दक्षिण भारत के महिष्मति राज्य की भव्यता और श्रेष्ठता की कहानी एस एस राजमौली की महान कृति बाहुबली २: द कॉन्क्लुजन भी अपनी भव्यता और श्रेष्ठता में पहले भाग बाहुबली : द बेगिनिंग से कमतर नहीं होगी। दर्शको को जितना बाहुबली १ के भव्य सेट्स और वीएफएक्स प्रभाव ने प्रभावित किया, उतना ही इसके कलाकारों की राजसी पोशाकों और ज्वेलरी ने किया। पहले हिस्से के लिए आभूषणों की डिजाइनिंग जयपुर की आम्रपाली ज्वेल्स ने की थी। फिल्म की सफलता को देखते हुए आम्रपाली ज्वैलरस को बाहुबली : द कॉन्क्लुजन का अधिकारिक ज्वैलर बना दिया गया है। बाहुबली २ के तमाम चरित्रों अमरेंद्र बाहुबली, भल्लाल देवा, महारानी देवसेना, अवंतिका, महारानी देवसेना, कट्टप्पा, बिज्जलदेवा, आदि को राजसी लुक देने के लिए इस कंपनी के डिज़ाइन स्टूडियो ने डिज़ाइनरो और शिल्पकारों की टीम को बाहुबली की टीम से संयोजन कर आभूषण, आदि बनाने के लिये तैनात किया। बाहुबली २ की शूटिंग २०१५ के मध्य में शुरू हो गई थी, जो २०१६ के आखिर तक चली। इस टीम ने बाहुबली २ की स्क्रिप्ट का गहराई से अध्ययन करते हुए दर्शकों को दृश्यों की भव्यता, विश्वसनीयता और चकाचौंध से परिचित कराने के लिए मौके के अनुरूप आभूषणों के कोई १५०० पीस तैयार किये। यह आभूषण वास्तविक चमक बनाने के लिए चांदी में सोने का पानी चढ़ा कर बनाये गए थे। इस ज्वैलरस के डिज़ाइनर और सह संस्थापक राजीव अरोरा कहते हैं, "फिल्म में बाहुबली के प्रत्येक किरदार की अहम् भूमिका है। हमारे आभूषणों ने इनके प्रभाव में इज़ाफ़ा ही किया है। हर फ्रेम के लिए आभूषणों में बदलाव लाया गया है ताकि चरित्र का मूलतत्व भी बना रहे और उसके दृश्य प्रभाव में कमी भी न हो।" यहाँ बताते चलें कि १९७८ में जयपुर में स्थापित इस ज्वेल ने हॉलीवुड की ब्रैड पिट, एंजेलिना जोली, रिहान्ना, शकीरा, हैले बेरी, जेनिफर लोपेज़,बेयोंसे, फ्रीडा पिंटो, लूसी लिउ, जेनिफर हॉकिंस और पद्मा लक्ष्मी के अलावा बॉलीवुड की बिपाशा बासु, प्रियंका चोपड़ा, ट्विंकल खन्ना, रेखा, कोंकणा सेन शर्मा, आदि हस्तियों के लिए ख़ास डिज़ाइन के आभूषण तैयार किये हैं।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday 12 April 2017
बाहुबली ने पहना है आम्रपाली का कंठहार
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
बन सकती हैं ट्रांसफार्मर्स सीरीज की १४ फ़िल्में
हैस्ब्रो के ट्रांसफार्मर्स खिलौनों पर फिल्मों को पसंद करने वाले दर्शकों के लिए खुश खबरी है। उन्हें निराश होने की ज़रुरत नहीं कि ट्रांसफार्मर्स: द लास्ट नाइट ट्रांसफार्मर्स सीरीज की आखिरी फिल्म है। बेशक द लास्ट नाइट सीरीज के डायरेक्टर माइकल बे की आखिरी फिल्म है। परंतु ट्रांसफार्मर्स सीरीज पर और भी फ़िल्में बनाई जाएंगी। द लास्ट नाइट की प्रीव्यू के दौरान इस सीरीज के डायरेक्टर माइकल बे ने खुलासा किया कि पैरामाउंट पिक्चर्स का ट्रांसफार्मर्स को अलविदा कहने का कोई इरादा नहीं है। उन्होंने बताया कि स्टूडियोज द्वारा १० से अधिक परिकल्पनाओं पर काम किया जा रहा है। लेखकों की पूरी एक टीम ट्रांसफार्मर्स पर १४ फिल्मों की पटकथा पर काम कर रही है। इन सभी फिल्मों की कहानियां द लास्ट नाइट के ख़त्म होने के आसपास ही लिखी जा रही हैं । यानि कि भविष्य में जितनी भी ट्रांसफार्मर्स फ़िल्में देखने को मिलेंगी उनका ताना बाना द लास्ट नाइट के आधार पर ही बुना गया होगा। फिलहाल पैरामाउंट अपनी ट्रेविस नाइट निर्देशित महत्वकांक्षी फिल्म बम्बलबी पर जोरशोर से जुटा हुआ है। फिल्म द लास्ट नाइट कई मूल मिथक तोड़ेगी। यह फिल्म हीरो को फिर से परिभाषित करने वाली होगी ! मानव और मशीन युद्धरत होंगे। ऑप्टिमम प्राइम ख़त्म हो जायेगा। दुनिया के भविष्य को बचाने का रहस्य ट्रांसफार्मर्स के पृथ्वी में अस्तित्व में छिपा होगा। पृथ्वी को बचाने का दायित्व कैड येअगर, बम्बलबी, एक अंग्रेजी शासक और ऑक्सफ़ोर्ड के प्रोफेसर के असंभाव्य गठजोड़ पर टिका हुआ होगा। द लास्ट नाइट में प्लेनेट ऑफ़ द एप्स के मार्क वह्ल्बर्ग (कैड येअगर), १०० थिंग्स टू डू बिफोर हाई स्कूल की इसाबेल मोनेर (इज़ाबेला), लाइफ एज वी नो इट के जोश डुहामेल (लेफ्टिनेंट कर्नल विलियम लेंनोक्स), द बिग लेबोवस्की के जॉन टुर्टुर्रो (सेमोर सिमन्स) और फ्यूरियस ७ के टायर्स गिब्सन (रोबर्ट एप्स) के साथ नेइबर्स २ और सोरोरिटी राइजिंग के जेर्रोड कार्मिचेल और थॉर: द डार्क वर्ल्ड के अन्थोनी होपकिन्स जैसे एक्टर शामिल होंगे। मशीन ऑप्टिमस प्राइम को पीटर कलेन और हाउंड को जॉन गुडमैन आवाज़ देंगे। माइकल बे की आखिरी ट्रांसफार्मर्स फिल्म द लास्ट नाइट २३ जून को रिलीज़ होगी।
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Tuesday 11 April 2017
प्रियंका चोपड़ा का 'दुश्मन' विद्या बालन का 'पति'
दर्शकों को याद होगी २०१६ में रिलीज़ प्रियंका चोपड़ा की मुख्य भूमिका वाली प्रकाश झा निर्देशित फिल्म 'जय गंगाजल' के विधायक बबलू पांडेय की, जो प्रियंका चोपड़ा की अपराधियों के प्रति सख्ती से नाराज़ हो कर उसकी जान का दुश्मन बन जाता है। इस भूमिका को कश्मीर के बारामुला में जन्मे थिएटर अभिनेता मानव कौल ने किया था। सिटी लाइट्स, काई पो चे और वज़ीर में अपने अभिनय का लोहा मनवा चुके मानव कौल अब निर्देशक सुरेश त्रिवेणी की फ़िल्म तुम्हारी सुलु में फिल्म की नायिका सुलोचना के पति अशोक का किरदार कर रहे हैं। अशोक एक फैक्ट्री में मैनेजर है। सुलोचना या सुलु के किरदार को अभिनेत्री विद्या बालन ने किया है। यह एक म्यूजिकल कॉमेडी फिल्म है। जिसमे नृत्य गीतों की भरमार है। इस फिल्म के लिए विद्या बालन दूसरी बार रेडियो जॉकी के किरदार में हैं। इस फिल्म में विद्या बालन को नृत्य भी करना है। इसके लिए वह जम कर प्रैक्टिस कर रही हैं। विद्या बालन ने फिल्म भूल भुलैया में अपनी डांस प्रतिभा का परिचय दिया था। विद्या बालन १४ अप्रैल को रिलीज़ होने जा रही श्रीजीत मुख़र्जी की फिल्म बेगम जान में एक कोठे की मालकिन का किरदार कर रही हैं।
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जब बेगम जान से मिली बेगम जान
रितुपर्णा सेनगुप्ता, महेश भट्ट, विद्या बालन, श्रीजित मुख़र्जी |
विद्या बालन और रितुपर्णा सेनगुप्ता |
ऋतुपर्णा सेनगुप्ता और विद्या बालन ने केक काटा |
विद्या बालन और ऋतुपर्णा सेनगुप्ता ने एक दूसरे को केक खिलाया |
रुबीना गौहर खान ने राजकाहिनी की रुबीना जोया अहसान को केक खिलाया |
बेगम जान के साथ लता प्रियंका सरकार |
राजकाहिनी के कलाकार |
राजकाहिनी के कलाकार |
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Sunday 9 April 2017
क्यों नहीं मिला आमिर खान को नेशनल अवार्ड ?
कल जैसे ही राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों का ऐलान हुआ और फिल्म रुस्तम के लिएअक्षय कुमार को श्रेष्ठ अभिनेता घोषित किया गया, कई लोगों ने प्रतिक्रिया व्यक्त की कि आमिर खान को फिल्म दंगल में महावीर फोगट का किरदार करने के लिए क्यों नहीं श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार दिया गया? इसमें कोई शक नहीं कि अक्षय कुमार इस पुरस्कार के लिए अपनी दो फिल्मों रुस्तम और एयरलिफ्ट से मज़बूत दावेदार थे। लेकिन, आमिर खान का दंगल में किरदार ज़्यादा मज़बूत था। लेकिन, उनके विरोध में यह बात गई कि वह किसी फिल्म पुरस्कार समारोह में व्यक्तिगत तौर पर हिस्सा नहीं लेते। इस बात का खुलासा राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जूरी के अध्यक्ष प्रियदर्शन ने करते हुए मुंबई के एक अखबार को बताया, "आमिर खान ने हाल ही में यह कहा था कि वह व्यक्तिगत रूप से कोई पुरस्कार स्वीकार करने नहीं जाएंगे। जहाँ तक मुझे याद है जब आमिर खान की फिल्म तारे ज़मीन पर को श्रेष्ठ परिवार नियोजन फिल्म का पुरस्कार दिया गया था, तो वह पुरस्कार ग्रहण करने के लिए समारोह में नहीं पहुंचे थे। ऐसे में एक एक्टर के लिए इसे खराब क्यों करना, जब दूसरा एक्टर उतना ही योग्य है।" इस प्रकार से आमिर खान के हाथों से श्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार निकल गया।
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Saturday 8 April 2017
गौरी शिंदे और सुजैन खान को यंग एचीवर्स अवार्ड
अभिनेता हृथिक रोशन की तलाक़शुदा बीवी के रूप में पहचानी जाने वाली सुजैन खान के बारे में बहुत कम लोग जानते होंगे कि वह एक सफल उद्यमी भी हैं। उनका इंटीरियर डिजाइनिंग का स्टूडियो द चारकोल प्रोजेक्ट काफी सफल है। उनकी इस सफलता से आमजन को परिचित होने का मौका मिला यंग फिक्की लेडीज आर्गेनाईजेशन के यंग अचीवर्स अवार्ड्स से, जो सुजैन खान को फिल्म डायरेक्टर गौरी शिंदे के साथ दिया गया। २००७ से फिल्मकार आर बाल्की की पत्नी के बतौर पहचानी जाने वाली गौरी शिंदे ने २०१२ में श्रीदेवी की वापसी फ़िल्म इंग्लिश विंग्लिश से अपनी नई पहचान बना ली। उनकी निर्देशित दूसरी फिल्म डिअर ज़िन्दगी (शाहरुख़ खान और आलिया भट्ट) को भी सफलता और प्रशंसा दोनों ही मिली। फेडरेशन ऑफ़ इंडियन चैम्बर्स ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) की महिला शाखा द्वारा हर साल यंग अचीवेरस अवार्ड्स उन महिलाओं को दिया जाता है, जिन्होंने अपने क्षेत्र में असाधारण कौशल दिखाते हुए सफलता प्राप्त की। इस साल यह पुरस्कार सुजैन खान और गौरी शिंदे के अलावा सिमरन लाल (बिज़नेस), काली पुरी (मीडिया), शाइना एनसी (पॉलिटिक्स), दीपा मलिक (स्पोर्ट्स), चीकी सरकार (साहित्य), मालविका पोद्दार (फैशन) प्रीति चंद्र (सामुदायिक सेवा), भावना कक्कड़ (कला) और विधा लाल (परफार्मिंग आर्ट्स) को भी दिया गया। इस साल इस पुरस्कार समारोह में सब्यसाची मुख़र्जी के डिज़ाइन पर तैयार शो भी हुआ।
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मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
रोमियो अकबर वाल्टर और टाइगर यानि फिल्मों के रॉ एजेंट
पिछले दिनों सुशांत सिंह राजपूत की मुख्य भूमिका वाली फिल्म रोमियो अकबर वाल्टर का पोस्टर जारी हुआ। इस पोस्टर से ऐसा लगता है कि सुशांत ने फिल्म में तीन तीन रोल किये हैं। लेकिन, रॉबी ग्रेवाल निर्देशित इस फिल्म का पोस्टर बड़ा ट्रिकी है। इस पोस्टर में टाइटल बड़ा ट्रिकी लिखा गया है। रोमियो अकबर और वाल्टर के अंग्रेजी के पहले तीन अक्षर आर ए डब्ल्यू लाल रंग से लिखे गए हैं। इन तीनों अक्षरों को एक साथ पढ़ें तो यह रॉ बनता है। रॉ यानि रिसर्च एंड एनालिसिस विंग, भारत की एक ख़ुफ़िया एजेंसी है। यह एजेंसी दूसरे देशों में अपने जासूस रख कर ख़ुफ़िया जानकारी इकठ्ठा किया करती है। सुशांत सिंह राजपूत इसी ख़ुफ़िया ऐंजेंसी के एजेंट हैं।
जब रॉ एजेंट नहीं था
बॉलीवुड की हिंदी फिल्मों में जासूस का सिलसिला बहुत पुराना है। इन्हें फिल्म में सीक्रेट एजेंट कहा गया। किस ख़ुफ़िया एजेंसी के हैं, कभी बहुत साफ़ नहीं किया गया। मसलन, ऑंखें का जासूस सुनील मेहरा जेम्स बांड टाइप का जासूस था। लेकिन, किसी भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी से नहीं, बल्कि देश भक्त पूर्व सैनिकों तथा निजी लोगों से बना हुआ समूह का एक सदस्य था। आँखें (१९६८) से पहले जीतेंद्र और बबिता की फिल्म फ़र्ज़ (१९६७) भी देसी जेम्स बांड वाली फिल्म थी। मिथुन चक्रवर्ती फिल्म सुरक्षा में एजेंट जी ९ बने थे। द ग्रेट गैम्बलर (१९७९) से हिंदी सिनेमा में अंडर कवर एजेंट का प्रवेश हुआ। मुखबिर (२००८) में हिंदी फिल्मों में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानि आईबी परदे पर नज़र आया। लेकिन, इस बॉलीवुड के जासूस ग्रुप में रॉ एजेंट की एंट्री काफी नई हुई है।
सनी देओल बने पहले रॉ एजेंट !
बॉलीवुड की जासूस फिल्मों की श्रृंखला में पहली रॉ एजेंट वाली फिल्म का खिताब अनिल शर्मा की फिल्म द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ स्पाई को दिया जा सकता है। पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी गतिविधियों का खात्मा करने के लिए भेजे गए रॉ एजेंट अरुण खन्ना पर केंद्रित इस फिल्म में इस हिंदुस्तानी जासूस की दो प्रेमिकाएं - एक हिंदुस्तानी और एक पाकिस्तानी थी। शायद इसी लिए फिल्म के टाइटल के साथ लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई की टैग लाइन जोड़ी गई थी। ग़दर एक प्रेम कथा के बाद सनी देओल पाकिस्तान के अंदर घुस कर जवाब देने वाले हीरो बन गए थे। इसलिए उन्ही पर केंद्रित द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई ने मुम्बई सर्किट में सबसे अच्छा बिज़नस किया। इस फिल्म में सनी देओल के मेजर अरुण खन्ना के किरदार ने तीन रूप बदले थे।
द हीरो के बाद अजान और दूसरे रॉ एजेंट
अब एक बार फिर रॉ एजेंट दर्शकों के सामने है। रोमियो अकबर वाल्टर की कहानी १९७१ के भारत- पाकिस्तान युद्ध के दौरान घटी सच्ची घटनाओं पर फिल्म है। इस फिल्म के अलावा २२ दिसम्बर २०१७ को रिलीज़ होने जा रही फिल्म टाइगर ज़िंदा है भी रॉ एजेंट कहानी है। इस फिल्म में सलमान खान एक था टाइगर वाले अपने रोल अविनाश सिंह राठौर को फिर से कर रहे हैं। अलबत्ता इस फिल्म के निर्देशक कबीर खान नहीं, सुल्तान के निर्देशक अली अब्बास ज़फर हैं। यह दोनों फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर कितना जोश भर पाती हैं, इसका काफी दारोमदार फिल्म की पटकथा और निर्देशन की चुस्ती और रफ़्तार पर टिका होगा।
जब रॉ एजेंट नहीं था
बॉलीवुड की हिंदी फिल्मों में जासूस का सिलसिला बहुत पुराना है। इन्हें फिल्म में सीक्रेट एजेंट कहा गया। किस ख़ुफ़िया एजेंसी के हैं, कभी बहुत साफ़ नहीं किया गया। मसलन, ऑंखें का जासूस सुनील मेहरा जेम्स बांड टाइप का जासूस था। लेकिन, किसी भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसी से नहीं, बल्कि देश भक्त पूर्व सैनिकों तथा निजी लोगों से बना हुआ समूह का एक सदस्य था। आँखें (१९६८) से पहले जीतेंद्र और बबिता की फिल्म फ़र्ज़ (१९६७) भी देसी जेम्स बांड वाली फिल्म थी। मिथुन चक्रवर्ती फिल्म सुरक्षा में एजेंट जी ९ बने थे। द ग्रेट गैम्बलर (१९७९) से हिंदी सिनेमा में अंडर कवर एजेंट का प्रवेश हुआ। मुखबिर (२००८) में हिंदी फिल्मों में इंटेलिजेंस ब्यूरो यानि आईबी परदे पर नज़र आया। लेकिन, इस बॉलीवुड के जासूस ग्रुप में रॉ एजेंट की एंट्री काफी नई हुई है।
सनी देओल बने पहले रॉ एजेंट !
बॉलीवुड की जासूस फिल्मों की श्रृंखला में पहली रॉ एजेंट वाली फिल्म का खिताब अनिल शर्मा की फिल्म द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ स्पाई को दिया जा सकता है। पाकिस्तान की तरफ से आतंकवादी गतिविधियों का खात्मा करने के लिए भेजे गए रॉ एजेंट अरुण खन्ना पर केंद्रित इस फिल्म में इस हिंदुस्तानी जासूस की दो प्रेमिकाएं - एक हिंदुस्तानी और एक पाकिस्तानी थी। शायद इसी लिए फिल्म के टाइटल के साथ लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई की टैग लाइन जोड़ी गई थी। ग़दर एक प्रेम कथा के बाद सनी देओल पाकिस्तान के अंदर घुस कर जवाब देने वाले हीरो बन गए थे। इसलिए उन्ही पर केंद्रित द हीरो: लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई ने मुम्बई सर्किट में सबसे अच्छा बिज़नस किया। इस फिल्म में सनी देओल के मेजर अरुण खन्ना के किरदार ने तीन रूप बदले थे।
द हीरो के बाद अजान और दूसरे रॉ एजेंट
द हीरो के सनी देओल के बाद रॉ एजेंट बने सचिन जोशी। मुम्बई के गुटखा किंग जगदीश एम जोशी के बेटे सचिन जोशी को फिल्मों का चस्का है। तीन तेलुगु फिल्मों में अभिनय करने के बाद जब सचिन ने बॉलीवुड की और रुख किया तो खुद का प्रोडक्शन हाउस स्थापित कर फिल्म अज़ान (२०११) का निर्माण किया। इस फिल्म में
सचिन जोशी ने रॉ एजेंट अज़ान खान का किरदार किया था। इस फिल्म की कहानी रॉ एजेंट अज़ान खान की कहानी थी, जिसका भाई अमान खान पर जासूसी करने का शक़ किया जा रहा है। इस फिल्म में रॉ एजेंट बने सचिन जोशी की अभिनेता शाहरुख़ खान ने काफी तारीफ की थी। लेकिन, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी तरह से विफल रही।
दूसरे एजेंट
अज़ान की असफलता के बावजूद रॉ एजेंट किरदार के साथ फिल्मों का सिलसिला चल निकला। बॉलीवुड के तमाम बड़े छोटे सितारों ने रॉ एजेंट की भूमिकाएं की। कबीर खान ने भी अपनी दो फिल्मों के कथानक में रॉ एजेंट को केंद्र में रखा। ख़ास बात यह रही कि बड़े परदे के यह रॉ एजेंट दर्शकों को पसन्द भी आये।
टाइगर बने सलमान खान
कबीर खान की फिल्म एक था टाइगर (१५ अगस्त २०१२ को रिलीज़) की कहानी काफी कुछ सनी देओल की २००३ की फिल्म द हीरो लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई से मेल खाती थी। इस फिल्म में सलमान खान ने कोड नाम टाइगर वाले रॉ एजेंट अविनाश सिंह राठौर का किरदार किया था। इराक में एक मिशन में इसकी मुलाक़ात एक आईएसआई एजेंट ज़ोया से होती है। दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगते हैं। इस फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली थी। ७५ करोड़ में बनी फिल्म ने ३२० करोड़ का ग्रॉस किया था।
सैफ अली खान भी रॉ एजेंट
परंतु, एक था टाइगर से पहले २३ मार्च २०१२ को श्रीराम राघवन निर्देशित फिल्म एजेंट विनोद रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म अफगानिस्तान और पाकिस्तान में रॉ के लिए काम कर रहे एजेंट विनोद की थी। विनोद को इन दोनों देशों में साथी एजेंटों के मारे जाने के कारणों का पता लगाना था। इस फिल्म में करीना कपूर और कुछ विदेशी किरदार भी थे। बॉक्स ऑफिस पर ९७ करोड़ कमाने वाली ७९ करोड़ लागत वाली एजेंट विनोद को फ्लॉप फिल्मों में शुमार किया जाता है।
२०१३ में कोई तीन रॉ एजेंट फ़िल्में रिलीज़ हुई। इन फिल्मों के एजेंट विदेश में भारत के विरुद्ध साज़िश रच रहे दुश्मन देशों के एजेंटों से मुक़ाबला करते थे। इन फिल्मों के कथानक को लेकर देश- विदेश में विवाद भी हुआ।
विश्वरूपम उर्फ़ विश्वरूप
२०१३ में सबसे पहले रिलीज़ हुई कमल हासन की तमिल फिल्म विश्वरूपम। इस फिल्म का हिंदी संस्करण विश्वरूप १ फरवरी २०१३ को रिलीज़ हुआ। निर्माता और निर्देशक कमल हासन ने इस फिल्म में रॉ एजेंट विश्वनाथ उर्फ़ मेजर विसम अहमद कश्मीरी की भूमिका की थी। कमल हासन का किरदार न्यू यॉर्क सिटी में रहते हुए एक शास्त्रीय नर्तक विश्वनाथ के वेश में दुश्मन एजेंटों की टोह ले रहा था। तकनीकी रूप से भी उत्कृष्ट इस फिल्म के निर्माण में ९५ करोड़ रुपये खर्च हुए थे। फिल्म ने २२० करोड़ का ग्रॉस किया। कुछ मुस्लिम संगठनों ने फिल्म को लेकर आपत्ति भी की।
डी- डे
निखिल अडवाणी निर्देशित फिल्म डी-डे (१९ जुलाई २०१३ को रिलीज़) में इरफ़ान खान ने पाकिस्तान में एक रॉ एजेंट वली खान का किरदार किया था, जो भारत में मुम्बई में वांछित डी कंपनी के सरगना गोल्डमैन पर नज़र रखे हुए था । फिल्म में भारत से भेजे गए अर्जुन रामपाल और हुमा कुरैशी के एजेंट किरदार डी कंपनी के सरगना को गिरफ्तार कर भारत की सीमा के अंदर ला कर मार देते हैं। इस फिल्म में ऋषि कपूर ने गोल्डमैन का किरदार किया था। मगर फिल्म को ख़ास सफलता नहीं मिली।
मद्रास कैफ़े
निर्माता जॉन अब्राहम और शूजित सरकार ने लिट्टे द्वारा तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि पर फिल्म मद्रास कैफ़े (२३ अगस्त २०१३ रिलीज़) का निर्माण किया था। शूजित सरकार द्वारा निर्देशित फिल्म में जॉन अब्राहम ने रॉ एजेंट विक्रम सिंह का किरदार किया था। फिल्म की ज़्यादा शूटिंग श्रीलंका में जाफना में हुई थी। इस फिल्म की निर्माण लागत ३५ करोड़ थी। फिल्म ने ५१ करोड़ का ग्रॉस किया।
टाइगर और विनोद के बाद फैंटम
कबीर खान ने, २०१२ में सलमान खान के साथ रॉ एजेंट फिल्म बनाने के बाद एक बार फिर फैंटम से रॉ एजेंट फिल्म जैसे विषय पर हाथ आजमाया। इस फिल्म में सैफ अली खान दूसरी बार रॉ एजेंट की भूमिका कर रहे थे। यह फिल्म काफी बनते रुकते और फिर बनते बनी थी। पहले इस फिल्म का नाम दनियाल खान था। हुसैन ज़ैदी के उपन्यास मुम्बई अवेंजर्स पर आधारित कबीर खान की लिखी पटकथा पर इस फिल्म में रॉ एजेंट दनियाल खान को भारत के जाने पहचाने अपराधी हफ़ीज़ सईद को पकड़ने या मार डालने का काम सौंपा जाता है। एक था टाइगर और बजरंगी भाईजान के डायरेक्टर कबीर खान की फिल्म फैंटम से दर्शकों ने कुछ ज़्यादा उम्मीदें लगा रखी थी। इसलिए, घिसेपिटे क्लाइमेक्स वाली फैंटम बॉक्स ऑफिस पर ५० करोड़ की लागत के विरुद्ध ६३ करोड़ का ग्रॉस ही कर सकी।
फाॅर्स २ का अलग फाॅर्स
ज़ाहिर है कि बॉलीवुड के रॉ एजेंट को बॉक्स ऑफिस से खट्टे-मीठे अनुभव मिले थे। इस लिए अक्षय कुमार की फिल्म बेबी और जॉन अब्राहम और वरुण धवन की फिल्म डिशूम के जासूस भारत की काल्पनिक सीक्रेट एजेंसी के एजेंट थे। फिर भी रॉ एजेंट वाली फिल्मों के इक्का दुक्का प्रयास जारी रहे। फाॅर्स २ में सोनाक्षी सिन्हा रॉ की एजेंट बनी थी । उनकी मदद कर रहे जॉन अब्राहम एक तेज़ तर्रार पुलिस ऑफिसर थे। यह फिल्म रॉ द्वारा विदेशों में अपने एजेंटों को पकड़े जाने पर नकारने के कथानक पर फिल्म थी। अभिनय देव की यह फिल्म कथ्य के हिसाब से काफी अलग थी । इस फिल्म ने ४५ करोड़ के बजट के विरुद्ध बॉक्स ऑफिस पर ५८.७५ करोड़ का ग्रॉस किया। निर्देशक समीर सिप्पी की रोमांस फिल्म इश्क़ फॉरएवर में जावेद जाफरी और लिसा रे ने रॉ एजेंट का रोल किया था, जिन्हें प्रधान मंत्री को हमले से बचाने की ड्यूटी सौंपी गई थी।
फिर रॉ एजेंट
टाइगर बने सलमान खान
कबीर खान की फिल्म एक था टाइगर (१५ अगस्त २०१२ को रिलीज़) की कहानी काफी कुछ सनी देओल की २००३ की फिल्म द हीरो लव स्टोरी ऑफ़ अ स्पाई से मेल खाती थी। इस फिल्म में सलमान खान ने कोड नाम टाइगर वाले रॉ एजेंट अविनाश सिंह राठौर का किरदार किया था। इराक में एक मिशन में इसकी मुलाक़ात एक आईएसआई एजेंट ज़ोया से होती है। दोनों एक दूसरे को प्यार करने लगते हैं। इस फिल्म को ज़बरदस्त सफलता मिली थी। ७५ करोड़ में बनी फिल्म ने ३२० करोड़ का ग्रॉस किया था।
सैफ अली खान भी रॉ एजेंट
परंतु, एक था टाइगर से पहले २३ मार्च २०१२ को श्रीराम राघवन निर्देशित फिल्म एजेंट विनोद रिलीज़ हुई थी। यह फिल्म अफगानिस्तान और पाकिस्तान में रॉ के लिए काम कर रहे एजेंट विनोद की थी। विनोद को इन दोनों देशों में साथी एजेंटों के मारे जाने के कारणों का पता लगाना था। इस फिल्म में करीना कपूर और कुछ विदेशी किरदार भी थे। बॉक्स ऑफिस पर ९७ करोड़ कमाने वाली ७९ करोड़ लागत वाली एजेंट विनोद को फ्लॉप फिल्मों में शुमार किया जाता है।
२०१३ में कोई तीन रॉ एजेंट फ़िल्में रिलीज़ हुई। इन फिल्मों के एजेंट विदेश में भारत के विरुद्ध साज़िश रच रहे दुश्मन देशों के एजेंटों से मुक़ाबला करते थे। इन फिल्मों के कथानक को लेकर देश- विदेश में विवाद भी हुआ।
विश्वरूपम उर्फ़ विश्वरूप
२०१३ में सबसे पहले रिलीज़ हुई कमल हासन की तमिल फिल्म विश्वरूपम। इस फिल्म का हिंदी संस्करण विश्वरूप १ फरवरी २०१३ को रिलीज़ हुआ। निर्माता और निर्देशक कमल हासन ने इस फिल्म में रॉ एजेंट विश्वनाथ उर्फ़ मेजर विसम अहमद कश्मीरी की भूमिका की थी। कमल हासन का किरदार न्यू यॉर्क सिटी में रहते हुए एक शास्त्रीय नर्तक विश्वनाथ के वेश में दुश्मन एजेंटों की टोह ले रहा था। तकनीकी रूप से भी उत्कृष्ट इस फिल्म के निर्माण में ९५ करोड़ रुपये खर्च हुए थे। फिल्म ने २२० करोड़ का ग्रॉस किया। कुछ मुस्लिम संगठनों ने फिल्म को लेकर आपत्ति भी की।
डी- डे
निखिल अडवाणी निर्देशित फिल्म डी-डे (१९ जुलाई २०१३ को रिलीज़) में इरफ़ान खान ने पाकिस्तान में एक रॉ एजेंट वली खान का किरदार किया था, जो भारत में मुम्बई में वांछित डी कंपनी के सरगना गोल्डमैन पर नज़र रखे हुए था । फिल्म में भारत से भेजे गए अर्जुन रामपाल और हुमा कुरैशी के एजेंट किरदार डी कंपनी के सरगना को गिरफ्तार कर भारत की सीमा के अंदर ला कर मार देते हैं। इस फिल्म में ऋषि कपूर ने गोल्डमैन का किरदार किया था। मगर फिल्म को ख़ास सफलता नहीं मिली।
मद्रास कैफ़े
निर्माता जॉन अब्राहम और शूजित सरकार ने लिट्टे द्वारा तत्कालीन भारतीय प्रधान मंत्री राजीव गांधी की हत्या की पृष्ठभूमि पर फिल्म मद्रास कैफ़े (२३ अगस्त २०१३ रिलीज़) का निर्माण किया था। शूजित सरकार द्वारा निर्देशित फिल्म में जॉन अब्राहम ने रॉ एजेंट विक्रम सिंह का किरदार किया था। फिल्म की ज़्यादा शूटिंग श्रीलंका में जाफना में हुई थी। इस फिल्म की निर्माण लागत ३५ करोड़ थी। फिल्म ने ५१ करोड़ का ग्रॉस किया।
टाइगर और विनोद के बाद फैंटम
कबीर खान ने, २०१२ में सलमान खान के साथ रॉ एजेंट फिल्म बनाने के बाद एक बार फिर फैंटम से रॉ एजेंट फिल्म जैसे विषय पर हाथ आजमाया। इस फिल्म में सैफ अली खान दूसरी बार रॉ एजेंट की भूमिका कर रहे थे। यह फिल्म काफी बनते रुकते और फिर बनते बनी थी। पहले इस फिल्म का नाम दनियाल खान था। हुसैन ज़ैदी के उपन्यास मुम्बई अवेंजर्स पर आधारित कबीर खान की लिखी पटकथा पर इस फिल्म में रॉ एजेंट दनियाल खान को भारत के जाने पहचाने अपराधी हफ़ीज़ सईद को पकड़ने या मार डालने का काम सौंपा जाता है। एक था टाइगर और बजरंगी भाईजान के डायरेक्टर कबीर खान की फिल्म फैंटम से दर्शकों ने कुछ ज़्यादा उम्मीदें लगा रखी थी। इसलिए, घिसेपिटे क्लाइमेक्स वाली फैंटम बॉक्स ऑफिस पर ५० करोड़ की लागत के विरुद्ध ६३ करोड़ का ग्रॉस ही कर सकी।
फाॅर्स २ का अलग फाॅर्स
ज़ाहिर है कि बॉलीवुड के रॉ एजेंट को बॉक्स ऑफिस से खट्टे-मीठे अनुभव मिले थे। इस लिए अक्षय कुमार की फिल्म बेबी और जॉन अब्राहम और वरुण धवन की फिल्म डिशूम के जासूस भारत की काल्पनिक सीक्रेट एजेंसी के एजेंट थे। फिर भी रॉ एजेंट वाली फिल्मों के इक्का दुक्का प्रयास जारी रहे। फाॅर्स २ में सोनाक्षी सिन्हा रॉ की एजेंट बनी थी । उनकी मदद कर रहे जॉन अब्राहम एक तेज़ तर्रार पुलिस ऑफिसर थे। यह फिल्म रॉ द्वारा विदेशों में अपने एजेंटों को पकड़े जाने पर नकारने के कथानक पर फिल्म थी। अभिनय देव की यह फिल्म कथ्य के हिसाब से काफी अलग थी । इस फिल्म ने ४५ करोड़ के बजट के विरुद्ध बॉक्स ऑफिस पर ५८.७५ करोड़ का ग्रॉस किया। निर्देशक समीर सिप्पी की रोमांस फिल्म इश्क़ फॉरएवर में जावेद जाफरी और लिसा रे ने रॉ एजेंट का रोल किया था, जिन्हें प्रधान मंत्री को हमले से बचाने की ड्यूटी सौंपी गई थी।
फिर रॉ एजेंट
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फिल्म पुराण
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
इस भुतहा गुड़िया को नए मेहमान पसंद नहीं !
गुड़िया निर्माता सैमुएल मुलिन्स एक हंसती हुई शैतान गुड़िया ऐनाबेले का निर्माण करता है। बीस साल पहले उसकी बेटी एक दुखद दुर्घटना में मारी जा चुकी है। इस हादसे से भयभीत सैमुएल और उसकी पत्नी लिज़ी चार्लोटे नन सिस्टर चार्लोटे और बंद हो चुके अनाथालय की कई अनाथ लड़कियों का अपने घर में स्वागत करते हैं। लेकिन भुतही गुड़िया को यह नए मेहमान पसंद नहीं। अब वह एक एक कर बच्चों को शिकार बनाने लगती है। गैरी डूबेरमैन की पटकथा पर फिल्म का निर्देशन डेविड ऍफ़ सैंडबर्ग ने किया है। फिल्म में अन्थोनी लापग्लिया (गुड़िया निर्माता सैमुएल मुलिन्स), मिरांडा ओटो (लिज़ी चार्लोटे), स्टेफनी सिगमन (सिस्टर चार्लोटे) और टेलिथ बैटमैन (जेनिस) ने मुख्य चरित्र निभाये हैं। पहले यह फिल्म १९ मई २०१७ को रिलीज़ होनी थी। लेकिन, रिडले स्कॉट साइंस फिक्शन हॉरर फिल्म एलियन कोवेनेंट से टकराव टालने के लिए इस फिल्म की रिलीज़ की तारिख ११ अगस्त कर दी गई है।
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Hollywood
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Friday 7 April 2017
ऐतिहासिक किरदार में स्नेहा वाघ
मराठी थिएटर से एक्टिंग करियर की शुरुआत करने वाली स्नेहा वाघ ने अपने हिंदी टीवी सीरियल करियर की शुरुआत इमेजिन टीवी के शो ज्योति की केंद्रीय भूमिका से किया। उन्हें स्टार प्लस के सीरियल एक वीरा की अरदास वीरा में वीर और वीरा की माँ रतनजीत के किरदार से बड़ी पहचान मिली। उन्हें स्टार परिवार अवार्ड्स में फेवरिट माँ का अवार्ड मिला। अब वह एक बार फिर लाइफ ओके के ऐतिहासिक शो शेर ए पंजाब महाराजा रंजीत सिंह में रणजीत सिंह की माँ राज कौर का किरदार कर रही हैं। घरेलु परेशानियों के कारण सीरियलों से दूर हो जाने वाली स्नेहा दो साल बाद वापसी कर रही हैं।
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Thursday 6 April 2017
मैन डाउन : सिर्फ तीन टिकट बिके
ट्रांसफार्मर्स सीरीज की फिल्मों में सैम विटविकी का किरदार करने वाले अमेरिकी अभिनेता शिया लाबेओफ़ पर गज़ब बीती। उनकी फिल्म मैन डाउन को बॉक्स ऑफिस पर २०० प्रतिशत की छलांग मिली। परन्तु शिया लाबेओफ़ और फिल्म के निर्माताओं के लिए यह ख़ुशी मनाने का मौका नहीं था। अफगानिस्तान से वापस आये एक अमेरिकी सैनिक की इस फिल्म को यूनाइटेड किंगडम में केवल एक दर्शक मिला। यह फिल्म यहाँ केवल एक परदे पर एक शो में दिखाई जा रही थी। हालाँकि, इस फिल्म में गैरे ओल्डमैन, जे कॉर्टनी और केट मारा जैसे सितारे भी हैं। रील सिनेमा के मेनेजर के लिए यह ख़ुशी का समय था कि फिल्म के कुल तीन टिकट बिके। यानि पहले दिन का २०० प्रतिशत उछाल। मैन डाउन का अमेरिका में भी बुरा हाल रहा। इस फिल्म ने दिसंबर में सीमित परदे पर रिलीज़ हो कर ४.५४ लाख डॉलर की लाइफटाइम कमाई की। ख़ास बात यह रही कि इस फिल्म को समीक्षकों ने भी नकार दिया।
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Hollywood
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Wednesday 5 April 2017
अपने किरदारों में बॉलीवुड एक्टर
आम तौर पर बॉलीवुड के सितारे अपनी भूमिकाओं से पहचाने जाते हैं। कोई भूमिका उन्हें ऎसी पहचान देती है कि दर्शक सालों साल उन्हें उसी भूमिका से पहचानते हैं। कभी ऐसा समय भी आता है, जब उनकी कोई दूसरी भूमिका उनकी पहचान बनाती है। ऐसे तमाम उदाहरण है। लेकिन, ऐसी कुछ आगामी फिल्मों के कलाकारों को भी अपनी पहले की भूमिकाओं से इतर पहचान बनाने का मौका मिलेगा! प्रस्तुत लेख इसी बात तथ्य पर है -
बिगड़ैल रईसजादी से स्कूल प्रिंसिपल तक अमृता सिंह
आपातकाल में संजय गांधी की कुख्यात सहयोगिनी रुखसाना सुल्तान की बेटी अमृता सिंह ने १९८३ में सनी देओल के साथ फिल्म बेताब से डेब्यू किया था। इस फिल्म में अमृता सिंह ने एक बददिमाग रईसजादी रोमा का किरदार किया था। रोमा के किरदार से शुरुआत करने वाली अमृता सिंह ने ३४ साल लंबा अभिनय का सफर पूरा कर लिया है। उन्होंने इस दौरान चमेली (चमेली की शादी) जैसा कॉमिक करैक्टर किया तो एक गैंगस्टर माया डोलास की माई (शूटआउट ऐट लोखंडवाला) जैसा बेबस किरदार भी किया। वह 'ए फ्लाइंग जट' में टाइगर
श्रॉफ की मां के किरदार में नजर आई। अब अमृता सिंह फिल्म 'हिन्दी मीडियम' में स्कूल की
प्रिंसिपल की भूमिका में नजर आएंगी। बच्चों के
भविष्य का फैसला करने वाली प्रिंसिपल का उनका रोल काफी महत्वपूर्ण है। इस रोल के लिए उनकी साड़ियों का चुनाव बहुत ही ध्यान से किया गया है। ख़ास बात यह है कि इस फिल्म की शूटिंग दिल्ली के उसी मॉर्डन
स्कूल में की गई है, जहां अमृता सिंह बचपन में पढ़ती थी।
बेशरम से बेगम जान तक पल्लवी शारदा
हिंदी फिल्मों में गीता, राधिका, सिया और गायत्री जैसे किरदार कर चुकी पल्लवी शारदा की शुरूआती पांच फ़िल्में बुरी तरह से असफल हुई थी। इसके बावजूद, जब उन्हें अभिनव कश्यप के निर्देशन में फिल्म बेशरम (२०१३) में रणबीर कपूर की नायिका बनाया गया तो लगा कि पल्लवी शारदा का करियर बन जायेगा। क्योंकि, अभिनव कश्यप तीन साल पहले दबंग (२०१०) जैसे सुपर हिट फिल्म का निर्देशन कर चुके थे। लेकिन, बेशरम बॉक्स ऑफिस पर पानी तक नहीं मांग सकी। अब एक बार फिर पल्लवी शारदा को अपने निर्देशक पर ही भरोसा है। वह श्रिजित मुखर्जी की फिल्म बेगम जान में एक वैश्या गुलाबो का किरदार कर रही हैं। विद्या बालन की केंद्रीय भूमिका वाली फिल्म बेगम जान में दूसरे महिला किरदार भी है। लेकिन, पल्लवी को उम्मीद है कि फिल्म में उनकी गुलाबो दर्शकों का ध्यान आकृष्ट कर पाएगी।
आरा की अनारकली स्वरा भास्कर
संजय लीला भंसाली की फिल्म गुज़ारिश में हृथिक रोशन और ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ किरदार करने के बाद स्वरा भास्कर ने अमूमन सह भूमिकाएं ही की। हालाँकि, इन फिल्मों तनु वेड्स मनु, चिल्लर पार्टी, रांझणा, तनु वेड्स मनु रिटर्न्स और प्रेम रतन धन पायो में अपनी भूमिकाओं से स्वरा भास्कर ने अपनी पहचान बना ली। इसके बावजूद इनमे कोई ऎसी फिल्म नहीं थी, जिसके केंद्र में उनकी भूमिका हो। निल बटे सन्नाटा की वह नायिका थी। लेकिन, फिल्म को विदेशी प्रशंसा ही ज़्यादा मिली। इस पर उनकी उम्मीदें अनारकली ऑफ़ आरा पर टिकी थी। लेकिन, बॉक्स ऑफिस पर अनुष्का शर्मा की फिल्म फिल्लौरी से टकराव के कारण अनारकली ऑफ़ आरा एक करोड़ की ओपनिंग ले पाने में भी असफल रही। अब वह शशांक घोष निर्देशित फिल्म वीरे दी वेडिंग में सोनम कपूर और करीना कपूर खान के साथ स्क्रीन शेयर कर ही कोई उम्मीद बाँध सकती हैं।
सत्ता से मातृ तक रवीना टंडन
रवीना टंडन ने सलमान खान के साथ फिल्म पत्थर के फूल में एक वेश्या की लड़की किरण खन्ना के किरदार से अपने फिल्म करियर की शुरुआत की। सेक्सी ग्लैमरस रवीना टंडन को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला दमन फिल्म में पारिवारिक हिंसा की शिकार महिला दुर्गा सैकिया के किरदार के लिए। मधुर भंडारकर की फिल्म सत्ता में एक महत्वकांक्षी महिला अनुराधा के किरदार से उन्हें प्रशंसा मिली। अब वह अश्तर सईद की फिल्म मातृ द मदर में वर्किंग वुमन विद्या चौहान की भूमिका में घरेलु हिंसा की शिकार औरतों का प्रतिनिधित्व कर रही होंगी ।
चंदू से रॉय तक विवेक ओबेरॉय
रामगोपाल वर्मा की फिल्म कंपनी (२००२) में चंदू का किरदार करने के साथ ही विवेक ओबेरॉय फिल्म इंडस्ट्री में छा गए थे। इस फिल्म के बाद विवेक ने रानी मुख़र्जी (साथिया) और करीना कपूर (युवा) से लेकर ऐश्वर्य राय (क्यों....हो गया न) तक इंडस्ट्री की तमाम ग्लैमरस अभिनेत्रियों के साथ रोमांटिक भूमिकाएं की, लेकिन वह स्वीकार किये गए गैंगस्टर की भूमिका में ही। कंपनी के चंदू के बाद विवेक ओमकारा के केशु उपाध्याय और शूट आउट ऐट लोखंडवाला में माया डोलास के गैंगस्टर किरदारों में ही चमके। रक्त चरित्र, ज़िला गाज़ियाबाद और कृष ३ में अपनी नेगेटिव भूमिकाओं में विवेक ओबेरॉय दर्शकों को पसंद आये। उन्हें रामगोपाल वर्मा ने रॉय में भी एक गैंगस्टर रॉय की भूमिका दी है।
कस्तूरबा से रुक्कू बाई तक रोहिणी हटटंगड़ी
अपने समय की कई समान्तर फिल्मों की नायिका बनने वाली अभिनेत्री रोहिणी हत्तंगड़ी को रिचर्ड एटनबरो की फिल्म गांधी से पूरी दुनिया में कस्तूरबा गांधी के बतौर पहचान मिली। इस फिल्म के बाद रोहिणी ने भावना, पार्टी, आधात, ठिकाना, अग्निपथ, शेरदिल, शिवा, आदि दसियों फिल्मों में छोटी बड़ी भूमिकाएं की। लेकिन, उन्हें गांधी की कस्तूरबा वाली पहचान किसी दूसरी फिल्म में नहीं मिल सकी। अब वह रामगोपाल वर्मा की फिल्म सरकार ३ में एक महत्वकांक्षी राजनीतिक रुक्कू बाई के किरदार में अमिताभ बच्चन के सरकार से टकरा रही हैं। ज़ाहिर है कि सरकार के केन्द्रीय किरदार से टकराव के कारण रुक्कू बाई रोहिणी हत्तंगड़ी के लिए कस्तूरबा जैसा किरदार बन गया है।
शूल से सरकार 3 तक मनोज बाजपेई
रामगोपाल वर्मा की फिल्म सत्या में भीकू म्हात्रे के किरदार से गैंगस्टर को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले मनोज बाजपेई को वर्मा की फिल्म शूल में पुलिस ऑफिसर समर प्रताप सिंह के किरदार से सुपर स्टार माना जाने लगा था। अब यह बात दूसरी है कि मनोज बाजपेई यह सफलता बरकरार नहीं रख सके। हालाँकि, इस बीच उन्होंने फ़िज़ा, ज़ुबैदा, अक्स, पिंजर, वीर-ज़ारा, फरेब, १९७१, आरक्षण, आदि फिल्मों में उन्होंने सशक्त भूमिकाएं की। गैंग्स ऑफ़ वासेपुर में सरदार खान के उनके किरदार को ज़बरदस्त सफलता मिली। अब वह नाम शबाना के बाद सरकार ३ में नए आयाम स्थापित करने जा रहे हैं। सरकार ३ में मनोज बाजपेई ने सरकार के दाहिने हाथ गोविन्द देशपांडे का किरदार कर रहे हैं। यह किरदार छोटा मगर बेहद सशक्त बताया जा रहा है।
मानवाधिकार के वकील से लेकर आतंकवादी तक राजकुमार राव
लव सेक्स और धोखा (एलएसडी) और रागिनी एमएमएस से करियर की शुरुआत करने वाले राजकुमार राव को हंसल मेहता की फिल्म शाहिद में मानवाधिकार की वकालत करने वाले वकील शाहिद आज़मी की भूमिका के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। क्वीन, सिटीलाइट्स, हमारी अधूरी कहानी, अलीगढ और ट्रैप्ड जैसी फिल्मों में सशक्त भूमिकाओं से खुद को बार बार साबित करने वाले राजकुमार राव आतंकवादी की भूमिका करने जा रहे हैं। हंसल मेहता की फिल्म ओमरता में वह आंतकवादी ओमर शेख का किरदार कर रहे हैं। चूंकि, यह फिल्म हंसल मेहता की है। इसलिए, इस फिल्म का आतंकवादी भी सहानुभूति बटोर पाने में सफल होगा।
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Tuesday 4 April 2017
सुपर हीरो बन कर 'दिल' जीतेंगे पंजाब के सुपर स्टार
बालाजी मोशन पिक्चर्स और ब्रैट फिल्म्स की पहली पंजाबी
सुपर हीरो फिल्म 'सुपर सिंग' की शूटिंग वक्त से पहले पूरी हो गई है। इस फिल्म में पंजाबी फिल्मों के सुपर स्टार दिलजीत दोसांझ पंजाब के
प्यारे से सुपरहिरो के किरदार में दिखेंगें। फिल्म सुपर सिंह पंजाबी भाषा में बनाई जा रहीं पहली सुपर हीरो फिल्म हैं। उडता पंजाब की सफलता के बाद बालाजी मोशन पिक्चर्स और दिलजीत दोसंज दूसरी बार एक साथ आ रहें हैं । इस बारे में दिलजीत कहते हैं,“बालाजी के साथ का मेरा सफर अच्छा रहा हैं। उडता पंजाब के बाद फिर एक बार उनके साथ सुपर सिंह में आना मेरे लिए बहुत ही खास बात है ।" उड़ता पंजाब को बॉक्स ऑफिस पर ख़ास सफलता नहीं मिली थी। लेकिन, दिलजीत दोसांझ की हालिया रिलीज़ फिल्म अनुष्का शर्मा के साथ फिल्लौरी को बढ़िया सफलता मिली है। सुपर सिंह के निर्देशक अनुराग सिंह राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता निर्देशक है। इस फिल्म की शूटिंग तय वक़्त से पहले पूरी होना पूरी यूनिट के लिए गर्व की बात है। अनुराग सिंह कहते हैं, "एक सुपरहीरो फिल्म की शूटिंग करना और वह भी दिलजीत के साथ, मेरे लिए एक अच्छा अनुभव था । हमने इस फिल्म के लिए बहुत कम वक्त में बहुत सारी बारीकियों पर काम किया हैं। पूरा यूनिट एक परिवार की तरह एक साथ काम कर रहा था। इसीलिए हम तय शेड्युल से पहले इस फिल्म की शूटिंग पूरी कर सके ।" यह पंजाबी फिल्म जून 2017 में रिलीज होनेवाली हैं। अनुराग सिंह इस
वक्त अक्षय कुमार स्टारर अनाम फिल्म, सलमान खान के साथ पहली फिल्म और धर्मा प्रोडक्शनस के साथ बनने वाली अपनी अगली फिल्म पर भी काम कर रहें हैं।
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Diljit Dosanjh,
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