अजीबोगरीब
हैं न कि शाहिद कपूर का मीटर तो चालू है, लेकिन उनकी नायिकाओं की बत्ती एक के बाद
एक गुल होती जा रही है। इसी साल टॉयलेट एक प्रेम कथा जैसी संदेशात्मक और बॉक्स
ऑफिस पर निर्माताओ की बढ़िया कमाई कराने वाली फिल्म देने वाले श्रीं नारायण सिंह की
दूसरी फिल्म गाँव-कस्बों और शहरों में बिजली की दशा और भारी भरकम बिल आने पर एक व्यंग्यात्मक
फिल्म है। इस फिल्म में शाहिद कपूर मुख्य किरदार कर रहे हैं। यह एक वकील किरदार
है। इस फिल्म में उनके अपोजिट एक अभिनेत्री को महिला वकील की भूमिका करनी है। यह
किरदार काफी दिलचस्प है तथा कोर्ट ड्रामे में रंग भरने वाला है। इस किरदार के लिए
श्री नारायण सिंह कैटरीना कैफ के पास गए थे। कैटरीना को फिल्म की स्क्रिप्ट पसंद
भी आई थी। लेकिन, आमिर खान के साथ ठग्स ऑफ़ हिन्दोस्थान और आनंद एल राज की शाहरुख़ खान के साथ अनाम
फिल्म के लिए उन्होंने यह फिल्म छोड़ दी। चर्चा तो यह भी है कि उन्हें फिल्म के संवादों
का ठीक उच्चारण करने में कठिनाई आ रही थी, इसलिए उन्होंने फिल्म छोड़ी। इसके बाद
उनकी जगह इलीना डिक्रुज़ को लिए जाने की खबर आई। ऐसा लगा कि उनका नाम फाइनल हो गया
है। लेकिन, वह भी फिल्म से बाहर निकल गई। अब उनकी जगह आई बेफिक्रे गर्ल वाणी
कपूर। सभी ओर से उनके नाम पर मोहर भी लग गई थी। लेकिन, अब ताजातरीन खबर यह आई है
कि वाणी कपूर की बत्ती भी गुल हो गई है। उनकी जगह दूसरी कपूर यानि शाहिद
कपूर की हैदर गर्ल श्रद्धा कपूर आ गई है। फिल्म हैदर में श्रद्धा कपूर और शाहिद कपूर
की केमिस्ट्री देखते ही बनती थी। इसलिए, उनका बत्ती गुल मीटर चालू में शाहिद कपूर
का जोड़ीदार बनाया जाना, फिल्म के लिहाज़ से फायदेमंद लगता है। उम्मीद की जानी चाहिए
कि अब श्री नारायण सिंह अपनी फिल्म की शूटिंग फरवरी २०१८ से शुरू कर पाएंगे। श्रद्धा कपूर इस समय बाहुबली एक्टर प्रभाष के साथ तेलुगु, तमिल और हिंदी भाषा वाली
फिल्म साहो में नायिका का किरदार कर रही हैं। वह सायना नेहवाल की बायोपिक फिल्म
भी कर रही हैं। बत्ती गुल मीटर चालू का बॉक्स ऑफिस पर मीटर ३१ अगस्त २०१८ से चलना
शुरू हो जायेगा।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday 30 December 2017
देवदास से ठीक उलट सुधीर मिश्रा की दासदेव
दर्जन भर
वास्तविक जीवन से जुडी फ़िल्में बनाने वाले निर्देशक-लेखक सुधीर मिश्रा की अगली फिल्म दासदेव रिलीज़ के लिए तैयार है।
फिल्म में ऋचा चड्ढा पारो का, अदिति राव हैदरी चांदनी का और राहुल भट्ट देव का किरदार निभा रहे हैं।
यह फिल्म शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के क्लॉसिक उपन्यास ‘देवदास’ का एक आधुनिक रूपान्तरण है जिसमें राजनीति की पृष्ठभूमि में आधुनिक
भारत को दिखाया गया है। सुधीर मिश्रा ने इससे पहले ‘इस रात की सुबह नयी, हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी, ये साली जिंदगी, खोया खोया चाँद’, चमेली, आदि जैसी लीक से हटकर फिल्में दी हैं। सुधीर मिश्रा ने १९१७ के शरतचंद्र
चट्टोपाध्याय के देवदास को कुछ नये किरदारों के साथ आधुनिक भारत में उत्तरप्रदेश
की राजनीतिक उथल-पुथल की पृष्ठभूमि के मध्य पर एक प्रेम कथा से गूथा है। ‘दासदेव’ की कहानी क्लॉसिक उपन्यास ‘देवदास’
से ठीक उलट
चलती है । इसे एक रोमांटिक थ्रिलर फिल्म कहा
जा सकता है, जिसमें सत्ता के नशे को मुख्य किरदार पर चढ़ता दिखाया गया है। अलबत्ता,
दासदेव की कहानी भी तीन प्रमुख किरदारों के इर्द-गिर्द घूमती है। ‘दासदेव’ सत्ता के बारे में है, जो प्रेम के बीच दीवार खड़ी करती है। इस फिल्म में
देवदास के करैक्टर को उलट कर दासदेव बनाने के बारे में निर्देशक सुधीर मिश्रा ने
कहा, “किसी भी अच्छे काम को उपयोग में लेना मेरा
अधिकार है । यह
मेरी धरोहर
है । मैं उसके साथ बदलाव कर सकता हूं जब तक कि यह मुझे स्वीकार्य है। मैं मानता
हूं कि मैंने उपन्यास देवदास का उपयोग किया है, देव, पारो और चन्द्रमुखी तीनो किरदारों को लिया है । जब मैं यह काम कर रहा
था तब शेक्सपियर याद आए और मैं उनसे प्रभावित हुआ । तो मैं क्या कर सकता था? यह फिल्म प्रेम के आड़े आने वाली सत्ता के बारे में है। यह फिल्म उलट
चलती है क्योंकि देवदास की कहानी में आप ‘देव’ के ‘दास’ बनने की यात्रा देखते हैं तो इस फिल्म की
कहानी में अपने परिवार की परम्पराओं एवं वंशवाद से बंधे ‘दास‘ से ‘देव‘ बनने की यात्रा है।”स्टॉर्म पिक्चर्स द्वारा प्रस्तुत और सप्तऋषि सिनेविजन द्वारा निर्मित
यह फिल्म 16 फरवरी 2018 को दुनियाभर के सिनेमाघरों में रिलीज होने के लिए तैयार
है।
ऑपरेशन सेंसर बोर्ड ! पद्मावती बनी पद्मावत !!
ऑपरेशन सेंसर बोर्ड के बाद पद्मावती का सेक्स
चेंज हो गया। अब वह स्त्री लिंग से पुरुष
लिंग में बदल गई। अब, संजय लीला भंसाली की
रणवीर सिंह, दीपिका पादुकोण और शाहिद कपूर की मुख्य भूमिका वाली फिल्म बदले टाइटल के साथ यू/ए
प्रमाणपत्र लेकर रिलीज़ होगी। यानि कि अब
फिल्म पद्मावती नहीं पद्मावत टाइटल के साथ रिलीज़ होगी। लेकिन, इस फिल्म को बच्चे अपने अभिभावकों के साथ ही देख सकेंगे (शायद युद्ध
दृश्यों की वजह से) । लेकिन, यह जुगत पहले क्यों
नहीं भिड़ाई जा सकी ? क्यों नहीं भंसाली और वायाकॉम १८ ने इसे काल्पनिक कथा का डिस्क्लेमर
दिया?
अगर इससे राजपूत समाज का ऐतराज़ ख़त्म होता था तो
देश में इतनी अशांति फ़ैलने देने की स्थिति
को क्यों नहीं रोका गया ? कहीं ऐसा तो नहीं, अब चुनाव ख़त्म हो गए हैं।
सरकार और पार्टियों के बीच स्टैंड लेने के लिए वोट कोई बाधा नहीं है। अब अगर,
बदले टाइटल के साथ भी पद्मावत को कोई विरोध करेगा तो उससे कानून व्यवस्था के नियमों के
अनुसार आसानी से निबट लिया जायेगा। लेकिन, यह पहले भी संभव
था। कई राज्यों के मुख्य मंत्रियों ने
पद्मावती को रिलीज़ नहीं होने देने का जो फतवा दिया था, उसकी ज़रुरत भी नहीं
पड़ती। हालाँकि, किसी भी राज्य के
आधिकारिक आदेश जारी नहीं हुए थे । क्योंकि, फिल्म सेंसर ही कहाँ
हुई थी। अब यह राज्य पद्मावती के लिंग परिवर्तन को आधार बना कर फिल्म रिलीज़ होने
दे सकते हैं। लेकिन, यह चेहरा बचाने की
जुगत ही है। जहाँ तक संजय लीला भंसाली की बात है, उनके लिए पहले विवाद
खड़ा करना, बखेडा बढ़ने देना और फिर टाइटल बदल लेना कोई नई बात नहीं। २०१३ में भी वह, अपनी रणवीर सिंह और दीपिका पादुकोण के साथ फिल्म
राम-लीला को भारी विरोध और कोर्ट में
मुकदमों के बाद गोलियों की रासलीला : राम-लीला में बदल चुके हैं। जिस प्रकार से २०१३ की फिल्म राम- लीला का
गोलियों की रासलीला : राम-लीला बन जाने के बाद न कंटेंट बदला था, न टाइटल से राम-लीला
नाम हटा था, कुछ वैसा ही पद्मावती उर्फ़ पद्मावत के साथ भी हुआ है। क्योंकि, पद्मावती को पद्मावत
करना टाइटल बदलना तो है, लेकिन कंटेंट नहीं बदलता है, जिसके लिए इतना बड़ा हंगामा खड़ा हुआ था। सेंसर बोर्ड के चीफ प्रसून जोशी ने पद्मावती को, जो बकौल संजय लीला
भंसाली मलिक मोहम्मद जायसी के १५४० में लिखे काव्य पद्मावत पर आधारित है, पद्मावत में बदले
जाने की शर्त के साथ फिल्म प्रमाणित करने पर सहमति दी है । अब यह सेंसर का प्रमाणपत्र पाने के बाद
काल्पनिक काव्य पर एक काल्पनिक फिल्म बन जाती है।
शायद, फिल्म के निर्माताओं ने अपने डिस्क्लेमर में इसे साफ़ भी कर दिया होगा।
लेकिन, सवाल यही है कि एक फिल्म को हर तरफ से इतना तूल क्यों दिया गया ? क्यों नहीं फिल्मों
को दर्शकों के निर्णय के लिए छोड़ दिया जाता ?
वह ही तय करें कि फिल्म का टाइटल पद्मावती होना
चाहिए या पद्मावत ?
जैक्विलिन के लिए क्या हैं नायिका प्रधान फिल्म के मायने !
श्रीलंका से
आयातित बॉलीवुड सुंदरी जैक्विलिन फर्नांडिस आजकल बाली में आराम फरमा रही हैं। वहां
दोस्तों के साथ जाने के बावजूद, वह अपनी फिटनेस के प्रति उदासीन नहीं लगती। वह अपने प्रशंसकों को भी
सेहत के प्रति सजग करने के लिए अपने सुबह सुबह के, समुद्र तट पर किये गए आसनों की तस्वीरें अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर
पोस्ट करती रहती है। ऐसे ही चित्रों के एक सेट में वह हथेलियों के बल पर शीर्षासन
करती नज़र आ रही हैं। छुट्टियों और बाली
जैसी सुन्दर जगह पर जाने के बाद भी हर दिन अपना फिटनेस सेशन चलाना जैकी के
लिए अनिवार्य भी है। इस समय उनके पास जो
फिल्में है, उनमे उन्हें चुस्त-दुरुस्त और फिट रहना और
दिखना है। सलमान खान,
अनिल कपूर, बॉबी देओल और डेज़ी शाह के साथ रेमो डिसूज़ा
निर्देशित फिल्म रेस ३ में उन्हें अच्छी नृत्य प्रतिभा का प्रदर्शन तो करना ही है, सलमान खान के करैक्टर के साथ कंधे से कंधा
मिला कर एक्शन भी करने हैं। यह एक्शन सामान्य एक्शन नहीं होंगे, बल्कि काफी मुश्किल और खतरनाक भी होंगे।
वह इसके लिए मिक्स्ड मार्शल आर्ट्स का गहन प्रशिक्षण ले रही हैं। यह आर्ट फिल्म
में उनके करैक्टर के लिहाज़ से उपयुक्त तो है ही, जैक्विलिन के स्वाभाव के अनुकूल भी है। वह हर नई चीज़ को सीखने का मौका
जाने नहीं देती। जैक्विलिन के अनुसार इस प्रकार
की ट्रेनिंग उनके करैक्टर को स्वभाविक बनाने के लिए ज़रूरी होती ही है, कला हमेशा के लिए साथ भी रहती है। वैसे
जैक्विलिन इस समय जिस प्रकार की फ़िल्में कर रही हैं, उनमे एक्शन के अलावा विदेशी सरजमीं की
एक्शन तकनीक भी शामिल है। तरुण मनसुखानी की फिल्म ड्राइव में वह सुशांत सिंह
राजपूत की नायिका हैं। पिछले दिनों, इस फिल्म की शूटिंग इजराइल में हुई है। इन दो फिल्मों के अलावा जैकी
ब्रिटिश लेखक पाउला हॉकिंस की पुस्तक द गर्ल ऑन द ट्रेन के हिंदी फिल्म रूपांतरण
के लिए फिल्मकार रिभु दासगुप्ता के साथ मिल कर काम कर रही हैं। वह इस साइकोलॉजिकल
थ्रिलर फिल्म को लेकर काफी उत्साहित है। यह फिल्म ट्रेन में रोज सफ़र करने वाली एक
लड़की की होगी,
जो रोज ही
रास्ते में एक जगह एक जोड़े को नाश्ता करते देखा करती है। धीरे धीरे उसे लगने लगता
है कि जैसे वह उस जोड़े को जानती है। रेस ३ और ड्राइव में जैक्विलिन के कठिन एक्शन
और द गर्ल ऑन द ट्रेन पर आधारित लड़की के मुख्य किरदार वाली फिल्म करने से ऐसा लगता
है कि जैक्विलिन भी नारी प्रधान फ़िल्में
करना चाहती है। इस पर उनका कहना है, “मैं नारी प्रधान फिल्म करने के लिए किसी भी नारी प्रधान फिल्म को करने
नहीं जा रही। द गर्ल ऑन द ट्रेन के लड़की के किरदार में कई आयाम हैं. इसलिए, मैं इस फिल्म को कर रही हूँ और करना चाहती
हूँ।”
जेपी दत्ता की पल्टन में अनु मलिक
अनु मलिक और
जेपी दत्ता की संगीतकार-फिल्मकार जोड़ी का साथ बीस साल पुराना है। जे पी दत्ता के
लिए अनु मालिक ने पहली बार फिल्म बॉर्डर के लिए म्यूजिक दिया था। बॉर्डर से पहले,
जे पी दत्ता की तमाम फिल्मों गुलामी, यतीम, बटवारा, हथियार और क्षत्रिय का संगीत
संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ही देते रहे थे। बॉर्डर से जेपी दत्ता के साथ
संगीतकार अनु मालिक जुड़े। बॉर्डर में, अनु मालिक द्वारा तैयार धुनों पर तमाम गीत देश
भक्ति और जोश से भरे हुए थे। इस फिल्म के लिए अनु मालिक की धुन पर गीत लिखने के
लिए जावेद अख्तर को और फिल्म का मेरे दुश्मन गीत गाने के लिए हरिहरन को राष्ट्रीय फिल्म
पुरस्कार मिला। इसके बाद, अनु मालिक ने दत्ता की अगली फिल्म रिफ्यूजी का संगीत भी
दिया। फिल्म के संगीत के लिए अनु मालिक को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और जावेद
अख्तर को एक बार फिर पंछी नदिया गीत के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। अनु
मालिक ने जे पी दत्ता की पिछली दोनों फिल्मों एलओसी- कारगिल और उमरावजान का भी संगीत भी दिया था। जे पी दत्ता की यह दोनों फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास न कर सकी। उमरावजान, ३ नवम्बर २००६ को रिलीज़ हुई थी। इसका मतलब यह हुआ कि वह उमरावजान के
पूरे १२ साल बाद फिल्म बनाने जा रहे हैं। इस बीच, उन्होंने जेपी दत्ता जीन के
अंतर्गत फिल्म जी ले जी भर के, अपनी बेटी निधि दत्ता को नायिका बनाने के लिए शुरू
की। इस फिल्म का निर्देशन अजित सोढ़ी कर रहे थे। लेकिन, यह फिल्म पूरी नहीं हो सकी। पिछले साल घोषित उनकी निर्माणाधीन फिल्म पलटन भी युद्ध फिल्म है। इस फिल्म की युद्धभूमि ९ साल
पहले की है। यानि फिल्म में चीन और भारत युद्ध है। इस फिल्म में भी सितारों की
भरमार है। अभिषेक बच्चन और सुनील शेट्टी, फिल्म बीच में छोड़ कर निकल गए। अब सोनू
सूद, जैकी श्रॉफ, अर्जुन रामपाल, हर्षवर्द्धन राणे, रोहित रॉय, गुरमीत चौधरी,
सिद्धांत कपूर और लव सिन्हा जैसी स्टारकास्ट जेपी दत्ता की पलटन है। इस फिल्म की पल्टन में संगीतकार के तौर पर अनु मालिक शामिल हैं। अनु मालिक को, इस बार चीन को ध्यान में रख कर, उस
समय की भावनाओं के अनुकूल संगीत तैयार करना है। अनु मालिक का जोशीला संगीत फिल्म
की स्टार कास्ट में जोश भर सकता है। अड़सठ साल के जेपी दत्ता में आज भी जोश है। क्या अट्ठावन साल के अनु मालिक के संगीत में भी वैसा ही जोश होगा ? क्योंकि, जेपी दत्ता की पलटन की
सफलता काफी कुछ संगीत पर भी निर्भर होगी।
अक्षय कुमार के साले और सलमान खान के बहनोईयों का २०१८
बॉलीवुड के लिहाज़ से, अगर २०१८ को अक्षय कुमार के साले और सलमान खान के बहनोइयों का साल कहा जाये तो गलत न
होगा। जहाँ, २०१८ में, श्रीदेवी की बेटी जाह्नवी, शाहिद कपूर के भाई ईशान, सैफ अली खान और अमृता सिंह की बेटी सारा अली खान, आदि दूसरे निर्माताओं की फिल्मों से लांच होंगे, वहीँ अक्षय कुमार
अपने साले को और सलमान खान अपने दो बहनोइयों को अपने प्रोडक्शन के ज़रिये लांच
करेंगे या फ़िल्में बनाएंगे। करण कपाड़िया, बॉबी एक्ट्रेस डिंपल कपाड़िया के भतीजे हैं और इस नाते पूर्व
अभिनेत्री ट्विंकल खन्ना भाटिया के कजिन हैं और ट्विंकल नाते अक्षय कुमार के साले। वह टोनी डिसूज़ा और विशाल राणा के प्रोजेक्ट के ज़रिये बॉलीवुड में कदम
रखेंगे। अक्षय कुमार ने टोनी डिसूज़ा की दो फिल्मों ब्लू और
बॉस में अभिनय किया है। वह करण की मुख्य भूमिका वाली बेहज़ाद
खम्बाटा निर्देशित अनाम फिल्म में कैमिया भी करेंगे। वैसे करण अपनी भूमिका के लिए काफी मेहनत भी कर
रहे हैं। वह घुड़सवारी और बाइक चलाना जानते
हैं। वह तैराकी भी जानते हैं। उन्होंने, अपने जीजा की तरह छह
महीना बैंकाक में रह कर मार्शल आर्ट्स का भी प्रशिक्षण लिया है। उन्होंने तमाम दूसरी कलाएं जेफ़ गोल्डबर्ग
स्टूडियो में सीखी हैं। अपने रोल के लिए
११२ किलो के करण कपाड़िया ने अपना वजन २४ किलो घटाया है। यह फिल्म अगले साल यानि २०१८ में ही रिलीज़
होगी। उधर सलमान खान के कन्धों पर दो
बहनोइयों का भार है। पूर्व फिल्म अभिनेत्री रति अग्निहोत्री के कजिन अतुल अग्निहोत्री ने, जब सलमान खान की बहन
अलवीरा से प्रेम विवाह किया, तब तक वह बॉलीवुड के फ्लॉप एक्टर बन चुके थे। अलवीरा से शादी के बाद, उन्होंने सलमान खान को दो फिल्मों, दिल ने जिसे
अपना कहा और हेलो को निर्देशित किया। हेलो से वह अपनी पत्नी अलविरा के साथ फिल्म
प्रोडूसर भी बन गए। बतौर निर्माता अतुल की सलमान खान के साथ
फिल्म बॉडीगार्ड बड़ी हिट फिल्म साबित हुई। तीसरी फिल्म ओ तेरी पुलकित सम्राट, बिलाल अमरोही, आदि के साथ बनाई गई
थी। अब वह तीन साल बाद फिर से फिल्म बनाने जा रहे हैं तो उसके नायक और निर्देशक
टाइगर जिंदा है की जोड़ी सलमान खान और अली अब्बास ज़फर है। यानि फिल्म प्रोडूसर
अतुल अग्निहोत्री की सफलता सुनिश्चित। सलमान खान, एक दूसरे बहनोई आयुष शर्मा को हीरो बनाने जा रहे हैं। यह आसान काम नहीं होगा। फिर भी सलमान खान ने कमर कस ली है। उनकी लांच फिल्म, अली अब्बास ज़फर के सहायक अभिराज मीनावाला द्वारा निर्देशित होगी। यह, गुजरात की पृष्ठभूमि
पर एक रोमांटिक कहानी पर आधारित फिल्म होगी। इस फिल्म के लिए आयुष शर्मा, आजकल गुजरात की ख़ाक
छान रहे हैं। इस फिल्म की शूटिंग अगले साल फरवरी से शुरू होगी। इस मामले में ख़ास
बात यह होगी कि अक्षय कुमार के साले और सलमान खान के बहनोई की बतौर फिल्म अभिनेता फ़िल्में २०१८ में ही
रिलीज़ होंगी।
हृषिकेश पांडेय : एक एक्टर, जो सेनापति भी है और डाकू भी
हृषिकेश
पाण्डेय, ऐतिहासिक सीरियल पोरस में दोहरी भूमिका कर रहे हैं . सिद्धार्थ कुमार
तिवारी के इस शो में, कभी सेनापति रिपु दमन के गेटअप पहनते हैं, कभी समुद्री डाकू
सज्जन सिंह . सज्जन सिंह की वह किरदार है, जो पोरस की मदद करता है . वह पोरस के
साथ अपनी पहचान छुपा कर रहता है . रिपुदमन, पोरस के पिता राजा बामनी का
विश्वासपात्र है . वह उसका दाहिना हाथ है और सेनापति . वह राज्य और बच्चे को बचाने
के लिए अपना पूरा जीवन, परिवार और सब कुछ समर्पित कर देता है . इन दोनों ही
भूमिकाओं का लुक एक दूसरे से बिलकुल अलग है . बालों का ढंग और पोशाकें भी भीं हैं
. यहाँ तक कि दोनों किरदारों की मूछों का स्टाइल भी अलग है . हृषिकेश, सेनापति के चोले
में अपनी मूछे ऊपर को रखते हैं और डाकू के रूप में मूछे नीचे की ओर होती हैं .
किसी एक सीरियल में दोहरी भूमिका पाना, किसी भी एक्टर के लिए सौभाग्य की बात है .
हृषिकेश कहते हैं, “आप टेलीविज़न पर मुश्किल से ऐसे रोल पाते हैं . टेलीविज़न के
दूसरी तमाम दोहरी भूमिकाओं में पिता और बेटे का किरदार एक अभिनेता करता है, जहाँ
दो चेहरे सामान नज़र आते हैं . पर पोरस में अभिनेता को अलग अलग समय में अपनी पहले
वाली पहचान छुपाते हुए, दूसरे किरदार को भिन्न रखते हुए करना है”. पोरस एक युद्ध
प्रधान फिल्म है . तलवार, भाले, आदि से युद्ध दृश्य और घुड़सवारी के दृश्यों और
घटनाओं की भरमार है . इसलिए, घायल होना आम बात है . अपनी दो भूमिकाओं के लिए
हृषिकेश कई बार घायल हुए . एक बार तो उन्हें बहते खून में युद्ध करना पडा और दृश्य
पूरा होने बाद हॉस्पिटल ले जाए गए . वास्तविकता तो यह है कि हृषिकेश की तरह बाकी
तमाम एक्टर और एक्स्ट्रा भी घायल हुए . हृषिकेश कहते हैं, “शूटिंग के समय कई कठिन
परिस्थितियाँ आती हैं, चोट चपेट लगती है . लेकिन, उस समय सब भूल जाते हैं, जब काम
की प्रशंसा होती है.” हृषिकेश ने, २००१ मे जी टीवी के शो कोई अपना सा से अपने
एक्टिंग करियर की शुरुआत की थी . वह अब तक कहानी घर घर की, पिया का घर, विरासत,
हमारी बेटियों का विवाह, आदि में कमोबेश रोमांटिक किरदार कर चुके हैं . वह, सीआईडी
स्पेशल ब्यूरो में इंस्पेक्टर अभिमन्यु और सीआईडी में सचिन का किरदार कर चुके हैं
. इसके बावजूद हृषिकेश को एक्शन करना अच्छा लगता है . इसीलिए, उन्हें पोरस में
अपनी दोहरी भूमिकाएं करने में मज़ा आ रहा है . वह कहते हैं, “एक्शन करने में मज़ा आता
है . यह आपको हमेशा फिट रखते हैं . मैं इस प्रकार के शो करना पसंद करता हूँ . यह
टिपिकल सास-बहु गाथा की तरह एकरस नहीं होते .” अब यह बात दीगर है कि पोरस की
भूमिकाओं के कारण पिछले १५-१६ सालों से एक ही लुक में नज़र आ रहे हृषिकेश के लुक
में बड़ा बदलाव हो गया है.
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