बिहार के दिग्गज नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के बेटे चिराग पासवान को कल टीवी पर देखना अच्छा लगा. चिराग पासवान पहली बार राजनीतिक वार्ता करते दीख रहे थे. इससे पहले पत्रकार उन्हें बतौर फ़िल्म अभिनेता ही थोडा बहुत जानते पहचानते थे।
उन्होंने पहले हिंदी फिल्मों में अपने पैर जमाने की कोशिश की थी. २०११ में
कंगना रनौत के साथ फ़िल्म 'मिले न मिले हम' की भी. बुरी फ़िल्म नहीं थी.
चिराग भी बुरे एक्टर साबित नहीं होते थे. इस फ़िल्म के प्रीमियर में पिता रामविलास पासवान भी शामिल हुए थे. बहुत खुश दिखायी दे रहे थे. लेकिन, फ़िल्म का बहुत ख़राब प्रचार
किया गया. बॉलीवुड में बिना अग्रेस्सिव पब्लिसिटी के अच्छा नहीं बिकता.
अग्रेस्सिव पब्लिसिटी कचरे को भी सोने के भाव बेच डालती है. चिराग को बुरे
प्रचारकों के घटिया प्रचार का खामियाज़ा भुगतना पड़ा.बॉलीवुड में ऐसे बेईमान पीआर का बोलबाला है, जो पैसे ले लेने के बावज़ूद दिल से प्रचार नहीं करते। यह निर्माता की गैर जानकारी का फायदा उठाते हैं। ऐसा लगता है जैसे वह पहले ही जान लेते हैं कि यह फ़िल्म या एक्टर चलने वाला नहीं और वह अपना पैसा बटोर कर चम्पत हो लेते हैं. कदाचित अभिनेता चिराग पासवान को ऐसे ही प्रचारक मिले। नतीज़े के तौर पर फ़िल्म को अच्छा प्रचार नहीं मिली, नतीज़े के तौर पर फ़िल्म को दर्शक भी नहीं मिले. बेचारे चिराग बिना संघर्ष किये मुम्बई टू पटना वापस हो गए.
अब वह टीवी पर थे तो अपनी किसी फ़िल्म के प्रचार में नहीं, बल्कि अपने पिता के बीजेपी के साथ सम्भावित रंगरेलियों की खबरों को लेकर पत्रकारों से बात कर रहे थे. क्या फिल्मों में असफल साबित हो चुके चिराग पासवान अपने घाघ राजनीतिज्ञ पिता का पोलिटिकल कैरियर रिवाइव कर पाएंगे? क्या होगा यह तो अगले कुछ दिन बता देंगे. लेकिन, क्या ही अच्छा हो अगर चिराग खुद राजनीति में उतरें और अपने पिता का नाम रोशन करें. बॉलीवुड ने तो उन्हें दगा दी. लेकिन अक्खा इंडिया उन्हें ज़रूर परखेगा!
अब वह टीवी पर थे तो अपनी किसी फ़िल्म के प्रचार में नहीं, बल्कि अपने पिता के बीजेपी के साथ सम्भावित रंगरेलियों की खबरों को लेकर पत्रकारों से बात कर रहे थे. क्या फिल्मों में असफल साबित हो चुके चिराग पासवान अपने घाघ राजनीतिज्ञ पिता का पोलिटिकल कैरियर रिवाइव कर पाएंगे? क्या होगा यह तो अगले कुछ दिन बता देंगे. लेकिन, क्या ही अच्छा हो अगर चिराग खुद राजनीति में उतरें और अपने पिता का नाम रोशन करें. बॉलीवुड ने तो उन्हें दगा दी. लेकिन अक्खा इंडिया उन्हें ज़रूर परखेगा!
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