Saturday, 23 December 2017

सोशल मेसेज देने वाली फ़िल्में

पैडमैन 
क्या सामजिक सन्देश देने वाली फिल्मों का सिलसिला चल निकला है ? क्या सलमान खान की फिल्म को पहले दिन ३४ करोड़ की कमाई करवाने वाला हिंदी फिल्म दर्शक इन फिल्मों को स्वीकार भी कर रहा है ? २०१७ की बात की जाए तो टॉयलेट एक प्रेम कथा और पिंक में सामजिक सन्देश भी था और इन्हे बॉक्स ऑफिस पर अच्छी सफलता भी मिली थी।  यह कहा जा सकता है कि इन दोनों फिल्मों में बॉलीवुड के दो सुपर स्टार अक्षय कुमार और अमिताभ बच्चन मुख्य भूमिका में थे, इसलिए इन दोनों फिल्मों को बड़ी सफलता मिली।  बेशक यह सच्चाई है।  टॉयलेट एक प्रेम कथा अक्षय कुमार के बल पर ही १०० करोड़ क्लब में शामिल हो सकी। राजकुमार राव की मुख्य भूमिका वाली अलीगढ और न्यूटन की सफलता को क्या नाम देंगे ! लिपस्टिक अंडर माय बुर्खा, हिंदी मीडियम, आदि कुछ फिल्मों की सफलता सामाजिक सन्देश और दर्शकों की स्वीकार्यता का ही परिणाम है।
हिचकी 
२०१८ में बीच संदेशात्मक फ़िल्में
यही कारण है कि २०१८ में भी हिंदी फ़िल्में सामजिक सन्देश देती नज़र आएंगी।  यह फ़िल्में समाज के विभिन्न वर्ग की समस्याओं पर  केंद्रित होंगी।  बेशक, २०१७ की तरह २०१८ की फिल्मों में भी बॉलीवुड के बड़े सितारे आगे आगे होंगे।  बॉलीवुड फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार की बतौर निर्माता और अभिनेता फिल्म पैडमैन महिलाओं की मासिक  धर्म के  दौरान स्वच्छता को लेकर है।  इस फिल्म में, गरीब और ग्रामीण  महिलाओं के लिए सस्ते सेनेटरी पैड बनाने वाली मशीन की ईज़ाद करने वाले अरुणाचलम मुरुगनंथम पर है।  यह फिल्म  स्वच्छता का सन्देश देने   वाली फिल्म है।इस फिल्म को अभी से पूरी दुनिया में सराहा जा रहा है।  हिचकी भी महिला सशक्तिकरण की समर्थक फिल्म है।  एक महिला बात करते करते हिचकी आने की बीमारी की शिकार है।  हर जगह उसे नीचा देखना पड़ता है।  लेकिन, वह इस खामी से विचलित नहीं होती।  वह इसे अपने हथियार के तौर पर इस्तेमाल करती है। वह एक स्कूल की न केवल अध्यापिका बनती है, बल्कि शरारती बच्चों को भी सही राह पर ले आती है।  निर्माता मनीष शर्मा की सिद्धार्थ पी मल्होत्रा निर्दशित फिल्म हिचकी की केंद्रीय भूमिका में रानी मुख़र्जी हैं।  पैडमैन का निर्देशन आर बाल्की ने किया है।
सुई धागा 
युवा सितारे भी दे रहे सन्देश
सामजिक सन्देश देने के मामले में युवा सितारे भी पीछे नहीं।  वरुण धवन २०१७ के सबसे सफल युवा अभिनेता साबित हुए थे।  २०१८ में उनके पास कुछ मसाला फ़िल्में हैं।  लेकिन, वह सामजिक सन्देश  देने वाली फ़िल्म करने में पीछे नहीं।  उनकी अनुष्का शर्मा के साथ फिल्म सुई धागा, प्रधान मंत्री के मेक इन इंडिया को समर्पित और महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि स्वरुप फिल्म है।  यह  फिल्म स्व-निर्भरता की  समर्थक और स्वदेशी पर केंद्रित फिल्म है।  यह फिल्म स्वदेशी हथकरघा उद्योग और श्रमिकों को गौरव का प्रतीक समझने  वाली फिल्म है।  फिल्म के पोस्टरों से  वरुण धवन फिल्म में दरजी की भूमिका निभाते लगते हैं।  टॉयलेट एक प्रेम कथा से स्वच्छता का सन्देश देने वाले डायरेक्टर-लेखक श्री नारायण सिंह अब बिजली की समस्या पर ध्यान आकर्षित करने जा रहे। उनकी फिल्म  बत्ती गुल मीटर चालू की कहानी आम आदमी के बिजली वितरण में कंपनियों के घोटालों के विरोध में संघर्ष की कहानी है।  एक वकील की भूमिका में शाहिद कपूर इस संघर्ष को अंजाम तक पहुंचा रहे हैं।
लव सोनिया 
यह किसी से कम नहीं

वरुण धवन और शाहिद कपूर युवा सुपर स्टार हैं।  उनका सामजिक सन्देश देने वाली फ़िल्में करना मुंह का स्वाद बदलने जैसा है।  मगर, कुछ छोटे अभिनेता भी सामाजिक सन्देश के झंडाबरदार बने हुए हैं।  मज़दूर समस्या पर कोई फिल्म काफी साल बाद आई है।  निर्देशक संजय पटेल की फिल्म यूनियन लीडर एक ईमानदार मज़दूर नेता की कहानी है, जो एक कुख्यात केमिकल फैक्ट्री के गलत कामों का विरोध करते समय अपने परिवार  को तक खतरे में डाल देता है।  इस यूनियन  लीडर की भूमिका अभिनेता राहुल भट कर रहे हैं।  विद्युत् जम्वाल अपने विलेन चोला  किनारे डाल कर हाथियों को बचाने उतर आये हैं।  द मास्क, अ नाईटमेयर ऑन एल्म स्ट्रीट और द स्कोर्पियन किंग जैसी फिल्मों के निर्देशक चक रसेल हाथी और इंसान के प्यार के साथ साथ हाथियों के शिकार और हाथी दांत के अवैध व्यापार जैसी अछूती समस्या पर दर्शकों का ध्यान विद्युत् जम्वाल के किरदार अस्वथ के माध्यम से करना चाहते हैं।  इस फिल्म में विद्युत् जम्वाल के किये खतरनाक  एक्शन दृश्य विद्युत् के प्रशंसकों को सिनेमाघरों तक आसानी से खींच लाएंगे।  मानव व्यापार की समस्या पर तबरेज़ नूरानी की फिल्म लव सोनिया है।  वह फिल्म में देह व्यापार से जुड़े गिरोह के चंगुल में फंसी जवान लड़कियों की  दुर्दशा की ओर दर्शकों का ध्यान आकर्षित करते हैं।  इस फिल्म से हॉलीवुड के कई सितारे भी जुड़े हैं।  इनमे मृणल ठाकुर, फ्रीडा पिंटो और डेमी मूर के नाम ख़ास हैं।  बताते हैं कि यह फिल्म वास्तविक घटना पर है।  जिसमे एक लड़की चीन से आ रहे जहाज के कंटेनर में एक युवती बरामद होती है।  

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