोनम कपूर पूरे भारतीय घाघरा चोली, कंठ हार, झुमके, बिंदा, आदि में सजी नज़र आती है। इस एल्बम की परिकल्पना सोनम कपूर की छोटी बहन रिया कपूर की है।
एषा गुप्ता का भी इंटरनेशनल एल्बम
इमरान हाश्मी के साथ म्यूजिक वीडियो मैं रहूँ या न रहूँ के बाद एषा गुप्ता का रुतबा बढ़ा है। अब उन्होंने भी इंटरनेशनल म्यूजिक वीडियो की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। जहाँ मैं रहूँ एक खालिस क्लासिकल रोमांटिक नंबर पर था, एषा इंटरनेशनल म्यूजिक वीडियो इडीएम म्यूजिक शैली में हैं। इस वीडियो में एषा का लुक काफी ग्लैमरस होगा। उन्हें छोटा हेयर कट रखना होगा। कहा जा रहा है कि उनका यह लुक अंतर्राष्ट्रीय संगीत जस्टियों अवरिल लैविने और जेनिफर लोपेज़ जैसा होगा। एषा कहती हैं, "मैं पहले से ही काफी व्यस्त हूँ। फिर भी यह उत्साहपूर्ण है।"
हुमा कुरेशी और विद्युत जम्वाल का दिल्लगी
पाकिस्तानी गायक राहत फ़तेह अली खान ने मरहूम गायक नुसरत फ़तेह अली खान के एक गीत दिल्लगी के रूपांतरण को गाया है। टी-सीरीज द्वारा जारी किये जाने वाले इस गीत के वीडियो में विद्युत जमवाल और हुमा कुरैशी रोमांस करती नज़र आएँगी। बीच बीच में खुद राहत गीत गाते नज़र आएंगे। इस वीडियो में विद्युत के सामान्य नौजवान की तरह नज़र आएंगे तो एक खूबसूरत लड़की हुमा कुरैशी से दिली मोहब्बत करता है। विद्युत कहते हैं, "हालाँकि, एक्शन फिल्मों में भी रोमांटिक गीत होते हैं। लेकिन, इस गीत से मैं खालिस रोमांस की दुनिया में उतरा हूँ।" यह गीत जून में जारी होगा। दिल्लगी से पहले भी हुमा कुरैशी एल्बम 'मिट्टी दी खुशबू' कर चुकी हैं। आयुष्मान खुराना के इस पंजाबी गीतों के एल्बम को टी-सीरीज ने ही जारी किया था।
सोनम कपूर का पहला अंतर्राष्ट्रीय एल्बम
कई बॉलीवुड अभिनेत्रियां इंटरनेशनल हो गई हैं। ब्रिटिश रॉक बैंड कोल्ड प्ले का सातवां एल्बम इंडियन ऑडियंस के लिहाज़ से ख़ास है। इस एल्बम के एक गीत के वीडियो में भारतीय अभिनेत्री सोनम कपूर का कैमिया हुआ है। कोल्डप्ले के इस दूसरे वीडियो 'ह्यम ऑफ़ ड्रीम्स' (Hymn of Dreams) को बॉन मोर ने डायरेक्ट किया है। इस एल्बम के वीडियो में भारतीय प्रभाव है। एल्बम की शूटिंग वर्ली मुंबई के गोल्फा देवी मंदिर में हुई है। सोनम कपूर पूरे भारतीय घाघरा चोली, कंठ हार, झुमके, बिंदा, आदि में सजी नज़र आती है। इस एल्बम की परिकल्पना सोनम कपूर की छोटी बहन रिया कपूर की है।
एषा गुप्ता का भी इंटरनेशनल एल्बम
इमरान हाश्मी के साथ म्यूजिक वीडियो मैं रहूँ या न रहूँ के बाद एषा गुप्ता का रुतबा बढ़ा है। अब उन्होंने भी इंटरनेशनल म्यूजिक वीडियो की ओर कदम बढ़ा दिए हैं। जहाँ मैं रहूँ एक खालिस क्लासिकल रोमांटिक नंबर पर था, एषा इंटरनेशनल म्यूजिक वीडियो इडीएम म्यूजिक शैली में हैं। इस वीडियो में एषा का लुक काफी ग्लैमरस होगा। उन्हें छोटा हेयर कट रखना होगा। कहा जा रहा है कि उनका यह लुक अंतर्राष्ट्रीय संगीत जस्टियों अवरिल लैविने और जेनिफर लोपेज़ जैसा होगा। एषा कहती हैं, "मैं पहले से ही काफी व्यस्त हूँ। फिर भी यह उत्साहपूर्ण है।"
ऋषि
रिच के साथ अमृत दासु के सिंगल में मल्लिका शेरावत
इंटरनेशनल एल्बम के लिहाज़ से मल्लिका शेरावत सबसे आगे नज़र आती हैं। प्रमुख
म्यूजिक कंपनी यूनिवर्सल म्यूजिक के
रोस्टर में पहला नाम न्यू यॉर्क/ न्यू जर्सी के पॉप सेंसेशन अमृत दासु उर्फ़
दासु का जुड़ गया है। दासु, एशिया
के सबसे सफल म्यूजिक प्रोडूसर ऋषि रिच की खोज हैं। उन्होंने
दासु की प्रतिभा को पहचाना और अपने प्रशिक्षण में ले लिया। इसी का नतीज़ा है कि आज दासु का संगीत की दुनिया से परिचय यूनिवर्सल
म्यूजिक समूह के ज़रिये हो रहा है। दासु का
पहला सिंगल 'दिल क्या करे (डिड आई लव यू ?) ऋषि रिच और दासु ने लिखा है। ऋषि रिच ने १९७५ के फिल्म जूली के हिट गीत दिल क्या करे का मुखड़ा लेकर गीत तैयार किया
है। इस गीत के वीडियो में लीड एक्ट्रेस
मल्लिका शेरावत दासु के साथ गोवा की खूबसूरत लोकेशन में नज़र आती हैं। इस वीडियो का निर्देशन इमैजिक मीडिया की नमीता
प्रेमकुमार ने किया है।
म्यूजिक
वीडियो में गुलशन कुमार की बेटी
म्यूजिक
लेबल टी-सीरीज के संस्थापक गुलशन कुमार की दो बेटियों में बड़ी तुलसी कुमार प्लेबैक
सिंगर हैं। उनकी छोटी बेटी खुशाली कुमार फैशन डिजाइनिंग के क्षेत्र में गई। अपना अलग लेबल बनाया। अब वह एक बिलकुल नए अवतार में नज़र आने जा रही
हैं। वह १९९१ में रिलीज़ आमिर खान की फिल्म
'दिल है कि मानता नहीं'
के गुलशन
कुमार को प्रिय गीत 'मैनु इश्क़ दा लाग्या रोग' के
म्यूजिक वीडियो में बिलकुल ग्लैमरस अंदाज़ में नज़र आएंगी। म्यूजिक वीडियो में काम करने का आईडिया खुशाली
के भाई और टी-सीरीज के मालिक भूषण कुमार का था।
भूषण कुमार आजकल गुलशन कुमार को प्रिय कई गीतों को नए अंदाज़ और धुन में
समेत कर म्यूजिक वीडियो के साथ पेश कर रहे हैं। पिछले दिनों, गुलशन
कुमार की याद में उनका एक अन्य पसंदीदा गीत 'धीरे धीरे से मेरी ज़िंदगी में आना' यो
यो हनी सिंह द्वारा रीक्रिएट कर ह्रितिक रोशन और सोनम कपूर पर फिल्माया गया
था।'मैनु इश्क़ दा लाग्या रोग' इसी
की कड़ी में हैं। इस गीत का वीडियो खुशाली
ने ही डिज़ाइन किया है। खुशाली पर फिल्माए
जाने वाले इस गीत को बड़ी बहन तुलसी कुमार ने गाया है। इस वीडियो की शूटिंग लगभग पूरी हो चुकी है। इन दोनों गायिका और अभिनेत्री बहने अपने पिता गुलशन कुमार को श्रद्धांजलिस्वरुप मेरे पापा एल्बम पेश करने जा रही है।
नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी का इश्क़ अनोखा
बजरंगी भाईजान, बदलापुर और मांझी जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके नवाज़ुद्दीन सिद्द्की भी म्यूजिक वीडियो में काम कर चुके है। कैलाश खेर के एल्बम इश्क़ अनोखा के इस वीडियो में नवाज़ुद्दीन मिस इंडिया अर्थ शोभिता धुलिपला के साथ हैं। यूट्यूब पर इस वीडियो को लाखों हिट मिल चुकी हैं।
सारा
जेन डिआस का म्यूजिक विडियो
मोज़ेज़ सिंह की हालिया रिलीज़ फिल्म 'जुबान' को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर शोहरत मिली। लेकिन, इस फिल्म के लिए देश में दर्शक जुटाने के लिए म्यूजिक वीडियो का सहारा लेना पड़ा। रेचल वर्गीस के गए गीत म्यूजिक इस माय आर्ट में अभिनेत्री सारा जेन डिआस जेनिफर लोपेज़ के अंदाज़ में विक्की कौशल के साथ थिरक रही थी। यह म्यूजिक वीडियो दिल्ली की बैकग्राउंड पर था। इसे सुनते समय अनायास पाकिस्तानी पॉप गायिका नाज़िया हसन की याद आती थी।
जीएफ बीएफ जैक्विलिन फर्नांडीज़ और सूरज पंचोली
इस साल फरवरी में गुरिदर सैगल का गाये गीतों का एल्बम रिलीज़ हुआ था। इस एल्बम में सूरज और जैक्विलिन इस गीत को स्ट्रीट डांसर की तरह नाचते गाते नज़र आते है। इस एल्बम को इस साल का बड़ा क्लब डांस म्यूजिक बताया जा रहा है।
जीना
जरूरी था इमरान हाश्मी और विद्या बालन का
टी-सीरीज को पाकिस्तानी गायक राहत फ़तेह अली खान के साथ ख़ास लगाव है। कुछ समय पहले इस कंपनी ने राहत फ़तेह अली खान के एल्बम बैक २ लव को रिलीज़ किया था। यह सला का सबसे ज़्यादा बिकने वाल नॉन- फिल्म एल्बम में शुमार हो गया था। इस एल्बम के सिंगल ज़रूरी था में इमरान हाश्मी और विद्या बालन की केमिस्ट्री जमती नज़र आती थी। बाद में इस गीत को विद्या बालन, राजकुमार यादव और इमरान हाशमी की फिल्म 'हमारी अधूरी कहानी में शामिल कर लिया गया।
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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