Sunday 16 August 2015

बॉक्स ऑफिस को रास आ गए स्ट्रीट फाइटर 'ब्रदर्स'

'ब्रदर्स' दर्शकों के दिलों पर छा गई है। पहले दिन फिल्म ने ४००० स्क्रीन में प्रदर्शित होकर बॉक्स ऑफिस पर १४.५५ करोड़ का  बिज़नेस किया था।  बजरंगी भाईजान के बाद ब्रदर्स की शुरुआत दूसरी सबसे बड़ी थी। हालांकि, फिल्म को मिक्स रिव्यु मिले।  कुछ ने सराहा, कुछ ने कड़ी आलोचना की।  लेकिन, दर्शकों को मार्शल आर्ट्स मिक्स स्ट्रीट फाइटिंग की दो भाइयों की कहानी रास आ गई।  फिल्म को शायद माउथ पब्लिसिटी ज़बरदस्त मिली थी।  फिल्म ने दूसरे दिन, यानि शनिवार को ५० परसेंट की ग्रोथ दिखाई।  इतनी शानदार ग्रोथ बहुत कम फिल्मों को मिल पाती है।  वह भी तब, जब काफी समीक्षक फिल्म को खून खराबे से भरी, परिवार के लिए फिल्म नहीं बता रहे थे।  फिल्म ने शनिवार को २२.१५ करोड़ का बिज़नेस किया।  दिलचस्प तथ्य यह है कि फिल्म को कई सर्किट में शतप्रतिशत उछाल मिला।  आम तौर पर, अक्षय कुमार की फिल्म को कुछ सेंटरों में थोड़ा भांपा जाता है।  यहाँ एक्शन ख़ास रास नहीं आता।  बहरहाल, अब यह उम्मीद की जा रही है कि 'ब्रदर्स' का वीकेंड बजरंगी भाईजान के बाद सबसे बड़ा होगा।  रविवार को 'ब्रदर्स' का कलेक्शन शनिवार से ज़्यादा नहीं हुआ, तो भी यह फिल्म ५७ करोड़ से ऊपर कमा लेगी।  ऐसी दशा में सोमवार के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन के मज़बूत बने रहने की उम्मीद  की जा सकती है। तब कोई शक नहीं अगर ब्रदर्स का कोल्लेक्टिन ८० करोड़ तक पहुँच जाए।  अब होगा क्या ? यह पहला हफ्ता ख़त्म होने पर बिलकुल साफ़ हो जायेगा।  लेकिन, इतना तय है कि 'ब्रदर्स' अक्षय कुमार और सिद्धार्थ मल्होत्रा के लिए सबसे बड़ा वीकेंड करने वाली फिल्म बन जाएगी।  

दूसरे विश्व युद्ध पर तीन चीनी कार्टून फ़िल्में

चीन के टेलीविज़न पर दूसरा महायुद्ध छाने जा रहा है।  चीन के मीडिया वाचडॉग ने यह घोषणा की है कि सोमवार से दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान चीन पर जापानियों के आक्रमण के विरुद्ध चीन के लोगों के विरोध को दिखाने वाली तीन कार्टून फ़िल्में प्रसारित की जाएंगी।  इन कार्टून फीचर का निर्माण प्रेस, पब्लिकेशन, रेडियो, फ़िल्म एवं टेलीविज़न प्रशासन द्वारा किया गया है।  चीन इस साल द्वितीय विश्व युद्ध ७० वी जयन्ती जोर शोर से मनाने जा रहा है।  इन कार्टून फिल्मों के निर्माताओं के अनुसार अप्रैल में चीन में आठ से दस साल के १००५  छात्रों के बीच एक सर्वे किया गया  था।  इसमे मालूम पड़ा कि ५५ प्रतिशत छात्र द्वितीय विश्व युद्ध में चीन के लोगों के योग दान के बारे में कुछ नहीं जानते।  ८८ छात्र तो ऐसे थे, जिन्हे अपने देश के किसी स्वतंत्रता सेनानियों का नाम तक नहीं मालूम था।  इन तीनों कार्टून फीचर फिल्मों में छात्रों को इन तथ्यों से अवगत कराया जायेगा।  ऎसी एक द्वितीय विश्व युद्ध की कहानी 'टनल वारफेयर' में दिखाया गया है कि चीनी लोगों द्वारा दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जापानी आक्रमण के बाद सुरंगों में घुस कर बचने और दुश्मनों का नाश करने में इन सुरंगो का किस प्रकार उपयोग किया गया था।  सरकार का उद्देश्य इन कार्टून फिल्मों से युवाओं को चीन के इतिहास को समझाना है ताकि उनका चारित्रिक विकास हो और वह ऐतिहासिक तथ्यों की तोड़ मरोड़ से प्रभावित  न हों।



Saturday 15 August 2015

देश भक्ति की सदाबहार फ़िल्में

बॉलीवुड को देश भक्ति की फ़िल्में रास आती हैं।  बॉलीवुड ने गांधी से लेकर भगत सिंह तक स्वतंत्रता सेनानी किरदारों पर फ़िल्में बनाई हैं।  १९६२ के भारत चीन युद्ध पर भी फ़िल्में बनी तो कारगिल युद्ध को भी परदे पर उतारा गया।  देश में व्याप्त भ्रष्टाचार भी कहानी बना।  देशवासियों को सन्देश देने वाली देशभक्ति फ़िल्में भी कम नहीं।  यह फ़िल्में आज भी सदा बहार हैं।  इन्हे कालजयी फ़िल्में कहा जा सकता है।  आइये जानते हैं, ऎसी कुछ फिल्मों के बारे में -
शहीद-
निर्देशक एस राम शर्मा की फिल्म शहीद (१९६५) स्वतंत्रता सेनानियों भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के जीवन, ख़ास तौर पर  भगत सिंह के जीवन पर फिल्म थी।  इस फिल्म में मनोज कुमार, प्रेम चोपड़ा और अनंत मराठे ने क्रमशः भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु की भूमिका की थी।  इस फिल्म को १३ वे राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में श्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार प्राप्त हुआ था।  इससे पहले देश स्वतंत्रता के एक साल बाद, १९४८ में रमेश सैगल की फिल्म 'शहीद' रिलीज़ हुई थी, जो स्वतंत्र सेनानियों पर केंद्रित थी।  इस फिल्म में दिलीप कुमार ने शहीद की भूमिका की थी।  २००२ में रिलीज़ राजकुमार संतोषी की फिल्म 'लीजेंड ऑफ़ भगत सिंह' भी इसी विषय पर बानी फिल्म थी।  इस फिल्म में अजय देवगन, सुशांत सिंह और डी संतोष ने क्रमशः भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु का किरदार किया था।  फिल्म ने श्रेष्ट फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार पाया।
बॉर्डर-
डायरेक्टर जे पी दत्ता की १९७१ में  पाकिस्तान के साथ लोंगेवाल में लड़े गए युद्ध की पृष्ठभूमि पर फिल्म 'बॉर्डर' को इसके जोशीले कथानक और ईमानदार प्रस्तुति के कारण बेहद सफलता मिली थी।  फिल्म में सनी देओल, अक्षय खन्ना, सुनील शेट्टी और जैकी श्रॉफ की मुख्य भूमिका थी।  ख़ास तौर पर अक्षय खन्ना के अभिनय  को सराहा गया था। यह भारत की श्रेष्ठ युद्ध फिल्म मानी जाती है।  इस फिल्म को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कारों में नर्गिस दत्त अवार्ड के अलावा श्रेष्ठ गीत और श्रेष्ठ गायक की श्रेणी में पुरस्कृत किया गया था।  जे पी दत्ता ने १९९९ के कारगिल युद्ध पर 'एलओसी कारगिल' फिल्म का निर्माण किया था।  इस फिल्म को सीमित सफलता ही मिली। लेकिन, सबसे ज़्यादा प्रभावशाली युद्ध फिल्म थी चेतन आनंद की १९६५ के भारत और चीन युद्ध पर फिल्म 'हकीकत' । इस फिल्म के देशभक्ति से भरे गीत आज भी स्वतंत्रता दिवस पर बजाये जाते हैं।  इस फिल्म को नेशनल फिल्म पुरस्कार भी मिला था।
गांधी-
मोहनदास  करमचंद  गांधी की महात्मा बनाने की यात्रा को उकेरने वाली इस फिल्म की पूरी दुनिया में सराहना हुई।  ब्रिटिश निर्माता निर्देशक सर रिचर्ड एटनबरो द्वारा  नेशनल फिल्म डेवलपमेंट कारपोरेशन के सहयोग से बनाई गई इस फिल्म को श्रेष्ठ फिल्म और श्रेष्ठ निर्देशक सहित आठ ऑस्कर पुरस्कार मिले थे।  महात्मा गांधी की भूमिका के लिए बेन किंग्सले को इकलौता ऑस्कर अवार्ड मिला।
चटगांव-
१९३० के ब्रितानी साम्राज्य वाले चटगांव में हुए विद्रोह पर निर्देशक बेदब्रत पाइन की इस फिल्म को अच्छी रिलीज़ नहीं मिल पाने के कारण ज़्यादा दर्शकों  द्वारा नहीं देखा जा सका।  मनोज बाजपेई और जयदीप अहलावत की मुख्य भूमिका वाली यह फिल्म आशुतोष गोवारिकर की चटगांव विद्रोह पर अभिषेक बच्चन और दीपिका पादुकोण की फिल्म 'खेले हम जी जान से' टकराव के कारण विवादों का शिकार हो गई।  बेदब्रत ने अमिताभ बच्चन पर अपनी फिल्म को नुक्सान पहुंचाने का आरोप भी लगाया था।
मंगल पाण्डेय: द राइजिंग-
केतन मेहता की यह फिल्म भारत के पहले स्वतंत्रता संग्राम के नायक मंगल पाण्डेय पर आधारित थी।  आमिर खान ने मंगल पाण्डेय की भूमिका की थी।  लेकिन, केतन मेहता आमिर खान, रानी मुख़र्जी और अमीषा पटेल जैसी बड़ी स्टारकास्ट के बावजूद प्रभावशाली फिल्म नहीं बना सके।  यह फिल्म फ्लॉप साबित हुई।
सरदार- लौह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल पर केतन मेहता ने 'सरदार' फिल्म का निर्माण किया था। इस फिल्म में परेश रावल ने पटेल की भूमिका की थी।
मनोज कुमार-
अभिनेता, फिल्म निर्माता और निर्देशक मनोज कुमार को उनकी देशभक्ति की फिल्मों के कारण भारत कुमार भी कहा जाता है। उन्हें यह संज्ञा उनके द्वारा निर्देशित फिल्म उपकार के चरित्र भारत से मिली।  यह फिल्म १९६५ का युद्ध के अलावा किसानों की बात करती थी, गाँव को महिमा मंडित करती थी।  उस समय के सुधारों वाले नारे जय जवान जय किसान को  प्रचारित करती थी। इसके बाद मनोज कुमार ने पाश्चात्य सभ्यता पर भारतीय सभ्यता को श्रेष्ठ बताने वाली फिल्म 'पूरब और पश्चिम', ध्वनि और वातावरण प्रदूषण और पानी की समस्या पर फिल्म 'शोर', महंगाई और जमाखोरी जैसी ज्वलंत समस्या पर 'रोटी कपड़ा और मकान' और १९वी शताब्दी के स्वतंत्रता सेनानियों पर फिल्म 'क्रांति' बनाई।  इन सभी देशभक्ति पूर्ण फिल्मों को दर्शकों ने खूब पसंद किया।

कुछ अन्य देशभक्ति फ़िल्में- उपरोक्त फिल्मों के अलावा कुछ अन्य फ़िल्में भी हैं, जो अपने कथ्य के कारण देशभक्ति फ़िल्में मानी जाती हैं।  इनमे आमिर खान  की फिल्म 'रंग दे बसंती', अनिल कपूर और मनीषा कोइराला की १९४२: अ लव स्टोरी, आमिर खान की ही फिल्म लगान, सनी देओल की फिल्म 'ग़दर एक प्रेम कथा', 'इंडियन' और 'माँ तुझे सलाम',  शाहरुख़ खान की फिल्म स्वदेश, चक दे इंडिया और फिर भी दिल है हिंदुस्तानी,  ह्रितिक रोशन की फिल्म लक्ष्य आदि भी देशभक्ति फिल्मों में शुमार की जा सकती हैं।

राजेंद्र कांडपाल



Friday 14 August 2015

इन 'ब्रदर्स' के बीच प्यार और नफरत का रिश्ता है !

निर्माता करण जौहर की करण मल्होत्रा निर्देशित फिल्म 'ब्रदर्स' २०११ में रिलीज़ हॉलीवुड की फिल्म 'वारियर' का हिंदी रीमेक है।  फिल्म को हिंदी में एकता पाठक मल्होत्रा ने ढाला है।  सिद्धार्थ और गरिमा ने संवाद लिखे हैं। पूरी फिल्म 'वारियर' के साँचे में ढली है।  'ब्रदर्स'  अच्छी  फिल्म  देखने वालों के लिए हैं।  क्रांतिकारी और बिलकुल अलग समीक्षा लिखने के शौक़ीन समीक्षक इस फिल्म को नकारेंगे।  लेकिन, इस फिल्म मे जहाँ एक्शन है, वहीँ ज़बरदस्त इमोशन है।  रिंग पर जहाँ निर्मम हिंसा हैं (स्ट्रीट फइटरों के रिंग में ककड़िया तो चटकेंगी नहीं), वहीँ उसी समय भावनाए और संवेदनाएं भी हैं। करण जौहर, करण मल्होत्रा और उनकी टीम ने एक बेहद संतुलित फिल्म तैयार की है। बर्बाद परिवार खील खील होकर बिखरते हैं, लेकिन मिलते भी है ऐसे ही किन्ही नाज़ुक क्षणों में। अक्षय कुमार ने कमाल का अभिनय किया है। उनसे इतने उम्दा अभिनय की उम्मीद नहीं की जाती थी। सिद्धार्थ मल्होत्रा थोडा कमज़ोर लगे।  जैक्विलिन फ़र्नान्डिस ने अपनी अभिनय प्रतिभा दिखाई है।  जैकी श्रॉफ अपनी भूमिका में फबे हैं। शेफाली शाह की भूमिका छोटी मगर मज़बूत है। करीना कपूर ने आइटम मेरा नाम मैरी है में कामुकता का प्रदर्शन किया है।  वह करण मल्होत्रा की फिल्म 'अग्निपथ' में अपनी होने वाली भाभी के डांस 'चिकनी चमेली' से होड़ लेती लगी। करण जौहर ने रिंग के दृश्य परफेक्ट बनवाए हैं। ऐसा लगता है जैसे दर्शक रियल रिंग देख रहे हैं। हेमंत चतुर्वेदी की फोटोग्राफी जानदार है।  स्टेडियम को बखूबी उभरा गया है। अजय- अतुल का संगीत ठीक ठाक है। फिल्म के मूड को उभरता है। अकिव अली की एडिटिंग धारदार है। फिल्म १५६ मिनट लम्बी है।  इस फिल्म से हॉलीवुड के एक और स्टूडियो लायंस गेट का बॉलीवुड से को- प्रोडक्शन शुरू हो रहा है।
फिल्म को सुपर हिट होने से कोई नहीं रोक सकता।

शोले के चालीस साल !

चालीस साल पहले, १५ अगस्त १९७५ को अमिताभ बच्चन, धर्मेन्द्र, हेमा मालिनी, जया बच्चन, अमजद खान और संजीव कुमार की एक्शन फिल्म ‘शोले’ रिलीज़ हुई थी।  रमेश सिप्पी निर्देशित शोले को रिलीज़ के पहले दिन ही समीक्षकों द्वारा नकार दिया गया था।  फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर शुरुआत भी ख़ास नहीं रही थी।  लेकिन, फिल्म के हैरत अंगेज़ एक्शन, ड्रामा और कॉमेडी ने  दर्शकों को आकर्षित  करना शुरू कर दिया।  फिल्म ने रफ़्तार पकड़नी शुरू कर दी।  फिल्म आल टाइम ब्लॉकबस्टर साबित हुई।  इस  फिल्म ने ६० थिएटर्स में लगातार पचास हफ्ते चलने का कीर्तिमान बनाया।  यह पहली ऎसी फिल्म बनी, जिसने १०० सिनेमाघरों में रजत जयन्ती मनाई।  ऐसी कल्ट फिल्म के चालीस साल होने पर यूनिवर्सल म्यूजिक ने इस फिल्म का स्पेशल एनिवर्सरी कलेक्शन निकाला है।  इस कलेक्शन में शोले के दिलचस्प हंसाने वाले कॉमिक संवाद और संगीत शामिल हैं।  शोले के साउंडट्रैक को उस समय बहुत सूना गया था। इस फिल्म के राहुल देव बर्मन द्वारा तैयार धुनों पर किशोर कुमार, मन्ना डे, लता मंगेशकर और आरडी बर्मन के गाये ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे, जब तक है जान, कोई हसीना जब रूठ जाती है और मेहबूबा मेहबूबा गीत बेहद लोकप्रिय हुए थे।   “शोले: द ४० एनिवर्सरी कलेक्शन” में फिल्म के डायलॉग्स और गीतों का दो घंटे का कलेक्शन ख़ास है।  इस कलेक्शन को वर्ल्डवाइड डिजिटल रिलीज़ किया गया है।  

इंडियन आइडल जूनियर के सेट पर स्वतंत्रता दिवस (फोटोज)

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वेलकम बैक की शूटिंग के दौरान जॉन के सर पर लगी चोट.

अभिनेता जॉन अब्राहम अपनी आगामी फिल्म वेलकम बैक को लेकर काफी उत्साहित हैं , जहा एक तरफ जॉन ने कहा था की लोगो को हसाना सबसे  कठिन काम है तो वही दूसरी तरफ उनके लिए   वेलकम बैक की शूटिंग का सफर इतना भी आसान नहीं था.
जॉन फिल्म में एक एक्शन सीक्वेंस शूट  कर रहे थे की उनके सर पर चोट लग गयी, दरअसल बात यह  है की  स्क्रिप्ट के अनुसार आर्टिस्ट को जॉन के कंधे पर वार करना था लेकिन  कंधे पर मरने की बजाय उनके सर पर ज़ोर से प्रहार कर दिया,हलाकि कोई बड़ी चोट नहीं लगी थी पर जॉन के  सर में काफी दर्द होने के कारण  डॉक्टर को सेट  पर  बुलाना पड़ा . 
सूत्रों का कहना है की "शूट खत्म करने के बाद जॉन अपने पर्सनल डॉक्टर के पास जाँच करवाने  पहुंचे की उनके सर पर कोई अंधूरिनि घाव तो नहीं लगा है,  फिल्म के डायरेक्टर अनीस बज़्मी ने भी इस खबर की पुष्टि की