Tuesday 14 June 2016

The official poster of Disney's Pete's dragon

Here's presenting the official poster of Pete's Dragon starring Bryce Dallas Howard, Oakes Fegley, Wes Bentley, Karl Urban, Oona Laurence, Isiah Whitlock, Jr. and Robert Redford. Pete's Dragon, a re-imagining of Disney’s cherished family film, is the adventure of an orphaned boy named Pete and his best friend Elliot, who just so happens to be a dragon.Pete's Dragon releases in India in August 2016.

लास्ट मूमेंट बताया गया कि लिप-लॉक करना है- संगीता चौहान

कई विज्ञापन फिल्मों में अपनी आकर्षक मुस्कान का प्रदर्शन कर चुकी संगीता चौहान आजकल अपनी एक बड़ी फिल्म की रिलीज़ की तैयारी में व्यस्त है । लव यू अलिया टाइटल वाली इस कन्नड़ फिल्म में संगीता को भूमिका चावला, वी रविचंद्रन और सुदीप जैसे बड़े सितारों के साथ अभिनय का मौका मिला है । फिल्म के डायरेक्टर इन्द्रजीत लंकेश साउथ के बड़े निर्देशकों में शुमार किये जाते   हैं । लव यू अलिया कन्नड़ के अलावा हिंदी में भी डब कर रिलीज़ की जा रही है । पेश है संगीता चौहान से एक बातचीत-
लव यू अलिया क्या कोई सन्देश देने वाली फिल्म है ?
आजकल के परिवार में साथ खाने और बैठ कर बातचीत करने के रिश्ते ख़त्म हो चुके  है । यह सम्बन्ध ट्वीट और मेसेज भेजने तक ही सीमित हैं । लव यू अलिया आधुनिक परिवार के सदस्यों के डिनर टेबल पर बैठ कर बातचीत करने और आपसी संबंधो, आदि पर गहराई से नज़र डालती है ।
अलिया के बारे में कुछ बताये
अलिया तलाकशुदा माता-पिता की संतान है । उसे शादी जैसी संस्था पर कतई विश्वास नहीं । वह शादी करना नहीं चाहती । परिस्थितियां उसे महसूस कराती है । मैं इस मुख्य किरदार को करके खुद को । भाग्यशाली समझती हूँ । अलिया एक सीधी साडी लड़की है, जिसे संबंधों से जुड़ना पड़ता है और तब उसकी ज़िन्दगी में जटिलताएं पैदा होने लगती है । आपने अब तक जितने करैक्टर देखें हैं, अलिया उनसे काफी अलग है ।
इन्द्रजीत लंकेश दक्षिण के प्रतिष्ठित नाम है । उनके साथ काम करने का कैसा अनुभव रहा ?
मैं उनकी कार्य शैली से बेहद प्रभावित हुई हूँ । उन्हें दक्षिण की फिल्मों का यश चोपड़ा कहा जा सकता है । मैं भाग्यशाली हूँ कि मुझे यह रोल मिला और लंकेश ने मुझ पर विश्वास किया । 
क्या इस फिल्म के लिए कोई ख़ास ट्रेनिंग ली ?
मैंने नीरज कबी के साथ एक्टिंग की वर्कशॉप की । नीरज एक्टर भी हैं और एक्टिंग टीचर भी ।
शूटिंग के दौरान का कोई कठिन दौर ?
फिल्म में एक लिप-लॉक का सीन है । मुझे इसकी इत्तला बैंकाक में शूटिंग के दौरान आखिरी मौके पर दी गई । शुरू में मैं समझ नहीं पा रही थी कि इसे कैसे करूंगी । लेकिन, फिर कर लिया ।
आपकी दूसरी फ़िल्में ?
यह मेरी दूसरी फिल्म है । मेरी पहली फिल्म शार्पशूटर थी । मैंने अभी हिंगलिश में एक शॉर्ट फिल्म शूट की है । इसकी निर्देशक हीना डीसूजा हैं । इस फिल्म का वर्किंग टाइटल काफी जटिल था । इसलिए अभी टाइटल फाइनल होना है ।
आप इंडस्ट्री में किसे आदर्श मानती है ?

विद्या बालन मेरी रोल मॉडल हैं । उन्होंने अपनी मेहनत और लगन के बलबूते पर अपना एक यह मुकाम बनाया है । संघर्षों के बावजूद उन्होंने कभी उम्मीद नहीं छोड़ी । अभिनेताओं में आर माधवन और आमिर खान मेरे पसंदीदा है । 

Saturday 11 June 2016

नशीली दवाओं चंगुल में फंसा बॉलीवुड

अभिषेक चौबे की फिल्म उड़ता पंजाब आजकल के पंजाब प्रान्त में युवाओं के बीच नशीली दवाओं की समस्या पर फिल्म है।  इस फिल्म में करीना कपूर और शाहिद कपूर लम्बे समय बाद किसी  फिल्म में आ ज़रूर रहे हैं, लेकिन उनके साथ साथ कोई सीन नहीं होंगे।   लेकिन,दर्शकों के लिए समस्या यह नहीं होगी।  वह देखना चाहेंगे कि उनके द्वारा चार साल तक की गई कथित मेहनत ने स्क्रिप्ट में क्या आकार लिया है।  क्या यह फिल्म पंजाबी युवाओं के नशीली दवाओं के जाल में फंसने की घटनाओंं को वास्तविक तथ्यों पर उभार पाए होंगे ? बॉलीवुड ने तो नशीली दवाओं को युवाओं के शौक और मज़े के तौर पर ही दिखाया है।
ड्रग्स पर 'गुमराह' करती फिल्म
निर्माता यश जौहर और निर्देशक महेश भट्ट ने १९९३ में नशीली दवाओं की तस्करी के विषय पर एक फिल्म गुमराह बनाई थी।  इस फिल्म में श्रीदेवी ने एक सिंगर रोशनी का किरदार किया था,  जिसे राहुल प्रमोट करता है और विदेशों में शो करवाता है।  ऐसे ही एक शो के लिए जाते समय रोशनी हांगकांग एयरपोर्ट पर नशीली दवाओं की तस्करी के जुर्म में गिरफ्तार कर लिया जाता है।  उसे फांसी की सज़ा हो जाती है। ऐसे में जगन्नाथ उसकी मदद करता है।  संजय दत्त ने जगन्नाथ और राहुल रॉय ने प्रमोटर राहुल का किरदार किया था। इस फिल्म को रॉबिन भट्ट और सुजीत सेन ने लिखा था।   लेकिन, वह पकड़ नहीं बन पाई थी।  फिल्म में न तथ्य थे, न विषय की गहराई से समझ थी।  यह फिल्म श्रीदेवी और संजय दत्त की फ्लॉप फिल्मों में शुमार की जाती है।
नेपाल से गोवा तक ड्रग्स
१८ साल बाद निर्देशक रोहन सिप्पी को गोवा में नशीली दवाओं का धंधा नज़र आया।  उस दौर में गोवा इस खासियत के कारण मशहूर हो रहा था।  फिल्म में नशीली दवाओं के तस्करों की तरकीबों, पुलिस की कोशिशों और नशे के दुष्परिणाम का चित्रण काफी अच्छी तरह से हुआ था।  इस फिल्म में दीपिका पादुकोण पर  हरे राम हरे कृष्णा का दम मारो दम गीत का रीमिक्स वर्शन फिल्माया गया था ।  इसके बावजूद फिल्म फ्लॉप हुई।  जिस हरे राम हरे कृष्णा के गीत पर रोहन सिप्पी ने गोवा पर अपनी फिल्म का नाम रख था, देव आनंद और ज़ीनत  अमान की यह फिल्म नेपाल में हिप्पियों और नशे के जाल पर केंद्रित थी।  इस संगीतमय फिल्म ने हिंदुस्तानी दर्शकों को काफी प्रभावित किया था  फिल्म सुपर हिट साबित हुई।  लेकिन, इसके  बाद कोई ऎसी सफल फिल्म नहीं बनाई जा सकी।
ड्रग्स से लग जाते हैं 'पंख'
सुदीप्तो चट्टोपाध्याय निर्देशित फिल्म को नशीली दवाओं पर केंद्रित फिल्म कहना ठीक नहीं होगा।  इस फिल्म में एक बच्चे के मनोविज्ञान का भी चित्रण किया गया था।  जेरी एक बर्बाद परिवार से है।  वह फिल्मों में लड़कियों का किरदार करता है।  माँ के साथ ख़राब सम्बन्ध उसे नशे में धकेल देते हैं।  नशीली दवाओं की डोज़ लेकर वह बिपाशा बासु की फंतासी करता है।  यह फिल्म बाल मनोविज्ञान की दृष्टि से प्रशंसनीय थी।  नशा तो एक पहलू था ही।
नशीली दवाओं के आदती किरदार
बॉलीवुड की काफी फिल्मों के किरदार नशा लेने वाले दिखाये गए हैं।  मधुर भंडारकर की फैशन इंडस्ट्री पर फिल्म फैशन की कहानी मेघना माथुर यानि प्रियंका चोपड़ा पर केंद्रित थी।  फिल्म का शोनाली का किरदार पतन को जा रही मॉडल का था, जो हताशा में नशीली दवाओं में डूब जाता है।  इस भूमिका के लिए कंगना रनौत को सपोर्टिंग एक्ट्रेस का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।  अनुराग कश्यप की आधुनिक देवदास पर फिल्म देव डी में देवदास का किरदार पारो की शादी हो जाने के बाद ड्रग्स लेने लगता है।  अनुराग कश्यप के चले बिजॉय नांबियर की फिल्म शैतान के नशीली दवाओं और शराब में डूबे पांच दोस्त नशे में चूर हो कर अपनी कार से एक स्कूटर सवार को  ठोंक डालते हैं।  इसके बाद शुरू होता है उनका पश्चाताप और एक के बाद ज़िंदगियों का ख़त्म होना।  कंगना रनौत की फिल्म रिवाल्वर रानी में एक्टर बनने मुंबई आया वीर दास का किरदार हमेशा कोकीन सुडकता रहता है।  हँसी तो फसी में परिणीति चोपड़ा का किरदार डिप्रेशन से उबरने के लिए ड्रग्स लेता है।  रागिनी एमएमएस में एक जोड़ा नशे वाली सिगरेट पीता है।  इसके बाद वह लोग सेक्स करने शावर के नीचे  जाते हैं।  तभी लड़का  प्रेत बन जाता है।  लड़की नशीली सिगरेट को इसका कारण बताती है।  गैंग्स ऑफ़ वास्सेपुर में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी हर समय चरस पीते रहते हैं। विशाल भरद्वाज की फिल्म ७ खून माफ़ में सुसन्ना (प्रियंका चोपड़ा) के दूसरे पति बने जॉन अब्राहम ड्रग्स लेते थे ।  उसकी  ज़्यादतियों से तंग आकर सुसन्ना ड्रग की ओवर डोज़ देकर  मार देती है।
ड्रग्स ने बनाया ज़ोंबी
कृष्णा डी के और राज निदिमोरु की निर्देशक जोड़ी की फिल्म गो गोवा गॉन में कुणाल खेमू और  वीर दास के करैक्टर गोवा की एक रेव पार्टी में जाते हैं।  नशे में डूबने के बाद  जब वह सुबह उठते हैं तो पाते हैं कि नशे ने वहा मौजूद तमाम लोगों को ज़ोंबी बना दिया है।  इसके बाद शुरू होती है कॉमिक भागदौड़ और जोम्बियों की मारकाट।  सैफ अली खान ज़ोंबी के वायरस के शिकार ज़ोंबी हंटर बने थे।
ड्रग्स पर हॉलीवुड
नशीली दवाओं के  अंतर्राष्ट्रीय रैकेट को हॉलीवुड की कई फिल्मों में दिखाया गया है। इनमे डायरेक्टर रिडले स्कॉट की डंजेल वाशिंगटन और रशेल क्रोव की फिल्म अमेरिकन गैंगस्टर, डायरेक्टर ब्रायन डी पाल्मा की अल पचीनो अभिनीत स्कारफेस,  निर्देशक डैनी बॉयल की ट्रेनस्पॉटिंग, फर्नांडो मेिरेलस की फिल्म सिटी ऑफ़ गॉड, स्टीवन सोडरबर्ग निर्देशित ट्रैफिक, कोएन ब्रदर्स निर्देशित ऑस्कर अवार्ड विजेता फिल्म नो कंट्री फॉर ओल्ड मेन, डैरेन अरोनोफस्की निर्देशित रिक्विम फॉर अ ड्रीम, निर्देशक टेरी विलियम की फियर एंड लोथिंग इन लॉस वेगासक्वेंटिन टारनटिनो की फिल्म पल्प फिक्शन, टेड डेमे की ब्लो, रिचर्ड लिंकलेटर के डैजड एंड कन्फ्यूज्ड और डायरेक्टर जोशुआ मर्स्टन की मारिया फुल ऑफ़ ग्रेस के नाम उल्लेखनीय हैं। 
ममता कुलकर्णी 
नाना पाटेकर की हिट फिल्म तिरंगा से अपने करियर की शुरुआत करने वाली ममता कुलकर्णी ने अपनी सेक्स अपील के बलबूते शाहरुख़ खान, सलमान खान, आमिर खान और सैफ अली खान के साथ फिल्में की। वह जब तब अपने नखरों और हरकतों के कारण चर्चित होती रही।  एक दिन ममता कुलकर्णी यकायक गायब हो गई।हाल ही में महाराष्ट्र में ठाणे पुलिस के ममता कुलकर्णी के पति विकी गोस्वामी के खिलाफ रेड कार्नर नोटिस जारी करने की खबर आई है।  ममता और उनके पति नशीली दवाओं  की तस्करी में लिप्त बताये जाते हैं।  

Thursday 9 June 2016

प्रियंका चोपड़ा की पहली भोजपुरी फिल्म

क्वांटिको के बाद बेवाच मूवी की शूटिंग कर मार्च के आखिर में स्वदेश लौटी प्रियंका चोपड़ा अब तक ३० ब्रांड एनडोर्समेंट, चार फिल्म निर्माताओं से बातचीत और दो पत्रिकाओं के लिए फोटोशूट करवा चुकी है। हॉलीवुड में अपना झंडा गड़वा चुकी प्रियंका चोपड़ा अब क्षेत्रीय सिनेमा के लिए कुछ करना चाहती हैं। उनके बैनर पर्पल पेबल पिक्चरस के अंतर्गत बनाई गई पहली भोजपुरी फिल्म बम बम बोल रहा काशी इस शुक्रवार रिलीज़ हो रही है। इस फिल्म का निर्देशन संतोष मिश्र कर रहे हैं। फिल्म में भोजपुरी फिल्मों बड़े सितारे दिनेश लाल यादव निरहुआ और आम्रपाली पाण्डेय मुख्य भूमिका में है। इस फिल्म के ९ जून के पटना प्रीमियर में प्रियंका चोपड़ा भी शामिल हो रही हैं। इससे साफ़ है कि वह अपनी पहली भोजपुरी फिल्म के प्रति कितना गंभीर है। प्रियंका चोपड़ा के बैनर से एक मराठी और एक पंजाबी फिल्म का निर्माण भी किया जायेगा।  प्रियंका का मानना है कि कहानी में गहराई होनी चाहिए। दर्शक ऎसी फिल्म पसंद करेगा। इसे ध्यान में रख कर ही प्रियंका क्षेत्रीय भाषाओँ में फ़िल्में बना रही हैं। 


आम्रपाली में लता मंगेशकर की जगह मधुश्री

बलदेव सिंह बेदी १९६६ की म्यूजिकल, ऐतिहासिक रोमांस ड्रामा फिल्म आम्रपाली का रीमेक बनाने जा रहे है। पचास साल पहले रिलीज़ ऍफ़ सी मेहरा की फिल्म में नगरवधु आम्रपाली का किरदार वैजयंतीमाला ने किया था। सुनील दत्त उनके प्रेमी अजातशत्रु बने थे। रीमेक में आम्रपाली का किरदार कौन अभिनेत्री करेगी, अभी तय नहीं हुआ है। लेकिन, पता चला है कि १९६६ की फिल्म में अजातशत्रु का किरदार करने वाले सुनील दत्त के बेटे संजय दत्त नई आम्रपाली में इस किरदार को करेंगे। पुरानी आम्रपाली के तमाम गीत गायिका लता मंगेशकर ने गाये थे। आज के जमाने की आम्रपाली के सभी गीत मधुश्री गा रही हैं। मधुश्री इस फिल्म के दो गीतों की रिकॉर्डिंग भी कर चुकी है। पहला गीत रशीद खान के साथ मधुश्री का गाया आम्रपाली के बचपन से युवा होने तक के सफ़र को बताने वाला गीत है। दूसरा गीत हल्दी रस्म पर है। आम्रपाली के गीतों को अपनी आवाज़ देने के बारे में मधुश्री कहती हैं, “मैं बहुत उत्साहित हूँ कि मैं आम्रपाली के सभी गीत गा रही हूँ। मैंने पुरानी आम्रपाली के गीत सुने है।  लता जी ने तमाम गीत बहुत शानदार गाये हैं।  मुझे उनके काम को अंजाम देना है।  यह मेरे लिए सौभाग्य की बात है।” आम्रपाली का संगीत रॉबी बादल तैयार कर रहे हैं। 


Wednesday 8 June 2016

टाइटल अजीबो गरीब

इस हफ्ते रिलीज़ होने जा रही, निर्माता सुजॉय सरकार की फिल्म 'TE3N ' बॉलीवुड के विचित्र टाइटल वाली फिल्मों की लम्बी सीरीज में विचित्र टाइटल वाली  ताज़ातरीन फिल्म हैं।  इस फिल्म का टाइटल हिंदी में नहीं। अंग्रेजी टाइटल में टीई और एन के बीच इंग्लिश का ३ है।  इससे यह आभास तो होता ही  है कि फिल्म का टाइटल TEEN (टीन यानि किशोर/किशोरी) होगा।  लेकिन, अंकों में लिखा ३ थोड़ा धोखा भी देता है और उत्सुकता भी जगाता है।  यह फिल्म  वास्तव में तीन चरित्रों की एक गुमशुदा लड़की को खोजने की सस्पेंस थ्रिलर  कहानी है।  
विचित्र साइलेंस 
विचित्र टाइटल वाली फिल्मों का सिलसिला मूक फिल्मों के युग से ही शुरू हो गया था।  १९२० में रिलीज़ श्रीराम पाटनकर की फिल्म द एनचांटेड पिल्स उर्फ़ विचित्र गुटिका टाइटल इसका उदाहरण है।  जे जे मदन की १९२३ में रिलीज़ फिल्म का टाइटल पत्नी प्रताप था।  फिल्मों को आवाज़ मिलने से पहले के साल यानि १९३० में अलबेलो सवार, भोला शिकार, चतुर सुंदरी, डॉटर ऑफ़ अख्तर नवाज़ आउटलॉ, जवान मर्द उर्फ़ डैशिंग हीरो, स्पार्कलिंग युथ उर्फ़ जगमगाती जवानी और रसीली रानी जैसे टाइटल वाली मूक फ़िल्में रिलीज़ हुई।  
बोली भी तो विचित्र---!
चलती फिरती फिल्मों के साल यानि १९३१ में मीठी छुरी जैसे टाइटल वाली साइलेंट फिल्म तथा फौलादी फरमान, गायब ए गरुड़ उर्फ़ ब्लैक ईगल, थर्ड वाइफ और तूफानी तरुणी जैसे टाइटल वाली फ़िल्में रिलीज़ हुई। साफ़ तौर पर, युग चाहे मूक रहा हो या सवाक  फिल्मों का, समाजिक फ़िल्में बनती हो या एक्शन फंतासी फ़िल्में, विचित्र शीर्षकों पर फिल्मों के नाम रखने का सिलसिला लगातार चला आ रहा है।  कभी निर्माता अपनी फिल्मों का कथ्य समझाने के लिए या दर्शकों में उत्सुकता पैदा करने के लिए फ़िल्मों के शीर्षक अजीबो गरीब रख देता है।  कॉमेडी शैली की फिल्मों के शीर्षक तो अपने आप में हास्य पैदा करने वाले होते हैं।  
हंसोड़ विचित्रता 
यह जताने के लिए कि कोई फिल्म कॉमेडी है, विचित्र या ऊटपटांग टाइटल रखा जाना स्वभाविक है।  हू हू हा हा ही ही, अपलम चपलम, तेल मालिश बूट पॉलिश, मुर्दे की जान खतरे में, मिस कोका कोला, मैं शादी करने चला, लडके बाप से बढ़ के, लड़की पसंद है, कुंवारी या विधवा, इसकी टोपी उसके सर, हम तो मोहब्बत करेगा, फॉर लेडीज ओनली, गुरु सुलेमान चला पहलवान, घर में राम गली में श्याम, दो नंबर के अमीर, दो लडके दोनों कड़के,  दामाद  चाहिए,  हंसो हंसो ऐ दुनिया वालों, चलती का नाम गाडी, बढती का नाम दाढ़ी, मुर्दे की जान खतरे में, अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान, गुरु सुलेमान चेला पहलवान, बाप नंबरी तो बेटा दस नम्बरी, धोती लोटा और चौपाटी, आदि टाइटल फिल्म के कॉमेडी होने की ओर इशारा कर रहे हैं।  इस लिहाज़ से दादा कोंडके का जवाब नहीं।  उनकी फिल्मों के टाइटल और संवाद द्विअर्थी हुआ करते थे।  उन्होंने हिंदी में तेरे मेरे बीच में, अँधेरी रात में दिया तेरे हाथ में, आगे की सोच जैसी द्विअर्थी टाइटल और संवाद वाली सफल फ़िल्में बनाई।  वही थोड़ा रूमानी हो जाएँ आम कॉमेडी फिल्मों से हट कर कॉमेडी फिल्म का टाइटल है।  
सामजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल 
सामाजिक फिल्मों के विचित्र टाइटल फिल्म के कंटेंट की ओर भी इशारा करते हैं।  ख़ास तौर पर दहेज़ जैसी  महिला समस्या को लेकर ऐसे टाइटल वाली फ़िल्में खूब बनी।  बन्दूक दहेज़ के  सीने पे,  ज्वाला दहेज़ की, दूल्हा बिकता है, सस्ती दुल्हन महंगा दूल्हा, आदि विचित्र शीर्षकों वाली फ़िल्में दहेज़ की गम्भीर समस्या पर थी।  इनके अलावा एक फूल तीन कांटे, फैशनेबुल वाइफ,  अकेली मत जइयो, आप तो ऐसे न थे, बाली उमर को सलाम, बिन माँ के बच्चे, ग्यारह हजार लड़कियां, कब तक चुप रहूंगी, कितना बदल गया इंसान, मैं और मेरा हाथी, मैं नशे में हूँ, मेरा पति सिर्फ मेरा है, प्यार करने वाले कभी कम न होंगे, प्यार किया है प्यार करेंगे, क़ैद में है बुलबुल, यहाँ से शहर को देखो, उधार का सिन्दूर, समाज को बदल डालो, आदि फ़िल्में किसी न किसी सामाजिक समस्या पर फ़िल्में थी।  
यह लड़की लड़ैत है 
कुछ फिल्मों के विचित्र टाइटल नायिका के लड़ैत यानि एक्शन हीरोइन होने की ओर इशारा करते हैं। सीतापुर की गीता, सिपाही की सजनी, सिन्दूर और बन्दूक, टार्ज़न की बेटी, मिस फ्रंटियर मेल, मिस कोका कोला, मेहनि बन गई खून, मैं चुप नहीं रहूंगी, मैं अबला नहीं हूँ,  हातिमताई  की बेटी, एलीफैंट क्वीन, दिलरुबा तांगेवाली, डाकू की लड़की, कार्निवाल क्वीन, बसंती तांगेवाली, बम्बई की बिल्ली, बागी हसीना, आलम आरा की बेटी, अफलातून औरत,  जंगल की बेटी, आदि फिल्मों की नायिका समाज से सताई हुई, बलात्कार या अन्याय की शिकार और तंग आ कर हथियार उठा लेने वाली औरत थी।  
विचित्र कामुकता 
कामुक या सेक्सी फिल्मों के टाइटलों में भी विचित्रता दिखाई देती है।  लेकिन, यह टाइटल बताते हैं कि फिल्म सेक्सी है।  नायिका का  उदार अंग प्रदर्शन और बिस्तर के दृश्यों की गारंटी होते हैं यह अजीबोगरीब टाइटल।  जवानी की भूल, जंगल ब्यूटी, एक्ट्रेस क्यों  बनी,  बैडरूम स्टोरी, भटकती जवानी, मन तेरा तन मेरा, आदि टाइटल वाली फिल्मों की नायिका कपडे  उतार फेंकने में उदार थी।  यह टाइटल फिल्म के सी-ग्रेड की होने की ओर भी इशारा करते हैं।  
हॉलीवुड फिल्मों को विचित्र टाइटल 
आजकल हॉलीवुड की ज़्यादातर फ़िल्में हिंदी में डब कर रिलीज़ की जाने लगी है।  इनके हिंदी टाइटल आम तौर पर मूल टाइटल को हिंदी में लिख कर ही रख दिए जाते जाते हैं।  लेकिन, मज़ा तब आता है, जब यह खालिस हिंदी में रखे जाते हैं।  ऐसे में  वुल्फ ऑफ़ वाल स्ट्रीट, दलाल स्ट्रीट का भेदिया बन जाता है।  अमेरिकन हसल को अमेरिकी धोखा कहा जाता है।  हॉरर फिल्म द कजउरिंग का टाइटल शैतान का बुलावा और मैन ऑफ़ स्टील आदमी इस्पात का हो जाता है।  कुछ दूसरी हॉलीवुड फिल्मों के विचित्र हिंदी टाइटल वाली फिल्मों का ज़िक्र आगे किया गया है। इनमे रैट ए टू ई (बिंदास बावर्ची, अप (उड़न छू), द लीजन (मौत के फरिश्ते), स्टुअर्ट लिटिल २ (छोटे मियां क्या कहना), मॉन्स्टर इंक (डर की दूकान), पोम्पेइ (क़यामत की रात), हेल बॉय (नरक पुत्र) फाइनल डेस्टिनेशन ३ (मौत का झूला), घोस्ट राइडर (महाकाल बदले की आग), डीप ब्लू सी (मौत का समुन्दर), चार्लीज़ एंजल्स (त्रिशक्ति), रेजिडेंट ईविल (प्रलय-अब होगा सर्वनाश, वर्ल्ड वॉर जेड (प्रेतों का आतंक) कैप्टेन अमेरिका (महादबंग), आयरन मैन  ३ (फौलादी रक्षक), द हीट (गरमी),  इन्सेप्शन (सपनो का मायाजाल चक्रव्यूह), डंस्टन चेक्स इन (एक बन्दर होटल के अंदर), स्टार वार्स: अटैक ऑफ़ द क्लोन्स (हमशक्लों का हमला), लारा क्रॉफ्ट: तुंब रेडर (शेरनी नंबर १),  किस ऑफ़ द ड्रैगन (मौत का चुम्मा), आई एम लीजेंड (ज़िंदा हूँ मैं), नाईट ऐट द म्यूजियम (म्यूजियम के अंदर फँस गया सिकन्दर), द सिक्स्थ डे (मुक़ाबला अर्नाल्ड का) और प्लेनेट ऑफ़ एप्स (वानर राज)   विचित्र टाइटल उल्लेखनीय हैं।  
विचित्र भोजपुरी 


भोजपुरी फिल्मों  के टाइटल की विचित्रता बेजोड़ है।  सीरियस से सीरियस फिल्म के टाइटल पढ़ कर आपकी हंसी नहीं रुक सकती।  अब पढ़िए न लैला   माल बा छैला  धमाल बा, अज़ब देवर की गज़ब भौजाई , मिया अनाड़ी बा बीवी खिलाड़ी बा, ए बलमा बिहार वाला, ल ही डांटा हिलवल आधा घंटा, ठोंक देब, रिक्शावाला आई लव यु, सैया जिगरबाज, पेप्सी पी के लागेलू सेक्सी, मेहरारू बिना रतिया कैसे कटी, सास रानी बहु नौकरानी, लहरिया लूट ए राजाजी, आदि भोजपुरी फिल्मों के नाम।  


Monday 6 June 2016

डिज्नी के साथ मयूर पूरी की हैटट्रिक

संवाद लेखक मयूर पूरी डिज्नी के साथ हैट्रिक को तैयार है । द जंगल बुक और कैप्टेन अमेरिका: सिविल वॉर के बाद, डिज्नी ने मयूर पूरी से अपनी तीसरी फिल्म फाइंडिंग डोरी के हिंदी संवाद लिखने का जिम्मा सौंपा है । १७ जून को रिलीज़ होने जा रही इस एनिमेटेड करैक्टर वाली फिल्म में निमो और मर्लिन अपने माता पिता से मिलने के प्रयास में लगी डोरी की मदद करते हैं । फाइंडिंग निमो की इस सीक्वल फिल्म में निमो, मर्लिन और डोरी से साथ कई दूसरे करैक्टर नए शामिल हैं । बिछुड़े हुए परिवार से मिलाने की इस कहानी से मनमोहन देसाई की फिल्मों की याद आ सकती है । एंड्रू स्टेंटन निर्देशित फाइंडिंग डोरी की डबिंग डायरेक्टर एलिजा लुईस है । फाइंडिंग डोरी के इंग्लिश संवाद एलेन डीजेनरेस, अल्बर्ट ब्रुक्स,  डीएन कीटन, टय बर्रेल, एड ओ'नील और इदरीस एल्बा ने क्रमशः डोरी, मार्लिन, जेनी, बैली, हेंक और फ्लूक के एनिमेटेड किरदारों को आवाज़ दी है।