पंजाबी ग्लोबल फाउंडेशन द्वारा आयोजित लघु फ़िल्म मेला 'पीजीएफ एक्सप्रेशन' का उद्देश्य मुम्बई में पंजाब की संस्कृति को प्रोत्साहित करना तथा विश्व सिनेमा में पंजाबियत के प्रभाव का चित्रण करना था. पीजीएफ एक्सप्रेशन इस उद्देश्य में सफल रहा था. इस मेले में पंजाबी संस्कृति के फिल्मों में प्रभाव को दर्शाने वाली हिंदी और पंजाबी भाषा की लघु फिल्मों का प्रदर्शन किया गया था. प्रदर्शित फिल्मों में श्रेष्ठतम पांच फिल्मों का चुनाव टी-सीरीज के डायरेक्टर अजय कपूर, अनिल शर्मा, एन चन्द्र, पंकज धीर और साइरस दस्तूर की जूरी द्वारा किया गया. इस फेस्टिवल में वापसी, नूरन, करामात,मोमबत्ती, डोर, सेल्समेन तथा रोमांसिंग तंबाकू एंड unfortunate जैसी फिल्मों का प्रदर्शन किया गया. फेस्टिवल में पहुंचे एन चंद्रा, नासिर खान, सुमीत टप्पू, एमी बिल्लीमोरिअ, एस के आहूजा, जतिन घई,मानसी प्रीतम, सुरभी प्रभु,गावीऐ चचल, एस पी आहूजा, कुंवर सिंह, आदि मौज़ूदगी ने साबित कर दिया कि फेस्टिवल अपने मक़सद में कामयाब रहा था.
भारतीय भाषाओँ हिंदी, तेलुगु, तमिल, कन्नड़, मलयालम, पंजाबी, आदि की फिल्मो के बारे में जानकारी आवश्यक क्यों है ? हॉलीवुड की फिल्मों का भी बड़ा प्रभाव है. उस पर डिजिटल माध्यम ने मनोरंजन की दुनिया में क्रांति ला दी है. इसलिए इन सब के बारे में जानना आवश्यक है. फिल्म ही फिल्म इन सब की जानकारी देने का ऐसा ही एक प्रयास है.
Tuesday, 25 February 2014
पंजाबियत का प्रदर्शन करती फिल्मों का प्रदर्शन
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आज जी
मैं हिंदी भाषा में लिखता हूँ. मुझे लिखना बहुत पसंद है. विशेष रूप से हिंदी तथा भारतीय भाषाओँ की तथा हॉलीवुड की फिल्मों पर. टेलीविज़न पर, यदि कुछ विशेष हो. कविता कहानी कहना भी पसंद है.
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