अनु मलिक और
जेपी दत्ता की संगीतकार-फिल्मकार जोड़ी का साथ बीस साल पुराना है। जे पी दत्ता के
लिए अनु मालिक ने पहली बार फिल्म बॉर्डर के लिए म्यूजिक दिया था। बॉर्डर से पहले,
जे पी दत्ता की तमाम फिल्मों गुलामी, यतीम, बटवारा, हथियार और क्षत्रिय का संगीत
संगीतकार जोड़ी लक्ष्मीकान्त प्यारेलाल ही देते रहे थे। बॉर्डर से जेपी दत्ता के साथ
संगीतकार अनु मालिक जुड़े। बॉर्डर में, अनु मालिक द्वारा तैयार धुनों पर तमाम गीत देश
भक्ति और जोश से भरे हुए थे। इस फिल्म के लिए अनु मालिक की धुन पर गीत लिखने के
लिए जावेद अख्तर को और फिल्म का मेरे दुश्मन गीत गाने के लिए हरिहरन को राष्ट्रीय फिल्म
पुरस्कार मिला। इसके बाद, अनु मालिक ने दत्ता की अगली फिल्म रिफ्यूजी का संगीत भी
दिया। फिल्म के संगीत के लिए अनु मालिक को राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार और जावेद
अख्तर को एक बार फिर पंछी नदिया गीत के लिए राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला। अनु
मालिक ने जे पी दत्ता की पिछली दोनों फिल्मों एलओसी- कारगिल और उमरावजान का भी संगीत भी दिया था। जे पी दत्ता की यह दोनों फ़िल्में बॉक्स ऑफिस पर कुछ खास न कर सकी। उमरावजान, ३ नवम्बर २००६ को रिलीज़ हुई थी। इसका मतलब यह हुआ कि वह उमरावजान के
पूरे १२ साल बाद फिल्म बनाने जा रहे हैं। इस बीच, उन्होंने जेपी दत्ता जीन के
अंतर्गत फिल्म जी ले जी भर के, अपनी बेटी निधि दत्ता को नायिका बनाने के लिए शुरू
की। इस फिल्म का निर्देशन अजित सोढ़ी कर रहे थे। लेकिन, यह फिल्म पूरी नहीं हो सकी। पिछले साल घोषित उनकी निर्माणाधीन फिल्म पलटन भी युद्ध फिल्म है। इस फिल्म की युद्धभूमि ९ साल
पहले की है। यानि फिल्म में चीन और भारत युद्ध है। इस फिल्म में भी सितारों की
भरमार है। अभिषेक बच्चन और सुनील शेट्टी, फिल्म बीच में छोड़ कर निकल गए। अब सोनू
सूद, जैकी श्रॉफ, अर्जुन रामपाल, हर्षवर्द्धन राणे, रोहित रॉय, गुरमीत चौधरी,
सिद्धांत कपूर और लव सिन्हा जैसी स्टारकास्ट जेपी दत्ता की पलटन है। इस फिल्म की पल्टन में संगीतकार के तौर पर अनु मालिक शामिल हैं। अनु मालिक को, इस बार चीन को ध्यान में रख कर, उस
समय की भावनाओं के अनुकूल संगीत तैयार करना है। अनु मालिक का जोशीला संगीत फिल्म
की स्टार कास्ट में जोश भर सकता है। अड़सठ साल के जेपी दत्ता में आज भी जोश है। क्या अट्ठावन साल के अनु मालिक के संगीत में भी वैसा ही जोश होगा ? क्योंकि, जेपी दत्ता की पलटन की
सफलता काफी कुछ संगीत पर भी निर्भर होगी।
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Saturday 30 December 2017
जेपी दत्ता की पल्टन में अनु मलिक
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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