'बैंड ऑफ़ बॉयज' का हिस्सा रह चुके करण ओबेरॉय से श्रोताओं
को हमेशा कुछ नया और ताज़ा देखने और सुनने को मिला है। लेकिन इस बार उन्होनें कुछ
अलग करने की सोची। वह ७० और ८० के दशक के कुछ ओरिजिनल गानों को ना लेकर, कुछ कल्ट क्लासिक्स को नए रूप
में पेश करने का प्रयोग कर रहे हैं। करण अपनी
एल्बम ‘रेट्रोनिका’ के लिए बॉलीवुड के कई मशहूर गाने फिर से सँवार रहे हैं। सारेगामा के
सहयोग से उन्होंने 'चौदहवीं का चाँद' और 'रात कली'
जैसे गानों
पर काम किया। हाल ही में रिलीज़ हुए गाने 'आने वाला पल'
ने हज़ारों के
दिल जीत लिए पर कहीं न कहीं लोग 'छल्ला',
'गोरी' और 'मेरी नींद'
के जादू को
ढूंढते रह गए। खैर हम हर चीज़ का दोषी करण को तो ठहरा नहीं सकते क्योंकि आजकल हिट
गानों को रीमिक्स करने का बॉलीवुड में दौर चला है। पर सवाल यह खड़ा होता है कि हम
एक्सपेरिमेंट करने को तैयार क्यों नहीं हैं? अपना
दृष्टिकोण समझाते हुए,
मुख्य गायक
करण ओबेरॉय बोलें कि “पुराने गानों को नया रूप देने की सबसे बड़ी
वजह हैं श्रोताओं का उन क्लासिक्स के प्रति लगाव। ज्यादातर लोग दर्शकों को आकर्षित
करने में पूरी तरह से लगे होते हैं। बगैर ज़्यादा पैसा, मेहनत और वक़्त लगाए, यही यकीनन इसका सबसे निश्चित उपाय है।” इन सबके
बावजूद करण को यह बात कुछ अनुचित लगती है कि इतने बड़े बजट की फिल्में बहुत सारे
साधन, मौके और समय के होते हुए भी ऎसे आसान
तरीके अपनाएँ। “मुझे यह समझ में नहीं आता कि जो इतनी बड़ी
बजेट की फिल्में हैं,
उनको ऐसी
चालें क्यों चलनी पड़ती हैं?
इनके पास
मार्किट में नयी सुरों की रचना करने के लिए बहुत समय, पैसे और साधन उपलब्ध हैं। मेरे जैसे इंडी
संगीतकारों के लिए यह करने की सिर्फ दो ही वजह हैं।”
"या तो
मुझे वह गाना बेहद पसंद होने के नाते मैं उसे अपने अनोखे तरीके से सजाकर पेश करना
चाहता हूँ या मेरे पास उतने साधन या उतनी मार्केटिंग का नाता या उतनी ताक़त नहीं है
जिससे मैं ओरिजिनल गाने को श्रोताओं तक पहुँचा सकूँ। आज की तारीख में सोशल मीडिया
पर इंतेज़ाम करने की भी कीमत बहुत ज़्यादा बढ़ चुकी है। इनके चलते मैं नहीं चाहता कि
अपने झूठे एहम की संतुष्टि के लिए फेक लाइक्स और व्यूज खरीदूँ।” करण ने स्पष्ट करते हुए बोला।
करण बोलें कि
"यही वजह है जिसके लिए मैं ऎसे श्रोताओं को बटोरने की कोशिश में लगा रहता हूँ
जो इन गानों के माध्यम से मुझे एक कलाकार के रूप में पसंद करें। फिर आगे चलकर जब
मैंने ऎसे दर्शक इकठ्ठा कर लिए हों, तब मैं दोबारा उनके सामने मेरी ओरिजिनल रचनाओं को पेश करूंगा।”
चाहे जितने
भी साल क्यों न बीत गए हों,
हमारे कान
हमेशा ही करण की मधुर धुनों को तरसते हैं।
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