शम्मी कपूर, हिंदी फिल्मों के रिबेलियन हीरो यानि विद्रोही नायक थे। उनके समय से पहले तक का नायक अपनी नायिका के लिए रोता, सुबकता और बिछुड़ता ट्रेजेडी किंग जैसा था। शम्मी कपूर ने इस नायक की इमेज बंदलने की सफल कोशिश की। उन्होंने, नायक को समाज और परिवार का विरोध करना सिखाया। वह नायिका लिए मार खा सकता था, लेकिन उससे बिछुड़ना उसे मंजूर नहीं था। शम्मी कपूर को डांस में महारत हासिल थी। धीमी धुनों वाले गीतों में भी वह कुछ ऐसा थिरकते थे कि सिनेमाघरों में बैठे दर्शक तक झूम उठते थे। उनका चेहरा और हाव भाव गीतों के बोलों को पहचान देते थे। इसीलिए, उन्हें बॉलीवुड का एल्विस प्रेस्ले भी कहा जाता है। उन्हें बाद में याहू स्टार भी कहा गया। सायरा बानो की डेब्यू फिल्म 'जगंली' में वह उनके ऐंठू नायक बने थे। इस फिल्म के एक गीत 'चाहो कोई मुझे जंगली कहे' में निकाली गई 'याहू' की आवाज़ ने उन्हें दर्शकों में लोकप्रिय बनाया था। इस गीत पर उनका यादगार झूमना उन्हें याहू स्टार भी बना गया। लेकिन, यह बताने की ज़रुरत है कि शम्मी कपूर की पहचान बनी याहू आवाज़ उनकी नहीं, बल्कि पृथ्वी थिएटर के एक कलाकार पराग राज की थी। कहने का मतलब यह कि शम्मी कपूर को अपनी फिल्मों और अभिनय शैली के ज़रिये जितने खिताब मिले वह अपने आप में काबिल ए तारीफ हैं। लेकिन, शायद कम लोग जानते हैं कि हिंदुस्तान में इंटरनेट लाने का पहला प्रयास शम्मी कपूर ने किया था। भारतीय विदेश संचार निगम ने १५ अगस्त १९९५ से इंटरनेट कनेक्शन की सुविधा शुरू की। लेकिन, इससे एक साल पहले ही शम्मी कपूर इंटरनेट के ज़रिये काम किया करते थे। उन्होंने मुंबई के एक पांच सितारा होटल में लीज पर टीसीपी/आईपी लाइन लेकर पहले साइबर कैफ़े की स्थापना की। उन्होंने इंटरनेट यूजरस कम्युनिटी ऑफ़ इंडिया के स्थापना की। वह इसके आजीवन चेयरमैन रहे। उन्होंने साइबर अपराधों को रोकने के लिए एथिकल हैकर्स एसोसिएशन की स्थापना में अपना महत्वपूर्ण योगदान किया। उन्होंने कपूर परिवार को समर्पित एक वेब साइट भी तैयार की। आज अगर शम्मी कपूर जीवित होते तो अपनी ८४वी वर्षगाँठ मना रहे होते।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Wednesday 21 October 2015
हिंदुस्तान की पहली डेस्टिनेशन वेडिंग फिल्म 'शानदार'
इस शुक्रवार निर्देशक विकास बहल की रोमांटिक कॉमेडी फिल्म 'शानदार' रिलीज़ हो रही है। इस फिल्म में पहली बार शाहिद कपूर और अलिया भट्ट की रोमांटिक जोड़ी बन रही है। यह भारत की पहली डेस्टिनेशन वेडिंग फिल्म होगी। इस प्रकार की शादी पारम्परिक शादी से अलग दोनों पक्षों के घरों से कहीं दूर जगह पर की जाती है। इसमे दोनों तरफ के मेहमानों को किसी स्थान पर खुद ही पहुँचना होता है। इस शादी के मेहमान कई दिनों तक रुक सकते हैं। २००९ की मंदी के दौर में डेस्टिनेशन वेडिंग काफी सफल रही थी, क्योंकि, इसे कम खर्च में किया जा सकता था। हॉलीवुड में डेस्टिनेशन वेडिंग थीम पर 'फादर ऑफ़ ब्राइड', '१६ कैंडल्स', 'द प्रिंसेस ब्राइड', 'ब्लू हवाई', 'यू मी एंड डुप्री', 'मामा मिया', आदि ढेरों फ़िल्में बनाई गई हैं और यह खासी सफल भी हुई हैं। डेस्टिनेशन वेडिंग का पूरा इंतज़ाम करने का जिम्मा वेडिंग प्लानर के कन्धों पर होता है। 'क्वीन' जैसी रोचक फिल्म बनाने वाले अमित बहल की इस फिल्म में शाहिद कपूर वेडिंग प्लानर बने हैं। इस लिहाज़ से गीत, नाच, रोमांस और हास्य से भरपूर फिल्म 'शानदार' हिंदी दर्शकों का मनोरंजन करेगी। ख़ास बात यह है कि इस फिल्म में शाहिद कपूर पहली बार अपने पिता पंकज कपूर के सामने अभिनय कर रहे हैं। अलबत्ता, उन्होंने पंकज कपूर के निर्देशन में फिल्म 'मौसम' में अभिनय ज़रूर किया था। सौतेली माँ सुप्रिया पाठक से बहन सना कपूर भी फिल्म में अलिया भट्ट की सहेली ईशा का किरदार कर रही हैं। इस प्रकार से पंकज कपूर परिवार के तीन सदस्य फिल्म में एक साथ दिखाई देंगे । सना कपूर पर तो 'गुलाबो' जैसा हिट गीत भी फिल्माया गया है। लेकिन, पाठकों के लिए दिलचस्प खबर यह है कि शाहिद कपूर और पंकज कपूर की फिल्म 'शानदार' के सामने निर्देशक मिलिंद उके की मार्शल आर्ट्स पर फिल्म 'रणवीर: द मार्शल' रिलीज़ हो रही है। शाहिद कपूर इन्ही मिलिंद उके की फिल्म 'पाठशाला' के नायक थे। लेकिन, असल खबर यह नहीं, दूसरी है। 'रणवीर द मार्शल' के हीरो अभिनेता ऋषि हैं। लेकिन, फिल्म में राजेश खट्टर राणा की ख़ास भूमिका में हैं। राणा ही मार्शल आर्ट्स की प्रतियोगिता करवा कर दौलत कमाता है। यह फिल्म हंगर गेम्स सीरीज की फिल्मों से प्रेरित लगती है। शाहिद कपूर की फिल्म के सामने राजेश खट्टर की फिल्म का होना ही ख़ास खबर है। जहाँ पंकज कपूर शाहिद कपूर के सगे पिता हैं, वहीँ राजेश खट्टर उनके सौतेले पिता हैं। शाहिद की माँ नीलिमा अज़ीम ने पंकज कपूर से तलाक़ लेने के बाद राजेश खट्टर से शादी की थी। नीलिमा और राजेश से ईशान खट्टर का जन्म हुआ। ईशान और शाहिद फिल्म 'वाह ! लाइफ हो तो ऎसी !' में अभिनय कर चुके हैं। इसका मतलब यह हुआ कि २२ अक्टूबर को अपने अपने एक फिल्म में साथ होंगे और दूसरी फिल्म के सौतेले से भिंडेंगे। वाह ! क्या शानदार होगी रणवीर द मार्शल से भिड़ंत ! देखिये, 'रणवीर द मार्शल' का ट्रेलर -
बदल जाएगी गोकुल धाम कॉलोनी
पिछले सात सालों से, सोनी सब पर कॉमेडी सीरियल 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' की गोकुल धाम सोसाइटी में एक रत्ती भी बदलाव नहीं हुआ है। किरदार नए आये, पुराने बदले और कुछ की उम्र बढ़ गई। लेकिन, सोसाइटी के मकान वैसे के वैसे ही रहे। अब सुनाई पड़ रहा है कि गोकुल धाम सोसाइटी के दिन बहुरने वाले हैं। घर दीवारों से टपकने वाले रंगो और टूटे दरवाज़ों से जूझते गोकुल धाम के निवासियों के लिए खुश खबर है। अब बहुत ही जल्द गोकुलधाम सोसाइटी में रहने वालो लोंगो के घरो की मरम्मत होगी। उनके घरो का नक्शा पूरी तरह से बदल जायेंगा । सभी के घरो को पूरी तरह से नया बनाया जा रहा है । सीरियल के निर्माता असित कुमार मोदी कहते हैं," पिछले ७ सालो से दर्शको ने जेठालाल, भिड़े, बबिता, तारक मेहता, पोपटलाल, डॉ हांथी और सोढ़ी के घरो में कुछ बदलाव नही देखा है। जबकि, निजी जीवन में लोग इतने सालो में अपने घरो में कुछ न कुछ बदलाव कर लेते है । लोगों के घरों का कलर से लेकर फर्नीचर तक जाता है । उसी के चलते गोकुलधाम सोसाइटी के घरो का भी नूतनीकरण किया जा रहा है ।" सीरियल 'तारक मेहता का उल्टा चश्मा' के किरदार अपने अस्थाई घरों से ऊबे हों या न ऊबे हों, दर्शक ज़रूर ऊब गए हैं। यह बदलाव इसी का परिणाम है।
'डाई हार्ड ६' में युवा जॉन मैकक्लेन भी होगा
हॉलीवुड में धुंआधार एक्शन फिल्म सीरीज 'डाई हार्ड' की छठी क़िस्त बनाने की तैयारी जोरो पर है। फिल्म का निर्माता स्टूडियो ट्वंटीएथ सेंचुरी फॉक्स की सीरीज की चौथी फिल्म 'लाइव फ्री ऑर डाई हार्ड' के निर्देशक लेन वाइजमैन से बातचीत चल रही है कि वह फ्रैंचाइज़ी में वापसी कर छठी फिल्म की कमान सम्हाले। 'डाई हार्ड 6' काफी हद तक प्रेकुएल फिल्म भी होगी। क्योंकि, इस फिल्म में १९७९ का न्यू यॉर्क शहर भी दिखाया जायेगा। इसलिए, दर्शकों को आज के ब्रूस विलीस का मैकक्लेन भी नज़र आयेगा और उनका युवा अवतार भी। लेकिन, फिल्म का यह युवा अवतार ब्रूस विलीस विग पहन कर नहीं करेंगे, बल्कि कोई युवा अभिनेता इस किरदार को करेगा। यह अभिनेता कौन होगा, अभी तय नहीं हुआ है। डाई हार्ड सीरीज की पहली फिल्म 'डाई हार्ड' १५ जुलाई १९८८ को रिलीज़ हुई थी। इस फिल्म का बजट २८ मिलियन डॉलर था। फिल्म ने वर्ल्डवाइड १४०.८ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया था। यह फिल्म १३२ मिनट लम्बी थी। दो साल बाद यानि ४ जुलाई १९९० को 'डाई हार्ड 2' रिलीज़ हुई। १२४ मिनट की इस फिल्म के निर्माण में ७० मिलियन डॉलर खर्च हुए थे। फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर २४० मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया। डाई हार्ड सीरीज की पांचवी फिल्म को बनने में पांच साल लग गए। डाई हार्ड विथ अ वेनजिअंस' १९ मई १९९५ को रिलीज़ हुई। इस फिल्म के निर्माण में ९० मिलियन डॉलर खर्च हुए थे। लेकिन, यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर केवल ३६० मिलियन डॉलर ही कमा सकी। अब डाई हार्ड सीरीज की फिल्मों के फ्रंट पर ख़ामोशी छा गई। एक दशक बाद 'लाइव फ्री ऑर डाई हार्ड' बनाने की शुरुआत हुई। फिल्म ने ११० मिलियन डॉलर खर्च कर ३८३ मिलियन डॉलर का कलेक्शन किया। सीरीज की पहली का निर्देशन जॉन मेकटियरनन ने किया था। डाई हार्ड २ के निर्देशन की कमान रेंनी हार्लिन के हाथों में थी। १९९५ की फिल्म में फिर टियरनन आ गए। पहली बार 'लाइव फ्री ऑर डाई हार्ड' के निर्देशन का जिम्मा लेन वाइजमैन को सौंपा गया था। अगली फिल्म 'अ गुड डे टू डाई हार्ड' की कमान फिल्म नए निर्देशक जॉन मूर को सौंप दी गई। यह फिल्म ९२ मिलियन डॉलर के बजट से बनी थी तथा वर्ल्डवाइड कलेक्शन ३०४ मिलियन डॉलर का हुआ था। अब जबकि, डाई हार्ड ६ बनाई जा रही है, ब्रूस विलीस के प्रशंसकों के लिए बुरी खबर यह है कि ब्रूस विलीस अब जॉन मेकक्लेन के किरदार से रिटायर होना चाहते हैं। शायद इसीलिए कि कोई दूसरा अभिनेता ब्रूस विलीस की जगह ले सके डाई हार्ड ६ में अतीत के न्यू यॉर्क शहर की घटनाएँ जोड़ दी गई है।
मिशन इम्पॉसिबल ५ की रेबेका बनेगी कैप्टेन मार्वल
हालिया रिलीज़ हॉलीवुड फिल्म 'मिशन इम्पॉसिबल रोग नेशन' में एमआई ६ की अंडरकवर एजेंट और एथन हंट की दोस्त इल्सा फॉस्ट की भूमिका करने वाली अभिनेत्री रेबेका फर्गुसन ने फ़िल्म में अपने धुंआधार एक्शन से मार्वल के बॉसेस का ध्यान खींच लिया है। रेबेका को एक नायिका प्रधान सुपरहीरो फिल्म में मुख्य भूमिका करने के लिए चुन लिए जाने की खबर है। पिछले साल मार्वल ने कैप्टेन मार्वल का ऐलान किया था। उसी समय से यह अटकलें लगाई जा रही थी कि टाइटल रोल के लिए किस अभिनेत्री का चुनाव होता है। उसी समय यह भी कहा गया था कि कैप्टेन मार्वल का करैक्टर फ़िल्म 'अवेंजर्स: एज ऑफ़ अल्ट्रान' आखिरी सीन में नज़र आयेगे। बाद में इस आईडिया को छोड़ दिया गया क्योंकि, कैप्टेन मार्वल के लिए उपयुक्त अभिनेत्री तय नहीं हो पाई थी। अब, जबकि, रेबेका फर्गुसन मिशन इम्पॉसिबल सीरीज की पांचवी फिल्म में अपने धुआंधार एक्शन से पूरी दुनिया का ध्यान खींच चुकी है, मार्वल के बॉसेस को भी लगता है कि उनकी कैप्टेन मार्वल की खोज ख़त्म हो गई है। मिशन इम्पॉसिबल ५ के बाद रेबेका के पास ढेरो ऑफर पहुँच रहे थे। फॉक्स की गैम्बिट फिल्म में उन्हें बेला बौड्रीक्स की बड़ी भूमिका दी जा रही थी। रेबेका के इंकार के बाद यह रोल ली सेडॉक्स के पास चला गया। कैप्टेन मार्वल को गार्डियंस ऑफ़ द गैलेक्सी की निकोल पर्लमैन और इनसाइड आउट की मेग लेफॉव द्वारा लिखा जा रहा है। यह फिल्म २ नवंबर २०१८ को रिलीज़ होगी।
Tuesday 20 October 2015
दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे के २० साल
आज (२० अक्टूबर को), जब मुंबई के मराठा मंदिर में फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' दोपहर का शो शुरू होगा, उस समय हिंदी फिल्मों के इतिहास में किसी फिल्म के एक ही सिनेमाघर में, लगातार २० साल तक चलते रहने का कीर्तिमान स्थापित हो जायेगा। यश चोपड़ा के बेटे आदित्य चोपड़ा ने जब अपने निर्देशन में बनने वाली पहली फिल्म 'दिल वाले दुल्हनिया ले आएंगे' के पहला ड्राफ्ट पढ़ा तो उस समय वह २३ साल के थे। हालाँकि, उस समय तक आदित्य चोपड़ा कुछ फिल्मों की स्क्रिप्ट लिख चुके थे। वह 'मोहब्बते' से अपना फिल्म डेब्यू करना चाहते थे। लेकिन, यश चोपड़ा ने उन्हें रोमांस फिल्म से डेब्यू करने की सलाह दी। आदित्य चोपड़ा ने दिल वाले दुल्हनिया ले जाएंगे को अमेरिकन लडके और भारतीय लड़की की रोमांस कहानी की तरह डेवलप किया था। वह इसे अंग्रेजी भाषा में टॉम क्रूज़ को ले कर बनाना चाहते थे। लेकिन, यश चोपड़ा ने उन्हें भारतीय ढंग से ही फिल्म को डेवलप करने और फिल्म हिंदी में बनाने की हिदायत की । आदित्य ने राज की भूमिका के लिए शाहरुख़ खान से संपर्क किया। लेकिन, शाहरुख़ खान को लगता था कि वह रोमांटिक भूमिकाओं में नहीं फबेंगे, क्योंकि, वह उस समय तक बाज़ीगर और डर जैसी फिल्मों के एंटी-हीरो के रूप में सफल हो रहे थे। करण अर्जुन जैसी एक्शन फ़िल्में उन्हें रास आ रही थी। इसलिए उन्होंने आदित्य की फिल्म करने से मना कर दिया। आदित्य सैफ अली खान के पास गए। लेकिन, अनजाने कारणों से सैफ ने भी यह फिल्म करने से इंकार कर दिया। अब मज़बूरन आदित्य को शाहरुख़ खान को ही मनाना पड़ा। उन्होंने शाहरुख़ खान को समझाया कि वह कभी सुपर स्टार नहीं बन सकेंगे, अगर वह हर औरत के सपने के मर्द और हर माँ के सपने के बेटे नहीं बन सकते। शाहरुख़ खान आज भी आदित्य के शुक्रगुजार हैं कि आदित्य ने उन्हें सुपर स्टार बनने का रास्ता दिखाया। 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' २० अक्टूबर १९९५ को रिलीज़ हुई। इस फिल्म ने शाहरुख़ खान को बॉलीवुड बॉक्स ऑफिस का बादशाह खान बना दिया। हिंदी फिल्मों को एनआरआई हीरो का कांसेप्ट दिया। इसके बाद एनआरआई दूल्हे वाली कई फ़िल्में बनी। इस फिल्म ने माता पिता से विद्रोह का शादी करने के लिए लड़की भगा ले जाने वालों लड़कों को माता पिता की सहमति से शादी करने का सन्देश दिया। फिल्म ने समग्र मनोरंजन करने वाली फिल्म का राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार जीता। इस फिल्म ने करण जौहर जैसा डायरेक्टर दिया, जो फिल्म में आदित्य चोपड़ा का सहायक था। करण जौहर ने तीन साल बाद फिल्म 'कुछ कुछ होता है' से निर्देशन में कदम रखा। यह फिल्म एक सिनेमाघर में सबसे ज़्यादा (२० साल तक) चलने वाली फिल्म साबित हुई। इस फिल्म ने इंडियन बॉक्स ऑफिस पर १ बिलियन से ज़्यादा का बिज़नेस किया। फिल्म का टाइटल 'दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे' शशि कपूर और मुमताज की फिल्म 'चोर मचाये शोर' के एक गीत से प्रेरित था, जिसे अनुपम खेर की पत्नी किरण खेर ने आदित्य चोपड़ा को सुझाया था। काजोल को यह टाइटल टपोरी लगा था तथा अपना स्क्रीन का सिमरन नाम एलियन जैसा। सरोज खान को आदित्य चोपड़ा की प्रतिभा पर भरोसा नहीं था, इसलिए यह बीच में ही फिल्म छोड़ कर चली गई और उनकी जगह फराह खान ने ले ली। फिल्म में परमीत सेठी वाली भूमिका सबसे पहले मिलिंद गुणाजी को दी गई थी। लेकिन, उन्होंने अपनी फेमस दाढ़ी साफ़ करने से मना कर दिया। अरमान कोहली को परमीत वाली नहीं, शाहरुख़ खान वाली भूमिका करनी थी। इसलिए आखिर में परमीत फाइनल हो गए। आदित्य को दिल वाले दुल्हनिया ले जायेंगे को डीडीएलजे के शार्ट नाम से पुकारना पसंद नहीं। वह फिल्म को दिलवाले कहते हैं।
Monday 19 October 2015
नवी मुंबई में होगा "शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल"
आज फ़िल्मी दुनिया में आने वालों की तादात कम नही है, पर सभी को यहाँ मुक्कमल जहाँ नही मिलता, शॉर्ट फ़िल्म मेकिंग उन्ही बडे रास्तों की सुनहरी पगडंडी है, जिसे कम पैसो में बनाकर फिल्ममेकर्स अपनी अंदर छुपी प्रतिभा को दुनिया के सामने ला सकता है, पर जब तक वो दुनिया से परिचित नहीं होती तब उसकी कोई पहचान नही, अब अखिल भारतीय मराठी नाट्य परिषद्, ऐरोली शाखा नवी मुंबई में "शॉर्ट फिल्म फेस्टिवल -2015 ( कार्निवल ऑफ डिजिटल सिनेमा) का आयोजन कर रहा है, जिस में कई सारे फिल्ममेकर्स को शॉर्ट फिल्म द्वारा अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिलेगा। इस फेस्टिवल में सारे भारत से मराठी, हिंदी और अंग्रेजी भाषाओं की शॉर्ट फिल्मों को मौका मिलेगा, अपनी एंट्री को 30 अक्तूबर से पहले निश्चित करें ऐसा अध्यक्ष विजय चौगले इन्होंने अपने प्रसिध्ही पत्रकद्वारा कहा है।
शामिल सभी फिल्मों से बेहतरीन दस फिल्मों का स्पेशल स्क्रीनिंग किया जाएगा, और उन्ही फिल्मों से सर्वोत्कृष्ट 3 फिल्मो को चयन होगा, जिन्हें पुरस्कार स्वरुप - नकद राशि, स्मृतिचिन्ह और सन्मानपत्र दिया जाएगा, 2 मिनिट से ज्यादा और 30 मिनिट से कम फ़िल्म का अवधी होना अनिवार्य है, फेस्टिवल के आखरी दिन सभी समीक्षकों द्वारा फ़िल्ममेकर्स के लिए एक विशेष अभ्यासवर्ग आयोजित किया जाएगा जिसमे मराठी और हिंदी फिल्मों के कई सारे लेखक, निर्देशक, कलाकार शामिल होंगे..ऐसा निर्देशक संदीप जंगम और अभिनेता रमेश वाणी इन्होंने कहा है।
इसके लिए संपर्क करे -
natyaparishad.airoli@gmail.com
और 7506360778 और 9821009137 पर संपर्क करे।
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